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(४१) पिडनिज्जुत्ति
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सुहुमपूइयस्सा पुव्वुद्दिट्ठस्सऽसंभवो एवं इंधणधूमाईहिं तम्हा पूइत्ति सिद्धमिणं ॥२६०।-२६०२८५) चोयग इंधणमाईहिं चउहिवि सुहुमपूइयं होइ पन्नवणामित्तमियं परिहरणा नत्थि एयस्स॥२६१।।-२६१२८६) सज्झमसज्झं कजं सज्झं साहिज्जए न उ असझं जो उ असज्झं साहइ किलिस्सइ न तं च साहेई ॥२६२।।-२६२ २८७) आहाकम्मियभायणपप्फोडण काउ अकयए कप्पे गहियं तु ति सुहमपूई धोवणमाईहिं परिहरणा ॥२६३||-२६३ २८८) धोयंपि निरावयवं न होइ आहच्च कम्मगहणंमि न य अद्दव्वा उगुणा भन्नई सुद्धा कओ एवं ॥२६४||-२६४ २८९) लोएवि असुइगंधा विपरिणया दूरओ न दूसंति न य मारंति परिणया दूरगया अवि विसावयवा ।।२६५||-२६५२९०) सेसेहि उ दव्वेहिं जावइयं फुसइ तत्तियं पूई लेवेहि तिहि उ पूई कप्पइ कप्पे कए तिगुणे ॥२६६।।-२६६२९१) इंधणमाइं मोत्तुं चउरो सेसाणि होति दव्वाई तेसिं पुण परिमाणं तयप्पमाणाउ आरब्भ ।।२६७।।-२६७२९२) पढमदिवसंमि कम्मं तिन्नि उ दिवसाणि पूइयं होइ पूईसुतिसुन कप्पइ कप्पइ तइओ जया कप्पो ।।२६८।।-२६८ २९३) समणकडाहाकम्मं समणाणं जं कडेण मीसं तु आहार उवहि वसही सव्वं तं पूइयं होइ ॥२६९||-२६९ २९४) सड्ढस्स थेवदिवसेसु संखडी आसि संघभत्तं वा पुच्छित्तु निउणपुच्छं संलावाओ वऽगारीणं ।।२७०||-२७०२९५) मीसज्जायं जावंतियं च पासंडिसाहुमीसं च सहसंतरं न कप्पइ कप्पइ कप्पे कए तिगुणे ॥२७१||-२७१ २९६) दुग्गासे तं समइच्छिउं व अद्धाणसीसए जत्ता सड्ढी बहुभिक्खयरे मीसज्जायं करे कोई ||२४||भा. २४ २९७) जावंतहा सिद्धं नेयं न एइ तं देह कामियं जइणं बहुसु व अपहुप्पंते भणाइ अन्नपि रंधेह ।।२७२।।-२७२ २९८) अत्तट्ठा रंधते पासंडीणंपि बिइयओ भणइ निग्गंथट्ठा तइओ अत्तट्ठाएऽवि रंधते सो होइ ।।२७३।।-२७३ २९९) विसघाइयपिसियासी मरइ तमन्नोवि खाइउं मरइ इय पारंपरमरणे अनुमरइ सहस्ससो जाव ॥२७४।।-२७४३००) एवं मीसज्जायं चरणप्पं हणइ साहु सुविसुद्धं तम्हा तं नो कप्पइ पुरिससहस्संतरगयंपि॥२७५||-२७५३०१) निच्छोडिए करीसेण वावि उव्वट्टिए तओ कप्पा सुक्खावित्ता गिण्हइ अन्न चउत्थे असुक्केऽवि ॥२७६||-२७६ ३०२) सट्ठाणपरट्ठाणे दुविहं ठवियं तु होइ नायव्वं खीराइ परंपरए हत्यगय धरंतरं जाव ॥