Book Title: Aagam Manjusha 39 Chheyasuttam Mool 06 Mahaanisiham
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [३९] महानिसीहं * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.com.ME. Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐ नमो तित्यस्स, ॐ नमो अरहताणं । सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्लार्य-इह खलु छउमत्यसंजमकिरियाए वट्ठमाणे जे ण केई साह वा साहुणी वा से णं इमेणं परमतत्तसारसम्भूयत्वप. सागसुमहत्यातिसयपवरवरमहानिसीहसुयसंघसुयाणुसारेणं तिविहंतिविहेणं सब्वभावतरंतरेहिणं णीसाले भवित्ताणं आयहियट्ठाए अश्चंतपोवीरुग्गकहतवसंजमाणुट्टाणेसु सवपमायालंबणविप्पमुके अणुसमयमहण्णिसमणालसत्ताए सययं अणिविण्णे अणूण(णण्ण)परमसद्धासंवेगवेरम्गमम्गगए णिणियाणे अणिगृहियचलपिरियपुरिसकारपरकमे अगिलाणीए वोसढचत्तदेहे सुणिच्छिए एगम्गचिने अभिक्खणं अभिरमिजा ।१। णो णं रागदोसमोहविसयकसायनाणालंबणाणेगप्पमायइढिरससायागारवरोहऽहमाणविगहामिच्छत्ताविरहदुट्ठजोगअणाययणसेवणाकुसीलादिसंसम्गीपेसुण्णऽभक्खाणकलहजातादिमयमच्छरामरिसममीकारअहंकाराविअणेगमेयभिष्णतामसभावकलुसिएर्ण हियएणं हिंसालियचोरिकमेहुणपरिग्गहारंभसंकप्पादिगोयरअावसिए घोरपयंडमहारोघणचिक्कणपावकम्ममललेवखवलिए असंवुडासबदारे । २। एकखणलवमुहुत्तणिमिसणिमिसहम्मतरंतरमवि ससले विरत्तेज्जा तंजहा।३। 'उवसंते सबभावेणं, विरत्ते य जया भवे। सत्य विसए आया, रागेतरमोहवजिरे ॥१॥ तया संवेगमावण्णे, पारलोइयवत्तणि । एगग्गेणेसती संमं, हा मओ कत्थ गच्छिहं ? ॥२॥ को धम्मो को वओ णियमो, को तवो मेऽणुचिट्ठिओ। किं सीलं धारियं होज, को पुण दाणो पयच्छिओ? ॥३॥ जस्साणुभावओऽण्णस्थ, हीणमझत्तमे कुले । सग्गे वा मणुयलोए वा, सोक्खं रिद्धिं लभेजऽहं ॥४॥ अहवा किंच विसाएण?, सचं जाणामि अत्तियं। दुश्चरियं जारिसो वाऽहं, जे मे दोसा य जे गुणा ॥५॥ घोरंधयारपायाले, गमिस्सेऽहमणुत्तरे। जत्थ दुक्खसहस्साई,ऽणुभविस्सं चिरं बहू ॥६॥ एवं सई वियाणंते, धम्माधम्म मुहामु(हं दु)ह। अस्थग गोयमा! पाणी.जे मोहाऽऽयहियं न चिट्ठए ॥ ७॥ जे याऽवाऽऽयहियं कुजा, कत्थई पारलोइयं। मायाईभेण तस्साबी, सयमवी(म्पी) तं न भावए ॥८॥ आया ममेव अत्ताण, निउण जाण । घम्ममविय अत्तसक्खियं ॥९॥ जं जस्साणुमयं हिएँ सोतं ठावेइ सुंदरपएसु । सद्दूली नियतणए तारिस कुरेचि मनइ विसिट्टे ॥१०॥ अत्तत्तीयाऽसमिचा खलु संसंजुयं ते चरते । निहोस तं च सिट्टे बवगयकलसे पक्खवायं विमुच्चा, विक्खंतच्चंतपार्व कलसियहिययं दोसजालेहिं णहूँ॥१॥ परमत्थं तत्तसिद्ध, सम्भ्य स्थपसाहर्ग । तम्भणियाणहाणेणं, ते आया रंजए सकं ॥२॥ नेसुतम भवे धम्म, उत्तमा तवसंपया। उत्तमं सीलचारितं. उत्तमा य गती भवे ॥ ३ ॥ अत्येगे गोयमा ! पाणी, जे एरिसमवि कोडिं गए । ससाडे चरती धम्म, आयहियं नावबुज्झई ॥४॥ ससडो जइवि कठ्ठग्गं, घोरं वीरं नवं चरे। दिवं वाससहस्संपि, ततोऽत्री तं तस्स निप्फलं ॥ ५ ॥ सलंपि भन्नई पावं, जं नालोइयनिंदियं । न गरहियं न पच्छितं, कयं जं जहय भाणियं ॥ ६ ॥ मायाडंभमकत्तवं, महापच्छन्नपावया। अयजमणायारं च, सलं कम्मट्टसंगहो ॥७॥ असंजमं अहम्मंच, निसीलऽवतताविय। सकलुसत्तमसुद्धी य, सुकयनासो तहेवय ॥ ८॥ दुग्गइगमणऽणुत्तारं, दुक्खे सारीरमाणसे । अवोच्छिन्ने य संसारे, विग्गोवणया महंतिया ॥९॥ केसि विरूवरूवत्तं, दारिदय(क) दोहग्गया। हाहाभूयसवेयणया, परिभूयं च जीवियं ॥२०॥ निग्घिण नित्तिस करतं, निहय निकिवयाविय । निउज्जत गूढहियत्तं, वक विवरीयचित्तया ॥१॥ रागो दोसो य मोहो य, मिच्छत्तं घणचिक्कणं । संमग्गणागे तहय, एगेऽजस्सित्तमेवय ॥२॥ आणाभंगमचोही य, ससत्ता य भवे भवे । एमादी पावसलस्स, नामे एगडिया बहू ॥३॥ जेणं सछियहिययस्स, एगस्सी बहु भवंतरे । सवंगोवंगसंधीओ, पसाईति पुणो पुणो ॥४॥से । दुविहे समक्खाए, सल्ले सुहुमे य बायरे। एकेके तिविहे णेए, घोरुगुग्गतरे तहा ॥५॥ घोरं चउचिहा माया, घोरुगं माणसंजुया। माया लोभो य कोहो य, घोरम्गुग्गयरं मुणे ॥६॥ सुहुमबायरभेएणं, सप्पभेयंपिमं मुणी। अइरा समुद्धरे खिप्पं, ससल्लो णो वसे खणं ॥७॥ सुइडलगित्ति अहिपोए, सिद्धत्थयतुढे सिही। संपलम्गे खयं णेइ, गवि पुढे विजोडई ॥८॥ एवं तणुतणुयर, पावसङमणुद्धियं । भवभवंतरकोडीओ, बहुसंतावपदं भवे ॥९॥ भयवं! सुदुद्धरे एस, पावसाडे दुहप्पए। उद्धरिउंपि ण याणंती, बहवे जहमुद्धरिजइ॥३०॥ गोयम ! निम्मूलमुद्धरणं, निययमेतस्स भासियं । सुदुदरस्सावि साकस्स, सवंगोवंगभेदिणी ॥१॥सम्मईसणं पढम, सम्मं नाणं बिइजिर्य । तइयं च सम्मचारिनं, एगभूयमिमं तिगं ॥२॥ खेतीभूतेवि जे जिते(जीए), जे गूढेऽदसणं गए। जे अत्थीसु ठिए केई, जेऽस्थिमज्झ(म्भ)तरं गए ॥३॥ सवंगोवंगसंखुत्ते, जे सम्भंतरबाहिरे। साइंति जेण साईती, ते निम्मूले समुद्धरे॥४॥ हयं नाणं कियाहीणं, हया अन्नाणतो किया। पासंतो पंगुलो दड्ढो, धावमाणो य अंधओ॥५॥ संजोगसिद्धी अउ गोयमा! फलं, नहु एगचक्केण रहो पयाइ। अंधो य पंगू य वणे समिचा, ते संपउत्ता नगरं पविट्ठा ॥६॥नाणं पयासयं सोहओ तयो संजमो य गुत्तिकरो। तिण्हपि समाओगे गोयम ! मोक्खो न अण्णहा ॥ ७॥ता णीसड़े भवित्ताणं, सबसडविवजिए । जे धम्ममणुचेडेजा, सबभूयऽप्पकंपिवा ॥ ८॥ तस्स तजम(तंस)फलं होजा, जम्मर्जमंतरेसुवि। विउला सय(म्प)य रिद्धी य, लभेजा सासयं सुहं ॥९॥ सामुदरिउकामेणं, सुपसत्थे सोहणे दिणे। तिहिकरणमुहुत्ते नक्खत्ते, जोगे लग्गे ससीबले ॥४०॥ कायद्यायंधिलक्खमणं, दस दिणे पंचमंगलं। परिजवियाऽदुसर्य(यहा), तदुवरिं अट्ठमं करे ॥१॥ अट्ठमभत्तेण पारित्ता, काऊणायंचिलं तओ। चेइय साहू य बंदित्ता, करिज खंतमरिसियं ॥२॥जे केइ दुठ्ठ संलत्ते, जस्सुवरि दुठ्ठ चिंतिय। जस्स य दुट्ठ कय जेणं, पडिदुर्दु वा कयं भवे ॥३॥ तस्स सबस्स तिविहेणं, वायां मणसा य कम्मणा। णीसलं सबभावेणं, दाउं मिच्छामिदुक्कडं ॥४॥ पुणोवि वीयरागाणं, पडिमाओ चेइयालए। पत्तेयं संथुणे वंदे, एगग्गो भत्तिनिम्भरो॥५॥ वंदित्तु चेइए सम्म, छटुंभत्तेण परिजवे। इमं सुयदेवयं विनं, लक्खहा चेड्यालाए ॥६॥ उपसंतो सव्वभावेणं, एगचित्तो सुनिच्छिओ। आउत्तो अव्ववक्खित्तो, रागरह असवजिओ॥४७॥ अउमणअम्ओ काउणअम् अउम्णअमओ अयूआण्उसआ. ईण्ञम् अउम्ण्अम्ओ स्तम्भइण्णसउईण्अम् अउम्ण्अम्ओ खईआसवलदईण्अम् अउम्णम्ओ सव्वउसहिलईण्अम् अउम्ण्अम्ओ अक्ख्ईण्अम्ञआणस्अलईण्अम् अउम्ण्अम्ओ भगवओ अरहओ महह . महावीरवडमाणस्स धम्मतित्थंकरम्स अउम्णम्ओ सव्वधम्मतित्यंकराणं अउम्णम्ओ सव्वसिद्धाणं अउम्णम्ओ सध्यसाहूर्ण अउम्णम्ओ भगवतो मइआणस्स अउम्णम्ओ भगवओ सुयणआणस्स अउम्णम्ओ भगवओ | १११५ महानिशीथच्छेदसूत्र, अन्स , मुनि दीपरनसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अउहाण्आणस्स अउम्णम्ओ भगवओमणपज्जवण्आणस्स अउम्णम्ओ भगवओकएवलण्ाणस्स अउम्णम्ओ भगवतीए सुयद्एब्अयआए सिज्झउ मए साहिया(एसा महा)विज्जा अउम्णम्ओ भगवओ अउम्णम्ओ अम् अउम्णअम्ओ अअआउअम् अअआउअम्णम्ओ आऊअभिवत्तीटक्खणं सम्महसणं अउअम्णम्ओ अआरस्अस्ईल्चम्गसहस्साहिटियस्स ईस्अम्ग ण्इण्ण्इयआण ईसल्ड सयसङगत्तण सव्वदुक्खणिम्महणपरमनिछुई। कारस्स णं पवयणस्स परमपवित्तुत्तमस्सेति ।४। एसा विजा सिद्धतिएहिं अक्खरहिं लिखिया, एसा य सिद्धतिया लिवी अमुणियसमयसब्भावाणं सुयधरेहिं ण पण्णवेयचा तहय कुसीलाणं च ।५। इमाए पवरयिजाए. सहा उ अत्ताणगं । अहिमंतेऊण सोविजा, खंतो दंतो जिइंदिओ॥४८॥ णवरं सुहासुहं सम्मं, सुविणगं समवधारए । जं तत्थ सुविणगं(गे) पासे, तारिसगं तं तहा भवे ॥९॥ जइणं सुंदरगं पासे, सुमिणगं तो इमं महा। परमन्धननसारन्थ, साधरणं मुणेतु णं ॥५०॥ देजा आलोयणं सुदं. अट्ठमयठाणविरहिओ। (म)जतो धम्मतित्थयरे, सिद्धे लोगम्गसंठिए ॥१॥ आलोएत्ताण णीसहं, सामण्णेण पुणोविय। वंदित्ता चेइए साहू, विहिपुत्रेण समावए ॥२॥ खामिना पावसस्स, निम्मूलद्धरणं पुणो। करेजा विहिपुबेण, रंजंतो ससुरासुरं जगं ॥३॥ एवं होऊण निस्सहो, सबभावेण पुणरवि। विहिपुर्व चेइए बंदे, खामे साहम्मिए तहा ॥४॥ नवरं जेण समं बुच्छो, जेहिं सद्धिं पविहरिओ। खर फुरुसं चोइओ जेहिं, सयं वा जो य चोइओ ॥५॥ जोऽविय कजमकज्जे या, मणिओ खरफरुसनिठुर। पडिभणियं जेणवी किंचि, सो जब जीवइ जइ मओ॥६॥ खमियचो सच्च(व)भावेण, जीवंतो जन्थ चिट्टई । नन्थ गंतण कविणएण, मओऽवी साहुसक्खियं ॥ आएवं-खामणमरिसामणं काउं, तिहुयणस्सवि भावओ। सुद्धो मणवइकाएहि, एयं घोसिज निच्छओ ॥८॥खमावेमि अहं सके, सवे जीवा खमंतु मे। मित्ती मे सबभूएस, वरं मन्झण केणई. ॥९॥खमामहंपि सवेसि, सवभावेण सबहा। भवे भवेसुवि जंतूणं, वाया मणसा य कम्मुणा ॥६०॥ एवं बंदिजा चेइय, साहू सक्खं विही यऽओ। गुरुस्सावि विही पुर्व, खामणमरिसामणं करे॥१॥ खमावेनुं गुरूं सम्म, नाणमहिमं ससत्तिओ। काऊणं बंदिऊणं च, विहिपुषेणं पुणोऽविय ॥२॥ परमस्थतत्तसारत्वं, सादरणमिमं मुणे। मुणेत्ता तहमालोए (जह आलोयंतो चेव), उप्पए केवलं नाणं ॥३॥ विजेरिसभावत्येहि, नीसल्ला आयोयणा । जेणालो उप्पन्नं तत्थेव केवलं॥४॥ केसिंचि साहेमो नामे, महासत्ताण गोयमा!। जेहिं भावेणालोययंतेहिं, केवलनाण समुप्पाइयं॥५॥हाहा दुळूकडे साहू,हाहा दुट्ठ विचिंतिरे। हाहा दुट्ठ भाणिरे साह.हाहा दटठ मणुमते॥६॥ संवेगालोयगे तहय, भावालोयणकेवली। पयखेबकेवली चेब, महणंतगकेवली तहा ॥७॥ पच्छित्तकेवली सम्म, महावेरग्गकेवली। आलोयणाकेवली वली तहा ॥७॥ पछित्तकवली सम्म, महावेग्गकवली। आलोयणाकेवली तहय, हाऽहं पावित्ति केवली ॥८॥ उम्मत्तम्मम्मपनवए. हाहा 12 अणयारकेवली। सावज न करेमित्ति, अक्खंडियसीलकेवली ॥९॥ तवसंजमवयसंरक्खे, निंदणे गरिहणे तहा। सघतो सीलसंरक्खे, कोडीपच्छित्तएऽविय ॥७०॥ निप्परिकम्मे अकंडूयणे, अणिमिसड़ी य केवली। एगपासिन दो पहरे, तह मुणवयकेवली ॥१॥न सको काउ सामनं, अणसणे ठामि केवली। नवकारकेवली तय, तिवालोयणकेवली ॥२॥ निस्सलकेवली तहय, सहरणकेवली। धनोमित्ति संपुने. सताहंपी किन केवटी ॥३॥ ससाहोऽहं न पारेमि, चलकट्ठपयकेवली । पक्खसुद्धाभिहाणे य, चाउम्मासी य केवली ॥४॥ संवच्छरमहपच्छिते, हा चलं जीवियं तहा। अणिचे खणविद्धंसी, मणुयत्ते केवली तहा ॥५॥ आलोयनिंदवंदियए, घोरपचिटनदुकरे । लक्खो. बसम्गपच्छित्ते, समहियासणकेवली ॥६॥ हस्थोसरणनिवासे य, अदकवलासिकेवली। एगसिस्थगपच्छिते, दसवासे केवली तहा ॥ ७॥ पच्छित्ताढवगे चेव, पच्छितद्वयकेवली। पच्छित्तपरिसमनी य, अट्ठस उकोसकेवली ॥८॥ न सुद्धीवि न पच्छित्ता, ता परं खिप्पकेवली। एग काऊण पच्छित्तं, चीयं न भवे (जहेव) केवली ॥९॥ तं चायरामि पच्छित्तं, जेणागच्छइ केवली। तं चायरामि जेण तवं, सफलं होइ केवली ॥८॥ किं पच्छिनं चरंतोऽहं. चिट्ठ णो तब केवली। जिणाणमाणं ण लंघेऽहं. पाणपरिचयणकेवली ॥१॥ अन्नं होही सरीरं मे, नो वोही चेव केवली। सुलदमिणं सरीरेणं, पावणिहहण केवली ॥२॥ अणाइपावकम्ममलं, निग्रोवेमीह केवली। चीयं तं न समायरिश्र. पमाया केवली तहा ॥३॥ देहे खओव(वओ) सरीरं मे, निजरा भवओ केवली। सरीरस्स संजमं सारं, निकलंक तु केवली ॥४॥ मणसावि खंडिए सीले, पाणे ण धरामि केवली। एवं वइकायजोगेणं, सीलं रक्खे अहं केवली ॥५॥ एवं मया अणादीया, कालाणते पुणो मुणी। केई आलोयणासिद्धे, पच्छित्ता केई गोयमा ! ॥६॥ खंता देता विमुत्ता य, जिइंदी सबभासिणो। छकायसमारंभाउ, विरते तिविहेण उ॥७॥ तिदंडासवसंवरिया. इन्धिकहासंगवजिया। इत्थीसंलापविरया य, अंगोवंगणिरिक्खणा ॥ ८॥ निम्ममत्ता सरीरेवि, अप्पडिबद्धा महासया (यसा)। भीया इस्थिगभवसहीणं, बहुदुक्खाउ भवाउ नहा॥९॥ ता एरिसेणं भावेणं, दायवा आलोयणा। पच्छितंपिय काय. तहा जहा चेव एहिं कयं ॥९॥ न पुणो तहा आलोएयवं, मायाडंभेण फेणई। जह आलोएमाणेण, चेव संसारबुड्ढी भवे ॥१॥ अणंतेऽणाइकालाउ, अत्तकम्मेहि दुम्मई । बहुविकप्पकल्लोले, आलोएंताबी अहो गए॥२॥ गोयम ! केसिंचि नामाई, साहिमो तं निबोधय। जेसालोयणपच्छिते, भावदोसिककलुसिए ॥३॥ ससरले घोरमहं दुक्खं, दुरहिआसं सुदूसहं । अणुहर्वतेवि चिटुंति, पावकम्मे नराहमे ॥४॥ गुरुगासंजमे नाम. साह निबंधसे तहा। दिट्टी. वायाकुसीले य, मणकुसीले तहेव य ॥५॥ मुहमालोयगे तहय, परववएसालोयगे तहा। किं किं चालोयगा तह य, ण किंचालोयगे तहा ॥६॥ अकयालोयणे चेव, जणरंजवणे तहा । नाहं काहामि पच्छितं, हम्मालोयणमेव य॥७॥ मायादंभपवंची य, पुरकडतवचरणकहे। पच्छित्तं नस्थि मे किंचि, न कयालोयणुश्चरे ॥८॥ आसण्णालोयणक्खाइ, लहुपच्छित्तजायगे। अम्हाणालोइयणं चेट्टे, सुहबंधालोयगे तहा॥ ५॥ गुरुपच्छिनाहमसके य. गिलाणालंवर्ण कहे। आरभडालोयगे साहू, सुण्णासुण्णी तहेव य ॥१०० ॥ निच्छिन्नेवि य पच्छित्ते, न काहं तुट्ठिजायगे। रंजवणमेत्त लोगाणं, बायापच्छित्ते वहा ॥१॥ पडिवजणपच्छिते, चिरयालपवेसगे तहा । अणणुट्ठियपायच्छिने, अणभणियऽण्णहायरे तहा ॥२॥ आउट्टीय महापावे, कंदप्पा दप्पे तहा। अजयणासेवणे तह य, सुयासुयपच्छित्ते तहा ॥३॥ दिट्ठपोत्ययपच्छिते, सयंपच्छित्तकप्पगे। एवइयं इत्य पच्छित्तं, पुवालोइयमणुस्सरे॥४॥जाईमयसंकिए चव, कुलमयसंकिए तहा। जातिकुलोभयमयासंके, सुतलाभेस्सिरियसंकिए तहा ॥५॥ तवोमए संकिए चेव, पंडिचमयसंकिए तहा । सकारमयलुद्धे य, गारवसंधूसिए तहा ॥ ६॥ अपुज्जो वाविऽहं जमे, एगजमेव चिंतगे। पाविट्ठापि पावतरे, सकलसचित्तालोयगे ॥७॥ परकहावगे चेव, अविणयालोयगे तहा। अविहीआलोयगे साहू, एवमादी दुरप्पणो ॥८॥अणंतेऽणाइकालेणं, गोयमा! अत्तक्खिया। अहो अहो जाव सत्तमियं, भावदोसकओ गए॥५॥(२७९) १११६ महानिशीथच्छेदसूत्रं अन्सा -१ मुनि दीपरत्सागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोयम ! ते चिट्ठति जे अणादिए ससलिए। नियभावदोससहाणं, भुंजंते विरसं फलं ॥ ११० ॥ चिट्ठइस्संति अज्जावि, तेण सल्लेण सहिए। अनंतंपि अणागयं कालं, तम्हा सह न धारए॥ १११ ॥ खणं मुणित्ति बेमि। गोयम ! समणीण णो संखा जाओ निकलसनीसह विसुद्धसुद्धा निम्मलवयणमाणसाओ अज्झप्पविसोहीए आलोइत्ताण सुपरिफुडं नीसंकं निखिलं निरवयवं नियदुच्चरियमाइयं सङ्कंपि भावसा अहारिहं तवोकम्मं पायच्छिन्नमणुचरित्ताणं निद्रोयपावकम्ममललेवकलंकाओ उत्पन्नदिश्वरकेवलणाणाओ महाणुभागाओ महायसाओ महासत्तसंपन्नाओ सुगहियनामधेयाओ जणंतुत्तमसोक्खमोक्खं पत्ताओ। ६। कासिचि गोयमा ! नामे. पुनभागाण साहिमो जासिमालोयमाणीण, उप्पण्णं समणीण केवलं ॥ ११२ ॥ हाहाहा पावकम्माहं. पावा पावमती अहं पाविद्वाणंपि पावयरा, हाहाहा दुद्धि चिंतिमो ॥३॥ हाहाहा इत्थिभावं मे, ताविह जंमे उबट्टियं । तहावी णं घोरवीरुगं, कई नवसंजम घरं ॥ ४ ॥ अणतपावरासीओ, संमिलियाओ जया भवे। तइया इत्थित्तणं लग्भे, सुद्धं पाषाण कम्मणा ॥ ५ ॥ एगत्यपिंडीभूताणं, समुदये तणुतं तह करेमि जह न पुणो, इत्थीऽहं होमि केवली ॥ ६ ॥ दिट्टीएवि न खंडामि, सीलं हे समणिकेवली। हाहा मणेण मे किंपि अट्टदुइहं विचिंतियं ॥ ७॥ तमालोइत्ता लहुं सुद्धि, गिव्हेऽहं समणिकेवली दठूण मज्झ लावण्णं, रूवं कंतिदित्तिं सिरिं ॥ ८॥ मा णरपयंगाहमा जंतु खयमणसणसमणी य केवली वातं मोनूण नो अ. निमा (च्छि ) यं मह तणु च्छिवे ॥ ९ ॥ उक्कायसमारंभ न करेऽहं समणिकेवली पोग्गलकक्खोरुगुज्झतं णाहिजहणंतरे तहा ॥ १२० ॥ जणणीएवि ण दंसेमि, सुसंगुत्तंगोवंगा समणी य केवली बहुभवंतरकोडीओ, घोरं परंपरं ॥ १ ॥ परितीए सुलदं मे णाणं चारित्तसंजयं । माणुसजम्मं ससंमत्तं, पावकम्मक्खयंकरं ॥ २ ॥ ता सवं भावसतं आलोएमि खणे खणे पायच्छित्तमणुहामि बीयं तं न समारभं ॥ ३ ॥ जेणागच्छद्द पच्छित्तं, वाया मणसाय कम्मुणा पुढविदगागणिवा ऊहरियकायं तहेब य ॥ ४ ॥ जीयकायसमारंभं चितिच उपचिदियाण य मुसापि न भासेमि, ससरक्खपि अदिन्नयं ॥ ५ ॥ न गिन्हं सुमणंतेवि, ण पत्यं मणसावि मेहुणं परिग्गहं न काहामि, मूलत्तरगुणखलणं तहां ॥६॥ मयभयकसायदंडे, गुत्तीसमितिंदिएसु य तह अट्ठारससीलंगसहस्साहिडियतणू ॥ ७॥ सज्झायज्झाणजोगेसुं, अभिरमं समणिकेवली तेलोक्करक्खणक्खंभधम्मतित्थंकरेण जं ॥ ८ ॥ नमहं लिंग धरेमाणा, जव हुजते निवीलिउं । मज्झोमज्झीय दो खंडा, फालिजामि तहेब य ॥ ९ ॥ अह पक्विप्पामि दित्तगिंग, अहवा छिजे जई सिरं । तोऽवीऽहं नियमनयभंगं, सीलचारित्तखंडणं ॥ १३० ॥ मणसावी एकजम्मकए. ण कुणं समणिकेवली । खरुहसाणजाई, सरागा हिंडिया अहं ॥ १ ॥ विकम्मंपि समायरियं, अनंते भवभवंतरे । तमेव खरकम्ममहं पवज्जापट्टिया कुणं ॥ २ ॥ घोरंधयारपायाला जा (जे) णं णो णीहरं पुणो वेदिय हे माणुस जम्मं तं च बहुदुक्खभायणं ॥ ३ ॥ अणिचं खणविद्धंसी, बहुदंडं दोससंकरं । तत्यावि इत्थी संजाया, सयलतेलोकनिंदिया ॥४॥ तहावि पावियं (उं) धम्मं, णिविग्धमणंतराइयं । ताहं तं न विराहामि, पावदोसेण केणई ॥५॥ सिंगाररागसविगार, साहि लार्सन चिट्टियो। पताविदिट्ठीए मोनुं धम्मोवएसगं ॥ ६ ॥ अक्षं पुरिसं न निज्झायं णालवं समणिकेवली । तं तारिसं महापावं, काउं अकणीययं ॥ ७॥ तं समषि उत्पन्नं, जहदत्तालोयणसमणिकेवली एमादिअणतसमजीओ, दाउँ सुदालोयणं निसाडा ॥ ८ ॥ केवलं पप्प सिद्धाओ, अणादिकालेण गोयमा ! खंता दंता विमुत्ताओ, जिइंदिआउ सबभाणिरीओ ॥ ९ ॥ छकायसमारंभा, विरया तिविहेण उ। तिदंडासवसंवृत्ता, पुरिसकहासंगवज्जिया ॥ १४० ॥ पुरिससंलावविरयाओ, पुरिसंगोवंगनिरिक्खणा निम्ममत्ताउ ससरीरे, अप्पडिबढाउ महायसा ॥ १ ॥ भीया यीगन्भक्सहीणं, बहुदुक्खाउ भवसंसरणओ तहा। ता एरिसेणं भावेणं, दायवा आलोयणा ॥ २ ॥ पायच्छितंपि काय, तह जह एयाहिं समणीहिं कयं ण उणं तह आलोएयवं, मायादंभेण केणई ॥ ३ ॥ जह आलोयमाणीणं, पावकम्मवुड्ढी भवे। अणंताणाइकालेणं, मायादंभछम्मदोसेणं ॥ ४ ॥ कवडालोयणं काउं, समणीओ ससाडाओ । आभिओगपरंपरेणं, छट्टियं पुढचं गया ॥ ५॥ कासिंचि गोयमा ! नामे, साहिमो तं निबोधय जाउ आलोयमाणीओ, भावदोसेण सुट्ट्टतरगं पावकम्ममलखवलियं ॥ ६ ॥ नह संजमसीलंगाणं णीसाइतं पसंसियं । तं परमभावविसोहीए. विणा वणपि नो भवे ॥ ७ ॥ तो गोयमा ! केसिमित्यीणं, चित्तविसोही सुनिम्मला । भवंतरेबि नो होही, जेण नीसइया भवे ॥ ८ ॥ छट्ठमदसमदुबालसेहिं सुक्खनि केवि समणीओ तहवि य सरागभावं, णालोयंनी ण छति ॥ ९ ॥ बहुविहविकष्पकाडोलमाला उकलिगाहिणं वियरंतं तेण लक्खेजा, दुखगाह्मण (भव) सागरं ॥ १५०॥ ते कहमालोयणं दंतु, जासि चित्तंपि नो बसे ? सहजा ताणमुदरए. स वंदणीओ खणे खणे ॥ १ ॥ असिणेहपीइपुत्रेण, धम्मज्झाणुलसावियं सीलंगगुणट्ठाणेसु, उत्तमेसुं धरेइ जो ॥ २ ॥ इत्थीबहुबंधणा विमुकं, गिहकलतादिचारगा। सुविसुद्धसुनिम्मलं चित्तं णीसहं सो महायसो ॥ ३॥ दट्टवो बंदणी ओ य, देविंदाणं स उत्तमो दीण ( कय)न्थी सङ्घ परिभूय, विरइद्वाणे जो उत्तमे परे ॥४॥ णालोएमि अहं समणी, दे कहं किंचि साहुणी बहुदो न कहं समणी, जं दिहं समणीहिं तं कहे ||५|| असावज्जकहा समणी, बहुआलंबणा कहा। पमायखामगा समणी, पाविट्टा बलमोडीकहा ॥ ६ ॥ लोगविरुद्धकहा तह य, परववएसालोयणी सुयपच्छित्ता तह य, जायादीमयसंकिया ॥ ७ ॥ मूसागारभीरुया चेव, गारवतियदूसिया तहा। एवमादिअणेगभावदोसवसगा पावसलेहिं पूरिया ॥ ८ ॥ अनंता अपनेण कालसमएण, गोयमा ! अइकतेनं अनंताओ समणीओ, बहुदुक्खावसहं गया ॥ ९॥ गोयमा ! अनंताओ चिति, जाऽणादी सहसलिया। भावदोसेकसडेहिं (भुंजमाणीओ कडुविरसं) घोरुग्गुग्गतरं फलं ॥ १६० ॥ चिट्ठइस्संति अजावि, तेहि सोहि सलिया। अनंतंपि अणागयं कालं, तम्हा सतं सुहममवि, समणी णो धारेजा खणंति ॥ १ ॥ धगधगधगस्स पज्जलिए, जालामालाउले दढं हुयबहेवि महाभीमे. सरीरं इज्झए सुहं ॥ २॥ पयलंतंगाररासीए. एमसि झंप पुणे जले। थलितो सरितो सरियं, जं मरिज्जिउंपि सुकरं ॥ ३॥ संडियस्स सहत्थेहिं. एकेकमंगावयवं जं होमिज्जइ अग्गीए, अणुदियहंपि सुकरं ॥ ४ ॥ सरफरूसतिक्खकरवत्तदंतेहिं फालाविडं लोणूससजियाखारं जं पत्ता ससरीरं अचंतसुकरं जीवंतो सयमवी सकं, सह उत्तारिऊण ण ॥ ५ ॥ जवखारहलिहादिहिं, जं आलिंपे नियं तनुं मयंपि सुकरं छिंदेऊण, सहत्थेणं जो घेते सीसं नियं ॥ ६ ॥ एयंपि सुकरमलीहं, दुकरं तवसंजमं नीस जेण तं भणियं सहो य नियदुक्लिओ ॥ ७ ॥ मायादंभेण पच्छन्नो, तं पायडिउं ण सकए। राया दुच्चरियं पुच्छे अह साहइ देहसनस्सं ॥८॥ सङ्घस्संपि पाएजा उ, नो नियदुच्चरियं कहे राया दुच्चरियं पुच्छे, साह पुहईपि देमि ते ॥ ९ ॥ पुहई रज्जं तणं मने, १११७ महानिशीथच्छेदसूत्रं असणं- १ । 1 मुनि दीपरत्नसागर * Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 नो नियरिय कहे। राया जीयं निकितामि, अह नियदुश्चरियं कह ॥१७॥ पाणेहिंपि खयं जंतो, नियदुचरियं कहेइ नो । सबस्सहरणं च रजं च, पाणेवी परिचएसु णं ॥१॥मयावि जति पायाले. नियदुचरियं कहति नो । जे पावाहम्मबुद्धीया, काउरिसा एगजंमिणो । ते गोवंति सदुचरियं, नो सप्पुरिसा महामती ॥२॥ सप्पुरिसा ते ण वुचंति, जे दाणवईह दुजणे । सप्पुरिसाणं चरिते भणिया, जे निस्साडा तवे रया ॥ ३ ॥ आया अणिच्छमाणोऽवी, पावस हि गोयमा !। णिमिसद्धाणंतगुणिएहि, पूरिजे नियक्खिया ॥४॥ ताइंच झाणसज्झायघोरतवसंजमेण या निभेण अमाएणं, तक्खणं जो समुद्धरे ॥५॥ आलोएनाण णीसाई, निदिउँ गरहिउं दढं। नह चरई पायच्छित्तं, जह सल्लाणमंत करे ॥६॥ अमजम्मपत्ताणं, खेतीभूयाणवी दढ। णिमिसहखणमुत्तेणं, आजम्मेणेव निच्छिओ॥ ७॥ सो सुहडो सो य पुरिसा. सो तवस्सी स पंडिओ। खंतोदतो विमुत्ता य, सहलं नस्सेव जीवियं ॥८॥ सरो य सो सलाहो य, दट्टयो य खणे खणे। जो सुद्धालोयणं देतो. नियदुचरियं कहे फुडे ॥९॥ अत्थेगे गोयमा ! पाणी,जे सहं अदरदियं । माया लज्जा भया मोहा, मुसकारा हियए घरे॥१८०॥ तस्स गुरुतरं दुक्ख. हीणसत्तस्स संजणे। से चित्ते अनाणदोसाओ, णोद्धरं दुक्खिज्जिहं किल ॥१॥ एगधारो दुधारो वा, लोहसलो अणुदिओ। सल्लेग त्थाम जंमेगं, अवा मंसीभवेइ सो॥२॥ पावसालो पुणासखे, तिक्वधारो सुदामणो। बहुभवंतर सवंग, भिंदे कुलिसो गिरी जहा ॥३॥ अत्थेगे गोयमा! पाणी, जे भवसयसाहस्सिए। सज्झायज्झाणजोगेण, घोरतवसंजमेण य॥३॥ सल्लाई उद्धरेऊणं, विरया ना दुक्खकेसओ। पमाया पिउणति उणेहि, पूरिजनी पुणोविय॥४॥ जम्मनरेसु बहुएस, तवसा निहइढकम्मुणो। साहद्धरणस्स सामत्थं, भवंती कहवि जं पुणो ॥५॥ तं सामगि लभित्ताणं, जे पमायवसं गए। ते मुसिए सबभावेणं, काडाणाणं भवे भवे ॥६॥ अत्थेगे गोयमा ! पाणी, जे पमायवसं गए। चरंतेवी तवं घोरं, सई गोति सत्रहा ॥ ७॥णेयं तत्थ वियाणति, जहा किमम्हेहिं गोवियं । जं पंचलोगपालऽप्पा, पंचेंदियाणं च न गोवियं ॥८॥ पंचमहालोगपालेहिं. अप्पा पंचेंदिएहि य। एकारसेहिं एतेहि.जं दिट्ट ससुरासुरे जगे ॥९॥ ता गोयम ! भावदोसेणं, आया वंचिजइ परं। जेणं चउगइसंसारे, हिंडइ सोक्खेहिं बंचिओ ॥१९०॥ एवं नाऊण कायक्वं, निच्छिययियधीरिया। महउत्तिमसत्तकुंतेणं, भिंदेयवा मायारक्खसी ॥१॥ बहवे अजवभावेण, निम्महिऊण अणेगहा। विणयातीअंकुसेण पुणो, माणगइंदं वसीकरे ॥२॥ महबमुसलेण ता चूरे, वीसयरि(स)यं जाव दूरओ । दट्ठणं कोहको(लो)हाही(ई)मयरे निंदे संघडे ॥३॥ कोहो य माणो य अणिग्गहीया, माया य लोभो य पवढमाणा। चत्तारि एए कसिणा कसाया, पोयंति सल्ले सुदुरूबरे बहुं ॥४॥ उसमेण हणे कोहं, माणं मदवया जिणे। मायं चऽजवभावेणं. लोभं संतुट्ठिओ जिणे ॥५॥ एवं निजियकसाए जे, सत्तभयहाणविरहिए। अट्टमयविप्पमुक्के य, देजा सुद्धालोयणं ॥६॥ सुपरिफुडं जहावत्तं, सवं नियक्कियं कहे। णीसंके य असंखुढे, निम्भीए गुरुसंतियं ॥७॥ भूतोवुडगे बाले, जह पलवे उजुए दूरं। अवि उप्पनं तहा सत्रं, आलोय जहट्टियं ॥८॥ जं पायाले पविसित्ता, अंतरजलमंतरेइ वा। कयमह रातोऽधकारे वा, जणणीएवि समं भवे ॥९॥ तं जहवत्तं कहेयचं, सत्रमण्णंपि णिक्खिलं । नियदु कियसक्कियमादी, आलोयंतेहिं गुरुयणे ।।२०।। गुरूवि तित्थयरभणियं, जं पच्छित्तं तहिं कहे। नीसलीभवति तं काउं, जइ परिहरइ असंजमं ॥१॥ असंजमं भन्नई पावं, तं पावमणेगहा मुणे। हिंसा असञ्चं चोरिकं, मेहुणं तह परिग्गहं ॥२॥ सहाइंदियकसाए य, मणवइतणुदंडे तहा । एते पावे अछइडतो, णीसलो णो य णं भवे ॥३॥ हिंसा पुढवादिछम्भेया, अहवा णवदसचोहसहा उ। अहवा अणेगहा णेया, कायभेदंतरेहि णं ॥४॥ हिओवदेसं पमोचूण, सबुत्तमपारमत्थियं। तत्तधम्मस्स सप्रसाई, मुसावायं अणेगहा ॥५॥ उमा - मउपायणेसणया, बायालीसाए तह य। पंचेहिं दोसेहिं दूसियं, जं भंडोवगरणपाणमाहारं, नवकोडीहिं असुद्धं, परिभुंजते भवे तेणो ॥६॥ दिवं कामरईसुहं, तिविहंतिविहेण अहव उरालं। मणसा अज्झवसंतो, अभयारी मुणेयत्रो F॥ नवचंभचेरगुत्ती विराहए जो य साहु समणी पा। दिट्टिमहवा सरागं, पउंजमाणो अइयर बौदिगणणा(प)बमाणअइरितं, धम्मोवगरणं नहा। सकसायकरभावणं, जा वाणी कलुसिया भवे ॥९॥ सावजवइदोसेसं जा पट्टा मुसा मुणे। ससरक्खमवि अदिण्णं, जं गिण्हे तं चोरिकयं ॥२१०॥ मेहुणं करकम्मेणं, सदादीण वियारणे। परिग्गहं जहिं मुच्छा, लोहो कखा ममत्तयं ॥१॥ अणूणोयरियमाकंठ, मुंजे राईभोयणं । सहस्साणिट्ठ इयरस्स, रूबरसगंधफरिसम्स वा ॥२॥ण राग ण प्पदोसं वा, गच्छेजा उ खणं मुणी। कसागस्स व चउकस्स, मणसि विज्झावणं करे ॥३॥ दुढे मणोबईकायादडे णो णं पउंजए। अफासुपाणपरिभोगं, बीयकायसंघट्टणं ॥४॥ अड्डेतो इमे पावे. णोणं णीसालो भवे। एएसिं महंतपावाणं, देहत्वं जाव कत्थई ॥५॥ एकंपि चिट्ठए सुहुमं, णीसल्लो ताच णो भवे। तम्हा आलोयणं दाउं, पायच्छित करेऊणं । एवं निकवडनिभ, नीसङ काउं तवं ॥६॥ जन्थ जत्थोक्जेजा, देवेस माणसेसु वा। तत्थ तत्थुत्तमा जाई. उत्तमा सिद्धिसंपया। लभेजा उत्तम रूर्व, सोहग्ग जर णं नो सिजिमज्जा तकभवे ॥२१७॥ तिमि । महानिसीहसयक्खंधस्स पट दोसो न दायको सुयहरेहि, किंतु जो चेव एयस्स पुवायरिसो आसि तत्थेव कत्थई सिलोगो कत्थई सिलोगद्धं कत्थई पयक्खरं कत्थई अक्खरपंतिया कत्थई पत्तगपुडिया कत्थई वे तिन्नि पत्तगाणि एवमाइ पहुगंथं परिगलियंति 191 निम्मूलुद्धियसलेणं, सबभावेण गोयमा!। झाणे पविसेतु सम्मेयं, पचक्खं पासियवयं ॥१॥ जे सपणी जेवि यासन्नी, भवाभवा उजे जगे। सुहत्थी तिरियमुड्ढाहं. इहमिहार्डति दसदिसि ॥२॥ असन्नी दुबिहे जेए, वियलिंदी एगिदिए। वियले किमिकुंथुमच्छादी, पुढवादी एगिदिए॥३॥ पसुपक्खीमिगा सण्णी, नेरझ्या मणुया नरा । भवाभावि अत्येसु, नीरए उभयवजिए।४। धम्मत्ता जति छायाए, वियलिंदी सिसिराऽऽवयं। होही सोक्खं किलऽम्हाण, ता दुक्खं तस्थवी भवे।५। सुकुमालंग गयताल, खणदाहं सिसिरं खणं । न इमं अहियासेउँ, सकुर्ण एवमादियं ॥ ६॥ मेहुणसंकप्परागाओ, मोहा अण्णाणदोसओ। पुढवादीसु गएगिंदी, ण याणंती दुक्खं सुहं ॥ ७॥ परिवत्तं चऽणतेवि, काले बेईदियत्तणं । केई जीवा ण पार्वती, केई पुणोऽणादियाविय ॥८॥ सीउण्हवायविज्झडिया, मियपसुपक्षीसिरीसिया। सुमिणतेवि न लभंते, ते णिमिसिद्धभंतरं सुहं ॥९॥ खरफरसतिक्खकरवत्ताइएहि, फालिजता खणे खणे। निवसंते नारया नरए, तेसिं सोक्खं कुओ भवे ॥