Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री दशवैकालिक सूत्र ॥श्री आगम-गुण-मञ्जूषा॥ ॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11 (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE | ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय | ११ अंगसूत्र के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८० श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है। करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है। धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२ १२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory OG5555555555555555555555555555555555555555555555553535959595959OLICE Gan Education Interna rnww.iainelibrary.orp) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KGRO १०C) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबंधित बड़े ग्रंथो का सार है। उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। छह छेद सूत्र (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है। अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि से करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। चार मूल सूत्र १) श्री दशवैकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए र तिवाक्या व, विवित्तचरिया नाम से दी हैं। इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। २) श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। International 2010 03. 乐乐乐乐乐乐出乐城 ३) श्री निर्युक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ निर्युक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं। पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताई हैं । ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं । ४) श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बड़े सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रातः एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ श्री आगमगुणमंजूषा I २) श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गई है। अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पडती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम् ॥ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOX ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶KK Introduction 45 Agamas, a short sketch YURALSEA PERLA RADIO Quan Bài 3 Bà Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là 35 3 3 20 It is of the size of around 800 Ślokas. (8) Antagaḍa-daśānga-sutra: It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vṛṣṇi, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akṣobhakumāra, 6 sons of Devaki, Gajasukumara, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Kṛṣṇa, 8 queens like Rukmiņi. It is available of the size of 800 Ślokas. (9) Anuttarovavayi-daśānga-sūtra : It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimāna, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumara and other 9 princes of king Śrenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Apagara, etc. It is of the size of 200 Ślokas. I Eleven Angas: (1) Acărănga-sutra: It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 Ślokas. (2) Suyagaḍānga-sutra: It is also known as Sūtra-Kṛtānga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 Ślokas. (3) Thapanga-sutra: It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 Slokas. (4) Samaväyänga-sutra: This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 slokas. (5) Vyakhyā-prajñapti-sūtra : It is also known as Bhagavati-sūtra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 Ślokas. (6) Jäätädharma-Kathānga-sutra: It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 Ślokas. SEVEN A (7) Upāsaka-daśānga-sutra: It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahāvīra, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. (10) Praśna-vyākaraṇa-sūtra: It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahavira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 Ślokas. Vipaka-sūtranga-sutra: It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 Ślokas. (11) II Twelve Upangas (1) Uvavayi-sutra: It is a subservient text to the Acaranga-sutra. It deals with the description of Campă city, 12 types of austerity, procession-arrival of Konika's marriage, 700 disciples of the monk Ambaḍa. It is of the size of 1000 slokas. (2) Rayapaseni-sutra: It is a subservient text to Suyagaḍanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 Ślokas. www.jainelibrary Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ShhhhĀMhMMMMMMMMMMMÁR ૪૫ આગમ સરળ અગ્રજી ખાવાથ (3) Jivabhigama-sutra: It is a subservient text to Thaṇānga-sūtra. It deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambu continent and its areas, etc. and the detailed description of the veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, etc. published recently are composed on the line of the topics of this Sūtra and of the Pannavaṇa-sutra. It is of the size of 4700 slokas. (4) Pannāvaṇā-sūtra : It is a subservient text to the Samavāyāngasūtra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 Ślokas. (5) Surya-prajñapti-sūtra and (6) Candra-prajñapti-sutra: These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, northward and the southward solstices, etc. Each one of these Agamas are of the size of 2200 Ślokas. (7) Jambudvipa-prajñapti-sūtra: It mainly deals with the teaching of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners (āra). It is available in the size of 4500 Slokas. Nirayavali-pancaka: (8) Nirayavali-sütra: It depicts the war between the grandfather and the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death of king @renika's 10 sons who attained hell after death. This war is designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpiņi) age. (9) Kalpavatamsaka-sutra: It deals with the life-sketches of Kalakumara and other 09 princes of king Śrenika, the life-sketch of Padamakumpra and others. (10) Pupphiya-upanga-sutra: It consists of 10 lessons that covers the topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikă, Pūrṇabhadra, Manibhadra, Datta, Sila, Bala and Anaḍdhiya. (11) Pupphaculiya-upanga-sutra: It depicts previous births of the 10 queens like Sridevi and others. (12) Vahnidaśā-upanga sutra: It contains 10 stories of Yadu king Andhakavṛṣṇi, his 10 princes named Samudra and others, the tenth Cain Education International 2010 03 JARNANAK one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişaḍha. JARD DA DA DA DA DAS III Ten Payanna-sutras : (1) Aurapaccakhāṇa-sūtra : It deals with the final religious practice and the way of improving (the life so that the) death (may be improved). (2) Bhattaparinna-sūtra : It describes (1) three types of Pandita death, (2) knowledge, (3) Ingini devotee (4) Padapopagamana, etc. (4) Santharaga-payanna-sutra: It extols the Samstaraka. ** These four payannas can also be learnt and recited by the Jain householders. ** (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It describes what amount of food an individual soul will eat in his life of 100 years, the human life can be justified by way of practising a religious life. (6) Candavijaya-payanna-sutra: It mainly deals with the religious practice that improves one's death. (7) Devendrathui-payanna-sūtra : It presents the hymns to the Lord sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. (8) Maraṇasamadhi-payanna-sūtra : It describes at length the final religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing with death. (9) Mahāpaccakhāṇa-payanna-sūtra : It deals specially with what a monk should practise at the time of death and gives various beneficial informations. (10) Gaṇivijaya-payanna-sutra: It gives the summary of some treatise on astrology. These 10 Payannās are of the size of 2500 Ślokas. Besides about 22 Payannās are known and even for these above 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra is taken, by some, in place of the Candavijaya of the 10 Payannās. Only « KAAKAKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKOYOX www.jainelibrary.o Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKOK YU BALLU BURU VERLO PLA Xoxo (1) (2) IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra. These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas. Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. * It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 ślokas. ** ********* V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana. 明明明明明明明明明與乐乐乐为历历明明明明明明明明兵兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐乐玩玩乐乐明步兵兵玩乐乐乐恩 * O YOK LOXOV L FT STATUTEUT- O 20:10 03 www.ainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ અધ્યયન ચૂલિકા ઉદ્દેશક મૂલપાઠ પથસૂત્ર ગદ્યસૂત્ર આગમ - ૪૧ ચરણાનુયોગમય દશવૈકાલિક સૂત્ર - ૪૧ ર ૧૪ ७०० ૫૧૪ ૩૧ સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ શ્લોક પ્રમાણ (૧) અધ્યયન : દ્રુમપુષ્પિકા આમાં ધર્મનું સ્વરૂપ અને લક્ષણ તથા શ્રમણોની માધુકરી વૃત્તિનું વર્ણન છે. (૨) અધ્યયન : શ્રામણ્યપૂર્વક ૧૧ ગાથાના આ અધ્યયનમાં શ્રમણ, ત્યાગી, કામ-રાગ નિવારણ, મનોનિગ્રહના સાધનો, અગંધન કુળના સાપ, રથનેમિનું સંયમમાં સ્થિરીકરણ વગેરે વર્ણન છે. (૩) અધ્યયન : સુલકાચાર – કથા આમાં નિગ્રંથના અનાચારોનું નિરૂપણ કરીને નિગ્રંથનું સ્વરૂપ અને ઋતુચર્યા, સંયમ સાધનાનું ફળ વગેરે વર્ણન છે. 出版 (૪) અધ્યયન : ષડ્ જીવ-નિકાય આમાં છ જીવ - નિકાય (જીવસમૂહ)નો નામ નિર્દેશ, પ્રકારો અને લક્ષણ આપીને જીવવધ ન કરવાનો ઉપદેશ, પાંચ મહાવ્રતો અને રાત્રિભોજન- વિરમણ વ્રત, ચતના, ઉપદેશો અને ધર્મફળ સંબંધી વર્ણન છે. (૫) અધ્યયન : પિંડેષણ (૧) ગવેષણા ઉદ્દેશક - આ ઉદ્દેશમાં ભોજન, પાણી વગેરેની ગવેષણા (શોધ), ગ્રહણૈષણા માં ભક્તપાન લેવાના વિધિનિષેધ, તથા ભોગૈષણામાં ભોજનની અપવાદવિધિઓ આપીને અંતે મુધા-દાયી અને મુધા- જીવીની દુર્લભતા અને એમની ગતિ વર્ણવી છે. (૨) પિંડૈષણા ઉદ્દેશક – આ ઉદ્દેશમાં એઠું ન રાખવાનો આદેશ, અકાળ ભિક્ષાચારી શ્રમણને ઠપકો, આગળો–ભોગળ વગેરેને ઓળંગવાનો નિષેધ તથા રસલોલુપતા અને તેના દુષ્ટ પરિણામો, મદ્યપાન-નિષેધ, ચોરીછુપીથી મદિરાપાનનો નિષેધ, ગુણાનુપ્રેક્ષીની સાધના અને આરાધનાનું નિરૂપણ, તપશ્ચર્યાના બળે માયા- જૂઠાણું વગેરેના નિષેધ અને તે તે કરવાથી હાનિ વગેરે વર્ણવીને સમાચારીને સમ્યક્ પાલનનો ઉપદેશ આપ્યો છે. (૬) અધ્યયન : મહાયાર-કથા - આ અધ્યયનમાં નિગ્રંથના આચારના ૧૮ સ્થાનોનું વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે :- (૧) અહિંસા, (૨) સત્ય, (૩) અચૌર્ય (અસ્તેય - ચોરી ન કરવી), (૪) બ્રહ્મચર્ય, (૫) અપરિગ્રહ, (૬) રાત્રિભોજનનો ત્યાગ, (૭-૧૨) પૃથ્વી – અપ્⟨જલ) - તેજ - વાયુ - વનસ્પતિ - ત્રસકાયિકોની યતના, (૧૩) અકલ્પ્ય (અકલ્પનીય વસ્તુ લેવાનો નિષેધ), (૧૪) ગૃહિ-ભોજન (ગૃહસ્થના પાત્ર), (૧૫) પર્યંક (આરાન, પલંગ વગેરે), (૧૬) નિષદ્યા, (૧૭) સ્નાન અને (૧૮) વિભૂષા (આભૂષણ) વર્ઝન વગેરેનું વર્ણન છે. અંતે આચારનિષ્ઠ શ્રમણની ગતિ વર્ણવીને ઉપસંહાર કરવામાં આવ્યો છે. (૭) અધ્યયન : વાક્યશુદ્ધિ (ભાષા-વિવેક) આમાં અવાચ્ય સત્ય, સત્યાસત્ય, મૃષા અને અનાચીર્ણ વ્યવહાર ભાષાના ચાર પ્રકારોના વિધિ- નિષેધ તેમજ ગાય, વૃક્ષ, ઓષધિ (અનાજ), શંખડી વગેરે વિષે સાવદ્ય પ્રવૃત્તિથી બોલવાનો નિષેધ, મેઘ, આકાશ, રાજા અને પવન માટે અભિલાષાત્મક ભાષા બોલવાનો નિષેધ, આમ ભાષાવિષયક વિધિ-નિષેધો આપીને અંતે પરીક્ષ્યભાષી વિચારીને બોલનાર)ને પ્રાપ્ત થતા ફળનું વર્ણન છે. श्री आगमगुणमंजूषा ५३ 高 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TO સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ (૮) અધ્યયન : આચાર – પ્રણિધિ આમાં ષડ્જવ-નિકાયની યતનાવિધિ, આઠ સૂક્ષ્મ સ્થાનો, પ્રતિલેખન અને પ્રતિષ્ઠાપનનો વિવેક, ખાન-પાન સંગ્રહનો નિષેધ, ભોજન- લોભ અને અપ્રાસુ - ભોજનનો નિષેધ, કષાયના પ્રકારો અને તેનો ત્યાગ, વિનય આચાર, ચાર ઈન્દ્રિય સંયમ, સ્ત્રીની ભયાનકતા, પુરાકૃત મલવિશોધન ઉપાય વગેરે આચારોનું પ્રણિધાન કરવામાં આવ્યું છે. (૯) અધ્યયન : વિનય / સમાધિ (૧) વિનય ઉદ્દેશક – આ ઉદ્દેશમાં વિનયથી પ્રાપ્ત થતી માનસિક સ્વસ્થતાનું વર્ણન છે. (૨) સમાધિ ઉદ્દેશક - આમાં અવિનીત (અવિનયી)ની આપત્તિઓ અને સુવિનીત (વિનયી)ની સંપદાઓ જણાવી અંતે અવિનયીને મોક્ષ અશક્ય ,જ્યારે વિનયકોવિદ (વિનય ને જાણનાર)ને મોક્ષની સુલભતા દર્શાવી છે. (૩) વિનય-સમાધિ ઉદ્દેશક - આમાં પૂજ્યના લક્ષણ, તેમની અહંતા (યોગ્યતા)નો ઉપદેશ, તેમના પ્રત્યે નમ્રતા, વંદનશીલતા, આજ્ઞાપાલક્તા વગેરે બાબતો જણાવીને અંતે ગુરુની પરિચર્યા અને તેનું ફળ બતાવવામાં આવ્યું છે. (૪) ઉદ્દેશક - આમાં સમાધિના વિનય, શ્રુત, તપ અને આચાર એમ ચાર પ્રકારો તેમજ તે પ્રકારના ચાર-ચાર પેટા પ્રકારો વર્ણવીને તે બધાની આરાધના અને તેનું ફળ બતાવવામાં આવ્યાં છે. (૧૦) અધ્યયન : સભિક્ષુ આ અધ્યયનના આરંભમાં ચિત્તસમાધિ, સ્ત્રી-મુક્તતા, ભોગોનું અનાસેવન, કષાય ત્યાગ, ધ્રુવ-યોગિતા, અકિંચનતા, શ્રામણ્ય-રતતા, નિઃસંગતા, ઉછચારિતા (વીણીને ખાવું) વગેરેનું વર્ણન કરી અંતે ભિક્ષુની ગતિનું નિરૂપણ છે. (૧) રતિવાક્યા ચૂલિકા ( તેની પ્રથમ ચૂલિકામાં સંયમમાં અસ્થિર થયેલાને સ્થિર કરનારો ૧૮ સ્થાનોનું અવલોકનનો ઉપદેશ, ભોગના માટે સંયમ-ત્યાગ કરનારના ભવિષ્યની અનિશ્ચિતતા, પશ્ચાત્તાપપૂર્ણ મનોવૃત્તિનું નિરૂપણ, ભોગાસક્તિથી નીપજતા કુફળ, સંયમમાં મનને સ્થિર કરવાનું ચિંતનસૂત્ર અને અંતે માનસિક સંકલ્પનું નિરૂપણ છે. (૨) વિવિક્તચર્ચા ચૂલિકા : આ ચૂલિકામાં વિવિક્ત (અલગ-અલગ) ચર્ચાનો ઉપદેશ છે. સાધુને માટે ચર્ચા તેમજ ગુણો અને આવશ્યકતા, અનિકેતવાસ વગેરેની ચર્યા, ભિક્ષા-વિશુદ્ધિના અંગો, એકાકી વિહાર, ચાતુર્માસ અને માસ૫, આત્મનિરીક્ષણ આત્મરક્ષાનો ઉપદેશ તેમજ અરક્ષિત અને સુરક્ષિત આત્માની ગતિનું નિરૂપણ છે. 行 श्री आगमगुणमंजूषा ५४ 555555555CR Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOROF55fffffff १४१) ११) ओहनिम्नुत्ति (२) पिंडनिज्जुत्ति (बीअं मूलमुत्त) [१] seasy TSC虽听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听后 सिरि उसहदेवसामिस्सणमो। सिरिगोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स। सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो। सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। श्रीओघनियुक्ति:-मनमो अरहताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्जायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं 'एसो पंचनमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं, पढम होइ मंगलं ॥१॥ (दुविहोवक्कमकालो सामायारी अहाउयं चेव । सामायारी तिविहा ओहे दसहा पयविभागे॥१२॥ नवमयपच्चक्खाणाभिहाणपुव्वस्स तइयवत्थूओ। वीसइमपाहुडाओ लओ इहानीणिया जइया ।।२।। सो उ उवक्कमकालो तयत्थनिविग्घसिक्खणत्थं च । आईय कयं चिय पुणो मंगलमारंभये तं च ||३|| प्रमेय (पक्खेव माहा - ३१) अरहते वंदित्ता चउदसपुव्वी तहेव दसपुव्वी। एक्कारसंगसुत्तत्थधारए सव्वसाहू य॥१॥ ओहेण उ निज्जुत्ति वुच्छं चरणकरणाणुओगाओ। अप्पक्खरं महत्थं अणुग्गहत्थं सुविहियाणं ॥२।। जुम्मं । ओहे पिंड समासे संखेवे चेव होति एगठ्ठा । निज्जुत्तत्ति य अत्था जं बद्धा तेण निज्जुत्ती॥१★★★भाष्यं (भास गाहा - ३२२)|| वय समणधम्म संजम वेयावच्चं च बंभगुत्तीओ। नाणाइतियं तव कोहनिग्गहाई चरणमेयं सा पिंडविसोही समिई भावण पडिमा य इंदियनिरोहो। पडिलेहण गुत्तीओ अभिग्गहा चेव करणंतु ॥३|| चोदगवयणं छठ्ठी संबंधे कीसन हवइ विभत्ती ? । तो पंचमी उ भणिया किमत्थि अन्नेऽवि अणुओगा? |४|| चत्तारि उ अणुओगा चरणे धम्म गणियाणुओगे य । दवियागुजोगे य तहा अहक्कम ते महिड्ढीया ।।५।। सविसयबलवत्तं पुण जुज्जइ तहविअ महिडिढअं चरणं । चारित्तरक्खणठ्ठा जेणिअर तिन्नि अणुओगा ॥६॥ चरणपडिवत्तिहेउं धम्मकहाकालदिक्खमाईआ। दविए दंसणसुद्धी दंसणसुद्धस्स चरणं तु ॥७|| जह रण्णो विसएसुं वयरे कणगे अ रयय लोहे अ । चत्तारि आगरा खलु चउण्ह पुत्ताण ते दिन्ना ।।८॥ चिंता लोहागरिए पडिसेहं सो उकुणइ लोहस्स। वयराईहि अगहणं करिति लोहस्स तिन्नियरे।।९।। एवं चरणमि ठिओ करेइगहणं विहीइ इयरेसिं। एएण कारणेणं हवह उचरणं महड्ढीअं ।।१०।। अप्पक्खरं महत्थं महक्खरऽप्पत्थ दोसुऽवि महत्थं । दोसुऽवि अप्पं च तहा भणिअं सत्यं चउविप्पं ॥१॥ सामायारी ओहे नायज्झयणा य दिठ्ठिवाओ य । लोइअकप्पासाई अणुक्कमा कारगा चउरो |२|| बालाईणऽणुकंपा संखडिकरणंमि होअगारीणं । ओमे य बीयभत्तं रण्णा दिन्न जयवयस्स ।।३।। भ० । एवं थेरेहिं इमा अपावमाणाण पयविभागं तु । साहूणऽणुकंपठ्ठा उवठ्ठा ओहनिज्जुत्ती ॥४॥ भाष्यं ।। पडिलेहणं च पिंड उवहिपमाणं अणाययणवज । पडिसेवणमालोअण जह य विसोही सुविहियाणं ॥३॥ आभोग मग्गण गवेसणा य ईहा अपोह पडिलेहा । पेक्खण निरिक्खणाविय आलोय पलोयणेगठ्ठा ||४|| पडिलेहओ य पडिलेहणा य पडिलेहियव्वयं चेव । कुंभाइसुजह तितयं परूवणा एवमिहयंपि ।।५।। एगो व अणेगो वा दुविहा पडिलेहगा समासेणं । ते दुविहा नायव्वा निक्कारणिआ य कारणिआ ||६|| असिवाई कारणिआ निक्कारणिआ य चक्कथूभाई । तत्थेगं कारणिअं वोच्छ ठप्पा उ तिन्नियरे॥७॥ असिवे ओमोयरिए रायभए खुहिअ उत्तमढे अ । फिडिअ गिलाणाइसए (प्र० णे अद्धसेस) देवया चेव आयरिए ॥८॥ संवच्छरबारसरण होही असिवंति ते तओ णिति । सुत्तत्थं कुव्वंता अइसयमाईहिं नाऊण ॥१५|| भा० । अइसेस देवया वा निमित्तगहणं सयं व सीसो वा । परिहाणि जाव पत्तं निग्गमणि गिलाणपडिबंधो॥६|| संजयगिहितदुभयभद्दिआ य तह तदुभयस्सवि अ पता। चउवज्जण वीसु उवस्सए य तिपरंपराभत्तं ।।७।। असिवे सदसं वत्थं लोहं लोणं च तहय विगईओ। एयाई वजिज्जा चउवज्जणयंति जं भणिअं ॥८॥ उव्वत्तण निल्लेवण बीहंते अणभिओगऽभीरू य । अगहिअकुलेसु भत्तं गहिए दिठ्ठि परिहरिज्जा ।।९।। पुव्वाभिग्गहवुड्ढी विवेग संभोइएसु निक्खिवणं । तेऽविय पडिबंधठिआ इयरेसु बला सगारदुगं ।।२०।। कूयंते अब्भत्थण समत्थभिक्खुस्स णिच्छ तद्दिवसं । जइ विदघाइभेओ ति दु वेगो जाव लाउवमा ||१|| संगारो रायणिए आलोयण पुव्व पत्त पच्छा वा । सोममुहिकालरत्तच्छऽणंतरे एक्कों दो विसए ।।२।। एमेव य ओमम्मिवि भेओ उ अलंभि सौन्य :- प.पू. साध्वीश्री भुडितश्री म.सा. ना शिष्या प.पू. साध्वीश्रीलक्ष्मीश्री म.सा. नीराथी श्री शत्रुश्य - भुति - विरण्टु - रत्नत्रयी ट्रस्ट Education Internatiool-30202-rrrrrrrrrrrrructure श्री आगमगणमंजषा-१५७०4 5 555555555555555555555557:OF Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२] (४१) ओहनिज्जुत्ति गोणिदिठ्ठतो । रायभयं च चउद्धा चरिमदुगे होइ गणभेओ || ३ || निव्विसऊत्तिय पढमो बिइओ मा देह भत्तपाणं तु (प्र० से) । तइओ उवगरणहरो जीवचरित्तस्स वा भेओ ||४|| अहिमर अणिठ्ठ दरिसणवुग्गाहणया तहा अणायारे । अवहरण दिक्खणाए व आणालोवे व कुप्पिज्जा ||५|| अंतेउरप्पवेसो वार्याणिमित्तं व सो पउस्सेज्जा । खुभिए मालुज्जेणी पलायणं जो जओ तुरियं ॥ ६ ॥ तस्स पंडियमाणिस्स, बुद्धिल्लस्स दुरप्पणो । मुद्धं पाएण अक्कम्म, वाई वाउरिवागओ || ७ || निज्जवगस्स सगासं असई एगाणिओ व गच्छिज्जा । सुत्तत्थपुच्छगो वा गच्छे अहवाऽवि पडिअरिउं ||८|| फिडिओ व परिरएणं मंदगई वावि जाव न मिलिज्जा। सोऊणं व गिलाणं ओसहकज्जे असई एगो || ९ || अइसेसिओ व सेहं असई एगाणियं पठावेज्जा (प्र० पयट्टेज्जा) । देवय कलिंग रूवणा पारणए खीर रूहिरं च ||३०|| चरिमाए संदिठ्ठो ओगाहेऊण मत्तए गंठी । इहरा कयउस्सग्गो परिच्छ आमंतिआ सगणं || १ || गच्छेज्ज को णु ? सव्वेऽवऽणुग्गहो कारणाणि दीविता । अमुओ एत्थ समत्थो अणुग्गहो उभय किइकम्मं ||३२|| भाष्यं । पोरिसिकरणं अहवावि अकरणं दोच्चऽपुच्छणे दोसा । सरण सुय साहु सन्ती अंतो बहि अन्नभावेणं ||९|| बोहण अप्पडिबुद्धे गुरूवंदण घट्टणा अपडिबुद्धे । निच्चलणिसण्णझाई दटुं चिठ्ठे चलं पुच्छे ||१०|| अप्पाहि अणुन्नाओ ससहाओ नीइ जा पहायंति। उवओगं आसण्णे करेइ गामस्स सो उ || १ || हिमसावयभया दारा पिहिया पहं अयाणंतो। अच्छइ जाव पभायं वासियभत्तं च से वसभा ||२|| ठवणकुल संखडीए अणहिंडते सिणेहपयवज्जं । भत्तठ्ठिअस्स गमणं अपरिणए गाउयं बहइ || ३ || अत्थंडिलसंकमणे चलवक्खित्तऽणुवउत्तसागरिए । पडिवक्खेसु उ भयणा इयरेण विलंबणं लोगं ||४|| पुच्छाए तिण्णि तिआ छक्के पढम जयणा तिपंचविहा । आउम्मि दुविह तिविहा तिविहा सेसेसु काए || ५ || पुरिसो इत्थि नपुंसगं एक्क्को थेर मज्झिमो तरूणो । साहम्मिअन्नधम्मिअमिह्त्यदुग अप्पणा तइओ || ६ || साहम्मिअपुरिसासइ मज्झिमपुरिसं अणुण्णविअ पुच्छे । सेसेसु होति दोसा सविसेसा संजईवग्गे ||७|| थेरो पहं न याणइ बालो पवंचे न याणई वावि । पंडित्थिमज्झ संका इयरें न याणंति संकाय ||८|| पासठ्ठिओ य पुच्छेज्ज वंदमाणं अवंदमाणं वा । अणुवइऊण व पुच्छे हिक्कं मा य पुच्छेना ||९|| पंथब्भासे य ठिओ गोवाई मा य दूरि पुच्छिज्जा | संकाईया दोसा विराहणा होइ दुविहा उ ||२०|| असई मज्झिमथेरो दढस्सुई भद्दओ य जो तरूणो । एमेव इत्थिवग्गे नपुंसवग्गे य संजोगा || १ || एत्थं पुण संजोगा होति अणेगा विहाणसंगुणिआ । पुरिसित्थिनपुंसेसुं मज्झिम तह थेर तरूणेसुं ॥२॥ तिविहो पुढविक्काओ सच्चित्तो मीसओ अ अच्चित्तो । एक्केक्को पंचविहो अच्चित्तेणं तु गंतव्वं ॥ ३॥ सुक्कोल्ल उल्लगमणे विराहणा दुविह सिग्गखुप्पंते । सुक्कोवि य धूल ते दोसा भट्ठिए गमणं ||४|| तिविहो उ होइ उल्लो महुसित्थो पिंडओ य चिक्खल्लो। लत्तपहलित्त उड्डु खुप्पिज्जइ जत्थ चिकिखल्लो ||३३|| भाष्यं | पच्चावाया वालाइ सावया तेण कंटगा मेच्छा । अक्कंतमणक्कंते सपच्चवाएयरे चेव ||५|| तस्सासइ धूलीए अक्कंत निरच्चएण गंतव्वं । मीसगसच्चित्तेसुऽवि एस गमो सुक्कउल्लाइं ॥६॥ उडुबद्धे रयहरणं वासावासासु पायलेहणिआ। वड उंबरे पिलंखू तस्स अलंभंमि चिचिणिआ ||७|| बारसअंगुलदीहा अंगुलमेगं तु होइ विच्छिन्ना । घणमसिणनिव्वणाविअ पुरिसे पुरिसे य पत्तेयं ॥८॥ उभओ नहसंठाणा सच्चित्ताचित्तकारणा मसिणा । आउक्काओ दुविहो भोमो तह अंतलिक्खो य ॥९॥ महिआवासं तह अंतरिक्खिअं दट्टु तं न निग्गच्छे। आसन्नाओं नियत्तइ दूरगओं घरं च रूक्खं वा ॥ ३०॥ सभए वासत्ताणं अच्चुदए सुक्खरूक्खचडणं वा । नइकोप्परवरणेणं भोमे पडिपुच्छिआ गमणं ||१|| नेगंगिपरंपर (चलथिर) पारिसाडिसालंबवज्जिए सभए । पडिवक्खेण उ गमणं तज्जाइयरे व संडेवा ||२|| चलमाणमणक्कंते सभए परिहरिअ गच्छ इयरेणं । दगसंघट्टणलेवो पमज्ज पाए अदूरंमि ||३|| पाहाणे महुसित्थे वालुअ तह कद्दमे य संजोगा । अक्कंतमणक्कंते सपच्चवाएयरे चेव ||४|| जंघद्धा संघट्टो नाभी वो परेण लेवुवरिं । एगो जले थलेगो निप्पगले तीरमुस्सग्गो || ३४ || भा० । निभएऽगारित्थीणं तु मग्गओ चोलपट्टमुस्सारे । सभए अत्यग्धे वा ओइण्णेसुं घणं पट्टं ॥ ५॥ दगतीरे ता चिठ्ठे निप्पगलो जाव चोलपट्टो उ। सभए पलंबमाणं गच्छइ कारण अफुसंतो ||६|| असइ गिहि नालियाए आणक्खेउं पुणोऽवि पडियरणं । एगाभोग पडिग्गह केई सव्वाणि न य पुरओ ||७|| सागारं संवरणं ठाणतिअं परिहरित्तुऽनाबाहे (नावाए) । ठाइ नमोक्कारपरो तीरे जयणा इमा होइ ||८|| नवि पुरओ नवि मग्गओं मज्झे उस्सग्ग पण्णवीसाउ । दइउद (डु) यतुंबेसु अ एस विही होइ संतरणे ||९|| वोलिणे अणुलोमे पडिलोमऽद्देसु ठाइ तणरहिए । असई MOTOR श्री आगमगुणमंजूषा १५७८ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10.055555555555明 (७१) ओहनिज्जतिस 明$$$$$$$FFFFORE 555g E9O$$$$$贝贝乐乐明明明明明明明明明明明明明 乐乐乐乐乐乐共乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐%乐乐乐乐% य गत्तिणंतगउल्लत्तलिगाइडेवणया।॥४०॥जह अंतरिक्खमुदए नवरि निअंबे य वणनिगुंजे य । ठाणं सभए पाउण घणकप्पमलंबमाणं तु ॥४॥ तिविहो वणस्सई खलु परित्तऽणतो थिराथिरेक्केक्को । संजोगा जह हेठ्ठा अक्कंताई तहेव इह ||शा तिविहा बेदिय खलु थिरसंघयणेयरा पुणो दुविहा । अर्कताई य गमो जाव उ पंचिंदिआ नेआ ||३|| पुढविदए य पुढविए उदए पुढवि तस वाल कंटा य । पुढविवणस्सइकाए ते चेव उ पुढबिए कमणं ॥४|| पुढवितसे तसरहिए निरंतरतसेसु पुढविए चेव । आउवणस्सइकाए वणेण नियमा वणं उदए ।।५।। तेऊवाउविहूणा एवं सेसावि सव्वसंजोगा। नच्चा विराहणदुगं वज्जतो जयसु उवउत्तो ||६|| सव्वस्थ संजमं संजमाउ अप्पाणमेव रक्खिज्जा (प्र० क्खंतो) । मुच्चइ अइवायाओ पुणो विसोही न याविरई ॥७॥ संजमहेजें देहो धारिज्जइ सो कओ उ त्तदभावे ? । संजमफाइनिमित्तं च देहपरिपालणाइठ्ठा ।।८॥ चिक्खल्लबालसावयसरेणुपंटयतणे बहुजले अ।लोगोऽवि नेच्छइ पहे कोणु विसेसो भयंतस्स? ॥९।। जयणमजयणं च गिही सचित्तमीसे परित्तऽणंते य । नवि जाणंति न यासिं अवहपइण्णा अह विसेसो ।।५०|| अविअ जणो मरणभया परिस्समभया व ते विवजेइ । ते पुण दयापरिणया मोक्खत्थमिसी परिहरंति ॥१३॥ अविसिळूमिवि जोगंमि बाहिरे होइ विहुरया इहरा । सुद्धस्स उ संपत्ती अफला जे देसिआ समए ।।२।। एक्कमिबि पाणिवहमि देसिअं सुमहदंत्तरं समए । एमेव निज्जरफला परिणामवसा बहुविहीआ॥३|| जे जत्तिया य हेऊ भवस्स ते चेव तत्तिआ मुक्खे । गणणाईया लोगा दुण्हवि पुण्णा भवे तुल्ला ॥४॥ इरिआवहमाईआ जे चेव हर्वलि कम्मबंधाय । अजयाणं ते चेव उजयाण निव्वाणगमणाय ।।५।। एगंतेण निसेहो जोगेसु न देसिओ विही वावि । दलियं पप्प निसेहो होज्ज विही वा जहा रोगे॥६॥ जंमि निसेविज्जते अइआरो होजा कस्सइ कयाइ। तेणेव य तस्स पुणो कयाइ सोही हवेज्जाहि ||७|| अणुमित्तोऽवि न कस्सइ बंधो परवत्थुपच्चओ भपिाओ। तहविय जयंति जइणो परिणामविसोहिमिच्छंता ॥८॥ जो पुण हिंसाययणेसु वट्टई तस्स नणु परीणामो। दुट्टो न य तं लिंगं, होइ विसुद्धस्स जोगस्स ||९|| तम्हा सया विसुद्धं परिणाम इच्छया सुविहिएणं । हिंसाययणा सव्वे परिहरियव्वा पयत्तेणं ।।६०॥ वज्जेमित्ति परिणओ संपत्तीए विमुच्चई वेरा। अविहंतोऽवि न मुच्चइ किलिठ्ठभावोत्ति वा तस्स ||१|| पढमबिइया गिलाणे तइए सण्णी चउत्थ साहम्मी । पंचमियंमि य वसही छठे ठाणठ्ठिओ होइ ।।२।। एहिअपारत्तगुणा दुन्नि य पुच्छा दुवे य साहम्मी । तत्त्थेक्केक्का दुविहा चउहा जयणा दुहेक्केक्का ।।३।। पडिदारगाहा । इहलोइआ पवित्ती पासणया तेसि संखडी सड्ढो । परलोइआ गिलाणे चेइय वाई यपडिणीए ।।४।। अविहीपुच्छा अत्थित्थ संजया ? नत्थि. तत्थ समणीओ। समणीसु अ ता नत्थी संका य किसोरवडवाए ||५|| सड्ढेसु चरिअकामो संकाचारी य होइ सड्ढीसु । चेइयघरं व नत्थिह तम्हा उ विहीइ पुच्छेज्जा ॥६|| गामदुवारब्भासे अगडसमीवे महाणमज्झे वा । पुच्छेज्ज सयंपक्खा विआलणे तस्स परिकहणा ||७|| निस्संकिअ थूभाइसु काउं गच्छेज्ज चेइअघरं तु । पच्छो साहुसमीवं तेऽवि अ संभोइया तस्स ।।