२७७||-२७७ ३०३) चुल्ली उवचुल्ली वा ठाणसठाणं तु भायणं पिढरे सट्ठाणट्ठाणंमि य भायणट्ठाणे य चउभंगो ॥२५॥ भा. २५ ३०४) छब्बगवारगमाई होइ परट्ठाणमो वऽणेगविहं सट्ठाणे पिढरे छब्बगे य एमेव दूरे य ॥२७८||-२७८ ३०५) एक्केक्कं तं दुविहं अनंतरं परंपरे य नायव्वं अविकारि कयं दव्वं तं चेव अनंतरं होई॥२७९।।-२७९३०६) उच्छुक्खीराईयं विगारि अविगारि धयगुलाईयं परियावज्जणदोसा ओयणदहिमाईयं वावि ।।२८०।२८० ३०७) उब्भट्ठ परिन्नायं अन्नं लद्धं पओयणे घेच्छी रिणभीया व अगारी दहित्ति दाहं सुए ठवणा ।।२८१॥-२८१३०८) नवणीय मंथुतक्कं व जाव अत्तळ्यि व गिण्हंति देसूणा जाव धयं कुसणंपिय जत्तियं कालं ।।२८२-२८२ ३०९) रसक्ककबपिंडगुलामच्छंडियखंडसक्कराणं च होइ परंपरठवणा अन्नत्थ व जुज्जए जत्थ ।।२८३।।-२८३ ३१०) भिक्खग्गाही एगस्थ कुणइ बिइओ उ दोसु उवओगं तेण परं उक्खित्ता पाहुडिया होइ ठवणा उ॥२८४||-२८४ ३११) पाहुडियावि हु दुविहा बायर सुहुमा य होइ नायव्वा ओसक्कणमुस्सक्कण कब्बट्टीए समोसरणो ।।२८५||-२८५३१२) कंतामि ताव पेलुं तो ते दाहामि पुत्त मा रोवतं जइ सुणेइ साहू न गच्छए तत्थ आरंभो।।२६।। भा. २६३१३) अन्नट्ठ उट्ठिया बा तुब्भवि देमित्ति दाहामि किंपि परिहरति किह दाणि न उठ्ठिहिसी साहुपभावेण लब्भामो ॥२७|| भा. २७३१४) मा ताव झंख पुत्तय परिवाडीए इहेहि सो साहू एयस्स उठ्ठिया ते दाहं सोउं विवज्जेइ ।।२८६||-२८६३१५) अंगुलियाए घेत्तुं कड्ढइ कप्पट्ठओ धरंभ जत्तो तेणं किंति कहिए न गच्छइ पाहुडिया एस सुहुमा उ ||२८७||-२८७ ३१६) पुत्तस्स विवाहदिणं ओसरणे अइच्छिए मुणिय सड्ढा ओसक्कंतोसरणे संखडिपाहेणगदवट्ठा ।।२८८||-२८८ ३१७) अप्पत्तंमि य ठवियं ओसरणे होहिइत्ति उस्सकणं तं पागडमियरं वा करेइ उज्जू अनुज्जू वा ।।२८९।।-२८९ ३१८) मंगलहेडं पुन्नट्ठया व ओसकिकयं दुहा पगयं उस्सकिकयंपि किंति य पुढे सिटे विवज्जति ॥२९०।-२९० ३१९) पाहुडिभत्तं भुंजइं न पडिक्कमए य तस्स ठाणस्स एमेव अडइ बोडो लुक्कविलुक्को जह कवोडो॥२९१।।-२९१ ३२०) लोयविरलुत्तमंगं तवोकिसं जल्लखउरियसरीरं जुगमेत्तंतरदिहिँ अतुरियचवलं सगिहमितं
॥२९२-२९२३२१) दट्टण य अतम नगारं सड्ढी संवेगमागया काई विपुलऽन्नपाण धेत्तूण निग्गया निग्गओ सोऽवि ।।२९३।।-२९३३२२) नीयद्वारंमि धरेन roo#55555
श्री आगमगुणमंजूषा - १६११॥॥॥55555555 5# $#OOR
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