Book Title: Aagam 02 SOOTRAKUT Moolam evam Vrutti Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 2
________________ आगम (०२) “सूत्रकृत्” - अंगसूत्र-२ (मूलं+नियुक्ति:+वृत्ति:) श्रुतस्कंध [ ], अध्ययन [ ], उद्देशक [ ], मूलं [ ], नियुक्ति: [] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०२], अंग सूत्र-[०२] “सुत्रकृत" मूलं एवं शिलांकाचार्य-कृत वृत्ति: प्रत सुत्रांक दीप अनुक्रम अहम भीमच्छीलाङ्काचार्यविहितविवरणयुतं श्रीमत्सुधर्मस्वामिगणभृट्टन्छ । श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम्। १००१ शेउ नगीनदास जीवणजी नवसारी ५०० बाइ पारवती ते शा दलछाराम बखतचंदनों विधवा ६०१ शेठ लल्लुभाइ केवलदास कपडवंज अमदावाद ५०१ शेठ मगनलाल दीपचंद माणसा ५०० बाइ भोंधीवाह शेठ लल्लुभाइ चुनीलालनी धणीयाणी ५०१ शा नथुभाह लालचंदनी दीकरी बाइ परसन कपडवंज सुरत ५०० झवेरी कस्तुरचंद सवेरचंद सुरत ५०० शेठ सोभाग्यचंद माणेकचंद सुरतवंदर प्रकाशयित्री-पूर्वोक्तमहाशयानां संपूर्णद्रव्यसहायनागमोदयसमितिः श्रेष्टिवेणिचन्द्रसूरचन्द्रद्वारा । वीरसंवत् २४४३. विक्रमसंवत् १९७३. क्राइष्टस्य सन् १९१७. प्रतयः ।...] वेतनं २-१२-० [Rs.2-12-01 सूत्रकृताङ्गसूत्रस्य मूल “टाइटल पेज"Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 860