८।। निक्खिविउं किइकम्मं दीवणऽणाबाह पुच्छण सहाओ । गेलण्ण विसज्जणया अविसज्जुवएस दावणया ॥९॥ पुणरवि अयं खुभिज्जा अयाणगा मो स भणिज्ज संचिक्खे । उभओऽवि अयाणंता वेज्जं पुच्छंति जयणाए।।७०|| गमणे पमाण उवगरण सउण वावार ठाण उवएसो। आणण गंधुदगाई उठ्ठमणुढे अजे दोसा॥१॥ पढमावियारजोगं नाउंगच्छे बिइज्जए दिण्णे । एमेव अण्णसंभोइयाण अण्णाइ वसहीए।।२।। एगागि गिलाणंमि उ सिठूतो किं न कीरई वावि ? | छगमुत्तकहणपाणगधुवणऽत्थर तस्स के नियगं वा ।।३।। सारवणं साहल्लय पागड धुवणे य सुइ समायारा । अइबिभले समाही सहुस्स आसास पडिअरणं ॥४॥ सयमेव दिठ्ठपाढी करेइ पुच्छइ अयाणओ वेज । दीवण दव्वाइंमि अ उवएसो जाव लंभो उ॥५॥ कारणिअ हठ्ठ पेसे गमणऽणुलोमेण तेण सह गच्छे । निक्कारणिअ खरंटण बिइज्ज संघाडए गमणं ।।६।। समणिपवेसि निसीहिअ दुवारवज्जण अदिठ्ठ परिकहणं । थेरीतरूणिविभासा निमंतऽणाबाहपुच्छा य॥७॥ सिळूमि सहू पडिणीयनिग्गहं अहव अण्णहिं पेसे। उवएसो फ दावणया गेलन्ने वेज्जपुच्छा अ ||८|| तह चेव दीवण चउक्कएण अन्नत्थ वसहि जा पढमा । तह चेवेगाणीए आगाढे चिलिमिली नवरं ।।९।। निक्कारणिअं चमढण + कारणिअं नेइ अहव अप्पाहे । गमणित्थि मीससंबंधिवज्जिए असइ एगागी ।।८०|| एगबहू समणुण्णाण वसहीए जो य एग अमणुन्नो । अमणुन्नसंजईण य अण्णहिं एक्वं चिलिमिलीए॥१| विहिपुच्छाएँ पवेसो सण्णिकुले चेइ पुच्छ साम्मी। अन्नत्थ अत्थि इह ते गिलाणकज्जे अहिवडंति ।।२।। सव्वपि न घेत्तन्वं निमंतणे जं तहिं WESTRAPPLEncurrencLEEEEEEEEE श्री आगमगुणमंजूषा-१५७९455555555555555555555555555OORK 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明OTC FO Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ LOO55555%$$$$ (४१) ओहनिनुत्ति ] 面写历历万岁万岁万岁万万岁第23 CSCs明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FO गिलाणस्स । कारणि तस्स य तुज्झ य विउलं दव्वं तु पाउग्गं ||३|| जाएँ दिसाए गिलाणो ताएँ दिसाए उ होइ पडियरणा । पुव्वभणि गिलाणो पंचण्हवि होइ जयणाए ।।८४।। तेसि पडिच्छण पुच्छण सुठुकयं अत्थि नत्थि वा लंभो । खग्गूडे विलओलणदाणमणिच्छे तहिं नखणं ||३५|| भा०। पंतं असहू करित्ता निवेयण गहण अहव समणुन्ना । खरगूड देहि तं चिअ कमढग तस्सप्पणो पाए ॥६॥ किं कीरउ ? जं जाणसि अतरंति सढेत्ति वच्च तं भंते ! । निद्धम्मा न करेंती करणमणालोइय सहाओ॥७|| उभओ निद्धम्मेसुं फासुपडोआर इयरपडिसेहो। परिमिअदाण विसज्जण सच्छंदोद्धंसणा गमणं ॥८॥ एस गमो पंचण्हवि होइ नियाइण गिलाणपडियरणे। फासुअकरण निकायण कहण पडिक्कामणा गमणं ।।९।। संभावणेऽविसद्दो देउलिअखरंट जयण उवएसो। अविसेस निण्हगाणवि न एस अम्हं तओ गमणं ।।४०|| तारेहि जयणकरणे अमुगं आणेहऽकप्प जणपुरओ । नवि एरिसया समणा जयणाएँ तओ अवक्कमणं ।।१|| चोअगवयणं आणा आयरिआणं तु फेडिआ तेणं । साहम्मिअकज्जबहुत्तया य सुचिरेणवि न गच्छे ।।२।। तित्थगराणा चोयग ! दिलुतो भोइएण नरवइणा । जत्तुग्गय भोइअदंडिए अ घरदार पुव्वकए ॥३॥ रण्णो तणघणकरणं सचित्तकम्मं तु गामसामिस्स । दोण्हपि दंडकरणं विवरीयऽण्णेणुवणओ उ ||४|| जह नरवइणो आणं अइक्कमंता पमायदोसेणं । पावंति बंधवहरोहछिज्जमरणावसाणाई।।५।। जिणवराण आणं अइक्कमंता पमायदोसेणं । पावंति दुग्गइपहे विणिवायसहस्सकोडीओ॥६॥ तित्थगरवयणकरणे आयरिआणं कयंपए होइ । कुज्जा गिलाणगस्स उपढमालिय जाव बहिगमणं ||७|| जइ ता पासत्थोसण्णकुसीलनिण्हवगाणंपि देसिअं करणं । चरणकरणालसाणं सब्भावपरंमुहाणं च ।।८॥ किं पुण जयणाकरणुज्जयाण दंतिदिआण गुत्ताणं ? । संविग्गविहारीणं सव्वपयत्तेण कायव्वं ।४९|| भाष्यं । एवं गेलन्नठ्ठा वाघाओ अह इयाणि भिक्खठ्ठा। वइयग्गामे संखडि सन्नी दाणे य भद्दे य ॥८५|| उव्वत्तणमप्पत्तं च पडिच्छे खीरगहण पहगमणे । वोसिरणे छक्काया धरणे मरणं दवविरोहो॥६।। खद्धादाणिअगामे संखडि आइन्न खद्ध गेलन्ने । सण्णी दाणे भद्दे अप्पत्तमहानिनादेसु ॥७॥ पड्डच्छिखीर सतरं घयाइ तक्कस्स गिण्हणे दीहं । गेहि विगिंचणियभया निसठ्ठ सुवणे य परिहाणी ||८|| गामे परितलिअगमाइमग्गणे संखडी छणे विरूवा । सण्णी दाणे भद्दे जेमण विगई गहण दीहं ।।९।। अह जग्गह गेलन्नं अस्संजयकरण जीववाघाओ। इच्छमणिच्छे मरणं गुरूआणा छड्डणे काया ॥९०|| तक्कोयणाण गहणे गिलाण आणा (बाला) इया जढा होति । अप्पत्तं च पडिच्छे सोच्चा अहवा सयं नाउं ||१|| दूरूठ्ठिअ खुड्डलए नव भड अगणी अपंत पडिणीए । अप्पत्तपडिच्छण पुच्छ बाहिं अंतो पविसिअव्वं ||२|| कक्खडखेत्तचुओ वा दुब्बल अद्धाण पविसमाणो वा। खीराइगहण दीहं बहुंच उवमा अयकडिल्ले॥३॥ जे चेव पडिच्छणदीहखद्धसुवणेसु वण्णिआ दोसा। ते चेव सपडिवक्खा होति इहं कारणज्जाए।।९४|| विहिपुच्छाए सण्णी सोउं पविसे न बाहि संचिक्खे। उग्गमदोसभएणं चोयगवयणं बहिं ठाउं ॥५०||भा० । सोच्चा दट्ठणं वा बाहिठिअं उग्गमेगयर कुज्जा । अप्पत्त पविठ्ठो पुण चोयग! दटुं निवारेज्जा ॥५१॥भा० । उग्गमदोसाईणं कहणा उप्पायणेसणाणं च । तत्थ उ नत्थी सुन्ने बाहिं सागार कालदुवे ||९५|| फेडेज्ज व सइकालं संखडि घेत्तूण वा पए गच्छे । सुण्णघराइपलोयण चेइय आलोयणाऽबाहं ||५२||भा० । उग्गमएसणकहणं न किंचि करणिज्ज अम्ह विहिदाणं । कस्सऽठ्ठा आरंभो तुज्झेसो? पाहुणा डिभा ॥३॥ रसवइपविसण पासण मिअममिअमुवक्खडे तहा गहणं । पज्जत्ते तत्थेव उ उभएगयरे य ओयविए ।।४।। असइ अपज्जत्ते वा सुण्णघराईण बाहिं संसठे। लठ्ठीइ दारघट्टण पविसण उस्सग्ग आसत्थे॥५॥ आलोअणमालावो अद्दिळूमिवि तहेव आलावो। किं उल्लावं न देसी ? अदिठ्ठ निस्संकिअं भुंजे ॥६॥ दिठ्ठ असंभम पिंडो तुज्झविय इमोति साह वेउव्वी। सोवि अगारी दोच्चा नीइ पिसाउत्तिकाऊणं ॥७॥ निव्वेण व मालेण व वाउपवेसेण अहव सढयाए। गमणं च कहण आगम दूरभासे विही इणमो ||८|| थोवं भुंजइ वहुअं विगिंचई पउमपत्तपरिगुणणं । पत्तेसु कहिं भिक्खं ? दिठ्ठमदिठे विभासा उ ।।९।। अद्दिठे किं वेला ? तेसि निबंधमि दायणे खिंसा। ओहामिओ उ बडुओ वण्णो य पहाविओ तहि ॥६०॥ सुण्णघरासइ बाहिं देवकुलाईसु होइ जयणा उ। तेगिच्छिधाउखोभो मरणं अणुकंपं पडिअरणं ॥१॥ इरियाइ पडिक्कंतो परिगुणणं संधिआ भि का गुणिआ ? | अम्हं एसुवएसो धम्मकहा दुविहपडिवत्ती॥२॥ थंडिल्लासइ चीरं निवायसंरक्खणाइ पंचेव। सेसं जा थंडिल्लं असईए अण्णगामंमि ।।३।। अपहुप्पते काले तं चेव दुगाउयं नइक्कामे । गोमुत्तिअदड्ढाइसु भुंजइ अहवा पएसेसुं ॥६४||भा०। दिठ्ठमदिठ्ठा दुविहा नायगुणा ver. c 555555555555555555555 श्री आगमगुणभंजूषा - १५८० 455555555555555555555FF FOTOR GO步乐手听听听听听听听听听听乐年历乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听见 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [4] (४१) ओहनिज्जुत्ति चेवहुति अन्नाया। अद्दिठ्ठावि य दुविहा सुअमसुअ पसत्थमपसत्था ||१६|| दिठ्ठा व समोसरणे न य नायगुणा हवेज्ज ते समणा । सुअगुण पसत्थ इयरे समणुन्निअरे य सव्वेवि ||७||| जइ सुद्धा संवासो होइ असुद्धाण दुविह पडिलेहा । अब्भिंतरबाहिरिआ दुविहा दव्वे य भावे य ||८|| घठ्ठाइतलिअदंडग पाउय संलग्गिरी अणुवओगो । दिसि पवण गाम सूरिय वितहं अच्छोलणा दव्वे ॥९॥ विकहा हसिउग्गाइय भिन्नकहाचक्कवालछलिअकहा । माणुसतिरिआवाए दायणआयरणया भावे ॥१००॥ बाहिं जइवि असुद्धा तहावि गंतूण गुरूपरिक्खा उ । अहव विसुद्धा तहवि उ अंतो दुविहा उ पडिलेहा ॥ १ ॥ पविसंत निमित्तमणेसणे व साहइ न एरिसा समणा । अम्हंपि ते कहंती कुक्कुडखरियाइठाणं चं ॥२॥ दव्वंमि ठाणफलए सेज्जासंथारकायउच्चारे । कंदप्पगीयविकहावुग्गहकिड्डा य भावंमि ||३|| संविग्गेसु पवेसो संविग्गऽमणुन्न बाहि किइकम्मं । ठवणकुलापुच्छणया एत्तोच्चिय गच्छ गविसणया ||४|| संविग्गसंनिभद्दग सुन्ने निइयाइ मोत्तुऽहाछंदे । वच्चंतस्सेतेसुं वसहीए मग्गणा होइ ||५|| वसही समणुण्णेसुं निइयादमणुण्ण अण्णहिं निवेए । संनिगिहि इत्थिरहिए सहिए वीसुं घरकुडीए || ६ || अहणुव्वासिअ सकवाड निब्बिले निच्चले वसइ सुण्णे । अनिवेइएयरेसिं गेलने न एस अम्हंति ||७|| नीयाइअपरिभुत्ते सहिएयर पक्खिए व सज्झाए। कालो सेसमकालो वासो पुण कालचारीसु ॥ ८॥ तेणं परं पासत्थाइएस न य वसइऽकालचारीसु। गहिआवासगकरणं ठाणं गहिएणऽगहिएणं || ९ || निसिअ तुयट्टण जग्गण विराहणभएण पासि निक्खिवइ । पासत्थाईणेवं निए नवरं अपरिभुत्ते ॥ ११०॥ एमेव अहाछंदे पडिहणणा झाण अज्झयण कन्ना। ठाणठ्ठिओ निसामे सुवणाहरणा य गहिए || १ || असिवे ओमोयरिए रायद्दृट्टे भए दुठ्ठा | फिडिअगिलाणे कालगवासे ठाणठ्ठिओ होइ ||२|| तत्थेव अंतरा वा असिवादी सोउ परिरयस्सऽसई । संचिक्खे जाव सिवं अहवावी ते तओ फिडिआ || ३ || पुणा व नई चउमासवाहिणी नवि य कोइ उत्तारे। तत्यंतरा व देसो व उडिओ न य लब्भइ पवत्ती ॥६५॥ भा० | फिडिएस जा पवित्ती सयं गिलाणो परं व पडियरइ । कालगया व पत्ती ससंकिए जाव निस्संकं ॥ ६६ ॥ भा० । वासासुं उब्भिण्णा बीयाई तेण अंतरा चिठ्ठे । तेगिच्छि भोइ सारक्खणहठ्ठे ठाणमिच्छंति ||४|| संविग्गसंनिभद्दग अहप्पहाणे भोइयघरे वा । ठवणा आयरियस्सा सामायारी पउंजणया ||५|| एवं ता कारणिओ दूइज्जइ जुत्त अप्पमाएणं । निक्कारणिअं एत्तो चइओ आर्हिडिओ चे ॥६॥ जह सागरंमि मीणा संखोहं सागरस्स असहंता । निति तओ सुहकामी निम्गयमित्ता विनस्संति ||७|| एवं गच्छसमुद्दे सारणवीईहिं चोइया संता । निति ओ सुहकामी मीणा व जहा विणस्संति ॥८॥ उवएस अणुवएसा दुविहा आहिंडआ समासेणं । उवएस देसदंसण अणुवएसा इमे होति ॥९॥ चक्के थूभे पडिमा जम्मण निक्खमण नाण निव्वाणे। संखडि विहार आहार उवहि तह दंसणठ्ठाए ॥ १२०॥ एते अकारणा संजयस्स असमत्ततदुभयस्स भवे । ते चैव कारणा पुण गीयत्थविहारिणो ॥१॥ गीयत् य विहारो बिइओ गीयत्थमीसिओ भणिओ। एत्तो तइअविहारो नाणुन्नाओ जिणवरेहिं ||२|| संजमआयविराहण नाणे तह दंसणे चरित्ते य । आणालोव जिणाणं कुव्वइ दीहं तु संसारं ॥ ३॥ संजमओ छक्काया आयाकंटऽठ्ठिऽजीरगेलन्ने। नाणे नाणायारो दंसण चरगाइ दुग्गाहे ||६७||भा० | णेगाव होति दुवा कारणनिक्कारणे दुविहभेओ । जं एत्थं नाणत्तं तमहं वोच्छं समासेण ||४|| जयमाणा खलु एवं तिविहा उ समासओ समक्खाया। विहरंताविय दुविहा गच्छगया निग्गया चेव ||४|| प्र० | जयमाणा विहरंता ओ हाणाहिंडगा चउद्ध उ । जयमाणा तत्थ तिहा नाणट्ठा दंसणचरिते ||५|| पत्तेयबुद्ध जिणकप्पिया य पडिमासु चेव विहरंता । आयरिअथेरवसभा भिक्खू खुड्डा य गच्छंमि ||६|| ओहावंता दुविहा लिंग विहारे य होति नयव्वा । लिंगेणऽगारवासं नियया ओहावण विहारे ||७|| उवएस अणुवएसा दुविहा आहिंडया मुणेयव्वा । उवएस देसदंसण थूभाई हुंतिऽणुवएसा ||८|| पुण्णंमि मासकप्पे वासावासासु जयणसंकमणा आनंतणा य भावे सुत्तत्थ न हायई जत्थ ||९|| अप्पडिलेहियदोसा वसही भिक्खं च दुल्लहं होज्जा । बालाइगिलाणाण व पाउंग्ग अहव सज्झाओ ॥ १३० ॥ तम्हा पुव्वं पड़िलेहिऊण पच्छा विहीऍ संकमणं । पेसेइ जइ अणापुच्छिउं गणं तत्थिमे दोसा ॥१॥ अइरेगोवहिपडिलेहणाऍ कत्थवि गयत्ति तो पुच्छे । खेत्ते पडिलेहेउं अमुगत्थ गयत्ति तं दुहुं ||२|| तेणा सावया ओस से इत्थि पडिणीए । थंडिल्ल अगणि उट्ठाण एवमाई भवे दोसा || ३ || पच्चंति तावसीओ सावयदुब्भिक्खतेणपउराई । णियगपदुट्टुट्ठाणे फेडणहरियाइ(हरिहरिय) पण्णीए ||४|| सीसे जइ आमंतइ पडिच्छगा तेण बाहिरं भावं । जइ इयरे तो सीसा तेवि समत्तंमि गच्छति ||५|| तरुणा बाहिरभावं न य श्री आगमगुणमंजूषा- १५८१ COOK प्र Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) ओहनिज्जुत्ति [६] पडिलेहोवही न किइकम्मं । मूलयपत्तसरिसया परिभूया वच्चिमो थेरा ॥६॥ जुण्णमएहिं विहूणं जं जूहं होइ सुडुवि महल्लं । तं तरुणरहसपोइयमयगुम्मइअं सुहं हंतु ॥७॥ थुइमंगलमामंतण नागच्छइ जो य पुच्छिओ न कहे । तस्सुवरिं ते दोसा तम्हा मिलिएसु पुच्छेज्ना ॥८॥ केई भांति पुव्वं पडिलेहिअ एवमेव गंतव्वं । तं च न जुन सही फेडण आगंतु पडिणीए || ९ || कयरी दिसा पसत्थ ? अमुई सव्वेसिं अणुमई गमणं । चउदिसि ति दु एगं वा पणगं तिग जहणणं ॥ १४०॥ अणभिग्गहिए वारणा उतत्थ उ इमे न वावारे बालं वुडढमगीअं जोगिं वसहं तहा खमगं ॥ १ ॥ हीलेज्ज व खेलेज्ज व कज्जाकज्जं न याणई बालो । सो वाऽणुकंपणिज्जो न दिति वा किंचि बालस्स ||६८|| भाप्यं । वुडढोऽणुकंपणिज्जो चिरेण न य मग्गथंडिले पेहे । अहवावि बालबुडढा असमत्था गोयरतियस्स || ९ || पंथं च मासवासं उवस्सयं एच्चिरेण कालेणं । एहामोत्ति न याणइ चउव्विहमणुण्ण ठाणं च ॥७०॥ तूरंतो य ण पेहे पंथं पाढट्ठिओ न चिर हिंडे । विगई पडिसेहेइ तम्हा जोगिं न पेसेज्जा ॥१॥ ठवणकुलाणि न साहे सिट्ठाणि न देति जा विराहणया । परितावण अणुकंपण तिण्हऽसमत्यो भवे खमगो ॥७२॥ भा० । एए चेव हवेज्जा पडिलोमेणं तु पेसए विहिणा । अविही पेसिज्यंते ते चेव तहिं तु पडिलोमं ॥२॥ सामायारिमगीए जोगमणागाढ खवग पारावे । वेयावच्चे दायण जुयलसमत्थं व सहियं वा ॥ ३॥ पंथुच्चारे उदए ठाणे भिक्खतरा य वसहीओ। तेणा सावय वाला पच्चावाया य जाण विही ||४|| सो चेव उ निग्गमणे विही उ जो वन्निओ उ एगस्स । दव्वे खेत्ते काले भावे पंथं तु पडिलेहे ॥७३॥ भा० | कंटग तेणा वाला पडिणीया सावया य दव्वंमि । समविसमउदयथंडिल भिक्खायरि अंतरा खेत्ते ॥ ४॥ दियराउऽपच्चवाए ट जाणई सुगमदुग्गेमे काले । भावे सपक्खपरपक्खपेल्लणा निण्हगाईया || ७५ || भाष्यं । सुत्तत्थं अकरिंता भिक्खं काउं अइंति अवरण्हे । बिइयदिणे सज्झाओ पोरिसिअद्धाइ संघाडो ||५|| खेत्तं तिहा करेत्ता दोसीणे नीणिअंमि अ वयंति । अण्णो लद्धो बहुओ थोवं दे मा य रुसेज्जा || ६ || अहव ण दोसीणं चिअ जायामो देहि दहि घयं खीरं । खीरे घयगुलजा थोवं थोवं च सव्वत्थ ||७|| मज्झण्हि पउरभिक्खं परिताविअपिज्जजूसपयकढिअं । ओभट्ठमणोभट्टं लब्भइ जं जत्थ पाउग्गं ॥८॥ चरिमे परितावियपेज्जजूस आएस अतरणट्ठाए । एक्वेक्कगसंजुत्तं भत्तट्टं एक्कमेक्कस्स ||९|| ओसह भेसज्जाणि य कालं च फुले य दाणमाईणि । सग्गामे पेहित्ता पेहंति ततो परम्गामे ॥ १५०॥ चोयगवयणं दीहं पणीयगहणे य नणु भवे दोसा । जुज्जइ तं गुरुपाहुणगिलाणगट्ठा न दप्पट्ठा ॥ १ ॥ जइ पुण खद्धपणीए अकारणे एक्कसिपि मिण्हेज्जा । तहिअं दोसा तेण उ अकारणे खद्धनिद्धार्इं ||२॥ एवं-रुइए थंडिल वसही देउलिअसुण्णगेहमाईणि । पाओगमणुण्णवणा वियालणे तस्स परिकहणा || ३ || सिंगक्खोडे कलहो ठाणं पुण नेव (प्र० नत्थि) होइ चलणेसुं । अहिठाणि पोट्ट रोगो पुच्छंमि य फेडणं जाण ॥ ७६ ॥ भा० । मुहमूलंमि य चारी सिरे य कउहे य पूयसक्कारो । खंधे पट्टीऍ भरो पोट्टंमि य धावओ वसहो ||७७|| उद्देसणुपुव्वीए वुच्चत्थं पेहमाणिणो दोसा । जे य गुणा पढमाए ते वाघायंमि सेसासु || प्र०५ || पउरन्न पाण पढमा बीयाए भत्तपाण न लहंति । तइआ उवगरणहरी नत्थि चउत्थीइ सज्झाओ ||६|| पंचमिआए संखडि छट्ठीइ गणस्स भेयाणं जाण । सत्तमिआ गेलन्नं मरणं पुण अट्टमी बिति |||७|| बुद्धीए पुव्वमुहं वसहमिओ गंतु उत्तरे पासे । एवं पुव्वुत्तरओ वसहिं गिहिज्ज निद्दोस ||८|| रुइए महथंडिल्लं पेहिण्णा चोयगो भणइ एवं। एवंतच्चिय तुब्झ य अमंगलं कुव्वण भंते ! ||९|| आणयरिओ लोए नगरनिवेसंगि पठमपत्युंमि । सीयाणं पेहिब्बर न य दिवं तं अमंगलयं ||१०|| तदिसा अवरदक्खिणा य अवरा य दक्खिणापुव्वा । अवरुत्तरा य पुव्वा उत्तरपुव्वुत्तरा चेव ॥ ११॥ उद्दिट्टकमेणासिं पढमं पडिलेहिऊण वाघाए । बीयं पडिलेहज्जा एवं उद्देसओऽहाणी ॥ १२०॥ दव्वेतणडगलाई अच्छणभाणाइधोवणा खेत्ते । काले उच्चाराई भावेण गिलाणकूरुवमा ॥७८॥ भा० | जाव मुरुणाय तुज्झ य केवइया ? तत्थ सागरेणुवमा । केवइकालेणेहिह ? सागार ठवंति अण्णेवि ||४|| पुव्वुद्दिट्ठे इच्छइ अहव भणिज्जा हवंतु एवइया । तत्थ न कप्पर वासो असई खेत्ताणऽणुन्नेओ ||५|| सक्कारो सम्माणो (३०६) भिक्खरगहणं च होइ पाहुणए । जइ जाणउ वसइ तहिं साहम्मिअवच्छलाऽऽणाई ||६|| जइ तिन्नि सव्वगमणं एसु न एसुत्ति दोसुविय दोसा । अण्णपहेणऽगुणता निययावासो गुरुणो ||७|| गंतूणं गुरुसमीवं आलोएत्ता कहेति खत्तेगुणा । न य सेसकहण मा होज्जा मा होज्ज संखडं रत्ति साहेति ||८|| पढमाऍ नत्थि पढमा तत्थ उ घयखीरकूरदहिलंभो | बिइयाए बिइ तइयाऍ दोवि तेसिं च ध्रुवलंभो ||९|| ओहासि अध्रुवलंभो पाउग्गाणं चउत्थिए नियमाः । इहरावि जहिच्छाए तिकालजोगं च श्री आगमगुणमजूषा - १५८२ K Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Kox955555555555 (४१) ओहनिज्जुत्ति । 听听听听听听听听听听听听听听听OK FOXO 明明明明 明明明明明明纸 乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 सव्वेसिं॥१६०|| मयगहणं आयरिओ कत्थ वया मोत्ति ? तत्थ आयरिओ (जागरिया)। खुभिआ भणंति पढमं तं चिअ अणुओगतत्तिल्ला ॥१|| बिइयं च सुत्तगाही उभयग्गाही अ तइययं खेत्तं । आयरिओ अ चउत्थं सो उ पमाणं हवइ तत्थ ॥२॥ मोहुब्भवो उ बलिए दुब्बलदेहो न साहए जोए। तो मज्झबला साहू दुठ्ठऽस्सेणेत्थ दिळूतो॥३॥ पणपण्णगस्स हाणी आरेणं जेण तेण वा धरइ। जइ तरूणा नीरोगा वच्चंति चउत्थगं ताहे ||४|| अह पुण जुण्णा थेरा रोगविमुक्का य असहुणो तरूणा। ते अणुकूलं खेत्तं पेसंति न यावि खग्गूडे ॥५॥ एगपणअद्धमासं सट्ठी सुणमणुयगोणहत्थीणं । राइंदिएण उ बलं पणगं तो एक्क दो तिन्नि ॥६।। सागारिऽपुच्छगमणे बाहिरा मिच्छ छेय कयनासी। गिहि साहू अभिधारण तेणगसंकाइ जं चऽण्णं ॥७॥ अविहीपुच्छा उग्गाहिएण सिज्जातरी उ रोएज्जा । सागारियस्स संका कलहे य सएज्जिआ खिसे ॥१६८॥ वसहीए वोच्छेओ अभिसंधारितयाण साहूणं । पुणरावत्ती होज्ज व पव्वज्जा उज्जुअमईणं ॥१३॥प्र० । हरिअच्छेयण छप्पझ्य घच्चणं किच्चणं च पोत्ताणं । छण्णेयरं च पगयं इच्छमणिच्छे य दोसा उ॥९|| जइआ चेव उ खेत्तं गया उ पडिलेहगा तओ पाए। सागारियस्स भावं तणुएंति गुरू इमेहिं तु ॥१७०॥ उच्छू वोलिति वइं तुंबीओ जायपुत्तभंडा य । वसभा जायत्थामा गामा पब्वायचिक्खल्ला ||१|| अप्पोदगा य मग्गा वसुहावि य पक्कमट्टिआ जाया । अण्णकंता पंथा साहूणं विहरिउ कालो॥२॥ समणाणं सउणाणं भमरकुलाणं च गोउलाणं च। अनियाओ वसहीओ सारइयाणं च मेहाणं ||३|| आवस्सगकयनियमा कल्लं गच्छाम तो उ आयरिओ। सपरिजणं सागारिअ वाहरिउं दिति अणुसिठिं|४|| पव्वज सावओ वा दंसण भद्दोजहण्णयं वसहिं । जोगंमि वट्टमाणे अमुगं वेलं गमिस्सामो॥५॥ तभय सुत्तं पडिलेहणा य उग्गयमणुग्गए वावि । पडिछाहिगरणतेणे नट्टे (d) खग्गूड संगारो॥१७६।। पडिलेहंतच्चिअ बेटियाउ काऊण पोरिसि करिति । चरिमा उग्गाहेउं सोच्चा मज्झण्हि वच्चंति ॥७९|| भा० । तिहिकरणंमि पसत्थे नक्खत्ते अहिवइस्स अणुकूले । घेत्तूण निति वसभा अक्खे सउणे परिक्खंता ||८०|| वासस्स य आगमणे अवसउणे पठुिआ निवत्तंति। ओभावणा पवयणे आयरिआ मग्गओ तम्हा ||१|| मइल कुचेले अब्भंगिएल्लए साण खुज्ज वडभे या। एए उ अप्पसत्था हवंति खित्ताउ निताणं ।।२।। नारी पीवरगब्भा वइडकुमारी य कठ्ठभारो य । कासायवत्थ कुच्चंधरा य कजं न साहेति ||३|| चक्कयरंमि भमाडो भुक्खामारोय पडुरंगंमि। तच्चन्नि रूहिरपडणं बोडियमसिए धुवं मरणं प्र०१४॥जंबूय चासमऊरे भारद्दाए तहेव नउले य । दंसणमेव पसत्थं पयाहिणे सव्वसंपत्ती ॥४॥ नंदी तूरं पुण्णस्स दंसणं संखपडहसदो य। भिंगारछत्तचामर धयप्पडागा पसत्थाई||५|| समणं संजय दंतं, सुमणं मोयगा दहिं। मीणं घंटं पडागं च, सिद्धमत्थं विआगरे ॥६।। सेज्जातरेऽणुभासइ आयरिओ सेसगा चिलिमिलीए । अंतो गिण्हन्तुवहिं सारविअ पडिस्सया पुब्बिं ||७|| बालाई उवगरणं जावइयं तरति तत्तियं गिण्हे। जहणेण जहाजायं सेसं तरूणा विरिचिति ॥८॥ आयरिओवहि बालाइयाण गिण्हति संघयणजुत्ता। दो सोत्ति उण्णिसंथारए य गहणेक्कपासेणं ||९|| आउज्जोवण वणिए अगणि कुटुंबी कुकम्म कम्मरिए। तेणे मालागारे उब्भामगपंथिए जंते॥९०||भा०। संगार बीय वसही तइए सण्णी चउत्थ साहम्मी। पंचमगंमि य वसही छठे ठाणठ्ठिओ होति ॥१७७|| दारा। आओसे संगारो अमुई वेलाएँ निग्गए ठाणं । अमुगत्थ वसहि भिक्खं बीओ खग्गूड संगारो॥९१||भा० रत्तिं न चेव कप्पइ नीयदुवारे विराहणा दुविहा । पण्णवणे बहुयरगुणे अणिच्छ बीओ व उवही वा ।।२। सुवणे वीसुवघातो पडिबझंतोय जो उन मिलेज्जा । जग्गण अप्पडिबज्झण जइवि चिरेणं न उवहम्मे ||९३||भा० । पुरओ मज्झे तह मग्गओ य ठायंति खित्तपडिलेहा । दाइंतुच्चाराई भावासण्णाइरक्खठ्ठा ।।८।। डहरे भिक्खग्गामे अंतरगामंमि ठावए तरूणे । उवगरणगहण असूह व ठावए जाणगं चेगं ॥९|| दूरूढ़िअ खुड्डलए नव भड अगणी य पंत पडिणीए । संघाडेगो धुवकम्मिओ व सुण्णे नवरि रिक्खा ॥१८०॥ जाणंतठिएँ ता एउ वसहीए नत्थि कोइ पडियरइ । अण्णाएऽजाणतेसु वावि संघाड धुवकम्मी ॥१॥ जइ अब्भासे गमणं दूरे गंतुं दुगाउयं पेसे । तेवि असंथरमाणा इंती अहवा विसज्जंति ।।२।। पढमबियाए गमणं गहणं पडिलेहणा पवेसो उ। काले संघाडेगो वऽसंथरंताण तह चेव ।।३।। पढमबितियाएँ गमणं बाहिं ठाणं च चिलिमिणी दोरे। चित्तूण इंति वसहा वसहिं पडिलेहिउँ पुब्विं ॥९४॥ भा० । वाघाए अण्णं मग्गिऊण चिलिमिणि पमज्जणा वसहे। पत्ताण भिक्खवेलं संघाडेगो परिणओ वा ॥४|| सव्वे वा हिंडंता वसहिं मग्गंति जह व समुयाणं । लद्धे संकलियनिवेयणं तु तत्थेव उ नियट्टे ।।५।। एक्को धरेइ भाणं एक्को दोण्हवि पवेसए उवहिं। सव्वोर Ox 5 55555555555555 श्री आगमगुणमजूषा-१५८३555555ff5h555555555OOR 455 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) ओहनिज्जुत्ति उवेइ गच्छो सबाल वुड्ढाउलो ताहे ॥६॥ चोयगपुच्छा दोसा मंडलिबंधंमि होइ आगमणं । संजमआयविराहण वियालगहणे य जे दोसा ||७|| अइभारेण उ इरियं न सोह कंटगाइ आयाए । भत्तट्ठिय वोसिरिया अरंतु एवं जढा दोसा ॥८॥ आयरियवयण दोसा दुविहा नियमा उ संजमायाए । वच्चह न तुज्झ सामी असंखडं मंडलीए ET ||९|| कोहल आगमणं संखोभेणं अकंठ गमणाइं । ते चेव संखडाई वसहिं व न दंति जं वऽन्नं ॥ १९० || भारेण वेयणाए न पेहए थाणुकंट आयाए । इरियाइ संजमंमि य परिगलमाणेण छक्काया ॥ १ ॥ सावयतेणा दुविहा विराहणा जा य उवहिणा उ विणा । तणअग्गिगहणसेवण वियालगमणे इमे दोसा ||२|| पविसणमग्गणठाणे वेसित्थिदुर्गुछिए य बोद्धव्वे । सज्झाए संथारे उच्चारे चेव पासवणे ||३|| सावयतेणा दुविहा विराहणा जा य उवहिणा उ विणा । गुम्मियगहणाऽऽहणा गोणाई चेव ||४|| फिडिए अण्णोण्णारण तेण य राओ दिया य पंथंमि । साणाइ वेसकुत्थिअ तवोवणं मुसिआ जं च ||५|| अप्पडिलेहिअकंटाविलंमि संघारगंमि आयाए । छक्कायसंजमंमि य चिलिणे सेहऽन्नाभावो || ६ || कंटगथाणुगवालाविलंमि जइ वोसिरेज्ज आयाए । संजमओ छक्काया गमणे पत्ते अहंते य ||७|| मुत्तनिरोहे चक्खू वच्च निरोहेण जीवियं चयइ । उड्ढनिरोहे कोठं गेलन्नं वा भवे तिसुवि ॥ ८॥ जइ पुण वियाल पत्ता पए व पत्ता उवस्सयं न लभे । सुन्नघरदेउले वा उज्जाणे वा अपरिभोगे ॥९॥ आवाय चिलिमिणीए रण्णे वा निब्भए समुद्दिसणं । सभए पच्छन्नासइ कमढ्य कुरूया य संतरिआ ॥ २००॥ कोठ्ठग सभा व पुव्विं काले वियाराइभूमिपडिलेहा । पच्छा अइंति रत्तिं पत्ता वा ते भवे रत्तिं ॥ १ ॥ गुम्मियभेसण समणा निब्भय बहिठाण वसहिपडिलेहा । सुन्नघर पुव्वभणिअं कंचुग तह दारूदंडेणं ||२|| संथारगभूमितिगं आयरियाणं तु सेसगाणेगा। रूंदाऍ पुप्फइन्ना मंडलिआ आवली इयरे || ३ || संथारग्गहणाए बेटि अउक्खेवणं तु कायव्वं । संथारो घेत्तव्वो मायामयविप्पमुक्केणं ॥४॥ पोरिसिआपुच्छणया सामाइय उभय कायपडिलेहा । साहणिय दुवे पट्टे पमज्ज भूमिं जओ पाए ॥ ५॥ अणुजाणह संथारं बाहुवहाणेण वामपासेणं । कुक्कुडिपायपसारण अतरंत पमज्जए भूमिं || ६ || संकोए संडासं उव्वत्तंते य कायपडिलेहा । दव्वाईउवओगं णिस्सासनिरूंभणाऽऽलोयं ||७|| दारं जा पडिलेहे तेणभए दोण्णि सावए तिण्णि । जइ य चिरं तो दारे अण्णं ठावेत्तु पडिअरइ ||८|| आगम्म पडिक्कंतो अणुपेहे जाव चोद्दसवि पुव्वे । परिहाणि जा तिगाहा निद्दपमाओ जढो एवं ॥ ९॥ अतरंतो व निवज्जे असंथरंतो य पाउणे एक्कं । गद्दभदिठ्ठतेणं दो तिण्णि बहू जह समाही ||२१०॥ वसहित्तिदारं । दुविहो य विहरियाविहरिओ उ भयणा उ विहरिए होइ। संदिठ्ठो जो विहरितों अविहरिअविही इमो होइ ॥ १ ॥ अविहरिअ विहरिओ वा जड़ सड्ढो नत्थि नत्थि उ निओगो । नाए जइ ओसण्णा पविसंति तओ य पण्णरस ॥९५॥ भा० ॥ संविग्गमणुण्णाए अति अहवा कुले विरंचंति । अण्णाउंछं व सहू एमेव य संजईवग्गे || ६ || एवं तु अण्णसंभोइयाण संभोइयाण ते चेव । जाणित्ता निब्बंधं वत्थव्वेणं स उ पमाणं ॥७॥ असइ वसहीऍ वीसुं राइणिए वसहि भोयणागम्म । असहू अपरिणया वा ताहे वीसुं सहूवियरे ||८|| तिण्हं एक्केण समं भत्तठ्ठो अप्पणो अवड्ढं तु । पच्छा इरेण समं आगमण विरेगु सो चेव ||९|| चेइयवंद निमंतंण गुरूहिं संदिठ्ठ जो वऽसंदिठ्ठो । निब्बंध जोगगहणं निवेय नयणं गुरूसमासे ॥१००॥ अविहरियमसंदिठ्ठो चेश्य पाहुडियमेत्त गेण्हंति । पाउग्गपउरलंभे नऽम्हे किं वा न भुंजंति ? ॥ १ ॥ गच्छस्स परीमाणं नाउं घेत्तुं तओ निवेयंति । गुरूसंघाडग इयरे लब्द्धं नेयं गुरूसमीवं ॥२॥ भा० । मा वच्चह गिण्ह गुरुजोगं ॥ एवइमं वा गिण्हह पज्जत्तं वा नियत्तह य भंते ! । अणिवेइए अ गुरूणो हिंडंताणं इमे दो सा || प्र० १५ || दरहिडिय वुड्ढाई आगंतु समुद्दिस्संति जं किंचि । दव्वविरूद्धं च कयं गुरूहिं जंकिंचि वा भुत्तं ॥ १६ प्र० ॥ गागिसमुद्दिसगा भुत्ता उ पहेणएण दिट्ठंतो। हिंडणदव्वविणासो निद्धं महुरं च पुव्वं तु ॥ ३॥ भा० | सन्नित्ति भत्तठ्ठिय आवस्सग सोहेउं तो अइंति अवरण्हे । अब्भुठ्ठाणं दंडाइयाण गहणेक्कवयणेणं ||२|| खुड्डलविगठ्ठतेणा उण्हं अवरहि तेण उ पएवि । पक्खित्तं मोत्तूणं निक्खिवमुक्खित्तमोहेणं ||३|| अप्पा मूलगुणेसुं विराहणा अप्प उत्तरगुणेसु । अप्पा पासत्थाइसु दाणग्गहसंपओगोहा ॥४॥ भुंजइ भुत्ता अम्हे जो वा इच्छे अभुत्त सह भोज्जं । सव्वं च तेसि दाउं अन्न गेण्हंति वत्थव्वा ||५|| तिण्णि दिणे पाहुनं सव्वेसिं असइ बालवुड्ढाणं । जे तरूणा सग्गामे वत्थव्वा बाहि हिंडति ||६|| संघाडगसंजोगो आगंतुंगभद्दएयरे बाहिं । आगंतु व बाहिं वत्थव्वगभद्दए हिंडे ||७| वित्थिण्णा खुड्डलिआ पमाणजुत्ता य तिविह वसहीओ । -पढमबिइयासु ठाणे तत्थ य दोसा इमे होति ॥८॥ खरकम्मिअ वाणियगा कप्पडिअ सरक्खगा य वंठा य । संमीसावासेणं दोसा य हवंति णेगविहा ||९|| श्री आगमगुणमंजूषा - १९८४ MOTOR 220 GKO [८] Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 76.05%%% %%%%%%% __ (४१) ओहनिजुत्ति 质与步步步步55520 HORO555555555555555555555555555555555555555555555xos आवासगअहिकरणे तदुभय उच्चारकाइयनिरोहे। संजमआयविराहण संकातेणे नपुंसित्थी ।।२२०।। आवासयं करिते पवंचए झाणजोगवाघाओ। असहण अपरिणया वा भायणभेओ य छक्काया ||१|| सुत्तत्थऽकरण नासो करणे उड्ढंचगाइ अहिगरणं । पासवणिअरनिरोहे गेलन्नं दिठ्ठि उड्डाहो॥२॥ मा दच्छिहिति तो अप्पडिलिहिए (थंडिल्ले) दूर गंतु वोसिरति । संजमआयविराहण गहणं आरक्खितेणेहिं ।।३।। ओणयपमज्जमाणं दटुं तेणेत्ति आहणे कोई । सागारिअसंघट्टण अपुमित्थी गेण्ह साहइ वा ||४|| ओरालसरीरं वा इत्थि नपुंसा बलावि गेण्हति । सावाहाए ठाणे निते आवडणपडणाई ।।५।। तेणोत्ति मण्णमाणो इमोवि तेणोत्ति आवडइ जुद्धं । संजमआयविराहणभायणभेयाइणो दोसा ।।६।। तम्हा पमाणजुत्ता एक्केकस्स उ तिहत्थसंथारो । भायणसंथारंतर जह वीसं अंगुला हुंति ।।७।। मज्जारमूसगाइ य नवि वारे नविय जाणुघट्टणया। दो हत्था य अबाहा नियमा साहुस्स साहूओ ॥८॥ भुत्ताभुत्तसमुत्था भंडणदोसा य वज्जिआ एवं । सीसंतेण व कुड्डं तु हत्थं मोत्तूण ठायंति ॥९॥ पुव्बुद्दिठो उ विही इहवि वसंताण होइ सो चेव । आसज्ज तिन्नि वारे निसन्न आउंटए सेसा ।।२३०|| आवस्सिअमासज्जं नीइ पमज्जंतु जाव उच्छन्नं । सागारिय तेणुब्भामए य संका तउ परेणं ॥१॥ नत्थि उ पमाणजुत्ता खुड्डलिया चेव वसति जयणाए । पुरहत्थ पच्छ पाए पमज्ज जयणाए निग्गमणं ।।२।। उस्सीस भायणाई मज्झे विसमे अहाकडा उवरि । ओवग्गहिओ दोरो तेण य वेहासि लंबणया ||३|| खुड्डलियाए असई विच्छिन्नाए उ मालणा भूमी । बिलधम्मो चारभडा साहरणेगंतकडपोत्ती ।।४।। असई य चिलिमिलीए भए व पच्छन्न भूइए लक्खे। आहारा नीहारो निग्गमणपवेस वज्नेह ॥५।। पिंडेण सुत्तकरणं आसज्ज निसीहियं च न करिति । कासण न पमज्जणया न य हत्थो जयण वेरत्तिं ॥६|| वसहित्ति। पत्ताण खेत्त जयणा काऊणावस्सयं तत्तो ठवणा। पडणीयपत्त (सम्मत्त) मामग भद्दग सद्धे य अचियत्ते ॥७|| बाहिरगामे वुच्छा उज्जाणे ठाणवसहिपडिलेहा । इहरा उ गहिअभंडा वसहि वाधाय उड्डाहो ॥१०४||भा० मइल कुचेले अब्भंगिएल्लए साण खुज्ज वडभे या। एए उ अप्पसत्था हवंति खित्ताउ निताणं ।।