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(४१) पिइनिज्जुत्ति
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चऊसुवि अगिज्झं तं तु अनंतर इयरं परित्तऽणंतं च वणकाए ||५४५॥ - ५४५ ५८८) अहवण सचित्तमीसो उ एगओ एगओ उ अच्चित्तो एत्थवि चउक्कभंगो तत्थाइतिए कहा नत्थि ||५४६|| ५४६ ५८९) जं पुण अचित्तदव्वं निक्खिप्पर चेयणेसु मीसे दव्वे सु तहिं मग्गणा उ इणमो अनंतरपरंपरा होई ॥५४७१-५४७ ५९०) ओगांहिमाययणंतरं परंपरं पिढरगाइ पुढवीए नवणीयाइ अनंतर परंपरं नावामाईसु ||५४८ || ५४८ ५९१) विज्झायमुम्मुरिंगालमेव अप्पत्तपत्तसमजाले वोक्कंते लीणे सत्तदुगं जंतोलित्ते य जयणाए ॥ ५४९ ॥ ५४९ ५९२ ) विज्झाउत्ति न दीसइ अग्गी दीसे इंधणे छूढे आपिंगल अगणिकणा मुम्मुर निज्जाल इंगाले ||५५०-५५० ५९३) अप्पत्ता उ चउत्थे जाला पिढरं तु पंचमे पत्ता छट्टे पुण कण्णसमा जाला समइच्छिया चरिमे ॥ ५५९ ॥ ५५१ ५९४) पासोलित्तकडाहे परिसाडी नत्थितंपिय विसालं सोऽविय अचिरच्छूढो उच्छुरसो साइउसिणो य ॥५५२॥ - ५५२५९५) उसिणोदगंपि धेप्पइ गुडरसपरिणणामियं अणच्चुसिणं जं च अधट्टियन्नं घट्टियपडणंमि मा अग्गी ॥५५३॥ -५५३५९६) पासोलित्तकहाहेऽनच्चुसिणे अपरिसाडऽधट्टंते सोलस भंगविगप्पा पढमेऽणुन्ना न सेसेसु ॥ ५५४॥५५४ ५९७) पयसमदुगअब्भासे माणं भंगाण तेसिमा रयणा एगंतरियं लहुगुरू दुगुणा दुगुणा य वामेसु ॥ ५५५॥ - ५५५ ५९८) दुविहविराहण उसिणे छड्डण हाणी भाणभेओ य वाउक्खित्तानंतरपरंपरा पप्पडिय वत्थी || ५५६ ॥ ५९९) हरियाइअणंतरिया परंपरं पिढरमाइसु वर्णमि पूपाई पिट्ठऽनंतर भरिए कुउबाइसू इयरा ॥५५७॥-५५७ ६००) सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग पिहियंमि होइ चउभंगो आइतिगे पडिसेहो चरिमे भंगंमि भयणा उ ।। ५५८।। ५५८ ६०१ ) जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होति भंगा य एमेव य पिहियंमिवि नाणत्तमिणं तइयभंगे || ५५९ ।। ५५९ ६०२) अंगारधूवियाई अनंतरो संतरो सरावाई तत्थेव अइरवाऊ परंपरं बत्थिणा पिहिए ॥५६०।। ५६० ६०३) अइरं फलाइपिहितं वणंमि इयरं तु छब्ब पिच्छ पिढराई कच्छवसंचाराई अनंतराणंतरे छट्टे ॥ ५६१॥ ५६१६०४) गुरु गुरुणा गुरु लहुणालयं गुरुएण दोऽवि लवहुयाई अच्चित्तेणवि पिहिए चउभंगो दोसु अग्गेज्झं ॥ ५६२॥ -५६२६०५) सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग साहारणे य चउभंगो आइतिएपडिसेहोचरिमेभंगंमिभयणाउगहणेआणाइणोदोसा ॥