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________________ वाई सूतं सव्वत्र समंता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्लामो, पंचाणुव्व इयं सत्तसिक्खावइयं दुवाल - सविहं गिहिधम्मं पडिबज्जिस्सामो, पेगइया जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइया जीयमेयंति कट् टुएहाया कयबलिकम्मा कयको उयमंगलपायच्छित्ता [ ] सिरसाकंठेमाल कडा श्रविद्धमणिसुवरणा कप्पियहारद्धहार तिसरयपालंबपलंब माणकडिसुत्तय सुकयसोहा भरणा पवरवत्थपरिहिया [ ] चंदणोलित्तगायसरीरा अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रहगया सिबियागया संद्माणियागया अपेगइया पायविहारचारेणो पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता [ ] महया उक्ति सीहणायबोलकलकल र वेणंपक खुब्भिय महासमुद्दरवभूयं पिवकरेमाणा [ ] चंपारणयरीए मज्मज्येणं णिग्गच्छति २ त्ता जेणेव पुरणभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छति २त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स दूर सामंते छत्तादीए तित्थयराइसेसे पासंति पासित्ता जाणवाहणारं ठावइति [ ] २ त्ता जाणवाहणे हितों पचोरुहंति पश्चोरुहिता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो याहिणं पयाहिणं करेंति, करिता वंदति णमंसंति, वंदिता ४१
SR No.022612
Book TitleUvavai Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChotelal Yati
PublisherJivan Karyalay
Publication Year1936
Total Pages110
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size8 MB
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