५।। नारी पीवरगम्भा वड्डकुमारी य कठ्ठभारो य । कासायवत्थ कुच्चंधरा य कज्जं न साहेति ||६|| चक्कयरंमि भमाडो भुक्खामारोय पंडुरंगंमि । तच्चन्नि रूहिरपडणं बोडियमसिए धुवं मरणं |७|| जंबूअ चास मउरे भारद्दाए तहेव नउले य । दसणमेव पसत्थं पयाहिणे सव्वसंपत्ती ।।८|| नंदी तूरं पुण्णस्स दंसणं संखपडहसद्दोय। भिंगार छत्त चामर धयप्पडागा पसत्थाई ॥९|| समणं संजयं दंतं, सुमणं मोयगा दहिं। मीणं घंटं पड़ागं च, सिद्धमथं विआगरे॥११०॥ तम्हा पडिलेहिअ दीवियंमि पुव्वगय असइ सारविए। फड्डयफड्डपवेसो कहणा न य उठू इयरेसिं॥१॥ आयरियअणुठ्ठाणे ओहावण बाहिरा यऽदक्खिण्णा । साहणय वंदणिज्जा अणालवंतेऽवि आलावो॥२॥ वुड्ढा निरोवयारा अग्गहणमलोगजत्त वोच्छेओ। तम्हा खलु आलवणं सयमेव उ तत्थ धम्मकहा॥३।। वसहिफलं धम्मकहा कहणअलद्धी उ सीस वावारे । पच्छा अइंति वसहिं तत्थ य भुज्जो इमा जयणा ॥४॥ पडिलेहण संथारग आयरिए तिण्णि सेस उ कमेण । विटिअउक्खेवणया पविसइ ताहे य धम्मकही||५|| उच्चारे पासवणेलाउय निल्लेवणे य अच्छणए। पुव्वठ्ठिय तेसि कहेऽकहिए आयरणवोच्छेओ॥६॥ भत्तट्ठिआ व खवगा अमंगलं चोयए जिणाहरणं । जइ खमगा वंदंता दायंतियरे विहिं वोच्छं ॥७॥ सव्वे दटुं उग्गाहिएण ओयरिअ भयं समुप्पज्जे । तम्हा ति दु एगो वा उग्गाहिअ चेइए वंदे ।।८॥ सद्धाभंगोऽणुग्गाहियंमि ठवणाइया य दोसा उ । घरचेइअ आयरिए कइवयगमणं च गहणं च ॥९||खेत्तंमि अपुव्वंमी तिठ्ठाणठ्ठा कहिति ॥ दाणाई। असई य चेइयाणं हिंडंता चेव दायंति॥१२०|| दाणे अभिगमसद्धे सम्मत्ते खलु तहेव मिच्छत्ते। मामाए अचियत्ते कुलाइं दायंति गीयत्था ॥१॥ कयउस्सग्गामंतण पुच्छणया अकहिएगयरदोसा । ठवणकुलाण य ठवणा पविसइ गीयत्थसंघाडो॥२॥ गच्छंमि एस कप्पो वासावासे तहेव उडुबुद्धे । गामागरनिगमेसुं अइसेसी ठावए सड्ढी ॥३|| भा० । किं कारणं चमढणा दव्वखओ उग्गमोऽविय न सुज्झे। गच्छंमि निययकज्जे आयरियगिलाणपाहुणए ।।२३८|| पुविपि वीरसुणिया छिक्का छिक्का + पहावए तुरियं । सा चमढणाएँ सि (खि) न्ना संतंपि न इच्छए घेत्तुं ॥४|| भा० । एवं सड्ढकुलाई चमढिज्जताई ताइं अण्णेहिं । निच्छंति किंचि दाउं संतंपि तयं गिलाणस्स ॥५॥ दव्वक्खएण पंतो इत्थिं घाएज्ज कीस ते दिण्णं ? | भद्दो हठ्ठपहठ्ठो करेज्ज अन्नंपि समणठ्ठा ||६|| आयरिअणुकंपाए गच्छो अणुकंपिओ महाभागो। २ गच्छाणकंपयाए अव्वोच्छित्ती कया तित्थे॥७|| परिहीणं तं दव्वं चमढिज्जतं तु अण्णमण्णेहि परिहीणंमि य दव्वे नत्थि गिलाणस्स जं जोरगं ।।८।। चत्ता होति 5555555555 55555 श्री आगमगुणमंजूषा - १५८५35555555555555555555555555HOOL CF明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐听听听听听听感 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) ओहनिज्जुत्ति [१०] • गिलाणा आयरिया बालवुड्ढसेहा य । खमगा पाहुणगाविय मज्जायमइक्कमंतेणं ||९|| सारक्खिया गिलाणा आयरिया बालवुड्ढसेहा य । खमगा पाहुणाव मज्जायं ठावयंतेणं ॥ १३०॥ भा० । जड्डे महिसे चारी आसे गोणे अ तेसि जावसिआ । एएसिं पडिवक्खे चत्तारि उ संजया हुंति ॥ २३९ ॥ जड्डो जं वा तं वा सुकुमारं महिसिओ, महुरमासो । गोणो सुगंधदव्वं इच्छइ एमेव साहूवि || १ || भा० । एवं च पुणो ठविए अप्पविसंते भवे इमे दोसो । वीसरण संजयाणं विसुक्ख गोण आराम ||२|| अलसं घसिरं सुविरं खमगं कोहमाणमायलोहिल्लं । कोऊहलपडिबद्धं वेयावच्चं न कारिज्जा ॥ १३३॥ भा० | ता अच्छइ जा फिडिओ सइकालो अलस T सोविरे दोसा । गुरूमाई तेण विणा विराहणुस्सक्क ठवणाई || प्र०१७ || अप्पत्ते अविलंभो हाणी ओसक्कणाइ अइभद्दे । अणहिंडतो अ चिरं न लहइ जंकिंचि वा इ ||१८|| गिहामि अप्पणो ता पज्जत्तं तो गुरूण पच्छा उ । घित्तूण तेसि पच्छा सीअलओसक्कमाईओ ||१९|| परिआविज्जइ खवगो अह गिण्हइ अप्पणो इअरहाणी || अविदिन्ने उमपाणाइ थद्धो न उ गच्छई पुणो जं च । माई भद्दगभोई पंतेण उ अप्पणो छाए ||२०|| ओहासइ खीराई विज्जंतं वा न वारई लुद्धो । जे अगवेसणदोसा एगस्स य ते लुद्धस्स ||२१|| नडमाई पिच्छंतो ता अच्छइ जाव फिट्टई वेला । सुत्तत्थे पडिबद्धो ओसक्कणुसक्क माईआ || प्र० २२ ॥ एयद्दोसविमुक्कं कडजोगिं नायसीलमायारं । गुरूभत्तिमं विणीयं वेयावच्चं तु कारेज्जा || १३४ || भा० । साहंति य पिअधम्मा एसणदोसे अभिग्गहविसेसे । एवं तु विहिग्गहणे दव्वं वड्ढंति गीयत्था ॥५॥ दव्वप्पमाणगणणा स्वारिअ फोडिअ तहेव अद्धा य । संविग्ग एगठाणे अणेगसाहूसु पन्नरस ॥६॥ संघाडेगो ठवणाकुलेसु सेसेसु बालवुड्ढाई । तरूणा बाहिरगामे पुच्छा दिठ्ठतऽगारीए ॥१३७॥ भा० । पुच्छा गिहिणो चिंता दिठ्ठेतो तत्थ खुज्जबोरीए । आपुच्छिऊण गमणं दोसा य इमे . अणापुच्छे ॥ २४०॥ परिमिअभत्तगदाणे नेहादवहरइ थोव थोवं तु । पाहुण वियाल आगम विसन्न आसासणा दाणं ||८|| भा० | एवं पीइविवुड्ढी विवरीयऽण्णेण होइ दिट्टंतो । लोउत्तरे विसेसो असंचया जेण समणा उ ||९|| जणलावो परगामे हिडिन्ताऽऽणेति वसइ इह गामे । दिज्जह बालाईणं कारणजाए य सुलभं तु ॥ १४०॥ पाहुणविसेसदाणे निज्जर कित्ती य इहर विवरीयं । पुव्वं चमढणसिग्गा न देति संतंपि कज्जेसु ॥ १ ॥ | गामब्भासे बयरी नीसंदकडुप्फला य खुज्जा य। पक्कामालसडिंभा घा (खा) यंति घ (य) रे गया दूरे ||२|| गामब्भासे बयरी नीसंदकडुप्फला य खुज्जा य । पक्कामालसडिंभा खायंतियरे गया दूरं ॥ ३ ॥ सिग्घयरं आगमणं तेसिऽण्णेसिं च देति सयमेव । खायंती एमेव उ आयपरहिआवहा तरूणा ||४|| खीरदहिमाइयाणं लंभो सिग्घतरगं च आगमणं । पइरिक्क उग्गमाई विजढा अणुकंपिआ इयरे || ५ || आपुच्छिअ उग्गाहिअ अण्णं गामं वयं तु वच्चामो। अण्णं च अपज्जत्ते होति अपुच्छे इमे दोसा || ६ || तेणासगिलाणे सावय इत्थी नपुंस मुच्छा य । आयरिअबालवुड्ढा सेहा खमगा य परिचत्ता ॥ १४७॥ भा० | आयरिए आपुच्छा तस्संदिठ्ठे व तंमि उवसंते । चेइयगिलाणकज्जाइएस गुरूणो य निग्गमणं || २४१ || भण्णइ पुव्वनिउत्ते आपुच्छित्ता वयंति ते समणा । अणभोगे आसन्ने काइयउच्चारभोमाई ॥२॥ दवमाइनिग्गयं वा सेज्जायर पाहुणं च अप्पाहे । असई दूरगओऽविय नियत्त इहरा उ दोसा ||३|| अण्णं गामं च वए इमाई कज्जाई तत्थ नाऊणं । तत्थवि अप्पाहणया नियत्तई वा सईकाले || ४ || दूरट्ठिअ खुड्डलए नव भड अगणी य पंत पंडिणीए । पाओग्गकालऽइक्कम एक्कगलंभो अपज्जत्तं ||५|| पाउग्गाईणमसई संविगं सण्णिमाइ अप्पाहे । जइ य चिरं तो इयरे ठवित्तु साहारणं भुंजे || ६ || जाऍ दिसाए उ गया भत्तं ओडियरंति । अणपुच्छनिग्गयाणं चउद्दिसं होइ पडिलेहा ||७|| पंथेणेगो दो उप्पहेण सद्दं करेति वच्चंता । अक्खरपडिसाडणया पडियरणिअरेसि मग्गेणं ||८|| गामे व गंतु पुच्छे घरपरिवाडीऍ जत्थ उ न दिठ्ठा । तत्थेव बोलकरणं पिंडियजणसाहणं चेव ||९|| एवं उग्गमदोसा विजढा पइरिक्कया अणोमाणं । मोहतिगिच्छा य या विरियायारो य अणुचिण्णो ॥ २५० ॥ अणुकंपायरियाई दोसा पइरिक्कजयणसंसठ्ठे। पुरिसे काले खमणे पढमालिय तीस ठाणेसु ॥ १ ॥ चोयगवयणं अप्पाऽणुकंपिओ ते य भे परिच्चत्ता। आयरियअणुकंपाए परलोए इह पसंसणया ||८|| भा० । एवंपि अपरिचत्ता काले खवणे य असहुफरिसे य । कालो गिम्हो उ भवे खमगो वा पढमबिइएहिं ||९|| जइ एवं संसठ्ठे अप्पत्ते दोसिणाइणं गहणं । लंबणभिक्खा दुविहा जहण्णमुक्कोस तिअपणाए ॥ १५०॥ भा० । एगत्थ होइ भत्तं बिइयंमि पडिग्ग दवं होइ । पाउग्गायरियाई मत्ते बिइए उ संसत्तं ॥२॥ जइ रित्तो तो दव मत्तगंमि पढमालियाऍ करणं तु । संसत्तगहण दवदुल्लहे य तत्थेव जं पत्तं ॥ ३॥ अंतरपल्लीगहियं श्री आगमगुणमंजूषा १५८६ ॐ फ्र Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) ओहनिज्जुत्ति पढमागहियं व सव्व भुंजेज्जा । ध्रुवलंभसंखडीयं व जं गहियं दोसिणं वावि ||४|| दरहिँडिए व भाणं भरियं भोच्चा पुणोवि हिंडिज्जा । कालो वाऽइक्कमई भुंजेज्जा अंतरा सव्वं ||५|| एसो उ विही भणिओ तंमि वसंताण होइ खेत्तंमि । पडिलेहणंपि इत्तो वोच्छं अप्पक्खरमहत्थं ||६|| दुविहा खलु पडिलेहा छउमत्थाणं च केवलीणं च । अभिंतर बाहिरिआ दुविहा दव्वे य भावे य ||७|| पाणेहि उ संसत्ता पडिलेहा होइ केवलीणं तु । संसत्तमसंसत्ता छउमत्थाणं तु पडिलेहा ||८|| संसज्जइ धुवमेअं अपेहियं तेण पुव्व पडिले || पडिलेहिअंपि संसज्जइत्ति संसत्तमेव जिणा || ९ || नाऊण वेयणिज्जं अड़बहुअं आउअं च थोवागं । कम्मं पडिलेहेउं वच्चंति जिणा समुग्धायं ॥ २६०॥ संसत्तमसंसत्ता छउमत्थाणं तु होइ पडिलेहा । चोयग जह आरक्खी हिँडिताहिंडिया चेव || १ || तित्थयरा रायाणो साहू आरक्खि भंडगं च पुरं । तेसरिसा य पाणातिगं च रयणा भवो दंडो ॥ २॥ किं कय किं वा सेसं किं करणिज्जं तवं च न करेमि ? । पुव्वावरत्तकाले जागरओ भावपडिलेहा ॥ ३ ॥ ठाणे उवगरणे या थंडिलउवथंभमग्गपडिलेहा । किंमाई पडिलेहा पुव्वण्हे चेव अवरण्हे || २६४|| ठाणनिसीयतुयट्टणउवगरणाईण गहणनिक्खेवे । पुव्वं पडिलेहे चक्खुणा उपच्छा पमज्जेज्जा ॥ १५१ ॥ भा० | उड्ढनिसीयतुयट्टण ठाणं तिविहं तु होइ नायव्वं । उड्ढं उच्चाराई गुरूमूलपडिक्कमागम्म ॥२॥ पक्खे उस्सासाई पुरतो अविणीय मग्गओ वाऊ | निक्खम पवेसवज्जण भावासण्णो गिलाणाई ||३|| भारे वेयणखमगुण्हमुच्छपरियावछिंदणे कलहो। अव्वाबाहे ठाणे सागारपमज्जणा जयणा ॥ ४ ॥ संडास पमज्जित्ता पुणोवि भूमिं पमज्जिआ निसिए । राओ य पुव्वभणिअं तुयट्टणं कप्पई न दिवा || ५ | | अद्वाणपरिस्संतो गिलाणवुड्ढा अणुण्णवेत्ताणं । संथारूत्तरपट्टो अत्थरण निवज्नणाऽऽलोगं || ६ || उवगरणाईयाणं गहणे निक्खेवणे य संकमणे । ठाण निरिक्खपमज्जण काउं पडिलेहए उवहिं ||७|| उवगरण वत्थपाए वत्थे पडिलेहणं तु वोच्छामि। पुव्वण्हे अवरण्हे मुहणंतगमाइ पडिलेहा ॥ १५८॥ भाष्यं । उड्ढं थिरं अतुरिअं सव्वं ता वत्थ पुव्व पडिलेहे । तो बिइअं पप्फोडे तइयं च पुणो पमज्जेज्जा ॥ ५ ॥ वत्थे काउड्ढमि य परवयण ठिओ गहाय दसियंते । तं न भवति उक्कुडुओ तिरिअं पेहे जह विलित्तो ॥ १५९ ॥ भा० । घेत्तुं थिरं अतुरिअं तिभाग बुद्धीय चक्खुणा पेहे। तो बिइअं पप्फोडे तइयं च पुणो पमज्जेज्जा || १६०॥ भा० | अणच्चाविअं अवलिअं अणाणुबंधि अमोसलिं चेव । छप्पुरिमा नव खोडा पाणी पाणपमज्जणं ||६|| वत्थे अप्पाणमि य चउह (३०१) अणच्चाविअं अवलिअं च । अणुबंधि निरंतरया तिरिउड्ढऽह य घट्टणा मुसली || १६१॥ भा० । आरभडा सम्मद्दा वज्जेव्वाय मोसली तइया । पप्फोडणा चउत्थी विक्खित्ता वेइया छठ्ठा ||७|| वितहकरणे च तुरिअं अण्णं अण्णं व गेण्हणाऽरभडा । अंतो व होज्ज कोणा निसियण तत्थेव संभद्दा ॥२॥ भा० | मोसलि पुव्वुद्दिठ्ठा पप्फोडण रेणुगुंडिए चेव । विक्खेवं तुक्खेवो वेइयपणगं च छद्दोसा ॥३॥ भा० । पसिढिल पलंब लोला एगामोसा अणेगरूवधुणा । कुणइ पमाणपमायं संकियगणणोवगं कुज्जा ||८|| पसिढिलमघणं अतिराइयं च विसमगहणं व कोणं वा । भूमीकरलोलणया कड्ढणगहणेक्क आमोसा ॥१६४|| भा० | धुणणा तिण्ह परेणं बहूणि वा घेत्तु एक्कई धुणइ । खोडणपमज्जणासु य संकियगणणं करि पमाई || १६५ ॥ भा० | अणूणाइरित्तपडिलेहा, अविवच्चासा तहेव य । पढमं पयं पसत्थं, सेसाणि य अप्पसत्याणि || २६९ || नवि ऊणा नवि रित्ता अविवच्चासा उ पढमओ सुद्धो । सेसा होइ असुद्धा उवरिल्ला सत्त जे भंगा ||१६६|| भा० | खोडपमज्जणवेलाउ चेव ऊणाहिया मुणेयव्वा । अरूणावासग पुव्वं परोप्परं पाणिपडिलेहा ॥२७०॥ एते उ अणाएसा अंधारे उग्गएविहु न दीसे । मुहरयनिसिज्जचोले कप्पतिग दुपट्ट थुइ सूरो ॥१॥ पुरिसुवहिविवच्चासो सागरिए करिज्ज उवहिवच्चासं । आपुच्छित्ताण गुरूं पहुच्चमाणेयरे वितहं ||२|| पडिलेहणं करेंतो मिहो कहं कुणइ जणवयकहं वा । देइ व पच्चक्खाणं वाएइ सयं पडिच्छइ वा ||३|| पुढवीआऊक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणं । पडिलेहणापमत्तो छह प विराहओ होइ ||४|| घडगाइपलोट्टणया मट्टिय अगणी य बीय कुंथाई। उदगगया व तसेयर ओमुय संघट्ट झावणया ||५|| इय दव्वओ उ छण्हंपि विराहओ भावओ इहरहावि । उवउत्तो पुण साहू संपत्तीए अवहओ अ ॥ २३ प्र० ।। पुढवी आउक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणं । पडिलेहणमाउंत्तो छण्हंऽपाराहओ होइ ॥ ६ ॥ जोगी जोग जिणसासणंमि दुक्खक्खया पउंजंते । अण्णोण्णमबाहाए असवत्तो होइ कायव्वो ||७|| जोगे जोगे जिणसासणंमि दुक्खक्खया पउंजंते । एक्वेक्कंमि अनंता वा केवली जाया ॥ ८ ॥ एवं पडिलेहंता अईयकाले अणंतगा सिद्धा । चोयगवयणं सययं पडिलेहेमो जओ सिद्धी ||९|| सेसेसु अवट्टंतो पडिलेहंतोवि देसमाराहे। जइ पुण LOOK श्री आगमगुणमजूषा - १५८७ ० YO [११] फ्र Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फ्र (४१) ओहनिज्जुत्ति सव्वाराहणमिच्चसि तो णं निसामेहि ||२८०|| पंचिदिएहिं गुत्तो मणमाईतिविहकरणमाउत्तो। तवनियमसंजमंमि अ जुत्तो आराधओ होइ || १ || इंदियविसयनिरोहो पत्तेसुवि रागदोसनिग्गहणं । अकुसलजोगनिरोहो कुसलोदय एगभावो वा ॥ १६७॥ भा० । अब्भिंतरबाहिरगं तवोवहाणं दुवालसविहं तु । इंदियतो पुव्वत्तो नियमो कोहाइओ बिओ ||८|| पुढविदगअगणिमारूअवणस्सइबितिचउक्कपंचिंदी । अज्जीव पोत्थगाइसु गहिएस असंजमो जेणं ||९|| पेहेत्ता संजमो वृत्तो, उपेहित्तावि संजमो । पमज्जेत्ता संजमो वुत्तो, परिठ्ठावेत्तावि संजमो || १७०॥ ठाणाइ जत्थ चेए पुव्वं पडिलेहिऊण चेएज्जा | संजयगिहिचोयणऽचोयणे य वावार ओवेहा ॥ | १ || उवगरणं अइरेगं पाणाई वाऽवहट्टु संजमणं । सागारिएऽपमज्जण संजम सेसे पमज्जणया ||२|| जोगतिगं पुव्वभणिअं समत्तपडिलेहणाए अज्झाओ । चरिमाएँ पोरसीए पडिले त उ पायदुगं ॥ १७३॥ भा० | पोरिसि पमाणकालो निच्छयववहारिओ जिणक्खाओ। निच्छयओ करणजुओ ववहारमतो परं वोच्छं ॥ २८२ ॥ अयणाईयदिणगणे अट्ठगुणेगठ्ठिभाइए लब्द्धं । उत्तरदाहिणमाई पोरिसि पयसुज्झपक्खेवा ||३|| अठ्ठेगसठ्ठिभागा खयवुड्ढी होइ जं अहोरत्ते । तेणट्टगुणक्कारो एगठ्ठी सूरतेएणं ||प्र २४ || आसाढे मासे दो पया, पोसे मासे चउप्पया । चित्तसोएस मासेसु, तिपया हवइ पोरिसी ॥४॥ अंगुलं सत्तरत्तेणं, पक्खेणं तु दुअंगुलं । वड्ढए हायए वावि, मासेण चउरंगुलं ॥५॥ आसाढबहुलपक्खे भद्दवए कत्तिए य पोसे य । फग्गुणवइसाहेसु य बोद्धव्वा ओमरत्ताओ ||६|| जेठ्ठामूले आसाढसावणे छि अंगुलेहिं पडिलेहा । अठ्ठहिं बीअतियंमि य तइए दस अठ्ठहिं चउत्थे ||७|| उवउज्जिऊण पुव्वं तल्लेसो जइ करेइ उवओगं । सोएण चक्खुणा घाणओ य जीहाऍ फासेणं ||८|| पडिलेहणियाकाले फिडिए कल्लाणगं तु पच्छित्तं । पायस्स पासु बेठ्ठो सोयादुवउत्त तल्लेसो ॥ १७४॥ भा० | मुहणंतएण गोच्छं गोच्छगगहिअंगुली हिं पडलाई । उक्कुडुयभाणवत्थे पलिमंधाईसु तं न भवे ||९|| चउकोण भाणकण्णं पमज्ज पाएसरीय तिगुणं तु । भाणस्स पुप्फगय तो इमेहिं कज्जेहिं पडिलेहे ॥ २९० ॥ मूसयरयउक्केरे, घणसंताणए इय । उदए मट्टिआ चेव, एमेया पडिवत्तिओ ||१|| नवगनिवेसे दूराउ उक्केरो मूसएहिं उक्किण्णो । निद्धमहि हरतणू वा ठाणं त् पविसेज्ना ||२|| कोत्थलगारिअघरगं घणसंताणाइया व लग्गेज्जा । उक्केरं सठ्ठाणं हरतणु संचिठ्ठ जा सुक्को || ३ || इयरेसु पोरिसितिगं संचिक्खावेत्तु तत्तिअं छिदे । सव्वं वावि विगिंच पोराणं मट्टिअं ताहे ॥ ४ ॥ पत्तं पमज्जिऊणं अंतो बाहिं सई तु पप्फोडे । केइ पुण तिण्णि वारा चउरंगुल भूमि पडणभया ||५|| विटि अबंधणधरणे अगणीते य दंडियक्खोभे । उउबद्ध धरणबंधण वासासु अबंधणा ठवणा ||२९६ ॥ रयताण भाण धरणा उउबद्धे निक्खिवेज्ज वासासु । अगणीतेणभएण व रायक्खोभे विराहणया ॥ १७५ ॥ भा० | परिगलमाणा हीरेज्ज डहणा भेया तहेव छक्काया। गुत्तो व सयं डज्झे हीरेज्ज व जं च तेण विणा ॥ ६ ॥ वासासु नत्थि अगणी नेव य तेणा उ दंडिया सत्था । तेण अबंधणठवणा एवं पडिलेहणा पाए ||७|| भा० । अणावायमसंलोए अणवाए चेव होइ संलोए। आवायमसंलोए आवाए चेव संलोए ||७|| तत्थावायं दुविहं सपक्खपरपक्खओ य णायव्वं । दुविहं होइ सपक्खे संजय तह संजईणं च ||८|| संविग्गमसंविग्गा संविग्ग मणुण्णएयरा चेव । असंविग्गावि दुविहा तप्पक्खियएअरा चेव ||९|| परपक्खेविय दुविहं माणुस तेरिच्छिअं च नायव्वं । एक्केक्कंपि य तिविहं पुरिसित्थिनपुंसगे चेव ॥ ३००॥ पुरिसावायं तिविहं दंडिअ कोडुंबिए य पागइए । ते सोयऽसोयवाई एमेवित्थी नपुंसा य ॥ १ ॥ एए चेव विभागा परतित्थीणपि होइ मणुयाणं । तिरिआणंपि विभागा अओ परं कित्तइस्सामि ||२|| दित्तादित्ता तिरिआ जहण्णमुक्कोसमज्झिमा तिविहा। एमेवित्थिनपुंसा दुगुंछिअदुगुंछिआ नेया || ३ || गमण मणुण्णे इयरे वितहायरणंमि होइ अहिगरणं । पउरदवकरण दठ्ठे कुसील सेहऽण्णहाभावो ||४|| जत्थऽम्हे वच्चामो जत्थ य आयरइ नाइवग्गो णे। परिभव कामेमाणा संकेयगदिन्नया वावि ||५|| दव अप्प कलुस असई अवण्ण पडिसेह विप्परीणामो। संकाईया दोसा पंडित्थिगहे य जं चऽण्णं || ६ || आहणणाई दित्ते गरहिअतिरिएस संकमाईया। एमेव य संलोए तिरिए वज्जेतु मणुयाणं ||७|| कलुसदवे असई य व पुरिसालोए हवंति दोसा उ। पंडित्थीसुवि एए खद्धे वेउव्वि मुच्छा य ॥८॥ आवायदोस तइए बिइए संलोयओ भवे दोसा । ते दोवि नत्थि पढमे हिंगणं तत्थिमा मेरा ॥९॥ कालमकाले सण्णा कालो तइयाइ सेसयमकालो । पढमा पोरिसि आपुच्छ पाणगमपुप्फियऽण्णदिसिं ॥ ३१० || अइरेगगहण उग्गाहिएण आलोय पुच्छिउं गच्छे। एसा उ अकालंमी अणहिडिय हिंडिया कालो ॥१॥ कप्पेऊणं पाए एक्क्कस्स उ दुवे पडिग्गहए । दाउं दो दो गच्छे तिण्हsठ्ठ दवं तु घेत्तूणं श्री आगमगुणमजूषा १५८८ [१२] Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१३] भाव (४१) ओहनिज्जुत्ति ॥२॥ अजुगलिया अतुरंता विकहारहिया वयंति पढमं तु । निसिइत्तु डगलगहणं आवडणं वच्चमासज्ज ॥ ३॥ अणावायमसंलोए, परस्सणुवघाइए। समे अज्झसिरे यावि, अचिरकालकमि य || ४ || वित्थिणे दूरमोगाढे, नासण्णे बिलवज्जिए । तसपाणबीयरहिए, उच्चाराईणि वोसिरे ||५|| एगदुगतिगचउक्कगपंचछसत्तठ्ठनवगदसगेहिं । संजोगा कायव्वा भंगसहस्सा चउव्वीसं || ६ || उभयमुहं रासिदुगं हेठ्ठिल्लाणंतरेण भय पढमं । लद्धहरासिविभत्ते तस्सुवरिगुणं तु संजोगा । २५ प्र० । आयापवयणसंजम तिविहं उग्घाइमं तु नायव्वं । आरामं वच्च अगणी पिट्टण असुई य अन्नत्थ ॥ १७८ ॥ भा० । विसम पलोट्टण आया इयरस्स पलोट्टणंमि छक्काया । झुसिरंमि विच्छुगाई उभयक्कमणे तसाईया || ९ || जे जंमि उउंमि कया पयावणाईहि थंडिला ते उ । होतियरंमि चिरकया वासा वुच्छेय बारसगं ||१८०|| हत्थायामं चउरस्स जहण्णं जोयणे बिछक्कियरं । चउरंगुलप्पमाणं जहण्णयं दूरमोगाढं ॥१॥ दव्वासण्णं भवणाइयाण तहियं तु संजमायाए। आयापवयणसंजमदोसा || २ || होति बिले दो दोसा तसेसु बीएस वावि ते चेव । संजोगओ अ दोसा मूलगमा होति सविसेसा ॥ १८३॥ भा० । दिसिपवणगामसूरियछायाऍ जिऊण तिक्खुत्तो । जस्सोग्गहोत्ति काऊण वोसिरे आयमेज्जा वा || ३१७॥ उत्तरपुव्वा पुज्जा जम्माऍ निसियरा अहिवडंति । घाणाऽरिसा य पवणे सूरियगामे अवण्णो उ ||४|| भा० | संसत्तग्गहणी पुण छायाए निग्गयाए वोसिरइ । छायासइ उण्हंमिवि वोसिरिय मुहुत्तयं चिठ्ठे || १८५॥ भा० | उवगरणं वामे ऊरुगंमि मत्तं च दाहिणे हत्थे । तत्थऽन्नत्थ व पुंछे तिहि आयमणं अदूरंमि ||८|| पढमासइ अमणुन्नेयराण गिहियाण वावि आलोए। पत्तेयमत्त कुरूकुय दवं च पउरं गिहत्थेसु ||९|| तेण परं पुरिसाणं असोयवाईण वच्च आवायं । इत्थिनपुंसालोए परंमुह कुरूकुया सा उ || ३२०|| तेण परं आवायं पुरिसेअरइत्थियाण तिरियाणं । तत्थविअ परिहरेज्जा दुछिए दित्तचित्ते || १ || तत्तो इत्थिनपुंसा तिविहा तत्थवि असोयवाईसु । तहिअं तु सद्दकरणं आउलगमणं कुरूकुया य ॥२॥ अव्वोच्छिन्ना तसा पाणा, पडिहा न सुज्झई। तम्हा हठ्ठपहठ्ठस्स, अवद्वंभो न कप्पई ॥३॥ संचर कुंथुद्देहिअलूयावेहे तहेव दाली अ । घरकोइलिआ सप्पे विस्संभर उंदुरे सरडे ||४|| संचारगा चउद्दिि पुव्वि पडिलेहिएव अन्नेति । उद्देहि मूल पडणे विराहणा तदुभए भेओ || १८६ ॥ भा० | लूयाइचमढणा संजमंमि आयाए विच्छुगाईया । एवं घरकोइलिआ अहिउंदुरसरडमाईसु ॥ १८७॥ भा० | अतरंतस्स उ पासा गाढं दुक्खंति तेणऽवभे । संजयपट्टी थंभे सेलछुहाकुइडविट्टी ॥ ५॥ पंथं तु वच्चमाणा जुगंतरं चक्खुणा व पडिलेहा। अइदूरचक्खुपाए सुहुमतिरिच्छागय न पेहे ॥६॥ अच्चासन्ननिरोहे दुक्खं दठुंपि पायसंहरणं । छक्कायविओरमणं सरीर तह भत्तपाणे य ॥७॥ उड्ढमुहो कहरत्तो अवयक्खंतो वियक्खमाणो य। बातरकाए वहए तसेतरे संजमे दोसा ॥ ८॥ भा० । निरवेक्खो वच्वंतो आवडिओ खाणुकंटविसमेसु । पंचण्ह इंदियाणं अन्नतरं सो विराना || ९ || भत्ते वा पाणे वा आवडियपडियस्स भिन्नपाए वा । छक्कायविओरमणं उड्डाहो अप्पणी हाणी || १९० || दहि घय तक्कं पयमंबिलं व सत्थं तसेतराण भवे। खर्द्धमि य जणवाओ बहुफोडो जं च पारिहाणी ॥१९१॥ भा० । पत्तं च मग्गमाणे हवेज्ज पंथे विराहणा दुविंहा । दुविहाय भवे तेणा परिकम्मे सुत्तपरिहाणी ॥८॥ एसा पडिलेहणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता । संजमगुणड्ढगाणं निग्गंथाणं महरिसीणं ॥ ९ ॥ एयं पडिलेहणविहिं जुंजंता चरणकरणमाउत्ता। साहू खवंति कम्मं अणेगभवसंचियमणंतं ॥३३०|| पिंडं व एसणं वा एत्तो वोच्छं गुरूवएसेणं । गवेसणगहणघासेसणाए तिविहाए विसुद्धं || १ || पिंडस्स उ निक्खेवो चउक्कओ छक्कओ य कायव्वो । निक्खेवं काऊणं परूवणा तस्स कायव्वा ॥२॥ नामं ठवणापिंडो दव्वपिंडो य भावपिंडो य। एसो खलु पिंडस्स उ निक्खेवो चउविहो होइ ||३|| गोण्णं समय वाजं वावि हवेज्न तदुभएण कयं । तं बिति नामपिंडं ठवणापिंडं अओ वोच्छं ||४|| अक्खे वराडए वा कठ्ठे पोत्थे व चित्तकम्मे वा । सब्भावमसभावा ठवणापिंडं वियाणाहि ॥५॥ तिविहो य दव्वपिंडो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो। अच्चित्तो य दसविहो सच्चित्तो मीसओ नवहा ॥६॥ पुढवी आउक्काए तेऊवाऊवणस्सई चेव । बिअतिअचउरो पंचिंदिया य लेवो य दसमो उ ||७|| पुढविक्काओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अचित्तो। सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारिओ चेव ॥८॥ निच्छयओ सच्चित्तो पुढविमहापव्वयाण बहुमज्झे । अच्चित्तमीसवज्जो सेसो ववहारसच्चित्तो ||९|| खीरदुमहेठ्ठ पंथे कट्टोल्ला इंधणे य मीसो य। पोरिसि एगदुगतिगं बहुइंधणमज्झथोवे अ ॥ ३४० ॥ सीउण्हखारखत्ते अग्गीलोणूस अंबिले नेहे । वक्कंत जोणिएणं पओयणं तेणिमं होति ॥ १ ॥ अवरद्धिग विसबंधे लवणेण व सुरभिउवलएणं श्री आगमगुणमंजूषा १५८९ XX Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2010_03 For Prvate & Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2010_03 For Prvate & Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 听听听听听乐频听听听听听听听听 Ser0555 55 乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐国乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐 05555555555555 (४१) ओहनिज्जुत्ति . [१६] र अहिगारो॥४१०|| लित्तंमि भायणंमि उ पिंडस्स उवग्गहो उ कायव्वो। जुत्तस्स एसणाए तमहं वोच्छं समासेणं ।।२१।। भा० । नाम ठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयव्वा । दव्वंमि हिरण्णाई गवेसगह जणा भावे ॥१॥ पमाण काले आवस्सए य संघाडए य उवकरणे । मत्तग काउस्सग्गो जस्स य जोगो सपडिवक्खो॥२॥ दुविहं होइ पमाणं कालं भिक्खा पवेसमाणं च । सन्ना भिक्खायरिआ भिक्खे दो काल पढमद्धा ॥२१३||भा० । आरेण भद्दपंता भद्दग उठ्वण भंडण पदोसा। दोसीणपउरकरणं ठवियगदोसाय भइंमि||४|| अद्दागऽमंगलं वा उब्भावण खिसणा हणण पंते। फिडिउग्गमे य ठविया भद्दगचारी किलिस्सणया॥५॥ भिक्खस्सविय अवेला ओसक्कऽहिसक्कणे भवे दोसा। भद्दगपंतातीया तम्हा पत्ते चरे काले ॥६।। आवस्सग सोहेउं पविसे भिक्खस्सऽसोहणे दोसा। उग्गाहिअवोसिरणे दवअसईए य उड्डाहो ॥७|| अइदूरगमणफिडिओ अलहंतो एसणंपि पेल्लेज्जा । छड्डावण पंतावण धरणे मरणं च छक्काया ।।२१८|| भा०। एगाणियस्स दोसा इत्थी साणे तहेव पडिणीए । भिक्खऽविसोहि महव्वय तम्हा सबितिज्जए गमणं ॥४१३|| संघाडगअग्गहणे दोसा एगस्स इत्थियाउ भवे । साणे भिक्खुवओगे संजमआएगयरदोसा ॐ ॥२१९|| भा० । दोण्णि उ दुद्धरिसतरा एगोत्ति हणे पदुठ्ठपडिणीए। तिघरगहणे असोही अग्गहण पदोसपरिहाणी ॥२२०|| पाणिवहो तिसु गहणे पउंजणे कोंटलस्स बितियं तु । तेणं उच्छुद्धाई परिग्गहोऽणे सणग्गहणे ॥१॥ विवा पउत्थवझ्या पयारमलभंति दठुमेगागिं । दारपिहाणय गहणं इच्छमणिच्छे य दोसा उ॥२२२।। भा० । गारविए काहीए माइल्ले अलस लुद्ध निद्धम्मे। दुल्लभ अत्ताहिठ्ठिय अमणुन्ने वा असंघाडो॥४१४|| संघाडगरायणिओ अलद्धि ओमो य लद्धिसंपन्नो । जेठग्ग पडिग्गहगं मुह (य) गारवकारणा एगो॥२२३|| भा० । काहीउ कहेइ कहं बिइओ वारेइ अहव गुरूकहणं । एवं सो एगागी माइल्लो भद्दगं भुंजे ॥४॥ अलसो चिरं न म हिंडइ लुद्धो ओहासए विगईओ। निद्धम्मोऽणेसणाई दुल्लहभिक्खे व एगागी ।।५।। अत्ताहिठ्ठियजोगी असंखडीओ वऽणिठ्ठ सव्वेसिं । एवं सो एगागी हिंडइ उवएसऽणुवदेसा ।।६।। सव्वोवगरणमाया असहू आयारभंडगेण सह । नयणं तु मत्तगस्सा न य परिभोगो विणा कज्जे ||७|| आपुच्छणत्ति पढमा बिइया पडिपुच्छणा य कायव्वा। आवस्सिया य तइया जस्सय जोगो चउत्थो उ॥२२८॥ भा०। आयरियाईणठ्ठा ओमगिलाणठ्या य बहुसोऽवि। गेलन्नखमगपाहुण अतिप्पएऽतिच्छिए यावि ||५|| अणुकंपापडिसेहो कयाइ हिंडेज्ज वा न वा हिंडे । अणभोगि गिलाणठ्ठा आवस्सगऽसोहइत्ताणं ।।६।। आसन्नाउ नियत्ते कालि पहुप्पंति दूरपत्तोवि । अपहुप्पंते तो च्चिय एगु धरे वोसिरे एगो॥७|| भावासन्नो समणुनन अन्नओसन्नसड्ढवेज्ज घरे। सल्लपरूवण वेज्जो तत्थेव परोहडे वावि ।।८। एएसिं असईए रायपहे दो घराण वा मज्झे । हत्थं हत्थं मुत्तुं मज्झे सो नरवइस्स भवे ॥प्र०२७॥ उग्गह काइयवज्ज छंडण ववहारू लब्भए तत्थ । गारविए पन्नवणा तव चेव अणुग्गहो एस ॥९|| जइ दोण्ह एग भिक्खा न य वेल पहुप्पए तओ एगो । सव्वेवि अत्तलाभी पडिसेहमणुन्न पियधम्मे ।।४२०|| अमणुन्न अन्नसंजोइया उ सव्वेवि णेच्छण विवेगो। बहुगुणतदेक्कदोसे एसणबलवं नउ विगिंचे॥१|| इत्थीगहणे धम्मं कहेइ वयठवण गुरूससमीवंमि । इह चेवोवर रज्जू भएण मोहोवसम तीए ||२|| साणा गोणा इयरे परिहरऽणाभोग कुड्डकडनीसा । वारइ य दंडएणं वारावे वा अगारेहिं ॥३|| पडिणीयगेहवज्जण अणभोगपविट्ठ बोलनिक्खमंण । मज्झे तिण्ह घराणं उवओग करेउ गेण्हेज्ना ||४|| वेंटल पुट्ठों न याणे आयन्नातीणि वज्जए ठाणे । सुद्धं गवेस उंदं पंचऽइयारे परिहरंतो॥५|| जहणेण चोलपट्ठो वीसरणालू गहाय गच्छेजा। उस्सग्ग काउ गमणे मत्तयऽगहणे इमे दोसा ||६|| आयरिए य गिलणे पाहुणए दुल्लहे सहसलाभे । संसत्तभत्तपाणे मत्तगगहणं अणुन्नायं |७|| पाउग्गायरियाई कह गिण्हउ मत्तए अगहियंमि। जा एसि विराहणया दवभाणे जं दवेण विणा॥२२९|| भा० । दुल्लहदव्वं व सिया घयाइ गिण्हे उवग्गहकरं तु । पउरऽन्नपाणलंभो असंथरे कत्थ य सिया उ? ॥२३०॥ संसत्तभत्तपाणे मत्तग सोहेउ पक्खिवे उवरिं। संसत्तगं च णाउं परिठ्ठवे सेसरक्खट्ठा ।।२३१|| भा०। गेलन्नकज्जतुरिओ अणभोगेणं च लित्त अग्गहणं । अणभोग गिलाणट्ठा उस्सग्गदीणि नवि कुज्जा ।।८। जस्स य जोगमकाऊण निग्गमो लभई तु सच्चित्तं । न य वत्थपा-यमाई तेण्णं गहणे कुणसुतम्हा ।।९।। सो आपुच्छि अणुन्नाओं सग्गामे हिंड अहव परगामे । सग्गामे सइकाले पत्ते परगामें वोच्छामि॥४३०॥ पुरतो जुगमायाए गंतूणं अन्नगामबा-हिठओ। तरुणे मज्झिम १ थेरे नव पुच्छाओ जहा हेट्ठा ॥१॥ पायपमज्जणपडिलेहणा उभाणदुग देसकालंमि । अप्पत्तेऽविय पाए पमज्ज पत्ते य पायदुगं ।।२।। समणं समणिं सावग साविय गिहिर teres555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा १५९२ 55555555555555555555555595955SOF ON9明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明劣埃蛋乐乐乐历历明明听听听听听听乐乐乐乐乐明乐乐乐O Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१७] (४१) ओहनिज्जुत्ति अन्नतित्थि बहि पुच्छे । अत्थीह समण सुविहिया सिट्ठे तेसालंय गच्छे ||३|| समणुण्णेसु पवेसो बाहिं ठविऊण अन्न किइकम्मं । खग्गूडे सन्नेसुं ठवणा उच्छोभवंदणयं ||४|| गेलन्नाइ अबाहा पुच्छिय सयकारणं च दीवित्ता। जयणशए ठवणकुले पुच्छइ दोसा अजयणा ||५|| दाणे अभिगमसड्ढे संमत्ते खलु तहेव मिच्छत्ते । मामाए अचियत्ते कुलाई जयणाइ दायंति ||६|| सागारि वणिम सुणए गोणे पुन्ने दुगुंछियकुलाई । हिंसागं मामागं सव्वपयत्तेण वज्जेज्जा ||७|| बाहाए अंगुलीय व लट्ठीइ व उज्जुओ ठिओ संतो। न पुच्छेज्ज न दाएज्ना पच्चावाया भवे दोसा ||८|| अगणीण व तेणेहि व जीवियववरोवणं तु पडिणीए । खरओ खरिया सुण्हा णट्टे वट्टक्खुरे संका ||९|| पडिकुकुलाणं पुण पंचविहा धूभिआ अभिन्नाणं । भग्गघरगोपुराई रुक्खा नाणविहा चेव ॥४४०॥ ठवणा मिलक्खुनेड्डं अचियत्तघरं तहेव पडिकुंटुं । एवं गणधरमेंर अइक्कमंतो विराहेज्जा || १ || छक्कायदयावंतोऽवि संजओ दुल्लहं कुणइ बोहिं । आहारे नीहारे दुगुछिया पिंडगहणे य ॥