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(४१) पिंडनिज्जुत्ति
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सुज्झई एसणत्तिकाऊणं नीहंमिए अगारी अच्छइ विलिया वऽगहिएणं ।।२९४||-२९४ ३२३) चरणकणालमंसी अन्नंमि य आगए गहिय पुच्छा इहलोगं परलोगं कहेइ चइउं इमं लोगं ||२९५||-२९५ ३२४) नीयदुवारंभि धरे भिक्खं निच्छंति एसणासमिया जं पुच्छसि मज्झ कहं कप्पइ लिंगोवजीवीऽहं ।।२९६||-२९६ ३२५) साहुगुणेसणकहणं आउट्टा तंमि तस्स तिप्पइ तहेव कुक्कुडि चरंति एए वयं तु चिन्नव्वया बीओ ॥२९७||-२९७ ३२६) पाओकरणं दुविहं पागडकरणं पगासकरणं च पागड संकामण कुड्डदारपाए य छिन्ने व ॥२९८१-२९८ ३२७) रयणपईवे जोई न कप्पइ पगासणा सुविहियाणं अत्तठ्यि परिभोत्तुं कप्पइ कप्पे अकाऊणं ||२९९।।-२९९ ३२८) संचारिमा य चुल्ली बहिं व चुल्ली पुरा कया तेसिं तहि रंधंति कयाई उवही पूई य पाओ य ॥३००||-३०० ३२९) नेच्छह तमिसंमि तओ बाहिरचुल्लीऍ साहु सिद्धण्णे इय सोउं परिहरए पुढे सिट्ठिमिवि तहेव ॥३०१||-३०१ ३३०) मच्छियधम्मा अंतो बाहि पवायं पगासमासन्नं इय अत्तट्ठिय गहणं पागडकरणे विभासेयं सा उ॥३०२।।-३०२ ३३१) कुड्डस्स कुणइ छिडं दारं वड्ढेइ कुणइ अन्नं वा अवणेइ छायणं वा ठावइ रयणं व दिप्पंतं ॥३०३||-३०३ ३३२) जोइ पइंवं कुणइ व तहेव कहणं तु पुढे दुष्पुढेवा अत्तट्टिए उ गहणं जोइ पईवे उ वज्जित्ता ज्जेइ ॥३०४||-३०४ ३३३) पागडपयासकरणे कयंमि सहसा व अहवऽणाभोगा गहियं विगिचिऊणं गेण्हइ अन्नं अकयकप्पे ॥३०५||-३०५३३४) कीयगडंपिय दुविहं दव्वे भावे य दुविहमेक्केक्कं आयकियं च परकियं परदव्वं तिविहऽचित्ताइ ॥३०६।।-३०६ ३३५) आयकियं पुण दुविहं दव्वे भावे य दव्व चुन्नाई भावंमि परस्सऽट्ठा अहवावी अप्पणा चेव ।।३०७||-३०७ ३३६) निम्मल्लंगधगुलियावन्नयपोत्ताइ आयकइ दव्वे गेलन्ने उड्डाहो पउणे चडुगारि अहिगरणं ॥३०८।।-३०८ ३३७) मंखमाई परभावकयं तु संजयट्ठाए उप्पायणा निमंतण कीडगड अभिहडे ठविए।३०९||-३०९३३८) सागारि मंख छंदण पडिसेहो पुच्छ बहुगए वासे कयरिं दिसिं गमिस्सह अमुइं तहिं संथवं कुणइ ।।३१०||३१० ३३९) दिज्जते पडिसेहो कज्जे घेच्छं निमंतणं जइणं पुव्वगय आगएसुं संछुहई एगगेहमि ॥३११॥-३११ ३४०) धम्मकह वाय खमणं निमित्त आयावेण सुयट्ठाणं जाई कुल गण कम्मे सिप्पम्मि य भावकीयं तु॥३१२।।