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(४१) पिडनिजुत्ति
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वोच्छेओ संजमतवाणं ॥१८५||-१८५२०८) जो जहवायं न कुणई मिच्छद्दिट्ठी तओ हु को अन्नो वड्ढेइ य मिच्छत्तं परस्स संकं जणेमाणो ॥१८६।।-१८६२०९) वड्ढेइ तप्पसंगं गेही य परस्स संकं जणेमाणो॥१८६।।-१८६ सजियपि भिन्नदाढो न मुयइ निद्धंधसो पच्छा ।।१८७।।-१८७२१०) खद्धे निद्धे य रुया सुत्ते हाणी तिगिच्छणे काया पडियरगाणवि हाणी कुणइ किलेसं किलिस्संतो॥१८८१-१८८२११) जह कम्मं तु अकप्पं तच्छिक्कं वाऽवि भायणठियं वा परिहरणं तस्सेव य गहियमदोसं च तह भणइ ॥१८९||-१८९ २१२) अब्भोज्जे गमणाइ य पुच्छा दव्वकुलदेस खित्त भावे य एव जयंते छलणा दिढता तत्थिमे दोन्नि ॥१९०।-१९० २१३) जह वंतं तु अभोज भत्तं जइविय सुसक्कयं आसि एवमसंजमवमणे अणेसणिज्ज अभोज्जं तु ॥१९१||-१९१२१४) मज्जारखइयमंसा मंसासित्थि कुणिमं सुणयवंतं वन्नाइ अन्नमुप्पाइयंति किं तं भवे भोज्ज ।।१९२||-१९२२१५) केई भणंति पहिए अट्ठाणे मंसपेसिवोसिरणं संभारिय परिवेस वट्ट न वारेइ सुओ करे धेत्तुं ॥१९३||-१९३२१६) अविकालकरहीखीरं ल्हसुण पलंडू सुरा य गोमंसं वेयसमएवि अभयं किंचि अभोज्जं अपेज्जं च ॥१९४॥-१९४२१७) बन्नाइजुयावि बली सपललफलसेहरा असुइनत्था असुइस्सविप्पुसेणविजहछिक्काओ अभोज्जाहुँतिभिक्खाओ ।।१९५||-१९५२१८) एमेव उज्झियंमिवि आहाकम्ममि अकयए कप्पे होइ अभोज भाणे जत्थ व सुद्धपि तं पडियं ।।१९६||-१९६ २१९) वंतुच्चारसरिच्छ कम्मं सोउमवि कोविओ भीओ परिहरइ सावि य दुहा विहिअविहीए य परिहरणा ॥१९७१-१९७ २२०) सालीओअणहत्थं द8 भणइ अविकोविओ देति कत्तोच्चउत्ति साली वणि जाणइ पुच्छ तं गंतुं ॥१९८||- १९८ २२१) गंतूण आवणं सो वाणियगं पुच्छए कओ साली पच्चंते मगहाए गोब्बरगामो तहिं वयइ ।।१९९||-१९९ २२२) कम्मासंकाएँ पहं मोत्तुं कंटाहिसावया अदिसिं छायंपि विवज्जतो डज्झइ उण्हेण मुच्छाई ।।२००||-२००२२३) इय अविहीपरिहारी नाणाईणं न होइ आभागी दव्वकुलदेसभावे विहिपरिहरणा इमा तत्थ ।।२०१६-२०१ २२४) ओयणसमिइमसत्तुगकुम्मासाई उ होति दव्वाई बहुजणमप्पजणं वा कुलं तु देसा सुरट्ठाई॥२०२।।-२०२ २२५) आयरऽणायर भावे सयं व अन्नेण वाऽवि दावणया एएसिं तु पयाणं चुपय तिपया व भयणा उ ।।२०२।।-२०३ २२६) अनुचियदेसं द स व्वं कुलमप्पं आयरो य तो पुच्छा बहुएवि नत्थि पुच्छा सदेसदविए अभावेऽवि ॥२०४॥-२०४ २२७) तुज्झट्ठाए कयमिणमन्नोन्नमवेक्खए यसविलक्खं वज्जति गाढरुट्टा का भे तत्तित्ति वा गिण्हे ।।२०५||-२०५२२८) गूढायारा न करेति आयरं पुच्छियावि न कहेति थोवंति व नो पुट्ठा तं च असुद्धं कह तत्थ ।।२०६||-२०६२२९) आहाकम्मपरिणओ फासुयभोईवि बंधओ होइ सुद्धं गवेसमाणो आहाकम्मेवि सो सुद्धो ॥२०७||-२०७२३०) संघुद्दिढ सोउं एइ दुयं कोइ भोइए पत्तो दिन्नंति देहि मज्झंतिगाउ सोउं तओ लग्यो ।२०८||-२०८ २३१) मासियपारणगट्ठा गमणं आसन्नगामगं खमगे सड्ढी पायसकरणं कयाइ अज्जेज्जिही खमओ॥२०९।।-२०९ २३२) खेल्लगमल्लगलेच्छारियाणि डिभग निमच्छ रुंटणया हंदि समणत्ति पायस घयगुलजुय जावणट्ठाए ।।२१०।।-२१०२३३) एगंतमवक्कमणं जइ साहू इज्ज होज्ज तिन्नो मि तणुकोट्टमि अमुच्छा भुत्तमि य केवलं नाणं ॥२११॥-२११२३४) चंदोदयं च सूरोदयं च रन्नो उ दोन्नि उज्जाणा तेसिं विवरियगमणे आणाकोवो तओ दंडो॥२१२।।-२१२ २३५) सूरोदयं गच्छमहं पभाए चंदोदयं जंतु तणाइहारा दुहा खी पच्चुरसंतिकाउं रायावि चंदोदयमेव गच्छे ।।२१३||-२१३ २३६) पत्तलदुमसालगया दच्छामु निवंगणत्ति दुश्चित्ता उज्जाणपालएहिं गहिया य हया य बद्धा य ॥२१४।।-२१४ २३७) सहस पइट्ठा दिट्ठ इयरेहि निवंगणत्ति तो बद्धा नितस्स य अवरण्हे दंसणमुभओ वहविसग्गा ||२१५||-२१५ २३८) जह ते दसणखी अपूरिइच्छा विणासिया रण्णा दिट्ठऽवियरे मुक्का एमेव इहं समोयारो ॥२१६।।-२१६ २३९) आहाकम्म भुंजइ न पडिक्कमए य तस्स ठाणस्स एमेव अडइइडो लुक्कविलुक्को जह कवोडो ।।२१७||-२१७२४०) आहाकम्मदारं भणियमियाणि पुरा समुद्दिट्ट उद्देसियंति वोच्छं
समासओ तं दुहा होइ॥२१८||-२१८ २४१) ओहेण विभागेण य ओहे ठप्पं तु बारस विभागे उद्दिट्ठ कडे कम्मे एक्केकिक चउक्कओ भेओ॥२१९||-२१९ + २४२) जीवामु कहवि ओमे निययं भिक्खावि कइवई देमो इंदि हु नत्थि अदिन्नं भुज्जइ अकयं न य फलेइ ॥२२०॥-२२०२४३) सा उ अविसेसियं चिय मियंमि २ भत्तंमि तंडु चाउ ले छुहइ पासंडीण गिहीण व जो एहिए तस्स भिक्खट्ठा ॥२२१॥-२२१ २४४) छउमत्थोधुद्देस कहं वियाणाइ चोइए भणइ उवउत्तो गुरु एवं Me:55555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १६०९5555555555555555555EOOK
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