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(४१) पिंडनिज्जुत्ति (५५०) मा ते फंसेज्ज कुलं अदिज्जमाणा सुया वयं पत्ता धम्मो यलोहियस्सा जइ बिंदू तत्तिया नरया || ५०८ || - ५०८ ५५१) किं न ठविज्जइ पुत्तो पत्तो कुलगोत्तकित्तिसंताणो पच्छाविय तं कज्जं असंगगहो मा य नासिज्जा ।। ५०९ ।। ५०९५५२) अद्धि इत्ति पुच्छा सवित्तिणी गब्भिणित्ति से देवी गब्भभाहाणं तुज्झवि करोमि मा अद्धि कुणसु ॥ ५१०१-५१० ५५३) जइवि सुओ मे होही तहवि कणिट्ठोत्ति इयर जुवराया देइ परिसाडणं से नाए य पओस पत्थारो ॥५११॥-५११ ५५४) संखडिकरणे काया कामपवित्तिं च कुणइ एगत्थ एगत्थुड्डाहाई जज्जिय भोगंतरायं च ॥ ५१२॥ -५१२५५५) एवं तु गविट्ठस्सा उग्गमउप्पायणाविसुद्धस्स गहणविसोहिविसुद्धस्स होइ गहणं तु पिंडस्स || ५१३॥ -५१३ ५५६) उप्पायणाऍ दोसे सा साहूउ समुट्ठिए वियाणाहि या इमे भणिया गहणे दसए सणाइ दोसे आयपर गिहिसाहु समुट्ठिए वोच्छं ||१४|| ५१४ ५५७) दोन्नि उ साहुसमुत्था संकिय तह भावओऽपरिणयं च सेसा अट्ठवि नियमा गिहिणो य समुट्ठिए जाण ।।५१५||-५१५ ५५८) नामं ठवणा दविए भावे गहणेसणा मुणेयव्वा दव्वे वानरजूहं भावंमि य दस पया हुंति ॥ ५१६॥ -५१६ ५५९) परि सडियपंडुपत्तं वणसंडं द अन्नहिं पेसे जूहवई पडियरए जूहेण समं तहिं गच्छे ॥५१७|| ५१७५६०) सयमेवालोएउं जूहवई तं वणं समंतेण वियरइ तेसि पयारं चरिऊण य तो दहं गच्छे ॥५१८॥-५१८ ५६१) ओयरंतं पयं दट्टु नीह रंतं न दीसई नालेण पियह पाणीयं नेस निक्कारणो दहो ॥५१९|| -५१९५६२) संकिय मक्खिय निक्खित्त पहिय साहरिय दायगुम्मीस अपरिणय लित्त छड्डिय एसणदोसा दस हवंति || ५२०/-५२० ५६३) संकाए चउभंगो दोसुवि गहणे य भुंजणे लग्गो जं संकियमावन्नो पणवीसा चरिमए सुद्धो ॥ ५२१ ॥ - ५२१ ५६४) उग्गमदोसा सोलस आहाकम्माइ एसणादोसा नव मक्खियाइ एए पणवीसा चरिमए सुद्धो ।। ५२२१-५२२५६५) छउमत्थो सुयनाणी उवउत्तो गवेसए उज्जुओ पयत्तेणं आवन्नो पणवीसं सुयनाणपमाणओ सुद्धो ॥ ५२३|| ५२३५६६) ओहो सुओवउत्तो सुयनाणी जइवि गि असुद्धं तं केवलीवि भुंजइ अपमाण सुयं भवे इहरा ॥ ५२४॥ ५२४५६७) सुत्तस्स अप्पमाणे चरणाभावो तओ य मोक्खस्स मोक्खस्सऽविय अभावे दिक्खपवित्ती निरत्था ||५२५॥-५२५ ५६८) किंतु ह खद्ध भिक्खा दिज्जइ न य तरइ पुच्छिउं हिरिमं इय संकाए धेत्तुं तं भुंजइ संकिओ चेव ॥ ५२६ || - ५२६ ५६९) हियएण संकएणं गहिओ अन्नेणं सोहिया सा य पगयं पहेणगं वा सोउं निस्संकिओ भुंजे ।। ५२७।। ५२७५७०) जारिसय च्चिय लद्धा खदा भिक्खा मए अमुयगेहे अन्नेहिव तारिसिया विडंत निसामए तइए ||५२८।। ५२८ ५७१) जइ संका दोसकरी एवं सुद्धंपि होइ अविसुद्धं निस्संकमेसियंतिय अणेसणिज्जंपि निद्दोसं ॥ ५२९॥ -५२९ ५७२) अविसुद्धो परिणामो एगयरे अवडिओ य पक्खमि एसिपि कुणइ नेसिं अणेसिमेसिं विसुद्ध उ ॥ ५३० ॥ ५३० ५७३) दुविहं च मक्खियं खलु सच्चित्तं चेव होइ अच्चित्तं सच्चित्तं पुण तिविहं अच्चित्तं होइ दुविहं तु ॥ ५३१ ॥ - ५३१५७४ ) पुढवी आउ वणस्सइ तिविहं सच्चित्तमक्खियं होइ अच्चित्तं पुण दुविहं गरहियमियरे य भयणा उ ।। ५३२॥ -५३२५७५) सुक्केण सरक्खेण मक्खियमल्लेण पुढविकाएणं सव्वंपि मक्खियं तं एत्तो आउंमि वोच्छामि ॥५३३॥-५३३५७६) पुरपच्छकम्म ससिणिदुल्ले चत्तारि आउभेयाओ उकिकट्टरसालित्तं परित्तऽनंतं महिरुहेसु ॥ ५३४|| ५३४५७७) सेसेहि उ काएहिं तीहिवि तेऊसमीरणतसेहिं सच्चित्तं मीसं वा न मक्खितं अत्थि उल्लं वा ॥ ५३५॥ - ५३५५७८) सच्चित्तमक्खियंमि उ हत्थे मत्ते य होइ चउभंगो आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगे अनुन्ना उ ।। ५३६ ॥ -५३६५७९) अच्चित्तमक्खियंमि उ हत्थे मत्ते य होइ चउभंगो आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगे अनुन्ना उ ।।५३६।। ५३६ ५८०) संसज्जिमेहिं वज्जं अगरहिएहिपि गोरसदवेहिं महुघयतेल्ल गुलेहि य मा मच्छिपिवीलियाधाओ ||५३७|| ५३७५८९) मंसवससोणियासव लोए वा गरहिएहिं विवज्जेज्जा उभओऽवि गरहिएहिं मुत्तुच्चारेहिं छित्तंपि ।।५३८।। ५३८ ५८२) सच्चित्तमीसएस दुविहं काएस होइ निक्खित्तं एक्केक्कं तं दुविहं अनंतर परंपरं चेव ||५३९||-५३९ ५८३) पुढवीआउक्काएतेऊवाऊवणस्सइतसाणं एक्केक्क दुहाथऽणंतर परंपरऽगणिमि सत्तविहा ।। ५४१॥ ५४१५८४) सच्चित्तपुढविकाए सच्चित्तो चेव पुढवि निक्खित्तो आऊतेउवणस्सइसमीरणतसेसु एमेव ॥ ५४२॥ ५४२ ५८५) एमेव सेसायाणवि निक्खेवो होइ जीवकायकाएसं एक्केक्को सट्ठाणे परठाणे पंच पंचेव ॥ ५४३॥५४३ ५८६) एमेव मीसएसुवि मीसाण सचेयणाण निक्खेवो मीसाणं मीसेसु य दोण्हंपिय होइ अच्चित्ते ॥ ५४४॥ ५४४ ५८७) जत्थ उ सचित्तमीसे चउभंगो तत्थ Moro श्री आगमगुणमंजूषा १६१८
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