२॥ जे जहिं दुगुछिया खलु पव्वावणवसहिभत्तपाणेसु । जिणवयणे पडिकुट्ठा वज्जेयव्वा पयत्तेणं ॥ ३॥ अट्ठारस पुरिसेसुं वीसं इत्थीसु दस नपुंसेसुं । पव्वावणाऍ एए दुगुछिया जिणवरमयंमि ||४|| दोसेण जस्स अयसो आयासो पवयणे य अग्गहणं । विप्परिणामो अप्पच्चओ य कुच्छा य उप्पज्जे ||५|| पवय- णमणपेहंतम्स तस्स निद्धंधसस्स लुद्धस्स । बहुमोहस्स भगवया संसाराऽणंतओ भणिओ || ६ || जो जह व तह व लद्धं गिण्हइ आहारउहिमाईयं । समणगुणमुक्कजोगी संसारपवड्ढओ भणिओ || ७ || एसणमणेसणं वा कह ते नाहिति जिणक्रमयं वा । कुरिणमिव पोयाला जे मुक्का पव्वइयमेत्ता ? ॥८॥ गच्छंमि केइ पुरिसा सउणी जह पजरंतरनिरुद्धा। सारणवारण-चइया पासत्थ गया पविहरंति ||९|| तिविहोवघायमेयं परिहरमाणो गवेसए पिंडं । दुविहा गवेसणा पुण दव्वे भावे इमा दव्वे ॥ ४५०|| जियसत्तुदेविचितत्तसभपविसणं कणगपिट्ठपास या । डोह दुब्बल पुच्छा कहणं आणा य पुरिसाणं ||१|| सीवन्निसरिसमोदगकरणं सीवन्निरुक्खहेसु । आगमण कुरंगाणं पसत्थअपसत्थउवमा उ ||२|| विइयमेंय कुरंगाणं जया सीवन्नि सीदई । पुरावि वाया वायंति, न उणं पुंजगपुंजगा || ३ || हत्थगहणमि गिम्हे अरहट्टेहिं भरणं तु सरसीणं । अच्चुदएण नलवणा अभिरुढा गयकुलागमणं ||४|| विइय मेयं गयकुलाणं, जहा रोहंति नलवणा अन्नयावि झरंति सरा, न एवं बहुओदगा || ५ || हाणाईसु विराइयं आरंभकडं तु दाणमाईसु । आयरियनिवारणया अपसत्थितरे-उवणओ उ || ६ || धम्मरुइ अज्जवयरे लंभो वेउव्वियस्स नभगमणं । जेट्ठामूले अट्टम उवरिं हेट्ठा व देवाणं ||७|| आयावणऽमेणं जेट्ठामूलंमि धम्मरुइणो उ । गमणऽन्नगामभिक्खट्टया य देवस्स अणुकंपा || २३२ ॥ भा० | कोंकणरुवविउव्वण अंबिल छड्डेमऽहं पियसु पाणं । छड्डेहित्तिय बिइओ तं गिण्ह मुणित्ति उवओगो || ३ || तण्हाछुहाकिलंतं दट्ठऊणं कुंकणो भणइ साहु। उज्झामि अंबकंजिय अज्जो । गिण्हाहि णं तिसिओ ||४|| सोऊणं कोंकणस्य साहू वणं इमं विचिंतेइ । गविसणविहिए निउणं जह भणिअं सव्वदसीहिं ॥ ५॥ गविसणगहणकुडंगं नाऊण मुणी उ मुणियपरमत्थो । आहडरक्खणहेरं उवज भावओ निउणं ॥ ६ ॥ उक्कोसदव्व खत्तें च अरण्णं कालाओ निदाओ उ । भावे हट्ठपट्ठो हिट्ठा उवरिं च उवओगो ||७|| दट्ठूण तस्स रुवं अच्छिनिवेसं च पायनिक्खेवं । उवउंजिऊर पुव्विं गुज्झिगमिणमोत्ति वज्जेइ ||८|| सत्ताहवद्दले पुव्वसंगई वणियविरुवुवक्खडणं । आमंतण खुड्ड गुरु अणुणवनं बिंदु उवओगो ॥२३९॥ भा० । एसा गवेसणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता । गहणेसणंपि एत्तो वोच्छं अप्पक्खरमहत्थं ॥८॥ नामं ठवणा दविए भावे गहणेसणा मुणेयव्वा । दव्वे वानरजूहं भावंमि य ठाणमाईणि ||९|| परिसडियपंडुपत्तं वणसंडं दट्टू अन्नहिं पेसे। जूहवई पडियीरिए जूहेण समं तहिं गच्छे ||४६०|| सयमेवालोएडं जूहवई तं वणं समं तेहिं । वियरइ तेसि पयार चरिऊणं य ते दहं गच्छे ||१|| ओयरंतं पयं दहुं, उत्तरंतं न दीसइ । नालेण पियह पाणीयं, नेस निक्कारणो दहो ||२|| ठाणे य दायए चेव, गणे गणागमे । पत्ते परियत्ते पाडिए य गुरुयं तिहा भावे ||३|| आया पवयण संजम तिविहं ठाणं तु होइ नायव्वं । गोणाइ पुढविमाई निद्धमणाई पयवणंमि ॥२४०|| भा० । गोणे महिसे आसे पेल्लण आ-हणण मारणं भवइ । दरगहियभाणभेदो छड्डणि भिक्खस्स छक्काया ॥४॥ चलकुड्डपडणकंटगबिलस्स व पासि होइ आयाए । निक्खमपवेसज्जण गोणे महिसे य आसे य || ५ | पुढविदगअगणिमारुयतरुतसवज्जंमि ठाणि ठाइज्जा । दिंती व हेट्ठ उवरिं जहा न घट्ठेइ फलमाई ॥ ६ ॥ पासवणे उच्चारे सिणाण आयमणठाण उक्कुरुडे । निद्धमणमसुइमाई पवयणहाणी विवज्जेज्जा ||७|| अवत्तमपहु थेरे पंडे मत्ते य खित्तचित्ते य। दित्ते जक्खाइठ्ठे करचरछिन्नेऽन्ध णियले य फफफफफफफफफफफफफ Dduate & Person श्री आगमगुणमंजूषा - १५९३ SOYO 6 SWOR Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR5555555 (४१) ओहनिज्जुत्ति [१८] $$$ $ $ $ 2 0 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明 ॥८॥ तद्दोसगुठ्विणीबालवच्छकंडंतपीसभज्जती । कत्ती पिजंती भइया दगमाइणो दोसा ।।९।। कप्पठ्ठिगअप्पाहणदिन्ने अन्नोन्नगणपज्जतं । खंतियमग्गणदिन्नं उड्डाहपदोसचारभडा॥२४१|| भा० अप्पभु भयगाईया उभएगतरे पदोस पहुकुज्जा। थेरे चलंत पडणं अप्पभुदोसाय ते चेव ||२|| आयपरोभयदोसा अभिक्खगहणंमिई खुब्भण नपुंसे । लोगद्गुंछा संका एरिसगा नूणमेतेऽवि ||३|| अवयास भाणभेदो वमणं असुइत्ति लोगउड्डाहो । खित्ते य दित्तचित्ते जक्खाइढे य दोसा उ॥४॥ करछिन्न असुइ चरणे पडणं अंधिल्लए य छक्काया । नियलाऽसुइ पडणं वा तद्दोसी संकमो असुइ।।५।। गुव्विणि गब्भे संघट्टणा उ उति निविसमाणीय । बालाई मंसउंडग मज्जाराई विराहेज्जा ।।६।। बीओदगसंघट्टण कंडणपीसंत भज्जणे डहणं । कत्तंती पिंजती हत्थे लित्तंमि उदगवहो ।।२४७|| भा० । भिक्खामेत्ते अवियालणं तु बालेण दिज्जमाणंमि । संदिढे वा गहणं अइबहुयवियालऽणुन्नाओ ।।४७०|| अप्पहुसंदिठे वा भिक्खामित्ते व गहणऽसंदिखे। थेरपहू थरथरते धरणं अहवा दढसरीरे ||१|| पंडग अप्पडिसेवी मत्तो सड्ढो व अप्पसागरिए । खित्ताइ भद्दगाणं करचर बिठ्ठप्पसागरिए ।।२।। सड्ढो व अन्नरूंभण अंधे सवियारणा य बद्धंमि । तद्दोसए अभिन्ने वेला थणजीवियं थेरा ||३|| उक्खित्तऽपच्चवाए कंडे पीसे वऽछूढ भज्जन्ती । सुक्कं व पीसमाणी बुद्धीय विभावए सम्म ||४|| मुसले उक्खित्तंमि य अपच्चवाए य पीस अच्चित्ते । भज्जती अच्छुढे भुंजन्ती जा अणारद्धा ।।२४८||भा० । कत्तीए थूलं विक्खिण लोढण जतिय निकृवियं । पिंजण असोयवाई भयणागहणं तु एएसिं ||५|| गमणं च दायगस्सा हेठ्ठा उवरिं च होइ नायव्वं । संजमआयविराहण तस्स सरीरे य मिच्छत्तं ||६|| वच्चंती छक्काया पमद्दए हिठ्ठ उवरि तिरियं च। फलवल्लिरूक्क्ख साला तिरिया मणुया य तिरियं तु ॥२४९||भा०। कंटगमाई य अहे उप्पिं अहिमादि लंबणे आया। तस्स सरीरविणासो मिच्छत्तुड्डाह वोच्छेओ ॥२५०॥ भा० । नीयवारूग्घाडणकवाडठिय देह दारमाइन्ने । इड्रिपत्थियलिद गहणं पत्तस्सऽपडिलेहा ॥७॥ नियमा उ दिठ्ठगाही जिणमाई गच्छनिग्गया होति। थेरावि दिठ्ठगाही अदिछि करेंति उवओगं ।।२५१|| भा० । णीयदुवारूवओगे उड्डाह अवाउडा पदोसोय। हियनळूमि य संका एमेव कवाडउग्घाडे ।।२। देहऽन्नसरीरेण है व दारं पिहिअं जणाउलं वावि । इड्डरपत्थियलिंदण वावि पिहियं तहिं वावि ।।३।। एतेहिऽदीसमाणे अग्गहणं अह व कुज्ज उवओगं । सोतेण चक्खुणा घाणओ य जीहाएँ फासेणं ।।४।। हत्थं मत्तं च धुवे सद्दो उदकस्स अहव मत्तस्स । गंधे व कुलिंगाई तत्थेव रसो फरिसबिंदू ।।५|| सो होइ दिठ्ठगाही जो एते जुंजई पदे सव्वे । ॥ निस्संकिय निग्गमणं आसंकपयंमि संचिक्खे ॥२५६||भा० । आगमणदायगस्सा हेठ्ठा उवरिं च होइ जह पुव्विं । संजमआयविराहण दिळूतो होइ वच्छेण ||८|| पत्तस्स उ पडिलेहा हत्थे मत्ते तहेव दव्वे य । उदउल्ले ससिणिद्धे संसत्ते चेव परियत्ते ॥९॥ तिरियं उड्ढमहेविय भायणपडिलेहणं तु कायव्वं । हत्थं मत्तं दव्वं तिन्नि उपत्तस्स पडिलेहा॥२५७|| भा०।मा ससिणिद्धोदउल्ले तसाउलं गिण्ह एगतर दर्छ। परियत्तियं च मत्तं ससिणिद्धाईसु पडिलेहा ||८||भा०। पडिओ खलु दळुव्वो कित्तिम साहाविओ य जो पिंडो। संजमआयविराहण दि→तो सिठ्ठिकब्बठ्ठो ।।४८०|| गरविसअठ्ठियकंटय विरूद्धदव्वंमि होइ आयाए। संजमओ छक्काया तम्हा पडियं विगिचिज्जा ॥१॥ अणभोगेण भएण य पडिणी उम्मीस भत्तपाणंमि। दिज्जा हिरण्णमाई आवजण संकणा दिढे ॥२॥ उक्खेवे निक्खेवे महल्लया लुद्धया वहो दाहो। अचियत्ते वोच्छेओ छक्कायवहो य गुरूमत्ते||३|| गुरूदव्वेण व पिहिअं सयं व गुरूयं हवेज जं दव्वं । उक्खेवे निक्खेवे कडिभंजण पाय उवरिं वा ।।९|| भा० । महल्लेण देहि मा डहरएण भिन्ने अहो इमो लुद्धो । उभएगतरे व वहो दाहो अच्चुण्ह एमेव ।।२६०।। बहुगहणे अचियत्तं वोच्छेओं तदन्नदव्व तस्सविय । छक्कायाण य वहणं अइमत्ते तंमि मत्तंमि ।।२६१|| भा० । तिविहो य होइ कालो गिम्हो हेमंत तह य वासासु । तिविहो य दायगो खलु थी पुरिस नपुंसओ चेव ।।४।। एक्किक्कोविअ तिविहो तरूणो तह मज्झिमो य थेरो य । सीयतणुओ नपुंसो सोम्हित्थी मज्डिमो पुरिसो॥५|| पुरकम्मं उदउल्लं ससिणिद्धं तंपि होइ तिविहं तु । इक्किकंपिय तिविहं सच्चित्ताचित्तमीसंतु||६|| आइदुवे पडिसेहो पुरओ कय जंतु तं पुरेकम्मं । उदउल्लबिंदुसहिअं ससिणिद्धे मग्गणा होइ॥७॥ ससिणिद्धंपिय तिविहं सच्चित्ताचित्तमीसगं म चेव । अच्चित्तं पुण ठप्पं अहिगारो मीससच्चित्ते ।।८|| पव्वाण किंचि अव्वाणमेव किंचिच्च होअणुव्वाणं । पाएण हि य (तं) सव्वं एक्कक्कहाणी य वुड्ढी य ||९|| २ सत्तविभागण कर विभायइत्ताण इत्थिमाईणं । निन्नन्नयइयरेविय रेहा पव्वे करतले य॥४९०|| जाहे य उन्नयाई उव्वाणाई हवंति हत्थस्स। ताहे तल पव्वाणा लेहा पुण reOF 55 श्री आगमगुणमजूषा - १५९४ ॥ ॥ ॥॥॥ ॥ ॥ ॥ 6YOR 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听$ 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) ओहनिज्जुत्ति फ्रफ़ फ्रफ़ फ्रॐ ॐ ॐ ॐ ॐ होतऽणुव्वाणा ॥१॥ तरूणित्थि एक्कभागे पव्वाणे होइ गहण गिम्हासु | हेमंते दोसु भवे तिसु पव्वाणेसु वासासु ||२|| एमेव मज्झिमाए आढत्तं दोसु ठायए चउसु । तिसु आढत्तं थेरीनवर ठाणेसु पंचसु उ ॥ ३ ॥ एमेव होइ पुरिसो दुगाइछठ्ठाणपज्जवसिएसुं। अपुमं तु तिभागाइं सत्तमभागे अवसिते उ ||४|| दुविहो य होइ भावो लोइय लोउत्तरो समासेणं । एक्किक्कोविय दुविहो पसत्थओ अप्पसत्थो य ॥५॥ सज्झिलगा दो वणिया गामं गंतूण करिसणारंभो। एगस्स देहमंडणबाउसिआ भारिया अलसा ||६|| मुहधोवण दंतवणं अद्दागाईणं कल्ल आवासं । पुव्वण्हकरणमप्पण उक्कोसयरं च मज्झण्हे ||७|| तणकट्टहारगाणं न देइ न य दासपेसवग्गस्स । न य पेसणे निउंजइ पलाणि हिय हाणि गेहस्स ॥८॥ बिइयस्स पेसवग्गं वावारे अन्नपेसणे कम्मे । काले देहाहारं सयं च उवजीवई इड्ढी || ९ || वन्नवलरूवहेउं आहारे जो तुलाभि लब्भंते । अतिरेगं न उ गिण्हइ पाउग्गगिलाणमाईण || ५०० || जह सा हिरण्णमाइसु परिहीणा होइ दुक्खआभागी । एवं तिगपरिहीणा साहू दुक्खस्स आभागी ||१|| आयरियगिलाणठ्ठा गिण्ह न महंति एव जो साहू । नो वन्नरूवहेउं आहारे एस उ पसत्थो ॥ २॥ उग्गमउप्पायणएसणाऍ बायाल होति अवराहा । सोहे समुयाणं पडुपन्ने वच्चए वसहिं ॥ ३॥ सुन्नघरदेउले वा असई य उवस्सयस्स वा दारे । संसत्तकंटगाई सोहेउमुवस्सगं पविसे ॥ ४ ॥ संसत्तं तत्तो च्चिय परिवेत्ता पुणो दवं गिण्हे। कारण मत्तयगहियं पडिग्गहे छोढु पविसणया ||५|| गामे य कालमाणे पहुच्चमाणे हवंति भंगऽठ्ठ। काले अपहुप्पंते नियत्तई सेसए भयणा ||६|| अण्णं च वए गामं अण्णं भाणं व गेण्ह सइ काले । पढमे बितिए छप्पंचमे य भय सेस य नियत्ते ||७|| वोसिठुमागयाणं उब्वासिय मत्तए य भूमितियं । पडिलेहियमत्थमणं सत्यमिए जहन्नो उ ॥ ८॥ भुत्ते वियारभूमी गयागयाणं तु जह य ओगाहे। चरमाएँ पोरिसीए उक्कोसो सेस मज्झिमओ ||९|| पायप्पमज्जण निसीहिया य तिन्नि उ करे पवेसंमि। अंजलि ठाणविसोही दंडग उवहिस्स निक्खेवो ॥५१०॥ एवं पडुपन्ने पविसओ उ तिन्नि व निसीहिया होति । अग्गद्दारे मज्झे पवेस पाए य सागरिए || २६२|| भा० । हत्थुस्सेहो सीसप्पणामणं वाइओ नमोक्कारो । गुरुभायणे पणामो वायाऍ नमो न उस्सेहो ॥ ३॥ उवरिं हेठ्ठा य पमज्जिऊण लठ्ठेि ठवेज्ज सठ्ठाणे | पट्टं उवहिस्सुवरिं भायणवत्थाणि भाणेसु ॥४॥ जइ पुण पासवणं से हवेज्ज तो उग्गहं सपच्छागं । दाउँ अन्नस्स सचोलपट्टओ काइयं निसिरे || २६५॥ भा० | चउरंगुल मुहपत्ती उज्जुयए वामहत्थि रयहरणं । वोसठ्ठचत्तदेहो काउस्सग्गं करेज्जाहि || १ || चउरंगुलमप्पत्तं जाणुगहेठ्ठा छिवोवरिं नाहिं । उभओ कोप्परधरिअं करेज्न पट्टं च पडलं वा ||६|| भा० । पुव्वुद्दिठ्ठे ठाणे ठाउं चउरंगुलंतरं काउं। मुहपोत्ति उज्जुहत्थे वामंमि य पायपुंछणयं ॥२॥ काउस्सग्गंमि ठिओ चिंते समुयाणिए अईआरे । जा निग्गमप्पवेसो तत्थ उ दोसे मणे कुज्जा ||३|| ते उ पडिसेवणाए अणुलोमा होति वियडणाए य । पडिसेववियडणाए एत्थ उ चउरो भवे भंगा ॥४॥ वक्खित्तपराहुत्ते पत्ते मा कयाइ आलोए । आहारं च करेंतो नीहारं वा जइ करेइ ||५|| कहणाईवक्खित्ते विकहाइ पमत्त अन्नओ व मुहे। अंतरमकारए वा नीहारे संक मरणं वा ॥ २६७॥ भा० । अव्वक्खित्ताउत्तं उवसंतमुवद्विअं च नाऊणं । अणुन्नवेत्तु मेहावी, आलोएज्जा सुसंजए || ६ || कहणाइ अवक्खित्ते कोहाइ अणाउले तदुवउत्ते । संदिसहत्ति अणुन्नं काऊण विदिन्नमालोए ॥ ८॥ भा० | नहं वलं चलं भासं मूयं तह ढड्ढरं च वज्जेज्जा । आलोएज्ज सुविहिओ हत्थं मत्तं च वावारं ||७|| करपायभमुहिसीसऽच्छिउठ्ठमाईहिं नट्टिअं नाम । वलणं हत्थसरीरे चलणं काए य भावे य || ९ || भा० | गारत्थियभासाओ य वज्जए मूय ढड्ढरं च सरं । आलोए वावारं संसठ्ठियरे व करमत्ते ||२७०|| भा० । यद्दोसविमुक्कं गुरूणो गुरूसम्मयस्स वाऽऽलोए। जं जह गहियं तु भवे पढमाओ जा भवे चरिमा ||८|| काले य पहुप्पते उच्चा (व्वा) ओ वावि ओहमालोए। वेला गिलाणगस्स व अइच्छइ गुरू व उच्चाओ ॥९॥ पुरकम्म पच्छकम्मे अप्पेऽसुद्धे य ओहमालोए। तुरियकरणंमि जं से न सुज्झई तत्तिअं कहए || ५२०|| आलोइत्ता सव्वं सीसं सपडिग्गहं पमज्जित्ता । उड्ढमहो तिरियंमी पडिलेहे सव्वओ सव्वं ॥ १ ॥ उड्ढं पुप्फफलाई तिरियं मज्जारिसाणडिंभाई। खीलगदारूगआवडण अहो पे || २७१ || भा० । ओणमओ पवडेज्जा सिरओ पाणा सिरं पमज्जेज्जा। एमेव उग्गहंमिवि मा संकुडणे तसविणासो ||२|| काउं पडिग्गहं करयलंमि अद्धं च ओणमित्ताणं । भत्तं वा पाणं वा पडिदंसिज्जा गुरूसगासे ||३|| ताहे य दुरालोइय भत्तपाण एसणभणेसणाए उ । अठुस्सासे अहवा अणुग्गहादी उ झापज्जा ॥ २७४॥ भा० । विणण पठ्ठवित्ता सज्झायं कुणइ तो मुहुत्तागं । पुव्व भणिया य दोसा परिस्समाई जढा एवं ॥ २॥ दुविहो य होइ साहू मंडलिउवजीवओ य इयरो य । श्री आगमगुणमजूषा - १९९५ ॐ 298 फ्र [१९] Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) ओहनिज्जुत्ति २०] $$$$$ $$250 听听听听听听听听听听听贝贝听听听听听听乐乐 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听C मंडलिमुवजीवंतो अच्छइ जा पिडिया सव्वे ।।३।। इयरोवि गुरूसगासं गंतूण भणइ संदिसइ भंते !। पाहुणगखवगअतरंतबालवुड्ढाण सेहाणं ||४|| दिण्णे गुरूहिं तेसि सेसं भुजेज्ज गुरूअणुन्नायं । गुरूणा संदिठ्ठो वा दाउं सेसं तओ भुंजे ॥५॥ इच्छिज्ज न इच्छिज्ज व तहविय पयओ निमंतए साहू। परिणामविसुद्धीए अ निज्जरा होअगहिएवि ||६|| भरहेरवयविदेहे पन्नरससुवि कम्मभूमिगा साहू । एक्कमि हीलियमी सव्वे ते हीलिया हुंति ।।७|| भरहेरवयविदेहे पन्नरससुवि कम्मभूमिगा साहू । एक्कंमि पूइयंमी सव्वे ते पूइया हुंति ।।८।। अह को पुणाइ नियमो एक्कमिवि हीलियंमि ते सव्वे । होति अवमाणिया पूइए य संपूइया सब्वे ? ||९|| नाणं व दंसणं वा तवो य तह संजमो य साहुगुणा ।। एक्के सव्वेसुवि हीलिएसु ते हिलिया हुंति ।।५३०|| एमेव पूइयंमिवि एक्कंमिवि पूइया जइगुणा उ। थोवं बहुं निवेसं इइ नच्च पूयए मइमं |१|| तम्हा जइ एस गुणो एक्मिवि पूइयंमि ते सव्वे । भत्तं वा पाणं वा सव्वपयत्तेण दायव्वं ।।२।। वेयावच्चं निययं करेह उत्तमगुणे धरिन्ताणं । सव्वं किल पडिवाई वेयावच्चं अपडिवाई।।३।। पडिभग्गस्स मयस्स व नासइ चरणं सुयं अगुणणाए। न हु वेयावच्चचिअं सुहोदयं नासए कम्मं ॥४|| लाभेण जोजयंतो जइणो लाभंतराइयं हणइ। कुणमाणो य समाहिं सव्वसमाहिं लहइ साहू ॥५॥ भरहो बाहुबलीविय दसारकुलनंदणो य वसुदेवो । वेयावच्चाहरणा तम्हा पडितप्पह जईणं ॥६।। होज्ज न व होज्ज लंभो फासुगआहारउवहिमाईणं । लंभो य निज्जराए नियमेण अओ उ कायव्वं ॥७॥ वेयावच्चे अब्भुठ्ठियस्स सद्धाएँ काउकामस्स । लाभो चेव तवस्सिस्स होइ अद्दीणमणसस्स ।।८।। एसा गहणेसणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता | घासेसणंपि इत्तो वुच्छं अप्पक्खरमहत्थं ।।९।। दव्वे भावे घासेसणा उ दव्वंमि मच्छरआहरणं । गलमंसुंडगभक्खण गलस्स पुच्छेण घट्टणया ॥५४०|| अह मंसंमि पहीणे झायंतं मच्छियं भणइ मच्छो । किं झायसि तं एवं ? सुण ताव जहा अहिरिओऽसि ||१|| चरियं व कप्पियं वा आहरणं दुविहमेव नायव्वं । अत्थस्स साहणठ्ठा इंधणमिव ओयणछाए ||२|| तिबलागमुहा मुक्को, तिक्खुत्तो वलयामुहे। तिसत्तक्खुत्तो जालेणं, सयं छिन्नोदए दहे ।।३।। एयारिसं ममं सत्तं, सढं घट्टिअघट्टणं । इच्छसि गलेणं घेत्तु, अहो ते अहिरीयया||४|| अह होइ भावघासेसणा उ अप्पाणमप्पणा चेव । साहू भुंजिउकामो अणुसासइ निज्जरठ्ठाए ॥५|| बायालीसेसणसंकडंमि गहणंमि जीव ! नहु छलिओ। एण्हेिं जह न छलिज्जसि भुंजतो रागदोसेहिं ॥६।। जह अब्भंगणलेवो सगडक्खवणाण जुत्तिओ होति । इय संजमभरवहणठ्याएँ साहूण आहारो।।७।। उवजीवि अणुवजीवी मंडलियं पुव्ववन्निओ साहू । मंडलिअसमुद्दिसगाण ताण इणमो विहिं वुच्छं ।।८।। आगाढजोगवाही निज्जूढऽत्तठ्ठिया व पाहुणगा। सेहा सपायछित्ता बाला वुड्ढेवमाईया |९|| दुविहो खलु आलोगो दव्वे भावे य दव्वि दीवाई। सत्तविहो पुण भावे आलोगं तं परिकहेऽहं ॥५५०।। ठाण दिसि पगासणया भायण पक्खेवणे य गुरू भावे । सत्तविहो आलोगो सयाविजयणा सुविहियाणं ।।१।। निक्खमपवेसमंडलिसागारियठाण परिहिय ठाइ। मा एक्कासणभंगो अहिगरणं अंतराय वा ।।२७५|| भा०। पच्चुरसिपरंमुहपठ्ठिपक्ख एया दिसा विवजेत्ता। ईसाणग्गेईय व ठाएज्ज गुरूस्स गुणकलिओ॥६॥ मच्छियकंटछाईण जाणणठ्ठा पगास जणया। अठ्ठियलग्गणदोसा वग्गुलिदोसा जढा एवं ||७|| जे चेव अंधयारे दोसा ते चेव संकडमुहंमि। परिसाडी बहुलेवाडणं च तम्हा पगासमुहे ।।८।। कुक्कुडिअंडगमित्तं अविगियवयणो उपक्खिवे कवलं । अइखद्धकारगं वा जं च अणालोइयं हुज्जा ।।९।। (३०९) एएसि जाणणठ्ठा गुरू आलोए तओ उ भुंजेज्जा । नाणाइसंधणठ्ठा न वन्नबलरूवविसयठ्ठा ।।२८०||भा० । सो आलोइयभोई जो एए जुंजए पए सव्वे । गविसणगहणग्धासेसणाइ तिविहाइवि विसुद्धं ।।२।। एवं एगस्स विही भोत्तव्वे वन्निओ समासेणं । एमेव अणेयाणवि जं नाणत्तं तयं वोच्छं ||३|| अतरंतबालवुड्ढा सेहाएसा गुरू असहुवग्गो । साहारणोग्गहाऽलद्धिकारणा मंडली होइ ॥४॥ नाउ नियट्टणकालं वसहीपालो य भायणुग्गाहे । परिसंठियऽच्छदवगेण्हणठ्या गच्छमासज्ज ।।५।। असई य नियत्तेसु एक्कं चउरंगुलूणभाणेसु । पक्खिविय पडिग्गहगं तत्थऽच्छदवं तु गालेज्जा ।।६।। आयरियअभावियपाणगठ्ठया पायपोसधुवणठ्ठा । होइ य सुहं विवेगो सुह आयमणं च सागरिए |७|| एक्कं व दो व तिन्नि व पाए गच्छप्पमाणमासज्ज । अच्छदवस्स म भरेज्जा कसट्टबीए विगिंचेज्जा ।।८।। मूइंगाईमक्कोडएहिं संसत्तगं च नाऊणं । गालेज छब्बएणं सउणीघरएण व दवं तु ।।९।। इय आलोइयपठ्ठविअगालिए मंडलीइ सठ्ठाणे । सज्झायमंगलं कुणइ जाव सव्वे पडिनियत्ता ॥५६०|| कालपुरिसे व आसज्ज मत्तए पक्खिवित्तु तो पढमा । अहवावि पडिग्गहगं मुयंति गच्छं समासज्ज Exerrest 5 555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१५९६०555 5555 $ OOR GO乐乐乐明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听GO Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१) ओहनिनुत्ति २१] 5555555555sexog ॥१|| चित्तं बालाईणं गहाय आपुच्छिऊण आयरिअं । जमलजणणीसरिच्छो निवेसई मंडली थेरो ॥२॥ जइ लुद्धो राइणिओ होइ अलुद्धोवि जोऽवि गीयत्यो। ओमोवि हुगीयत्थो मंडलिराइणि अलुद्धो उ॥३|| ठाण दिसि पगासणया भायण पक्खेवणा य भाव गुरू । सो चेव य आलोगो नाणत्तं तद्दिसाठाणे ॥४॥ निक्खमपवेस मोत्तुं पढमसमुद्दिस्सगाण ठायंति । सज्झाए परिहाणी भावासन्नेवमाईया॥२८१॥ भा० । पुव्वमुहो राइणिओ एक्को य गुरूस्स अभिमुहो ठाइ। गिण्हइ व पणामेइ व अभिमुहो इहरहाऽवन्ना ।।२।। भा० । जो पुण हवेज खमओ अतिउच्चाओ व सो बहिं ठाइ । पढमसमुद्दिठ्ठो वा सागारियरक्खणठ्ठाए।।५।। एक्केक्कस्स य पासंमि मल्लयं तत्थ खेलमुग्गाले। कठ्ठऽठ्ठिए व छुब्भइ मा लेवकडा भवे वसही।६।। मंडलिभायणभोयण गहणं सोही य कारणुव्वरिते। भोयणविही उ एसो भणिओ तेल्लुक्कदंसीहिं ||७|| मंडलि अहराइणिआ सामायारी य एस जा भणिआ। पुव्वं तु अहाकडगा मुच्चंति तओ कमेणियरे ॥२८३||भा०। निद्धमहुरणि पुव्वं पित्ताईपसमणठ्या भुंजे । बुद्धिबलवड्ढणठ्ठा दुक्खं खु विकिंचिउं निद्धं ॥४॥ अह होज्ज निद्धमहुराणि अप्पपरिकम्मसपरिकम्मेहिं । भोत्तूण निद्धमहुरे फुसिअ करे मुंचऽहागडए ।।३।। कुक्कुडिअंडगमित्तं अहवा खुड्डागलंबणासिस्स । लंबणतुल्ले गिण्हइ अविगियवयणो य राइणिओ ||६|| गहणे पक्खेवंमि अ सामायारी पुणो भवे दुविहा । गहणे पायंमि भवे वयणे पक्खेवणा होइ ।।७।। कडपयरच्छेएणं भोत्तव्वं अहव सीहखइएणं । एगेहि अणेगेहिवि वज्जेत्ता धूमइंगालं ।।८।। असुरसुरं अचवचवं अदुयमविलंबिअं अपरिसाडिं। मणवयणकायगुत्तो भुंजइ अह पक्खिवणसोहिं ।।२८९||भा०। उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवज्जिअं । साहारणं अयाणतो, साहू हवइ असारओ ॥८॥ उग्गमउप्पायणासुद्ध, एसणादोसवज्जिअं । साहारणं वियाणंतो, साहू हवइ ससारओ ॥९॥ उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवज्जिअं । साहारणं अयाणतो, साहू कुणइ तेणिों ।।५७०|| उम्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवज्जिअं । साहारणं वियाणंतो, साहू पावइ निज्जरं ॥१॥ अंतंतं भोक्खामित्ति बेसए भुंजए य तह चेव । एस ससारनिविठ्ठो ससारओ उठ्ठिओ साहू ।।२।। एमेव य भंगतिअं जोएयव्वं तु सार नाणाई । तेण सहिओ ससारो समुद्दवणिएण दि©तो ।।३।। जत्थ पुण पडिग्गहगो होज्ज कडो तत्थ छुब्भए अन्नं । मत्तगगहिउव्वरिअं पडिग्गहे जं असंस→ ||४|| जं पुण गुरूस्स सेसं तं छुब्भइ मंडलीपडिग्गहके । बालादीण व दिज्जइन छुब्भई सेसगाणऽहि ॥५॥ सुक्कोल्लपडिग्गहगे विआणिआ पक्खिवे दवं सुक्के । अभतट्ठिआण अठ्ठा बहुलंभे जं असंसर्छ ।।६।। सोही चउक्क भावे विगइंगालं च विगयधूमं च । रागेण सयंगालं दोसेण सधूमगं होइ ||७|| जत्तासाहणहेउं आहारेति जवणठ्या जइणो ।छायालीसं दोसेहिं सुपरिसुद्धं विगयरागा ॥८॥ हियाहारा मियाहारा, अप्पाहारा य जे नरा। न ते विज्जा तिगिच्छंति, अप्पाणं ते तिगिच्छगा ॥९॥ छण्हमन्नयरे ठाणे कारणंमि उ आगए। आहारेज्ज (उ) मेहावी संजए सुसमाहिए ॥५८०|| वेयण वेयावच्चे इरियठ्ठाए य संजमठ्ठाए । तह पाणवत्तियाए छठं पुण धम्मचिंताए ।।१।। नत्थि छुहाएँ सरिसया वेयण भुंजेज्ज तप्पसमणठ्ठा । छाओ वेयावच्चं न तरइ काउं अओ भुंजे ||२९०|| भा० । इरियं नवि सोहेइ पेहाईयं च संजमं काउं । थामो वा परिहायइ गुणऽणुप्पेहासुय असत्तो॥१॥ भा०। अहवा न कुज्ज आहारं, 5 छहि ठाणेहिं संजए । पच्छा पच्छिमकालंमि, काउं अप्पक्खमं खमं ॥२॥ आर्यके उवसग्गे तितिक्खया बंभचेरगुत्तीए। पाणदया तवहेउं सरीरवोच्छेयणठ्ठाए ॥२९२।। म भा० । आयंको जरमाई राया सन्नायगा व उवसग्गा । बंभवयपालणठ्ठा पाणदया वासमहियाई ॥३॥ तवहेउ चउत्थाई जाव उ छम्मासिओ तवो होइ । छठं सरीरवोच्छेयणठ्या होयऽणाहारो॥२९४||भा० । एएहिं छहिं ठाणेहिं, अणाहारो य जो भवे । धम्मं नाइक्कमे भिक्खू, झाणजोगरओ भवे ।।३।। भुंजतो आहारं गुणोवयारं सरीरसाहारं । विहिणा जहोवळं संजमजोगाण वहणट्ठा ॥४॥ भुत्तुठ्ठियावसेसो तिलंबणा होइ संलिहणकप्पो। अपहुप्पन्ते अन्नंपि छोढुं ता लंबणे ठवए ॥५॥ संदिठ्ठा संलिहिउँ पढम कप्पं करेइ कलुसेणं । तं पाउं मुहमासे बितियच्छदवस्स गिण्हति ।।६।। दाऊण बितियकप्पं बहिया मज्झठुिआ उ दवहारी। तो देति तइयकप्पं दोण्हं दोण्हं तु आयमणं ।।७|| होज सिआ उद्धरियं तत्थ य आयंबिलाइणो हुज्जा। पडिदसिअ संदिठ्ठो वाहरइ तओ चउत्थाई ||८|| मोहचिगिच्छ विगिळं गिलाण अत्तठ्ठियं च मोत्तूणं । सेसे गंतुंभणई आयरिआ वाहरंति तुमं ।।९।। अपडिहणतो आगंतु वंदिउ भणइ सो उ आयरिए। संदिसह भुंज जं सरति तत्तियं सेस तस्सेव र ॥५९०।। अभणंतस्स उ तस्सेव सेसओ होइ सो विवेगो उ। भणिओ तस्स उगुरूणा एसुवएसो पवयणस्स ||१|| भुत्तंमि पढमकप्पं करेमि तस्सेव देति तं पायं । Is Education Internatio Sama- - - - FiriririrrrrrrLELELENCIENCE niste & Personal use only .....1 -1-1-.- .. ..-1-1-1- FIF - - - - - - - -1-1-1- www.jainelibrary.oro) - - - - - Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [२२] (४१) ओहनिज्जुत्ति जावतिअंति अभणिए तस्सेव विगिंचणे सेसं ॥ २ ॥ विहिगहिअं विहिभुत्तं अइरेगं भत्तपाण भोत्तव्वं । विहिगहिए विहिभुत्ते एत्थ य चउरो भवे भंगा ॥ ३ ॥ उग्गमदोसाइजढं हवा बीज हापडिअं । इय एसो गहणविही असुद्धपच्छायणे अविही || २९५|| भा० । कागसियालक्खइयं दविअरसं सव्वओ परामठ्ठे । एसो उ भवे अविही जहि भोमि विही ||४|| उच्चिणइ व विठ्ठाओ काओ अहवावि विक्खिरइ सव्वं । विप्पेक्खइ य दिसाओ सियाल अन्नोन्नहिं गिण्हे || ६ || भा० | सुरही दोच्चंगठ्ठा छोढूण दवं तु पियइ दवियरसं । हेठ्ठोवरि आमठ्ठे इय एसो भुंजणे अविही ||७|| जह गहिअं तह नीयं गहणविही भोयणे विही इणमो । उक्कोसमणुक्कोसं समकयरसं तु भुंजेना ||८|| तइएवि अविहिगहिअं विहिभुत्तं तं गुरूहिऽणुन्नायं । सेसा नाणुन्नाया गहणे दत्ते य निज्जुहणा ||९|| अहवावि अकरणाए उवट्ठियं जाणिऊण कल्लाणं । घट्टेउं दिति गुरू पसंगविणिवारणट्ठाए ||३००|| घासेसणा य एसा कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता । संजमतवड्ढगाणं निग्गंथाणं महरिसीणं ॥१॥ एयं घासेसणविहिं जुंजता चरणकरणमाउत्ता । साहू खवंति कम्मं अणेगभवसंचियमणंतं ||२|| तो परिट्ठवणविहिं वोच्छामि धीरपुरिसपन्नत्तं । जं नाऊण सुविहिया करेति दुक्खक्खयं धीरा || ३ || भत्तठ्ठि उव्वरिअं अहव अभत्तट्ठियाण जं सेसं । संबंधेणाणेण उ परिठावणिआ मुणेयव्वा || ३०४ || भा० | सा पुण जायजाया जाया मूलोत्तरेहि उ असुद्धा । लोभातिरेगगहिया अभिओगकया विसकया वा ॥ ५॥ मूलगुणेहिं असुद्धं जं गहिअं भत्तपाण साहूहिं। एसा उ होइ जाता वुच्छं सि विहीऍ वोसिरणं || ५ || भा० | एगंतमणावाए अच्चित्ते थंडिले गुरूवइट्टे । आलोऍ एगपुंजं तिठ्ठाणं सावणं कुज्जा || ६ || लोभातिरेगगहिअं अहव असुद्धं तु उत्तरगुणेहिं । सावि होत जाया वोच्छं सि विहिऍ वोसिरणं ॥ ६ ॥ भा० । एगंतमणावाए अच्चित्ते थंडिले गुरूवइठ्ठे । आलोए दुनि पुंजा तिठ्ठाणं सावणं कुज्जा ||७|| खलु भगव्वे भावे य होइ नायव्वो । दव्वंमि होइ जोगो विज्जा मंता य भावंमि ॥८॥ विज्जाऍ होअगारी अचियत्ता सा य पुच्छए चरिअं । अभिमंतणोदणस्स उ अणुकंपणमुज्झणं च खरे ||९|| बारस्स पिट्टणंमि अ पुच्छण कहणं च होअगारीए । सिठ्ठे चरियादंडो एवं दोसा इहंपि सिया || ६०० || जोगंमि उ अविरइया अज्ववन्ना सरूवभिक्खुंमि । कडजोगमणिच्छंतस्स देइ भिक्खं असुभभावे || १ || संकाए स नियट्टो दाऊण गुरूस्स काइयं निसिरे । तेसिपि असुभभावो पुच्छा उ ||२|| एमेव विसकयमिवि दाऊण गुरूस्स काइयं निसिरे । गंधाई विन्नाए उज्झगमविही सियालवहे || ३ || एवं विज्जाजोए विससंजुत्तस्स वावि गहियस्स । पाणच्चएवि नियमुज्झणा उ वोच्छं परिठ्ठवणं ||४|| एगंतमणावाए अच्चित्ते थंडिले गुरूवइट्ठे । छारेण अक्कमित्ता तिठ्ठाणं सावणं कुज्ना ॥ ५॥ दोसेण जेण दुठ्ठे तु भोयणं तस्स सावणं कुज्जा । एवं विहिवोसठ्ठे वेराओ मुच्चई साहू ||६|| जावइयं उवउज्जइ तत्तिअमित्ते विगिंचणा नत्थि । तम्हा पमाणगहणं अइरेगं होज्न उ इमेहिं ||७|| आयरिए य गिलाणे पाहुणए दुल्लभे सहसदाणे । एवं होइ अजाया इमा उ गहणे विही होइ ||८|| जइ तरूणो निरूवहओ भुंजइ तो मंडलीइ आयरिओ । असहुस्स वीसुगहणं एमेव य होइ पाहुण || ९ || सुत्तत्थथिरीकरणं विणओ गुरूपूय सेहबहुमाणो । दाणवतिसद्धवुड्ढी बुद्धिबलवद्धणं चेव ||६१०|| एहिं कारणेह उ केइ सहुस्सवि वयंति अणुकंपा। गुरूअणुकंपाए पुण गच्छे तित्थे य अणुकंपा ॥१॥ सति लाभे पुण दव्वे खेत्ते काले य भावओ चेव । गहणं तिसु उक्कोसं भावे जं जस्स अणुकूलं ||२|| कलमोतणो उ पयसा उक्कोसो हाणि कोद्दवुब्भज्जी । तत्थवि मिउतुप्पतरयं जत्थ व जं अच्चियं दोसु || ३०७॥ भा० । लाभे सति संघाडो गेह एगो उइहरहा सव्वे । तस्सऽप्पणो य पज्जत्त गेण्हणा होइ अतिरेगं ॥३॥ गेलन्ननियमगणं नाणत्तोभासियंपि तत्थ भवे । ओभासियमुव्वरिअं विगिंचए सेसगं भुंजे ||४|| दुल्लभदव्वं व सिआ घयाइ घेत्तूण सेस भुञ्जंति । थोवं देमि व गेण्हामि यत्ति सहसा भवे भरियं ||५|| एएहिं कारणेहिं गहियमजाया उ सा विगिंचणया । आलोगं मि तिपुंजा अद्धा निग्गयातीणं ॥ ६ ॥ एक्को व दो व तिन्नि व पुंजा कीरंति किं पुण निमित्तं ? । विहमाइनिग्गयाणं सुद्धेयरजाणणठ्ठाए || ७|| एवं विगिचिउं निग्गयस्स सन्ना हवेज्ज तं तु कहं । निसिरेजा ? अहव ध्रुवं आहारा होइ नीहारो ॥८॥ थंडिल्ल पुव्वभणियं पढमं निद्दोस दोसु जयणाए । नवरं पुण णाणत्तं भावासन्नाए वोसिरणं ॥ ९ ॥ अणावायमसंलोयं अणवायालोय ततिय विवरीयं । आवातं संलोगं पुव्वुत्ता थंडिला चउरो ॥ ३०८ ॥ भा० । अणावायमसंलोगं निद्दोसं बितियचरिम जयणाए । पउरदवकुरूकुयादी पत्तेयं मत्तगो चेव ॥ ६२० ॥ तइएवि य जयणाए नाणत्तं नवरि सद्दकरणंमि । भावासन्नाए पुण नाणत्तमिणं सुणसु वोच्छं ॥ १ ॥ जदि पढमं न तरेज्जा 5 श्री आगमगुणमंजूषा १५९८ ॐ ॐ ॐ ITRO HA 4 4 1945 194 乐 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROR055555555555555 (४१) ओहनिनुत्ति [२३] 555555555岁男男男C OC}$$5$$$$$$$$$$%$$$$乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 तो बितियं तस्स असइए तइयं । तस्स असई चउत्थे गामे दारे य रत्थाए ||२|| साही पुरोहडे वा उवस्सए मत्तगंमि वा णिसिरे। अच्चुक्कडंमि वेगे मंडलिपासंमि वोसिरइ ॥३॥ तिण्णि सल्ला महाराय !, अस्सिं देहे पइठ्ठिया। वायमुत्तपुरीसाणं, पत्तवेगं न धारए ।।४|| राया विजमि मए विजसुयं भणइ किंच ते अहियं ? । अहियंति वायकम्मे विज्जे हसणा य परिकहणा।।५।। एसा परिठ्ठवणविही कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता। सामायारी एत्तो वुच्छं अप्पक्खरमहत्थं ।।६।। सन्नात्तों आगतो चरमपोरिसिं जाणिऊण ओगाढं । पडिलेहणमप्पत्तं नाऊण करेइ सज्झायं ||७|| पुबुद्दिठ्ठो य विही इहपि पडिलेहणाइ सो चेव । जं एत्थं नाणत्तं तमहं वुच्छं समासेणं ॥८॥ पडिलेहगा उ दुविहा भत्तठ्ठियएयरा य नायव्वा । दोण्हविय आइपडिलेहणा उ मुहणंतग सकायं ।।९।। तत्तो गुरू परिन्ना गिलाणसेहाति जे अभत्तठ्ठी । संदिसह पाय मत्ते य अप्पणो पट्टगं चरिमं ।।६३०।। पट्टग मत्तय सयमोग्गहो य गुरूमाइया अणुन्नवणा। तो सेस पायवत्थे पाउंछणगं च भत्तठ्ठी ||१|| जस्स जहा पडिलेहा होइ कया सो तहा पढइ साहू । परियट्टेइ व पयओ करेइ वा अन्नवावारं ||२|| चउभागवसेसाए चरिमाए पडिक्कमित्तु कालस्स। उच्चारे पासवणे ठाणे चउवीसइं पेहे ।।३।। अहियासिया उ अंतो आसन्ने मज्झि तह य दूरे या तिन्नेव अणहियासी अंतो छच्छच्च बाहिरओ॥४॥ एमेव य पासवणे बारस चउवीसई तुपेहित्ता । कालस्सवि तिन्नि भवे अह सूरो अस्थमुवयाई।।५।। जइ पुण निव्वाघाओ आवासं तो करेंति सव्वेवि । सड्ढाइकणवाघायताएँ पच्छा गुरू ठति ॥६।। सेसा उ जहासत्ती आपुच्छित्ताण ठंति सठ्ठाणे । सुत्तत्थझरणहेउं आयरिऍ ठियंमि देवसियं ।।७।। जो होज्ज उ असमत्थो बालो वुड्ढो गिलाण परितंतो। सो आवस्सगजुत्तो अच्छेज्जा निज्जरापेही ।।८।। आवासगं तु काउं जिणवरदि8 गुरूवएसेणं । तिन्नि थुई पडिलेहा कालस्स विही इमो तत्थ ।।९।। दुविहो य होइ कालो वाघातिम एयरो य नायव्वो । वाघाओ घंघसालाएँ घट्टणं सड्ढकहणं वा ॥६४०॥ वाघाते तइओ सिं दिज्जइ तस्सेव ते निवेयंति । निव्वाघाते दुन्नि उपुच्छंती काल घेच्छामो ॥१॥ आपुच्छण किइकम्म आवस्सिय खलियपडियवाघाओ। इंदिय दिसा य तारा वासमसज्झाइयं चेव ।।२।। जइ पुण वच्चंताणं छीयं जोइंच तो नियत्तंति । निव्वाघाते दोन्नि उ अच्छंति दिसा निरिक्खंता ||३|| गोणादि कालभूमीएँ होज्ज संसप्पगा व उठेज्जा । कविहसियवासविज्जुक्कगज्जिए वावि उवघातो ||४|| सज्झायमचिंतंता कणगं दळुण तो नियत्तंति। वेलाएँ दंडधारी मा बोलं गंडए उवम ।।५।। आघोसिए बहूहिं सुयंमि सेसेसु निवडइ दंडो। अह तं बहूहिंन सुयं दंडिज्जइ गंडओ ताहे ॥६|| कालो सञ्झा य तहा दोवि समप्पंति जह समं चेव । तह तं तुलंति कालं चरिमदिसंवा असञ्झागं ।।७।। पियधम्मो दढधम्मो संविग्गो चेवऽवज्जभीरू य । खेयन्नो य अभीरू कालं पडिलेहए साहू ||८|| आउत्तपुव्वभणिए अणपुच्छा खलियपडियवाघाते । घोसंतमूढसंकियइंदियविसएवि अमणुन्ने ||९|| निसीहिया नमोक्कारे काउस्सग्गे य पंचमंगलए। पुव्वाउत्ता सव्वे पठ्वणचउक्कनाणत्तं ॥६५०॥ थोवावसेसियाए सञ्झाए ठाइ उत्तराहुत्तो। चउवीसगदुमपुष्फियपुव्वग एक्कक्कयदिसाए॥१|| भासंतमूढसंकियइंदियविसए य होइ अमणुन्ने । बिंदू य छीयऽपरिणय सगणे वा संकियं तिण्हं ।।२।। मूढो व दिसऽज्झयणे भासंतो वावि गिण्हइ न सुज्झे । अन्नं च दिसज्झयणं संकंतोऽणिठविसयं वा ।।३०९|| भा० । जो वच्चंतमि विही आगच्छंतंमि होइ सो चेव । जं एत्थं नाणत्तं तमहं वुच्छं समासेणं ।।३।। निसीहिया नमुक्कारं आसज्जावडणपडणजोइक्खे । अपमज्जिय भीए वा छीए छिन्ने व कालवहो ॥४॥ आगम इरियावहिया मंगल आवेयणं तु मरू (णं मरूय) नायं । सव्वेहिवि पठ्ठविएहि पच्छा करणं अकरणं वा ||५|| सन्निहियाण वडारो पठ्ठविय पमाय नो दए कालं । बाहिठिए पडियरए पविसइ ताहे व दंडधरो।।६।। पठ्ठविय वंदिए या ताहे पुच्छेइ किं सुयं ? भंते !। तेवि य कहंति सव्वं जंजेण सुर्य व दिलै वा ॥७॥ एक्कस्स व दोण्ह व संकियंमि कीरइन कीरए तिण्हं । सगणंमि संकिए परगणंमि गंतुंन पुच्छंति ।।८।। कालचउक्के नाणत्तयं तु पादोसियंमि ॥ सव्वेवि। समयं पठ्ठवयंती सेसेसु समं व विसमं वा ॥९॥ इंदियमाउत्ताणं हणंति कणगा उ सत्त उक्कोसं । वासासुय तिन्नि दिसा उउबद्धे तारगा तिन्नि ।।६६०॥ कणगा हणंति कालं ति पंच सत्तेव घिं (गिम्ह) सिसिरवासे । उक्का उ सरेहागा रेहारहितो भवे कणतो॥३१०|| भा० । सव्वेवि पढमजामे दोन्नि उ वसभा उ आइमा जामा। तइओ होइ गुरूणं चउत्थओ होइ सव्वेसिं॥१॥ वासासु य तिण्णि दिसा हवंति पाभाइयम्मि कालंमि। सेसेसु तीसु चउरो उउंमि चउरो चउदिसिपि ।।३११||भा० । तिसु तिण्णि तारगा उ उदुमि पाभाइए अदिठेऽवि । वासासु अतारागा चउरो छन्ने निविठ्ठोवि ॥३१२|| भा० । ठाणासति बिंदूस गेण्हइ बिछोवि पच्छिमं कालं । पडियरइन cuc Le Le 2 44555555 5 555 श्री आगमगुणमंजूषा - १५००55555555555555555555555555552OM GQ$$$$$$$$$$$$$$$乐听听听听听听乐的乐$$$$$$$乐乐听听听听听听听听听明明明明明TO 1555FGCOM Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IRO A A A A 乐乐乐乐 [२४] फफफफफफफ (४१) ओहनिज्जुत्ति बाहिं एक्को एक्को अंतट्ठिओ गिण्हे ||२|| पाओसियअड्ढरत्ते उत्तरदिसि पुव्व पेहए कालं । वेरत्तियंमि भयणा पुव्वदिसा पच्छिमे काले || ३|| सज्झायं काऊ पढमबितियासु दोसु जागरणं । अन्नं वावि गुणंती सुणंति झायंति वाऽसुद्धे ||४|| जो चेव अ सयणविही गाणं वन्निओ वसहिदारे । सो चेव इहंपि भवे नाणंत्त नवरि सज्झाए ॥ ५ ॥ एसा सामायारी कहिया भे ! धीरपुरिसपन्नत्ता । एत्तो उवहिपमाणं वुच्छं सुद्धस्स जह धरणा || ६ || उवही उवग्गहे संगहे य तह पग्गहुग्गहे चेव । भंड उवगरणे या करणेऽवि य हुंति एगठ्ठा ||७|| ओहे उवग्गहंमि य दुविहो उवही उ होइ नायव्वो । एक्क्कोऽविय दुविहो गणणाऍ पमाणतो चेव ||८|| पत्तं पत्ताबंधो पायठ्ठवणं च पायकेसरिया । पडलाई रयत्ताणं च गुच्छओ पायनिज्जोगो ||९|| तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती। एसो दुवालसविहो उवही जिणकप्पियाणं तु ॥ ६७० ॥ एए चेव दुवालस मत्तग अइरेग चोलपट्टो य। एसो चउद्दसविहो उवहि पुण थेरकप्पम्मि ॥ १ ॥ जिणा वारसरूवाइं, थेरा चउद्दसरूविणो । अज्जाणं पन्नवीसं तु, अओ उड्ढं उवग्गहो ||२|| तिन्नेव य पच्छागा पडिग्गहो चेव होइ उक्कोसो। गुच्छग पत्तगठवणं मुहणंतग केसरि जहन्नो || ३ || पडलाइ रत्ताणं पत्ताबंधो य चोलपट्टो य । रयहरण मत्तओऽवि य थेराणं छव्विहो मज्झो ||४|| पत्तं पत्ताबंधो पायठ्ठवणं च पायकेसरिया । पडलाइ रयत्ताणं च गोच्छओ पायनिज्जोगो ॥५॥ तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती । तत्तो य मत्तगो खलु चउदसमे कमढगो चेव ॥ ६ ॥ उग्गह णंतगपट्टो अद्धोरूग चलणिया य बोद्धव्वा । अब्भिंतर बाहिरि (नि) यसणियं तह कंचुगे चेव ||७|| उक्कच्छिय वेकच्छी संघाडी चेव खंधकरणी य । ओहोवहिमि एए अज्जाणं पन्नवीसं तु ||८|| नावनिभो उग्गह णंतगो उ सो गुज्झदेसरक्खठ्ठा । सो उ पमाणेणेगो घणमसिणो देहमासज्ज ॥१३३॥ भा० | पट्टोवि होइ एक्को देहपमाणेण सो उ भइयव्वो । छायंतोग्गहणंतं कडिबंधो मल्लकच्छा वा ॥४॥ अड्ढोरूगो उ ते दोवि गेण्हिउं छायए कडिविभागं । जाणुपमाणा चलणी असीविया लंखियाएव्व ||५|| अंतो नियंसणी पुण लीणतरा जाव अद्धजंघाओ । बाहिर खलुपमारा कडीय दोरेण पडिबद्धा ||६|| छाएइ अणुक्कमइ उरोरूहं कंचुओ य असीविओ य । एमेव य ओकच्छिय सा नवरं दाहिणे पासे ||७|| वेकच्छिया उ पट्टो कंचुयमुक्कच्छियं व छाएइ । संघाडीओ चउरो तत्थ दुहत्था उवसयंमि ॥ ८॥ दोण्णि तिहत्थायामा भिक्खठ्ठा एग एग उच्चारे। ओसरणे चउहत्था णिसन्नपच्छायी सिणा ||९|| खंधकरण य चउहत्थवित्थडा वायविहुयरक्खठ्ठा । खुज्जकरणी उ कीरइ रूववईणं कुडहहेउं ॥ ३२० ॥ भा० | संघाइमेअरो वा सव्वोवेसो समासओ उही । पासगबद्धमझुसिरो जं चाइनं तयं एयं ॥ प्र०२७|| जिणा बारसरूवाणि० ||२८|| उक्कोसगो जिणाणं चउव्विहो मज्झिमोवि एमेव । जहनो चउव्विहो खलु इत्तो राण वच्छामि ॥ २९ ॥ उक्कोसो थेराणं चउव्विहो छव्विहो अ मज्झिमओ । जहनों चउव्विहो खलु इत्तो अज्जाण वच्छामि ||३० प्र० ॥ उक्कोसो अठ्ठविहो मज्झिमओ हो तेरसविहो उ । जनो चउव्विहोविय तेण परमुवग्गहं जाण || ९ || एगं पायं जिणकप्पियाण थेराण मत्तओ बिइओ । एयं गणणपमाणं पमाणमाणं अओ वुच्छं ||६८०|| तिणि विहत्थी चउरंगुलं च भाणस्स मज्झिमपमाणं । इत्तो हीण जहन्नं अइरेगतरं तु उक्कोसं || १ || इणमण्णं तु पमाणं नियगाहाराउ होइ निप्फन्नं । कालपमाणपसिद्धं उदरपमाणेण य वयंति ॥२॥ उक्कोसतिसामासे दुगाउअद्धाणमागओ साहू । चउरंगुलूणभरियं जं पज्जत्तं तु साहुस्स ॥ ३॥ एयं चेव पमाणं सविसेसयरं अणुग्गहपवत्तं । कंतारे दुब्भिक्खे रोहगमाईसु भइयव्वं ||४|| वेयावच्चगरो वा नंदीभाणं धरे उवग्गहियं । सो खलु तस्स विसेसो पमाणजुत्तं तु सेसाणं ॥ ३२१॥ भा० । दिजाहि भाणपूरंति रिद्धिमं कोवि रोहमाईसु । तत्थवि तस्सुवओगो सेसं कालं तु पडिकुठ्ठो ॥५॥ पायस्स लक्खणमलक्खणं च भुज्जो इमं वियाणित्ता । लक्खणजुत्तस्स गुणा दोसा य अलक्खणस्स इमे || ६ || वट्टं समचउरंसं होइ, थिरं थावरं च वण्णं च । हुंडं वायाइद्धं, भिन्नं च अधारणिज्जाई || ७ || संठियंमि भवे लाभो, पतिठ्ठा सुपतिठिते । निव्वणे कित्तिमारोग्गं, वन्नड्ढे नाणसंपया ॥८॥ हुंडे चरित्तभेदो सबलंमि य चित्तविब्भमं जाणे । दुप्पत खीलसंठाणे गणे च चरणे च नो ठाणं ॥ ९ ॥ पउमुप्पले अकुसलं, सव्वणे वणमादिसे । अंतो बहिं च दड्ढंमि, मरणं तत्थ उ निद्दिसे ||६९०|| अकरंडगम्मि भाणे हत्थो उट्टं जहा न घट्टेइ। एयं जहन्नयमुहं वत्युं पप्पा विसालं तु ||१|| छक्कायरक्खणठ्ठा पायग्गहणं जिणेहिं पन्नत्तं । जे य गुणा संभोए हवंति ते पायगहणेवि ||२|| अतरंतबालवुड्ढासेहा एसा गुरू असहुवग्गो । साहारणोग्गहाऽलद्धिकारणा पादगणं तु || ३ || पत्ताबंधपमाणं भाणपमाणेण होइ कायव्वं । जह गठिमि कयंमि कोणा चउरंगुला हुंति ॥४॥ पत्तठ्ठवणं तह गुच्छओ श्री आगमगुणमजूषा - १६०० Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GRO%%%%%%% %% (४१) ओहनिज्जुत्ति १२५] 5555555555552kg 0 $ 2 $ $$$$ %%%%$$$$$ 15 %%%%%%%%%%%%%%%%%% य पायपडिलेहणीआ य । तिण्हंपि य प्पमाणं विहत्थि चउरंगुलं चेव ||५|| रयमादिरक्खणछा पत्तठ्ठवणं जिणेहिं पन्नत्तं (विऊ उवइसंति) । होइ पमज्जणहेउं तु गोच्छओ भाणवत्थाणं ॥६॥ पायपमज्जणहेउं केसरिया पाएँ पाएँ एक्केक्का । गोच्छग पत्तठ्ठवणं एक्वेक्कं गणणमाणेणं ||७|| जेहिं सविया न दीसइ अंतरिओ तारिसा भवे ॥ पडला। तिन्नि व पंच व सत्त व कयलीगब्भोवमा मसिणा ||८|| गिम्हासु तिन्नि पडला चउरो हेमंत पंच वासासु । उक्कोसगा उ एए एत्तो पुण मज्झिमे वुच्छं ।।९।। गिम्हासु हुँति चउरो पंच य हेमंति छच्च वासासु । एए खलु मज्झिमया एत्तो उ जहन्नओ कुच्छं ॥७००॥ गिम्हासु पंच पडला छप्पुण हेमंति सत्त वासासु । तिविहंमि कालछे ए पायावरणा भवे पडला ।।१।। अड्ढाइज्जा हत्था दीहा छत्तीस अंगुले रूद्दा । बितियं पडिग्गहाओ ससरीराओ य निप्फन्नं ।।२।। पुप्फफलोदयरयरेणुसउणपरिहारपायरक्खठ्ठा। लिंगस्स य संवरणे वेदोदयरक्खणे पडला ||३|| माणं तु रयत्ताणे भाणपमाणेण होइ निप्फन्नं । पायाहिणं करेंत मज्झे चउरंगुलं कमइ॥४॥ मूसयरजउक्केरे वासे सिण्हा रए य रक्खठ्ठा । होति गुणा रयताणे पादे पादे य एक्ककं ।। ५।। कप्पा आयपमाया अड्ढाइज्जा ऊ वित्थडा हत्था । दो चेव सोत्तिया उन्निओ य तइओ मुणेयव्वो ॥६|| तणगहणाणलसेवानिवारणा धम्मसुक्कझाणठ्ठा । दिलु कप्परगहणं गिलाणमरणठ्ठया चेव ||७|| घणं मूले थिरं मज्झे, अग्गे मद्दवजुत्तया । एगंगियं अज्झुसिरं, पोरायाम तिपासियं ।।८|| अप्पोल्लं मिउ पम्हं च, पडिपुन्नं हत्थपूरिमं । रयणीपमाणमित्तं, कुज्जा पोस्परिरमहं ॥३२२।। भाव। है बत्तीसंगुलदीहं चउवीसं अंगुलाई दंडो से । अठंगुला दसाओ एगयरं हीणमहियं वा ॥९॥ उण्णियं उट्टियं वावि, कंबलं पायपुंछणं । तिपरीयल्लमणिस्सलु, रयहरणं तु धारए एगं ||७१०|| आयाणे निक्खेवे ठाणनिसीयणतुयट्टसंकोए। पुव्वं पमज्जणठ्ठा लिंगठ्ठा चेव रयहरणं ||१|| चउरंगुलं विहत्थी एयं मुहणंतगस्स उ पमाणं । बितिउं मुहप्पमाणं गणणपभाणेण एक्कक्कं ।।२।। संपातिमरयरेणूपमज्जणठ्ठा वयंति मुहपुत्तिं । नासं मुह च बंधइ तीए वसहि पमज्जतो ॥३॥ जो मागहओ पत्थो सविसेसतरं तु मत्तयपमाणं । दोसुवि दव्वग्गहणं वासावासासु अहिगारो॥४॥ सूचोदणस्स भरिओ दुगाउअद्धाणमागओ साहू । भुंजइ एमठ्ठाणे एयं किर मत्तयापमाणं ॥५॥ संपाइमतसपाणा धूलिसरिक्खे य (सरक्खा) परिगलंतंमि । पुढविदगअगणिमारूयउद्धंसण खिंसणा डहरे॥६।। आयरिए य गिलाणे पाहुणए दुल्लभे सहसदाणे। संसत्तभत्तपाणे मत्तगपरिभोगऽणुन्नाओ॥७॥ एक्कंमि उ पाउग्गं गुरूणो बितिओग्गहे य पडिकुटुं । गिण्हइ संघाडेगो धुवलंभे सेस उभयपि ॥८॥ असई लाभे पुण मत्तए य सव्वे गुरूण गेण्हति । एसेव कमो नियमा गिलाणसेहाइएसुपि ।।९।। दुल्लभदव्वं व सिया घयाइ तं मत्तएसु गेण्हति । लद्धेवि उ पज्जत्ते असंथरे सेसगढ़ाए ॥७२०।। संसत्तभत्तपाणेसु वावि दो (दे) सेसु मत्तए गहणं । पुव्वं तु भत्तपाणं सोहेउ छुहंति इयरेसु ॥१॥ दुगुणो चउग्गुणो वा हत्थो चउरंस चोलपट्टो उ । थेरजुवाणाणठ्ठा सण्हे थुल्लंमि य विभासा |२|| वेउव्वि वाउडे वातिएऽहिए खद्धपजणणे चेव । तेसिं अणुग्गहल्या लिंगुदयठा य पट्टो उ ।।३।। संथारूत्तरपट्टो अड्ढाइज्जा य आयया हत्था । दोण्हंपिय वित्थारो हत्थो चउरंगुलं चेव ॥४॥ पाणादिरेणुसारक्खणठ्ठया होति पट्टगा चउरो । छष्पइयरक्खणठ्ठा तत्थुवरि खोमियं कुज्जा॥५॥ रयहरणपट्टमेत्ता अदसागा किंचि वा समतिरेगा। एकगुणा उ निसेज्जा हत्थपमाणा सपच्छागा ॥६॥ वासोवग्गहिओ पुण दुगुणो उवही उवासकप्पाई। आयासंजमहेउं एक्कगुणो सेसओ होइ ।।७।। जं पुण संपमाणाओ ईसिं हीणाहियं व लंभेजा। उभयपि अहाकडयं न संघणा तस्स छेदो वा ||८|| दंडए लठ्ठिया चेव, चम्मए चम्मकोसए। चम्मच्छेदण पट्टेवि, चिलिमिली धारए गुरू ॥९॥ जं चण्ण एवमादी तवसंजमसाहगं जइजणस्स । ओहाइरेगगहियं ओवग्गहियं वियाणाहि ७३०|| लठ्ठी आयपमाणा विलठ्ठि चउरंगुलेण परिहीणा । दंडो बाहुपमाणो विदंडओ कक्खमेत्तो उ॥१॥ एक्कपव्वं पसंसंति, दुपव्वा कलहकारिया । तिपव्वा लाभसंपन्ना, चउपव्वा मारणंतिया ॥२॥ पंचपव्वा उ जा लठ्ठी, पंथे कलहनिवारणी । छच्चपव्वा य आयंको, सत्तपव्वा अरोगिया ॥३॥ चउरंगुलपइठ्ठाणा, अटुंगुलसमूसिया। सत्तपव्वा उजा लठ्ठी, मत्ता (ता) गयनिवारिणी ।।४।। अठ्ठपव्वा असंपत्ती, नवपव्वा जसकारिया । दसपव्वा उजा लठ्ठी, तहियं सव्वसंपया ||५|| वंका कीडक्खझ्या चित्तलया पोल्लडा य दड्ढा य । लठ्ठी य उब्भसुक्का वज्जेयव्वा पयत्तेणं ।।६।। विसमेसु य पव्वेसुं, अनिप्फन्नेसु अच्छिसु । फुडिया फरूसवन्ना य, २. निस्सारा चेव निदिया ॥७॥ तणूई पव्वमज्झेसु, थूला पोरेसुगंठिला । अथिरा असारजरढा, साणपाया य निदिया ।।८। घणवद्धमाणपव्वा निद्धा वन्नेण एगवन्ना य। rerd 555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६०१5555555555555555555$$$5OK IG:@%%%% FFERESTOR Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TAG39555555555555555 ४१) ओहनिनुत्ति (२६] 历历万岁万万岁万万岁万岁万250g IOSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSSONICE घणमसिणवट्टपोरा लठ्ठिपसत्था जइजणस्स||९|| दुठ्ठपसुसाणसावयचिक्खलविसमेसु उदगमज्झेसु। लठ्ठी सरीररक्खातवसंजमसाहिया भणिया ॥७४०॥ मोक्खठ्ठा नाणाई तणू तयट्ठा तयट्ठिया लट्ठी। ट्ठिो जहोवयारो कारणतक्कारणेसुतहा ॥१॥ जं जुज्जइ उवकारे उवगरणं तं सि होइ उवगरणं । अतिरेगं अहिगरणं अजतो अजयं परिहरंतो ||२|| उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवज्जियं । उवहिं धारए भिक्खू, पगासपडिलेहणं ॥३॥ उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवज्जियं । उवहिं धारए भिक्खू, जोगाणं साहणठ्ठया ।।४॥ उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवज्जियं । उवहिं धारए भिक्खू, अप्पदुठ्ठो अमुच्छिओ ।।५।। अज्झत्थविसोहीए उवगरणं बाहिरं परिहरंतो। अपरिग्गहीति भणिओ जिणेहिं तेल्लुक्कदंसीहिं ।।६।। उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसरादोसवज्जियं । उवहिं धारए भिक्खू, सदा अज्झत्थसोहिए ।।७।। अज्जप्पविसोहीए जीवनिकाएहिं संथडे लोए । देसियमहिंसगत्तं जिणेहिं तेलोक्कदंसीहिं ।।८।। उच्चालियंमि पाए इरियासमियस्स संकमठ्ठाए । वावज्जेज्ज कुलिंगी मरिज्ज तं जोगमासज्ज ॥९॥ न य तस्स तन्निमित्तो बंधे सुहुमोवि देसिओ समए । अणवज्जो उ पओगेण सव्वभावेण सो जम्हा ।।७५०।। नाणी कम्मस्स खयठ्ठमुठ्ठिओऽणुट्टितो य हिंसाए। जयइ असढं अहिंसत्थमुठ्ठिओ अवहओ सो उ॥१॥ तस्स असंचेअयओ संचेययतो य जाई सत्ताई। जोगं पप्प विणस्संति नत्थिं हिंसाफलं तस्स ॥२॥ जो य पमत्तो पुरिसो तस्स यजोगं पडुच्च जे सत्ता। वावज्जते नियमा तेसि सो हिंसओ होइ॥३॥ जेवि न वावज्जती नियमा तेसिपि हिंसओ सो उ। सावज्जो उ पओगेण सव्वभावेण सो जम्हा |४|| आया चेव अहिंसा आया हिंसत्ति निच्छओ एसो। जो होइ अप्पमत्तो अहिंसओ हिंसओ इयरो॥५॥ जो य पओगं झुंजइ हिंसत्थं जो य अन्नभावेणं । अमणो उ जो पउंजइ इत्थ विसेसो महं वुत्तो ।।६।। हिंसत्थं जुंजंतो सुमहंदोसो अणंतरं इयरो । अमणो य अप्पदोसो जोगनिमित्तं च विन्नेओ॥७॥ रत्तो वा दुठ्ठो वा मूढो वा जं पउंजइ पओगं | हिंसावि तत्थ जायइ तम्हा सो हिंसओ होइ ।।८।। न य हिंसामित्तेणं सावज्जेणावि हिंसओ होइ । सुद्धस्स उ संपत्ती अफला भणिया जिणवरेहिं ।।९। जा जयमाणस्स भवे विराहणा सुत्तविहिसमग्गस्स । सा होइ निज्जरफला अज्झत्थविसोहिजुत्तस्स ॥७६०॥ परमरहस्समिसीणं समत्तगणिपिडगझरितसाराणं। परिणामियं पमाणं निच्छयमवलंबमाणाणं ॥१।। निच्छयमवलंवंता निच्छयओ निच्छयं अयाणंता । नासंति चरणकरणं बाहिरकरणालसा केई॥२।। एवमिणं उवगरणं धारेमाणो विहीइ सुपरिसुद्धं । हवति गुणाणायतणं अविहि असुद्धे अणाययणं ॥३॥ सावज्जमणायतणं असोहिठाणं कुसीलसंसग्गी । एगठ्ठा होति पदा एते विवरीय आययणा ||४|| वज्जेत्तु अणायतणं आयतणगवेसणं सया कुज्जा । तं तु पुण अणाययणं नायव्वं दव्वभावेणं ।।५||दव्वे रूद्दाइघरा अणायतणं भावओ दुविहमेव । लोइय लोगुत्तरियं तहियं पुण लोइयं इणमो ।।६।। खरिया तिरिक्खजोणी तालायर समण माहण सुसाणे । वग्गुरिय वाह गुम्मिय हरिएस पुलिंद मच्छंधा ।।७।। खणमवि न खमं गंतुं अणायतणसेवणा सुविहियाणं । जंगंधं होइ वणं तंगधं (धो) मारूओ वाइ ||८|| जे अन्ने एवमादी लोगंमि दुगुंछिया गरहिया य । समणाण व समणीण व न कप्पई तारिसे वासो।।९।। अहलोउत्तरियं पुणऽणायतणं भावतो मुणेयव्वं । जे संजमजोगाणं करति हाणि समत्थावि ।।७७०|| अंबस्स य निंबस्स य दुण्डंपि समागयाई मूलाई । संसग्गीए विणठ्ठो अंबो निबत्तणं पत्तो।।१।। सुचिरंपि अच्छमाणो नलथंबो उच्छवाडमज्झंमि । कीस न जायइ महुरो जइ संसग्गी पमाणं ते ? ||२|| सुचिरंपि अच्छमाणो वेरूलिओ कायमणीय ओमीसे । न उवेइ कायभावं पाहन्नगुणेण नियएण ||३|| भावुगअभावुगाणि य लोए दुविहाई हुँति दव्वाइं । वेरूलिओ तत्थ मणी अभावुगो अन्नदव्वेणं ॥४॥ ऊणगसयभागेणं बिंबाइं परिणमंति तब्भाव । लवणागराइसु जहा वज्नेह कुसीलसंसग्गीं ॥५।। जीवो अणाइनिहणो तब्भावणभाविओ य संसारे । खिप्पं सो भाविज्जइ मेलणदोसाणुभावेणं ||६|| जह नाम महुरसलिलं सागरसलिलं कमेण संपत्तं । पावइ लोणियभावं मेलणदोसाणुभावेणं ॥७॥ एवं खु सीलमंतो असीलमंतेहिं मेलिओ संतो । पावइ गुणपरिहाणी मेलणदोसाणुभावेणं ।।८।। णाणस्स दंसणस्स य चरणस्स य जत्थ होइ उवघातो । वज्जेज्जऽवज्जभीरू अणाययणवज्जओ खिप्पं ।९।। जत्थ साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता अणारिया । मूलगुणपडिसेवी, अणायतणं तं वियाणाहि ||७८०|| जत्थ साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता अणारिया । उत्तरगुणपडिसेवी, अणायतणं तं शवियाणाहि ।।१।। जत्थ साहम्मिया बहवे, भिन्नचित्ता अणारिया। लिंगवेसपडिच्छन्ना, अणायतणं तं वियाणाहि ॥२॥ आययणंपिय दुविहं दव्वे भावे य होइ नायव्वं । MeroS 5555555555 श्री आगमगुणमंजूषा -१६०२555555555555555555555555GOR MOROSFFFFFFFFFF5555555555555555555555555555ff555SQ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) ओहनिनुत्ति / पिडनिनुत्ति [२७] 555555555555555sexors FOR5555555555555555555555555$555555fifeOY दव्वंमि जिणघराई भावंमि य होइ तिविहं तु ॥३॥ जत्थ साहम्मिया बहवे, सीलमंता बहुस्सुया। चरित्तायारसंपन्ना, आययणं तं वियाणाहि ॥४॥ सुंदरजणसंसग्गी सीलदरिइंपि कुणइ सीलड्ढं । जह मेरूगिरीजायं तणंपि कणगत्तणमुवेइ ।।५।। एवं खलु आययणं निसेवमाणस्स हुज्ज साहुस्स । कंटगपहे व छलणा रागद्दोसे समासज्ज ॥६|| पडिसेवणा य दुविहा मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य । मूलगुणे छठ्ठाणा उत्तरगुणि होइ तिगमाई ||७|| हिंसाऽलिय चोरिक्के मेहुन्न परिग्गहे य निसिभत्ते । इय छठ्ठाणा मूले उग्गमदोसा य इयरंमि ||८|| पडिसेवणा मइलणा भंगो य विराहणा य खलणा य। उवधाओ य असोही सबलीकरणं च एगठ्ठा ॥९॥ छठ्ठाणा तिगठाणा एगतरे दोसु वावि छलिएणं । कायव्वा उ विसोही सुद्धा दुक्खक्खयठ्ठाए ||७९०|| आलोयणा उ दुविहा मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य । एक्केक्का चउकन्ना दुवग्ग सिद्धावसाणा य ।।१।। आलोयणा वियडणा सोही सब्भावदायणा चेव । निंदण गरिह विउट्टण सल्लुद्धरणंति एगठ्ठा ।।२।। एत्तो सल्लुद्धरणं वुच्छामी धीरपुरिसपन्नत्तं । जं नाऊण सुविहिया करेंति दुक्खक्खयं धीरा ॥३॥ दुविहा य होइ सोही दव्वसोही य भावसोही य । दव्वंमि वत्थमाई भावे मूलुत्तरगुणेसु ॥४॥ छत्तीसगुणसमन्नागएण तेणवि अवस्स कायव्वा । परसक्खिया विसोही सुट्ठवि ववहारकुसलेणं ।।५।। जह सुकुसलोऽवि विज्जो अन्नस्स कहेइ अप्पणो वाहिं। सोऊण तस्स विज्जस्स सोवि परिकम्ममारभइ ॥६|| एवं जाणंतेणवि पायच्छित्तविहिमप्पणो सम्मं । तहविय पागडतरयं आलोएतव्वयं होइ ||७|| गंतूण गुरूसकास काऊण य अंजलिं विणयमूलं । सव्वेण अत्तसोही कायव्वा एस उवएसो।।८॥ नहु सुज्झई ससल्लो जह भणियं सासणे धुयरयाणं । उद्धरियसव्वसल्लो सुज्झइ जीवो धुयकिलेसो॥९|| सहसा अण्णाणेण व भीएण व पिल्लिएण व परेण । वसणेणायंकेण व मूढेण व रागदोसेहिं ।।८००|| जंकिंचि कयमकजं न हुतं लब्भा पुणो समायरिउं । तस्स पडिक्कमियव्वं न हुतं हियएण वोढव्वं ।।१।। जह बालोजपंतो कज्जमकज्ज व उज्जुयं भणइ । तं तह आलोएज्जा मायामयविप्पमुक्को उस तस्स य पायच्छित्तं जं मग्गविऊगुरू उवइसंति। तं तह आयरियव्वं अणवत्थपसंगभीएणं ॥३।। नवि तं सत्थं व विसं व दुप्पउत्तो व कुणइ वेयालो । जंतं व दुप्पउत्तं सप्पो व पमाइणो कुद्धो॥४॥ जं कुणइ भावसल्लं अणुद्धियं उत्तमठ्ठकालंमि । दुल्लभबोहीयत्तं अणंतसंसारियत्तं च ||६|| तो उद्धरंति गारवरहिता मूलं पुणब्भवलयाणं । मिच्छादसणसल्लं मायासल्लं नियाणं च ।।६।। उद्धरियसव्वसल्लो आलोइयनिदिओ गुरूसगासे । होइ अतिरेगलहुओ ओहरियभरोव्व भारवहो ॥७॥ उद्धरियसव्वसल्लो भत्तपरिन्नाएँ धणियमाउत्तो। मरणाराहणजुत्तो चंदगवेझं समाणेइ ||८|| आराहणाइ जुत्तो सम्म काऊण सुविहिओ कालं । उक्कोसं तिन्नि भवे गंतूण लभेज्ज निव्वाणं ।।९।। एसा सामायारी कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता। संजमतवड्ढगाणं निग्गंथाणं महरिसीणं ॥८१०|| एयं सामायारिंगँजंता चरणकरणमाउत्ता। साहूखवंति कम्म अणेगभवसंचियमणतं ||१|| एसा अणुग्गहत्था फुडवियडविसुद्धवंजणाइन्ना । इक्कारसहिं सएहिं एगुणवन्नेहिं संमत्ता ।८१२|| भाष्यगाथा: ३२२। प्रक्षिप्ता २१मनमो नमो निम्मल दसणस्स पंचम गणधर श्री सुधर्मा स्वामिने नम: ४१ पिंडनिज्जुत्ति १) पिंडे उग्गम उप्पायणेसणा जोयणा पमाणे य इंगाल धूम कारण अट्ठविहा पिंडनिज्जुत्ती॥१॥२) पिंड निकाय समूहे संपिंडण पिंडणा य समवए समुसरण निचय उवचय चए य जुम्मे य रासी य॥२॥३) पिंडस्स उ निक्खेवो चउक्कओ छक्कओ व कायव्वो निक्खेवं काऊणं परुवणा तस्स कायव्वा ॥३||४) कुलए य चउभागस्स संभवो छक्कए चउण्हं च नियमेण संभवो अत्थि छक्कगं निक्खिवे तम्हा ॥४॥५) नामंठवणापिंडो दव्वे खेत्ते य काल भावे य एसो खलु पिंडस्स उ निक्खेवो छव्विहो होइ ॥५॥ ६) गोण्णं समयकयं वा जं वावि हवेज तदुभएण कयं तं बितिनामपिंड ठवणापिंडं अओ वोच्छं॥६॥ ७) गुणनिप्फन्नं गोण्णं तं चेव जहत्थम सत्थवी बेति तं पुण खवणो जलणो तवणो पवणो पईवो य॥१॥ भा.-१८) पिंडण बहुदव्वाणं पडिवक्खेणावि जत्थ पिंडक्खा सो समयकओ पिंडो जह सुत्तं पिंडपडियाई ||भा.-२९) जस्स पुण पिंडवायट्ठयं पविट्ठस्स होइ संपत्ती गुडओयणपिंडेहिं तं तदुभयपिंडमाइंसु ॥३||भा.-३१०) उभयाइरित्तमहवा अन्नपि हु अत्थि लोइयं नाम अत्ताभिप्पायकयं जह सीहगदेवदत्ताई।।४||भा.-४ ११) गोण्णसमयारित्तं इणमन्नं वाऽवि सूइयं नाम जंह पिंडउत्ति कीरइ कस्सइ नाम मणूसस्स॥५॥ भा.-५१२) तुल्लेऽवि अभिप्याए समयपसिद्धं न गिण्हए लोओ $$$$$$$明明听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 Start श्री आगमगुणमजूषा - १६०३ OR Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ro0555555555555555 (४१) पिंडनिज्जुत्ति [२८] 历历明明明明明明明明明明明5 ) NOTIO55555 乐乐乐乐乐乐乐明乐乐听听听听听听听听听听听乐乐明明明明明明明明明明明明明明明 र जं पुण लोयपसिद्धं तं सामझ्या उवचरंति ॥६॥ भा.-६ १३) अक्खे वराडए वा कढे पुत्थे व चित्तकम्मे वा सब्भावमसब्भावे ठवणापिंडं वियाणाहि ॥७-७१४) म इक्को उ असब्भावे तिण्हं ठवणा उ होइ सब्भावे चित्तेसु असब्भावे दारु अलेप्पोवले सियरो॥७॥ भा.--७१५) तिविहो उ दव्वपिंडो सच्चित्तो मीसओ अचित्तोय एक्केक्कस्स य एत्तो नव नव भेआ उ पत्तेयं ।।८।।-८ १६) पुढवी आउक्काओ तेऊ वाऊ वणस्सई चेव बेइंदिय तेइंदिय चउरो पंचेदिया चेव ॥९॥-९ १७) पुढवीकाओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ॥१०॥-१०१८) निच्छओ सच्चित्तो पुढविमहापव्वयाण बहुमज्झे म अच्चित्तमीसवज्जो सेसो ववहारसच्चित्तो॥११॥-१११९) खीरदुमहेट्ठ पंथे कट्ठोले इंधणे य मीसो उ पोरिसि एग दुग तिगं बहुइंधणमज्झथोवे य ।।१२।।-१२२०) सीउण्हखारखत्ते अग्गीलोणूस अंबिलेनेहे वुक्कतजोणिएणं पयोयणं तेणिमं होइ ।।१३।।-१३२१) अवरद्धिगविसबंधे लवणेण व सुरभिउवलएणं वा अच्चित्तस्स उ गहणं पओयणं तेणिमं चऽन्नं ।।१४||-१४२२) ठाणनिसियणतुयट्टण उच्चाराई चेव उस्सग्गो घट्टगडगलगलेवो एमाइ पओयणं बहुहा ।।१५||-१५२३) आउक्काओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववझरओ चेव ।।१६||-१७ २४) घणउदही घणवलया करगसमुद्दद्दहाण बहुमज्झे अह निच्छयसच्चित्तो ववहारनयस्स अगडाई ॥१७||-१७२५) उसिणोदगमणुवत्ते दंडे वासे य पडियमित्तंमि मोत्तूणादेसतिगं चाउलउदगेऽबहु पसन्नं ।।१८।।-१८२६) भंडगपासविलग्गा उत्तेडा बुब्बुया न संमंति जा ताव मीसगं तंदुला य रज्झंति जावऽन्ने ॥१९||-१९२७) एए उ अणाएसा तिन्निवि कालनियमस्सऽसंभवओ लुक्खेयरभंडगपवणसंभवासंभवाईहिं ॥२०||-२०२८) जाव न बहुप्पसन्नं ता मीसं इस इत्थ आएसो होइ पमाणमचित्तं बहुप्पसन्नं तु नायव्वं ॥२१||-२१ २९) सीउण्हखारखत्ते अग्गीलोणूस अंबिलेनेहे वुक्कंतजोणिएणं पओयणं तेणिमं होइ॥२२-२२३०) परिसेयपियणहत्थाइधोवणं चीरधोवणं चेव आयमण भाणधुवणं एमाइ पओयणं बहुहा ।।२३||-२३३१) उउबद्ध धुवण बाउस बंभविणासो अठाणठवणं च संपाइमवाउवहो पावण भूओवधाओ य॥२४||-२४ ३२) अइभार चुडण पणए सीयलपाउरणजीर गेलण्णे ओहावण कायवहो वासासु अधोवणे दोसा ॥२५||-२५३३) अप्पत्तेच्चिय वासे सव्वं उवहिं धुवंति जयणाए असईए उ दवस्स य जहन्नओ पायनिज्जोगो ॥२६||-२६३४) आयरियगिलाणाण य मइला मइला पुणोऽवि धोवंति मा हु गुरुण अवण्णो लोगंमि अजीरणं इयरे ॥२७||-२७३५) पायस्स पडोयारो दुनिसिज्ज तिपट्ट पोत्ति रयहरणं एए उन वीसामे जयणा संकामणा धुवणं ॥२८||-२८ ३६) पायस्स पडोयारो पत्तगवज्जो य पायनिज्जोगो दोन्निई निसिज्जाओ पुण अभिंतर बाहिरा चेव ॥८|| भा.