१०॥सुरलोए अमरया सरिसा, सधेसि तस्थिमं दुहं । उवइ(ट्ठि)ए वाहणत्ताए, एगो अपणो तमारहे ॥१॥ समतुल्लपाणिपादेणं, हाहा मे अत्तवेरिणा । माया१११८ महानिशीथच्छेदसूत्र inter0-२ मुनि दीपरत्नसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दंभेण धिद्धिद्धि, परितप्पेदं आया वंचिओ ॥ २ ॥ सुहेसी किसिकंमतं, सेवावाणिज्जसिप्पयं। कुषंताऽहन्निसं मणुया, धृप्पंते एसि कओ सुहं ? ॥ ३ ॥ परघर सिरीए दिट्टाए. एगे उज्झति चालिसे अन्ने अपहुप्पमाणीए, अन्ने खीणाइ लच्छ ॥ ४ ॥ पुन्नेहिं वड्ढमाणेहिं, जसकित्ती लच्छी य बड्ढई। पुन्नेहिं हायमाणेहिं, जसकित्ती लच्छी य खीयई ॥ ५ ॥ वाससाहस्तियं केई, मन्नते एगदिणं (पुणो ) । कालं गर्मेति दुक्खेहिं. मणुया पुन्नेहिं उज्झिया ॥ ६ ॥ संखेवेत्थमिमं भणियं, सङ्केसिं जगजंतुणं । दुक्खं माणुसजाईणं, गोयमा ! जं तं निबोधय ॥७॥ जमणुसमयमणुभवंताणं, सयहा उबेवियाणवि । निश्विन्नाणंपि दुक्खेहिं. वेरम्गं न तहावि भवे ॥ ८ ॥ दुविहं समासओ मणूएस. दुक्खं सारीरमाणसं । घोरं पचंडमहरोहं, तिविहं एकैकं भवे ॥९॥ पोरं जाण मुहुत्तंतं, घोरपयंडंति समयत्रीसामं घोरपयंडमहारोह, अणुसमयमविस्सामगं मुणे ॥ २० ॥ घोरं मणुस्सजाईणं, घोरपयंडं मुणे तिरिच्छीसु। घोरपर्यंडमहारोदं, नारयजीवाण गोयमा ! ॥ १ ॥ माणसं तिविहं जाणे, जहन्नमज्युत्तमं दुहं नन्थि जहनं तिरिच्छाणं, दुहमुकोसं तु नारयं ॥ २ ॥ जं तं जहन्नगं दुक्खं, माणुसं तं दुहा मुणे। सुदुमवायरभेएणं, निविभागे इतरे दुवे ॥ ३ ॥ संमुच्छिमेसुं मणूएयुं, सुडुमं देवेसु वायरं । चवणकाले महिड्ढीणं, आजम्मं अभिजगाणं ॥४॥ सारीरं नत्थि देवाणं, दुक्खेणं माणसेण य। अइवलियं वज्जिमं हिययं सयखंडं जं नवी फुडे ॥ ५॥ णिविभागे य जे भणिए, दोन्नि मज्झत्तमे दुहे । मणुयाणं ते समक्खाए, गम्भवर्द्धतियाण उ ॥ ६ ॥ असंखेयाउमणुयाणं, दुक्खं जाणे विमज्झिमं संखेआउमणुस्साणं तु, दुक्खं चेवुक्कोसगं ॥ ७॥ असोक्खं वेयणा वाही, पीडा दुक्खमणिहुई। अणरागमरई केर्स, एवमादी एगट्टिया बहू ॥ ८॥ सारीरेयरभेदंति, जं भणियं तं पवक्खई सारीरं गोयमा! दुक्खं, सुपरिफुडं तमवधारय ॥ ९ ॥ वालग्गकोडिलक्खमयं, भागमित्तं छिवे धुवे। अचिरअणण्णपदेससरं, कुंथुमणहवित्तिं खणं ॥ ३० ॥ तेणवि करकत्तिसाउं, हिययसु (मु) दसए तणू सीयंती अंगमंगाई गुरु, उवेइ सबसरीरं सम्भंतरं, कंपे थरथरस्स य ॥ १ ॥ कुंथुफरिसियमेत्तस्स, जं सलसलसले तणुं । तमवसं भिन्नसवंगे, कलयलडज्झतमाणसे ॥ २ ॥ चिंतंतो हा किं किमेयं, वाहे गुरुपीडाकरं ? दीहुण्हमुकनीसासे, दुक्खं दुक्खेण नित्यरे ॥३॥ किमेर्य? कियचिरं वाहे ?, कियचिरेणेव णिट्टिही ? कहं वाऽहं विमुचीसं ? इमाउ दुक्खसंकडा ॥ ४ ॥ गच्छं चेहुं सुवं उट्टं, धावं णासं पलामि उ । कं डुगयं ? किं व पक्खोर्ड ?, किं वा पत्थं करेमिऽहं ? ॥ ५ ॥ एवं विग्गवावारतिवोरुदुक्खसंकडे पविट्ठो वार्ड संखेजा, आवलियाओ किलिस्सियं ॥ ६ ॥ मुणेऽहमेस कंडू मे, अण्णहा णो उवस्समे ता एवज्झबसाएणं, गोयम ! निसु सुजं करे ॥ ७ ॥ अह तं कुंयुं बाबाए, जइ णो अन्नत्थ गयं भवे। कंडूयमाणोऽहमित्तादी, अणुघसमाणो किलिस्सए ॥ ८ ॥ जइवा वावजंतं कुंथुं, कंडुयमाणो व इयरहा। तो तं अइरोदज्झाणंमि, पविद्धं णिच्छयओ मुणे ॥ ९ ॥ अह किलमेतउभयण्णे, रोद्दज्झाणेयरस्स उ कंडूयमाणस्स उण देहं, सुदमट्टज्झाणं मुणे ॥ ४० ॥ समज्झे रोज्झाणडो, उकोसं नारगाउयं दुर्भागित्थीपंडतेरिच्छं, अट्टज्झाणो समजिणे ॥१॥ कुंथुपदफरिसजणियाओ, दुक्खाओ उवसमत्थिया । पच्छ हाउफलीभूते जमवत्थंतरं वए ॥ २ ॥ विषण्णमुहलावण्णे, अइदीणा विमणदुम्मणा। सुणे चुण्णे य मूढे से, मंददरदीहनिस्ससे ॥ ३ ॥ अविस्सामदुक्खहेऊहिं, असुहं तेरिच्छनारयं । कम्मं निब्बंधइत्ताणं, भमिही भवपरंपरं ॥ ४ ॥ एवं खओवसमाओ, तं कुंथुवइयरजं दुहं कहकहवि बहुकिलेसेणं, जइ खणमेकं तु उसमे ॥ ५॥ ता महकिलेसमुत्तिन्नं सुहियं से अत्ताणयं मन्नतो पमुइओ हिट्टो, सत्यचित्तो विचिदुई ॥ ६ ॥ चिंतई किल नित्रुओमि अहं, निलियं दुक्खंपि मे कंडुयणादीहिं सयमेव, न मुणे एवं जहा मए ॥ ७ ॥ रोज्झाणगएणं इहं, अट्टज्झाणे तहेब य संवग्गइत्ता उ तं दुक्खं अनंतानंतगुणं कडं ॥ ८ ॥ जं वाणुसमयमणवरयं, जहा राई तहा दिगं । दहमेवाणुभवमाणस्स, वीसामो नो वसे (भवे)ज मो ॥ ९ ॥ खर्णपि नरयतिरिएसु, सागरोवमसंख्या रसरस विलिजए हिययं, जं वा इच्छंतताणवि ॥ ५० ॥ अहवा किं कुंथुजणियाउ, मुक्को सो दुक्खसंकडा खीणटुकम्मसरिसा मो. भवेज जणु मे तेणेव उ ॥ १ ॥ कुंथुमुवलक्खणं इहई, सतं पञ्चक्खं दुक्खदं । अणुभवमाणोवि जं पाणी, ण याणंती तेण वक्खई ॥ २ ॥ अनेवि उ गुरुयरे, दुक्खे सङ्केसि संसारिणं सामने गोयमा ! ता किं तस्स ते णोदए गए ? ॥ ३ ॥ हण मरहं जम्मजम्मेसुं वायावि उ केइ भाणिरे। तमवीह जं फलं देजा, पार्व कम्मं पवृजयं ॥ ४॥ तस्सुदया बहुभवग्गणे, जत्थ जत्थोववज्जइ । तत्थ तत्थ स हम्मंतो, मारितो भमे सया ॥ ५ ॥ जे पुण अंगउवंगं वा, अक्खि कण्णं च णासियं । कडिअडिपट्टिभंगं वा, कीडपयंगाइपाणिणं ॥६॥ कथं वा कारियं वावि, कर्जतं वाऽह अणुमयं । तस्सुया चकनालिवहे. पीलीही सो तिले जहा ॥ ७॥ इकं वा णो दुवे तिण्णि, बीस तीसं न पाविय संखेजे 'वा भवग्गणे, लभते दुक्ख परंपरं ॥ ८ ॥ अस्या मुसाऽनिट्टवयणं, जं पमायअन्नाणदोसओ कंदप्पनाहवाएणं, अभिनिवेसेण वा पुरो ( णो ) ॥९॥ भणियं भणाचियं वावि, भन्नमाणं च अणुमयं । कोहा लोहा भया हासा, तस्मुदया एवं भवे ॥ ६० ॥ मूगो पूइमुही मुक्खो, कलबिललो भवे भवे। बिहलवाणी सुयट्टोवि, सवत्थऽभक्खणं लभे ॥ १ ॥ अवितह भणियं नु तं सवं, अलियवयपि नालियं । जं छज्जीवनियायहियं निदोसं सवं तयं ॥ २ ॥ एवं चोरिकादिफलं सङ्घ, कम्मारंभं किसादियं । उद्धस्सावि भवे हाणी, अन्नजम्मकया इहं ॥ ३ ॥ एवं मेहुणदोसेणं, वेदित्ता थावरत्तणं केसि णमणंतकालाउ, माणुसजोणी समागया ॥ ४॥ दुक्खं जर्रति आहार, अहियं सित्यंपि भुंजियं। पीडं करेइ सितु, तण्हा वाहि (बाहे) खणे खणे ॥ ५॥ अद्धाणं मरणं तेसिं, बहुजप्पं कट्टासणं धाणुवालं णिविन्नाणं, निहाए जंति णो वणिं ॥६॥ एवं परिग्गहारंभदोसेणं नरगाउयं । तेत्तीससागरुक्कोसं वेत्ता इहमागया ॥ ७॥ छुहाए पीडि जति तत्तभुत्नुत्तरेऽविय। वरंता हत्तिसंतति, नो गच्छती पवसे जहा ॥ ८ ॥ कोहादीणं तु दोसेणं, घोरमासीविसत्तणं बेइत्ता नारयं भूओ, रोदमिच्छा भवंति ते ॥ ९ ॥ दढकूडकवडनियडीए, ढंभाओ सुइरं गुरुं । बेइत्ता चित्ततेरितं. माणुसजोगि समागया ॥ ७० ॥ केई बहुबाहिरोगाणं, दुक्खसोगाण भायणं । दारिद्दकलहमभिभूया, खिंसणिजा भवति ॥ १ ॥ तकम्मोदयदोसेणं, निचं पज्जलियोंदिणं ईसाविसायजालाहिं, धगधगधगधगस्त (य) ॥ २ ॥ जेमंपि गोयमा वाले, बहुदुहसंधुक्कियाण य। तेसिं दुश्चरियदोसो, कस्स रूसंतु ते इह ? ॥३॥ एवं वयनियमभंगेणं, सीलस्स उ खंडणेण वा असंजमपवत्तणया, उस्सुत्तमग्गायरणा ||४|| णेगेहिं वितहा यरणेहिं, पमायासेवणाहि य। मणे अहवा बायाए, अहवा कारण कत्थई, कयकारगाणुमएहिं वा, पमायासेवणेण य ॥ ५ ॥ तिविणमणिदियमगरहियमणा लोइयमपडितमकयपायच्छित्तमविसुद्धसयदोसउ ससले आमगन्भेसुं पच्चिय अणतसो वियलंते १११९ महानिशीथच्छेदसूत्रं असणं- २ 1 मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8 दुतियचउपचछह मासाणं असंबद्धट्टी करसिरचरणछवी।। लदेवि माणुसे जम्मे, कुडादीवाहिसंजुए। जीवंते चेव किमिएहि, खजंती मच्छियाहि य, अणुदियह खंडखंडेहि, सडं हडस्स सड़े तणु ॥६॥ एवमादीदुक्खाभिभूयए, पलजणिजे खिसणिजे, निंदणिज्जे गरहणिजे, उबेयणिज्जे अपरिभोगे, नियमुहिसयणबंधवाणंपि भवतीति दुरप्पणो ॥७॥ अज्झवसायविसेसं तं, पटुच्चा केइ नारिसं। अकामनिज्जराए उ, भूयपिसायत्तणं लभते ॥८॥ पुत्रसस्टस्स दोसेणं, बहुभवंतरछाइणो। अज्झवसायविसेस तं, पडुचा केई तारिस ॥९॥ दसमुचि दिसासु उडुडो, निश्चदूरप्पिए दर्द। णिरुत्थाहनिरुस्सासो, निराहारेण पाणए॥८॥ संपिडियंगमंगो य, मोहमदिराए घुम्मारिए। अदिदठुग्गमण - अस्थमणे, भये पुढपीए गोलया किमी ॥१॥ भवकायट्टितीए वेएत्ता, तं तहिं किमियत्तणं। जइ कहवि लहति मणुयत्नं, तो उ तो हुंति णपुंसगे ॥२॥ अज्झवसायविसेसं तं, पबहते अइकूरचारकई । तारिसेवं महसंधुकिया, मरितुं जम्म जति वणस्सई ॥३॥ वणस्सइं गए जीवे, उद्धपाए अहोमुहे। विचिट्ठति अर्णतयं कालं, नोलभे बेइंदियत्तणं ॥४॥ भवकायट्टितीए वेएत्ता, तमेगचिनिचउरिदियत्तणं। तं पुत्रसालदोसेणं, नेरिच्छेसूववजिउं ॥५॥ जइणं भवे महामच्छे, पक्खीवसहसीहादओ। अज्झवसायविसेस तं, पडुच अञ्चंतकरयरं ॥६॥ कुणिममाहारत्नाए, पंचेंदियवहेण य। अहो अहो पविस्संति, जाव पुढवी उसत्तमा ॥७॥ तं तारिसं महाघोरं, दुक्खमणुभविउं चिरं। पुणोवि कुरतिरिएसु, उववजिय नरयं वए ॥८॥ एवं नरयतिरिच्छेसुं, परिय€तो विचिट्टई । वासकोडीएवि नो सक्का कहिडं, जंतं दुक्खं अणुभवमाणगे ॥