Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
Catalog link: https://jainqq.org/explore/022612/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7 उववाई सत्तं (PUR प्रकाशक जावनी Faltutism - कायालय अजमेर पं० छोटेलाल यति रांगड़ी चौक बीकानेर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शीघ्रता कीजिये ? अपूर्व अवसर ?? हाथ से न जाय ??? Cangacaemeni nesnevnergococcuen पूज्य श्री १००८ श्री जवाहिरलालजी महाराज के व्याख्यानों द्वारा जो पुस्तकें निकलती हैं :--- उनके पढ़ने से देश, जाति, नीति और जैन धर्म के गूढ़ रहस्या के साथ-साथ परोपकार वृत्ति का प्रसार होता है तथा जैसे-जैसे इन दैवी गुणों को _सत्ता बढ़ती जायगी वैसे वैसे संसार की पीडारूप आसुरी __भावों का मूलोच्छेद होता जायगा। यदि आप ऐसे २ भनेक ग्रंथों को पढ़ना चाहते हो तो आज ही जीवन कार्यालय अजमेर के स्थायी ग्राहक बनकर एक रुपया और ज़्यादा जमा कर देंगे तो भापको यह पुस्तकें बुक पोस्ट द्वारा बराबर मिल जायगी और इससे खर्च की भी बचत होगी तथा समय पर पुस्तकें भी मिलेगी। रुपया पूरा होने पर हिसाब भेज दिया जायगा। ACUPAY ००००००००००0000000000000000000000 JURELED आज तक दयादान सम्बन्धी अपूर्व तर्क वितकों से परिपूर्ण ऐसी पुस्तकें जैन समाज में प्रकाशित नहीं हुई हैं। तेरापंथ समाज ने इन पुस्तकों को बीकानेर गवर्नमेंट से जब्त कराने के लिये दो दो वार तन,मन,धन,से महान प्रयत्न किया किन्तु दया-धर्म प्रेमी सरकार ने दया-धर्म के सिद्धान्तों की पूर्ण रक्षा की है। "सद्धर्म मंडन" (१२०० पृष्ठ के अंदाज का ग्रंथ रु० १) में । 'चित्रमय अनुकम्पा विचार" (जिसमें दयादान सम्बन्धी २० चित्र रहेंगे) इसका मूल्य आठ आने । यह पुस्तकें छपने से पहिले ही इस मूल्य में मिल सकेंगी बाद में नहीं दी जाँयगी इसलिये अभी से अपना और अपने मित्रों का सम प्राहकों की श्रेणी में लिखा दें। raunenuperuan:: p rins Tv Mee Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ooo MarPAK OCOOOOO जीवन ग्रन्थमाला का १६ वाँ पुष्प उनकाई सूत्र मूल फाट rearrwarimnarrearranearerarmanoranartamannabytes Karanewranewraneamrones Three ?ME मूल्य चार आना १ wn Aaronunca~ प्रथमावृत्ति ००० . सरळOctoadeogo र ColoyeE250pouTHORoog Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छोटेलाल यति. जीवन कार्यालय अजमेर नथमल VS Progr * आदर्श प्रेस, अजमेर या . संचालक - जीवसल लूणिया Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उक्वाई सूतं (पढमोपांग) (सूत्र १) तेणं का लेणं तेणं समएणं चंपा नामनयरी होत्था, रिद्धत्थिमियसमिद्धा पमुइयजणजाणवया आइएण जणमणूसा हलसयसहस्ससंकिठ्ठविकिठ्ठलठ्ठ पण्णत्त सेउसीमा कुक्कडसंडेयगामपउरा उच्छुजवसालिक लिया गोमहिसगवेल गप्पभूया आयारवंत - चेइयजुवइ विविहसरिणविठ्ठबहुला उक्कोडियगायगंठिभेयगभडतक्कर खंडरक्खर हिया खेमा णिरुवद्दवा सुभिक्खा वीसत्थसुहावासा अणेगकोडिकुटुंबिघाइणणिव्यसुहा णडणट्टगजल्ल मल्ल मुट्ठियवेलंबगकहगपवगलासगआइक्खगलंखमंखतूणइ ल्लतुंयवीणियचणेगतालायराणुचरिया आरामुज्जाणागडतलागदीहियवपिणिगुणोववेया नंदणवणसन्निभप्पगासा उग्विद्धविउलगंभीरखायफलिहा चक्कगयमुसुंढिओरोह सयग्घिजमलकवाडघणदुप्पवेसा धणुकुडिलवंकपागार परिक्खित्ता कविसीसयवट्टरइयसंठियविरायमाणा अट्टालयचरियदारगोपुरतोरणउण्णयसुविभत्तरायमग्गा छेयारियरइयदढफलिह Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबवाई सूत्तं marwarwww.ur इंदकीला विवणिवणिछेयसिप्पियाइएणणिवुयसुहा सिंघाडगतिगचउक्कचचरपणियावणविवहवत्थुपरिमंडिया सुरम्मा नरवइपविइण्णमहिवइपहा अणेगवरतुरगमत्तकुंजररहपहकरसीयसंदमाणीपाइएणजाणजुग्गा विम उलणवणलिणिसोभियजला पंडुरवरभवणसरिणमहिया उत्ताणणयणपेच्छणिज्जा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा ॥ सू० ( २ ) तीसे णं चंपाए णयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए पुण्णभद्दे णामं चेइए होत्था, चिराईए पुव्वपुरिसपएणत्ते पोराणे सदिए वित्तिए कित्तिए णाए सच्छत्ते सज्झए सघण्ठे सपडागे पडागाइपडागमंडिए सलोमहत्थे कयवेयदिए लाउल्लोइयमहिए गोसीससरसरत्तचंदणदहरदिएणपंचंगुलितले उवचियचंदणकलसे चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभाए अासत्तोसत्तविउलववग्धारियमल्लदामकलावे पंचवरणसरससुरहिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूवमघमघंतगंधुध्याभिरामे सुगंधवरगंधगंधिए गंधवहिभूए पडणदृगजल्लमल्लमुठियवेलंबयपवगकहगलासग परइक्खगलंखमखतूणइल्लतुंबवीणियभुयगमागहपरिग एबहुजणजाणवयस्स विस्सुयकित्तिए बहुजणस्स Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबवाई सूतं हुस्स आहुणिज्जे पाहुणिज्जे अच्चणिज्जे बंदणिज्जे नम॑सणिज्जे पूयपिज्जे सक्कार णिज्जे सम्मावाणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेहयं विणएणं पज्जुवासणिज्जे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सरिणहियपाडिहेरे जागसहस्तभागपडिच्छए बहुजणो अच्चेइ आगम्म पुरणभद्दं चेइयं पुरणभद्दं चेइयं ॥ ( सू० ३ ) से णं पुणभद्दे चेइए एक्केणं महया वणसंडेणं सव्वच समता संपरिक्खिते, से णं Tuis for freहोभासे नीले नीलोभासे हरिए हरिप्रभा से सीए सीओ भासे षिद्धे षिद्धोभासे तिब्वे तिव्वोभासे किएहे किएहच्छाए नीले नीलaare हरिए हरियच्छाए सीए सीयच्छाए गिद्ध े णिद्धच्छाए तिव्वे तिव्वच्छाए घणकडिअक डिच्छाए रम्मे महामेहणिकुरंबभूए । ते णं पायवा मूलमंतो कंदमंतो खंधमंतो तयामंतो सालमंती पवालमंतो पत्तमंतो पुप्फमंतो फलमंतो बीयमंतो अणुपुव्वसुजायरुद्दलवट्टभावपरिणया एकखंधा अणेगसाला अणेगसाहप्पसाहविडिमा गनरवामसुप्पसारिय अग्गेज्झघणविउलवट्टस्त्वंधा अच्छिद्द पत्ता अविरलपत्ता अवाईणपत्ता पत्ता [ ] निद्धयजरढपंडुपत्ता वह Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .४ उचाई सूत्तं रियभिसंतपत्तभारंधयारगंभीर दरिसणिज्जा उवणिग्गयणवतरुणपत्त पल्लव कोमलज्जलचलंत किसलयसुकुमाल पवालसोहियवरं कुरग्गसिहरा चिं: कुसुमिया पिच्चं माझ्या णिच्चं लवइया पिच्चं थवइया पिच्चं गुलइया पिच्चं गोच्छिया पिच्चं जमलिया णिच्चं जुवलिया णिच्चं विणमिया णिच्चं पण मिया पिच्चं कुसुमियमाइयलवइयथवइयगुलइयगोच्छियजमलियजुव लियविणमियपणमिय सुविभत्तपिंड भंजरिवर्डिसयधरा सुयबर हिणमयणसालकोइल कोहंगकभिंगारगकोंड लगजीवंजीवगणंदीमुहकक्लिपिंगलक्खगकारं डचक्कवाय कलहंसरुारसाणेगसउणगणमिहुणविरइयसदुष्णइय महुर सरणाइए सुरम्मे संपिंडियदरिय भमरमहु यरिपहकर परिलिन्तमतपय कुसुमासवलोलमहुर गुम गुमंत गुंजत देस भागे श्रभितरपुष्फले बाहिर पत्तोच्छरणे पत्तेहि य पुष्केहि य उच्चरणपडिवलिच्छरणे साउफले निरोएकं णाणाविहगेच्छ गुम्म मंडव गरम्मसोहिए विचित्तसुहकेभूए वावीपुक्खरिणीदीहियासु य सुनिवेसीय रम्मजालहरए, पिंडिमणीहारिमसुगंधि सुहसुरभिमणहरं च महया गंधद्धणिं मुयंता गाणाविहगुच्छ गुम्ममंडवगघरग मुह से उके बहुला 2 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं अगर हजाणजुग्गसिवियपविमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा ॥ ( सू० ४ ) तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एक्के असोगवरपायवे, पण्णत्ते [ ] कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूले मूलमंते कंदमंते जाव परिमोयणे सुरम्मे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे परुिवे । सेणं असोगवरपायवे अहिं बहूहिं तिलएहिं लउएहिं छत्तोवेहिं सिरीसेहिं सत्तवण्णेहिं दहिवरणेहिं लोद्ध हिं धवेहिं चंदणेहिं अज्जुणेहिं जीवेहिं कुडएहिं कलंबेहिं सव्वेहिं फणसेहिं दाडिमेहिं सालेहिं तालेहिं तमालेहिं पियएहिं पियंगूहिं पुरोवगेहिं रायरुक्खेहिं णं देरुक्खेहिं सव्वश्र समता संपरिक्खिते । " ते णं तिलया लवइया जाव णंदिरुक्खा कुसविकुसविद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो एएसिं वो भाषियन्त्रो जाव सिबियपरिमोयणा सुरमा पासादीया दरिसपिज्जा अभिरुवा पडिवा । ते णं तिलया जाव मंदिरुक्खा असणेहिं बहूहिं पउमलेयाहिं णागलयाहिं असोअलयाहिं चंपगल-याहिं चूयलयाहिं वणलयाहिं वासंतियलया हिं Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूर्त अहमुत्तयलयाहिं कुंदलयाहिं सामलयाहिं सव्वो समंता संपरिखित्ता। तानो णं पउमलयाश्रो णिच्चं कसमियात्रो जाव वडिंसयधरीओ पासादीयानो दरिसणिज्जात्रो अभिरुवाओ पडिरूवाओ॥ ___. (सू० ५) तस्त णं असोगवरपायवस्स हट्ठा ईसिं खंधसमल्लीणे एत्थ णं महं एक पुढविसिलापट्टए पएणत्ते, विक्खंभायामउस्सेहसुप्पमाणे किरहे अंजणघणकिवाणकुवलयहलधरकोसेजागासके सकजलंगीखंजणसिंगभेदरिट्ठयजंबूफलअसणसकणबंधणणीलुप्पलपत्तनिकरप्रयसिकुसुमप्पगासे मरगयमसारकलित्तणयणकीयरासिवरणे णिद्धघणे अट्ठसिरे पायंसयतलोवमे सुरम्मे ईहामियउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिरणररुरुसरभचमरकुंजर वणलयपउमलयभत्तिचित्ते आईणगरूयबरणवणीय तुलफरिसेसीहा सणसंठिए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरुवेपाडिरूवे ॥ - (सू. ६) तत्थ णं चंपाए णयरीए कूणिए णाम राया परिवसइ, महयाहिमवंतमहंतमलयमंदरमहिंदसारे अच्चंतविसुद्धदीहरायकुलवंससुप्पसूए जिरंतरं रायलक्खणविराइयंगमंगे बहुजणबहुमाणपूहए Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबवाई सूत्तं सव्वगुणसमिद्धे खत्तिए मुइए मुद्धाहिसिले माउपिउसुजाए दयपत्ते सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे मणुस्सिदे जणवयपिया जणवयपाले जणवयपुरोहिए सेउकरे केउकरे णरपवरे पुरिसवरे पुरिससीहे पुरिसवग्घे पुरिसासीविसे पुरिसपुंडरीए पुरिसव गंधहत्थी अड्ढे दित्ते वित्त विच्छिण्णविउलभवणसयणामणजाणवाहणाइण्णे बहुधणबहुजायख्वरय एआरोगपयोगसंपउत्ते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे वहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूए पडिपुण्णजंत कोसकोडागाराउधागारे बलवं दुबलपच्चामित्ते श्रोहयकंटयं निहयकंटयं मलियकंटयं उद्धियकंटयं अकंटयं श्रोहयसत्तुं निहयसत्तुं मलियसत्तुं उद्धियसत्तुं निजियसत्तुं पराइयसत्तुं ववगयदुभिक्खं मारिभयविप्पमुकं खेम सिवं सुभिक्खं पसंतडिवडमरं रज पसासेमाणे बिहरइ ॥ (सू० ७) तस्स णं कोणियस्स रण्णो धारिणी णामं देवी होत्था, सुकुमालपाणिपाया अहीणपडिपुरणपंचिंदियसरीरा लक्खणवंजणगुणोववेयामाणुम्माणप्पमाणपडिपुरणसुजायसव्वंगसुंदरगी ससि. सोमाकारकंतपियदमणा सुरूषा करयलपरिमियपसस्थतिवलीवलियमझा कुंडलुल्लिहियगंडलेहा कोमु. Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ mmm उबवाई सूत्तं इयरयणियरविमलपडिपुरणसोमवयणासिंगारागारचारुवेसासंगयगयहसियभणियविहियविलाससललियसंलावणिउणजुत्तोवयारकुसला सुन्दरथणजघणवयणकरचरणनयणलावण्णविलासकलिया] पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, कोणिएणंरगणा-भंमसारपुत्तेणं सद्धिंअणुरत्ता अविरत्ता इठे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पचणुभवमाणी विहरह ॥ ___ (सू०८) तस्स णंकोणियस्स रगणो एक्के पुरिसे बिउलकयवित्तिए भगवरो पवित्तिवाउए भगवनो तद्देवसियं पवित्तिं णिवेदेइ । तस्स णं पुरिसस्स बहवे अण्णे पुरिसा दिएणभतिभत्तवेत्रणा भगवत्रो पवित्तिवाउया भगवत्रो तद्देवसियं पवित्तिं णिवेदेति ॥ __ (सू०६) तेणं कालेणं तेणं समएणं कोणिएराया भंभसारपुत्ते बाहिरियाए उवठ्ठाणसालाए अणेगगणणायगदंडणायगराईसरत लवरमाडंबियकोडुंबियमंतिमहामंतिगणगदोवारियअमच्चचेडपीढमद्दनगरनि-- गमसेठिसेणावइसत्यवाहदूयसंधिवालसद्धिं संपरिवुडे विदहरइ॥ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं (मू० १० ) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे सहसंबुद्ध पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए जीवदए दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी अप्पडिहयवरनाणदंसणधरे वियट्ठच्छउमे जिणे जाणए तिणे तारए मुत्ते मोयए बुद्ध बोहए सवण्णू सव्वदरिसी सिवमयलमरुयमणंतमक्खय. मव्वाबाहमपुणरावत्तियं सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपाविउकामे अरहा जिणे केवली सत्तहत्थुस्सेहे समचउरंगसंठाणसंठिए बजरिसहनारायसंघयणे अणुलोमवाउवेगे कंकग्गहणी कवोयपरिणामे सउणिपोसपिटुंतरोरुपरिणए पउमुप्पलगंधसरिसनिस्साससुरभिवयणे छवी निरायंकउत्तमपसत्थअइसेयनिस्वमपले जल्लमल्लकलंकसेयरयदोसवजियसरीरनिरुवलेवे छाया उज्जोइयंगमंगेघणगिचियसुबद्धलक्खणुएणयकूडागारनिभपिडियग्गसिरए सामलिषोंडघणनिचियच्छोडियमिउविसयपसत्थसुहमलक्खणसुगंधसुंदरभुयमोयगभिंगनेलकज्जलपहिट्ठभमरगणणिद्धनिकुरुंबनिचियकुंचियपयाहिणावत्तमुद्धसिरए दालिमपुप्फप्पगासतवणिजसरिसनिम्म Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूतं लसुणिद्धकेसंतकेसभूमीषण (निचिया [ ] छत्तागारुत्तमंगदेसे णिव्वणसमलट्ठमट्टचंदद्धसमणिडाले उडुवइपडिपुण्णसोमवयणे अल्लीणपमाणजुत्तसवणे सुस्सवणे पीणमंसलकवोलदेसभाए आणामियचावरुहलकिएहन्भराइतणुकसिणणिद्धभमुहे अवदालियपुंडरायणयणे कोयासियधवलपत्त लच्छे गरुलायतउज्जुतुंगणासे उवचियसिलप्पबालविफलसणिभाहरोठे पंडुर ससिसयलविमलणिम्मलसंखगोक्खीरफेणकुंददगरयमुणालियाधवलदंतसेढी अखंडदंते अप्फुडियदंते अविरलदंते सुणिद्धदंते सुजायदंते एगदंतसेढी विव अणेगदंते हुयवहणिद्धतधोयतत्सतवणिज्जरत्ततलतालुजीहे अवट्टियसुविभत्तचित्तमंस्तू मंसलसंठियपसत्यसद्दूलविउलहणुए चउरंगुलमुप्पमाणकंबुवरसरिसग्गीवे वरमहिसवराहसोहसद्दूलउसभनागवरपडिपुण्णविउलक्वंधे जुगसनिभपीणरइयपीवरपउठसुसंठियसुसिलिविसिठ्ठघणथिरसुबद्धसंधिपुर वरफलिहव हिय भुए भुयईसरविउलभोगायाणपलिह उच्छूढदीहवाहू रत्ततलोवइयमउयमंसलसुजायलक्खणपसत्थरच्छिद्दजालपाणी पीवरकोमलवरंगुली प्रायंबतंबतलिणसुइरुइलणिदणक्खे चंदपाणिलेहे सूरपाणि लेहे संखपाणि Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सूतं लेहे चक्कपाणिलेहे दिसासोत्थियपाणिलेहे चंदसूरसंखचक्कदिसासोत्थियपाणिलेहे कणगसिलायलुज्जलपसत्थसमतत्वउवचियविच्छिण्णपिहुलवच्छे सि ११ करंडुयकणगरुययनिम्मलसु रिवच्छंक्कियवच्छे जायनिरुव हयदेहधारी असहस्सपडिपुण्णवरपुरिसलक्खणधरे सण्णयपासे संगयपासे सुंदरपासे सुजायपासे मियमाइयपीणरइयपासे उज्जुयसमसहियजच्चतणुक सिणणिद्ध बाइज्जलडहर मणिज्जरोमराई सविहगसुजायपीणकुच्छी झसोयरे सुइकरणे परमवियडणाभे गंगावन्तगपयाहिणावन्ततरंगभंगुर र विकिरणतरुणबोहियाको सायंतपउमगंभीरविडणाभे साहयसोणंदमुसलदप्पणणिक रियवरकणगच्छसरिसवरवइवलियमज्भे पमुइयवरतुरगसीहबरवट्टियकडी वरतुरगसुजायसुगुज्झदेसे आइए हउव्व णिरुव लेवे वरवारणतुल्लविकमबिलसियगई गयस सणसुजायसन्निभोरू समुग्गणिमग्गगूढजाणू एणीकुरुविंदावत्तव द्वाणुपुव्वजंघे संठियसुसिलिङ विसिह गूढगुप्फे सुप्पइडियकुम्भचारुचलणे अणुपुत्र्व सुसंहयंगुलीए उरणयततंबद्धि णक्खे रप्तुप्प लपन्तमउय सुकुमालकोमलतले अठ्ठसहस्सवर पुरिस लक्खणधरे नगनगरम गर सागर चकंकवरं Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं गमंगलंकियचलणे विसिहरूवे हुयवहनिध्दूमजलियतडितडियतरुणरविकिरणसरिसतेए अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नमोए निरुवलेवे ववगयपेमरागदोसमोहे निग्गंथस्स पवयणस्स देसए सत्थनायगे पहठ्ठावए समणगपई समणगविंदपरिअहए चउत्तीसबुध्दवयणाइसेसपत्ते पणतीससच्चवयणाइसेसपत्ते आगासगएणं चक्कणं आगासगएणं छत्तेणं अागासियाहिं चामराहिं आगासफालियामएणं सपायवोढणं सींहासणेणं धम्मज्झएणं पुरो पकद्विज्जमाणेणं ( चउद्दसहिं समणसाहस्सोहिं छत्तीसाए अज्जियामाहस्तीहिं )सध्दि संपरिवुडे पुव्वाणुपुर्दिव चरमाणेगामाणुग्गामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे चंपाए णयरीऐ बहिया उवणगरग्गामं उवागए चंपं नगरिपुरुण भदं चेइयं समोसरिउकामे।। (सू० ११) तएणं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हह तुचित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए एहाए कयवलिगम्मेकयकोउयमंगलपायछित्तेसुद्धप्पावेसा मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयानो गिहारो पडिणिक्खमइ सयात्रो गिहारो पडिणिक्खमित्ता चंपाए गयरीए मझ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ w ww..ran.... उववाई सूत्तं मझेणं जेणेव कोणियस रस्णो गिहे जेणेव बाहिरिया उवठ्ठाणसाला जेणेव कूणिए राया भंभः सारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कह जएणं विजएणं वद्धावेइ २ एवं वयासी: जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं कंखंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पीहंति जस्स णं देवाणुपिया दसणं पत्थंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं अभिलसंति जस्स णं देवाणुप्पिया णामगोयस्सवि सवणयाए हतु जाव हियया भवंति, से णं समणे भगवं महावीरे पुब्वाणुपुन्दि चरमाणे गामाणुग्गामं दुइज्जमाणे चंपाए णयरीए उवणगरग्गामं उवागए चंपं णगरि पुरणभई चेइयं समोसरिउकामे, तं एवं देवाणुप्पियाणं पियट्टयाए पियं णिवेदेमि, पियं ते भवउ ॥ ( सू० १२) तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते तस्स पवित्तिवाउयस्स अंतिए एयमलु सोचा निसम्म हतु जाव हियए [ ] वियसियवरकमलणयणवयणे पयलिवरकडगतुडियकेयूरमउडकुंडलहारविरायंतरइयवच्छे पालंबपलं. बमाणघोलंतभूसणधरे ससंभभ तुरियं चवलं नरिंदे, Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं xmmmmmmmmmmmmmmmmmm......... सीहासणाओ अब्भुतुइ २त्ता पायपीढाओ पच्चोरहइ २ त्ता [ वेरुलियवरिरिअंजणनिउणोवियमिसिमिसिंतमणिरयणमंडियाओ] पाउयानो श्रोमुयइ २त्ता अवहट्ट पंच रायककुहाई., तंजहाः(१) खग्गं (२) छत्तं (३) उप्फेसं (४) वाहणामो (५) वालवीयणं एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ २त्सा प्रायंते चोक्खे परमसुइभूए अंजलिमउलियग्गहत्थे 'तित्थगराभिमुहे सत्तह पयाई अणुगच्छइ सत्तठ पयाई अणुगच्छित्ता वामं जाणुं अंचेइ वामं जाणुं अंचेत्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि साहङ तिक्खुत्तो मुद्धाणंधरणितलंसि निवेसइ २त्ता ईसिं पच्चुएणमह पच्चुराणमित्ता कडगतुडियर्थभियाओ भुयाश्रो पडिसाहरइ २ त्ता करयल जाव कटु एवं वयासी: णमोऽत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं प्राइगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणंपुरसिवरपुंडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणंलोगुत्त माणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपबोयगराणं अभयदयाणं चकखुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं धम्मदयाणं 'धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणंधम्मसारहोणं धम्मवर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूतं चाउरंतचक्कवट्टीणं दीवो ताणं सरणं गई पइष्टा अप्पडिहयवरनाणदसणधराणं वियदृछउमाणं जिणाणं जावयाणंतिण्णाणंतारयाणंबुद्धाणंबोहयाणंमुत्ताणं मोयगाणंसव्वएणणं सव्वदरिसीणं सिवमयलमरुय. मणंतमक्खयमव्वा बाहमपुणरावत्ति सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमोऽत्युणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स प्रादिगरस्स तित्थगरस जाव संपाविइकामस्सममधम्मायरियस्सधम्मोवदेसगस्स,वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इहगए, पासउ मे सिमे भगवं तत्थगएइहगयंति कटुवंदइणमंसह वंदित्ताणमंसित्ता सोहासणवरगए पुरत्याभिमुहे निसीयइ,निसीइत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अत्तरं सयसहस्सं पीइदाणं दलयइ, दलइत्ता सकारेह सम्माणेइ सकारिता सम्माणित्ता एवं वयासी-- ____ जया णं देवाणुपिया ! समणे भगवं महावीरे इहमागच्छेज्जा इह समोसरिज्जा इहेव चंपाए णयरीए बहिया पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिणिहत्ता [अरहा जिणे केवली समणगणपरिवुडे ] संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरेजा तया णं मम एयमé निवेदिज्जासित्ति कद्द विसज्जिए॥ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उनवाई सू ( सृ० १३ ) तए णं समणे भगवं महावीरे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फूल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियंमिहापंडुरे पहाए रत्त सोगप्पगास किं सुयसुयमुह गुंजद्धरागसरि से कमलागर संङबोहए उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरसिंनि दिणयरे तयसा जलते [ ] जेणेव चंपा णयरी जेणेव पुष्णभद्दे चेइए [ 1 तेणेव उवागच्छइ २ ता ग्रहापडिरूवं उग्गहं उगिरिहत्ता [ ] संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरह | १६ (सू० १४ ) तेणं कालेणं तेणं समएणं समएस्स भगवओ महावीरस्त अंतेवासी बहवे समणा भगतो अप्पेगइया उग्गपव्वइया भोगपव्वइया राइरणणायको रव्वखत्तियपव्वइया भडा जोहा सेणावई पत्यारो सेट्ठी इभा अणे य बहवे एवमा-इणो उत्तमजाइकुलरूव विणयविरुणाणवण्णलावरणविक्कमपहाण सो भग्गकं तिजुत्ता बहुधणधरणणिचयपरियाल फिडिया णरवइगुणाइरेगा इच्छिय भोगा सुहसंपल लिया किंपागफलोवमं च मुणियविसयसोक्खं जलबुब्बुयसमाणं कुसग्गजलबिन्दुचंचल जीवियं य णाऊण अधुत्रमिणं रयमिव पडग्गलगं संविधुपित्ताणं चत्ता हिरणं जाव [ ] पव्वइया, Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबवाई सूक्तं अप्पेगइया अद्धमासपरिआया अप्पेगइया मासपरिमाया-एवं दुमास तिमास जाव एकारस अप्पेगझ्या वासपरिमाया दुवास तिवास अप्पेगइया अणेगवासपरिाया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति ॥ .... ., (सू. १५) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणसं भगवत्रो महावीरस्स अंतेवासी बहवे निग्गंधा भगवंतो अप्पेगइया प्राभिणिषोहियणाणी जाव केवलणाणो अप्पेगइया मणबलिया वयवलिया कायबलिया [ ] अप्पेगइया मणणं सावाणुग्गहसमत्था [ . ] अप्पगइया खेलोसहिपत्ता एवं जल्लोसहि विप्पोसहि आमोसहि सव्वोसहि अप्पेगइया कोबुद्धी एवं बीयबुद्धी पडबुद्धि अप्पेगइया पयाणु सारी अप्पेगइया संभिन्नसोया अप्पेगइया खीरासवा अप्पेगइया महुयासवा अप्पेगइया सप्पिया. सवा अप्पेगइया अक्खीणमहाणसिया एवं उज्जुमई अप्पेगइया विउलमई विउव्वणिढिपत्ता चारणा विजाहरा भागासाइवाईणो, अप्पेगइया कणगावलिं तवोकम्म पडिवण्णा एवं एगावलिं खुड्डागसीहनिकीलियं तवोकम्म पडिवण्णा अप्पेगइया महालयं सीहनिक्कीलियं तवोकम्म पडिवण्णा भद्दपडिमं महा Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ उववाई सूत्तं भद्दपडिमं सव्वोभद्दपडिमं आयंबिलवध्दमाणं तवोकम्म पडिवण्णा मासियं भिक्खुपडिमं एवं दोमासियं पडिमं तिमासियं पडिमं जाव सत्तमाः सियं भिक्खुपडिम पडिवण्णा अप्पेगइया पढमं सत्तराइंदियं भिक्खुपडिम पडिवण्णा जाव तच्चंसत्तराइंदियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अहोराइंदियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा एक्कराइंदियं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमं अठ्ठअहमियं भिक्खुपडिमं णवणवमियं भिक्खुपडिमं दसदसमियं भिक्खुपडिमं[ ] खुडियं मोयपडिमं पडिवण्णा महल्लियं मोयपडिमं पडिवण्णा जवमझ चंदपडिमं पडिवण्णा वइर (वज) मझ चंदपडिमं पडिवण्णा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति ॥ (सू. १६) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतेवासी बहवे थेरा भगवंतो जाइसंपण्णा कुलसंपण्णा बलसंपण्णा रूवसंपण्णा विणयसंपण्णा णाणसंपण्णा देसणसंपण्णा चरित्तसंपण्णा लज्जासंपण्णा लाघवसंपण्णा ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जियइंदिया जियणिद्दा जियप Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूतं रोसहा जीवियासमरणभयविप्पमुक्का वयप्पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा णिग्गहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा अजवप्पहाणा महवप्पहाणा लाघवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विज्जा'पहाणा मंतप्पहाणा वेयप्पहाणा बंभप्पहाणा नयप्पहाणा नियमप्पहाणा सचप्पहाणा सोयप्पहाणा चारुवरणा लज्जातवस्सोजिइंदिया सोही अणियाणा अपुस्सुया अबहिल्लेसा अप्पडिलेस्सा सुसामरणरया दंता इणमेव जिग्गंथं पावयणं पुरोकाउं विहरंति [ ]। तेसि णं भगवंताणं पायावायावि विदिता 'भवंति परवाया विदिता भवंति पायावायं जमइत्ता नलवणमिव मत्तमातंगा अच्छिद्दपसिणवागरणा रयणकरंडगसमाणा कुत्तियावणभूया पर'वादियमद्दणा [ ] दुवालसंगिणो समत्तगणिपिडगधरा सव्वक्खरसण्णिवाइणो सव्वभासाणुगामिणो अजिणा जिणसंकासा जिणाइव अवितहं वागरमाणा संजमेणंतवसा अप्पाणंभावमाणा विहरंतिः॥ (स. १७) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स 'भगवो महावीरस्स अंतेवासी बहवे अणगारा भगवंतो इरियासमिया भासासमिया एसणसमिया Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिया उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिठ्ठावणियासमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिदिया गुत्तबंभयारी श्रममा अकिंचणा [ ] छिण्णग्गंथा छिरपासोया निरुवलेवा कंसपाईव मुक्कतोया संख इव निरंगणा जीवो विव अपडिहयगई जच्चकणगंपिव जायरूवा श्रादरिसफलगा इव पागडभाव कुम्मो इव गुत्तिदिया पुक्खरपत्तं व निरुवलेवा गगणमिव निरालंवणा अणिलो इव निरालया चंदो इव सोमलेसा सूरो इव दित्ततेयासागरो इव गंभीरा विहग इव सव्वलो विप्पमुक्का मंदरो इव अपकंपा सारयसलिलं इंव सुद्धहियया खग्गिविसाणं व एगजाया भारंडपक्खी व अप्पमत्ता कुंजरो इव सोंडीरा. वसभो इव जायत्थामा सीहो इव दुध्दरिसा वसुंधरा इव सव्वफासविसहा सुहुयहुयासणे इब तेयसा जलता। . नत्थि णं तेसिणं भगवंताणं कत्थइ पडिबंधे भवइ, से य पडिबंधे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहादव्वो खित्तमो कालो भावो, व्वरोणं सचित्ताचित्तमीसिएसु वेसु, खेत्तो गामे वा गयरे वा रगणे वा खेचे बा खेले वा घरे वा अंगणे. Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं. वा, कालो समए वा प्रावलियाए वा जाव [ ] अयणे वा अण्णयरे वा, दीहकालसंजोगे, भावो कोहे वा माणे वा मायाए वा लोहे वा भए वा हासे वा, एवं तेसिं ण भवइ । .. - ते णं भगवंतो वासावासवज्जं अह गिम्हहेमंतियाणि मासाणि गामे एगराइया णयरे पंचराइया वासीचन्दण समाणकप्पा समलेकंचणा समसुहदुक्खा इहलोगपरलोगअप्पडिबद्धा संसार'पारगामी कम्मणिग्घायणठ्ठाए अम्भुठ्ठिया विहरंति []।. . (सू. १८) तेसि णं भगवंताणं एएणं विहारेणं विहरमाणाणं इमे एयारूवे अभिंतरबाहिरए तवोवहाणे होत्था, तं जहा-अभितरए (वि) छबिहे, बाहिरए वि छव्विहे ॥ . .: (सू. १६) से किं तं बाहिरए ? २ छविहे. परणत्ते, तं जहा-(१)अणसणे (२) उणो (ोवमो) अरिया (३) भिक्खायरिया (४) रसपरिच्चाए (५) कायकिलेसे (३) पडिसंलीणया।से किं तंत्रणसणे ? २ दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-(१) इसरिए य (२) प्रवकहिए य । से किं तं इत्तरिए ? अणेगविहे पएणते, तं जहा-(१) चउत्थभत्ते (२). छात Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ उववाई सूत्तं (3) अहमभत्ते (४) दसमभत्ते (५) बारसभत्ते (६), चउद्दसभत्ते (७) सोलसभत्ते (८) अद्धमासिए भत्ते (ह) मासिए भत्ते (१०) दोमासिए भत्ते (११) तेमासिए भत्ते (१२) चउमासिए भत्ते (१३) पंचमासिए भत्ते (१४) छम्मासिए भत्ते, से तं इत्त रिए । से किं तं आवकहिए ? २ दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-(१) पात्रोवगमणे य (२) भत्तपच्चक्खाणे य । से किं तं पाश्रोवगमणे ? २ दुविहे पण्णत्तेतं जहा-(१) वाघाइमे य (२) निव्वाघाइमे य नियमा अप्पडिकम्मे, से तं पाओवगमणे । से कि तं भत्तपञ्चक्खाणे ? २ दुविहे पएणत्ते, तं जहा-(१) वाघाइमे य (२) निव्वाघाइमे य णियमा सपडिकम्मे, से तं भत्तपञ्चक्खाणे, से तं अणसणे । से किं तं प्रोमोयरियारो ? दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- (१) दव्वोमोयरिया य (२) भावोमोअरिया य, से किं तं दव्योमोअरिया ? २ दुविहा पएणत्ता, तं जहा-(१) उवगरणव्वोमोअरिया य (२) भत्तपाणव्वोमोअरिया यासे किंतं उवगरणदव्योमोअरिया ? २ तिविहा परणत्ता, तं जहा(१) एगे वत्थे (२) एगे पाए (३) चियत्तोवकरणसाइजणया, से तं उवगरणदव्वोमोमरिया। से Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्रवाईसूत्तं vornmr.w.www किं तं भत्तपाणदव्योमोअरिया ? २ अणेगविहा पएणत्ता, तं जहा-(१) अठ्ठ कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे अप्पाहारे (२)दुवालस कुक्कुडि अंडगप्पमाणमेत कवले अहारमाणे अवदोमोअरिया (३)सोलस कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले श्राहारमाणे दुभागपत्तोमोअरिया (४)चउवोसं कुक्कुडअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे पत्तोमोयरिया (५) एक्कतीसं कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे किंचूणोमोयरिया (६) बत्तीसंकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले अाहारमाणे पमाणपत्ता (७) एत्तो एगेण वि घासेणं ऊणयं पाहारमाहारेमाणे मसणे जिग्गंथे णो पकामरसभोईत्ति वत्तव्वं सिया, से तं भत्तपाणदव्योमोयरिया, से तं दव्योमोयरिया । से किं तं भावोमोयरिया ? २ अणेगविहा पएणत्ता तं जहा-(१) अप्पकोहे (२) अप्पमाणे (३) अप्पमाए (४) अप्पखोहे (५) अप्पमद्दे (६) अप्पझंझे, से तं भावोमोयरिया, से तं श्रोमोयरिया । से किं तं भिक्खायरिया ? २ अणेगविहा पएणत्ता, तं जहा-(१) दव्वाभिम्गहचरए (२) खेत्ताभिग्गहचरए (३) कावाभिग्गहचरए (४) भावा भिग्गहचरए (५) उक्खि Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ उववाई सूतं त्तचरए ६) णिक्खित्तचरए (७) उक्खित्तणिक्खितचरए (E) णिक्खिनउक्खित्तचरए (६) वहिज्जमाणचरए (१०) साहरिजमाणचरए (११) उवणीयचरए (१२) अवणीयचरए (१३) उवणीय प्रवणीयचरए (१४) श्रवणीयउवणीयचरए (१५) संसठ्ठचरए (१६) असंसहचरए (१७) तज्जायसंसहचरए (१८) अण्णायचरए (१६) मोणचरए (२०) दिठ्ठलाभिए (२१) अदिठ्ठलाभिए (२२) पुठ्ठलाभिए (२३) अपुठ्ठलाभिए (२४) भिक्खलाभिए (२५) अभिक्खलाभिए (२६) अण्णगिलायए (२७) श्रोवणिहिए(२८) परिमियपिंडवाइए (२६) सुद्धसणिए (३०) संखायत्तिए, से तं भिक्वायरिया। .. से किं तं रसपरिच्चाए ? २ अणेगविहे पण्णत्ते तं जहा-(१) णिन्धि (य)तिए (२) पणीयरसपरिच्चाए (३)आयंबिलए(४)आयामसित्यभोई (५) अरसाहारे (६) विरसाहारे (9) अंताहारे (८) पंताहारे (६) लूहाहारे से तं रसपरिचाए। से किं तं कायकिलेसे ? २ अणेगविहे पएणत्ते, तं जहा-(१) ठाणटिइए (ठाणाइए) (२) उक्कुडुवा सणिए (३) पडिमठाई (४) वीरासणिए (५) नेसजिए दण्डायए लउडसाई. (.