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________________ उबवाई सूतं तए वा णो चेव णं सिणाइत्तए । अम्मडस्स कप्पइ मागहए य आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, सेऽवियवमाणए जाव दिन्ने णो चेव णंत्रदिणे, सेऽवि - य सिणाइत्तए णो चेव णं हत्थपायचरुचम सपक्खाargure पिवित्तए वा । ८० अम्मडस्स णो कप्पइ रणउत्थिया वा अण्णउत्थियदेवयाणि वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेइयाई वंदित्तए वा णमंसित्तए वा जाव पज्जुवासितएवा, णरणत्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाई वा । अम्मडे णं भंते ! परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! अम्मडे णं परिव्वायए उच्चावएहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाई समणोवासयपरियायं पाऊणिहिति, २ त्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं भूमित्ता सहिं भत्ता असणाए छेदित्ता आलोइयपडिते समाहिपत्ते कालमासे कालं किचा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिंति । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं अम्मडस्स वि देवस्स दस सागरोवमाई ठिई |
SR No.022612
Book TitleUvavai Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChotelal Yati
PublisherJivan Karyalay
Publication Year1936
Total Pages110
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size8 MB
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