९॥ अह खरुद्दथइण्डेसुं, भवेजा तब्भवंतरे। सगडाइट्टा(यड्ढ)णभरुबणखुतुण्हसीयायर्ष ॥९०॥ यहचंधणंकणणासाभेदणिाचणं तहा। जमलाराईहिं कुचाहिं कुचिजताण य, जहा राई तहा दियह, सबद्धा उसुदारुणं ॥१॥ एवमादीदुक्खसंघट्ट, अणुहवंति चिरेण उ । पाणे य एहिति कहकहवि, अहज्झाणदुहहिए ॥२॥ अजमवसायविसेसं तं, पडुचा केइ कहवि लभते माणुसत्तणं। सप्पुवसाउदोसेणं, माणुसत्तेवि आगया ॥३॥ भवंति जम्मदारिदा, वाहीखसपामपरिगया। एवं अदिहकाडाणे, सधजणस्स सिरि हाइउं॥४॥ संतापते दढं मणसा, अकयभवे णिहर्ण वए। अज्झवसायविसेसं तं, पहुचा केइ तारिस ॥५॥ पुणोवि पुढविमाईसुं, भमंती ते दुतिचउरोपचं दिएसु वा। तं तारिसं महादुक्खं, सुरुदं घोरदारुणं ॥६॥ चउगइसंसारकतारे, अणुभवमाणे सुदूसहं । भवकायहितीए हिंडते, सबजोणीसु गोयमा ! |आचिट्ठति संसरेमाणा जम्ममरणबहुवाहिवेयणारोगसोगदालिदकलहब्भक्खाणसंभवि(वावि)गम्भव सादिदुक्खसंधुकिए नप्पूचसाउदोसेणं निशाणाणंदमहसवथामजोग्गअट्ठारससीलंगसहस्साहिट्ठियस्स सवासुहपावकम्मट्टरासिनिदहणअहिंसालक्खणसमणधम्मस्स बोहिं णो पातिति ।२। 'अज्झवसायविसेसं तं, पडु(मु)चा केई तारिस । पोग्गलपरियट्टलक्खेसुं, बोहि कहकहवि पावए।॥८॥ एवं सुलहं बोहि, सबद खखयंकरं । लदूर्ण जे पमाएजा, तहुत्तं सो पुणो वए ॥९॥ तासुं तासुं च जोणीसुं, पुवुनेण कमेण उ। पयेणं तेणई चेव, दुक्खे ते चेव अणुभवे॥१०॥ एवं भवकायट्रितीए, सबभावेहिं पोग्गले । सो सपज्जए लोए, सब्बवन्तरेहि य॥१॥ गंधत्ताए रसत्ताए, फासत्ताए संठाणत्ताए । परिणामेत्ता सरीरेणं, बोहिं पाविज वा ण वा ॥२॥ एवं वयनियमभंग, जे कज्जमाणमुवेक्खए । अह सीलं खंडिजतं, अहवा संजमविराहणं ॥३॥ उम्मग्गपवत्तणं वावि, उस्सुत्तायरणंपि वा। सोऽविय अणंतरुत्तेण, कमेणं चउगई भवे(मे)॥४|| रुसउ तुसओ परो मा वा, विसं वा परियत्तओ।भासियवाहिया भासा, सपक्खगुणकारिया ॥५॥ एवं लद्धामपि बोहिं, जहणं तो भवइ निम्मला। ना संवडासबदारे (पगइठिइपएसाणुभावियबंधो) नेहो सो नो य निजरे॥६॥ एमादीघोरकम्मट्ठजालेणं कसियाण भो!। सधेसिमवि सत्ताणं, कुओ दुक्खविमोयर्ण ? ॥ ७॥ पुषिं दुकयचिण्णाणं दुष्पटिकताणं निययकम्माणं ण अवे. इयाणं मोक्खो घोरतवेण अज्मोसियाण वा।३। अणुसमयं पञ्च(बन्ध)ए कम्म, णस्थि अबंधो उ पाणिणो। मोनुं सिद्धा यऽजोगी य, सेलेसीसंठिए तहा ॥८॥ सुहं सुहज्झवसाएणं, असुहं दुट्ठझवसायओ। तिपयरेणं तु तिचयर, मंदं मंदेण संचिणे ॥९॥ सधेसि पावयम्माणं एगीभूयाण जेत्तियं रासिं भवे तमसंखगुणं वयतवसंजमचारित्तखंडणविराहणेणं उस्सुत्तमम्गपन्नवणपवत्तणआयरणोवेक्खणण य समजिणे । ४। 'अपरिमाणगुरुतुंगा, महंती घणनिरंतरा। पावरासी खयं गच्छे, जहा तं सो बाहि(वा हिय)मायरे॥११०॥ आसबदारे निरूभित्ता, अप्पमादी भवे जया। पंधिमप्पं बहुं वेदे, जइ सम्मत्तं सुनिम्मलं ॥१॥ आसवदारे निरुभेत्ता, आणं नो खंडए जया। दसणनाणचरितेसं, उज्जुनो जो दढं भवे ॥२॥ तया वेए खर्ण पंधि, पोराणं सचं खये । अणुइण्णमवि उईरिता, निजियघोरपरिसहो ॥३॥ आसवदारे निरंभित्ता, सबासायणविरहिओ। समायझाणजोगेसुं, धीरवीर नवे रओ ॥४॥ पालिज्जा संजमं कसिण, वाया मणसा उ कम्मुणा । जया नया ण पंधिज्जा, उक्कोसमर्णतं च निजरे ॥५॥ सवावस्सगमुजुत्तो, सबालंचणविरहिओ। विमुक्को सवसंगेहिं. सबझभतरेहि य ॥६॥ गयरागदोसमोहे य, निन्नियाणो भवे जया। नियत्नो विसयतत्तीए, भीए गम्भपरंपरा ॥ ७॥ आसवदारे निमित्ता, खंतादी यमेवि संठिए । सुकमाणं समारुहिय, सेलेसिं पहिवज्जए॥८॥ तया न बंधए किंचि, चिरबदं असेसंपि निदहिय झाणजोगअम्गीए भसमीकरे ददं लहुपंचक्खरुमिारणमित्तेण कालेण भवोवग्गाहियं । ५। एवं-'जीववीरियसामत्था, पारंपरएण गोयमा!। पविमुक्तकम्ममलकवया, समएणं जंति पाणिणो॥९॥सासयसोक्खमणाचाहं, रोगजरमरणविरहियं । अदिट्ठदुक्खदारिद, निचाणंदं सिवालयं ॥१२० ॥ अस्थेगे गोयमा ! पाणी, जे एयमणुपवेसिय। आसवदारनिरोहादी, इयराहयसोक्खं चरे ॥१॥ ता जाप कसिणट्ठकम्माणि, घोरतवसंजमेण उ । णो णिहढे सुहं ताव, नस्थि सिविणेऽवि पाणिणं ॥२॥ दुक्खमेवमविस्सामं, सोसिं जगजंतृणं । एकसमयं न समभावे, जं सम्मं अहियासियंतरे ॥३॥ थेवमवि थेवतरं, घेवयरस्साबि येवयं । जेणं गोयमा ! ता पेच्छ, कुंथु तस्सेव य णं तणू ॥४॥ पायतलेसु न तस्सावि, तेसिमेगदेसमणु । फरिसंतो कुंथु जेणं, चरई कस्सइ सरीरगे ॥५॥ कुंथुणं सयसहस्सेणं, तोलियं णो पलं भवे। एगस्स कित्तिय गत्तं ?, किंवा तुण्डं भवेज से ? ॥६॥ तस्स य पाययलदेसेणं, तस्स फरिसिउ तमवत्यंतरं । पुत्तं गोयमा ! गच्छे, पाणी ताणं इम मणे॥७॥ भमंतसंचरंतो य, हिंडिणो मइले तण। न करे कुंथूखयं ताणं, णियवासी य चिरं वसे ॥८॥ अह चिट्टे खणमेगं तु, पीयं नो परिवसे खणं । अह बीयपि विरत्तेज्जा, ता जुजउऽयं तु गोयमा ! ॥९॥ रागेणं नो पओसेणं, मच्छरेणं न केणई। न यावि पुत्ववेरेणं, खेड्डातो कामकारओ॥१३०॥ कुंथू कस्सइ देहिस्स, आरहेइ खर्ण तणु । वियलिंदी भूण पाणे वा, जलंतरिंग बावी विसे ॥१॥न चिते तं जहा मेस, पुषवेरीऽहवा मुही।ता किंची मम (ह)पावं वा. संजणेमि एयस्सऽहं ॥२॥ पुत्रकडपावकम्मस्स, विरामे पूंजतो फले । तिरिउड्ढाहदिसाणुदिसं, कुंथू हिंडे वराय से ॥३॥ चरते व महावाए, सारीरं दुक्खमाणसं । कुंथूवि दूसह जत्ते, रोहट्टज्झाणवड्ढणं ॥४॥ (२८०) |११२० महानिशीधच्छेदसूत्रं, अन्यार मुनि दीपरत्नसागर Radhebatta Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2R ना समारभेनाण. मणजोगन्नयरेण वा। समयावलियमुहत्तं वा, सहसा तम्स विवागयं ॥ ५॥ कह सहिहं बहुभवग्गहणे. दुहमणुसमयमहष्णिसं । घोरपयंडं व महारोह ?. हाहाऽऽकंदपरायणा ॥६॥ नारयतिरिच्छजोणीसु, अन्झा - (ना)णासरणोऽविय। एगागी ससरीरेणं, असहाया कडु विरसं घणं ॥७॥ असिवणवेयरणीजंते, करवत्ते कूडसामलि । कुंभीयवायसा सीह, एमादी नारए दुहे ॥८॥णथंकणवहबंधे य, पाड़कंतविकतणं । सगडाकडढणभरुवहणं, जमला य नहा छुहा ॥९॥ खरखुरचमढणसत्यम्गीखोभणंजणमाइए। परयत्नाऽवसणिनिंसे, दुक्खे नेरिच्छे तहा ॥१४० ॥ कुंथूपयफरिसजणयंपि. दुक्खं नऽहियासिउं तरे। ना नं महदुक्खसंघट्ट. कह नित्थरिहि सुदारुण? ॥१॥नारयरिच्छदुक्खाउ, कुंथुजणियाउ अंतरं। मंदरगिरिअणंतगुणियस्स, परमाणुस्सावि नो घडे॥शा चिरयाले संमुहं पाणी, कखतो आसाए निच(च्छि)ओ। भवे दुक्खमईयंपि. सरंतोऽचंतदुक्खिओ॥३॥बहुदुक्खसंकडठूत्थआवयालकरखपरिगए। संसारे परिवसे पाणी. अयंडे महुबिंदु जहा ॥४॥ पत्थापत्थं अयाणते, कज्जाकजं हियाहियं । सञ्चासश्चमसचं च, चरणिजाचरणिज तहा ॥५॥ एवइयं वइयरं सोचा. दुक्खस्संतगवेसिणो । इत्थीपरिम्गहारंभे, चेजा घोरं नवं चरे॥६॥ बियासणत्या सयिया परंमुही, सुयलंकरिया वा अनलंकिया वा। तिरिक्खमाणोपमया हि दुचलं, मणुस्समालेहगयावि करिसई ॥७॥ चित्तमिति न निज्झाए. नारिं वा सुयकिय । भक्खरंपिव दट्टणं, दिट्टि पडिसमाहरे ॥८॥ हत्यपायपडिच्छिन्नं, कन्ननासोट्ठवियप्पियं। सड़माणी कुटुवाहीए. (तमवित्यीयं दूरयरेणं) बंभयारी विवजए॥९॥थेरभजा य जा इत्थी, पचंगुन्भडजोवणा । जुनकुमारि पउत्थवइयं, बालविहवं नहेब य॥१५॥ अतेउरवासिणी चेव. सपरपासंडसंसियं । दिक्खियं साहुणीं वावि, वेसं तय नपुंसगं ॥१॥ कहि गोणि खरिं चेच. बडवं अविलं अवि तहा । सिप्पित्थिं पंसुलिं वावि. जमरोगमहिलं तहा ॥२॥ चिरसंसट्ठमविलक्वं, पमादी पाविस्थिओ। पगमंती जत्य रयणीए, अइपहरिके दिणस्स वा ॥३॥ तं वसहियं संनिवेसं वा, सबोवाएहिं सत्रहा। दूरयर सुदुरदुरेणं, भयारी विवजए॥४॥ एएसि सदि संलावं, अद्धाणं वावि गोयमा! । अन्नासु वावि इन्थीसु.17. खणदपि विवजए॥१५५। से भय ! किमित्थीयंणो णं णिज्झाएजा?, गोयमा! णो णं णिज्झाएजा, से भयवं ! किं मुणियत्यं वत्यालंकरियविहसियं इत्थीयं नो णं निज्झाएजा उयाहूर्ण विणियंसणि?. गोयमा उभयहाविणं णो णं णिजझाएना. से भयवं ! किमित्यीयं नो आलवेजा?, गोयमा ! नो णं आलवेजा, से भयवं ! किमित्थीसु सदि खणदमवि णो संवसेजा ?. गोयमा ! नो णं संबसिजा. से भयवं! किमियीसु सद्धिं नो अदाणं पडियजेजा. एगे बंभयारी एगिन्थीए सदिं नो पडिक्जेजा।६। से भय केणं अटेणं एवं वुच्चइ-जहा णं नो इत्थीणं निझाएजा नो णमालवेता नो णं नीए सद्धिं परिवसेजा नो णं अदाणं पडिवजेजा?, गोयमा ! सत्रपयारेहि णं सविन्थीयं अनन्धं गाउकडनाए रागेणं संधुक्किनमाणी कामम्गीए संपलित्ता सहावओ चेव विसएहिं बाहिज्जइ, तओ सवप्पयारेहिं णं चाहिज्जमाणी अणुसमय सबदिसिविदिसामु णं सबस्य विसए पन्थिजा. जाच णं सम्बन्ध विसए पन्धिजा नाव ण सम्बन्ध पयाराहणं सवहावि पारस सकप्पज्जा.