५६३|| ५६३६०६) जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होति भंगा य तहा चेव उ साहरणे नाणत्तमिणं तइयभंगे॥५६४॥-५६४ ६०७) मत्तेण जेण दाहिइ तत्थ अदिज्जं तु होज्ज असणाई छोढु तयन्नहि तेणं देई अह होइ साहरणं ॥ ५६५॥ - ५६५ ६०८) भूमाइएस तं पुण साहरणं होइ छसुवि काएसु जं तं दुहा अचित्तं साहरणं तत्थ चउभंगो || ५६६ ॥ - ५६६ ६०९) सुक्के सुक्कं पढमो सुक्के उल्लं तु बिइयओ भंगो उल्ले सुक्कं तइओ उल्ले उल्लं चउत्थो उ ॥ ५६७॥ - ५६७६१०) एक्केक्के चउभंगो सुक्काईएसु होइ चउसु भंगेसु थोवे थोवं थोवे बहुं च विवरीय दो अन्ने || ५६८|| ५६८ ६११) जत्थ उ थोवे थोवं सुक्के उल्लं च छुहइ तं गेज्झं जइ तं तु समुक्खेउं थोवाहारं दलइ अन्नं ॥ ५६९|| ५६९ ६१२) उक्खेवे निक्खेवे महल्लभाणंमि लुद्ध वह डाहो अचियत्तं वोच्छेओ छक्कायवहो य गुरुमत्ते ॥५७०/-५७० ६१३) थोवे थोवं छूढं सुक्कं उल्लं तु तं तु आइन्नं बहुयं तु अणाइन्न कडदोसो सोत्ति काऊण ॥५७१।।-५७१ ६१४) बाले वुड्ढे मत्ते उम्मत्ते वेविए य जरिए य अंधिल्लए पगलिए आरुढे पाउयाहिं च ॥ ५७२।। ५७२६१५) हत्थु दुनियलबद्धे विवज्जिए चेव हत्थपाएहिं तेरासि गुब्विणी बालवच्छ भुंजंति घुसुलिंती ॥ ५७३।। ५७३६१६) भज्नंति य दलयंती कंडती चेव तह य पीसंती पीजंती संचंती कत्तंति पमद्दमाणी य ॥५७४॥ ५७४ ६१७) छक्कायवग्गहत्था समणट्ठा निक्खिवित्तु ते चैव ते चेवोगाहंती संघट्टंताऽगभंती य ॥५७५॥ ५७५६१८) संसत्तेण य दव्वेण लित्तहत्था य लित्तमत्ता य उव्वत्तंती साहारणं व दिंती य चोरिययं ॥ ५७६ ।। ५७६ ६१९) पाहुडियं च ठवंती सपच्चवाया परं च उद्दिस्स आभोगमणाभोगे दलंती वज्जणिज्जा ए ।।५७७।।-५७७ ६२०) एएसि दायगाणं गहणं केसिंचि होइ भइयव्वं केसिंची अग्गहणं तव्विवरीए भवे गहणं ॥ ५७८।। ५७८ ६२१) कब्बट्ठ्गि अप्पाहण दिने अन्नन्न गहण पज्जत्तं खंतिय मग्गणदिन्ने उड्डाह पओस चारभडा ।। ५७९ ।। ५७९६२२) थेरो गलंतलालो कंपणहत्थो पडिजज वा देंतो अपहुत्ति य अचियत्तं एगयरे वा उभयओ वा ।। ५८०।।-५८० ६२३) अवयास भाणभेओ वमणं असुइत्ति लोगगरिहा य उड्ढाओ पंतावणं च मत्ते वमणविवज्जा य उम्मत्ते ॥५८१।।-५८१६२४) वेविय परिसाडणया पासे व छुभेज्जा भाणभेओ वा एमेव य जरियंमिवि जर संकमणं च उड्डाहो ॥ ५८२।।-५८२६२५) उड्डाह कायपडणं अंधे भेओ य पास छुहणं च श्री आगमगुणमंजूषा- १६१९
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