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________________ उववाई सूत्तं ३९ जिणदंसणुस्सुयागमणजणियहासा पालगपुप्फगसोमणसमिसिरिवच्छणंदियावत्तकामगमपीइगममणोगमविमलसव्वोभद्दसरिसणामधेज्जेहिं विमाणेहिं भोइरणा वंदगा जिणिदंमिगमहिसवराहछगलदद्दुरहयगयवइभुयगखग्गउसभंकविडिमपागडियचिंधमउडा पसिढिलवरमउडतिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा मउडदित्तसिरया रत्ताभा पउमपम्हगोरा सेया सुभवण्णगंधफासा उत्तमवेउब्विणो विवहवस्थगंधमल्लधारी महिडिढया महज्जुतिया जाव पंजलिउडा पज्जुवासंति [ ]॥ __ (सू० २७) तएणं चंपाए णयरीएसिंघाडगतिगच. उकचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु महया जणस हे इ वा [ ] जणवूहे इ वाजणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मीतिवा जणुक्कलिया इ वा जणसरिण वाए इवा बहुजणोअण्णमएस्स एबमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं पख्वइ-"एवं खलु देवाणप्पिया ! समणे भगवं महावीरे प्राइगरे तित्थगरे सयंसंबुद्धे पुरिसुत्तमे जाव संपाविउकामे पुव्वाणुपुर्दिवं चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे इहमागए इहसंपत्ते इह समोसढे इहेव चंपाए णयरीए पाहिं पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गि
SR No.022612
Book TitleUvavai Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChotelal Yati
PublisherJivan Karyalay
Publication Year1936
Total Pages110
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size8 MB
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