जावण पुरिस सकप्पज्जा ताव ण साहादआवआगत्ताएचक्खादिआ वणं साइदिओवओगत्ताए चक्खुरिदिओवओगत्ताए रसणिदिओवओगत्ताए घाणिदिओवओगनाए फासिंदिओवओगनाए जत्थ ण केई परिसे | कंतरूवेइ वा अनरूवेइ वा पप्पन्नजोवणेइ वा अपडापनजोव्यणेइ वा दिवपुवेइ वा अदिट्टपुवेइ वा इढिमतेइ वा अणिढिमतेइ वा इढिपत्तेइ वा अणिढिपनेइ वा विसयाउरेइ वा निविनकामभोगेइ वा उदयबोंदीएडवा अणुदयबोंदीएइ वा महासत्तेन वा हीणसत्तेइ वा महापुरिसेड वा कापुरिसेइ वा समणेइ वा माहणेइ वा अन्नयरे वा निंदियाहमहीणजाइए वा तत्थ णं हापोहवीमंसं पउंजिनाणं संजोगसंपनि परिकापेज्जा, जाव णं संजोगसंपनि परिकप्पज्जा ताव णं से चिने संखुदे भवेजा, जाव णं से चिने संखुद्धे भवेजा ताव णं से चित्ते विसंवएजा, जावणं से चिने विसंवएज्जा नाव णं से देहे सेएणं अद्धासेना, जाच णं से देहे सेएणं अदासेजा ताव णं से दरविदरे इहपरलो. गावाए पम्हसेजा, जाव णं से दरविदरे इहपरलोगावाए पम्हुसेजा तावणं चेचा लज भयं अयसं अकित्ति मेरे उबट्टाणाओ णीयट्ठाणं ठाएजा, जावणं उचट्टाणाओनीयट्ठाणं ठाएजा नावणं वचेजा असंखेजाओ समयावलियाओ, जावणं निजति असंखेजाओ समयावलियाओ ताव णं जं पढमसमयाओ कम्मट्टिइयं नं चीयसमयं पडुच तइयादियाण समयाणं संखेनं असंखेजं अणनं वा अणुक्रमसो कम्मठिई संचिणिज्जा. जाप णं अणुकमसो अणंतकम्मदिई संचिणइ नाव णं असंखेजाई अवसप्पिणीकोडिलक्खाई जावइएणं कालेणं परिवत्तंति तावइयं कालं दोसुं चेव निरयनिरिन्छासु गतीसुंउकोसडियं कर्म आसंकलेजा. जायणं उकोसठिनियं कम्ममासंकलेजा नावणं से विवपणजनिविवण्णकतिविचलियलायण्णसिरीयं निचट्ठदित्तितेयं चोंदी भवेज्जा, जाव णं चुयकंतिलावण्णसिरीयं णिनेयंचाँदी भवेजा नावणं से सीइजा फरिसिदिए. जावणं सीएजा फरिसिदिए नाप णं सब्बहा विवढेजा सम्बन्ध चम्स - रागे. जायणं सबन्ध विवडेजा चक्रागे ताव णं रागारुणे नयणजुयले भवेजा, जाव णं रागारुणे नयणजुयले भवेजा ताव णं रागंधत्ताए ण गणेजा सुमहंतगुरुदोसे वयभंगे न गणेजा मुमहनगुरुदोसे नियमभंगे न गणेजा सुमहं. तघोरपावकम्मसमायरणं सीलखंडणं न गणेजा सुमहंतसव्वगुरुपाचकम्मसमायरणं संजमविराहणं न गणेजा घोरंधयारपरटोगदुक्खभयं न गणेज्जा आयं न गणेजा सकम्मगुणाणगं न गणेजा समुरासुरम्साचि णं जगम्स अलंघ. णि आणं न गणेजा अर्णतहुत्तो चुलसीइजोणिलक्खपरिवत्तगच्भपरंपरं अलद्धणिमिसदसोक्खं चउगइसंसारदुक्खंण पासिजा ज पासणिज पासेजा ज अपासणिज सब्वजणसमूहमज्झसंनिविलुट्ठिया णिवनचकमियनिरिक्खिजमाणी वा दिपंतकिरणजालदसदिसीपयासियतवंततेयरासी सूरीएवि तहाविणं पासेजा सुनंधयारे सम्बदिसाभाए, जावणं रागंधत्ताएण गणेजा सुमहागुरुदोसवयभंगे सीलखंडणे संयमविराहणे परलोगभए आणाभंगाइकमे अणं. तसंसारभए पासेजा अपासणिजे सव्वजणपयडदिणयरेवि णं मन्नेजा सुन्नधयारे सवे दिसाभाए ताव णं भवेज्जा अचंतनिभद्रुसोहम्गाइसए. विच्छाए रागारुणपंडुरे दुईसणिजे अणिरिक्खणिजे क्यणकमले भवेजा, जावं च णं अचंतनिभट्ठ जाव भवेजा ताव णं फुरुफुरेजा सणियं सणियं पोंडुपुडनियंववच्छोरहबाहुलइउरकंठपएसे, जाव णं फुरुफुरैति पांडपुडनियंचवछोरुहबाहुवलयउरकंठप्पएसे ताव णं मोट्टायमाणी अंगपाडियाहिं निरुबलकखे वा सोवलक्खे वा भंजेजा सवंगोवंगे, जाव णं मोट्टायमाणी अंगपालियाहिं भजेजा सबंगोवंगे ताव णं मयणसरसन्निवाएणं जजरियसंभिन्ने(निभेसवे रोमकूवे नणू भवेजा. जाव णं मयणसरसन्निवाएणं विद्धंसिए बोंदी भवेजा नाच णं ११२१ महानिशीधच्छेद अन्सयर मुनि दीपरत्नसागर 324 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वहा परिणमेजा तणू जहा णं मणगं पयलंति धातूओ, जाव णं मणर्ग पयलंति धातूओ तावणं अचत्यं चाहिजति पोग्गलनियंबोरुबाहुलझ्याओ, जाव णं अञ्चत्वं वाहिजा नियंव ताव णं दुकखणं घरेजा गत्तयवि. जाव णं दुकखेणं घरेजा गत्तयट्टि तावणं से णोवलकखेजा अनीयं सरीराबत्यं, जाच णं णोचलखेजा अत्तीयं सरीरावत्थं तावणं दुवालसेहिंसमएहिं दरनिचिट्ठं भवे चोंदी,जावणं दुवालसहिं दरनिचिट्टे बोंदि भवेजा ताबणं पडिखळेजा से ऊसासनीसासे, जाव णं पडिखलेजा उस्सासनीसासे तावणं मंद मंद ऊससेजा मंद मंदं नीससेजा,जाव णं एयाई इलियाहं भावंतरअवत्वंतराई विहारज्जा तावणं जहा गहग्वत्थे केइ पुरिसेइ वा इस्थिएइ वा विसंतुलाए पिसायाए भारतीए असंबद संलवियं विसंतुलं ने अचंतं उल्लविजा एवं सिया णं इत्थीर्य, विसमावत्तमोहणमम्मणालावेणं पुरिसे दिट्टपुत्रेइ वा अदिट्ठपुवेइ वा कंतरूवेइ वा अर्कतरुवेइ वा गयजोधणेइ वा पटुप्पणजोत्रणेइ वा महासत्तेइ वा हीणसनेइ वा सप्पुरिसेह या जाव णं अनयरे वा केई निदियाहमहीणजाइए या अज्झन्थेणं ससज्झसेणं आमंतेमाणी उलावेजा, जाव णं संखेजभेदभिशेणं सरागेणं सरेणं विट्ठीए वा पुरिसे उाढावेजा निझाएजा नाव णं ज ने असंखेजाई अवस-1 प्पिणी उस्सप्पिणीकोडिलक्खाई दोसुं नरयतिरिच्छासु गतीसं उकोसद्वितीय कम्मं आसंकलियं आसि तं निबंधिजा, नो णं बद्धपुटुं करेजा, सेऽवि र्ण जंसमयं पुरिसस्स णं सरीरावयवफरिसणाभिमुहे भवेजा णो णं फरिसेजा तंसमयं वनं कम्महि पदपुढे करेजा. नो णं पदपुट्ठनिकायंति। एयावसरम्मि उ गोयमा! संजोगेणं संजुजेजा, सेऽविणं संजोए पुरिसायत्ते, पुरिसेऽवि णं जे णं ण संजुजे से धन्ने जे णं संजुजे से अधण्णे।टा से भयवं : केणं अटेणं एवं बुबइ जहा पुरिसेवि ण जेणं न संजुजे से धन्ने जेणं संजुजे से णं अधन्ने?, गोयमा! जे णं से तीए इत्थीए पाबाए बद्धपुट्टकम्महिई चिट्टइ से णं पुरिससंगणं निकाइजइ, नेणं तु पदपुट्टनिकाइएणं कम्मेणं सा वराई नं नारिस अनमवसायं पहुंचा एगिदियनाए पुढवादीसं गया समाणी अणंतकालपरियट्टेणयि णं णो पावेजा बेइंदियत्तणं, एवं कहकहवि बहुकेसेण अणंतकालाओ एगिदियनणं खपिय बेईदियनं तेइंदियनं चाउरिदियनमवि केसेणं बेयइना पंचेंदियत्नणं आगया समाणी दुम्भगित्थियं पंडतेरिच्छं वेयमाणी हाहाभूयकट्ठसरणा सिविणेवि अदिट्टसोक्खा निचं संतावेविया सुहिसयणधवविवजिया आजम्मं कुच्छणिजं गरहणिज निंदणिज खिसणिजं बहुकम्मंतेहि अणेगचाडुसएहि लदोदरभरणा सबलोगपरिभूया चउगईए संसरेजा, अन्नं च णं गोयमा! जावइयं वीए पावइत्थीए बद्धपुट्ठनिकाइयं कम्मट्टिइयं समजिय नावइयं इथियं अमिलसिउकामे पुरिसे उकिट्ठकिट्ठयर अणतं कम्मटिइं पद्धपुट्ठनिकाइयं समजिणिजा. एतेणं अट्टेणं गोयमा ! एवं वुचइ जहा णं पुरिसेऽविणं जेणं नो संजुज्जे से णं धन्ने जेणं संजुजे सेणं अधन्ने। भय :(केसणं) पुरिसेसणं पुच्छा जाय गं बयासी ?. गोयमा ! उबिहे पुरिसे नेये, तंजहा अहमाहमे अहमे विमज्झिमे उत्तमे उत्तमुत्तमे सत्रुत्तमे।१०। तत्थ णं जे सत्रुत्तमे पुरिसे से णं पञ्चंगुब्भडजोवणसत्रुत्तमरूवलावण्णकतिकलियाएवि इत्थीए नियंबारुढो वाससयपि चेट्टिजा णो ण मणसांविन इंस्थिय अभिलसेजा।११। जेणेतु से उत्तमुत्तमे से णं जइकहवि नुडिनिहाएणं मणसा समयमेकं अभिलसे तहावि चीयसमए मणं संनिरंभिय अत्ताणं निंदेजा गरहेजा.न पुणो बीएणं नजमे इन्धीयं मणसावि 3 अभिलसेजा, जे णं से उत्तमे पुरिसे से णं जइकहवि खणं मुहुत्तं वा इस्थियं कामिजमाणि पेक्खिज्जा तओ मणसा अभिलसेजा जाव णं जाम वा अडजामं वा णो णं इत्थीए समं बिकम्मं समायरेजा।१२। जइणं बंभयारी कयपचक्खाणाभिमाहे, अहा णं नो भयारी नो कयपनक्वाणाभिग्गहे नो णं नियकलने भयणा. ण उणं निवेसु कामेसु अभिलासी भविज्जा, तस्स एयस्स णं गोयमा! अस्थि बंधे, किंतु अर्णनसंसारियनणं नो निबंधिज्जा ।१३। जे णं से विमज्झिमे | से णं नियकलत्तेण सद्धि चिय इमं समायरेजा, णो ण परकलतेणं, एसे य णं जइ पच्छा उग्गभयारी नो भवेजा तो णं अज्झवसायविसेसं तं तारिसमंगीकाऊणं अर्णतसंसारियत्नणे भयणा, जओ ण केई अभिगयजीवाइपयन्ये | भवसत्ते आगमाणुसारेणं सुसाहूर्ण धम्मोबटुंभदाणाई दाणसीलतवभावणामइए चउविहे धम्मसंधे समणुढेजा से णं जइकहबि नियमवयभंग न करेजा नओ णं सायपरंपरएणं सुमाणुसत्नसुदेवत्ताए जाव णं अपरिवडियसम्मने निसम्मेण वा अभिगमेण वा जाच अट्ठारससीलंगसहस्सधारी भवित्ताणं निरुदासबदारे विद्यस्यमले पावयं कम्मं खवेत्ताणं सिज्झिजा । १४॥ जे यणं से अहमे से णं सपरदारासत्तमाणसे अणुसमयं कुरज्झवसायज्झवसियचिन्नेहि सारंभपरिग्गहाइसु अभिरए भवेज्जा.तहाणं जे य से अहमाहमे से णे महापावकम्मे समाओ इत्थीओ वाया मणसा य कंमुणा तिविहंतिविहेणं अणुसमयमभिलसेज्जा तहा अचंतकरज्झवसायअज्झवसिएहि चिनेहिं सारंभपरिग्गहासने कालं गमेज्जा. एएसिं दोण्हंपिणं गोयमा ! अर्णनसंसारियत्तणं णेयं ।१५। भय ! जे णं से अहमे जेऽविणं से अहमाहमे पुरिसे तेसिं च दोण्हपि अर्णतसंसारिवत्तर्ण समक्खायं नो णं एगे अहमे एगे अहमाहमे एतेसिं दोव्हंपि पुरिसावत्थाणं के पइविसेसे ?, गोयमा! जे णं से अहमपुरिसे से णं जइवि उसपरदारासनमाणसे करज्झवसायज्झवसिएहिं चित्तेहिं सारंभपरिगहासत्तचिने तहाचि णं दिक्खियाहिं साहुणीहिं अन्नयरासु(हिं)च सीलसंरक्खणपोसहोववासनिरयाहि दुक्खियाहिं गारस्थीहिं वा सदि आपरियपिलियामंतिएपि समाणे णो य चियमसमायरेजा. जे य णं से अहमाहमे पुरिसे से णं नियजणणिपभिई जाय णं दिक्खियाहिं साहुणीहिपि समं चियमंसं समायरिजा, तेणं चेव से महापावकम्मे सवाहमाहमे समक्खाए. से णं गोयमा ! पइविसेसे. नहा य जे णं से अहमपुरिसे से णं अणंतेणं कालेणं घोहिं पावेजा, जे य उण से अहमाहमे महापावकारी दिक्खियाहिपि साहुणीहिपि समं चियमंस समायरिजा से णं अर्णतहुनोवि अर्णनसंसारमाहिडिऊणपि बोहि नो पावेजा, एस णं गोयमा ! चितिए पइविसेसे।