-३१२३४१) धम्मकहाअक्खित्ते धम्मकहाउट्ठियाण वा गिण्हे कड्ढे हयं ति साहवो चिय तुं व कहि पुच्छिए तुसिणी ॥३१३।।-३१३ ३४२) किं वा कहिज्ज छारा दगसोयरिया व अहवृऽगारत्था किं झगलगगलवलया मुंडकुटुंबी व किं कहए ॥३१४||-३१४ ३४३) एमेव वाइ खमए निमित्तमायावगम्मि य विभासा सुयठाणं गणिमाई अहवा वाणायरियमाई ॥३१५||-३१५३४४) पामिच्चंपिय दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेण लोइय सज्झिलगाई लोगुत्तर वत्थमाईसु ॥३१६|| ३४५) सुयअभिगमनाय विही बहि पुच्छा एग जीवइ ससा ते पविसण पागनिवारण उच्छिंदण तेल्ल जइदाणं ॥३१७||-३१७३४६) अपरिमियनेहवुड्ढी दासत्तं सो य आगओ पुच्छा दासत्तकहण मा रुय अचिरा मोएमि एत्ताहे ॥३१८||-३१८३४७) भिक्ख दगसमारंभे कहणाउट्टो कहिं ति वसहित्ति संवेया आहरणं विसज्ज कहणा कइवया उ॥३१९||-३१९ ३४८) एए चेव य दोसा सविसेसयरा उ वत्थपाएसुं लोइयपामिच्चेसुं लोगुत्तरिया इमे अन्ने ॥३२०||-३२०३४९) मइलिय फालिय खोसिय हिय नढे वावि अन्न मग्गंते अवि सुंदरेवि दिण्णे दुक्कररोई कलहमाई।।३२१||-३२१ ३५०) उच्चत्ताए दाणं दुल्लभ खग्गूड अलस पामिच्चे तंपिय गुरुसग्गा से ठवेइ सो देइ मा कलहो ।।३२२||-३२२ ३५१) परियट्टिपि दुविहं लोइय लोगुत्तरं समासेणं एक्केक्कंपिय दुविहं तद्दव्वे अन्नदव्वे य॥३२३||-३२३३५२) अवरोप्परसज्झिलगा संजुत्ता दोवि अन्नमन्नेणं पोग्गलिय संजयट्ठा परियट्ठण संखडे बोही ॥३२४||३२४३५३) अनुकंप भगिणिगेहे दरिद्द परियट्टणा य कूरस्स पुच्छा कोद्दवकूरे मच्छर नाइक्ख पंतावे ॥३२५||-३२५३५४) इयरोऽविय पंतावे निसि ओसवियाण तेसि दिक्खा य तम्हा उ न घेतव्वं कइ वा जे ओसमेहिति ॥३२६।।-३२६ ३५५) ऊणहिय दुब्बलं वा खर गुरु छिन्नं मइल असीयसहं दुव्वन्नं वा नाउं विपरिणमे अन्नभणिओवा ।।३२७||-३२७३५६) एगस्स माणजुत्तं न उ बिइए एवमाइकज्जेसु गुरुपामूले ठवणं सो दलयइ अन्नहा कलहो॥३२८||-३२८३५७) आइन्नमणाइन्नं निसिहाभिहडं च नोनिसीहं च निसिहाभिहडं ठप्पं वोच्छामी नोनिसीहं तु ।।३२९||-३२९ ३५८) सग्गाम परग्गामे सदेस परदेसमेव बोद्धव्वं दुविहं तु परग्गामे
जलथल नावोडुजंघाए॥३३०||-३३० ३५९) जंघा बाह तरीइ व जले थले खंधआरखुरनिबद्धा संजमआयविराहण तहियं पुण संजमे काया॥३३१॥-३३१ ३६०) ROYo
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5555 श्री आगमगुणमंजूषा - १६१२55555555555555555 9IOR
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