८३७) संथारुत्तरचोलगपट्टा तिन्नि उहवंति नायव्वा मुहपोत्तियत्ति पोत्ती एगनिसेज च रयहरणं ।।९||भा.९३८) एए उन वीसामे पइदिणमुवओगओ य जयणाए संकामिऊण धोवंति विज्ज छप्पाइया तत्थ विहिणा उ॥१०|| भा.१०३९) जो पुण वीसमिज्जइ तं एवं वीयरायआणाए के पत्ते धोवणकाले उवहिं वीसामए साहू ॥२९||-२९ ४०) अभिंतरपरिभोगं उवरि पाउणइ नाइदूरे य तिन्नि य तिन्नि य एगं निसिं तु काउं परिच्छिज्जा ||३०||-३० ४१) धोवत्थं तिन्नि दिणा उवरिं पा निया उणइ तह य चेव आसन्नं धारेइ तिन्नि दियहे एगदिणं उवरि लंबतं ॥११||भा. ११४२) केई एक्केक्कनिसिं संवासेउं तिहा परिच्छंति पाउणइ जइ न लग्गति छप्पइया ताहि धोवंति ॥३१॥-३१४३) निव्वोदगस्स गहणं केई भाणेसु असुइ पडिसेहो गिहिभायणेसुगणं ठिय वासे मीसगं छारो॥३२॥-३२४४) गुरुपच्चक्खाणिगिलाणसेहमाईण धोवणं पुव्वं तो अप्पणो पुव्वमहाकडे य इयरे दुवे पच्छा ॥३३||-३३ ४५) अच्छोडपिट्टणासु य न धुवे धोए पयावणं न करे परिभोग अपरिभोगे छायायव पेह कल्लाणं ॥३४||-३४ ४६) तिविहो तेउक्काओ सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओचेव|३५||-३५४७) इट्टगपागाईणं बहुमज्झे विज्जुमाइ निच्छयओ इंगालाई इयरोत्ति मुम्मुरमाई उमिस्सोउ॥३६||-३६४८) ओयणवंजणपाणग आयामुसिणोदगं च कुम्मासा डगलगसरक्खसूई पिप्पलमाई उ उवओगो॥३७||-३७४९) वाउक्काओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ॥३८॥-३८ ५०) सवलय धणतणुवाया अइहिम अइदुद्दिणे य सु निच्छओ ववहार पाइणाई अक्कंताई य अच्चित्तो ॥३९||-३९ ५१) २ अक्कंतधंतधाणे देहाणुगए य पीलियाइसु य अच्चित्त वाउकाओत्तो एवविहो भणिओ कम्मट्ठमहणेहिं ।।४०||-४०५२) हत्थसयमेग गंता दइओ अच्चित्त बीयए reko55555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६०8555555555555555555555OK O2O乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For (४१) पिंडनिज्जुत्ति [२९] 「出男男男男男男男男男男20 2SC明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明所乐550 मीसो तइयंमि उ सच्चित्तो वत्थी पुण पोरिसिदिनेसु ॥४१॥-४१ ५३) निद्धेयरो य कालो एगंतसिणिद्धमज्झिमजहन्नो लुक्खोवि होइ तिविहो जहन्नमज्झो य उक्कोसो ॥४२-४२ ५४) एगंतसिणिद्धंमी पोरिसिमेगं अचेअणो होइ बिझ्याए संमीसो तइयाइ सचेयणो वत्थी ॥४३||-४३ ५५) मज्झिमनिद्धे दो पोरिसीउ अच्चित्तु मीसओ तइए चउत्थीए सच्चित्तो पवणो दइयाए मज्झगओ ॥४४॥-४४५६) पोरिसितिगमच्चित्तो निद्धजहन्नंमि मीसग चउत्थी सच्चित्त पंचमीए एवं लुक्खेऽवि दिनवुड्ढी ॥४५||-४५ ५७) दइएण वत्थिणा वा पओयणं होज्ज वाउणा मुणिणो गेलन्नंमि व होज्जा सचित्तमीसे परिहरेज्जा ।।१२||भा. - १२ ५८) वणसइकाओ तिविओ सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ||१३||भा. १३-१३५९) सव्वोऽवऽनंतकाओ सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव ॥१३॥ भा. १४६०) पुप्फाणं पत्ताणं सरडुफलाणं तहेव हरियाणं वेंटमि मिलाणंमि नायव्वं जीवविप्पजद ॥१५॥ भा. १५६१) संथारपायदंडगखोमिय कप्पा य पीढफलगाई ओसहभेसज्जाणि य एमाइ पओयणं बहुहा ॥४६||-४६ ६२) बियतियचउरो पंचंदिया य तिप्पभिइ जत्थ उ समेति सट्ठाणे सट्ठाणे सो पिंडो तेणं कज्जमिणं ॥४७||-४७६३) बेइंदियपरिभोगो अक्खाण ससिप्पसंखमाईणं तेइंदियाण उद्देहिगादि जं वा वए वेजो॥४८॥-४८६४) चउरिदियाण मच्छियपरिहारो चेव आसमक्खिया चेव पंचेदियापिंडमि उ अव्ववहारी उ नेरइया ।।४९||-४९६५) चम्मट्ठिदंतनहरोमसिंग अविलाइछगणगोमुत्ते खीरदधिमाइयाण य पंचिंदियतिरियपरिभोगो ॥५०||-५० ६६) सच्चित्ते पव्वावणं पंथुवएसे य भिक्खदाणाई सीसट्ठिग अच्चित्ते मीसठिसरक्खपहपुच्छा ॥५१॥-५१६७) खमगाइ कालकज्जाइएसु पुच्छिज्ज देवयं कंचि पंथे सुभासुभे वा पुच्छेई च्छाए दिव्व उवओगो ॥५२॥-५२६८) अह मीसओय पिंडो एएसिंचिय नवण्ह पिंडाणं दुगसंजोगाईओ नायव्वो जाव चरमोत्ति॥५३॥-५३६९) सोवीरगोरसासववेसणभेसज्जनेहसागफले पोग्गललोणगुलोयण ' नेगा पिंडा उ संजोगे॥५४॥-५४.७०) तिन्नि उ पएससमया ठाणट्ठिइउ दविए तयाएसा चउपंचमपिंडाणं जत्थ जया तप्परुवणया ॥५५||-५५ ७१) मुत्तदविएसु जुज्जइ जइ अन्नोन्नाणुवेहओ पिंडो मुत्तिविमुत्तेसुवि सो जुज्जइ नणुसंखबाहुल्ला ||५६।।-५६ ७२) जह तिपएसो खंधो तिसुवि प एसेसु जो स सो ज मोगाढो अविभागिणं संबद्धो कहन्नु नेवं तदाधारो ॥५७।-५७७३) अहवा चउण्ह नियमा जोगविभागेण जुज्जए पिंडो दोसु जहियं तु पिण्डो वण्णिज्जइ कीरए वावि ॥५८||५८७४) दुविहो उ भावपिण्डो पसत्थओ चेव अप्पसत्थो य एएसिं दोण्हंपिय पत्तेय परुवणं वोच्छं ।।५९।-५९७५) एगविहाइदसविहो पसत्थओ चेव अप्पसत्थो य संजम विज्जाचरणे नाणादितिगं च तिविहो उ॥६०||-६०७६) नाणं दसण तव संजमो य वय पंच छच्च जाणेज्जा पिंडेसणं पाणेसण उग्गहपडिमा य पिंडम्मि ॥६१॥-६१७७) पवयणमाया नव बंभगुत्तिओ तह य समणधम्मो य एस पसत्थो पिंडो भणिओ कम्मट्ठमहणेहिं ।।६२।। ६२७८) अपसत्थो य असंजम अन्नाणं अविरइ य मिच्छत्तं कोहायासवकाया कम्मेऽगुत्ती अ हम्मो य॥६३||-६३७९) बज्झइ य जेण कम्म सो सव्वो होइ अप्पसत्थो उमुच्चइ य जेण सो उण पसत्थओ नवरि विन्नेओ ॥६४||-६४८०) दंसणनाणचरित्ताण पज्नवा जे उ जत्तिया वावि सो सो होइ तयक्खो पज्जवपेयालणा पिंडो॥६५।।-६५८१) कम्माण जेण भावेण अप्पगं चिणइ चिक्कणं पिंडं सो होइ भावपिंडो पिंडयए पिंडण ओ जम्हा ॥६६||-६६ ८२) दव्वे अच्चित्तेणं भावंमि वे य पसत्थएणिहंपगयं उच्चारियत्थसरिसा सीसमइ सेसा उ विकोवणवाए ॥६७||-६७ ८३) आहारउवहिसेज्जा पसत्थपिंडस्सुवग्गहं कुणइ आहारे अहिगारो अट्ठहिं ठाणेहिं सो सुद्धो ॥६८||-६८८४) निव्वाणं खलु कजं नाणाइतिगं च कारणं तस्स निव्वाणकारणाणं च कारणं होइ आहारो ॥६९||-६९ ८५) जह कारणं तु तंतू पडस्स तेसिं च होति पम्हाइं नाणाइतिगस्सेवं आहारोमोक्खनेमस्स ॥७०||-७० ८६) जह कारणमणुवयं कज्ज साहेइ अविकलं नियमा मोक्खक्खमाणि एवं नाणाईणि उ अविगलाई ।।७१।।७१८७) संखेवपिडियत्थो एवं पिंडो मए समक्खाओ फुडवियडपायडत्थं वोच्छामि एसणं एत्तो॥७२||-७२८८) एसण गवेसण मग्गणा य उग्गोवणा य बोद्धव्वा एए उ एसणाए नामा एगट्ठिया होति ।।७३||-७३ ८९) नामंठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयव्वा दव्वे भावे एक्केक्कया उ तिविहा मुणेयव्वा ।।७४||-७४९०) जम्मं एसइ एगो सुयस्स अन्नो तमेसए नटुं सत्तुं एसइ अन्नो पएण अन्नो य से मच्छं ।।७५||-७५९१) एमेव सेसएसुवि चउप्पयापयअचित्तमीसेसु जा जत्थ जुज्जए MOTEEEEEEEE41545455 5 श्री आगमगुणमंजूषा - १६०५5555555555555555555555555 C明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐明听听听听听听听听听听听听听听听听听03 (OnEducation International 201003 Personale.Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KORO5555555555555 (४१) पिंडनिजुत्ति [३०] 55555555555555FOXOY TOEIC%乐玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明5CM एसणा उतं तत्थ जोएज्जा ॥७६।।-७७९२) भावेसणा उ तिविहा गवेसगहणेसणा उ बोद्धव्वा गासेसणा उ कमसो पन्नत्ता वीयरागेहिं॥७७||-७७९३) अगविट्ठस्स उ गहणं न होइ न य अगहियस्स परिभोगो एसणतिगस्स एसा नायव्वा आणुपुव्वी उ ॥७८॥-७८९४) नामं ठवणा दविए भावंमि वे य गवेसणा मुणेयव्वा दव्वंमि कुरंगगया उग्गमउप्पायणा भावे ।।७९||-७९९५) जियसुत्तदेविचित्तसभपविसणं कणगपिट्ठपासणया दोहलदुब्बलपुच्छा कहणं आणा य पुरिसाणं ।।८०-८० ९६) सीवन्निसरिसमोयगकर ठवणं सीवन्निरुक्खहेढेसु आगमण कुरंगाणं पसत्थ अपसत्थ उवमा उ॥८१||-८१ ९७) विइयमेयं कुरंगाणं पसत्थ अपसत्थ उवमा उ ॥८१||-८१ पुरावि वाया वायंता न उणं पुंजकपुंजका ।।८२।।-८२ ९८) हत्थिग्गहणं गिम्हे अरहट्टेहिं भरणं च सरसीणं अच्चुदएण नलवणा आ अहि रुढा गयकुलागमणं ॥८३||-८३९९) विइयमेयं गजकुलाणं जया रोहंति नलवणा अन्नयावि झरंति हदा झरा न य एगट्ठियाइ एयाणि १००) उग्गम उग्गोवण मग्गणा य एगट्ठियाइ एयाणि नामं ठवणा दविए भावंमि य उग्गहो होइ ।।८५||-८५ १०१) दव्वंमि लड्डगाई भावे तिविहोग्गमो मुणेयव्वो दंसणनाणचरित्ते चरिउग्गमेणेत्थ अहिगारो॥८६||-८६१०२) जोइसतणोसहीणं मेहरिणकराणमुग्गमो दव्वे सो पुण जत्तो य जया जहा य दव्वुग्गमो वच्चो १०३) वासहरा अनुजत्ता अत्थाणी जोग्ग किड्डुकाले य घडगसरावेसु कया उ मोयगा लड्डगपयिस्स ॥८८= ८८ १०४) जोग्ग अजिण्ण मारुय निसग तिसमुत्थ तो सुइसमुत्थो आहारुग्गमचिंता असुइत्ति दुहा मलप्पभवो ॥८९||-८९ १०५) तस्सेवं वेरग्गुग्गमेण सम्मत्तनाणचरणाणं जगवं कमुग्गमो वा केवलनाणुग्गमो जाओ॥९०||-९० १०६) दंसणनाणप्पभवं चरणं सुद्धेसु तेसुतस्सुद्धी चरणेण कम्मसुद्धी उग्गमसमुद्धीइ चरणसुद्धी॥९१।।-९१ १०७) आहाकम्मुद्देसिय पूईकम्मे य मीसजाए य ठवणा पाहुडियाए पाओअर कीय पामिच्चे ॥९२||-९२ १०८) परियट्टिए अभिहडे उब्भिन्ने मालोहडे इय अच्छिज्जे अनिसिढे अज्झोयरए य सोलसमे ॥९३||-९३ १०९) आहाकम्मियनामा एगट्ठा कस्स वावि किं वावि परपक्खे य सपक्खे चउरो गहणे य आणाई ॥९४।।-९४११०) आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य पडिसेवण पडिसुणणा संवासऽणुमोयणा चेव ॥९५||-९५ १११) धणुजुयकायभराणं कुडुंबरज्जधुरमाइयाणं च खंधाई हिययं चि मि य दव्वाहा अंतए धणुणो ॥९६।।-९६ ११२) ओरालसरीराणं उद्दवण तिवायणं च जस्सट्ठा मणमाहित्ता कीरइ आहाकम्मं तयं बेति ॥९७।।-९७ ११३) ओरालग्गहणेणं तिरिक्खमणुयाऽहवा सुहुमवज्जा उद्दवणं पुण जाणसु अइवायविवज्जियं पीडं ॥१६|| भा. १६ ११४) कायवइमणो तिन्नि उ अहवा देहाउइंदियप्पाणा सामित्तावायाणे होइ तिवाओ य करणेसु य ॥१७|| भा.॥ १७११५) हिययंमि समाहेउं एगमणेगं च गाहगं जो उ वहणं करेइ दाया कायेण तमाहकम्मंति॥१८|| भा.-१८११६) जं दव्वं उदगाइसु छूढमहे वयइ जं च भारेणं सीईए रज्जुएण व ओयरणं दव्वऽहेकम्मं ।।९८-९८ ११७) संजमठाणाणं कंडगाण लेसाठिईविसेसाणं भावं अहे करेई तम्हा तं भावऽहेकम्मं ॥९९६-९९ ११८) तत्थाणंता उ चरित्तपज्जवा होति संजमट्ठाणं संखझ्याणि उ ताणि कंडगं होइ नायव्वं ॥१९||भा. १९११९) संखाईयाणि उ कंडगाणि छट्ठाणगं विणिद्दिढ़ छट्ठाणा उ असंखा संजमसेडी मुणयेव्वा ||२०|| भा. २०१२०) किण्हाइया उलेसा उक्कोसविसुद्धिठिइविसेसाओ एएसि विसुद्धाणं अप्पं तग्गाहगो कुणइ||२१||भा. २१ १२१) भावोवयारमाहेउमप्पगे किंचिनूणचरणग्यो आहाकम्मग्गाही अहो अहो नेइ अप्पाणं ।।१००||-१००१२२) बंधइ अहे भवाऊ पकरेइ अहोकुमाई कम्माई धणकरणं तिव्वेण उ भावेण चओ उवचओ य ॥१०१||-१०१ १२३) तेसि गुरुणमुदएण अप्पगं दुग्गईऍ पवडतं न चइए विधारेउं अहरगतिं निति कम्माइं ॥१०२।।-१०२१२४) अट्ठाएँ अणट्ठाए छक्कायपमद्दणं तु जो कुणइ अनियाए य नियाए आयाहम्मं तयं बेति॥१०३-१०३ १२५) जाणंतु अजाणतो तहेव उ नि द्दिसिय ओहओ वावि जाणगमजाणगे वा वहेइ अनिया निया एसा ।।२२||भा. २२ १२६) दव्वाया खलु काया भावाया तिन्नि नाणमाईणि परपाणपाडणर ओ चरणायं अप्पणो हणइ ॥१०४||-१०४ १२७) निच्छयनयस्स चरणाय विधाए नाणदंसणवहोऽवि ववहारस्स उ चरणे यंमि भयणा उ सेसाणं ।।१०५||-१०५ १२८) दव्वंमि अत्तकम्मं जंजो उममायए तगं दव्वं भावे असुहपरिणओ परकम्मं अत्तणो कुणइ॥१०६।।-१०६१२९) आहाकम्मपरिणओ फासुयमवि संकिलिट्ठपरिणामो आइयमाणो बज्झइ तं जाणसु अत्तकम्मति ॥१०७॥-१०७१३०) परकम्मअम त्तकम्मीकरेइ तं जो उ गिहिउं भुंजे तत्थ भवे परकिरिया कहं नु अन्नत्थं संकमई Merry 5555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १६०६45555555555555$ $OOR GO听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C%听听听听听乐听听听听听听乐听听听听听听 听听听听听听听听听乐乐乐乐乐明明听听听听听听听听听听听听F5C 30255555555牙牙牙牙牙牙牙 (४१) पिंडनिज्जुति [३१] 历历历历历历万历历历历万步,AOE ||१०८||-१०८१३१) कूडउवमाइ केई परप्पउत्तेऽवि बेति बंधोत्ति भणइ गुरुवि पमत्तो बज्झइ कूडे अदक्खो य ॥१०९।।-१०९ १३२) एमेव भावकूडे बज्झइ जो असुभभावपरिणामो तम्हा उ असुभभावो वज्जेयव्वो पयत्तेणं ।।११०॥-११०१३३) कामं सयं न कुव्वइ जाणंतो पुण तहावितग्गाहि वड्ढेइ तप्पसंगं अगिण्हमाणो उ वारेइ ॥१११||-१११ १३४) अत्तीकरेइ कम्म पडिसेवाईहिं तं पुण इमेहिं तत्थ गुरु आइपयं लहु लहु लहुगा कमेणियरे ॥११२||-११२ १३५) पडिसेवणमाईणं दाराणऽणुमोयणावसाणाणं जहसंभवं सरुवं सो दाहरणं पवक्खामि ॥११३||-११३ १३६) अन्नेणाहाकम्मं उवणीय असइ चोइओ भणइ परहत्थेणंगारे कड्ढेतो जह न डज्झइ हु॥११४॥-११४ १३७) एवं खु सुद्धो दोसो देंतस्स कूडउवमाए समयत्थमजाणतो मूढो पडिसेवणं कुणइ ॥११५||-११५१३८) उवओगंमि य लाभ कम्मग्गाहिस्स चित्तरक्खट्ठा आलोइय सुलद्धं भणइ भणंतस्स पडिसुणणा।।११६।।-११६१३९) संवासो उपसिद्धो अनुमोयण कम्मभोयगपसंसा एएसिमुदाहरणा एए उ कमेण नायव्वा ।।११७||-११७१४०) पडिसेवणाएँ तेणा पडिसुणणाए उ रायपुत्तो उ संवासंभि य पल्ली अनुभोयण रायदुट्ठो य ।।११८||-११८ १४१) गोणीहरण सभूमी नेऊणं गोणिओ पहे भक्खे निव्विसया परिवेसण ठियावि ते कूविया घत्थे ॥११९||-११९१४२) जेऽविय परिवेसंती भायणाणि धरंति य तेऽवि बज्झंति तिव्वेणकम्मुणा किमु भोइणो।।१२०||-१२०१४३) सामत्थण रायसुए पिइवहण सहाय तह य तुण्हिक्को तिण्हपि हु पडिसुणणा रण्णा सिटुंमि सा नत्थि ॥१२१||-१२१ १४४) भुंज न भुंजे भुंजसु तइओ तुसिणीउ भुंजए पढमो तिण्डंपि हु पणिसुणणा पडिसेहतस्स ना नत्थि ।।१२२-१२२ १४५) आणेत्तु जगा कम्मुणा उ बीयस्स वाइओ दोसो तइयस्स य माणसिओ तीहिं विसुद्धो चउत्थो उ॥१२३||-१२३ १४६) पडिसेवण पडिसुणणा संवासऽणुमोयणा उ चउरो वि पियमारगरायसुए विभासियव्वा जइजणेऽवि ।।१२४||-१२४ १४७) पल्लीवहमि नट्ठा चोरा वणिया वयं न चोरत्ति न पलाण पावकर वरय त्ति काउंरन्ना उवालद्धा ॥१२५।।-१२५१४८) आहाकडभोईहिं सहवासो तह य तब्विवज्जपि दंसणगंधपरिकहा भाविति सुलूहवित्तिपि।।१२६।।-१२६ १४९) रायोरोहऽवराहे विभूसिओ घाइओ नयरमज्झे धन्नाधन्नत्ति कहा वहावहो कप्पडियखोला ॥१२७।।-१२७१५०) साउं पज्जतं आयरेण काले रिउक्खमं निद्धं तग्गुणविकत्थणाए अभुंजमाणेऽवि अनुमन्ना ॥१२८।।-१२८१५१) आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य जह वंजणनाणत्तं अत्थेणऽवि पुच्छए एवं ||१२९||-१२९ १५२) एगट्ठा एगवंजण एगट्ठा नाणवंजणा चेव नाणट्ठ एगवंजण नाणट्ठा वंजणानाणा १५३) दिटुं खीरं खीरं एग8 एगवंजणं लोए एगटुं बहुनामं दुद्ध पओ पीलु खीरं च ॥१३१||-१३१ १५४) गोमहिसिअयाखीरं नाणहूँ एगवंजणं नेयं लोए घडपडसगडरहाई होइ पिहत्थं पिहनामं ॥१३२||-१३२ १५५) आहाकम्माईणं होइ दुरुत्ताइं पढमभंगो उ आहाहेकम्मति य बिइओ सकिंकद इव भंगो ॥१३३॥-१३३ १५६) आहाकम्मतरिया असणाईं उ चउरो तइयभंगो आहाकम्म पडुच्चा नियमा सुन्नो चरिमभंगो ||१३४||१३४ १५७) इंतत्थं जह सद्दा पुरंदराई उनाइवत्तंते अहकम्म आयहम्मा तह आहे नाइवत्तंते ॥१३५।।-१३५१५८) आहाकम्मेण अहे करेति जं हणइ पाणभूयाई जंतं आइयमाणो परकम्मं अत्तणो कुणइ ॥१३६।।-१३६१५९) कस्सत्ति पुच्छियमी नियमा साहम्मियस्संतं होइ साहम्मियस्स तम्हा कायव्व परुवणा विहिणा॥१३७।।-१३७१६०) नामं ठवणा दविए खेत्ते काले य पवयणे लिंगे दंसण नाण चरित्ते अभिग्गहे भावणाओ य ।।१३८||-१३८१६१) नामंमि सरिसनामो ठवणाए कट्ठकम्ममाईया दव्वंमि जो उ भविओ साहमिसरीगं चेव जं च ॥१३९||-१३९१६२) खेते समाणदेसी कालंमि समाण उएक्क कालसंभूओपवयणि संघे गयरो लिगे रयहरणमुहपोत्ती ॥१४०॥-१४० १६३) दंसण नाणे चरणे तिग पण पण तिविह होइ उ चरिते दव्वाइओ अभिग्गह भावणमो अणिच्चाई ॥१४१||१४११६४) जावंत देवदत्ता गिही व अगिहीव तेसि दाहामि नो कप्पई गिहीणं दाहंति विसेसियं कप्पे ॥१४२।।-१४२ १६५) पासंडियसमणाणं गिहिनिग्गंथाण चेव उ विभासा जह नामंमि तहेव य खेत्ते काले य नायव्वं ।।१४५||-१४५१६६) नीसमनीसा व कडं ठवणासाहम्मियम्मि उ विभासा दव्वे मयतणुभत्तं न तं तु कुच्छा विवज्जेज्जा ||१४४||-१४४.१६७) पासंडियसमणाणं गिहिनिग्गंथाणं चेव उ विभासा जह नामंमि तहेव य खेत्ते काले य नायव्वं ॥१४५।। १४५१६८) दस ससिहागा सावग पवयणसाहम्मिया न दंसणओ लिंगेण उ साहम्मी नो पवयण निण्हगा सव्वे ॥१४६||-१४६१६९) विसरिसदसणजुत्ता पवयणसाहम्मिया न MOMore ur LC फ555555555555555555 श्री आगमगणमजषा : १६०७555555555555555555555555GROFI 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐乐明明明明明明明明明明明明听听听听听FC Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 100%5555555555% , (४१) पिंडनिजुत्ति [३२] 555555555岁男 H2O+乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐明明听听听听听听听乐SC दसणओ तित्थगरा पत्तेया नो पवयणदंससाहम्मी ॥१४७||-१४७१७०) नाणचरित्ता एवं नायव्वा होति पवयणेणं तु पवयणओ साहम्मी नाभिग्गहसावगा जइणो ॥१४८||-१४८१७१) साहम्मऽभिग्गहेणं नो पवयण निण्ह तित्थ पत्तेया - १४८ एवं पवयणभावण एत्तो सेसाण वोच्छामि ॥१४९॥-१४९ १७२) लिंगाईहिवि एवं एक्केकेणं तु उवरिमा नेया जेऽनन्ने उवरिल्ला ते मोत्तु सेसए एवं ॥१५०।-१५०१७३) लिंगेण उ साहम्मी न दंसणे वीसुदंसी जइनिण्हा पत्तेयबुद्ध तित्थंकरा य बीयंमि भंगंमि ।।१५१||-१५१ १७४) लिंगेण उ नाभिग्गह अणभिग्गह वीसुऽभिग्गहा चेव जइसावग बियभंगे पत्तेयबुहा य तित्थयरा ॥१५२।।-१५२ १७५) एवं लिंगेण भावणं दंसणनाणे य पढमभंगो उ जइसावग विसुनाणी एवं चिय बिइयभंगोऽवि ॥१५३||-१५३ १७६) दंसणचरणे पढमो सावग जइणो य बीयभंगो उ जइणो विसुनाणी एवं चिय बिइयभंगोऽवि ॥१५३||-१५३ १७७) सावग जइ वीसऽभिग्गह पढमो बीओ य भावणा चेव नाणेणऽवि नेज्जेवं एत्तो चरणेण वोच्छामि ॥१५५।।-१५५ १७८) जइणो वीसाभिग्गह पढमो बिय निण्हसावगजइणो उ एवं तु भावणासुऽवि वोच्छं दोण्हंतिमाणित्तो॥१५६।।-१५६ १७९) जइणो सावग निण्हव पढमे बिइए य हुंति भंगे य केवलनाणे तित्थंकरस्सनो कप्पइ कयं तु॥१५७।१-१५७ १८०) पत्तेयबुद्ध निण्हव उवासए केवलीवि आसज्ज खझ्याइए य भावे पडुच्च भंगे उजोएज्जा॥१५८||-१५८ १८१) जत्थ उतइओ भंगो तत्थ न कप्पं तु सेसए भयणा तित्थंकरकेवलिणो जह कप्पं नो य सेसाणं ॥१५९॥-१५९१८२) किं तं आहाकम्मति पुच्छिए तस्सरुवकहणत्थं संभवपदरिसणत्थं च तस्स असणाइयं भणइ ॥१६०||-१६० १८३) सालीमाई अवडे फले य सुंठाइ साइमं होइ तस्स कडनिठ्ठियमी सुद्धमसुद्धे य चत्तारि ॥१६१।।-१६१ १८४) कोद्दवरालगगामे वसही रमणिज्ज भिक्ख सज्झाए खेत्तपडिलेहसंजय सावयपुच्छुज्जुए कहणा ।।१६२।।-१६२ १८५) जुज्जइ गणस्स खेत्तं नवरि गुरुणं तु नत्थि पाउग्गं सालित्ति कए रुंपण परिभायण निययमगेहेसु ॥१६३।-१६३ १८६) वोलिंता ते व अन्ने वा अडंता तत्थ गोयरं सुणंति एसणाजुत्ता बालादिजणसंकडा॥१६४||-१६४ १८७) एए ते जेसिमो रद्धो सालिकूरो धरे धरे दिन्नो वा सेसयं देमि देहि वा बिति वा इमं ।।१६५।।-१६५ १८८) थक्के थक्कावडियं अभत्तए सालिभत्तयं जाय मज्झ य पइस्स मरणं दियरस्स य से मया भज्जा ॥१६६।।-१६६ १८९) चाउलोदगंपि से देहि सालीआयामकंजियं किमेयंति कयं नाउं वज्जंतऽन्नं वयंति य॥१६७||-१६७१९०) लोणागडोदए एवं खाणित्तु महुरोदगं ढकिकएणऽच्छते ताव जाव साहुत्ति आगया ।।१६८||-१६८ १९१) कक्कडिय अंबगा वा दाडिम दक्खा य बीयपूराई खाइमऽहिगरणकरणंति साइमं तिगडुगाईयं ॥१६९||-१६९ १९२) असणाईण चउण्हवि आमंजं साहुगहणपाउग्गं तं निठ्यिं वियाणसु उवक्खडं तूकडं होइ॥१७०।-१७०१९३) कंडियतिगुणुक्कंडा उनिठ्यि नेगदुगुणकंडा उनिठ्यिकडो उकूरो आहाकम्मं दुगुणमाहु॥१७१।।-१७१ १९४) छायंपि विवज्जती केई फलहेउगाइवुत्तस्सतं तु न जुज्जइ जम्हा फलंपि कप्पं बिइयभंगे॥१७२।।-१७२१९५) परपच्चइया छाया नवि सा रुक्खोव्वं वट्टिया कत्ता नट्ठच्छाए उ दुमे कप्पइ एवं भणंतस्स॥१७३||-१७३ १९६) वड्ढइ हायइ छाया नत्थि च्छि क्कं पूइयंपिव न कप्पे न य आहाय सुविहिए निव्वत्तयई रवीच्छायं ॥१७४||-१७४ १९७) अघणघणचारिगगणे छाया नट्ठा दिया पुणो होइ कप्पइ निरायवे नाम आयवे तं विवज्जेउं ॥१७५।।-१७५ १९८) तम्हा न एस दोसो संभवई कम्मलक्खणविहूणो तंपिय हु अइधिणिल्ला वज्जेमाणा अदोसिल्ला ॥१७६।।-१७६ १९९) परपक्खो उ गिहत्था समणा समणीउ होइ उ सपक्खो फासुकडं रद्धं वा निठ्यिमियरं कडं सव्वं ॥१७७||-१७७२००) तस्स कडनिळ्यिमी अन्नस्स कडंमि निट्ठिए तस्स चउभंगो इत्थ भवे चरमदुगे होइ कप्पं तु ॥१७८||-१७८ २०१) चउरो अइक्कम वइक्कमो य अइयार तह अणायारो निद्दरिसण चउण्हवि आहाकम्मे निमंतणथा ॥१७९||-१७९२०२) सालीधयगुलगोरस नवेसुवल्लीफलेसुजाएसुंदाणे अहिगमसड्ढे आहाय कए निमंतेइ॥१८०॥-१८०२०३) आहाकम्मग्गहणे अइकम्माईसुई वट्टए चउसु नेउरहारिगहत्थी चउतिगदुगएगचलणेणं ॥१८१||-१८१ २०४) आहाकम्मामंतण पडिसुणमाणे अइक्कमो होइ पयभेयाउ वइक्कम गहिए तइएयरो गिलिए।।१८२।।-१८२२०५) आणाइणोय दोसा गहणे जंभणियमहमे ते उआणाभंगऽणवत्था मिच्छत्त विराहणा चेव ।।१८३||-१८३२०६) आणं सव्वजिणाणं गिण्हंतोतं अइक्कमइ लुद्धो आणं चऽइक्कमंतो कस्साएसा कुणइ सेसं ॥१८४||-१८४२०७) एक्केण कयमकज्ज करेइ तप्पच्चया पुणो अन्नो सायाबहुलपरंपर OrKo 5$$ $$$$$$$ श्री आगमगुणमजूषा-१६०८5555555555$$$$$$$$$$$$$$$5 3 SO听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听50 Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6955555555555555555 (४१) पिडनिजुत्ति [३३] $$$$ $$$$2208 CCF听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明乐乐国乐乐乐乐乐乐乐乐历历乐乐乐乐玩乐乐 वोच्छेओ संजमतवाणं ॥१८५||-१८५२०८) जो जहवायं न कुणई मिच्छद्दिट्ठी तओ हु को अन्नो वड्ढेइ य मिच्छत्तं परस्स संकं जणेमाणो ॥१८६।।-१८६२०९) वड्ढेइ तप्पसंगं गेही य परस्स संकं जणेमाणो॥१८६।।-१८६ सजियपि भिन्नदाढो न मुयइ निद्धंधसो पच्छा ।।१८७।।-१८७२१०) खद्धे निद्धे य रुया सुत्ते हाणी तिगिच्छणे काया पडियरगाणवि हाणी कुणइ किलेसं किलिस्संतो॥१८८१-१८८२११) जह कम्मं तु अकप्पं तच्छिक्कं वाऽवि भायणठियं वा परिहरणं तस्सेव य गहियमदोसं च तह भणइ ॥१८९||-१८९ २१२) अब्भोज्जे गमणाइ य पुच्छा दव्वकुलदेस खित्त भावे य एव जयंते छलणा दिढता तत्थिमे दोन्नि ॥१९०।-१९० २१३) जह वंतं तु अभोज भत्तं जइविय सुसक्कयं आसि एवमसंजमवमणे अणेसणिज्ज अभोज्जं तु ॥१९१||-१९१२१४) मज्जारखइयमंसा मंसासित्थि कुणिमं सुणयवंतं वन्नाइ अन्नमुप्पाइयंति किं तं भवे भोज्ज ।।१९२||-१९२२१५) केई भणंति पहिए अट्ठाणे मंसपेसिवोसिरणं संभारिय परिवेस वट्ट न वारेइ सुओ करे धेत्तुं ॥१९३||-१९३२१६) अविकालकरहीखीरं ल्हसुण पलंडू सुरा य गोमंसं वेयसमएवि अभयं किंचि अभोज्जं अपेज्जं च ॥१९४॥-१९४२१७) बन्नाइजुयावि बली सपललफलसेहरा असुइनत्था असुइस्सविप्पुसेणविजहछिक्काओ अभोज्जाहुँतिभिक्खाओ ।।१९५||-१९५२१८) एमेव उज्झियंमिवि आहाकम्ममि अकयए कप्पे होइ अभोज भाणे जत्थ व सुद्धपि तं पडियं ।।१९६||-१९६ २१९) वंतुच्चारसरिच्छ कम्मं सोउमवि कोविओ भीओ परिहरइ सावि य दुहा विहिअविहीए य परिहरणा ॥१९७१-१९७ २२०) सालीओअणहत्थं द8 भणइ अविकोविओ देति कत्तोच्चउत्ति साली वणि जाणइ पुच्छ तं गंतुं ॥१९८||- १९८ २२१) गंतूण आवणं सो वाणियगं पुच्छए कओ साली पच्चंते मगहाए गोब्बरगामो तहिं वयइ ।।१९९||-१९९ २२२) कम्मासंकाएँ पहं मोत्तुं कंटाहिसावया अदिसिं छायंपि विवज्जतो डज्झइ उण्हेण मुच्छाई ।।२००||-२००२२३) इय अविहीपरिहारी नाणाईणं न होइ आभागी दव्वकुलदेसभावे विहिपरिहरणा इमा तत्थ ।।२०१६-२०१ २२४) ओयणसमिइमसत्तुगकुम्मासाई उ होति दव्वाई बहुजणमप्पजणं वा कुलं तु देसा सुरट्ठाई॥२०२।।-२०२ २२५) आयरऽणायर भावे सयं व अन्नेण वाऽवि दावणया एएसिं तु पयाणं चुपय तिपया व भयणा उ ।।२०२।।-२०३ २२६) अनुचियदेसं द स व्वं कुलमप्पं आयरो य तो पुच्छा बहुएवि नत्थि पुच्छा सदेसदविए अभावेऽवि ॥२०४॥-२०४ २२७) तुज्झट्ठाए कयमिणमन्नोन्नमवेक्खए यसविलक्खं वज्जति गाढरुट्टा का भे तत्तित्ति वा गिण्हे ।।२०५||-२०५२२८) गूढायारा न करेति आयरं पुच्छियावि न कहेति थोवंति व नो पुट्ठा तं च असुद्धं कह तत्थ ।।२०६||-२०६२२९) आहाकम्मपरिणओ फासुयभोईवि बंधओ होइ सुद्धं गवेसमाणो आहाकम्मेवि सो सुद्धो ॥२०७||-२०७२३०) संघुद्दिढ सोउं एइ दुयं कोइ भोइए पत्तो दिन्नंति देहि मज्झंतिगाउ सोउं तओ लग्यो ।२०८||-२०८ २३१) मासियपारणगट्ठा गमणं आसन्नगामगं खमगे सड्ढी पायसकरणं कयाइ अज्जेज्जिही खमओ॥२०९।।-२०९ २३२) खेल्लगमल्लगलेच्छारियाणि डिभग निमच्छ रुंटणया हंदि समणत्ति पायस घयगुलजुय जावणट्ठाए ।।२१०।।-२१०२३३) एगंतमवक्कमणं जइ साहू इज्ज होज्ज तिन्नो मि तणुकोट्टमि अमुच्छा भुत्तमि य केवलं नाणं ॥२११॥-२११२३४) चंदोदयं च सूरोदयं च रन्नो उ दोन्नि उज्जाणा तेसिं विवरियगमणे आणाकोवो तओ दंडो॥२१२।।-२१२ २३५) सूरोदयं गच्छमहं पभाए चंदोदयं जंतु तणाइहारा दुहा खी पच्चुरसंतिकाउं रायावि चंदोदयमेव गच्छे ।।२१३||-२१३ २३६) पत्तलदुमसालगया दच्छामु निवंगणत्ति दुश्चित्ता उज्जाणपालएहिं गहिया य हया य बद्धा य ॥२१४।।-२१४ २३७) सहस पइट्ठा दिट्ठ इयरेहि निवंगणत्ति तो बद्धा नितस्स य अवरण्हे दंसणमुभओ वहविसग्गा ||२१५||-२१५ २३८) जह ते दसणखी अपूरिइच्छा विणासिया रण्णा दिट्ठऽवियरे मुक्का एमेव इहं समोयारो ॥२१६।।-२१६ २३९) आहाकम्म भुंजइ न पडिक्कमए य तस्स ठाणस्स एमेव अडइइडो लुक्कविलुक्को जह कवोडो ।।२१७||-२१७२४०) आहाकम्मदारं भणियमियाणि पुरा समुद्दिट्ट उद्देसियंति वोच्छं समासओ तं दुहा होइ॥२१८||-२१८ २४१) ओहेण विभागेण य ओहे ठप्पं तु बारस विभागे उद्दिट्ठ कडे कम्मे एक्केकिक चउक्कओ भेओ॥२१९||-२१९ + २४२) जीवामु कहवि ओमे निययं भिक्खावि कइवई देमो इंदि हु नत्थि अदिन्नं भुज्जइ अकयं न य फलेइ ॥२२०॥-२२०२४३) सा उ अविसेसियं चिय मियंमि २ भत्तंमि तंडु चाउ ले छुहइ पासंडीण गिहीण व जो एहिए तस्स भिक्खट्ठा ॥२२१॥-२२१ २४४) छउमत्थोधुद्देस कहं वियाणाइ चोइए भणइ उवउत्तो गुरु एवं Me:55555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १६०९5555555555555555555EOOK UGG明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听TO Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOX9555555555555555 (४१) पिंडनिज्नुत्ति [३४] 历步步步步步步步步步O गिहत्थसद्दाइचिट्ठाए ॥२२२।।-२२२२४५) दिन्ना उ ताउ पंचवि रेहाउ करेइ देइ व गणंति देह इओ मा य इओ अवणेह य एत्तिया भिक्खा ॥२२३।।-२२३२४६) सद्दा इएसु साहू मुच्छं न करेज गोयरगओ य एसणजुत्तो होज्जा गोणीवच्छो गवत्तिव्व ।।२२४||-२२४ २४७) ऊसवमंडणवग्गा न पाणियं वच्छए नविय चारि वणियागम अवरण्हे वच्छगरडणं खरंटणया ।।२२५।।-२२५ २४८) पंचविहविसयसोक्खक्खणी वहू समहियं गिहं तं तु न गणेइ गोणिवच्छो मुच्छिय गढिओ ॥ गवत्तंमि ।।२२६।।-२२६२४९) गमणागमणुक्खेवे भासिय सोयाइइंदियाउत्तो एसणमणेसणं वा तह जाणइ तम्मणो समणो॥२२७||-२२७२५०) महईऍ संखडीए उव्वरियं कूरवंजणाईयं पउरं दद्दूण गिही भणइ इमं देहि पुण्णट्ठा ।।२२८||-२२८ २५१) तत्थ विभागुद्देसियमेवं संभवइ पुव्वमुद्दिढ़ सीसगणहियट्ठाए तं चेव विभागओ भणइ ।।२३।। भा. २३ २५२) उद्देसियं समुद्देसियं च आएसिएं समाएसं एवं कडे य कम्मे एक्केकिक चउक्कओ भेओ ।।२२९||-२२९ २५३) जावंतियमुद्देसं पासंडीणं भवे समुद्देसं समणाणं आएसं निग्गंथाणं समाएसं ॥२३०।-२३०२५४) छिन्नमछिन्नं दुविहं दव्वे खेत्ते य काल भावे य निप्फइनिप्फन्नं नायव्वं जं जहिं कमइ ।।२३१||-२३१२५५) भत्तुव्वरियं खलु संखडीएँ तद्दिवसमन्नदिवसे वा अंतो बहिं च सव्वं सव्वदिणं देहिं अच्छिन्नं ।२३२।।-२३२२५६) देहि इमं मा सेसं अंतो बाहिरगयं व एगयरं जाव अमुगत्ति वेला अमुगं वेलं च आरब्भ ॥२३३||-२३३ २५७) दव्वाईछिन्नपि हु जइ भणई आरओऽवि मा देह तो कप्पइ छिन्नपि हु अच्छिन्नकडं परिहरंति ॥२३४||-२३४ २५८) अमुगाणंति व दिज्जउ अमुकाणं मत्ति एत्थ उ विभासा जत्थ जईण विसिट्ठो निद्देसो परिहरंति रिज्जा ॥२३५||-२३५ २५९) संदिस्संतं जो सुणइ कप्पए तस्स सेसए ठवणा संकलिय साहणं वा करेंति असुए इमा मेरा ॥२३६।।-२३६ २६०) मा एयं देहि इमं पुढे सिट्ठमि तं परिहरंति जं दिन्नं तं दिन्नं मा संपइ देहि गेण्हंति ॥२३७||-२३७ २६१) रसभायणहेउं वा मा कुच्छिहिईं सुहं व दाहामि दहिमाई आयत्तं करेइ कूरं कडं एयं ।।२३८||-२३८ २६२) मा काहंति अवण्णं परिकट्ठलियं व दिज्जइ सुहं तु वियडेण फाणिएण व निद्धेण समं तु वटुंति ।।२३९।।-२३९२६३) एमेव य कम्मंमिऽवि उण्हवणे नवरि तत्थ नाणत्तं तावियविलीणएणं मोयगचुन्नीपुणक्करणं ।।२४०।-२४०२६४) अमुगंति पुणो रद्धं दाहमकप्पं तु आरओ कप्पं खेत्ते अंतो बाहिं काले सुइव्वं परेव्वं वा ॥२४१||-२४१२६५) जं जह व कयं दाहं तं कप्पइ आरओ तहा अकयं कयपाकणिटुंति ठियंपि जावंतियं मोत्तुं ॥२४२।।-२४२२६६) छक्कायनिरणुकंपा जिणपवयणबहिरा बहिप्फोडा एवं वयंति फोडा लुक्कक्लुिक्का जह कवोडा ||२|प. २ २६७) पूईकम्मं दुविहं दव्वे भावे य होइ नायव्वं दव्वंमि छगणधम्मिय भावंमि य बायरं सुहुमं ।।