१६। तत्थ णं जे से सत्तमे से णं छउमस्थवीयरागे णेये, जे ण तु से उत्तमुत्तमे से णं अणिढिपत्नपभिनीए जावणं उवसमगे वा खवए वा नाव णं निओयणीए, जे णं च से उनमे से णं अप्पमत्तसंजए णेए, एवमेएसिं निरूवणा कुजा ।१७ जे उण मिच्छदिट्टी भविऊणं उमगर्वभयारी भवेजा हिसारंभपरिग्गहाईणं विरए से ण मिच्छदिट्टी चेव, णो णं सम्मदिट्ठी, सिं च णं अवेइयजीवाइपयस्थसम्भावाणं गोयमा! नो णं उत्तमले अभिनंदणिजे पर्ससणिजे बा भवइ, जओणं अणंतरभविए दिशोरालिए बिसए पत्थेजा, असंच कयादी तिदिविस्थियादओ संचिक्खिया नओ णं बंभवयाओ परिभसिजा, णियाणकडे वा हवेज्जा ।१८। जे यणं से बिमज्झिमे से णं तारिसमावसायमंगीकिच्चाणं विस्याविरए दो। १९॥ तहा णं जे से अहमे तहा जे णं से अहमाहमे तेसिं तु एगतेणं जहा इत्थीमुं तहाण ११२२ महानिशीथच्छेदसूत्र, अ.700-र मुनि दीपरतसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नेए जाव णं कम्मद्विाय समज्जेज्जा, गवरं पुरिसस्स णं संचिक्खणगेसु वच्छहोवरितलपक्सएसं लिंगे य अहिययरं रागमुष्पज्जे, एवं एते व छ पुरिसविभागे।२०। कासि च इत्थीर्ण गोयमा ! भात्तं सम्मत्तदढतं च अंगी. काऊणं जावणं सव्युत्तमे पुरिसविमागे ताप णं चिंतणिजे, नो णं सदेसिमित्यीणं ।२१। एवं तु गोयमा ! जीए इत्थीए तिकालं पुरिससंजोगसंपत्ती ण संजाया अहा णं पुरिससंजोगसंपत्तीएवि साहीणाए जाव णं तेरसमे चोइसमे पारसमे णं च समए णं पुरिसेणं सविंण संजुत्ता णो चियमंसमायरियं से णं जहा घणकट्ठतणदारुसमिद्धे केइ गामेइ वा नगरेइ वा रमेह वा संपलिते चंडानिलसंधुक्खिए पयलित्ताण २ णिज्झिय २चिरेणं उसमेज्जा एवं तु गं गोयमा ! से इत्थीकामम्मी संपलित्ता समाणी णिज्झिय २ समयचउकेणं उक्समेज्जा, एवं इगवीसइमे बावीसइमे जाव णं सत्ततीसइमे समए, जहा णं पदीवसिहा वावना पुणरवि सयं वा तहाविहेणं चुन्नजोगेण वा पयलेज्जा एवं सा इत्थी पुरिसर्वसणेण वा पुरिसालावगकरिसणेण वा मदेणं कंदप्पेर्ण कामम्गीए पुणरवि उप्पयलेज्जा।२२। एत्थं च गोर नो णं चियमंसं समायरिज्जा से णं धन्ना से णं पुन्ना से य णं बंदा से णं पुज्जा से णं दवा से णं सवलक्षणा से णं सबकल्लाणकारया से णं सब्बुत्तममंगलनिही से णं सुयदेवया से णं सरस्सती से णं अवहुंडी से गं अचुया से णं इंदाणी से णं परमपवित्नुत्तमा सिदी मुत्ती सासया सिवगइत्ति।२३। जमित्वियं तं वेयणं नो अहियासेजा चियमसं समायरेजा से णं अधना से गं अपुण्णा से णं अवंदा से णं अपुजा से णं अदट्ठा से अलक्खणा से गं भग्गालक्खणा से णं सबअमंगलअकालाणभायणा से णं भट्टसीला से णं भट्ठायारा से णं परिभट्ठचारित्ता से णं निंदणीया से णं खिसणिज्जा से णं कुच्छणिज्जा से णं पावा से ण पावपाबा से णं महापावपावा से णं अपविनत्ति, एवं तु गोयमा ! चडुलत्ताए भीरुचाए कायरत्ताए लोलत्ताए उम्मायओवा कंदप्पो वा दप्पओ वा अणप्पवसओवा आउट्टियाए वा जमिस्थियं संजमाओ परिभस्सियं दूरद्धाणे वा गामे वा नगरे वा रायहाणीए वा वेसग्गहर्ण अच्छड्डिय पुरिसेण सद्धि चियमंसमायरेज्जा मुजो२ पुरिसं कामेज्ज वा रमेज्ज वा अहा णं तमेव दोयदियं कज्जमिइ पक्खिप्पेत्ताणं तमाइंचेज्जा, तं चेव आईचमाणी पस्सिया णं उम्मायओ वा दप्पओ वा कंदप्पओ वा अणप्पसओ वा आउट्टियाए वा केइ आयरिएइ वा सामन्नसंजएइ वा रायसंसिएइ वा वायलद्धिजुत्तेइ वा विन्नाणलदिजुत्तेइ वा जुगप्पहाणेइ वा पवयणप्पभावगेइ वा तमित्थियं अन्नं वा रमेज्ज वा कामेज्ज वा अभिलसेज्ज वा भुंजेज्ज वा परिभुजेज्ज वा जाव णं चियमंसमायरेज्जा से णं दुरंतपंतलक्खणे अहन्ने अवंदे अदरे अपस्थिए अपत्ये अपसत्थे अकलाणे अमंगडे निंदणिज्जे गरहणिज्जे खिसणिज्जे कुच्छणिज्जे से णं पावे से णं पावपावे से णं महापावे से णं महापावपावे से णं भट्ठसीले से णं भट्ठायारे से णं निम्भट्ठचारिते महापावकम्मकारी, जया णं पायच्छित्तमभुट्टिना तओ णं मंदतुरंगेणं वइरेणं उत्तमेणं संघयणेणं उत्तमेणं पोस्सेणं उत्तमेणं सत्तेणं उत्तमेणं तत्तपरिनत्तणेणं उत्तमेणं वीरियसामत्येणं उत्तमेणं संवेगेणं उत्तमाए धम्मसदाए उत्तमेणं आउक्खएणं तं पायच्छित्तमणुचरेजा, तेणं तु गोयमा! साहूर्ण महाणुभागाणं अट्ठारसपरिहारहाणाई णव भचेरगुत्तीओ वागरिजंति । २४॥ से भयवं! किं पच्छित्तेणं सुभेजा ?, गोयमा ! अत्येगे जे णं सुज्झेजा, अत्थेगे जेणं नो सुज्झेज्जा, भयवं! केणं अडेणं एवं बुच्चइ-जहाणं गोयमा ! अत्येगे जे णं सुज्झेजा अत्येगे जे णं नो सुज्झिज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगे नियडीपहाणे सढसीले वंकसमायारे से गं ससाढे आलोइत्ताणं ससले चेव पायच्छित्तमणुचरेजा, से णं अविसुद्धसकलुसासए णो मुझेजा, अत्येगे जे णं उज्जुपरडसरलसहावे जहावत्तं णीसल नीसंकं सुपरिफुडं आलोइत्ताणं जहोवइ8 चेव पायच्छि. समणुचेट्ठिजा से णं निम्मलनिकलुसविसुबासए विसुजोजा, एतेणं अटेणं एवं कुचइ जहा गं गोयमा! अत्येगे जे णं नो सुज्झेजा अत्येगे जे णं सुज्झेजा।२५। तहा णं गोयमा! इत्थी य णाम पुरिसाणमहम्माणं सवपावकम्माणं वसुहारा तमस्यपंकखाणी सोग्गइमग्गस्स णं अम्गला नस्यावयारस्स णं समोयरणवत्ती अभुमयं विसकंदलिं अणम्पियं चडुलिं अभोयर्ण विखाइयं अणामियं वाहिं अचेयर्ण मुच्छ अणोवसम्गि मारिं अणियलिं गुनि अरज्जए पासे बहेउए मचू, वहा य गोयमा! इत्यिसंभोगे पुरिसाणं मणसावि अचिंतिणिजे अणजमवसणिज्जे अपत्यणिज्जे अणीहणिज्जे अवियप्पणिज्जे असंकप्पणिज्जे अणमिलसणिज्जे असंभरणिज्जे तिविहंतिविहेणनि, जजो णं इत्थीणं नाम पुरिसस्स गं गोयमा! सबप्पगारेहिपि दुस्साहियं विज्जपिव दोसुप्पायणं सरंभसंजणगंपिव अपृट्टधम्मं खलियचारित्नपिच अणालोइयं अणिंदियं अगरहियं अकयपायच्छित्तज्यवसायं पहुँच अर्णतसंसारपरियहर्ण तुक्खसंदोह कयपायच्छित्तचिसोहियपिच पुणो असंजमायरणं महंतपाचकम्मसंचयं हिंसपिच सयलतेलोकनिंदियं अदिट्टपरलोगपचवायं घोरंधयारणस्यवासो इव णिरंतराणेगदुक्खनिहित्ति, 'अंगपचंगसंठाणं, चारहवियपहियं । इत्थीणं तं न निझाए, कामरागविषड्ढणं ॥१५६॥ तहा य इत्थीको नाम गोयमा ! पलयकालरयणीमिव सबकालं तमोवलित्ताउ भवंति विज्जु इव खणदिट्टनट्ठपेम्माओ भवंति सरणागयचायगो इव एकजंमियाओ तक्मणपसूयजीवंतसुखनियसिसुभक्सीओ इव महापावकम्माओ भवंति खरपवणुचालियलवणोदहीवेलाइव बहुविहविकल्पकलोलमालाहिं खणंपि एगस्थ असंठियमाणसाओ भवंति सयंभुरमणोदहीमिव दुरखमाहकइतवाओ भवंति पवणो इस पडुलसहावाओ भवंति अम्गी इस सबमक्खीओ वाऊ इव सबफरिसाओ तकरो इव परत्थलोलाओ साणो इव दाणमेत्तमित्तीओ मच्छो इव हवपरिचत्तनेहाओ एवमाइअणेगदोसलक्खपडिपुण्णसांगोवंगसम्भंतरचाहिराणं महापावकम्माणं अविणयविसमंजरीणं तत्युप्पन्नअणत्थगच्छपसूईणं इत्थीणं अणवस्यनिझरंतदुग्गंधासुइविलीणकुच्छणिजनिंदणिज्जखिसणिजसवंगोवंगाणं सब्भंतस्वाहिराणं परमत्यओ महासत्ताणं निविनकामभोगाणं गोयमा! सम्वत्तमत्तमपरिसाणं के नाम सयो सुविधायधम्माहम्मे खणमवि अमिलासंगच्छिना।२६। जासिं चणं अभिलसिउकामे परिसे तजोणिसंमच्छिमपंचेंदियाणं एकपसंगेण चेष णवण्हें सयसहस्साणं णियमा उवहवगे भवेजा. तेय अचंतसुहुमत्ताउ मंसचक्सुणो ण पासिया ।२७। एएणं अट्टेणं एवं बुचइ जहा णं गोयमा! णो इत्थीर्य आलवेजा नो संलवेजा नो उत्तवेजा नो इत्थीर्ण अंगोवंगाई संणिरिक्खेजा जाप णं नो इत्थीए सदिंएगे पंभयारी अदाणं पटिक्जेजा ।२८ा से भयव ! किमित्थीए संलावुहावंगोवंगनिरिक्सणं कजेज्जा उयाहु मेहुणे १, गोयमा! उभयमवि, से भयवं! किमित्थिसंजोगसमायरणे मेहुणे परिवज्जिया उयाहुणं बहुविहेसु सचित्ताचित्तवत्युक्सिएम ?? 3 HKT4-fig Hi. Vậeu मुनि दीपरत्नसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मेहुणपरिणामे तिविहंतिविहेणं मणोवनकायजोगेणं साहा सपकालं जावज्जीचाएत्ति?, गोयमा ! सर्व सबहा विवज्जिजा।२९। से भयव ! जे णं कई साहू वासाहुणी वा मेहुणमासेविज्जा से णं बंदेज्जा, गोयमा! जेणं केई साह वा साहुणी वा मेहुणं सयमेव अप्पणा सेवेज्ज वा परेहिं उवइसेत्तुं सेवाविज्जा वा सेविज्जमाणं समणुजाणिज्ज वा दिवं वा माणुसं वा तिरिक्खजोणियं वा जाव णं करकम्माई सचित्ताचित्तवत्थुविसयं वा विविझवसाणं कारिमा. कारिमोषगरणेणं मणसा वा वयसा वा काएण वा से णं समणे वा समणी वा दुरंतपतलक्खणे अदट्टचे अमग्गसमायारे महापावकम्मे णो णं वंदिज्जा णो णं चंदाविज्जा नो णं वंदिज्जमाणं वा समणुजाणेज्जा तिविहंतिविहेणं जावणं विसोहिकालंति, से भयवं! जे बंदेज्जा से किं लभेज्जा ?, गोयमा ! जे तं वंदेज्जा से अट्ठारसहं सीलंगसहस्सधारीणं महाणुभागाणं तित्थयरादीणं महती आसायर्ण कुज्जा, जेणं तित्थयरादीणं आसायणं कुज्जा से गं अज्झवसायं पडुचा जाव णं अणंतसंसारिवत्तणं लभेज्जा।