६) पायावए (७) अवाउडए (८) अकंडुयए, (8) Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ववाईसूतं २५ अणिहए [ ] सव्वगायपरिकम्मविभूसविप्यमुक्के, से तं कायकिले से । से किं तं पडिसंलीणया २ ? चउव्विहा पण्णता, तं जहा (१) इंदियपडिसंलीया (२) कसायपडिसंलीणया (३) जोगपडिसलीणया (४) विवित्तसयणा सणसेवणया से किं तं इंदियपडि संलीणया ? २ पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा (१) सोइंदियविसयप्पयार निरोहो वा सोइंदियविसयपत्ते सु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा ( २ ) चक्खिदियविसप्यार निरोहो वा चक्खिदियविसयपत्ते अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा (३) घाणिदियविसयप्पयारनिरोहो वा घाणिदियविसयपत्ते अत्थेसु रागदोसनि गहो वा ( ४ ) जिम्भिदियविसयप्पयारनिरोहो वा जिभिदियविसयपत्ते अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा ( ५ ) फासिंदियविसयप्पयारनिरोहो वा फासिंदियविसयपत्ते अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा से तं इंदियपडिसंलीणया । से किं तं कसायपडिलीणया ? २ चउव्विहा परणत्ता तंजा (१) कोहस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं ( २ ) माणस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा माणस्स विफलीकरणं ( ३ ) साया उदयणिरोहो वा उदयपत्तस्स ( त्ताए ) का Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाई सूतं २६ मायाए विफलीकरणं ( ४ ) लोहस्सुदयणिरोहो वा उदयपत्तस्स वा लोहस्स विफलीकरणं, से तं कसायपडिसंलीणया । से किं तं जोगपडिसंलीणया ? २ तिविहा पण्णत्ता, तंजहा ( १ ) मणजोगपडिसंलीणया । (२) वयजोगपडि संलीणया ( ३ ) कायजोग पडिलीणया । से किं तं मणजोग पडिस या ? (१) अकुसलमणणिरोहो वा ( २ ) कुसलमणउदीरणं वा, से तं मणजोगपडिसंलीणया । से किं तं वयजोगपडिसंलोणया ? ( १ ) अकुसल - वयणिरोहो वा ( २ ) कुसलवयउदीरणं वा, से तं वयजोगपडिसंलीणया । से किं तं कायजोगपडिसंलीणया ? २ जंगणं सुसमाहियपाणिपाए कुम्मो इव गुन्तिंदिए सव्वगापपडिली चिठ्ठइ, से तं कायजोगपडिसंलीणया । से किं तं विवित्तसयणासण सेवणया ? २ जंणं श्रारामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु सभासु पवासु पणियगिहेसु पणियसालासु इत्थोपसुपंडगसंसत्तविरहियासु वसहोसु फासुएसणिज्जं पोढफलगसेज्जासंथारगं उवसंपजित्ताणं विहरह, से तं पडिसंलीणया, सेतं बाहिरए तवे । ( सू० २० ) से किं तं श्रभितरए तवे ? २ छविहे पण्णत्ते । तं जहा ( १ ) पायच्छित्तं ( २ ) Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं विणो(३) वेयावच्चं (४) सज्झाओ (५) माणं (६) विउसग्गो । से किं तं पायच्छित्ते? २ दसविहे पण्णत्ते, तं जहा-(१) पालोयणारिहे (२) पडिकमणारिहे (३) तदुभयारिहे (४) विवेगारिहे (५) विउस्सग्गारिहे (६) तवारिहे (७) छेदारिहे (८) मूलारिहे ( 8 ) अणवठ्ठप्पारिहे (१०) पारंचियारिहे, से तं पायच्छित्ते । से किं तं विणए? सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा-(१) णाणविणए ( २ ) दंसणविणए (३) चरित्तविणए (४) मणविणए (५) वइवणिए (६) कायविणए (७) लोगोवयारविणए । से किं तं णाणविणए ? पंचविहे पएणत्ते, तं जहा-(१) आभिणियोहियणाणविणए (२) सुयणाणविणए (३) रोहिणाणविणए (४) मणपजवणाणविणए (५) केवलणाणविणए, सेतंणाणविणए। से किं तं दसणविणए ? दुविहे परणत्ते, तं जहा-(१) सुस्सूसणाविणए ? (२) अणचासायणाविणए । से किं तं सुस्सूसणाविणए १२ अणेगविहे पएणत्ते । तं जहा-(१) प्रभुठाणे इवा (२) भासणाभिग्गहे इवा ( ३ ) पासणप्पदाणे इवा (४) सकारे इवा (५) सम्माणे इवा (६) किकम्मे इ वा (७) अंजलिपग्गहे का Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ उववाई सूक्तं (८) एंतस्स अणुगच्छणया (६) ठियस्स पज्जुवासणया (१०) गच्छंतस्स पडिसंसाहणया, से तं सुस्सूसणाविणए। ... से किं तं अणचासायणाविणए ? २ पणयालीसविहे पण्णत्ते, तं जहा-( १ ) अरहंताएं अणच्चासायणया (२) अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अणचासायणया ( ३) आयरियाणं अणच्चासयणया एवं (४) उवज्झापाणं (३) थेराणं (६) कलस्स (७) गणस्स (८) संघस्स (8) किरियाणं (१०)संभोगिस्त (११) आभिणिबोहियणाणस्स (१२) सुयणाणस्स (१३) रोहिणाणस्स (१४) मणपज्जवणाणस्स (१५) केवलणाणस्स (१-३०) एएसिं चेव भत्तिवहुमाणे (३१-४५) एएसि सेत्तंणाण चेव वरणसंजलणया, से तं अणचासायणाविणए से तं दसणविणए से किं तं चरित्तविणए ? पंचविहे 'पण्णत्ते । तं जहा-(१) सामाइयचरित्तविणए (२) छेदोवट्ठावणियचरित्तवणिए (३) परिहारविसुद्धिचरित्तविणए (४) सुहमसंपरायचरित्तविणए (५) अहक्खायचरित्त विणए, से तं चरित्तविणए । से किं तं मणविणए ? दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-(१) "पसत्यमणविणए (२) अपसत्यमणविणए । से किं Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं तं अपसत्यमणविणए ? जे य मणे (१) सावज्जे (२) सकिरिए ( ३ ) सकक्कसे (४) कडुए ( ५ ) हिरे (६) फरसे (७) अहयकरे ( ८ ) छेयकरे (६) भेयकरे (१०) परितावणकरे (११) उद्दवणकरे ( १२ ) भूओवघाइए तहप्पगारं मणो णो पहा रेज्जा, सेतं असत्थमणविणए ? सेकिं तं पसत्थ पणोविए २ तं चैव पसत्थं ऐयव्वं । एवं चेववइवि अपसत्थ वि एएहिं परहिंचेवणेयव्वो, से तं वहविणए । से किं तं कायविए ? २ दुविहे पण्णत्ते, तंजा ( १ ). पसत्थकायविणए ( २ ) अपसत्थकायविए । से किं तं ( २ ) कायfare ? २ सन्तविहे पण्णत्ते, तं जहा (१) अाउन्त गमणे ( २ ) अणाउन्तं ठाणे (३) अणात्तं निसीदणे ( ४ ) अणाउन्तं तुग्रहणे (५) अणाउन्तं उल्लंघणे (६) अणाउन्तं पल्लंघणे (७) अाउन्तं सव्विंदियकायजोगजुंजणया, से तं अपसत्थकायविणए । से किं तं पसत्थकायविण? ए २ एवं चेव पसत्थं भाणियव्वं, से तं पसत्थकार्याविणए, से तं कयाविणए । से किं तं लोगोवयार- विणए ? २ सत्तविहे २ सत्तविहे पण्णत्ते । तं जहा- (१) अन्भासवत्तियं (२) परच्छंदाणु . 1. २९ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं वत्तियं (३) कज्जहउँ (४) कयपडिकिरिया (५) अत्तगवेसणया (६) देसकालगण्या (७) सव्वठेसु अप्प. डिलोमया, से तं लोगोवयारविणए, से तं विणए । से किं तं यावच्चे १, २ दसविहे पण्णत्ते । तं जहा-(१) आयरियवेयावच्चे (२) उवज्झायवेयावच्चे (३) सेहवेयावच्चे (४) गिलाणवेयावच्चे (५) तवस्सिवेयावचे (६) थेरवेयावच्चे (७) साहाम्मियवेयावच्चे (८) कुलवेयावच्चे (E) गणवेयावच्चे (१०) संघवेयावच्चे, से तं वेयावच्चे। से किं तं सज्झाए ? २ पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-(१) वायणा (२) पडिपुच्छणा (३) परियट्टणा (४) अणुप्पेहा (३) धम्मकहा, से तं सज्झाए। से किं तं झाणे ? चउब्धिहे पण्णत्ते, तं जहा-(१) अज्झाणे (२) रुद्दज्झाणे (३) धम्मज्झाणे (४) सुकझाणे । अट्ठज्झाणे चउविहे पण्णते, तं जहा-(१) अमणुएणसंपोगसंपउत्तेतस्स विप्पयोगस्सतिसमण्णागएयाविभवइ, (२) मणुएणसंपोगसंपउत्ते तस्स अविप्पभोगस्सतिसमण्णापए यावि भवइ (३) प्रायंकसंपप्रोगसंपउत्ते तस्स विप्पभोगस्सतिसमगणागए यावि भवइ (४) परिजूसियकाम भोगसंपयोगसंपत्ते तस्स अविप्पोगस्सतिसमण्णा Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं - गए यावि भवइ । अस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा – (१) कंदण्या (२) सोयणया (३) तिप्पण्या (४) विलवणया । रुद्दज्झाणे चव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - (१) हिंसाबंधी (२) मोसाणुबंधी (३) तेणाणबंधी (४) सारक्खणाणुबंधी । रुद्दस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणापणता, तं जहा – (१) उसरणदोसे (२) बहुदोसे (३) अण्णापदोसे (४) आमरणंतदोसे । धम्मज्झाणे चविहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, तं जहा – (१) आणाविजए (२) अवायविजए (३) विवागविजए (४) संठाणबिजए । धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा - ( १ ) आणारुई (२) सिग्गरुई (३) उवएसरुई (४) सुत्तरुई | धम्मस्स णं भाणस्स चत्तारि आलंबणा पण्णत्ता, तं जहा(१) वायणा (२) पुच्छणा (३) परियहणा (४) धम्मकहा | धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहात्रो पण्णत्ता, तं जहा - (१) अणिच्चाणुप्पेहा (२) असरणागुप्पेहा (३) एगत्ताणुप्पेहा (४) संसाराणुप्पेहा । सुक्कज्झाणे चव्विहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, तं जहा - (i) पुहुन्त वियक्के सवियारी (२) एगत्तवियके अवियारी ( ३ ) सुहुमकिरिए अप्पडिवाई (४) समु २१ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ उत्रबाई सत्तं छिन्नकिरिए अणियही ।सुक्कस्त णं माणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा-(१) विवेगे (२) विउसग्गे (३) अवहे ( ४ ) असम्मोहे । सुक्कस्स णं माणस्स चत्तारि आलंबणा पण्णता, तं जहा(१) खंती ( २ ) मुत्तो ( ३ ) अजवे (४) महवे । सुक्कस्सणं झाणस्सचत्तारीअणुप्पेहाम्रो पण्णत्ताओ, तं जहा ( १ ) अवायाणुप्पेहा ( २ ) असुभाणुप्पेहा ( ३.) अणंतवित्तियाणुप्पेहा (४) विप्परिणामाणुप्पेहा, से तं झाणे। . . . . ... .से किं तं विउस्सग्गे? २ दुविहे पण्णत्ते, तं जहा (१) व्वविउस्सग्गे (२) भावउविस्सग्गे य । से किं तं दव्वविउस्सग्गे ? २ चउविहे पएणत्ते, तंजहा (१) सरीरविउस्सग्गे (२) गणविउस्सग्गे (३) उवहिविउस्सग्गे ( ४ ) भत्त पाण विउस्सग्गे, से तं दव्यविउस्सग्गे से किं तंभावविउस्सग्गे? २ तिविहे पएणत्ते, तं जहा (१) कसायविउस्सग्गे (२) संसारविउस्सग्गे ( ३) कम्मविउस्सग्गे। से किं तं कसायविउस्सग्गे ? २ चउविहे पण्णत्ते, तं जहा :- (१) कोहकसायविउस्सग्गे (२) माणकसायवि उस्सग्गे (३) मायाकसायविउस्सग्गे (४) खोहकसायविउस्सग्गे, से तं कसायविउस्सग्गे। Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं से किं तं संसारविउस्सग्गे ? २ चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा:-(१) णेरइयसंसारविउस्सग्गे (२) तिरियसंसारविउस्सग्गे (३) मणुयसंसारविउस्सग्गे (४) देवसंसारविउसग्गे, से तं संसारविउस्सग्गे, से किं तं कम्मविउस्सग्गे? २ अहविहे पएणत्ते, तं जहा:-(१) णाणावरणिज्जकम्मविउस्सग्गे ( २) दरिसणावरणिज्जकम्मविउस्सग्गे (३) वेयणिज्जकम्मविउस्सग्गे (४) मोहणीयकम्मविउस्सगे (५) आउयकम्मविउस्सग्गे (६) णामकम्मविउस्सग्गे (७) गोयकम्मविउस्सग्गे (८) अंतरायकम्भविउस्सग्गे, से तं कम्मविउ. स्सग्गे, संतं भावविउस्सग्गे से तं विउस्सग्गे।। (सू० २१) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स बहवे अणगारा भगवंतो अप्पेगईया अायारधरा जाव विवागसुयधरा तत्य तत्थ तहिं तहिं देसे देसे गच्छागच्छि गुम्मागुम्मि फड्डाफड्डिं अप्पेगइया वायंति अप्पेगइया पडिपुच्छति अप्पेगइया परियमुति अप्पेगहया अणुप्पेहंति अप्पेगइया अक्खेवणीओ विक्खेवणीनो संवेयणीओ णिव्वेयणीओ बउविहानो कहानी कहंति अप्पेगइया उड्ढंजाणू Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५ उववाई सूर्त अहोसिरा भाणकोहोवगया संजमेण तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरति । .. संसारभउव्विग्गा भोया जम्मणजरमरणकरणगंभोरदुक्खपक्खुब्भियपउरसलिलं संजोगविभोगवीइचिंतापसंगपसरियवहबंधमहल्लविउलकल्लोलकलुणाविलवियलोभकलकलंतबोलबहुलं अव. माणणफेणतिव्वखिंसणपुलंपुल[ प्पभूयरोग वेयणपरिभवविणिवायफरुसधरिसणासमावडियकढिणकम्मपत्थरतरंगरंगंतनिचमच्चुभयतोयपटुं कसायपायालसंकुलं भवसयसहस्सकलुसजलसंचयं पइभयं अपरिमियमहिच्छकलुसमइवाउवेग धुम्ममाणदगरयरयंधारवरफेणपउरासापिवासधवलंमोहमहावत्तभोगभममाणगुप्पमाणुच्छलंतपच्चोणियत्तपाणियपमायचंडवहुसाबयसमाहयुद्धायमाणपन्भारपोरकंदियमहारवरवंतभेरवरवं। अएणाणभमंतमच्छपरिहत्थअणिहुयिंदियमहामगरतुरियचरियखोखुन्भमाणनचंतचवलचंचलचलंतघुम्मंतजलसमूहं अरइभयविसायसोगमिच्छत्तसेलसंकडं प्रणाइसंताणकम्मबंधणकिलेसचिक्खिल्लसुदुतारं अमरणरतिरियणिरयगइगमणकुडिलपरियत्तविउलवेलं चउरंतं महंतमणवयरगं रुई संसार Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ख्ववाई सूत्तं सागरं भीमं दरिसणिज्जं तरंति धिइधणियनिप्पकंपणे तुरियचवलंसंवरवेरग्गतुंगकूवयसुसंपउत्तेणं णाणसियविमलमूसिएणं सम्मत्तविसुद्धलद्धणिज्जा मएणं धीरा संजमपोएण सलिकलिया समत्थज्झाणतववायपणोल्लियपहाविएणं उज्जमववसायग्गहियणिज्जरणजयणउवओगणाणदंसण [ चरित्त ] विसुद्धवय [ वर ] भंडभरियसारा जिणवरवयणोवदिहमग्गेणं अकुडिलेण सिद्धिमहापट्टणाभिमुहा समगवरसत्थवाहा सुसुइसुसंभाससुपएहसासा गामे गामे एगरायं णगरे गरे पंचरायं दुइज्जंता जिइंदिया णिब्भया गयभया सचित्ताचित्तमीसिएसु दव्वेसु विरागयं गया संजया विरया मुत्ता लहुया णिरवकंखा साहूणिहुया चरंति धम्मं ॥ __ (सू. २२) तेणं कालेणंतेणं समएणं समणस्य भगवो महावीरस्स बहवे असुरकुमारा देवा अंतियं पाउब्भवित्था, कालमहाणोलसरिसणील गुलियगवलप्रयसिकुसुमप्पगासा वियसियसयवत्तमिव पत्तलनिम्मलईसिंसियरत्ततंबणयणा गरुलायतउज्जुतुंगणासा उअचियसिलप्पवालबिंबफलसपिणभाहरोष्ठा पंडुरससिसयलविमलणिम्मलसंखगोखीरफेणदगरयमुणालियाधवलदंतसेढी हुयवह Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ वाई सूतं षिद्ध' तघोयतन्त्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहा अंजणघणकसिण रुयगर मणिज्जणिद्ध केसा वामेग कुंडलधरा अद्दचंदणाणुलित्तगत्ता । ईसिंसिलिंधपुष्पष्पगासाई सुहुमाई अकिलिठ्ठाई सुहुमाई वत्थाइं पवरपरिहिया वयं च पढमं समझता बिइयं च वयं असंपत्ताभद्दे जोव्वणे वट्टमाणा तलभंगयतुडियपवरभूसणनिम्मलमणिरयणमंडियभुया दसमुद्दामंडियग्गहत्था चूलामणिचिंधगया सुरुवा महििड्डया महज्जुइया महब्बला महायसा महासोक्खा मडाणुभागा हारविरायवच्छा कडगतुडियथंभियभुया अंगयकुंडलमठ्ठगंडतलाकरणापीढधारी विचित्तवत्थाभरणा विचित्तमालामउलिमउडा कल्लाणगयपवरवत्थपरिहिया कल्लाणगयपवरमल्लाणुलेवणा भासुरबोंदी पलंबवणमालधरा । दिव्वेणं वरणेणं. दिव्वेणं गंघेणं, दिव्वेणं रूवेणं - दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघाए (घयणे ) णं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इडीए दिव्वाए जुत्तीए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए ची दिव्वेणं दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं आगम्मागम्म रत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो - Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'उववाई सूत्तं याहिणं पयाहिणं करेइ २त्ता वंदंति एमंसंति [ वंदित्ता ] णमंसित्ता ण च्चासरणेणाइदूरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा बिणएवं पंजलिउडा पंज्जुवासंति ॥ (सू० २३) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स बहवे असुरिंदवज्जिया भवगवासी देवा अंतियं पाउन्भवित्था णागपइणो सुवण्णा विज्जू अग्गीयां दीवा उदही दिसाकुमारा न्य पवणथणिया य भवणवासी णागफडागरुलवयरपुरणकलससी हहयगय मगर मउडवद्धमाणणिज्जुत्तविचित्तचिंधगया सुरूवा महिड्डिया सेसंतं चेव जावपज्जुवासंति ॥ (सू० २४) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे वाणमंतरा देवा अंतियं पाउ भवित्था पिसायभूया य जक्खरक्खसा किंनरकिंपुरिस भुयगपणो य महाकाया गंधव्वणिकायगणा णिउणगंधब्बगीयरइणो ऋणपरिणय पणपणियह सिवादियभूयवादियकंदियमहाकंदिया य कुहंडपयएयदेवा चंचलचव लचित्त कीलण दवप्पिया गंभीरह सियभणियपीयगीयणच्चणरई वणमालामेलमउड कुंडलसच्छंद विउब्वियाहरणचारुविभूसणधरा स Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ rwwwwwwwwwwrrorarwwwwwwwmorrammarrrrrrrrrram उववाई सूक्तं ध्वोउयसुरभिकुसुमसुरइयपलवसोभंतकंतवियसंतचित्तवणमालरइयवच्छा कामगमी कामख्वधारी णाणाविहवरणरागवरवत्थचित्तचिल्लयणियंसणा वि विहदेसीणेवत्थग्गहियवेसा पमुइयकंदप्पकलहकेलीकोलाहलप्पिया हासबोलवहुला प्रणेगमणिरयणविविहणिज्जुत्तविचित्तचिंधगया सुरुवा महिद्विया जाव पज्जुवासंति ॥ (मू० २५) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवरोमहावीरस्स (वद्धमाणस्स) बहवेजोइसिया देवा अंतियं पाउन्भवित्था, विहस्सतीचंदसूरसुकसणिच्छरा राहू धूमकेतुबुहा य अंगारकाय तत्ततवणिज्जकणगवण्णा जेय गहाजोइसंमि चारं चरंति केऊ य गइरइया अठ्ठावीसविहा य णक्खत्तदेवगणा णाणासंठाणसंठियारो य पंचवरणाश्रो ताराओ ठियलेस्सा चारिणीय अविम्साममंडलगई पत्तेयं णामंकपागडियचिंधमउडा महिड्ढिया-जाव पज्जुवासंति ॥ ..(सू० २६) तेणं कालेणं तेणं समएणं समयस्स भगवो महावीरस्सवेमाणिया देवा अंतियं पाउन्भः वित्था सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदबंभलंतगमहासुकस हस्साराणयपाणयारणअच्चुयवई पहिहा देवा Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं ३९ जिणदंसणुस्सुयागमणजणियहासा पालगपुप्फगसोमणसमिसिरिवच्छणंदियावत्तकामगमपीइगममणोगमविमलसव्वोभद्दसरिसणामधेज्जेहिं विमाणेहिं भोइरणा वंदगा जिणिदंमिगमहिसवराहछगलदद्दुरहयगयवइभुयगखग्गउसभंकविडिमपागडियचिंधमउडा पसिढिलवरमउडतिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा मउडदित्तसिरया रत्ताभा पउमपम्हगोरा सेया सुभवण्णगंधफासा उत्तमवेउब्विणो विवहवस्थगंधमल्लधारी महिडिढया महज्जुतिया जाव पंजलिउडा पज्जुवासंति [ ]॥ __ (सू० २७) तएणं चंपाए णयरीएसिंघाडगतिगच. उकचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु महया जणस हे इ वा [ ] जणवूहे इ वाजणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मीतिवा जणुक्कलिया इ वा जणसरिण वाए इवा बहुजणोअण्णमएस्स एबमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं पख्वइ-"एवं खलु देवाणप्पिया ! समणे भगवं महावीरे प्राइगरे तित्थगरे सयंसंबुद्धे पुरिसुत्तमे जाव संपाविउकामे पुव्वाणुपुर्दिवं चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे इहमागए इहसंपत्ते इह समोसढे इहेव चंपाए णयरीए पाहिं पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गि Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाई सूतं रिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरई । तं महष्फलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं णामगोयस्स वि सवणयाए, किमंगपुण ४० अभिगमणवंदणणमंसणपडिपुच्छणपज्जुवा सणयाए ? एगस्स वि आयरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अत्थस्स गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो सकारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं [ विणएणं ] पज्जुवासामो एयं णे पेचभवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए श्रणुगामियत्ताए भविस्सइतिकहु बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता एवं दुपडोयारेणं राइणा [ ] खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता अणे य बहवे राई सरतलवर माडंबिय कोडुंबि इन्भसेट्ठि सेणावइसत्थवाहपतियो अप्पेगइया वंदणवत्तियं अप्पेग या पूयणवत्तियं एवं सक्कारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं को ऊहलवत्तियं अप्पेगइया अट्ठविणिच्छय हे अस्सुयाइं सुणेस्सामो सुयाइं निस्सं कियाइं करिस्सामो अप्पेगइया अट्ठाई होऊ कारणाई वागरणाई पुच्छिस्सामो अप्पेगइया Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाई सूतं सव्वत्र समंता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्लामो, पंचाणुव्व इयं सत्तसिक्खावइयं दुवाल - सविहं गिहिधम्मं पडिबज्जिस्सामो, पेगइया जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया जीयमेयंति कट् टुएहाया कयबलिकम्मा कयको उयमंगलपायच्छित्ता [ ] सिरसाकंठेमाल कडा श्रविद्धमणिसुवरणा कप्पियहारद्धहार तिसरयपालंबपलंब माणकडिसुत्तय सुकयसोहा भरणा पवरवत्थपरिहिया [ ] चंदणोलित्तगायसरीरा अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रहगया सिबियागया संद्माणियागया अपेगइया पायविहारचारेणो पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता [ ] महया उक्ति सीहणायबोलकलकल र वेणंपक खुब्भिय महासमुद्दरवभूयं पिवकरेमाणा [ ] चंपारणयरीए मज्मज्येणं णिग्गच्छति २ त्ता जेणेव पुरणभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छति २त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स दूर सामंते छत्तादीए तित्थयराइसेसे पासंति पासित्ता जाणवाहणारं ठावइति [ ] २ त्ता जाणवाहणे हितों पचोरुहंति पश्चोरुहिता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो याहिणं पयाहिणं करेंति, करिता वंदति णमंसंति, वंदिता ४१ Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ उववाई सूत्तं णमंस्सित्ता पच्चासणे गाइदूरे सुस्सूसमाणा णमं- . समाणा अभिमुहाविणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति॥ (सू० २८) तए णं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लद्धठे समाणे हतुट्ठ जाव हियए एहाए जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयानो गिहाश्रो पडिणिक्खमइ, सयानो गिहारो पडिणिक्खमित्ता चंपाणयरिं मझमज्झेणं जेणेव बाहिरिया सव्वेव हेठ्ठिला वत्तव्वया जाव णिसीयइ णिसोइत्ता तस्स पवित्तिवाउयस्स अद्धत्तेरस सयसहस्साइंपीइदाणं दलयइ, २ त्ता सकारेइ सम्माणेइ सकारित्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ ॥ (सू० २६ ) तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउयं आमंतेइ २ त्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! श्राभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि, हयगयरहपवरजोहकलियं च चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेहि, सुभद्दापमुहाण य देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडिएकपाडिएकाई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाईउवठ्ठवेह चंपं णयरिं सभितरबाहिरियं [ ] आसित्तसित्तसुइसम्मट्टरत्यंतरावणवीहियं मंचाइमंचकलियं णाणाविहरागउच्छियज्झयपडागाइपडागमंडियं Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाई सूतं बाउल्लोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदण जाव गंधभूयं करेह कारवेह करित्ता कारवेत्ता एयमाणन्तियं पचप्पिणाहि । णिज्जा हिस्सामि समणं भगवं महावीरं अभिवंद ॥ ( सू० ३०) तए णं से बलवाउए कूणिएणं रणा एवं वृत्ते समाणे हठ्ठतुट्ठ जाव हियए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी- सामित्ति आणाए विणणं वयणं पडिसुणेइ २त्ता हत्थिवाउयं आमंतेह आमंतेत्ता एवं वयासिखिप्पामेव भो देवाप्पिया ! कूणियस्स रणो भंभसारपुत्तस्स अभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिक पेहि हयगयरहपवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं. सरणाहेहि सरणार्हन्ता एयमाणत्तियं पञ्चष्पिणाहि । ४३ तए गं से हत्थिवाउए बलवाउयस्स एयमई सोचा आणाए विएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुपित्ता [ ] छेयायरिय उवएसमइविकप्पणाविकप्पे-हिं सुणिउणेहिं उज्जल ऐवत्थहत्थपरिवस्थियं सुसज्जं धम्मिय सण्णद्धवद्भकव इयउप्पी लियकच्छवच्छगेवेबद्धगलवर भूसणविरायंतं अहियतेयजुत्तं सललियवर करणपूरविराइयं पलंब उच्चूलमहुयरकथंयारं चित्तपरिच्छेअपच्छयं पहरणावरण भरियजु Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ उत्रवाई सूत्तं द्धसज्जं सच्छत्तं सज्झयं सघंटे सपडागं पंचामेलयपरिमंडियाभिरामं श्रोसारियजमलजुयलघंट विज्जुपणद्धव कालमेहं उप्पाइयपव्वयं व चंकमंतं मत्त [ ] गुलगुलंतं मणपवणजइणवेगं भीमं संगा'मियाअोग्ग प्राभिसेकंहत्थिरयणं पडिकप्पइ पडिक त्ता हयगयरहपवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं रू एणाहेइ सरणाहित्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छह उवागच्छित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ ॥ . तए णं से वलवाउए जाणसालियं सदावेइ २ प्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सुभद्दापमुहाणं देवीणं बाहिरियाए उवठ्ठाणसालाए पाडिएकपाडिएक्काइं जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उघवेह २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि । - तए णं से जाणसालिए बलवाउयस्स एयम8 प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ २ त्ता जेणेव जाणसाला तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता जाणाई पच्चुवेक्खेइ २त्ता जाणाई संपमज्जेइ २ ता जाणाई संवट्टेइ २ त्ता जाणाइं पीणेइ २ त्ता जाणाणं दूसे पवीणेइ २ त्ता जाणाइं समलंकरेइ २ ता जाणाई वरभंडगमंडियाइं करेइ २त्ता जेणेव चाहणसाला तेणेव उवागच्छइ २ त्ता [ ] वाह Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५ उववाई सूत्तं पाई पच्चुवेक्खेह २ त्ता वाहाणाई संपसज्जइ २ त्ता वाहणाई णीणेइ.२ त्ता वाहणाई अप्फालेइ २ त्ता इसे पवीणेइ २ त्ता वाहणाइं समलंकरेइ २ त्ता जाहणाई वरभंडगमंडियाइं करेइ २त्ता वाहणाई जाणाइं जोएइ २ त्ता पोयललुि पोयधरए य समं प्राडहइ २ त्ता वट्टमग्गं गाहेइ २ त्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता बलवाउस्स एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ । तए णं से बलवाउए एयरगुत्तियं प्रामंतेइ २त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवासुप्पिया। चंपं गरि सभितरबाहिरियं श्रासित्त जाव कारवेत्ता एयमाणत्तियं पचप्पिणाहि। ___ तए णं से एयरगुत्तिए बलवाउयस्स एयम8 भाणाए विणएणं पडिमुणेइ २ त्ता चंपं एयरिं सभितरबाहिरियं प्रासित्त जाव कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ। तए णं से बलवाउए कोणियत्स रगणो भंभ. सार पुत्तस्स आभिसेकं हत्थिरयणं पडिकप्पियं पासइ हयगय जाव सरणाहियं पासइ, सुभद्दापसुहाणं देवीणं पडिजाणाइं उवठ्ठवियाई पासा चंपं. Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ वाई सूतं णयरिं सन्भितर जाव गंधवट्टिभूयं कयं पासह, पासिता हठ्ठठ्ठचित्तमाणंदिए [ दिए ] पीअमणे जाव हियए जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयल जाव एवं वयासी-कप्पिए णं देवाप्पियाणं श्रभिसेक्के हत्थिरयणे हयगय जाव पवरजोहक लिया य चाउरंगिणी सेवा साहिया सुभद्दापमुहाणं य देवीणं बाहिरियाए उवठ्ठाणसालाए पाडिएकपाडि एक्काई जन्त्ताभिमुहा इं जुताई जाणाई उट्ठावियाई चंपाणयरी सग्भितरबाहिरिया श्रमित्त जाव गंधवट्टिभूया कया, तं णिज्जंतुणं देवाप्पिया ! समणं भगवं महावीरं अभिवंदया || ( सू० ३१ ) तए णं से कूणिए राया भंभसारपुते बलवा यस्स अंतिए एयमठ्ठे सोच्चा णिसम्म हठ्ठतु जाव हियए जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ २ ता अट्टणसालं अणुपविसद्द २ ता अणेवगवायामजोग्गणवामद्दणमल्लजुद्धकरणेहिं संते परिस्ते सयपागसहस्सपागेहिं सुगंधतेल्लमाइएहिं पीणणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं मयपिज्जेहिं बिंहणिज्जेहिं सव्विंदियगाय परहायणिज्जेहिं अभिगेहिं अभिगिए समाणे तेल्लचम्मंसि पडिपुराण Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं पाणिपायसुउमालकोमलतलेहिं पुरिसेहिं छेएहिं दक्खेहिं पठेहिं कुसलेहिं मेहावीहिं निउणसिप्पोवगएहिं अभिगणपरिमद्दणुव्वलणकरणगुणणिम्माएहिं अठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउव्विहाए संबाहणाए संबाहिए समाणे अवगयखेयपरिस्समे अट्टणसालाओ पडिणिक्खम पडिणिक्खमित्ताजेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छई २ त्ता मजणघरं अणुपविसई २ त्ता समुत्तजालाउलाभिरामे विचित्तमणिरयणकुटिमयले रमणिज्जे रहाणमंडसि णाणामणिरयणभत्तिं. सि रहाणपीढंसि सुहणिसएणे सुद्धोदएहिं गंधोदएहिं पुप्फोदएहिं सुहोदएहिं पुणो २ कल्लाणगपवरमजणविहीए मजिए तत्थ कोउयसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवरमजणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासाइयलूहियंगे सरससुरहिगोसीसचंदणाणुलित्तगते अहयसुमहग्घदूसरयणसुसंवुए सुइमालावरणगधिलेवणे य ाविद्धमणिसुवरणे कप्पियहारद्धहारतिसरयपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोभे पिणद्धगेविजअंगुलिज्जगललियंगयललियकयाभरणे वरकडगतुडियर्थभियभुए अहिय. रूवसस्सिरीए मुद्दीयपिंगलंगुलीए कुंडलउज्जोविया Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबवाई सूत्तं णणे मउडदित्तसरिए हारोत्थयसुकयरइयवच्छे पालंबपलबमाणपडसुकयउत्तरिज्जे गाणामणिक णगरयणविमलमहरिहणिउणोवियमिसिमिसंतविरइयसुसिलिट्टविसिठ्ठलठ्ठाविद्धवीरवलए किं बहुणा कप्परुक्खए चेव प्रलंकियविभूसिए णरवई सकोरंटमल्लदामेणं [ छत्तणंधरिज्जमाणेणं चउचामरवालवीइयंगे [ ] मंगलजयसद्दकयालोए मजणघरामो पडिणिक्खमइ २ ता अणेगगणनायगदंडनायगराईसरतलवरमाडंबियकोडुंबियइन्भसेडिसेणावइसत्यवाहदयसंधिवालसद्धिं संपरिवुडे धबल महा. मेहाणिग्गए इव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे ससिव्व पिअदंसणे णरवई जेणेव बाहिरिया उवठ्ठाणसाला जेणेव आभिसेके हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अंजणगिरिकूडसारणभं गयवई णरवई दुरुढे । तए णं तस्स कूणियस्स रणो भंभसारपुत्तस्स प्राभिसेक्कं हत्थिरयणं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अठ्ठ मंगलया पुरो अहाणुपुवीए संपठिया, तं जहा:-सोवत्थिय-सिरिवच्छ-णंदियावत्त-वद्धमाणग-भद्दासण-कलसमच्छ-दपण । तयाणंतरं च णं पुण्णकलसभिं Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं गारं दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दसणरइयआलोयदरिसणिज्जा वाउद्धयविजयवेजयंती य ऊसिया गगणतलमणुलिहंती पुरो अहाणुपुबीए संपठिया, तयाणंतरं च णं वेरुलियभिसंतविमलदंडं पलंबकोरंटमल्लदामोवसोभियं चंदमण्डलणिभं समूसियं विमलं प्रायवत्तं पवरं सीहास] वरमणिरयणपादपीढं सपाउयाजोयसमाउत्तं बहुकिंकरकम्मकरपुरिसपायत्तपरिक्खित्तं पुरो अहाणुपुवीए संपट्टियं । तयाणंतरं च णं बहवे लट्ठिग्गाहा कुंतग्गाहा चावग्गाहाचामरग्गाहापासग्गाहा पोत्थयग्गाहा फलगग्गाहा पीढग्गाह वीणग्गाहा कूवग्गाहा हडप्पयग्गाहा पुरो अहाणुष्व्वीए संपट्ठिया। तयाणंतरं च णं बहवे दंडिणोमुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिच्छिणो हासकरा डमरकरा चाडुकरा वादकरा कंदप्पकरा द्वारा कोकुइया किहिकरा (य) वायंता (य) गायंता (य) हसंता (य) णच्चंता (य) भासंता (य) सावेंता (य) रक्खंता (य) [कचित्रवेंता य] अालोयं च करेमाणाजय २ सई पउंजमाणा पुरो अहा-णुपुवीए संपंछिया । [ ] तयाऽणंतरं च णं] जच्चाणं तरमल्लिहायणाणं हरिमेलामउलमल्लियच्छाणं चुचुच्चियललियपुलिय Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्रवाई सूक्तं चलचवलचंचलगईणं लंघणवग्गणधावणधोरणतिवंईजइणसिक्खियगईणं ललंतलामगललायघरभूसणाणं मुहभंडगोचूलगथासगअहिलाणचामरगएडपरिमण्डियकडीणं किंकरवरतरुणपरिग्गहियाणं अमयं वरतुरगाणं पुरनो अहाणुपुवोए संपठियं। तयाणंतरं च णं ईसीदंताणं ईसीमत्ताणं ईसीतुंगाणं ईसीउच्छंगविसालधवलदंताणं कंचणकोसीपविठ्ठदंताणं कंचणमणिरयणभूसियाणं वरपुरिमारोहगसंपउत्ताणं अट्ठसयं गयाणं पुरो अहाणुपुव्बीए संपठियं । तयाऽणंतरं चिणं सच्छत्ताणं सज्झयाणं सघंटाणं सपडागाणं सतोरणवराणं सणंदिघोसाणं सखिखिणीजालपरिक्खित्ताणं हेमवयचित्ततिणिसकणगणिज्जुत्तदारुयाणं कालायससुकयणेमिजंतकम्माणं सुसिलिट्टवत्तमंडलधुराणं आइएणवरतुरगसंपउत्ताणं कुसलनरच्छेयसारहिसुसंपग्गाहियाणं [] बत्तीसतोणपरिमंडियाणं सकंकडवडेंसगाणंसचावसरपहरणावरणभरियजुद्धसज्जाणं असयं रहाणं पुरो अहाणुयुवीए संप्पष्ट्रिय । तयाणंतरं च णं असिसत्तिकुंततोमरसूललउलभिंडिमालधणुपाणिसज्जं पायत्ताणीयं [ ] पुरो प्रहाणुपुवीए संपट्टियं । Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबवाई सूतं तए णं से कूणिए राया हारोत्थयसुकयरइयवच्छे कुंडल उज्जोवियाणणे मउडदित्तसिरए णरसीहे णरवई रिंदे णरवसहे मणुयरायवसभकप्पे अभहिय रायतेयलच्छीए दिपमाणे हत्तिक्खंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं उध्दुव्वमाणीहिं २ वेसमणो चेव परवई अमरवईसरिणभाए इड्ढीए पहियकित्ती हयगयर हपवर जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए समणुगम्ममाणमग्गे जेणेव पुरणभद्दे चेइए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं तस्स कूणियस्स रणी भंभसारपुत्तस्स पुरओ महंआसा आसधरा उभओ पासिं लागा गागधरा पिट्ठ रहसंगेल्लि । ५१ तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते अन्भुग्गयभिंगारे पग्गहियतालयंटे ऊच्छिय सेयच्छत्ते पवीइयवालवीयणीए सव्विड्ढोए सव्वजत्तीए सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं सव्वादरेणं सव्वविभूईए सव्व विभूसाए सव्वसंभमेणं [ ] सव्वपुष्पगंधमल्लालंकारेणं सव्वतुडियसद्द सरिणाएणं महया इड्ढोए महया जुईए महया बलेणं महया समुदएणं महया वरतुडियजमगसमगप्पवाइएणं संखपणवप Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ उववाई सूत्तं डहभेरिझल्लरिखरमुहिहुडुक्कमुखमुअगदुंदुहिणिग्यो सणाइयरवेणं चंपाए णयरीए मझ मझेणं णिग्गछइ ॥ (सू० ३२) तए णं तस्स कूणियस्स रणो चंपानगरिं मझमझेणं निग्गच्छमाणस्स बहवे अत्यत्थिया कामत्थिया भोगस्थिया किब्बिसिया कारोडिया लाभत्थिया कारवाहिया संखिया चकिया णंगलिया मुहमंगलिया वद्धमाणा पुस्समाणवा खंडियगणा ताहिं इठ्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुगणाहिं मणामाहिं मणाभिरामाहिं [] हिययगमणिज्जाहिं वग्गूहिं जयविजयमंगलसएहिं अणवरयं अभिणंदंता य अभित्थुणता य एवं वयासी-जय जय गंदा ! जय जय भद्दा ! भई ते अजियं जिणाहि जियं (च) पालेहि जियमझे वसाहि । इंदो इव देवाणं चमरो इव असुराणं धरणो इव नागाणं चंदो इव ताराणं भरहो इव मणुयाणं बहई वासाई बहूई वाससयाई बहूई वाससहस्साई बहूई वाससयसहस्साई अणहसमग्गो हतुट्ठो परमाउं पालयाहि इजणसंपरिवुडो चंपाए णयरीए अण्णसिं च बहूणं गाभागरणयरखेडकब्बडदोणमुहमडंबपट्टणासमनिगमसंवाहसं Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं निवेसाणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पाले. माणे महयाऽहयणगोयवाइयतंतोतलतालतुडियघणमुअंगपडुप्पवाइयरवेणं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहराहित्ति कटु जय २ सई पउंजंति । तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते णयण मालासहस्तेहिं पेच्छिज्जमाणे २ हिययमालासहस्सेहिं अभिणंदिजमाणे क्रचित् उन्नोइजमाणे मणोरहमालासहस्सेहिं विच्छिप्पमाणे २ वयणमालासहस्सेहिं अभिथुव्वमाणे २ कंति (दिव्व) सोहग्गुणेहिं पत्थिजमाणे २ बहूणं णरणारिसहस्साणं दाहिणहत्थेणं अंजलिमालासहस्साइं पडिच्छमाणे २ मंजुमंजुणा घोसेणं पडिवुज्झमाणे २ भवणपंतिसहस्साइं समइच्छमाणे २ [ ] चंपाए नयरीए मज्झमझेणं निग्गच्छइ २ त्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्त अदरसामंत छत्ताईए तित्थयराइसेसे पासइ पासित्ता प्राभिसेकंहत्थिरयणं ठवेइ ठवित्ता आभिसेक्कानो हत्थिरयणाओ पचोरुहइ २ त्ता अवहट्ट पंच रायकउहाई, तं जहा-खग्गं छत्तं उपफेसं वाहणाश्रो वालवीयणं जेणेव समणे भगवं Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ mmawwwmommmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm. ५४ उववाई सूत्तं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समर्ण भगवं ममहावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ । तं जहा (१) सचित्ताणं व्वाणं विउसरणयाए (२) अचित्ताणं व्वाणं अविउसरणयाए (३) एगसाडियं उत्तरासंगकरणेणं (४) चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं [हत्थिखंधविट्ठभणयाए] (५) मणसो एगत्तभावकरणेणं समणं भगवंमहावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेत्ता वंदति रामंसति बंदित्ता णमंसित्ताहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासइ, तं जहा:-काइयाए वाइयाएमाणसियाएकाइयाए-ताव संकुइयग्गहत्थपाए सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ वाइयाए-जं जं भगवं वागरेइ एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भंते ! से जहेयं तुम्भे वदह अपडिकूलमाणे पज्जु वासइ माणसियाए-महयासंवेगं जणइत्ता तिव्व धम्माणुरागरत्तो पज्जुवासइ ॥ (सू० ३३) तए णं ताओ सुभद्दप्पमुहारो देवीप्रो अंतो अंतेउरंसि रहायाओ जाव पायच्छितारो सव्वालंकारविभूसियाओ [ ] बहूहिं Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबवाई सूत्तं खुजाहिं चिलाईहिं वामणीहिं वडभीहिं बब्बरीहिं पउयासियाहिं जोणियाहिंप ण्हवियाहिं इसिगिणियाहि वासिइणियाहिं लासियाहिं लउसियाहिं सिंहलीहिं दमिलीहिं प्रारबीहिं पुलिंदीहिं पक्कणीहिं बहलीहिं मरुंडीहिं सबरियाहिं पारसोहिं णाणादेसीविदेसपरिमंडियाहिं इंगियचिंतियपत्थियविजाणियाहिं सदेसणेवत्थग्गहियवेसाहिं चेडियाचकवालवरिसधरकंचुइज्जमहत्तरवंदपरिक्खित्तात्रो अंतेउरात्रो णिग्गच्छंति २ त्ता जेणेव पाडिएकजाणाई तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता पाडिएक्कपाडिएकाई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई दुरूहंति दुरूहित्ता णियगपरियाल सद्धिं संपरिबुडाओ चंपाए णयरोए मज्झमझेणं णिग्गच्छति णिग्गच्छित्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेएइ तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणस्स भगवत्रो महावीरस्म अदूरसामंते छत्तादीए तित्थयराइसेसे पासंति पासित्ता पार्डिएकपाडिएक्काइं जाणाइं ठवेति ठवित्ता जाणेहिंतो पच्चोरहंति २त्ता वहहिं खुजाहिं जाव परिक्खित्तानो जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति २ त्ता समणं भगवं महावीरं पंचवि. इणं अभिगमेणं अभिगच्छंति, तं जहा (१) सचि. Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूर्त त्ताणं दव्याणं विउसरणयाए (२) अञ्चित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए (३) विणोणयाए गायलडीए (४) चक्खुपमासे अंजलिपग्गहेणं (५) मणसो एगत्तिभावकरणेणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिणपयाहिणं करेन्ति वंदति गमं. संति वंदित्ता णमंसित्ता कूणियरायं पुरोकटु ठिइयात्रो चेव सपरिवारानो अभिमुहायो विणएणं पंजलि उडायो पज्जुवासंति ।। - (मू० ३४) तए णं समणे भगवं महावीरे कूणिअस्सरगणो भंभसारपुत्तस्स्स सुभद्दापमुहाणं देवोणं तीसे य महति महालियाए परिसाए इसिपरिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए अणेगसयवंदाए अणेगसयवंदपरिवाराए ओहवले अइबले महब्बले अपरिमियबलवीरियतेयमाहप्पकंतिजुत्ते सारयणवत्थणियमहरगंभीरकोंचणिग्योसदुंदुभिस्सरे उरेवित्थडाए कंठेऽवट्ठियाए सिरे सेमाइण्णाए अगरलाए अमम्मणाए सुव्वक्खरसरिणवाइयाए पुगणरत्ताए सव्वभासामुगामिणोए सरस्सइए जोयणगीहारिणा सरेणं अद्धमागहाए भा. साए भासह अरिहा धम्म.. परिकहेइ । Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं तेसिं सव्वेसिं प्रारियमणारियाणं अगिलाए धम्म प्राइक्खइ, साविय णं अद्वमागहा भासा तेसिं सब्वेसिं आरियमणारियाणं अप्पणो सभासाए परिणामेणं परिणमइ, तं जहा-अस्थि लोए अस्थि अलोए एवं जीवा अजीवा बंधे मोक्खे पुरणे पावे आसवे संवरे वेयणा णिजरा अरिहंता चक्कवट्टी बनदेवा वासुदेवा नरगाणेरड्या तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीमो माया पिया रिसो देवा देव. लोया सिद्धी सिद्धा परिणिव्वाणे परिणिव्वुया, अत्यि (१) पाणाइवाए (२) मुसावाए (३) आदिण्णादाणे ( ४ ) मेहुणे (५) परिग्गहे अत्थि (६) कोहे (७) माणे (6) माया (6) लोभे अत्थि जाव [ ] (१८) मिच्छादंसणसल्ले । अत्थि पाणाइवायवेरमणे मुसावायवरमणे अदिण्णादाणवेरमणे मेहुणवेरमणे परिगाहवरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे सव्वं अस्थिभावं अत्थित्ति वयति,सव्वंणत्थिभावं णस्थित्ति वयति, सुचिण्णा कम्मा सुचिण्णकला भवंति, दुचिराणा कम्मा दुचिण्णफला भवंति, फुसइ पुण्णपावे, पञ्चायति जोवा, सफले कल्बाणपावए। धम्ममाइक्खहः-इणमेव णिग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवलए संसुद्धे पडिपुरणे णेयाउए सल्लकत्तणे Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८ उबवाई सूत्तं सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे णिव्वाणमग्गे णिज्जाणमग्गे अवितहमविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे इहटिया जीवा सिझति वुझंति मुच्चंति परिणिव्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करंति । एगच्चा पुण एगेभयंतारो पुव्वकम्मावसेसेणं अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, महड्ढिएसु जाव महासुक्खेसु दूरंगइएसु चिरहिईएसु । ते णं तत्थ देवा भवंति महिड्ढिया जाव चिरहिइया हारविराइयवच्छा जाव [ ] पभासमाणा कप्पोवगा गतिकल्लाणा ठिइ. कल्लाणा आगमेसिभद्दा जाव पडिरूवा। तमाइक्खइ एवं खलु चरहिं ठाणेहिं जीवा रइयत्ताए कम्मं पकरंति, णेरइयत्ताए कम्मं पकरेत्ता रइएम उववज्जंति, तं जहा-१ महारंभयाए २ महापरिग्गहयाए ३ पंचिंदियवहेणं ४ कुणिमाहारेणं, एवं एएणं अभिलावणं । तिरिक्खजोणि एसु (१) माह ल्लयाए णियडिल्लयाए (२) अलियवयणेणं (३) उकचणयाए (४) वंचणयाए । मणुस्सेसु-(१) पगइभद्दयाए (२) पगइविणीययाए (३) साणुक्कोसयाए (४) अमच्छरिययाए । देवेसु-(१)सरागसंजमेणं (२) संजमासंजमेणं (३) अकामणिजराए (४) बालसवोकम्मेणं, तमाइक्खड: Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५९ mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmwww. उववाई सूत्तं जह णरगा गम्मती जे णरगाजा यवेयणाणरए । सारीरमाणुसाइंदुक्खाइं तिरिक्खजोणीए॥१॥ माणुस्सं च अणिचं वाहिजरामरणवेयणापउरं । देवे य देवलोए देविडिंढ देवसोक्खाई ॥२॥ गरगं तिरिक्खजोणिं माणुसभावं च देवलोअं च। सिद्ध असिद्धवसहिं छज्जीवणियं परिकहेइ ॥३॥ जह जीवा बभंती मुच्चंती जह य संकिलिस्संति। जह दुक्खाणं अंतं करंति केई अपडिबद्धा ॥४॥ अदुहट्टियचित्ता जह जीवा दुक्खसागरमुर्विति। जह वेरग्गमुवमया कम्मसमुग्गं विहाडंति ॥५॥ जह रागेण कडाणं कम्माणं पावगो, फलविवागो। जह य परिहीणकम्मा सिद्धा सिद्धालयमुर्विति ॥६॥ तमेव धम्मं दुविहं प्राइक्खइ, तं जहा-अगारधम्म अणगारधम्मं च। अणगारधम्मो ताव-इह खलु सव्वो सव्वत्ताए मुन्डे भवित्ता अगारात्रो अणगारियं पव्वइयस्स सव्वानो पाणाइवायाओ वेरमणं, सब्बानो मुसावायाो वेरमणं, सब्बानो अदिण्णादाणाश्रो वेरमणं, सब्बाओ मेहणाश्रो मेरमणं सब्बाश्रो परिग्गहारो वेरमणं, सब्बानो Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं राईभोयणाश्रो वेरमणं अयमाउसो ! अणगारसामाइऐ धम्मे पएणत्ते, एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवठ्ठिए णिग्गंथे वा णिग्गंथी वा विहरमाणे आणाए अाराहए भवति । अगारधम्म दुवालसविंह आइक्खइ,तं जहा:(१) पंच अणुव्वयाई (२) तिणि गुणव्याई, (३ ) चत्तारि सिक्खावयाई। पंच अणुव्वयाई, तं जहा-(१) थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं (२) थूलाओ मुमावायात्रो मेरमणं ( ३ ) थूलाओ अदिण्णादात्रो वेरमणं ( ४ ) सदारसंतोसे (५) इच्छापरिमाणे । तिणि गुणव्वयाई तं जहा-(६) अणत्थदंडवेरमणं (७) दिसिव्वयं (८) उवभोगपरिभोमपरिमाणं । चत्तारि सिक्खावयाई, तं जहा-(8) सामाइयं (१०) देसावयासियं (११) पोसहोवववासे (१२) अतिहिसंविभागे, अपछिमा मारणंतिया संहणाजूसणाराहणा अयमाउसो ! अगारसामाइए धम्मे परणत्ते एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवहिए समणोवासए वा समणोवासिया वा विहरमाणे आणाए अाराहए भवइ । (सू. ३५)तए णं सामहतिमहालिया मणसपरिसा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए धम्म Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं सोचा णिसम्म हतु जाव हियया उठाए उठेइ, २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ २ त्ता वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता कत्थेगइया मुन्डे भवित्ता अगाराश्रो अणगारियं पव्वइया, अत्थेगइया पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइय दुवालसविह गिहिधम्म पडिवण्णा ।। __ अवसेमा णं परिसा समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी " सुत्रक्खाए ते भंते ! निग्गंथे पावयणे एवं सुपएणत्ते सुभासिए सुविणीए सुभाविए अणुत्तरे ते भंते ! निग्गंथे पावयणे, धम्म णं प्राइक्खमाणा तुम्भे उवसमं आइक्खह, उवसमं श्राइक्खमाणा विवेगं प्राइक्खह, विवेगंाइक्खमाणा वेरमणं आइक्खमाणा अकरणं पावाणं कम्माणं आइक्खह, णत्थि णं अण्णे केइ समणे वा माहणे वा जे एरिसं धम्ममाइक्खित्तए, किमंग पुण एत्तो उत्तरतरं?" एवं वदित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया ॥ (सूत्र३६) तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाई सूतं ६२ सिम्म हट्ठतु जाब हियए उठेइ उठाए उठ्ठिन्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो याहिणं पयाहिणं करेइ २ ता वंदइ एमंसइ वंदित्ता एमंसित्ता एवं वयासी - "सुक्खाए ते भंते! निग्गन्थे पावयणे जाव किमंग पुए एत्तो उत्तरतरं ?,” एवं वदित्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए ॥ ( सू० ३७ ) तए णं ताओ सुभद्दापमुहात्रो देवी समणस्स भगवत्र महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा एिसम्म हट्टतुट्ट जाव हिययाओ उठाए उत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो याहिणं पयाणिणं करेंति २ त्ता वंदति णमंसंति वंदिता मंसित्ता एवं वयासी - सुयक्खाए णं भंते! निग्गंथे पावणे जाव किमंग पुण एत्तो उत्तरतरं ?,” एवंवदित्ता जामेव दिसिं पाउन्भूयात्रो तामेव दिसिं पडिदयाओ । ( समोसरणं समत्तं ) ॥ ( सू० ३८ ) तेणं कालेणं तेणं समएणं समस्स भगवो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई णामं अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठा Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूतं णसंठिए वइरोसहणारायसंघयणे कणगपुलगणिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे घोर तवे उराले घोरे घोगुग्णे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलते अलेस्से समयस्स भगवो महावीरस्स दूरसामंते उडुंजाणू होसिरे झाकोट्टोवगए संजमेणं तवसा अप्पा भावेमाणे विहरइ | ६३ तणं से भगवं गोयमे जायसड्ढे जायसंसए जायको हल्ले उप्पण्णसड्ढे उप्पण्णसंसए उप्पण्णकोहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोऊहल्ले समुप्पण्णसड्ढे समुप्पण्णसंसए समुप्पण्ण कोऊ हल्ले उट्ठाए उट्ठेइ उठ्ठाए उट्ठित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो याहिणं पयाहिणं करेइ तिक्खुत्तो याहिणं पयाहिणं करेत्ता वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसिता नच्चासरणे नाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभि मुहेविषएणं पंजलिउडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी । जीवे णं भंते! असंजए अविरए अप्पडिहयपचक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंत दंडे Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं एगंतबाले एगंतसुत्ते पावकम्मं अपहाइ ?-हंता अण्हाइ॥१॥ ' जीवे णं भंते ! असंजए जाव एगंतसुत्ते मोहणिज्जं पावकम्म अण्हाइ-? हंता अरहाइ ॥२॥ जीवे भंते! मोहणिज्जं कम्मं वेदेमाणे किं मोहणिज कम्मंबंधइ ? वेयणिज्जंकम्मं बंधइ ? गोयमा! मोहणिज्जंपि कम्मं बंधइ वेयणोजंपि कम्मं बधइ, णण्णत्थ चरिममोहणिज्ज कम्मं वेदेमाणे वेअणिजं कम्मं बंधह णो मोहणिज कम्मं बंधइ ॥३॥ जीवे णं भंते ! असंजए जाव एगंतमुत्ते श्रोसरण तसपाणघाई कालमासे कालं किच्चा णेरइएसु उववजइ ?, हंता उववजई ॥४॥ जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इअो चुए पेच्चा देसिया ? गोयमा! अत्थेगइया देवे सिया अत्थेगइया णो देवे सिया ॥ से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया देवे सिया अत्थेगइया णो देवे सिया ? गोयमा !, जे. इमे जीवा गामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकबडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंवाहसगिणवेसेसु अकामतबहाए अकामछुहाए अकामबंभचरेवासेणं अकाम Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाई सूत्तं रहाणगसीयायवदंसमसग सेयजल्ल मलपंकपरितावेणं अप्पतरो वा भुज्जतरो वा कालं श्रप्पाणं परिकिलेसंति पतरो वा भुज्जतरो वा कालं अप्पाणं परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा अयरेसु वाणमंतरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो भवति, तहिं तेसिं गई तहिं तेसिं ठिई तर्हि तेसिं उववाए पण्णत्ते । तेसि णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! दसवाससहस्साइं ठिई पप्णत्ता, अस्थि णं भंते! तेसिं देवाणं इड्ढी वा जुई वा जसे इ वा बले इ वा वीरिए इ वा पुरिसक्कारिपरक्कमे इ वा ? हंता अस्थि । ते णं भंते ! देवा पर लोगस्सआराहगा ? णो इणडे समठ्ठे || ५ ॥ ६५ से जे इमे गामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकब्बडमडंबदोणमुह पट्टणागर संवाह सरिणवेसेसु मणुया भवंति, तं जहा -- डुबद्धगा णित्रलबद्धगा हडिबद्धगा चारगबद्धगा हत्थादिणगा पाय छिरणगा कण्णछिरणगा एक छिरणगा ओड छिरणगा जिन्भछिण्णगा सीसछिण्णगा मुखछिरणगा मज्झछिरणगावेकच्छणिगा हियउ प्पाडियगा णयणुप्पाडियगा दसप्पाडियगा वसणुष्पाडियगा गेवछिण्णगा तंडुलछिएणगा कागणिमंसक्ख वियगा Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाई सूतं लंबिया लंबियगा घंसियगा घोलियगा फालिडयगा पीलियगा सूलाइयगा सूलभिरणगा खारवत्तिया वज्भवतिया सीहपुच्छियगा दवग्गिदड्ढगा पंकोसरणगा पंकेखुत्तगा वलयमयगा वसहमयगा णियाणमयगा अंतोसल्लमयगा गिरिपडियगा तरु पडियगा मरुपडियगा गिरिपक्खंदोलिया तरुपक्खंदोलिया मरुपक्खंदोलिया जलपवेसिगा जलणपवेसि. का विसभक्खियगा सत्थोवाडियगा वेहाणसिया गि पगा कंतारमयगा दुब्भिक्खमयगा असंकिलिठ्ठपरिणामाते कालमासे कालं किच्चा अरणयरेसु वाणमंतरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्तारो भवति, तहिं तेसिं गई तहिं तेसिं ठिई तहिं तेसिं उववाए पण्णत्ते । तेसि णं भंते! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! बारसवाससहस्साइं ठिई पण्णत्ता अधि णं भंते! तेसिं देवाणं इड्ढी वा जुई वा जसे इ वा बले इ वावीरिए इ वा पुरिसक्कार परिकमे इ वा ? हंता अस्थि । ते णं भंते! देवा पर लोगस्स चाराहगा ? णो इट्ठे समठ्ठे ॥ ३ ॥ Į से जे इमे गामगर जाव संनिवेसेसु मणुया भवंति तं जहा - पगइभहगा पगइउवसंता पगइपतणुको हमाणमाया लोहा मिउमद्दव संपण्णा लीणा ६.६ Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं [ ] विणीया अम्मापिउसुस्सूसगा अम्मापिईणं अणइकमणिज्जवयणा अप्पिच्छा अप्पारंभा अप्परिग्गहा अप्पेणं आरंभेणं अप्पेणं समारंभेणं अप्पेणं प्रारंभसमारंभेणं वित्तिं कप्पेमाणा बहूई वासाई आउयं पालंति पालित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्पयरेसु वाणतंरेसु तं चेव सव्वं णवरं ठिई चउद्दसवाससहस्साई [देवा परलोगस्साराहगा ? णो इणट्टे समढे] ॥ ७ ॥ से जानो इमाश्रो गामागर जाव संनिवेसेसु इत्थियात्रो भवति, तं जहा-अंतोअंतेउरियानो गयपइयारो मयपझ्याश्रो बालविहवाश्रो छड्डियल्लियारो माइरक्खियाओ पियरक्खियाओ भायरक्खियाओ[ ] कुलघररक्खियाओ ससुरकुलरक्खियाओ [ ] परूढणहमंसकेसकक्खरोमाओ ववगयपुप्फगंधमल्लालंकाराअो अण्हाणगसेयजल्लमलपंकपरितावियाओ ववगयखीरदहिणवणीयसप्पितेल्लगुललोणमहुमजमंसपरिचत्तकयाहारानी अप्पिच्छायोअप्पारंभाप्रोअप्पपरिग्गहारोअप्पेणं आरंभेणं अपेणं समारंभेणं अपपेणं प्रारंभसमायंभेणं वित्तिं कप्पेमाणीग्रो अकामबंभचेरवासेणं तामेव पइसेजं णाइकमइ ताओ णं इथियारो Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बवाई सूतं एयारुवेणं विहारेणं विहरमाणीओ बहूई वासाई सेसं तं चैव जाव चउस िवाससहस्साई ठिई ६८ पण्णत्ता ॥ ८॥ से जे इमे गामागर जाव सन्निवेसेसु मणुया भवंति, तं जहा - दगबिइया द्गतइया द्गसत्तमा दग एक्कारसमागोयमा गोव्वइया गिहिधम्मा धम्मचिंतगा अविरुद्धविरुद्धबुड्ढसावगप्पभितयो तेसिं मणुयाणं णो कप्पइ इमात्र नव रसविगईयो आहारत्तए, तं जहा - खीरं दहिं णवणीयं सपि तेल्लं फाणियं महुं मज्जं मंसं, णो रणरणत्थ एक्काए सरिसवविगईए, ते णं मणुया अपिच्छा तं चेव सव्वं णवरं चउरासीस वाससहस्साइं ठिई परण त्ता ॥ ६ ॥ से जे इमे गंगाकुलगा वाणपत्था तावसा भवंति, तं जहा - होत्तिया पोतिया कोतिया जगणई सड्ढई थालई हुंप उठ्ठा दंतुक्ख लिया उम्मजगा सम्मज्जगा निमज्जगा संपखाला दक्खिणकूला उत्तरकूलगा संखधमगा कूलधमगा मिगलुद्धगा हत्थितावसा उद्दंडगा दिसापोक्खिणो वाकवासिणो अंबुवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो वेलवासिणो रुक्खमूलिया अंबुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खि Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं ६९ णो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुष्फाहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलतयपत्तपुष्कफलाहारा जलाभिसेयक ढिणगायभूया आयावणाहिं पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कण्डुसोल्लियं कठ्ठसोल्लियं पिव पाणं करेमाणा बहूई वासाईं परियागं पाउणति, २त्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं जोइसिएसुदेवेसु देवत्ताए उववन्तारो भवंति । पलियोवमं वाससयस हस्तमन्भहियं ठिई सेसं तं चेव ( - आराहगा ? - णो इणडे समट्टे ) ॥ १० ॥ से जे इमे जाव सन्निवेसेसु पञ्वइया समणा भवंति । तं जहा -- कंदपिया कुक्कुइया मोहरिया गीयरहप्पिया नच्चणसीला, ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहूइं वासाईं सामण्णपरियायं पाउणंति, २ त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकंता कालमासे कालं किच्चा उकोसेणं मोहम्मे कप्पे कंदप्पिएसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति । तेहिं तेसिं गई, सेसं तं चेव णवरं पलिश्रवमं वाससय सहस्समभहियं ठिई ।। ११ । से जे इमे जाव सन्निवेसेसु परिव्वाया भवंति । तं जहाई'खा- जोगी काविला भिउव्वा हंसा परमहंसा बहुउद्गा कुडिव्वया कण्हपरिव्वायया । Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं तत्थ खलु इमे अठ्ठ माहणपरिव्वायया भवंति । तंजहा करणे य करकण्टे य अंबडे य परासरे । करहे दीवायणे चेव देवगुत्ते य नारए (१)॥ तत्थ खलु इमे अट्ठ खत्तिय-परिव्वायया भवंति । तं जहा-- सीलई ससिहारे (य) नग्गई भग्गई ति य । विदेहे राया रायारामे बले ति य॥ ते णं परिव्वायया रिउवेदयजुव्वेदसामवेय अहव्वणवेयइतिहासपंचमाणं णिघण्टुछट्ठाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं चउण्हं वेयाणं सारगा पारगा धारगा वारगा सउंगवी सद्वितंतविसारया संखाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोइसामयणे अण्णेसु य [बहूसु बंभण्णएमु य सत्येसु सुपरिणिठिया यावि होत्था । ते णं परिव्वायया दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेयं च प्राघवेमाणापण्णवेमाण परवेमाणा विहरंति । 'जण्ण अम्हं किंचि असुई भवइ तण्णं उदएण य मट्टियाए च पक्खालियं सुई भवइ । एवं खलु अम्हे चोक्खा चोक्खायारा सुई सुइसमायारा Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाई सूतं ७१ भवित्ता अभिसेयजलपूयप्पाणो अविघ्घेणं सग्गं गभिस्सामो' | तेसि णं परिव्वायागाणं णो कप्पइ अगडं वा तलायं वा गईं वा वाविं वा पुक्खरिणिं वा दीहियं वा गुंजालियं वा सरं वा [ कचित् - सरसिं बा ] सागरं वा ओगाहित्तए णरणत्थ श्रद्धाणगम येणं । णो कप्पइ सगडं वा जाव संमाणियं वा दुरूहित्ता णं गच्छित्तए । तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ आसं वा हत्थि वा उहं वा गोणिं वा महिसं वा खरं वा दुरुहित्ता णं गमित्तए [ णरणत्थ बलाभि गेणं । तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पड़ नडपेच्छा इ वा जाव मागहपेच्छा इ वा पेच्छित्तए । तेसिं परिव्वायगाणं णो कप्पड़ हरियाणं लेसण्या वा घट्टणया वा थंभणया वा लूसणया वा उप्पाडया वा करितए, तेसिं परिव्वायगाणं णो कप्पइ इत्थिकहा इ वा भत्तकहा इ वा देसकहा इवा रायकहा इ वा चोरकहा इ वा जणवयकहा इ वा अणत्थदंडं करित्तए । तेसि णं परिव्वायगाणं णो nous अपायाणि वा उपायाणि वा तंबपायाणि वा जसदपायाणि वा सीसगपायाणि वा रुप्पपायाणिवा सुवणपायाणि वा अरणयराणि वा बहु Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं winn मुल्लाणि धारित्तए, णरणत्थ लाउपाएण वा दारुपाएण वा मट्ठियापाएण वा । तेसि णं परिव्वा. यगाणंणोकप्पइ अयबंधणाणि वा त उअपबंधणाणि वा तंबवधणाणि वा जाव बहुमुल्लाणि घारित्तए। तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ णाणाविहवरणरागरत्ताई वत्याई धारित्तए, णरणत्थ एगाए धाउरत्ताए। तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पड हारं वा अद्धहारं वा एगावलिं वा मुत्तावलिं वा कणगावलिं वा रयणावलिं वा मुरविं वा कंठमुरविं वा पालंबं वा तिसरयं वा कडिसुत्तं वा दसमुद्दिप्राणतगं वा कडयाणि वा तुडियाणि वा अंगयाणि वा केऊराणि वा कुंडलाणि वा मउडं वा चूलामणि वा पिणद्वित्तए, णण्णत्थ एगेणं तंषिएणं पवित्तएणं। तेलि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ गंथिमवेढिमपूरिमसंघाइमे चउव्विहे मल्ले धारित्तए, णएणत्थ एगेणं करणपूरेणं । तेसि णं परिब्वायगाणं णो कप्पड़ अगलुएण वा चंदणेण वा कुंकुमेण वा गायं अणुलिंपित्तए, णणत्य एकाए गंगामट्टियाए। तेसि णं परिव्वायगाणं कप्पइ मागहए पत्थए जलस्स पडिग्गाहित्तए सेऽवि व वहमाणे णो चेव णं अवहमाणे, सेवि य थिमिश्रोदए पो चेव णं Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं ७३ कद्दमोदए, सेऽवि य बहुप्पसरणे णो चेव णं अबहुप्पसरणे, सेवि य परिपूए णो चेव णं अपरिपूर सेवि य णं दिएणे णो चेव णं अदिएणे, सेवि य विवित्तए णो चेव णं हत्थपायचरुचमसपक्खालपठाए सिणाइत्तए वा । तेसि णं परिव्बायगाणं कप्पइ मागहए श्राद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, सेऽवि य वहमाणे णो चव णं अवहमाणे जाव णो चेवणं अदिएणे, सेवि य हत्थपायचरुचमसपक्खालणठ्ठयाए णो चेव णं पिबित्तए सिणाइत्तए वा। ते णं परिव्वायगा एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं परियायं पाउणंति, २ त्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई तहिं तेसिं ठिई दस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता, सेसं तं चेव ॥१२॥ (सूत्र ६) तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिवायगस्स सत्त अंतेवासिसयाइं गिम्हकालसमयंसि जेट्टामूलमासंमि गंगाए महानईए उभोकूलेणं कंपिल्लपुरानो गयरात्रो पुरिमतालं णयरं संपठिया विहाराए। Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाई सूतं तए णं तेसिं परिव्वायगाणं तीसे अगामियाए छिण्णोवायाए दीहमद्वार अडवीए कंचि देनंतरमणुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुवेणं परिभुंजमा भी । तए णं ते परिव्वाया झीणोद्गा समाणा तरहाए पारम्भमाणा २ उद्गदातारमपस्समाणा रणमरणं सद्दावेंति सद्दावित्ता एवं वयासी: " एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्ह इमीसे अगामित्राए जाव अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से उदए जाव झीणे तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! म्ह इसे गामियाए जाव अडवीए उद्गदातारस्स सव्वश्र समंता मग्गणगवेसणं करितए" त्ति कट्टु अरणमरणस्स अंतिए एयमहं पडिसुणति २ त्ता ती अगामिय। ए जाव अडवीए उद्गदातारस्स सव्व समता मग्गणगवेसणं करेई करिता उद्गदातारमलभमाणा दोचंपि रणमरणं सहावेन्ति सद्दावेत्ता एवं वयासी: "इह णं देवाप्पिया ! उद्गदातारो णत्थि तं णो खलु कप्पइ अम्ह अदिष्णं गिरिहत्तए [ ] अदिणं साइजित्तए, तं मा णं म्हे इयाणिं श्रावइकालं पि दिणं गिरहामो दिरणं साइज्जामो ७४ -- MA^^^^^^ Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूतं माणं म्हं तवलोवे भविस्सइ । तं सेयं खलु अहं देवाणुप्पिया ? तिदंडयं कुंडियाओ य कंचणियाओ य करोडियाओ य भिसियाय छग्णालय अंकुसए य केसरिया य पवित्तर य गणेन्तिया य छत्तए बाहणाओ य पाउयात्री य धाउरत्ताओय एगंते एडित्ता गंगं महाणई योगाहित्ता वालुयासंधारए संथरिता संलेहणाभूसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पात्रोवगयाणं कालं अणवखमाणाणं विहरितए तिकट्टु अरणमगणस्स अंतिए एयमहं पडिमुर्णेति, २ त्ता तिदंडए य जाव एगंते एडेइ २ ता गंगं महाण ओोगाहेइ २ त्ता वालुआसंथारए संथरंति २त्ता वालुया संधारयं दुरहिंति वा २ ता पुरस्थाभिमुहा संपलियंकनिसरणा करयल जाव कट्टु एवं वयासी । ७५ " नमोऽत्यु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, नमो sत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपा. विउकामरस, नमोऽत्थुणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स म्हं धम्मायरियस धम्मोवदेसगस्स | पुव्वि णं म्हे [ ] अम्मड परिव्वायगस्स अंतिए थूलगपाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए थुलए मुसावाए थुल दिरणादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ उत्रवाई सूक्तं सव्वे मेहुणे पचक्रवाए जावजीवाए, थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावजीवाए, इयाणिं अम्हे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामो जावज्जीवाए, एवं जाव सव्वं परिग्गहं पचक्खामो जावजीवाए, सव्वं कोहं माणं माय लोहं पेज दोसं कलहं अभक्खाणं पेसुण्णं परपरिवायं अरइरई मायामोसं मिच्छादंसणसल्लं अकरणिज्जं जोगं पञ्चक्खामो जावजीवाए, सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउविहं पिाहारं पञ्चक्खामो जावजोवाए। जंपि य इमं सरीरं इ8 कंतं पियं मणुगणं मणामं [पेजं] थेज्जं वेसासियं संमयं बहुमयं अणुमयं भंडकरंडगसमाणं मा णं सीयं मा णं उन्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइयपित्तिय [ ] संमिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्तिकटु एयंपिणं चरमेहिं उसास णीसासेहिं वोसिरामि त्तिकटु संलेहणाझूसणाझूसिया भत्तपाणपडियाइक्खिया पाअोवगया कालं अणवकंखमाणा विहरति । तए णं ते परिवाया बहूई भत्ताइं अणसणाए छेदेन्ति छेदित्ता आलोइयपडिकता समाहिपत्ता Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववरणा। तहिं तेसिं गई दससागरोवमाइं ठिई पएणत्ता, परलोगस्स पाराहगा, सेसं तं चेव ॥१३॥ __(सू० ४०) बहुजणे णं भंते ! अण्णमएणस्स एवमाइक्खह एवं भासइ एवं परूवेइ । “एवं खलु. अंबडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए पाहा. रमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ, से कहमेयं भंते ! एवं?"। "गोयमा ! ज णं से बहुजणो अण्णमएणस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-'एवं खलु अम्मडे. परिव्वायए कंपिल्लपुरे जाव घरसए वसहि उवेइ, सच्चे णं एसमठे, अहंपिणं गोयमा! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमि ‘एवं खलु अम्मडे परिव्वायए जाव वसहि उवेई"। से केण?णं भंते! एवं वुच्चइ-अम्मडे परिव्वायए जाव वसहिं उवेइ ? "गोयमा ! अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स पगइभद्दयाए जाव विणीययाए छटुंछ?णं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिझिय २ सूराभिः मुहस्स अायावणभूमीए पायावेमाणस्स सुभेणं परिणामेणं [ ] पसत्थाहिं. लेसाहिं विसुज्झमा. Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं णीहिं अन्नया कयाइ तदावरणिजाणं कम्माणं खोवसमेणं ईहावूहामग्गणगबेसणं करेमाणस्स वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए अोहिणाणलद्धीए समुप्पएणातएणं से अम्मडे परिव्वायए ताए वीरियलद्वीए वेउव्वियलद्धीए अोहिणाणलद्धी समुप्पण्णाए जणविम्हावण हे उं कंपिल्लपुरे णगरेघरसएजाव वसहि उवेइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चई-अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए जाव वसहिं उवेइ । पहू णं भंते ! अम्मडे परिव्वायए देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराअो अणगारियं पव्वइत्तए ? ___णो इण? समठे, गोयमा ! अम्मडे णं परिव्वायए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, णवरं ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारे चियत्तंतेउरघरदारपवेसी [ ] एयं ण वुच्चइ । अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावजीवाए जाव परिग्गहे णवरं सव्वे मेहुणे पचक्रवाए जाबजीवाए। अम्मडस्स णं [परिव्वायगस्स] णो कप्पड़ अक्खसोयप्पमाणमेत्तंपि जलं सयराहं उत्तरित्तए, णण्णत्थ अद्भागमणेणं । अम्मडस्स णं णो कप्पड़ Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं सगडं वा एवं त चेव भाणियव्वं जाव णरणत्य एगाए गंगामट्टियाए । अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ अाहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाए इ वा अज्झोयरए इ वा पूहकम्मे इ वा कीयगडे इ वा पामिच्चे इ वा अणिसिहे इ वा अभिहडे इ वा ठइत्तए वा रइत्तए वा कंतारभत्ते इवा दुन्भिक्खभत्ते इ वा पाहुणगभत्ते इ वा गिलाणभत्ते इ वा वदलियाभत्ते इ वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, अम्म डस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ मूलभोयणे वा जाव बीयभोयणे वा भोत्तए वा पाइत्तए वा। अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउविहे अणट्ठादंडे पच्चक्खाए जावजीवाए। तं जहा:-अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवाएसे। __ अम्मडस्स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए सेऽविय वहमाणए णो चेव णं अवहमाणए जाव सेऽविय परिपूए णो चेव णं अपरिपूए, सेविय सावजेत्तिकाऊ णो चेव णं अणवज्जे, सेऽविय जीवा इतिकटु णो चेव णं अजीवा सेऽविय दिपणे णो चेव णं अदिएणे सेऽविय दंतहत्थपायचरुचमसपक्खालणट्टयाए पिबि Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबवाई सूतं तए वा णो चेव णं सिणाइत्तए । अम्मडस्स कप्पइ मागहए य आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, सेऽवियवमाणए जाव दिन्ने णो चेव णंत्रदिणे, सेऽवि - य सिणाइत्तए णो चेव णं हत्थपायचरुचम सपक्खाargure पिवित्तए वा । ८० अम्मडस्स णो कप्पइ रणउत्थिया वा अण्णउत्थियदेवयाणि वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेइयाई वंदित्तए वा णमंसित्तए वा जाव पज्जुवासितएवा, णरणत्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाई वा । अम्मडे णं भंते ! परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! अम्मडे णं परिव्वायए उच्चावएहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाई समणोवासयपरियायं पाऊणिहिति, २ त्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं भूमित्ता सहिं भत्ता असणाए छेदित्ता आलोइयपडिते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिंति । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं अम्मडस्स वि देवस्स दस सागरोवमाई ठिई | Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं . से णं भंते ! अम्मडे देवे तारो देवलोगाओ श्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चर्य चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ? . गोयमा ! महाविदेहे वासे जाइं कुलाइं भवंति अड्ढाई दित्ताई वित्ताई विच्छिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणाई बहुधणजायरूवरययाई प्राभोगपश्रोगसंपउत्ताई विच्छड्डियपउरभत्तपाणाई बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूयाइं बहुजणस्स अपरिभृयाइं तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पच्चायाहिति । तएणं तस्स दारगस्स गन्भत्थस्स चेव समा. णस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पइण्णा भविस्सइ । से णं तत्थ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुराणाणं श्रद्धठमाणराइंदियाणवीइकताणं सुकुमालपाणिपाए जाव ससिसोमाकारे कंते पियदंसणे सुरूवे दारए पयाहिति । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठियवडियं काहिंति, बिइयदिवसे चंदसूरदंसणियं काहिंति, छठे दिवसे जागरियं काहिंति, एक्कारसमे दिवसे वीइकते णिव्वित्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे अम्मापियरो इर्म ६ Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूतं एयारूवं गोणं गुणणिप्फरणं णामधेनं काहिंति"जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि गम्भत्थंसि चेव समाणंसि धम्मे ढपइण्णा तं होउ णं अम्हं दारए ढपइण्णे णामेणं" तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेनं करोहिंति दढपइण्णेत्ति। [ ] तं दृढपइएणं दारगं अम्मापियरो साइरेगठ्ठवासजायगं जाणित्ता सोभणंसि तिहिकरण [दिवस] णक्खत्तमुहुत्तंसि कलायरियस्स उवणेहिति । तए णं से कलायरिए तं दढपइण्णं दारगं लेहाइयाश्रो गणियप्पहाणाम्रो सउणरुयपजवसाणाप्रो बावत्तरिकलाप्रो सुत्तो य अत्यत्रो य करणो य हाविहिति सिक्खाविहिति, तं जहा-लेहं गणियं रूवं णटं गीयं वाइयं सरगयं पुक्खरगयं समतालं जूयं जणवायं पासगं अठ्ठावयं पोरेकच्चं दगमट्टियं अण्णविहिं [ पाणविहिं वत्थविहिं विलेवणविहिं ] सयणविहिं अजं पलेलियं मागहियं गाहं गीयं सिलोयं हिरण्णजुत्तिं सुवएणजुत्तिं गंधजुत्तिं चुराणजुत्तिं प्राभरणविहिं तरुणीपडिकम्मं इत्विलक्खणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्खणं कुक्कु Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूतं डलक्खणं चक्कलक्खणं छत्तलक्खणं चम्मलक्खणं दंडलक्खणं असिलक्खणं मणिलक्खणं काकणिलक्खणं वत्थु विज्जं खंधारमाणं नगरमाणं वत्थुनिवेसणं [ ] वृहं पडिवूहं चारं पडिचारं चकवूहं गरुलवूहं सगडवूहं जुद्धं निजुद्धं जुद्धाइजुद्धं मुट्ठिजुद्धं बाहुजुद्धं लयाजुदुद्धं ईसत्थं करुप्पवाहं धणुव्वेयं हिरण पागं सुवण्णपागं [ ] बट्टखेडडं सुत्तखेडडं णालियाखेडडं पत्ताच्छेज्जं कडगच्छेज्जं सज्जीवं निज्जीवं सउणरुयमिति बावत्तरिकलाओ सेहावित्ता सिक्खावेत्ता अम्मापिईणं उवणेहिति । तए णं तस्स दढपण्णस्स दारगस्स अम्मापयरो तं कलायरियं विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थगंध मल्लांलकारेण य सक्कारेहिंति सम्माणेहिंति २ त्ता विउल जीवियारिहं पीइदाणं दलइस्संति, २ त्ता पडिविसजेहिंति । तए णं से दढपणे दारए बावन्तरिकलापंडिए नवंगसुत्तपडिबोहिए अङ्गारसदेसी भासाविसारए गीयरई गंधवणकुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमद्दी विद्यालचारी साहसिए अलंभोग समत्थे यावि भविस्सइ | तए णं दढपणं दारगं अम्मापियरो बावत्त ८३ Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४ उववाई सूक्तं nanana रिकलापंडियं जाव अलंभोगसमत्थं वियाणित्ता विउलेहिं अण्णभोगेहिं पाणभोगेहिं लेणभोगेहिं वत्थभोगेहिं सयणभोगेहिं कामभोगेहिं उवणिमंतेहिंति । तए णं से दढपइण्णे दारए तेहिं विउलेहिं अण्णभोगेहिं जाव सयणभोगेहिं णो सजिहिति णो रजिहिति णो गिझिहिति णो मुज्झिहिति णो अज्झोववजिहिति । ___ से जहा णामए उप्पले इ वा पउमे इ वा कुसुमे इ वा नलिणे इ वा सुभगे इ वा सुगंधे इ वा पोंडरीए इ वा महापोंडरोए इवा सयपत्ते इ वासहस्सपत्ते इ वा सयसहस्सपत्ते इ वा पंके जाए जले संवुड्ढे णोबलिप्पइ पंकरएणं णोवलिप्पड़ जलरएण, एवामेव दढपइण्णे वि दारए कामेहिं जाए भोगेहिं संवुड्ढे णोवलिप्पिहिति कामरएणं णोवलिप्पिहिति भोगरएणं णोवलिपिहिति मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणेणं। से णं तहाख्वाणं थेराणं अंतिए केवल बोहिं बुझिहिति २ ता अगाराप्रो अणगारियं पव्वइहिति। Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं ८५ सेणं भविस्सइ अणगारे भगवंते ईरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी। .. तस्स णं भगवंतस्स एएणं विहारेणं विहरमाणस्स अणंते अणुत्तरे णिव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुप्पजहिति । .. [ ] तए णं से दढपइण्णे केवली बहई वासाई केवलिपरियागं पाउणिहिति पाउणिहित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सढि भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता जस्सहाए कीरइ णग्गभावे मुंडभावे अण्हाणए अदंतवणए केसलोए बंभचेरवासे अच्छत्तगं अणोवाहणगं भूमिसेजा फलहसेजा कट्ठसेज्जा परघरपवेसोलद्धावल, वित्तीए माणावमाणणाश्रो परेहिं हीलणाश्रो खिसणाओ निंदणाप्रो मरहणाश्रो तालणाश्रो तज्जणाश्रो परिभवणाप्रो पव्वहणाो उच्चाश्या गामकंटगा बावीसं परीसहोवसग्गा अहियासिज्जंति तमट्ठमाराहित्ता चरिमेहिं उस्सासणिस्सासेहिं सिज्झिहिति बुझिहिति मुच्चिहिति परिणिव्या हिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति ॥ १४ ॥ (सू० ४१ ) सेजे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु पब्वइया समणा भवंति, तं जहा:-आय Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं रिघपडिणीया उवज्झायपडिणीया कुलपडिणीया गणपडिणीया आयरिय उवज्झायाणं यसकारगा अवण्णकारगा अकित्तिकारगा बहूहिं असम्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च बुग्गामाणा वुप्पाएमाणा विहरित्ता बहई वासाई सामण्णपरियागं पाउणंतिपाउण त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयप्पडिकंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं लंतए कप्पे देवकिब्बिसिएस देव किम्बिसियत्ताए उववत्तारो भवति, तहिं तेसिं गई, तेरस सागरोवमाई ठिई, राहगा, सेसं तं चैव ॥ १५ ॥ + सेज्जे इमे सपिणपंचिंदियति रिक्खजोणिया पज्जत्तया भवति, तं जहा : - जलयरा थलयरा खहयरा तेसि णं त्थेगइयाणं सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं लेस्साहिं विसृज्झमाणीहिं तयावरणिजाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहापोह - मग्गणगवेसणं करेमाणाणं सण्णीपुव्वजाईसरणे समुपजाई । तए णं ते समुप्पण्णजाइसरा समाणा सयमेव पंचाणुव्वयाई पडिज्जति पडिवजित्ता बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं [ J ८६ Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं अप्पा भावेमाणा बहुरं वासाई आउयं पार्लेति पालि न्ता भक्तं पच्चक्खंति बहूई भत्ताइं असणाए छेति छेइत्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उबवत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई, अट्ठारस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता पर लोगस्स आराहगा, सेसं तं चैव ॥ १६ ॥ ८७ से जे इमे गामागर जाव संनिवेसेसु आजीविया भवंति, तं जहा — दुघरंतरिया तिघरंतरिया सत्तघरंतरिया उप्पलबेंटिया घरसमुदालिया विज्जुयंतरिया उट्टियासमणा, ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहुरं वासाईं परियायं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवति, तेहिं तेसिं गई बावीसं सागरोमाई ठिई, अणाराहगा, सेसं तं चैव ॥ १७ ॥ सेज्जे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु पव्वइया समणा भवंति तं जहा - अन्तुको - सिया परपरिवाइया भूइकम्मिया भुज्जो भुज्जो कोउयकारगा, ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाईं सामण्णपरियागं पाउणंति Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बवाई सूतं २ ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे श्रभि गिएसु देवे देवत्ताए उववत्तारो भवति, तेहिं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाई ठिई परलोगस्स णाराहगा, सेसं तं चेव ।। १८ ।। ८८ सेज्जे इमे गामागर जाव सरिणवेसेसु पिरहगा भवंति, तं जहा - १ बहुरया २ जीव पएसिया ३ अव्वन्तिया ४ सामुच्छेइया ५ दोकिरिया ६ तेरासिया ७ बद्धिया इच्चेते सत्त पवयन्हिगा केवललंच रियालिंगसामण्णा मिच्छद्दिठ्ठी बहूहिं असम्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयंचबुग्गा हेमाणा वुप्पाएमाण विहरिता बहूई वासाई सामरणपरियागं पाउणति २ कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं उवरिमेसु गेबेज्जेसु देवत्ताए उववन्तारो भवंति । तेहिं तेसिं गई एकतीसं सागरोवमाई ठिई परलोगस्स अणाराहगा सेसं तं चैव ॥ १६ ॥ से ज्जे इमे गामागर जाव सरिवेसेसु मणुया भवति, तं जहा - अप्पारंभा अपरिग्गहा धम्मिया Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ arma.nrnwwwwwwwwwwwwwwwimarnam उववाई सूत्तं धम्माणुया धम्मिट्ठा धम्मक्खाई धम्मप्पलोई धम्मपलजणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा सुसीला सुव्वया सुप्पडियाणंदा साहू एगच्चायो पाणाइवायारो पडिविरया जावजी. वाए, एगच्चायो अपडिविरया एवं जाव परिग्गहाम्रो २ एगच्चाप्रो कोहारो माणाप्रो मायारो लोहारो पेज्जायो । दोसानो] कलहाओ अब्भक्खाणाश्रो पेमुण्णाश्रो परपरिवायायो अरइरईओ मायामोसानो मिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया जावज्जोवाए एगच्चायो अपडिविरया, एगच्चाओ प्रारंभसमारंभाप्रो पडिविरया जावजीवाए एगच्चामोअपडिविरया, एगच्याअोकरणकारावणामो पडिविरिया जावजीवाए एगच्चायो अपडिविरया, एगच्चाोपयणपयावणाअोपडिविरया जावज्जोवाए एगच्चायोपयणपयावणोअपडिविरया, एगच्चायो कोट्टणपिट्टणतजणतालणवहबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावज्जीवाए एगच्चायो अपडिविरया, एगचाोण्हाणमद्दणवण्णगविलेवणसद्दफरिसरसरूवर्गधमल्लालंकारात्रो पडिविरया जावजीवाए एगच्चाश्रो अपडिविरया, जे यावण्णे तहप्पगारा सावजजोगोवहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरो कजति Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाई सूतं तो वि जाव एगचाओ पडिविरया जावज्जीवाए एगच्चा अपडिविरया । तं जहा :- समणोवासगा भवति, अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुरणवा आसवसंवरनिज्ज रकिरिया हि रणबंध मोक्खकुसला असहेजा ओदेवासुरणागजक्खर क्खसकिन्नर किं पूरी सगरुल गंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंथाओ पावयणाओ इक्कमणिजा निग्गंथे पावयणे णिस्संकिया णिक्कंखिया निव्वितिमिच्छा लट्ठा गहिया पुच्छियट्ठा अभिगयठ्ठा विणिच्छ्रियठ्ठा अट्ठिमिंज पेमाणुरागरत्ता "माउसो ! निग्गंथे पावयणे अड्डे अयं परमट्ठे सेसे डे" ऊसियफलिहा अवगुयदुवारा चियत्तंतेउर पर घरदार पवेमा चउद्दसमुद्दिट्ट पुरण मासिणीसु पडिपुराणं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणा समणे निग्गंथे फासुएस णिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमें वत्थपडिग्गह कंबलपाय पुंछणेणं सहभेसजेणं पडिहारएण य पीढफलगसेज्जासंधारएणं पडिला भेमाणा विहति २त्ता भन्तं पच्चक्खति ते बहु भत्ताइं अणसणाए छेदेति छेदित्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चु कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवति, तेहिं Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाइं ठिई आराहया सेसं तहेव ॥ २०॥ सेजे इमे गामागर जाव सण्णिवेसेसु मणुया भवंति, तं जहाः-अणारंभा अपरिग्गहा धम्मिया जाव कप्पेमाणा सुसीला सुव्वया सुपडियाणंदा साहू सव्वाअो पाणाइवायात्रो पडिविरया जाव सव्वाअो परिग्गहाम्रो पडिविरया सव्वाअोकोहाम्रो माणाो मायाओ लोभाओ जाव मिच्छादसणसल्लाश्रो पडिविरया सव्वाश्रो प्रारंभसमारंभात्रो पडिविरया सव्वात्रो करणकारावणाश्रो पडिविरया सव्वाश्रो पयणपयावणाश्रो पडिविरया सव्वाश्रो कुष्णपिट्टणतजणतालणवहबंधपरिकिलेसानो पडिविरया सव्वाअोण्हाणमद्दणवण्णगविलेवणसद्दफरिसरसरूवगंधमल्लालंकाराअो पडिविरया जेयावण्णे तहप्पगारा सावजजोगोवहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा कजंति तो वि पडिविरया जावज्जीवाए। से जहा णामए अणगारा भवंतिः-इरियासमिया भीसासमिया जाव इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरोकाउं विहरंति। तेसि णं भगवंताणं एएणं विहारणं विहरमा Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९२ Baa!ई सूत्तं गाणं श्रत्येगइयाणं अणते जाव केवलवरनापदंसणे समुपज्जइ । ते बहूई वासाईं केवलिपरियागं जाव पाउति पाणि त्ता भत्तं पच्चक्खंति भत्तं त्ता बहूई भत्ता असणाए छेदेन्ति छेदित्ता जस्सट्टाएकीरह णग्गभावे जाव अंत करंति । जेसिंयि णं एगइयाणं णो केवलवरननाणदंसणे समुप्पज्जइ ते बहुईं वासाइं छउमत्थपरियागं पाउणति पाउलिस आबाहे उप्पण्णे वा अणुप्पण्णेवा भत्तं पच्चक्खति । ते बहूई भत्ताइं अणसणाए छेदेंति छेदित्ता जस्सठ्ठाए कीरइ एग्गभावे जाव तमहमाराहित्ता चरिमेहिं ऊसासणीसासेहिं अणतं अणुत्तरं निव्वाघायं निरावरणं कसिणं पडिपुण्णं केवलवरनाणदंसणं उप्पाडिंति, तत्र पच्छा सिज्झिहिंति जावतं करेहिंति । एगच्चा पुण एगे भयंतारो पुव्वकम्माव से सें कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सव्वसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववत्तारो भवति, तेहिं तेसिं गई तेत्तीसं सागरोविमाई ठिई, राहगा, सेसं तं चैव ॥ २१ ॥ सेज्जे इमे गामागर जाव सरिवेसेसु मणुया भवंति तं जहा - सव्वकामविरया सव्वरागविरया Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वसू ९३ सव्वसंगातीता सव्वसिणेहाइकंता अक्को हा निक्कोहा हा एवंखीणक्को माणमायालोहा अणुपुव्वेणं ह कम्मपयडीओ खवेत्ता उपिं लोयग्गपइट्ठाणा हवंति ||२२|| ( सू० ४२ ) अणगारे णं भंते भावियप्पा केवलिसमुग्धाएणं समोहणित्ता केवलकप्पं लोयं फुसित्ता णं चिठ्ठइ ? हंता चिठ्ठइ | से णूणं भंते! केवलकप्पे लोए तेहिं निज्जरापोगलेहिं फुडे ? हंता फुडे ॥ १ ॥ छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से तेसिं णिज्जरापोग्गलाणं किंचि वरणेणं वण्णं गंधेणं गंध रसेणं रसं फासेणं फासं जाणइ पासइ ? गोयमा ! पो इट्ठे समट्ठे ||२|| सेकेणणं भंते ! एवं बुच्चइ - 'छउमत्थे णं मस्से तेसिं णिज्जरापोग्गलाएं णो किंचि वरलेणं वरणं जाव जाणइ पासइ ?' गोयमा ! अयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमु-दाणं सव्वमंतरए सव्वखुड्डाए वहे तेल्लपूयसंठाएसंठिए वट्टे रहचक्कवाल संठाणसंठिए वहे पुक्ख-रकण्णियासंठाण संठिए वहे पडिपुरणचंद संठाएसंठिए एक्कं जोयणसयसहस्सं आयाम विक्खंभेणं Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूर्त तिणि जोयणसयसहस्साइं सोलससहस्साइंदोरिण यसत्तावीसे जोयणसएतिरिणयकोसे अठ्ठावीसंच धणुसयं तेरस य अंगुलाई श्रद्धंगुलियं च किंचि विसेसाहिएपरिक्खे वेणं पण्णत्ते। देवे णं महिड्ढीए महजुतीए महब्बले महाजसे महासुक्खे महाणुभावे सविलेवणं गंधसमग्गयं गिण्हइ २ त्ता तं अवदालेइ २ त्ता जाव इणामेवत्ति कटु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छरा. णिवाएहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियहित्ता णं हव्वमागच्छेजा। से णणं गोयमा ! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे तेहिं घाणपोग्गलेहिं फुडे ? हंता फुडे । छउमस्थे णं गोयमा ! मणुस्से तेसिं घाणपो. ग्गलाणं किंचि वरणेणं वगणं जाव जाणइ पासइ ? भगवं ! तो इणढे समझे। से तेणढणं गोयमा ! एवं वुचइ-छउमत्थे णं मणुस्से तेसिं णिजरापोग्गलाणं णो किंचि वरणेणं वरणं जाव जाणइ पासइ। एसुहमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता, समणाउसो! सव्वलोयं पि य णं ते फुसित्ता णं चिट्ठति ॥३॥ कम्हा णं भंते ! केवली समोहणंति ? कम्हा Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूतं णं केवली समुग्घायं गच्छति ? गोयमा ! केवलीणं चत्तारि कम्मंसा अपलिक्खीणा भवंति, तं जहा:(१) वेयणिज्जं (२) आउयं ( ३) णामं (४) गोतं। सव्ववहुए से वेयणिजे कम्मे भवइ, सव्वत्थोवे से अाउए कम्मे भवइ, । विसमं समं करेइ बंधणेहिं ठिईहि य, विसमसमकरणयाए वंधणेहिं ठिईहि य । एवं खलु केवली समोहणंति एवं खलु केवली समुग्घायं गच्छति ॥४॥ सव्वेवि णं भंते ! केवली समुग्धायं गच्छति ? णो इणले समढे, 'अकिरिया णं समुग्घायं, अणंता केवली जिणा जरामरणविप्पमुक्का, सिद्धिं वरगई गया ॥१॥ कइसमए णं भंते ! भाउजीकरणे पएणते ? गोयमा ! असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए पएणत्ते ॥५॥ केवलिसमुग्घाए णं भंते ! कइसमइए पएणत्ते? गोयमा ! अट्ठसमइए पएणत्ते।तं जहा-पढमे समए दंडं करेइ । बिइए समए कवाडं करेइ । तईए समए Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्रवाई सूत्तं मंथं करेइ । चउत्थे समए लोयं पूरेइ । पंचमे समए लोयं पडिसाहरइ । छट्टे समए मंथं पडिसाहरइ । सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरइ। अट्ठमे समए दंडं पडिसाहरइ तो पच्छा सरीरत्थे भवइ ॥६॥ से णं भंते ! तहा समग्घायं गए किं मणजोगं जंजइ ? वेयजोगं जुजइ ? काययोगंजंजइ ? गोयमा ! णो मणजोगं जुजइ, णोवयजोगं जुजई कायजोर्ग झुंजइ, कायजोगं जुजइ ॥७॥ ___कायजोगं जंजमाणे किं अोरालियसरीरकायजोगं जुजइ ? ओरालियमिस्ससरीरकायजोगं जंजइ ? वेउव्वियसरीरकायजोगं मुंजइ ? वेउब्वियमिस्सरीरकायजोगं जुजइ ? आहारगसरीरकायजोगं जुजइ ? आहारगमिस्ससरीरकायजोगं जुंजइ ? कम्मसरीरकायजोगं मुंजइ ? गोयमा ! ओरालियसरीरकायजोगं जुंजइ, पोरालियमिस्तसरीरकायजोगंपि जुजइ, णो वेउव्वियसरीरकायजोगं जंजइ णो वेउव्वियमिस्ससरीरकायजोगं जुजइ, णो आहारगसरीरकायजोगं जुजइ णो श्राहारगमिस्ससरी. रकायजोगं मुंजइ कम्मसरीरकायजोगं पि जंजइ, पढमढमेमु समएसु ओरालियसरीरकायजोगं जुजह बिइयछट्ठसत्तमेसु समएसु अोरालियमि Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं स्ससरीरकायजोगं । जुञ्जइ तइयचउत्थपंचमेहिं कम्मसरीरकायजोगं जुजइ ॥८॥ से णं भंते ! तहा, समुग्घायगए सिझइ बुज्झइ मुच्चइ परिणिव्वाइ सव्वदुक्रवाणमंतं करेइ ? णो इणठे समठे, से णं तो पडिणियत्तइ, २ त्ता इहमागच्छइ, २ त्ता तो पच्छा मणजोगं पि जुंजइ वयजोगं पि जुजइ कायजोगं पिं जुजइ । मणजोगं झुंजवाणेकिं सच्चमणजोगं मुंजइ ? मोसमणजोगं जुंजइ ? सच्चामोसमणजोगं जुंजह ? असच्चामोसमणजोगं जुजह ? गोयमा ! सच्चमणजोगं जुञ्जइ, णो मोसमणजोगं जुञ्जइ, णो सच्चामोसमणजोगं जुजइ असच्चामोसमणजोगं पि जुजइ। वयजोगं जंजमाणेकिं सच्चवइजोगं जंजइ ? मोसवइजोगं जंजइ ? सच्चामोसवइजोगं जंजइ ? असच्चामोसवइजोगं जुजइ ? गोयमा, सचवइजोगं जुंजइ, णो मोसवइजोगं जुजइ, णो सच्चामोसवइजोगं जुजइ असच्चामोसवइजोगं पि जुंजइ । . कायजोगं जंजमाणे आगच्छेज्ज वा चिठेज वा णिसीएज्ज वा तुयटेज वा उल्लंघेज्ज वा पल्लंधेज्ज वा उक्खेवणं वा पक्खेवणं वा तिरियक्खेवणं वां Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ उंबवाई सूत्तं करेज्जा पाडिहारियं वा पीढफलगसेज्जासंथारगं पच्चप्पिणेज्जा। (सू० ४३) से णं भंते ! तहासजोगी सिज्झइ जाव अंतं करेइ ? णो इणठे समठे।। से णं पुवामेव संरिणस्स पंचिंदियस्स पज्जत्तगस्स जहएणजोगस्स हेठठा असंखेज्जगुणपरिहीणं पढमें मणजोगं निरंभइ, तयाणंतरं च णं बिंदियरस पज्जत्तगस्स जहणणजोगस्स हेट्टा असंखेज्जगुणपरिहीणं विइयं बइजोगं निरंभइ, तयाणंतरं च सुहमस्स पणगजीवस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णजोगस्स हेठा असंखेज्जगुणपरिहीणं तइयं कायजोगं णिरुभइ। से णं एएणं [पउत्तेणं उवाएणं पढमं मणजोगं णिरुभइ २ त्ता वयजोगं णिरुभइ २त्ता कायजोगंनिरंभइ कायजोगं निरंभइत्ता जोगनिरोहं करेइ, २ ता अजोगत्तं पाउणई, २ त्ता ईसिंहस्सपंचक्खरुच्चारणद्धाए असंखेज्जसमईयं अंतोमुहुत्तियं सेलेसिं पडिवज्जई, पुव्वरइयगुणसेडीयं च णं कम्मं तीसे सेलेसिमद्धाए असंखेज्जाहिं गुणसेढीहिं अणंते कम्मंसे खवेति वेयणिज्जाउयणामगोए ईच्चेते चत्तारि कम्मं से जुगवं खवेई, २त्ता Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्रवाई सूत्तं ९९ पोरालियतेयकम्माइंसव्वाहिं विप्पजहणाहिं विप्प. जहइ, २ त्ता उज्जूसेढीपडिवण्णे अफुसमाणगई उड्ढं एकसमएणं अविग्गहेणं [उड्ढ] गंता सागारोवउत्ते सिज्झई। तेणं तत्थ सिद्धाहवंति सादीया अपज्जवसिया असरीरा जीवघणा दंसणनाणोवउत्ता निहियष्ठा निरयणा नीरया णिम्मलवितिमिरा विसुद्धा सासयमणागयद्धं कालं चिट्ठति । से केण?णं भंते ! एवं वुच्चई 'ते णं तत्थ सिद्धा भवंति सादीया अपज्जवसिया जाव चिठ्ठति'? गोयमा ! से जहा णामए बीयाणं अग्गिदड्ढाणं पुणरवि अंकुरुप्पत्ती ण भवइ, एवामेव सिद्धाणं कम्मबीए दड्ढे पुणरवि जम्मुप्पत्ती ण भवई । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-ते णं तत्थ सिद्धा भवंति सादीया अपजवसिया जाव चिट्ठति । जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरं मिसंघयणे सिझति ? गोयमा ! वइरोसभणारायसंघयणे सिझंति । जीवा भंते ! सिझमाणा कयरंमि संठाणे सिझति ? गोयमा ! छण्हं संठाणाणं अण्णयरे संठाणे सिझति । Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ववाई सूतं जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि उच्चत्ते सिज्यंति ? गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरयणीए उक्को - से पंचधसइए सिज्यंति । जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि आउए सिज्यंति ? गोयमा ! जहणणेणं साइ रेगठ्ठवासाउए उक्को से पुव्वकोडियाउए सिज्यंति । थि णं भंते ! इमीसे रयण पहाए पुढवीए हे सिद्धा परिवसंति ? णो इट्ठे समठ्ठे, एवं जाव अहे सत्ताए । १.०० अस्थि भंते! सोहम्मस्स कप्पस्म अहे सिद्धा परिवसंति ? - णो इणठ्ठे समठ्ठे, एवं सव्वेसिं पुच्छा, ईसाणस्स सर्णकुमारस्स जाव अच्चुयस्स गेवेज्जवि. माणाणं श्रणुत्तरविमाणाणं । अस्थि णं भंते ! ईसोपभाराए पुढवीए अहे सिद्धा परिवसंति ?, णो इणठ्ठे समठ्ठे । से कहिं खाइ णं भंते! सिद्धा परिवसंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पहाए पुणवोए बहुसमर मणिजाओ भूमिभागाओ उड्ं चंदिमसूरियग्गहगणणक स्वततारा भवणाओ बहूई जोयणाइ, बहूई 'जोयणसयाई वहुईं जोयणसहस्साइं बहूइं जोयणसयसहस्साइं बहुओ जोयणकोडीओ बहुत्र जोय Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ‘उववाई सूक्तं १०१ णकोडाकोडीओ उड्ढतरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाण सणंकुमारमाहिंदखंभलंतगमहासुक्कसहस्साराणयपाणयारणच्चुय तिगिण य अट्ठारे गेविजविमाणावाससए वीईइत्ता विजयवेजयंतजयंतअपराजियसव्वठठसिद्धस्स य महाविमाणस्स सव्वउवरिल्लाअो थूभियग्गाश्रो दुवालसजोयणाई प्रवाहाए एत्थ णं ईसीपभारा णाम पुढवी परुणत्ता पणयालोसं जोयणसयसहस्साइं पायामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं [च ] सयसहस्साई तीसं च महस्स्साई दोरिण य अउणापण्णे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिरएणं। ईसीपम्भाराए णं पुढवीए बहुमझदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठ जीयणाई बाहल्लेणं, तयाणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणो २ सम्वेसु चरिमपेरंतेसु मच्छियपत्ताो तणुयतरा अंगुलस्स असंखेजइभोगं वाहल्लेणं पण्णत्ता । ईसीपम्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेजा पएणत्ता, तं जहा-ईसी इ वा ईसीपमारा इ वा तणू इ. वा तणुतणू इ वा सिद्धी इ वा सिद्धालय इ वा मुत्तिी.इ वा मुत्तालए ई वा लोयग्गे इ वा Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ उववाई सूत्तं लोयग्गथूभिला इ वा लोयग्गपडिवुझणा इवा सव्वपाणभूयजीवसत्तसुहावहा इ वा । ईसीपब्भारा णं पुढवी सेया संखतलविमलसोल्लियमुणालदगरयतुसारगोक्खीरहारवण्णा उत्ताणयछत्तसंठाणसंठिया सव्वजणसुवरणयमाई अच्छासण्हा लण्हा घट्टा मट्ठा गीरया णिम्मला णिपंकाणिकंकडच्छाया समरीचिया सुप्पभापासादीवा दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा। ईसीपम्भाराए णं पुढवीए सीयाए जोयणमि लोगते । तस्स जोयणस्स जे से उवरिल्ले गाउए तस्स णं गाउयत्स जे से उवरिल्ले छब्भागे तत्थ णं सिद्धा भगवंतो सादिया अपजवसिया अणेगजाइजरामरणजोणिवेयणं संसारकलंकलीभावपु. णन्भवगम्भवासवसहीपवंचं अइकंता सासयमणागयधं चिट्ठति । कहिं पडिहया सिद्धा? कहिं सिद्धा पइठिठ्या ? । कहिं बोंदि चइत्ता णं, कत्थ गंतुण सिझई ॥ १ ॥ अलोगे पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पडिट्टिया। इहबोंदि चइत्ता णं, तत्थ गंतूण सिझई ? ॥ २ ॥ जं संठाणं तु इहं भवं चयं तस्स चरिमसमयंमि । पासी य पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्त ॥३॥ Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उववाई सूत्तं १०३ दीहं वा हस्सं वा जं चरिमभवे हवेज संठाणं । तत्तो तिभागहीणं सिद्धाणोगाहणा भणिया ॥४॥ तिणि सया तेत्तीसा धणुत्तिभागो य होइ वोद्धव्वा। एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया ॥५॥ चत्तारिय रयणीअो रयणितिभागूणिया यबोद्धव्वा। एसा खलु सिद्धाणं मज्झिमोगाहणा भणिया। ६॥ एका य होइ रयणी साहीवा अंगुलाइ अट्ठ भवे । एसा खलु सिद्धाण जहण्णोगाहणा भणिया ॥७॥ श्रोगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होइ परिहीणा । संठाणमणित्थंथं जरामरणविप्पमुकाणं ॥८॥ जत्थ य एगोसिद्धोतत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का । अण्णोण्णसमोगाढा पुठ्ठा सव्वे य लोगंते ॥६॥ फसइ अणंते सिद्धे सव्वपएसेहि णियमसा सिद्धो। त वि असंखेनगुणा देसपएसेहिं जे पुट्टा ॥ १० ॥ असरीरा जीवघणा उवउत्ता दसणे य णाणे य । सागारमणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं ॥ ११ ॥ केवलणाणुवउत्ता जाणंहि सबभावगुणभावे । पासंति सव्वो खलु केवलदिट्ठीअणंताहिं ॥१२॥ णवि अत्थिमाणसाणं तंसोक्खंणविय सव्वदेवाणं। जं सिद्धाणं सोक्खं अव्वाबाहं उवगयाणं ॥ १३ ॥ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ उववाई सूत्तं जं देवाणं सोक्खं सम्बद्धापिंडियं अणंतगुणं । ण य पावइ मुत्तिसुहं णंताहिं वग्गवग्गूहि ॥ १४॥ सिद्धस्स सुहो रासो सव्वद्धापिंडिओ जइ हवेजा। सोणंतवग्गभइनो सव्वागासे ण माएजा ॥ १५ ॥ जह णाम कोइ मिच्छोणगरगुणे वहुविहेवियाणंतो। ण चएइ परिकहेउं उवमाए तहिं असंतीए ॥ १६ ॥ इय सिद्धाणं सोक्खं अणोवमंणत्थि तस्स प्रोवम्म। किंचि विसेसेणेत्तोप्रोवम्ममिणं सुणह वोच्छ॥१७॥ जह सव्वकामगुणियं पुरिसो भोत्तूण भोयणं कोई। तण्हाळुहाविमुको अच्छेज्ज जहा अमियतित्तो ॥१८॥ इय सव्वकालतित्ता अतुलं निव्वाणमुवगया सिद्धा। सासयमव्वाबाहं चिट्ठति सुही सुहं पत्ता ॥ १६ ॥ सिद्धत्ति य कुद्धत्ति य पारगयत्ति य परंपरगयत्ति । उम्मुक्ककम्मकवया अजरा अमरा असंगा य ॥२०॥ णिच्छिण्णसव्वदुक्खा जाइजरामरणबंधणविमुक्का । अव्वाबाहं सुक्खं अणुहोंती सासयं सिद्धा ॥ २१ ॥ अतुलसुहसागरगया अव्वाबाहं अणोवमं पत्ता । सव्वमणागयमद्धचिठ्ठति सुही सुहं पत्ता ।। २२ ॥ ® उववाइ उवंगं समत्तं छ . भं भवतु। . . Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीवन कार्यालय अजमेर के स्थाई ग्राहक और पत्र व्यवहार के नियम (१) स्थाई ग्राहक बनने की प्रवेश- फीस एक रुपया। (२) " माला " की पुस्तकें प्रकाशित होने पर १५ दिन पहले मूल्य आदि का "सूचना-पत्र" भेज देने के बाद ग्राहकों को २५) सैकड़ा कमीशन काट कर वी० पी० भेजी जाती है। (३) एक रुपया से कम की वी०पी० नहीं भेजी जायगी। (४) आर्डर भेजते समय स्पष्ट लिखना चहिए कि पुस्तके रेल से या डाक से किस प्रकार भेजी जाँय । (५) पुस्तके मंगाकर वापस करने पर नुकसान तथा डाक महसूल कुल ख़र्च मंगाने वाले से वसूल किया जावेगा, अतः ऑर्डर देने से पूर्व बहुत सोच समझ कर पुस्तके मङ्गानी चाहिये। (६) बैरङ्ग पत्र नहीं लिये जायेंगे और न पत्र के साथ भेजे हुए टिकटों की कोई जिम्मेदारी कार्यालय पर होगी। (७) ऑर्डर भेजते समय मुकाम, डाकखाना तथा जिला व रेलवे स्टेशन बहुत साफ, व स्पष्ट लिखना चाहिये। (८) यदि किसी वी० पी० में भूल जान पड़े तो उसे लौटाना नहीं चाहिये, वी० पी० छुड़ाकर हमें तुरन्त लिखें, भूल ठीक कर देंगे। नोट-हिन्दी की प्रायः सभी प्रसिद्ध २ प्रकाशकों की पुस्तके उचित मूल्य पर जीवन कार्यालय अजमेर में सदैव मिल सकेंगी। पत्र व्यवहार का पता - पंडित छोटेलाल यति जीवन कार्यालय ( तारघर के पीछे )अजमेर Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन धर्म में क्रान्ति फैलाने वाले ग्रन्थ 20 -UUUULocu दयादान प्रचारक पुस्तकें। इन पर कमीशन नहीं मिलेगा। 1 अनुकम्पा विचार ) 21 अस्तेय व्रत 2 परदेशी राजा 1) 12 सत्य व्रत 3 आदर्श क्षमा -) // 23 सुबाहु कुमार 4 अर्जन माली राधेश्याम तर्जमें]2) 24 अहिंसा व्रत 5 नंदन मणीहार ) // 25 वैधव्य दीक्षा 6 प्रार्थना -) 26 ब्रह्मचर्यव्रत 7 सुदर्शन -) 27 धर्म व्याख्या 8 मदनरेखा -) 28 सनाय-अनाथ निर्णय 9 चूलणी पिता -) 29 सम्डाल पुत्र की कथा 10 जैनधर्म में मातृ पितृ सेवा - 30 तीर्थकर चरित्र प्र. भा० ) 11 परिचय [दयादान विचार] =) 31 द्वि० भा० =) 12 शालीभद्र चरित्र 3 भाग ) 32 सत्यमूर्ति हरिश्चन्द्रतारा 13 मिलके वस्त्र और जैन धर्म -) 33 रुक्मणी विवाह 14 जिनरिख जिनपाल 34 खादी और जैनधर्म 15 मेघकुमार 1-) 35 स्मृति श्लोक 16 सामाइक और धर्मोपकरण -) 36 जैनधर्मशिक्षावली भा० ७व 118) 17 नमिराज ऋषि भेंट 37 सती राजमती 18 तेरापंथल सुजानगढ़ में चरचा)॥ 38 परिग्रह व्रत (छपेगा) 19 सद्धर्म मण्डन // ) 39 साधारण पाठ्य पुस्तक 20 चित्रमय अनुकम्पा विचार 1 // ) 40 नंदीसूत्र मूल पाठ UUUUU-= सोषि पत्र व्यवहार का पता पं० छोटेलाल यति रांगड़ी चौक, बीकानेर