२४३||-२४३ २६८) गंधाइगुणसमिढं जं दव्वं असुइगंधव्वजुयं पूइत्ति परिहरिज्जइ तं जाणसुदव्वपूइत्ति ॥२४४।-२४४२६९) गोट्ठिनिउत्तो धम्मी सहाएँ आसन्नगोट्ठिभत्ताए समियसुखल्लमीसं अजिन्न सन्ना महिसिपोहो॥२४५||-२४५२७०) संजायलित्तभत्ते गोदिदगगंधोत्ति वल्लवणिआयो उक्खणिय अन्नछगणेण लिंपणं दव्वपूई ऊ ॥२४६।।-२४६ २७१) उग्गमकोडीअवयवमित्तेणवि मीसियं सुसुद्धपि सुद्धपि कुणइ चरणं पूई तं भावओ पूई ।।२४७||-२४७ २७२) आहाकम्मुद्देसिय मीसं तह बायरा य पाहुडिया पूई अज्झोयरओ उग्गमकोडी भवे एसा ।।२४८।।-२४८ २७३) बायर सुहुमं भावे उ पूइयं सुहुममुवरि वोच्छामि उवगरण भत्तपाणे दुविहं पुण बायरं पूई २७४) चुल्लुक्खलिया डोए दव्वीछूढे य मीसगं पूइं डाए लोणे हिंगू संकामण फोडणे धूमे ।।२५०||-२५० २७५) ॐ सिझंतस्सुवयारं दिज्जंतस्स व करेइ जं दव्वं तं उवकरणं चुल्ली उक्खा दव्वी य डोयाई ।।२५१।।-२५१ २७६) चुलुक्खा कम्माई आइमभंगेसु तीसुवि अकप्पं पंडिकुटुं तत्थत्थं अन्नत्थगयं अनुन्नायं ॥२५२।।-२५२ २७७) कम्मियकद्दममिस्सा चुल्ली उक्खा य फड्डगजुया उ उवगरणपूइमेयं डोए दंडे व एगयरे ॥२५३||-. 5२५३ २७८) दव्वीछूढेत्ति जं वुत्तं कम्मदव्वीऍ जं दए कम्मं घट्टिय सुद्धं तु घट्टए ढेआ हारपूइयं ॥२५४||-२५४२७९) अत्तट्ठिय आयाणे डायं लोणं च कम्मं हिंगुं वा तं भत्तपाणपूई फोडण अन्नं वजं छुहइ॥२५५||-२५५२८०) संकामेउं कम्मं सिद्धं जंकिंचि तत्थ छूढं वा अंगारधूमिथाली वेसण हेट्ठा मुणीहि धूमो ॥२५६।।-२५६ २८१) इंधणधूमेगंधे अवयव माईहिं सुहुमपूई उसुंदरमेयं पूई चोयग भणिए गुरु भणइ ॥१५७||-२५७२८२) इंधणधूमेगंधे अवयमाई न पूइयं होइ जेसिं तु एस पुई सोही नवि विज्जए तेसिं॥२५८||-२५८ २८३) इंधणअगणीअवयव धूमो बब्भो य अन्नगंधो य सव्वं फुसंति लोयं भन्नइ सव्वं तओ पूई ।।२५९||-२५९ २८४) ननु Mero क म श्री आगमगुणमंजूषा - १६१०॥ 5555555 5 55EOHORT CF明明明明明明明明明明明明明乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明 GOS乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐听听听听听听听的恩 Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1995555%步步步步步男男男 (४१) पिडनिज्जुत्ति [३५] 国宪555555555555 IOSOFFSF5F5FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF5FSSION सुहुमपूइयस्सा पुव्वुद्दिट्ठस्सऽसंभवो एवं इंधणधूमाईहिं तम्हा पूइत्ति सिद्धमिणं ॥२६०।-२६०२८५) चोयग इंधणमाईहिं चउहिवि सुहुमपूइयं होइ पन्नवणामित्तमियं परिहरणा नत्थि एयस्स॥२६१।।-२६१२८६) सज्झमसज्झं कजं सज्झं साहिज्जए न उ असझं जो उ असज्झं साहइ किलिस्सइ न तं च साहेई ॥२६२।।-२६२ २८७) आहाकम्मियभायणपप्फोडण काउ अकयए कप्पे गहियं तु ति सुहमपूई धोवणमाईहिं परिहरणा ॥२६३||-२६३ २८८) धोयंपि निरावयवं न होइ आहच्च कम्मगहणंमि न य अद्दव्वा उगुणा भन्नई सुद्धा कओ एवं ॥२६४||-२६४ २८९) लोएवि असुइगंधा विपरिणया दूरओ न दूसंति न य मारंति परिणया दूरगया अवि विसावयवा ।।२६५||-२६५२९०) सेसेहि उ दव्वेहिं जावइयं फुसइ तत्तियं पूई लेवेहि तिहि उ पूई कप्पइ कप्पे कए तिगुणे ॥२६६।।-२६६२९१) इंधणमाइं मोत्तुं चउरो सेसाणि होति दव्वाई तेसिं पुण परिमाणं तयप्पमाणाउ आरब्भ ।।२६७।।-२६७२९२) पढमदिवसंमि कम्मं तिन्नि उ दिवसाणि पूइयं होइ पूईसुतिसुन कप्पइ कप्पइ तइओ जया कप्पो ।।२६८।।-२६८ २९३) समणकडाहाकम्मं समणाणं जं कडेण मीसं तु आहार उवहि वसही सव्वं तं पूइयं होइ ॥२६९||-२६९ २९४) सड्ढस्स थेवदिवसेसु संखडी आसि संघभत्तं वा पुच्छित्तु निउणपुच्छं संलावाओ वऽगारीणं ।।२७०||-२७०२९५) मीसज्जायं जावंतियं च पासंडिसाहुमीसं च सहसंतरं न कप्पइ कप्पइ कप्पे कए तिगुणे ॥२७१||-२७१ २९६) दुग्गासे तं समइच्छिउं व अद्धाणसीसए जत्ता सड्ढी बहुभिक्खयरे मीसज्जायं करे कोई ||२४||भा. २४ २९७) जावंतहा सिद्धं नेयं न एइ तं देह कामियं जइणं बहुसु व अपहुप्पंते भणाइ अन्नपि रंधेह ।।२७२।।-२७२ २९८) अत्तट्ठा रंधते पासंडीणंपि बिइयओ भणइ निग्गंथट्ठा तइओ अत्तट्ठाएऽवि रंधते सो होइ ।।२७३।।-२७३ २९९) विसघाइयपिसियासी मरइ तमन्नोवि खाइउं मरइ इय पारंपरमरणे अनुमरइ सहस्ससो जाव ॥२७४।।-२७४३००) एवं मीसज्जायं चरणप्पं हणइ साहु सुविसुद्धं तम्हा तं नो कप्पइ पुरिससहस्संतरगयंपि॥२७५||-२७५३०१) निच्छोडिए करीसेण वावि उव्वट्टिए तओ कप्पा सुक्खावित्ता गिण्हइ अन्न चउत्थे असुक्केऽवि ॥२७६||-२७६ ३०२) सट्ठाणपरट्ठाणे दुविहं ठवियं तु होइ नायव्वं खीराइ परंपरए हत्यगय धरंतरं जाव ॥२७७||-२७७ ३०३) चुल्ली उवचुल्ली वा ठाणसठाणं तु भायणं पिढरे सट्ठाणट्ठाणंमि य भायणट्ठाणे य चउभंगो ॥२५॥ भा. २५ ३०४) छब्बगवारगमाई होइ परट्ठाणमो वऽणेगविहं सट्ठाणे पिढरे छब्बगे य एमेव दूरे य ॥२७८||-२७८ ३०५) एक्केक्कं तं दुविहं अनंतरं परंपरे य नायव्वं अविकारि कयं दव्वं तं चेव अनंतरं होई॥२७९।।-२७९३०६) उच्छुक्खीराईयं विगारि अविगारि धयगुलाईयं परियावज्जणदोसा ओयणदहिमाईयं वावि ।।२८०।२८० ३०७) उब्भट्ठ परिन्नायं अन्नं लद्धं पओयणे घेच्छी रिणभीया व अगारी दहित्ति दाहं सुए ठवणा ।।२८१॥-२८१३०८) नवणीय मंथुतक्कं व जाव अत्तळ्यि व गिण्हंति देसूणा जाव धयं कुसणंपिय जत्तियं कालं ।।२८२-२८२ ३०९) रसक्ककबपिंडगुलामच्छंडियखंडसक्कराणं च होइ परंपरठवणा अन्नत्थ व जुज्जए जत्थ ।।२८३।।-२८३ ३१०) भिक्खग्गाही एगस्थ कुणइ बिइओ उ दोसु उवओगं तेण परं उक्खित्ता पाहुडिया होइ ठवणा उ॥२८४||-२८४ ३११) पाहुडियावि हु दुविहा बायर सुहुमा य होइ नायव्वा ओसक्कणमुस्सक्कण कब्बट्टीए समोसरणो ।।२८५||-२८५३१२) कंतामि ताव पेलुं तो ते दाहामि पुत्त मा रोवतं जइ सुणेइ साहू न गच्छए तत्थ आरंभो।।२६।। भा. २६३१३) अन्नट्ठ उट्ठिया बा तुब्भवि देमित्ति दाहामि किंपि परिहरति किह दाणि न उठ्ठिहिसी साहुपभावेण लब्भामो ॥२७|| भा. २७३१४) मा ताव झंख पुत्तय परिवाडीए इहेहि सो साहू एयस्स उठ्ठिया ते दाहं सोउं विवज्जेइ ।।२८६||-२८६३१५) अंगुलियाए घेत्तुं कड्ढइ कप्पट्ठओ धरंभ जत्तो तेणं किंति कहिए न गच्छइ पाहुडिया एस सुहुमा उ ||२८७||-२८७ ३१६) पुत्तस्स विवाहदिणं ओसरणे अइच्छिए मुणिय सड्ढा ओसक्कंतोसरणे संखडिपाहेणगदवट्ठा ।।२८८||-२८८ ३१७) अप्पत्तंमि य ठवियं ओसरणे होहिइत्ति उस्सकणं तं पागडमियरं वा करेइ उज्जू अनुज्जू वा ।।२८९।।-२८९ ३१८) मंगलहेडं पुन्नट्ठया व ओसकिकयं दुहा पगयं उस्सकिकयंपि किंति य पुढे सिटे विवज्जति ॥२९०।-२९० ३१९) पाहुडिभत्तं भुंजइं न पडिक्कमए य तस्स ठाणस्स एमेव अडइ बोडो लुक्कविलुक्को जह कवोडो॥२९१।।-२९१ ३२०) लोयविरलुत्तमंगं तवोकिसं जल्लखउरियसरीरं जुगमेत्तंतरदिहिँ अतुरियचवलं सगिहमितं ॥२९२-२९२३२१) दट्टण य अतम नगारं सड्ढी संवेगमागया काई विपुलऽन्नपाण धेत्तूण निग्गया निग्गओ सोऽवि ।।२९३।।-२९३३२२) नीयद्वारंमि धरेन roo#55555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६११॥॥॥55555555 5# $#OOR $听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听乐55555CM Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOG5555555555 (४१) पिंडनिज्जुत्ति 听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 सुज्झई एसणत्तिकाऊणं नीहंमिए अगारी अच्छइ विलिया वऽगहिएणं ।।२९४||-२९४ ३२३) चरणकणालमंसी अन्नंमि य आगए गहिय पुच्छा इहलोगं परलोगं कहेइ चइउं इमं लोगं ||२९५||-२९५ ३२४) नीयदुवारंभि धरे भिक्खं निच्छंति एसणासमिया जं पुच्छसि मज्झ कहं कप्पइ लिंगोवजीवीऽहं ।।२९६||-२९६ ३२५) साहुगुणेसणकहणं आउट्टा तंमि तस्स तिप्पइ तहेव कुक्कुडि चरंति एए वयं तु चिन्नव्वया बीओ ॥२९७||-२९७ ३२६) पाओकरणं दुविहं पागडकरणं पगासकरणं च पागड संकामण कुड्डदारपाए य छिन्ने व ॥२९८१-२९८ ३२७) रयणपईवे जोई न कप्पइ पगासणा सुविहियाणं अत्तठ्यि परिभोत्तुं कप्पइ कप्पे अकाऊणं ||२९९।।-२९९ ३२८) संचारिमा य चुल्ली बहिं व चुल्ली पुरा कया तेसिं तहि रंधंति कयाई उवही पूई य पाओ य ॥३००||-३०० ३२९) नेच्छह तमिसंमि तओ बाहिरचुल्लीऍ साहु सिद्धण्णे इय सोउं परिहरए पुढे सिट्ठिमिवि तहेव ॥३०१||-३०१ ३३०) मच्छियधम्मा अंतो बाहि पवायं पगासमासन्नं इय अत्तट्ठिय गहणं पागडकरणे विभासेयं सा उ॥३०२।।-३०२ ३३१) कुड्डस्स कुणइ छिडं दारं वड्ढेइ कुणइ अन्नं वा अवणेइ छायणं वा ठावइ रयणं व दिप्पंतं ॥३०३||-३०३ ३३२) जोइ पइंवं कुणइ व तहेव कहणं तु पुढे दुष्पुढेवा अत्तट्टिए उ गहणं जोइ पईवे उ वज्जित्ता ज्जेइ ॥३०४||-३०४ ३३३) पागडपयासकरणे कयंमि सहसा व अहवऽणाभोगा गहियं विगिचिऊणं गेण्हइ अन्नं अकयकप्पे ॥३०५||-३०५३३४) कीयगडंपिय दुविहं दव्वे भावे य दुविहमेक्केक्कं आयकियं च परकियं परदव्वं तिविहऽचित्ताइ ॥३०६।।-३०६ ३३५) आयकियं पुण दुविहं दव्वे भावे य दव्व चुन्नाई भावंमि परस्सऽट्ठा अहवावी अप्पणा चेव ।।३०७||-३०७ ३३६) निम्मल्लंगधगुलियावन्नयपोत्ताइ आयकइ दव्वे गेलन्ने उड्डाहो पउणे चडुगारि अहिगरणं ॥३०८।।-३०८ ३३७) मंखमाई परभावकयं तु संजयट्ठाए उप्पायणा निमंतण कीडगड अभिहडे ठविए।३०९||-३०९३३८) सागारि मंख छंदण पडिसेहो पुच्छ बहुगए वासे कयरिं दिसिं गमिस्सह अमुइं तहिं संथवं कुणइ ।।३१०||३१० ३३९) दिज्जते पडिसेहो कज्जे घेच्छं निमंतणं जइणं पुव्वगय आगएसुं संछुहई एगगेहमि ॥३११॥-३११ ३४०) धम्मकह वाय खमणं निमित्त आयावेण सुयट्ठाणं जाई कुल गण कम्मे सिप्पम्मि य भावकीयं तु॥३१२।।-३१२३४१) धम्मकहाअक्खित्ते धम्मकहाउट्ठियाण वा गिण्हे कड्ढे हयं ति साहवो चिय तुं व कहि पुच्छिए तुसिणी ॥३१३।।-३१३ ३४२) किं वा कहिज्ज छारा दगसोयरिया व अहवृऽगारत्था किं झगलगगलवलया मुंडकुटुंबी व किं कहए ॥३१४||-३१४ ३४३) एमेव वाइ खमए निमित्तमायावगम्मि य विभासा सुयठाणं गणिमाई अहवा वाणायरियमाई ॥३१५||-३१५३४४) पामिच्चंपिय दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेण लोइय सज्झिलगाई लोगुत्तर वत्थमाईसु ॥३१६|| ३४५) सुयअभिगमनाय विही बहि पुच्छा एग जीवइ ससा ते पविसण पागनिवारण उच्छिंदण तेल्ल जइदाणं ॥३१७||-३१७३४६) अपरिमियनेहवुड्ढी दासत्तं सो य आगओ पुच्छा दासत्तकहण मा रुय अचिरा मोएमि एत्ताहे ॥३१८||-३१८३४७) भिक्ख दगसमारंभे कहणाउट्टो कहिं ति वसहित्ति संवेया आहरणं विसज्ज कहणा कइवया उ॥३१९||-३१९ ३४८) एए चेव य दोसा सविसेसयरा उ वत्थपाएसुं लोइयपामिच्चेसुं लोगुत्तरिया इमे अन्ने ॥३२०||-३२०३४९) मइलिय फालिय खोसिय हिय नढे वावि अन्न मग्गंते अवि सुंदरेवि दिण्णे दुक्कररोई कलहमाई।।३२१||-३२१ ३५०) उच्चत्ताए दाणं दुल्लभ खग्गूड अलस पामिच्चे तंपिय गुरुसग्गा से ठवेइ सो देइ मा कलहो ।।३२२||-३२२ ३५१) परियट्टिपि दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेणं एक्केक्कंपिय दुविहं तद्दव्वे अन्नदव्वे य॥३२३||-३२३३५२) अवरोप्परसज्झिलगा संजुत्ता दोवि अन्नमन्नेणं पोग्गलिय संजयट्ठा परियट्ठण संखडे बोही ॥३२४||३२४३५३) अनुकंप भगिणिगेहे दरिद्द परियट्टणा य कूरस्स पुच्छा कोद्दवकूरे मच्छर नाइक्ख पंतावे ॥३२५||-३२५३५४) इयरोऽविय पंतावे निसि ओसवियाण तेसि दिक्खा य तम्हा उ न घेतव्वं कइ वा जे ओसमेहिति ॥३२६।।-३२६ ३५५) ऊणहिय दुब्बलं वा खर गुरु छिन्नं मइल असीयसहं दुव्वन्नं वा नाउं विपरिणमे अन्नभणिओवा ।।३२७||-३२७३५६) एगस्स माणजुत्तं न उ बिइए एवमाइकज्जेसु गुरुपामूले ठवणं सो दलयइ अन्नहा कलहो॥३२८||-३२८३५७) आइन्नमणाइन्नं निसिहाभिहडं च नोनिसीहं च निसिहाभिहडं ठप्पं वोच्छामी नोनिसीहं तु ।।३२९||-३२९ ३५८) सग्गाम परग्गामे सदेस परदेसमेव बोद्धव्वं दुविहं तु परग्गामे जलथल नावोडुजंघाए॥३३०||-३३० ३५९) जंघा बाह तरीइ व जले थले खंधआरखुरनिबद्धा संजमआयविराहण तहियं पुण संजमे काया॥३३१॥-३३१ ३६०) ROYo 卐 5555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६१२55555555555555555 9IOR UGO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐网 15555 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Yo0555555555555555 (४१) पिंडनिनुत्ति CCF明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$5C网 अत्थाहगाहपं कामगरोहारा जले अवाया उ कंटाहितेणसावय थलंभि एए भवे दोसा ॥३३२||-३३२ ३६१) सग्गामेऽविय दुविहं धरंतरं नोधरंतरं चेव तिघरंतरा परेणं धरंतरं तं तु नायव्वं ।।३३३॥-३३३ ३६२) नोधरंतरऽणेगविहं वा पा डगसाहीनिवेसणागिहेसु काये खंधे मिम्मय कंसेण व तं तु आणेज्जा ॥३३४||-३३४ ३६३) सुन्न व असइ कालो पगयं व पहेणगं व पासुत्ता इय एइ काइ घेत्तुं दीवेइ य कारणं तं तु ||३३५||-३३५३६४) एसेव कमो नियमा निसिहाभिहडेऽवि होइ नायव्वो अविइअदायगभावं निसीहिअं तं तु नायव्वं ॥३३६।।-३३६ ३६५) अइदूरजलंतरिया कम्मासंकाएँ मा न घेच्छंति आणेति संखडीओ सइढो सड्ढी व पच्छन्नं ॥३३७||-३३७ ३६६) निग्गम देउल दाणणं दियाइ सन्नाइ निग्गए दाणं सिटुंमि सेसगमणं दितऽन्ने वारयंतेऽन्ने ॥३३८-३३८ ३६७) भुंजण अजीर पुरिमड्ढगाइ अच्छंति भुत्तसेसं वा आगमनिसीहिगाई न भुंजई सावगासंका ॥३३९||-३३९ ३६८) उक्खित्तं निक्खिप्पइ आसगयं मल्लगंमि पासगए खामित्तु गया सड्ढा तेऽवि य सुद्धा असढभावा ॥३४०||-३४० ३६९) लद्धं नीयं पहेणगं मे अमुगत्थगयाएँ संखडीए वा वंदणगठ्ठपविट्ठा देइ तयं पट्ठिय नियत्ता ॥३४१||- फ़ ३४१ ३७०) नीयं पहेणगं मे नियगाणं निच्छियं व तं तेहिं सागरि सयज्झियं वा पडिकुट्ठा संखडे रुट्ठा ।।३४२।।-३४२ ३७१) एयं तु अणाइन्नं दुविहंपिय आहडं समक्खायं आइन्नंपिय दुविहं देसे तह देसदेसे य ॥३४३||-३४३ ३७२) हत्थसयं खलु देसो आरेणं होइ देसदेसो य आइन्नंमि उतिगिहा तं चिय उवओगपुव्वागा ॥३४४||-३४४ ३७३) परिवेसणपंतीए दूरपवेसे य धंधसालगिहे हत्थसया आइन्नं गहणं परओ उपडिकुटुं ॥३४५||-३४५३७४) होइ पुण देसदेसो अंतो गिह सा नदीसए जत्थ उक्खेवाई तत्थ उ सोयाई देह उवओगं ||३||प.-३ ३७५) उक्कोसं मज्झिम जहन्नगं च तिविहं तु होइ आइन्नं करपरियत्तं जहन्नं सयमुक्कस मज्झिमं सेसं ॥३४६।।-३४६ ३७६) पिहिउब्भिन्नकवाड़े फासुय अप्फासुए य बोद्धवे अप्फासुय पुढविमाई फासुय छगणाइदद्दरए॥३४७||-३४७ ३७७) उब्भिन्ने छक्काया दाणे कयविक्कए य अहिगरणं ते चेव कवाडंमिवि सविसेसा जंतमाईसु॥३४८॥-३४८ ३७८) सच्चित्तपुढविलित्तं लेलु सिलं वाऽवि दाउमोलित्तं सच्चित्तपुढविलेवो चिरंपि उदगं अचिरलित्ते॥३४९||-३४९ ३७९) एवं तु पुव्व नो लित्ते काया उल्लिपणेऽवि ते चेव तिम्मेउं उवलिंपइ जउमुद्दे वावि तावेउं ।।३५०||-३५० ३८०) जह चेव पुव्वलित्ते काया दाउं पुणोऽवि तह चेव उवलिप्पंते काया मुइअंगाइं नवरि छटे॥३५१॥-३५१३८१) परस्स तं देइ सए व गेहे तेल्लं व लोणं व धयं गुलं वा उग्धाडिए तंमि करे अवस्संस विक्कयं तेण किणाइ अन्नं ।।३५२।।-३५२ ३८२) दाणकयविक्कया चेव होइ अहिगरणमजयभावस्स निवयंति जे य तहियं जीवा मुइयंगमूसाई ॥३५३||-३५३ ३८३) जहेव कुंभाइसु पुव्वलिते उब्भिज्जमाणे य हवंति काया ओलिंपमाणेवि तहा तहेव काया कवाडंमि विभासियव्वा ॥३५४||३५४ ३८४) घरकोइलसंचारा आवत्तण पीढगाइ हेटुवरि निते ठिए य अंता डिभाईपेल्लणे दोसा ||३५५||-३५५ ३८५) धेप्पइ अकुंचियागंमि कवाडे पइदिणे परिवहते अजऊमुद्दिय गंठी परिभुज्जइ दद्दरो जो य ॥३५६॥-३५६ ३८६) मालोहडंपि दुविहं जहन्नमुक्कोसगं च बोद्धव्वं अग्गतले पे हि जहन्नं तव्ववरीयं तु उक्कोसं ॥३५७||-३५७ ३८७) भिक्खू जहन्नगंमी गेरुय उक्कोसगंमि दिट्ठतो अहिडसणमालपडणे य एवमाई भवे दोसा ॥३५८||-३५८ ३८८) मालाभिमुहं दवण अगारिं निग्गओ तओ साहू तच्चन्निय आगमणं पुच्छा य अदिन्नदाणत्ति ॥३५९।।-३५९३८९) मालंमि कुट्ठ मोयग सुगंध अहि पविसणं करे डक्का अन्नदिण साहु आगम निद्दय कहणा य संबोही ॥३६०॥-३६०३९०) आसंदिपीढमंचकजंतोडूखल पडंत उभयवहे वोच्छेयपओसाई उड्डाहमनाणिवाओ य ||३६१||-३६१ भ ३९१) एमेव य उक्कोसे वारण निस्सेणि गुठ्विणीपडणं गम्भित्थिकुच्छिफोडण पुरओ मरणं कहण बोही ॥३६२।।-३६२ ३९२) उड्ढमहे तिरियंपिय अहवा के मालोहडं भवे तिविहं उड्ढमहे ओयरणं भणियं कुंभाइसू उभयं ||३६३||-३६३ ३९३) दद्दरसिलसोवाणे पुव्वरुढे अनुच्चमुक्खित्ते मालोहडं न होइ सेसं मालोहडं होइ ||३६४||-३६४३९४) तिरियायय उज्जुगएण गिण्हई जं करेण पासंतो एयमणुच्चुक्खित्तं उच्चुक्खित्तं भवे सेसं ॥३६५||-३६५३९५) अच्छिज्जपिय तिविह पभू य सामी य तेणए चेव अच्छिज्ज पडिकुटुं समणाण न कप्पए धेत्तुं ॥३६६॥-३६६ ३९६) गोवालए य भयए खरए पुत्ते य धूय सुण्हाए अचियत्तसंखडाई केइ पओअं जहा गोवो॥३६७।-३६७३९७) गोवपओ अच्छेत्तुं दिन्नं तु जइस्स भइदिणे पहुणा पयभाणूणं दटुं खिंसइ भोई रुवे चेडा ॥३६८||-३६८३९८) पडियरण xerc555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा १६१३ 5555555555####5555555555 $听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听乐明乐乐乐乐乐乐乐C Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) पिंडनिज्जुत्ति (३८] Meros. 555555 2 पओसेणं भावं नाउं जइस्स आलावो तन्निब्बंधा गहियं हंदि स उ मुक्को सि मा बीयं ।।३६९||-३६९ ३९९) नानिविट्ठ लब्भइ दासीवि न भुज्जए रिते भत्ता ई दोन्नेगयरपओसंजं काही अंतरायं च ।।३७०।-३७० ४००) सामी चारभडा व संजय दतॄण तेसि अट्ठाए कलुणाणं अच्छेज्जं त्तुं साहूण न कप्पए घेत्तुं ॥३७१।।-३७१ ४०१) आहारोवहिमाई जइअट्ठाए उ कोइ अच्छिदै संखडि असंखडीए तं गिण्हते इमे दोसा ॥३७२।। ३७२ ४०२) अचियत्तमंतरायं तेनाहड एगणेगवोच्छेओ निच्छुभणाई दोसा तस्स अ वियालऽलंभे य जं पावे ॥३७३||-३७३४०३) तेणो व संजयट्ठा कलुणाणं अप्पणो व अट्ठाए वोच्छेय पओसंवा न कप्पई कप्पऽणुन्नायं ॥३७४||-३७४४०४) संजयभद्दा तेणा आयंती वा असंथरे जइणं जइ देति न घेत्तव्वं निच्छुभ वोच्छेउमा होज्जा ।।३७५।।-३७५४०५) घयसत्तुयदिटुंतो समणुन्नाया व घेत्तुणं पच्छा दें ति तयं तेसिं चिय समणुन्नाया व भुंजंति॥३७६||-३७६४०६) घयसत्तुगदिलुतो अंबापाए य तप्पिया पियरो काममकामे धम्मो निओइए अम्हवि कयाई|४||प.-४४०७) अणिसिटुं पडिकुटुं अनुनायं कप्पए सुविहियाणं लड्डग चोल्लग जंते संखडि खीरावणाईसु॥३७७||-३७७४०८) बत्तीसा सामन्ने ते कहि म हाउं गयत्ति इअ वुत्ते परसंतिएण पुन्नं न तरसि काउंति पच्चाह ।।३७८||-३७८ ४०९) अविय हु बत्तीसाए दिन्नेहि तवेग मोयगो न भवे अप्पवयं बहुआयं जइ जाणसि देहि तो मज्झं ।।३७९||-३७९४१०) लाभिय नेतो पुट्ठो किं लद्धं नत्थि पच्छिमो दाए इयरोऽवि आह नाहं देमित्ति सहोढ चोरत्ति ॥३८०||-३८०४११) गिण्हण कड्ढण ववहार पच्छकडुड्डाह पुच्छ तय निव्विसए अपहुंमि हुँति दोसा पहुंमि दिन्ने तओ गहणं ॥३८१।।-३८१४१२) एमेव य जंतंमिवि तचल्लग संखडि खीरे य आवणाईसुं सामन्नं पडिकुटुं कप्पइ घेत्तुं अनुन्नायं ।।३८२।।-३८२ ४१३) चुल्लत्ति दारमहुणा बहुवत्तव्वंति तं कयं पच्छा वन्नेइ गुरु सो पुण सामियहत्थीण विन्नेओ ॐ ॥३८३||-३८३४१४) छिन्नमछिन्नो दुविहो होइ अछिन्नो निसिट्ठ अणिसिट्ठो छिन्नंभि चुल्लगमी कप्पइ घेत्तुं निसिलुमि ॥३८४||-३८४४१५) छिन्नो दिट्ठमदिट्ठो जो भय निसिट्ठो भवे अछिन्नो य सो कप्पइ इयरो उण अदिट्ठदिट्ठो वऽणुन्नाओ॥३८५।।-३८५४१६) अणिसिट्टमनुन्नायं कप्पइ धेत्तुं तहेव अद्दिढं जड्डस्स य अनिसिटुं न कप्पई कप्पइ अदि8 ।।३८६।।-३८६४१७) निवपिंडो गयभत्तं गहणाई अंतराइयमदिन्नं डोंबस्स संतिएवि हु अभिक्ख वसहीय फेडणया ||३८७||-३८७४१८) अज्झोयरओ तिविओ जादंतिय सघरमीसपासंडे मूलंमि य पुव्वकये ओयरई तिण्ह अट्ठाए ॥३८८-३८८४१९) तंडुलजलआयाणे पुप्फफले सागवेसणे लोणे परिमाणे नाणत्तं अज्झोयरमीसजाए य।।३८९||-३८९४२०) जावंतिए विसोही सघरपासंडिमीसए पूई छिन्ने विसोहि दिन्नंमि कप्पई न कप्पई सेसं ॥३९०||-३९० ४२१) छिन्नंमि तओ उक्कड्डियंमि कप्पइ पिहीकए सेसं आहावणाए दिन्नं च तत्तियं कप्पए सेसं ॥३९१||-३९१ ४२२) एसो सोलसभेओ दुहा कीरई उग्गमो एगो की विसोहिकोडी अविसोही उ चावरा ॥३९२-३९२ ४२३) आहाकम्मुद्देसिय चरमतिगं पूइ मीसजाए य बायरपाहुडियाविय अज्झोयरए च चरिमदुगं ॥३९३||३९३ ४२४) उग्गमकोडी अवयव लेवालेवे य अकयए कप्पे कंजियआयामगचाउलोयसंसठ्ठपूईओ ॥३९४||-३९४ ४२५) सुक्केणऽवि जं छिक्कं तु असुइणा धोवए जहा लोए इह सुक्केणऽवि छिक्कं दोवइ कम्मेण भाणं तु ॥२८|| भा.-२८४२६) लेवालेवत्ति जं वुत्तं जंपि दव्वमलेवडं तंपि घेत्तु न कप्पंति तक्काइ किमु लेवडं ।।२९।। भा.-३९४२७) आहाय जं कीरइ तं तु कम्मं वज्जेहिही ओयणमेगमेव सोवीर आ यामग चाउलो वा दगं कम्मति तो तग्गहणं करेति ॥३०॥भा.-४० ४२८) सेसा विसोहिकोडी भत्तं पाण विगिंच जहसत्तिं अणलक्खिय मीसदवे सव्वविवेगेऽवयव सुद्धो ॥३९५||-३९५ ४२९) दव्वाइओ विवेगो दव्वे जं दव्व जं जहिं खेत्तो काले अकालहीणं असढो जं पस्सई भावे ॥३९६||-३९६ ४३०) सुक्कोल्लसरिसपाए असरिसपाए य एत्थ चउंभगो तुल्लेतुल्लनिवाए तत्थ दुवे । दोन्नऽतुल्ला उ॥३९७||-३९७ ४३१) सुक्के सुक्कं पडियं विगिचिउं होइ तं सुहं पढमो बीयंमि दवं छोढुं गालंति दवं करं दाउं॥३९८||-३९८४३२) तइयंमि करं छोढुं उल्लिंचइ ओयणाइ जं तरउ दुल्लहदव्वं चरिमे तत्तियमित्तं विगिचंति ॥३९९||-३९९ ४३३) संथरे सव्वमुज्झंति चउभंगो असंथरे असढो सुज्झई जे ते सुं म मायावी जेसु बज्झई ॥४००-४००४३४) कोडीकरणं दुविहं उग्गमकोडी विसोहिकोडी य उग्गमकोडी छक्कं विसोहिकोडी अणेगविहा ॥४०१||-४०१ ४३५) नव चेव अढारसगं सत्तावीसा तहेव चउपन्ना नउई दो चेव सया उ सत्तरी होइ कोडीणं ।।४०२।।-४०२४३६) सोलस उग्गमदोसे गिहिणोउ समुट्ठिए वियाणाहि or श्री आगमगुणमंजूषा - १६१४॥45555555555444145454GHORI 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐明明明明明明听听听听听听听听听乐明明听听听听听$55 后历历历历历历万年历 554 TOK454 Education International 2010 teADRISODELiseas Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGR9555555555555555 (४१) पिडनिजत्ति. [३९] $ $$$$%%%%%%%% उप्पायणाए दोसे साहूउ समुट्ठिए जाण ॥४०३।।-४०३ ४३७) नामं ठवणा दविए भावे उप्पायणा मुणेयव्वा दव्वंमि होइ तिविहा भावंमि उ सोलसपया उ ।।४०४॥४०४ ४३८) आसूयमाइएहिं वालचियतुरंगबीयमाईहिं सुयआसदुमाईणं उप्पायणया उ सच्चित्ता॥४०५||-४०५ ४३९) कणगरययाइयाणं जहेढधाउविहिया उही य अच्चित्ता मीसा उ सभंडाणं दुपयाइकया उ उप्पत्ती ॥४०६।।-४०६ ४४०) भावे पसत्थ इयरो कोहाउप्पायणा उ अपसत्थो कोहाइजुया घायाइणं च नाणाइ उ पसत्था ।।४०७||-४०७४४१) धाई दूइ निमित्ते आजीव वणीमगे तिगिच्छा य कोहे माणे माया लोभे य हवंति दस एए ।।४०८||-४०८४४२) पुविपच्छासंथव विज्जा भंते य चुन्न जगे य उप्पायणाइ दोसा सोलसमे मूलकम्मे य ||४०९||-४०९४४३) खीरे य मज्जणे मंडणे य कीलावणकधाई य एक्केक्काविय दुविहा करणे कारावणे चेव ।।४१०||-४१०४४४) धारेइ धीयए वा धयंति वा तमिति तेण धाई उ जहविहवं आसि पुरा खीराई पंच धाईओ ।।४११।।-४११४४५) खीराहारो रोवइ मज्झ कयासाय देहि णं पिज्जे पच्छा व मज्झ दाहिसि अलं व भुज्जो व एहामि ॥४१२||-४१२ ४४६) मइमं अरोगि दीहाउओ य होइ अविमाणिओ बालो दुल्लभयं खु सुयमुहं पिज्जाहि अहं व से देमि ।।४१३।।-४१३ ३३७) अहिगरण भद्दपंता कम्मुदय गिलाणए य उड्डाहो चडुकारी य अवन्नो नियगो अन्नं च जं संके ॥४१४।-४१४ ४४८) अयमवरो उ विकप्पो भिक्खायरि सड्ढि अद्धिई पुच्छा दुक्खसहाय विभासा हियं च धाइत्तणं अज्जो ॥४१५।।-४१५ ४४९) वयगंडतणुयथूलत्तणेहिं तं पुच्छिउं अयाणतो तत्थ गओ तस्समक्खं भणाइ तं पासिउं बालं ।।४१६।।-४१६ ४५०) अहुणुट्ठियं व अणविक्खियं व इणमं कुलं तु मन्नामि पुन्नेहिं जहिताए तरई बालेण सूएमो॥४१७१-४१७४५१) थेरी दुब्बलक्खीरा चिमिढो पेल्लियमुहो अइथणीए तणुई उ मंदखीरा कुप्परथणियाएँ सूइमुहो ॥४१८||-४१८४५२) जा जेण होइ वन्नेण उक्कडा गरहए यतं तेणं गरहइ समाण तिव्वं पसत्थमियरं च दुव्वन्नं ।।४१९|-४४१९४५३) उव्वट्टिया पओसं छोभग उभामओ य से जं तु होज्जा मज्झवि विग्धो विसाइ इयरी व एमेव ।।४२०||-४२०४५४) एमेव सेसियासुवि सुयमाइसु करणकारणं सगिहे इड्ढीसु य धाईसु य तहेव उव्वट्टियाण गमो॥४२१||-४२१४५५) लोलइ महीऍ धूलीऍ गुंडिओ ण्हाणि अहवणं मज्जे जलभीरु अबलनयणो अइउप्पिलणे अ रत्तच्छो ।।४२२।।-४२२ ४५६) अब्भंगिय संवाहिय उव्वट्टिय मज्जियं च तो बालं उवणेइ मज्जधाइ मंडणधाईऍ सुइदेहं ।।४२३||-४२३४५७) असुआइएहिं मंडेहि ताव णं अहवणं विभूसेमि हत्थिच्चगा व पाए कया गलिच्चा व पाए वा ||४२४||-४२४४५८) ढड्ढरसर छुन्नमुहो मउयगिरो मउयमम्मणुल्लावो उल्लावणगाईहिं व करेइ कारेइ वा किड्डु ॥४२५||-४२५४५९) थुल्लीऍ वियडपाओ भग्गकडी सुक्कडाए दुक्खं च निम्मंसकक्खडकरेहिं भीरुओ होइ धेप्पंते॥४२६।।-४२६४६०) कोल्लइरे वत्थव्वो दत्तो आहिँडओ भवे सीसो अवहरइ धाइपिंड अंगुलिजलणे य सादिव्वं ।।४२७।।-४२७ ४६१) ओमे संगमथेरा गच्छ विसज्जति जंघबलहीणा नवभागखेत्तवसही दत्तस्स य आगमो ताहे ॥३१||भा. ३७ ४६२) उवसबाहिं ठाणं अन्नाउंछेण संकिलेसो य पूयणचेडे मा रुय पडिलाभण वियडणा सम्मं ॥३२||भा. ३७ ४६३) सग्गाम परग्गामे दुविहा दूई उ होइ नायव्वा सा वा सो वा भणई भणइ व तं छन्नवयणेणं ।।४२८।।-४२८४६४) एक्केक्काविय दुविहा पागड छन्ना य छन्न दुविहा उ लोगुत्तरि तत्थेगी बीया पुण उभयपक्खेवि सु ॥४२९||-४२९ ४६५) भिक्खाइऍ वच्चंते अप्पाहणि नेइ खंतियाईणं सा ते अमुगं माया सो व पिया ते इमं भणइ ॥४३०।-४३०४६६) दूइत्तं खु गरहियं अप्पाहिउं बिइयपच्चया भणति अविकोविया सुया ते जा आह मइं भणसुखंतिं ॥४३१।।-४३१ ४६७) उभयेऽविय पच्छन्ना खंत कहिज्जाहि खंतियाए तुमं तं तह संजायंतिय तहेव अह तं करेज्जासि हि ॥४३२।।-४३२४६८) गामाण दोण्ह वेरं सेज्जायरि धूर तत्थ खंतस्स गमो वहपरिणय खंतऽज्झत्थ प्पाहणं वनाए कए जुद्धं ।।४३३||-४३३ ४६९) जामाइपुत्तपइमारणं च केण कहियंति जणवाओ जामाइपुत्तपइमारएण खतेण मे सिट्ठ ।।४३४||-४३४ ४७०) नियमा तिकालविसएऽवि निमित्ते छव्विहे भवे दोसा सज्जं तु वट्टमाणे आउभए तत्थिमं नायं ॥४३५।।-४३५४७१) लाभालाभं सुहं दुक्खं जीवियं मरणं तहा म छविहेऽवि निमित्ते उ दोसा होति इमे सुण ॥५॥प.५ ४७२) आकंपिया निमित्तेण भोइणी भोइए चिरगयमि पुव्वभणिए कहं ते आगउ रुट्ठो य वडवाए ॥४३६।। ४३६ ४७३) दूराभोयण एगागि आगओ परिणयस्स पच्चोणी पुच्छा समणे कहणं साइयंकार सुमिणाई ॥३३||भा.-३३ ४७४) कोवो वडवागभं च पुच्छिओ HerC5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा १६१५ 5555555555555555555555555% FO25* 明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明心动 Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KOO55555555558 (४१) पिंडनिनुत्ति [४०] 「$$$$$ $$$$ 250 TOYO+乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐 पंचपुंडमाइंसु फालण दिढे जइ नेव तो तुहं अतितहं कइ वा॥३४||भा.३४ ४७५) जाई कुल गण कम्मे सिप्पे आजीवणा उ पंचविहा सूयाएँ असूयाएँ व अप्पाण कहेहि एक्केक्के ।।४३७||-४३७ ४७६) जाईकुले विभासा गणो उमल्लाइ कम्म किसिमाई तुण्णाइ सिप्पऽणावज्जगं च कम्मेयराऽऽवज्ज ।।४३८||-४३८४७७) होमायवितहकरणे नज्जइ जह सोत्तियस्स पुत्तोत्ति वसिओ वेस गुरुकुले आयरियगुणे व सूएइ ॥४३९||-४३९४७८) सम्ममसम्मा किरिया अणेण ऊणाऽहिया व विवरीया समिहामंताहुइठाण जागकाले य घोसाई॥४४०||-४४०४७९) उग्गाइकुलेसुविएवमेव गणमंडलप्पवेसाई देउलदरिसणभासाउवणयणे दंडमाइया ॥४४१||४४१ ४८०) कत्तरि पओअणावेक्खवत्थुबहुवित्थरेसु एमेव कम्मेसु य सिप्पेसु य सम्ममसम्मेसु सूईयरा ॥४४२।।-४४२ ४८१) समणे महाणि किवणे अतिही साणे य होइ पंचमए वणि जायणत्ति वणिओ पायप्पाणं वणेइत्ति ॥४४३||-४४३ ४८२) मयमाइवच्छगंपिव वणेइ आहारमाइलोभेणं समणेसु माहणेसु य किविणाऽतिहिसाणभत्तेसुं॥४४४॥-४४४४८३) निग्गंथ सकक् तावस गेरुय आजीव पंचहा समणा तेसि परिवेसणाए लोभेण वणिज्ज को अप्पं ॥४४५||-४४५ ४८४) भुंजंति चित्तकम्मट्ठिया व कारुणिय दाणरुइणो य अवि कामगद्दभेसुविन नस्सई किं पुण जईसु ॥४४६।।-४४६४८५) मिच्छत्तथिरीकरणं उग्गमदोसा य तेसु वा गच्छे चडुकारऽदिन्नदाणा पच्चत्थिग मा पुणो इंतु ॥४४७||-४४७ ४८६) लोयाणुग्गहकारिसु भूमीदेवेस बहुफलं दाणं अवि नाम बंभबंधुसु किं पुण छक्कम्मनिरएसु ॥४४८॥-४४८४८७) किवणेसु दुम्मणे ब्बले सुय अबंधवायंकजुंगियंगेसुं पूयाहिज्जे लोए दाणपडागं हरइ दितो ।।४४९।।-४४९४८८) पाएण देइ लोगो उवगारिसु परिचिएसु झुसिएसु जो पुण अद्धाखिन्नं अतिहिं पूएइ तं दाणं ॥४५०||-४५० ४८९) अवि नाम होज्ज सुलभो गोणाईणं तणाइ आहारो छिच्छिक्कारहयाणं न हुसुलहोहोइ सुणहाणं॥४५||-४५०४९०) केलासभवणा एए आगया गुच्झगा महिं चरंति जक्खरुवेणं पुयाऽपूया हियाऽहिया ।।४५२||४५२ ४९१) एएण मज्झ भावो दिवो लोए पणामहेज्जमि एक्केक्के पुव्वुत्ता भद्दगपंताइणो दोसा ॥४५३||-४५३४९२) एमेव कागमाई सामग्गहणेण सूइया होति जो वा जंमि पसत्तो वणइ तहिं पुट्ठऽपुट्ठो वा ॥४५४||-४५४४९३) दाणं न होइ अफलं पत्तमपत्तेसु सन्निजुज्जतं इय विभणिएऽवि दोसा पसंसओ किं पुण अपत्ते ॥४५५||४५५४९४) भणइ नाहं वेज्जो अहवाऽवि कहेइ अप्पणो किरियं अहवावि विजयाए तिविह तिगिच्छा मुणेयव्वा ॥४५६||-४५६ ४९५) भिक्खाइ गओ रोगी किं विज्जोऽहंति पुच्छिओ भणइ अत्थावत्तीऍ कया अबुहाणं बोहणा एवं ॥४५७।-४५७४९६) एरिसयं चिय वा दुक्खं भेसज्जेण अमुगेण पउणं मे सहसुप्पन्नं व रुयं वारेमो अट्ठमाईहिं ।।४५८||-४५८ ४९७) संसोधण संसमणं नियाणपरिवज्जणं च जं तत्थ आगंतु धाउखोभे य आमए कुणइ किरियं तु ॥४५९||-४५९ ४९८) अस्संजमजोगाणं पसंधणं कायधाय अयगोलो दुब्बलवग्धा हरणं अच्चुदये गिण्हणुड्डाहे ||४६०||-४६०४९९) हत्थकप्प गिरिफुल्लिय रायगिहं खलु तहेव चंपाय कडधयपुन्ने इट्टग लड्डग तह सीहकेसरए॥४६१||-४६१५००) विज्जातवप्पभावं रायकुले वाऽवि वल्लभत्तं से नाउं ओरस्सबलं जो लब्भड़ देह भया कोहपिंडो सो ||४६२।।-४६२ ५०१) अन्नेसि दिज्माणे जायंतो वा अलद्धिओ कुप्पे कोहफलंमिऽवि दिढे जो लब्भइ कोहपिंडो सो ॥४६३||-४६३.५०२) करडुयभत्तमलद्धं अन्नहिं दाहित्थ एव वच्चंतो थेरा भोयण तइए आइक्खण खामणा दाणं ।।४६४।।-४६४५०३) उच्छाहिओ परेण व लद्धिपसंसाहिं वा समुत्तइओ अवमाणिओ परेण य जो एसइ मानपिंडो सो॥४६५।।-४६५ ५०४) इट्टगछणंमि परिपिडियाण उल्लाव को नु हु पगेव आणिज्ज इट्टगा खुड्डो पच्चाह आणेमि ॥४६६।-४६६५०५) जइविय ता पज्जत्ता अगुलधयाहिं न ताहिं णे कज्जं जारिसियाओ इच्छह ता आणेमित्ति निक्खंतो ॥४६७||-४६७५०६) ओहासिय पडिसिद्धा भणइ अगारि अवस्सिमा मज्झं जइ लहसि तो तं मे नासाए कुणसुमोयंति सा आह॥४६८॥-४६८५०७) कस्स घर पुच्छिऊणं परिसाए अमुउ कइरउ पुच्छे किं तेणऽम्हे जायसु सो किविणो स दाहिइ न तुज्झं ।।४६९।।-४६९ ५०८) दाहामि तेण भणिए जइ न भवसि छण्हमेसि पुरिसाणं अन्नयरो तो तेऽहं परिसाममि पणया जाए मि ॥४७०।- ४७०५०९) सेयंगुलि बगुड्डावे किंकरे पहायए तहा गिद्धावरंखि हद्दन्नए य पुरिसाहमा छा उ॥४७१||-४७१ ५१०) जायसु न एसिरोऽहं इट्टगा देहि र पुव्वमइगंतुं माला उत्तारि गुलं भोएमि दिएत्ति आरुढा ।।४७२।।-४७२५११) सिइअवणण पडिलाभण दिस्सियरी बोलमंगुली नासं दुण्हेगयरपओसो आयविवत्ती Mero 5955555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १६१६॥5॥555555555555555555555OOK 乐听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明纸明明明明明明明明明明明明明明明C Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ COLO%% %% % %% %%% % 到 (४१) पिंडनिनुत्ति [१] 55555555552KO OEIC}听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐 य उड्डाहो ॥४७३||-४७३५१२) रायगिहे धम्मरुई असाढभूई य खुड्डओ तस्स रायनडगेहपविसणं संभोइय मोयए लंभो॥४७४।-४७४५१३) आयरियउवज्झाए संघाडगकाणखुज्जतद्दोसी नडपासण पज्जत्तं निकायण दिने दिने दानं ।।४७५।।-४७५५१४) धूयदुए संदेसो दान सिणेह करणं रहे गह करणं लिंगं मुयत्ति गुरुसिट्ठ विवाहे उत्तमा पगई ।।४७६||-४७६ ५१५) रायधरे य कयाई निम्महिलं नाडगं नडागच्छी ता य विहरंमि मत्ता उवरि गिहे दोवि पासुत्ता ।।४७७||-४७७५१६) वाघाएण नियत्तो दिस्स विचेला विराग संबोही इंगियनाए पुच्छा पजीवणं रट्ठपालंति ॥४७८||-४७८ ५१७) इक्खागवंस भरहो आयंसधरे य केवलालोओ हाराइखिवण गहणं उवसग्ग न सो नियत्तोत्ति ॥४७९||-४७९५१८) तेण समं पव्वइया पंच नरसयत्ति नाडए डहणं गेलन्नखमगपाहुणथेरादिट्ठा य बीयं तु॥४८०||४८०५१९) लब्भंतंपि न गिण्हइ अन्नं अमुगंति अज्ज धेच्छामि भद्दरसंति व काउं गिण्हइ खद्धं सिणिद्धाई ॥४८१||-४८१५२०) चंपा छणंमि छिच्छामि मोयए तेवि सीहकेसरए पडिसेह धम्मलाभं काऊणं सीहकेसरए ।।४८२-४८२ ५२१) सड्ढऽड्ढरत्तकेसरभायणभरणं च पुच्छ पुरिमड्ढे उवओग संत चोलो यण साहुत्ति विगिचणे नाणं ।।४८३||-४८३ ५२२) दुविहो उ संथवो खलु संबंधी वयणसंथवो चेव एक्केक्कोविय दुविहो पुब्विं पच्छा य नायव्वो ॥४८४।।-४८४ ॥ ५२३) मायपिइ पुव्वसंथव सासूसुसराइयाण पच्छा उ गिहि संथव संबंधं करेइ पुव्वं च पच्छा वा ।।४८५||-४८५५२४) आयवयं च परवयं नाउंसंबंधए तयणुरुवं मम माया एरिसिया ससा व धूया व नत्ताई ।।४८६।।-४८६ ५२५) अद्धिई दिपिण्हव पुच्छा कहणं ममेरिसी जणणी थणखेवो संबंधो विहवासुण्हाइदाणं च ।।४८७||-४८७५२६) पच्छासंथवदोसा सासू विहवादिधूयदानं च भज्जा ममेरिसिच्चिय सज्जो धाओ व भंगो वा ॥४८८||-४८८५२७) मायावी चडुयारी अम्हं ओहावणं कुणइ एसोनिच्छुभणाई पंतो करिज्ज भद्देसु पडिबंधो॥४८९||-४८९५२८) गुणसंथवणे पुव्विं संतासंतेण जो थुणिज्जाहि दायारमदिन्नंमी सो पुव्विंसंथवो हवइ॥४९०||-४९०५२९) एसो सो जस्स गुणा वियरंति अवारिया दसदिसासु इहरा कहासु सुणिमो पच्चक्खं अज्ज दिट्ठो सि॥४९११-४९१५३०) गुणसंथवेण पच्छा संतासंतेण जो थुणिज्जाहि दायारं दिन्नंमी सो पच्छासंथवो होइ ।।४९२-४९२५३१) विमलीकयऽम्ह चक्खू जहत्थया वियरिया गुणा तुझं आसि पुरा मे ॥ संका संपय निस्संकियं जाय ।।४९३||-४९३५३२) विज्जामंतपरुवण विज्जाए भिक्खुवासओ होइ मंतंमि सीसवेयण तत्थ मुरुंडेण दिद्वैतो॥४९४||-४९४५३३) परिपिंडणमुल्लावो अइपंतो भिक्खुवासओ दावे जइ इच्छइ अनुजाणह घयगुलवत्थाणि दावेमि ॥४९५॥-४९५ ५३४) गंतुं विज्जामंतणं किं देमि धयं गुलं च वत्थाई दिन्ने पडिसाहरणं केणं हियं केण मुट्ठो मि॥४९६|||-४९६ ५३५) पडिविज्जथंभणाई सो वा अन्नो व से करिज्जाहि पावजीवीमाइई कम्मणगारी य गहणाई ॥४९७||-४९७५३६) जह जह पएसिणी जाणुगंमि पलित्तओ भमाडेइ तह तह सीसे वियंणा पणस्सइ मुरुंडरायस्स ॥४९८-४९८ ५३७) पडिमंतथंभणाई सो वा अन्नो व से करिज्जाहि पावाजीवियमाई कम्मणगारी भवे बीयं ।।४९९||-४९९ ५३८) चुन्ने अंतद्धाणे चाणक्के पायलेवणे समिए मूल विवाहे दो दंडिणी उ आयाणपरिसाडे ॥५००।-५००५३९) जंघाहीणा ओमे कुसुमपुरे सिस्सजोग रहकरणं खुड्डदुगंजणसुणणा गमणं देसंतरे सरणं ॥३५||भा.-३५५४०) भिक्खे परिहायंते थेराणं तेसि ओमे दिताणं सहभुज्ज चंदगुत्ते ओमोयरियाए दोबल्लं ॥३६||भा.-३६ ५४१) चाणक्कपुच्छ इट्टालचुण्णदारं पिहित्तु धूमे य दटुं कुच्छ पसंसा थेरसमीवे उवालंभो॥३७||भा.-३७५४२) जे विज्जमंतदोसा ते च्चिय वसिकरणमाइचुन्नेहिं एगमणेग पओसं कुज्जा पत्थारओ वावि ।।५०१॥-५०१५४३) सूभगदुब्भग्गकरा जोगा आहारिमा य इयरे य आघंसधूववासापायपलेवाइणो इयरे॥५०२॥-५०२५४४) नइकण्हबिन्न दीवे पंचसया तावसाण निवसंति पव्वदिवसेसु कुलवई पालेवुत्तार सक्कारे॥५०३||-५०३५४५) जण सावगाण खिसण समियऽक्खण माइठाण लेवेण सावय पयत्तकरणं अविणय लोए चलणधोए॥५०४||-- ५०४५४६) पडिलाभिय वच्चंता निब्बुड नइकूल मिलण समियाऽऽओ विम्हिय पंचसया तावसाण पव्वज्ज साहा य ॥५०५||-५०५५४७) अकुमार खयं जोणी विवरीयट्ठा निवेसणं वावि गम्मपए पायं वा जो कुव्वइ मूलकम्मं तं ||६||प.-६ ५४८) अधिई पुच्छा आसन्न विवाहे भिन्नकन्नसाहणया आयमणपियण ओसह अक्खय जज्जीवअहिगरणं ॥५०६।।-५०६५४९) जंधा परिजिय सइढी अद्धिइ आणिज्जए मम खवत्ती जोगो जोणुग्घाडण पडिसेह पओस उड्डाहो॥५०७||-५०७ Xero55555555555555555 श्री आगमगणमंजूषा - १६१७ 955555555555555555555 SO货明明明明明明明明明明明听听听听听听乐听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明2 १० Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ ४२ ] फ्र (४१) पिंडनिज्जुत्ति (५५०) मा ते फंसेज्ज कुलं अदिज्जमाणा सुया वयं पत्ता धम्मो यलोहियस्सा जइ बिंदू तत्तिया नरया || ५०८ || - ५०८ ५५१) किं न ठविज्जइ पुत्तो पत्तो कुलगोत्तकित्तिसंताणो पच्छाविय तं कज्जं असंगगहो मा य नासिज्जा ।। ५०९ ।। ५०९५५२) अद्धि इत्ति पुच्छा सवित्तिणी गब्भिणित्ति से देवी गब्भभाहाणं तुज्झवि करोमि मा अद्धि कुणसु ॥ ५१०१-५१० ५५३) जइवि सुओ मे होही तहवि कणिट्ठोत्ति इयर जुवराया देइ परिसाडणं से नाए य पओस पत्थारो ॥५११॥-५११ ५५४) संखडिकरणे काया कामपवित्तिं च कुणइ एगत्थ एगत्थुड्डाहाई जज्जिय भोगंतरायं च ॥ ५१२॥ -५१२५५५) एवं तु गविट्ठस्सा उग्गमउप्पायणाविसुद्धस्स गहणविसोहिविसुद्धस्स होइ गहणं तु पिंडस्स || ५१३॥ -५१३ ५५६) उप्पायणाऍ दोसे सा साहूउ समुट्ठिए वियाणाहि या इमे भणिया गहणे दसए सणाइ दोसे आयपर गिहिसाहु समुट्ठिए वोच्छं ||१४|| ५१४ ५५७) दोन्नि उ साहुसमुत्था संकिय तह भावओऽपरिणयं च सेसा अट्ठवि नियमा गिहिणो य समुट्ठिए जाण ।।५१५||-५१५ ५५८) नामं ठवणा दविए भावे गहणेसणा मुणेयव्वा दव्वे वानरजूहं भावंमि य दस पया हुंति ॥ ५१६॥ -५१६ ५५९) परि सडियपंडुपत्तं वणसंडं द अन्नहिं पेसे जूहवई पडियरए जूहेण समं तहिं गच्छे ॥५१७|| ५१७५६०) सयमेवालोएउं जूहवई तं वणं समंतेण वियरइ तेसि पयारं चरिऊण य तो दहं गच्छे ॥५१८॥-५१८ ५६१) ओयरंतं पयं दट्टु नीह रंतं न दीसई नालेण पियह पाणीयं नेस निक्कारणो दहो ॥५१९|| -५१९५६२) संकिय मक्खिय निक्खित्त पहिय साहरिय दायगुम्मीस अपरिणय लित्त छड्डिय एसणदोसा दस हवंति || ५२०/-५२० ५६३) संकाए चउभंगो दोसुवि गहणे य भुंजणे लग्गो जं संकियमावन्नो पणवीसा चरिमए सुद्धो ॥ ५२१ ॥ - ५२१ ५६४) उग्गमदोसा सोलस आहाकम्माइ एसणादोसा नव मक्खियाइ एए पणवीसा चरिमए सुद्धो ।। ५२२१-५२२५६५) छउमत्थो सुयनाणी उवउत्तो गवेसए उज्जुओ पयत्तेणं आवन्नो पणवीसं सुयनाणपमाणओ सुद्धो ॥ ५२३|| ५२३५६६) ओहो सुओवउत्तो सुयनाणी जइवि गि असुद्धं तं केवलीवि भुंजइ अपमाण सुयं भवे इहरा ॥ ५२४॥ ५२४५६७) सुत्तस्स अप्पमाणे चरणाभावो तओ य मोक्खस्स मोक्खस्सऽविय अभावे दिक्खपवित्ती निरत्था ||५२५॥-५२५ ५६८) किंतु ह खद्ध भिक्खा दिज्जइ न य तरइ पुच्छिउं हिरिमं इय संकाए धेत्तुं तं भुंजइ संकिओ चेव ॥ ५२६ || - ५२६ ५६९) हियएण संकएणं गहिओ अन्नेणं सोहिया सा य पगयं पहेणगं वा सोउं निस्संकिओ भुंजे ।। ५२७।। ५२७५७०) जारिसय च्चिय लद्धा खदा भिक्खा मए अमुयगेहे अन्नेहिव तारिसिया विडंत निसामए तइए ||५२८।। ५२८ ५७१) जइ संका दोसकरी एवं सुद्धंपि होइ अविसुद्धं निस्संकमेसियंतिय अणेसणिज्जंपि निद्दोसं ॥ ५२९॥ -५२९ ५७२) अविसुद्धो परिणामो एगयरे अवडिओ य पक्खमि एसिपि कुणइ नेसिं अणेसिमेसिं विसुद्ध उ ॥ ५३० ॥ ५३० ५७३) दुविहं च मक्खियं खलु सच्चित्तं चेव होइ अच्चित्तं सच्चित्तं पुण तिविहं अच्चित्तं होइ दुविहं तु ॥ ५३१ ॥ - ५३१५७४ ) पुढवी आउ वणस्सइ तिविहं सच्चित्तमक्खियं होइ अच्चित्तं पुण दुविहं गरहियमियरे य भयणा उ ।। ५३२॥ -५३२५७५) सुक्केण सरक्खेण मक्खियमल्लेण पुढविकाएणं सव्वंपि मक्खियं तं एत्तो आउंमि वोच्छामि ॥५३३॥-५३३५७६) पुरपच्छकम्म ससिणिदुल्ले चत्तारि आउभेयाओ उकिकट्टरसालित्तं परित्तऽनंतं महिरुहेसु ॥ ५३४|| ५३४५७७) सेसेहि उ काएहिं तीहिवि तेऊसमीरणतसेहिं सच्चित्तं मीसं वा न मक्खितं अत्थि उल्लं वा ॥ ५३५॥ - ५३५५७८) सच्चित्तमक्खियंमि उ हत्थे मत्ते य होइ चउभंगो आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगे अनुन्ना उ ।। ५३६ ॥ -५३६५७९) अच्चित्तमक्खियंमि उ हत्थे मत्ते य होइ चउभंगो आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगे अनुन्ना उ ।।५३६।। ५३६ ५८०) संसज्जिमेहिं वज्जं अगरहिएहिपि गोरसदवेहिं महुघयतेल्ल गुलेहि य मा मच्छिपिवीलियाधाओ ||५३७|| ५३७५८९) मंसवससोणियासव लोए वा गरहिएहिं विवज्जेज्जा उभओऽवि गरहिएहिं मुत्तुच्चारेहिं छित्तंपि ।।५३८।। ५३८ ५८२) सच्चित्तमीसएस दुविहं काएस होइ निक्खित्तं एक्केक्कं तं दुविहं अनंतर परंपरं चेव ||५३९||-५३९ ५८३) पुढवीआउक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणं एक्केक्क दुहाथऽणंतर परंपरऽगणिमि सत्तविहा ।। ५४१॥ ५४१५८४) सच्चित्तपुढविकाए सच्चित्तो चेव पुढवि निक्खित्तो आऊतेउवणस्सइसमीरणतसेसु एमेव ॥ ५४२॥ ५४२ ५८५) एमेव सेसायाणवि निक्खेवो होइ जीवकायकाएसं एक्केक्को सट्ठाणे परठाणे पंच पंचेव ॥ ५४३॥५४३ ५८६) एमेव मीसएसुवि मीसाण सचेयणाण निक्खेवो मीसाणं मीसेसु य दोण्हंपिय होइ अच्चित्ते ॥ ५४४॥ ५४४ ५८७) जत्थ उ सचित्तमीसे चउभंगो तत्थ Moro श्री आगमगुणमंजूषा १६१८ 2 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) पिइनिज्जुत्ति [४३] चऊसुवि अगिज्झं तं तु अनंतर इयरं परित्तऽणंतं च वणकाए ||५४५॥ - ५४५ ५८८) अहवण सचित्तमीसो उ एगओ एगओ उ अच्चित्तो एत्थवि चउक्कभंगो तत्थाइतिए कहा नत्थि ||५४६|| ५४६ ५८९) जं पुण अचित्तदव्वं निक्खिप्पर चेयणेसु मीसे दव्वे सु तहिं मग्गणा उ इणमो अनंतरपरंपरा होई ॥५४७१-५४७ ५९०) ओगांहिमाययणंतरं परंपरं पिढरगाइ पुढवीए नवणीयाइ अनंतर परंपरं नावामाईसु ||५४८ || ५४८ ५९१) विज्झायमुम्मुरिंगालमेव अप्पत्तपत्तसमजाले वोक्कंते लीणे सत्तदुगं जंतोलित्ते य जयणाए ॥ ५४९ ॥ ५४९ ५९२ ) विज्झाउत्ति न दीसइ अग्गी दीसे इंधणे छूढे आपिंगल अगणिकणा मुम्मुर निज्जाल इंगाले ||५५०-५५० ५९३) अप्पत्ता उ चउत्थे जाला पिढरं तु पंचमे पत्ता छट्टे पुण कण्णसमा जाला समइच्छिया चरिमे ॥ ५५९ ॥ ५५१ ५९४) पासोलित्तकडाहे परिसाडी नत्थितंपिय विसालं सोऽविय अचिरच्छूढो उच्छुरसो साइउसिणो य ॥५५२॥ - ५५२५९५) उसिणोदगंपि धेप्पइ गुडरसपरिणणामियं अणच्चुसिणं जं च अधट्टियन्नं घट्टियपडणंमि मा अग्गी ॥५५३॥ -५५३५९६) पासोलित्तकहाहेऽनच्चुसिणे अपरिसाडऽधट्टंते सोलस भंगविगप्पा पढमेऽणुन्ना न सेसेसु ॥ ५५४॥५५४ ५९७) पयसमदुगअब्भासे माणं भंगाण तेसिमा रयणा एगंतरियं लहुगुरू दुगुणा दुगुणा य वामेसु ॥ ५५५॥ - ५५५ ५९८) दुविहविराहण उसिणे छड्डण हाणी भाणभेओ य वाउक्खित्तानंतरपरंपरा पप्पडिय वत्थी || ५५६ ॥ ५९९) हरियाइअणंतरिया परंपरं पिढरमाइसु वर्णमि पूपाई पिट्ठऽनंतर भरिए कुउबाइसू इयरा ॥५५७॥-५५७ ६००) सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग पिहियंमि होइ चउभंगो आइतिगे पडिसेहो चरिमे भंगंमि भयणा उ ।। ५५८।। ५५८ ६०१ ) जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होति भंगा य एमेव य पिहियंमिवि नाणत्तमिणं तइयभंगे || ५५९ ।। ५५९ ६०२) अंगारधूवियाई अनंतरो संतरो सरावाई तत्थेव अइरवाऊ परंपरं बत्थिणा पिहिए ॥५६०।। ५६० ६०३) अइरं फलाइपिहितं वणंमि इयरं तु छब्ब पिच्छ पिढराई कच्छवसंचाराई अनंतराणंतरे छट्टे ॥ ५६१॥ ५६१६०४) गुरु गुरुणा गुरु लहुणालयं गुरुएण दोऽवि लवहुयाई अच्चित्तेणवि पिहिए चउभंगो दोसु अग्गेज्झं ॥ ५६२॥ -५६२६०५) सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग साहारणे य चउभंगो आइतिएपडिसेहोचरिमेभंगंमिभयणाउगहणेआणाइणोदोसा ॥५६३|| ५६३६०६) जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होति भंगा य तहा चेव उ साहरणे नाणत्तमिणं तइयभंगे॥५६४॥-५६४ ६०७) मत्तेण जेण दाहिइ तत्थ अदिज्जं तु होज्ज असणाई छोढु तयन्नहि तेणं देई अह होइ साहरणं ॥ ५६५॥ - ५६५ ६०८) भूमाइएस तं पुण साहरणं होइ छसुवि काएसु जं तं दुहा अचित्तं साहरणं तत्थ चउभंगो || ५६६ ॥ - ५६६ ६०९) सुक्के सुक्कं पढमो सुक्के उल्लं तु बिइयओ भंगो उल्ले सुक्कं तइओ उल्ले उल्लं चउत्थो उ ॥ ५६७॥ - ५६७६१०) एक्केक्के चउभंगो सुक्काईएसु होइ चउसु भंगेसु थोवे थोवं थोवे बहुं च विवरीय दो अन्ने || ५६८|| ५६८ ६११) जत्थ उ थोवे थोवं सुक्के उल्लं च छुहइ तं गेज्झं जइ तं तु समुक्खेउं थोवाहारं दलइ अन्नं ॥ ५६९|| ५६९ ६१२) उक्खेवे निक्खेवे महल्लभाणंमि लुद्ध वह डाहो अचियत्तं वोच्छेओ छक्कायवहो य गुरुमत्ते ॥५७०/-५७० ६१३) थोवे थोवं छूढं सुक्कं उल्लं तु तं तु आइन्नं बहुयं तु अणाइन्न कडदोसो सोत्ति काऊण ॥५७१।।-५७१ ६१४) बाले वुड्ढे मत्ते उम्मत्ते वेविए य जरिए य अंधिल्लए पगलिए आरुढे पाउयाहिं च ॥ ५७२।। ५७२६१५) हत्थु दुनियलबद्धे विवज्जिए चेव हत्थपाएहिं तेरासि गुब्विणी बालवच्छ भुंजंति घुसुलिंती ॥ ५७३।। ५७३६१६) भज्नंति य दलयंती कंडती चेव तह य पीसंती पीजंती संचंती कत्तंति पमद्दमाणी य ॥५७४॥ ५७४ ६१७) छक्कायवग्गहत्था समणट्ठा निक्खिवित्तु ते चैव ते चेवोगाहंती संघट्टंताऽगभंती य ॥५७५॥ ५७५६१८) संसत्तेण य दव्वेण लित्तहत्था य लित्तमत्ता य उव्वत्तंती साहारणं व दिंती य चोरिययं ॥ ५७६ ।। ५७६ ६१९) पाहुडियं च ठवंती सपच्चवाया परं च उद्दिस्स आभोगमणाभोगे दलंती वज्जणिज्जा ए ।।५७७।।-५७७ ६२०) एएसि दायगाणं गहणं केसिंचि होइ भइयव्वं केसिंची अग्गहणं तव्विवरीए भवे गहणं ॥ ५७८।। ५७८ ६२१) कब्बट्ठ्गि अप्पाहण दिने अन्नन्न गहण पज्जत्तं खंतिय मग्गणदिन्ने उड्डाह पओस चारभडा ।। ५७९ ।। ५७९६२२) थेरो गलंतलालो कंपणहत्थो पडिजज वा देंतो अपहुत्ति य अचियत्तं एगयरे वा उभयओ वा ।। ५८०।।-५८० ६२३) अवयास भाणभेओ वमणं असुइत्ति लोगगरिहा य उड्ढाओ पंतावणं च मत्ते वमणविवज्जा य उम्मत्ते ॥५८१।।-५८१६२४) वेविय परिसाडणया पासे व छुभेज्जा भाणभेओ वा एमेव य जरियंमिवि जर संकमणं च उड्डाहो ॥ ५८२।।-५८२६२५) उड्डाह कायपडणं अंधे भेओ य पास छुहणं च श्री आगमगुणमंजूषा- १६१९ 5 KGRO Xx Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR95555555 5 (४१) पिंडनिज्जुत्ति [१] 5 555555555Foxoy OEC%$$$$$$明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐555 तद्दोसी संकमणं गलंत भिस भिन्नदेहे य॥५८३।।-५८३ ६२६) पाउयदुरुढपडणं बद्धे परियाव असुइ खिंसा य करछिन्नासुइ खिंसा ते च्चिय पायेऽवि पडणं च। ||५८४||-५८४६२७) आयपरोभयदोसा अभिक्खगहणंमभि खोभण नपुंसे लोगदुगुंछा संका एरिसया नूणमेएऽवि॥५८५||-५८५६२८) गुव्विणि गब्भे संघट्टणाई उ उटुंतुवेसमाणीए बालाई मंसुडग मज्जाराई विराहेज्जा ॥५८६।।-५८६ ६२९) भुजंती आयमण उदगं छोट्टीय लोगगरिहा य घुसुलंती संपत्ते करंमि लित्ते भवे रसगा ।।५८७||-५८७ ६३०) दगबीए संघट्टण पीसणकं डदल भज्जणे डहणं पिंजंत रुंचणाई दिन्ने लित्ते करे उदगं ।।५८८।।-५८८ ६३१) लोणदगअगणिवत्थीफलाइमच्छाइ सजिय हत्थंमि पाएणोगाहणया संघट्टण सेसकाएणं ।।५८९||-५८९६३२) खणमाणी आरभए मज्जइ धोयइ व सिंचए किंचि छेयविसारणमाई छिदइ छठे फुरुफुरंते ।।५९०।-५९०६३३) छक्कायवग्गहत्था केई कोलाइकन्नलइयाई सिद्धत्थगपुप्फाणि य सिरंमि दिन्नाई वजंति ॥५९१||५९१ ६३४) अन्ने भणंति दससुवि एसणदोसेसु नत्थि तग्गहणं तेण न वजं भन्नइ नणु गहणं दायगग्गहणा ॥५९२।।-५९२ ६३५) संसज्जिमम्मि देसे ॥ संसज्जिमदव्वलित्तकरमत्ता संचारो ओयत्तण उक्खिप्पंतेऽवि ते चेव ॥५९३||-५९३६३६) साधारणं बहूणं तत्थ उ दोसा जहेव अणिसिढे चोरियए गहणाई भयए सुण्हाइ वा दंते ॥५९४||-५९४ ६३७) पाहुडिठवियगदोसा तिरिउड्ढमहे तिहा अवायाओ धम्मियमाई ठवियं परस्स परसंतियं वावि ।।५९५||-५९५ ६३८) अनुकंपा पडिणीयट्ठया व ते कुणइ जाणमाणोऽवि एसणदोसे बिइओ कुणइ उ असढो अयाणंतो ॥५९६।।-५९६ ६३९) भिक्खमित्ते अवियालणा उ बालेण दिज्जमाणमि संदिढे वा गहणं अइबबहुय वियालणेऽणुन्ना ।।५९७।।-५९७६४०) थेर पहु थरथरते धरिए अन्नेण दढसरीरे वा अव्वत्तमत्तसड्ढे अविभले वा असागरिए ॥५९८||-५९८ ६४१) सुइभद्दगदित्ताई दढग्गहे वेविए जरंमि सिवे अन्नधरियं तु सड्ढो देयंधोऽन्नेण वा धरिए ।।५९९।।-५९९६४२) मंडलपसूतिकुट्ठीऽसागरिए ' पाउयागए अयले कमबद्धे सवियारे इयरे बिढे असागरिए॥६००||-६०० ६४३) पंडग अप्पडिसेवी वेला थणजीवि इयर सव्वंपि उक्खित्तमणावाए न किंचि लग्गं ठवंतीए॥६०१||-६०१६४४) पीसंती निप्पिढे फासुंवा धुसुलणे असंसत्तं कत्तणि असंखचुन्नं चुन्नं वा जा अचोक्खलिणी॥६०२।।-६०२६४५) उव्वदृणिऽसंसत्तेण वावि अट्टील्लए न धट्टेइ पिंजणपमद्दणेसु य पच्छाकम्मं जहा हिं नत्थि ॥६०३।।-६०३ ६४६) सेसेसु य पडिवक्खो न संभवइ कायगहणमाईसु पडिवक्खस्स अभावे नियमा उ भवे तयग्गहणं ॥६०४।।-६०४६४७) सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग उम्मीसगंमि चउभंगो आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगंमि भयणा उ॥६०५||-६०५ ॥ ६४८) जह चेव य संजोगा कायाणं हेट्टओ य साहरणे तह चेव य उम्मीसे होइ विसेसो इमो तत्थ ॥६०६||-६०६६४९) दायव्वमदायव्वं च दोऽवि दव्वाइं देइ मीसेउ ओयणकुसुणाईणं साहरण तयन्नहिं छोढुं ॥६०७||-६०७६५०) तंपिय सुक्के सुक्कं भंगा चत्तारि जह उ साहरणो अप्पबहुएऽवि चउरो तहेव आइन्नऽणाइन्ने ॥६०८।।-६०८६५१) अपरिणयंपिय दुविहं दव्वे भावे य दुविहमेक्केक्कं दव्वंमि होइ छक्कं भावंमि य होइ सज्झिलगा।॥६०९||-६०९६५२) जीवत्तंमि अविगए अपरिणयं परिणयं गए जीवे दिटुंतो दुद्धदही इय अपरिणयं परिणयं तं च ॥६१०||-६१०६५३) दुगमाई सामन्ने जइ परिणमई उ तत्थ एगस्स देमित्ति न सेसाणं अपरिणयं भावओ एयं ||६११||-६११६५४) दुगमाई सामन्ने जइ परिणमई उ तत्थ एगस्स देमित्ति न सेसाणं अपरिणयं भावओ एयं ॥६११||-६११६५५) घेत्तव्वमलोवकर्ड लेवकडे मा हु पच्छकम्माई न य रसगेहिपसंगो इअ वुत्ते चोयगो भणइ ।।६१३।।-६१३६५६) जइ पच्छकम्मदोसा हवंति मा चेव भुंजऊ सययं तवनियमसंजमाणं चोयगहाणी खमंतस्स ॥६१४||-६१४६५७) लित्तंति भाणिऊणं छम्मासा हायए चउत्थं तु आयंबिलस्स गहणं असंथरे अप्पलेवं तु॥६१५||६१५६५८) आयंबिलपारणए छम्मास निरंतरं तु खविऊणं जइ न तरइ छम्मासे एगदिणूणं तओ कुणउ॥६१६||-६१६६५९) एवं एक्केक्कदिणं आयंबिलपारणं खवेऊणं दिवसे दिवसे गिण्हउ आयंबिलमेव निल्लेवं ॥६१७||-६१७६६०) जइ से न जोगहाणी संपइ एसे व होइ तो खमओ खमणंतरेण आयंबिलं तु नियमं तवं कुणइ ।।६१८||-६१८६६१) हेट्ठावणि कोलसगा सोवीरगकूरभोइणो मणुया जइ तेऽवि जति तहा किं नाम जई न जाविति ॥६१९||-६१९ ६६२) तिय सीयं समणाणं तिय उण्ह गिहीण तेणऽणुन्नायं तक्काईणं गहणं कट्टरमाईसु भइयव्वं ||६२०||-६२०६६३) आहारवहिसेज्जा तिण्णिवि उपहा गिहीण सीएऽवि तेण उ 5 95555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६२० ॥5555555$$$$$$50 乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明心? MO Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR95555555555555 (४१) पिंडनिज्जुत्ति [४५] 55555555555555NASOS MONOFF~5$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$FFFFSSSSSSSSSSSSSSS जीरइ तेसिंदुहओ उसिणेण आहारो॥६२१||-६२१ ६६४) एयाई चिय तिन्निवि जईण सीयाइं होति गिम्हेवि तेणुवहम्मइ अग्गी तओ य दोसा अजीराई ||६२२||६२२ ६६५) ओयणमंडगसत्तुगकुम्मासारायमासकलवट्टा तूयरिमसूरमुग्गा मासा य अलेवडा सुक्का ।।६२३||-६२३ ६६६) उभिज्जपिज्जकंगू तक्कोल्लणसूवकंजिकढियाई एए उ अप्पलेवा पच्छाकम्मं तहिं भइयं ॥६२४।। ६२४ ६६७) खीर दहि जाउ कट्टर तेल्ल धेयं फाणियं सपिंडरसं इच्चाई बहुलेवं पच्छाकम्मं तहिं नियमा ।।६२५||-६२५ ६६८) संसटेयरहत्थो मत्तोऽविय दव्व सावसेसियरं एएसु अट्ठ भंगा नियमा गहणं तु ओएसु ॥६२६||-६२६ ६६९) सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग तह छड्डणे य चउभंगो चउभंगे पडिसेहो गहणे आणाइणो दोसा ||६२७||-६२७६७०) उसिणस्स छड्डणे देतओ व डज्झेज्झ कायदाहो वा सीयपडणंमि काया पडिए महुबिंदुआहरणं ॥६२८||-६२८ ६७१) नामं ठवणा दवए भावे धासेसणा मुणेयव्वा दव्वे मच्छाहरणं भावंमि य होइ पंचविहा ।।६२९।।६२९६७२) चरियं व कप्पियं वा आहरणं दुविहमेव नायव्वं अत्थस्स साहणट्ठा इंधणमिव ओयणढाए॥६३०।-६३०६७३) अह मंसंमि पहीणे झायंतं मच्छियं भणइ मच्छो किं झायसिं तं एवं सुण ताव जहा अहिरिओऽसि ॥६३१||-६३१ ६७४) तिबलागमुहुम्मुक्को तिक्खुत्तो वलयामुहे तिसत्तक्खुत्तो जालेणं सइ छिन्नोदए दहे ।।६३२।।-६३२ ६७५) एयारिसं ममं सत्तं सढं घट्टियघट्टणं इच्छसि गलेण घेत्तुं अहो ते अहिरीयया ।।६३३||-६३३ ६७६) बायालीसेसणसंकडंमि गहणंमि जीव न हु छलिओ इण्डिं जह न छलिज्जसि भुंजतो रागदोसेहिं ॥६३४||-६३४ ६७७) घासेसणा उ भावे होइ पसत्था तहेव अपसत्था अपसत्था पंचविहा तविवरीया पसत्थाउ ॥६३५||-६३५६७८) दव्वे भावे संजोअणा उ दव्वे दुहा उ बहि अंतो भिक्खं चिय हिंडतो संजोयंतंमि बाहिरिया ।।६३६||-६३६६७९) खीरदहिसूवकट्टरलंभे गुडसप्पिवडगवालुंके अंतो उ तिहा पाए लंबण वयणे विभासा उ ॥६३७||-६३७ ६८०) संयोयणाएँ दोसो जो संजोएइ भत्तपाणं तु दव्वाई रसहेउं वाघाओ तस्सिमो होइ॥६३८||-६३८६८१) संजोयणा उभावे संजोएऊण ताणि दव्वाइं संजोयइ कम्मेणं कम्मेण भवं तओ दुक्खं ।।६३९||-६३९६८२) पत्ते य पउरलंभे भुत्तुव्वरिए य सेसगमणट्ठा दिट्ठो संजोगो खलु अह क्कमो तस्सिमो होइ॥६४०।-६४०६८३) रसहेउं पडिसिद्धो संयोगो कप्पए गिलाणट्ठा जस्स व अभत्तछंदो सुहोचिओऽभाविओ जो य ॥६४१||-६४१ ६८४) बत्तीसं किर कवला आहारो कुच्छिपूरओ भणिओ परिसस्स महिलियाए अट्ठावीसं भवे कवला ॥६४२॥-६४२ ६८५) एत्तो किणाइ हीणं अद्धं अद्धऽद्धगं च आहारं साहुस्स बिति धीरा जायामायं च ओमं च ॥६४३||-६४३ ६८६) पगामं च निगामं च जो पणीयं भत्तपाणमाहारे अइबहुयं अइबहुसो पमाणदोसो मुणेयव्वो ॥६४४।-६४४६८७) बत्तीसाइ परेणं पगाम निच्चं तमेव उ निकामं जं पुण गलंतनेहं पणीयमिति तंबुहा बेति ॥६४५||-६४५६८८) अइबहुयं अइबहुसो अइप्पमाणेण भोयणं भोत्तुहाएज्ज व वामिज व मारिज वतं अजीरंतं ॥६४६||-६४६६८९) बहुयातीयमइबहुं अइबहुसो तिन्नि तिन्नि व परेणं तं चिय अइप्पमाणं भुंजइ जं वा अतिप्पंतो॥६४७||-६४७६९०) हियाहारा मियाहारा अप्पाहारा य जे नरा न ते विज्जा तिगिच्छंति अप्पाणं ते तिगिच्छगा ॥६४८||-६४८ ६९१) तेल्लदहिसमाओगा अहिओ खीरदहिकंजियाणं च पत्थं पुण रोगहरं न य हेऊ होइ रोगस्स ।।६४९||-६४९ ६९२) अद्धमसणस्स सव्वंजणस्स कुज्जा दवस्स दो भागे वाऊपवियारणट्ठा छन्भायं ऊणयं कुज्जा ॥६५०।-६५०६९३) सीओ उसिणो साहरणो य कालो तिहा मुणेयव्वो साहारणंमि काले तत्थाहारे इमा मत्ता॥६५१||-६५१६९४) सीए दवस्स एगो भत्ते चत्तारि अहव दो पाणे उसिणे दवस्स दोन्नि उ तिन्नि व सेसा उ भत्तस्स ॥६५२।।-६५२६९५) एगो दवस्स भागो उवट्ठितो भोयणस्स दो भागा वड्ढंति वहायंति व दो दो भागा उ एक्केक्के ॥६५३।।-६५३ ६९६) एत्थ उतइयचउत्था दोण्णि य अणवट्ठिया भवे भागा पंचमछट्ठो पढमो बिइओविं अवट्ठिया भागा॥६५४||-६५४ ६९७) तं होइ सइंगालं ज आहारेइ मुच्छिओ संतोतं पुण होइ सधूम F जं आहारेइ निंदतो॥६५५।-६५५६९८) अंगारत्तमपत्तं जलमाणं इंधणं सधूमं तु अंगारत्ति पवुच्चइ तं चिय दड्ढं गए धूमे॥६५६||-६५६६९९) रागग्गिसंपलित्तो भुंजतो फासुयंपि आहारं निद्दड्ढंगालनिभं करेइ चरणिधणं खिप्पं ॥६५७||-६५७७००) दोसग्गीवि जलंतो अप्पत्तियधमधूमियं चरणं अंगारभित्तसरिसं जान २ हवइ निद्दही ताव ॥६५८||-६५८७०१) रागेण सइंगालं दोसेण सधूमगं मुणेयव्वं छायालीसं दोसा बोद्धव्वा भोयणविहीए ||६५९||-६५९ ७०२) आहारंति Mero5 9 555555559955 श्री आगमगुणमंजूषा - १६२१5555555555555555555555FOR 明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听出明纸$$$$2C恩 Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRO5555555555555559 (41) पिंडनिज्जुनि 555555555555555FOLOR तवस्सी विगइंगालं च विगयधूमं च झाणज्झयणनिमित्तं एसुवएसो पवयणस्स // 660||-660703) छहिं कारणेहिं साधू आहारितोवि आयरइ धम्म छहिंचेव कारणेहि निज्जूहिंतोवि आयरइ॥६६१॥-६६१७०४) वेयण वेयावच्चे इरियट्ठाए य संजमट्ठाए तह पाणवत्तियाए छट्ठ पुण धम्मचिंताए।।६६२||-६६२ 705) नत्थि छुहाए सरिसा वियणा भुंजेज्ज तप्पसमणट्ठा छाओ वेयावच्चं न तरइ काउं अओ भुजे // 663 / / -663 706) इरिअं नवि सोहेई पेहाईअंच संजमं काउं थामो छाओ वा परिहायइ गुणणुप्पेहासु अ असत्तो // 664||-664707) अहव न कुज्जाहारं छहिं ठाणेहिं संजए पच्छा पच्छिमकालंमि काउं अप्पक्खमं खमं // 665||-665 708) आयंके उवसग्गे तितिक्खया बंभचेरगुत्तीसु पाणिदया तवहेउं सरीरवोच्छेयणट्ठाए // 666 / / 666 709) आयंको जरमाई रायसन्नायगाइ उवसग्गो बंभवयपालणट्ठा पाणिदया वासमहियाई // 667 / -667710) तवहेउ चउत्थाई जाव उ छम्मासिओ तवो होइ छटुं सरीरवोच्छेयणट्ठया हो अणाहारो // 668||668711) सोलसउग्गमदोसा सोलस उप्पायणाए दोसा उ दस एसणाएँ दोसा संजोयणमाइ पंचेव // 669 // -669 712) एसो आहारविही जह भणिओ सव्वभावदंसीहिं धम्मावस्सगजोगा जेण न हायंति तं कुज्जा // 670||-670 713) जा जयमाणस्स भवे विराहणा सुत्तविहिसमग्गस्स सा होइ निज्जरफला अज्झत्थविसोहिजुत्तस्स // 671 // -67141 पिंडनिज्जुत्ति समत्ता बीअंमूलसुत्तं समत्तं OSO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐乐乐OS GQ明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F2。 સૌજન્ય :- પ.પૂ. સાધ્વીશ્રી મહોદયશ્રીજી મ. સા. ની પ્રેરણાથી માતુશ્રી કોકીલાબેન અનંતરાય શાહ વડાલાવાળા 5 555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - 1622 // 5555555555555555555555555