३०। विप्पहिचित्थियं सम्मं, सबहा मेहुणंपिय । अस्थेमे गोयमा! पाणी, जे णो चयइ परिग्गहं ॥७॥ जावइयं गोयमा ! तस्स, सचित्ताचित्तोभयत्तगं। पभूयं वाऽणु जीवस्स, भकेज्जा उ परिम्गहं ॥८॥ तावइएणं तुसो पाणी, ससंगो मोक्खसाणं। णाणाइतिगंण आराहे, तम्हा वज्जे परिग्गहं ॥९॥ अत्येगे गोयमा! पाणी, जे पयहित्ता परिग्गहुँ । आरंभ नो विवज्जेज्जा, तंपीयं भरपरंपरा ॥१६॥ आरमे पस्थियस्सेगवियलजीवस्स वइयरे। संघहणाइयं कम्म, जं बद्धं गोयमा ! मुणे ॥१६१॥ एगे बेईदिए जीवे एगं समयं अणिच्छमाणे बलामिओगेणं हत्येण वा पाएण वा अन्नयरेण वा सलागाइउवमरणजाएणं जे केई पाणी अगाई संघहेज वा संघावेज वा संघट्टिजमाणं अगाढं परेहिं समणुजाणेजा से गं गोयमा! जया तं कम्म उदयं गच्छेजा तयाणं महया केसेणं छम्मासेणं वेदिजा, गाढं दुवालसहिं संवच्छरेहि, तमेव अगाद परियावेजा बाससहस्सेणं गादं वसहि वाससहस्सेहि, तमेव अगाढ़ किलामेजा वासलक्खेणं गाढं वसहिं वासलक्खेहि, अहाणं उद्दवेजा तओ वासकोडी, एवं तिचउपंचिंदिएसु दट्टकं ॥३१॥ 'सुहुमस्स पुढविजीवस्स, जत्येगस्स विराहणं । अप्पारंभ तय ति गोयमा! सावली ॥२॥सहमस्स पढविजीवस्स, चावत्ती जत्थ संभवे। महारंभ तयं ति, गोयमा! सबकेवली ॥३॥ एवं तसंमिलंतेहिं. कम्मकरडेहिं गोयमा!। से सोट्ठभे अर्णतेहि.जे आरंभे पवत्तए॥४॥ आरंभे बहमाण- | स्स, पबपुट्ठनिकाइयं । कम्मं बद्धं भवे तम्हा, तम्हाऽऽरंभ विवज्जए॥५॥ पुढचाइअजीवकायंता, सबभावेहिं सबहा। आरंभा जे निय?ज्जा, से अइरा(जम्मजरामरणसवदारिहदुक्खाण) विमुच्चह ॥६॥ति, अत्थेगे गोयमा! पाणी, जे एवं परिणज्झिउं। एगंतमुहतलिच्छे, ण लभे सम्मग्गवत्तणि ॥॥ जीवे संमग्गमोइने, घोरवीरतवं चरे। अचयंतो इमे पंच, कुज्जा सधं निरत्ययं ॥८॥ कुसीलोसमपासत्थे, सच्छंदे सबले तहा। दिट्टीएवि इमे पंच, गोयमान निरिक्खए॥९॥ सानुदेसियं मग्गं, सबदुक्खप्पणासगं । सायागारवगुंफाते, अन्नहा भणियमुज्झए ॥१७०॥ पयमक्खरंपि जो एगं, सवन्नूहिं पवेदिय । न रोएज्जऽमहा मासे, मिच्छट्ठिीस निच्छियं ॥१॥ एवं नाऊण संसम्गि, दरिसणालावसंथवं । संवासं च हियाकखी, सबोबाएहिं वजए॥२॥ भयवं! निभट्ठसीलाणं, दरिसणं तंपि निच्छसि। पच्छित्तं वागरेसीय, इति उभयं न जुजए?॥३॥ गोयमा! भट्टसीलाणं, दुसरे संसारसागरे। धुर्व तमणुकंपित्ता, पायपिछले परिसिए॥४॥ भयवं! किं पायच्छितेण, छिदिज्जा नारगाउयं । अणुचरिऊण पच्छित्त, बहवे दुग्गई गए ॥५॥ गोयमा! जे समज्जज्जा, अणंतसंसारिवत्तणं। पच्छित्तेणं धुवं तंपि, छिंद किं पुणा नरयाउर्य ?॥६॥ पायच्छित्तस्स भुषणेऽत्थ, नासमं किंचि विज्जए। बोहिलामं पमोतूणं, हारियं तं न लम्भए॥७॥ तं चाउकायपरिभोगे, तेउकायस्स निच्छिर्य। अबोहिलाभियं कम्म, वज्जए मेहुणेण य॥८॥ मेहुणं आउकायं च. तेउकार्य तहेव य । तम्हा तओवि जत्तेणं, वज्जेज्जा संजइंदिए ॥९॥ से भयवं! गारत्थीणं, सबमेवं पवत्तइ । (तो जइ अबोही भवेज)एसुतओ सिक्खागुणाणुव्वयधरणं तु निष्फलं ॥१८०॥ गोयमा! दुविहे पहे अकखाए, मुसमणे अमुसावए। महावयधरे पढ़मे, बीएऽणुष्वयधारए ॥१॥तिविहंतिविहेण समणेहि, सबसावजमुज्झियं । जावजीचं वयं घोरं, पडिवज्जियं मोकखसाहणं ॥२॥ दुविहेगविहं व तिविहं वा, थूलं सावजमुझियं। उहिट्टकालियं तु वयं ( देसेण) संवसे गारथी हि ॥३॥ तहेव तिविहंतिविहेणं, इच्छारंभपरिम्गह। वोसिरति अणगारे, जिणलिंग धरति य॥४॥ इयरे (य) अणुज्झिना, इच्छारंभपरिगहं । सदाराभिरए स गिही, जिणलिंगं तू पृथए (ण धारयति) ॥५॥ता B गोयमेगदेसस्स, पडिकते गारत्ये भवे। तं वयमणुपालयंताणं, नो सि आसायणं भवे ॥६॥ जे पुण सवस्स पडिकते, धारे पंच महबए। जिणलिंगं तु समुबहइ नै तिगं नो विवजए॥७॥ तो महयासायणं नेसिं, इस्थिऽम्मीआउसे वणे । अणतनाणी जिणे जम्हा, एवं मणसावि णऽभिलसे ॥८॥ता गोयमा! साहियं एयं, एवं बीमंसिउं दर्द । विभावय जई बंधिजा, गिहिणो न अबोहिलाभियं ॥९॥ संजए पुण नियंधिज्जा, एयाहिं हेऊहिय। आणाहक्कम वयभंगा, तह उम्मग्गपवत्तणा ॥१९०॥ मेहुणं चाउकार्य च, तेउकायं तहेब या हबइ तम्हा तितयंति, (जत्तेणं) यजेना सबहा मुणी॥१॥ जे चरते व पच्छित्तं, मणेणं संकिलिस्सए। जह भणियं वाऽह णाणुढे, निरयं सो नेण वचई ॥२॥ भय ! मंदसदेहि, पायच्छित्तं न कीरई। अह काहंति किलिट्ठमणे, ताऽणुकंपं विरुाए ? ॥३॥ नो रायादीहि संगामे, गोयमा ! सलिए नरे। सालुद्धरणे भवे दुक्ख, नाणुकंपा विरुज्झए॥४॥ एवं संसारसंगामे, अंगोवंगंतबाहिरं। भावसाहरिताणं, अणुकंपा अणोवमा ॥५॥ भयवं ! सलुमि देहत्थे, दुक्खिए होति पाणिणो। जसमयं निष्फिडे सलं, तक्खणा सो सुही भवे ॥६॥ एवं तिस्थयरे सिद्धे, साहू धम्म विवंचिउं। जं अकजं कयं नेणं, निसिरिएणं मुही भवे ॥ ७॥ पायच्छित्तेण को तत्थ, कारिएणं गुणो भवे?। जेणं कीक्स्सवी देसि, दुकरं दुरणुचरं ॥८॥ उद्धरिउं गोयमा ! सई, वणभंगे जाव णो कये। वणपिंडीपट्टचंधं च, ताव णं किं परुज्झए? ॥९॥ भावसलस्स वणपिंडपहभूओ इमो भवे । पच्छित्तो दुक्खरोहंपि, पाववर्ण खिप्पं परोहए ॥२०॥ भयवं! किमणुविजते, सुबते जाणिए इवा?। सोहेइ सबपावाई, पच्छित्ते सवनुदेसिए? ॥१॥ सुसाऊ सीयले उदगे, गोयमा! जाव णो पिए। गरे गिम्हे बियाणते, ताव तण्हा ण उवसमे ॥२॥ एवं जाणित्तु पच्छित्तं, असढभावेण जा चरे । ताउ तस्स तयं पाव, वड्ढए उण हायए ॥३॥ भयवं! किं तं वड्ढेजा, जंपमादेण कत्थई। आगयं ? पुणो आउत्तस्स, नियं किन ठायए?॥४॥ गोयमा ! जह पमाएणं, निच्छंतो अहिडंकिए। आउत्तस्स जहा पच्छा विसं, बड्ढे तह चेव पावगं ॥५॥ भयवं! जे विदियपरमत्थे, सवपच्छित्तजाणगे। ते किं परेसि साहंति, नियमकज्जं जहट्टियं ? ॥६॥ | गोयमा ! मंततंतेहि, दियहे जो कोडिमुट्ठवे। सेवि दद्वे विणिचिट्टे, धारियहिं भल्लिए॥७॥ एवं सीलुज्जले साहू, पच्छित्तं न दढवए। अन्नेसि निउणं (लहट्ट) साहे, ससीसं वाहावओ जहत्तिा २०८॥महानिसीयसुयक्संधस्स (२८१) ११२४ महानिशीथच्छेदसूत्रं, अन्/2072 मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कम्मविवागवागरणं नाम पायमायणं २॥ एएसिनु दोहं अज्झयणाणं विहीपुत्रगेणं सरसाम वायति ।३१। 'अओ परं चउकन्न, सुमहत्याइसयं परं । आणाए सहहया, सुत्तत्थं जं जहट्ठियं ॥१॥ जे उग्घाडं परूषेज्जा, देज्जा वऽमुजोगम्स 3। वाएज्ज अचमचारी वा, अविहीए अणुदिटुंपि वा ॥२॥ उम्मायं व लमेज्जा रोगायकं व पाउणे दीहं। मंसेज संजमाओ मरणंते वा णयापि आराहे ॥३॥ एत्थं तुजं विहीपुर, पढमायणे परूषियं । बीए चेव विही एवं, बाए सेसाणिमं चिहि ॥४॥ बीयज्झयणेऽचिन्ले पंच, नबुद्देसा तहिं भवे। तइए सोलस उद्देसा, अट्ट तत्व अंबिले ॥५॥ जंतइएते चउत्थेऽपि, पंचमंमि छायचिले। छट्टे दो सनमे तिन्नि, अट्ठमे आयंबिले दस ॥६॥ अणिक्तित्तभत्नपाणेण, संघट्टेणं इमं महा। निसीहवरं सुयसंध, बोढव्वं च आउत्तगपाणगेणंति ॥ ॥ गंभीरस्स महामइणो उ, संजुयस्स तवोगुणे।सुपरिक्खियस्स कालेणं, सयमझेगस्स बायर्ण ॥८॥ खेत्तसोहीए निचं तु, उपउत्तो भविया जया। नया बाएज एवं नु, अन्नहा 3 उलिजा ॥९॥ संगोवंगसुयस्सेयं, णीसंदं तत्तं परं । महानिहित अविहिए, गिव्हतेणं छलिजए॥१०॥ अहवा सचाई सेयाई, बहुविग्याई भवंति उ। सेयाणं तु परं सेयं, सुयक्रखंध निविग्धं ॥१॥ जे धजे पुणे महाणुभागे से वाइया, 'से भय : केरिसं तेसिं, कुसीलादीण लक्खणं ?। सम्मं विशाय जेणं तु, सबहा ते विवज्जए॥२॥ गोयमा ! सामनओ तेसिं, लक्खणमेयं निषोधय। जे नवा तेसि संसम्गी, सबहा परिक्जए ॥३॥ कुसीले ताव दुस्सयहा, ओसने दुविहे मुणे। पासत्ये नाणमादीणं, सबले चाचीसतीविहे ॥४ातत्य जे ते उ दुसयहा उ, वोच्छं ते ताव गोयमा! । कुसीले जेसिं संसगीदोसेणं भस्सई मुणी खणे॥१५॥ तत्थ कुसीले ताच समासओ दुबिहे गेए-परंपरकुसीले यऽपरंपरकुसीले य, नत्थ णं जे ते परंपरकुसीले ते दुविहे णेए-सत्तट्टगुरुपरंपरकुसीले एगदुतिगुरुपरंपरकुसीले या जेवि य ते अपरंपरकुसीले तेवि उ दुविहे णेए-आगमओ णोआगमओ यारातत्य आगमओ गुरुपरंपरिएणं आवलियाए ण केई कुसीले आसी उ ते चेव कुसीले भवंति शनोआगमओ अणेगविहा, तंजहा- णाणकुसीले दंसणकुसीले चारित्तकुसीले तवकुसीले वीरडकुसीले।४। तत्थ णंजे से नाणकुसीले से णं तिबिहे णेए-पसत्थापसन्धनाणकुसीले अपसन्थनाणकुसीले सुपसत्थनाणकुसीले।५।तत्य जे से पसत्यापसत्यनाणकुसीले से दुविहे णेए-आगमओ नोआगमओ य, तत्य आगमओ विहंगनाणीपनवियपसत्यापसत्यपयत्यजालअजायणऽज्झावणकुसीले, नोआगमओ अणेगहा पसत्यापसत्यपरपासंडसत्यत्वजालाहिजणऽज्झावणवायणाणुपेणकुसीले ।६। तत्थ जे ते अपसत्यनाणकुसीले ते एगूणतीसइविहे दहब्बे, तंजहा-सावजवायविजामंततंतपउंजणकुसीले १ विज्जमंतप्ताहिजणकुसीले २(विजामंतप्ताहिज्झावणकुसीले) गहरिक्खचारजोइसत्यपउंजणाहिजणकुसीले३निमित्तलक्खणपउंजणाहिजणकुसीले४ सउणलक्षणपउँजणाहिजणकुसीले५ हत्थिसिक्खापउंजणाहिजणकुसीले६ धणुव्वेयपउंजणाहिजणकुसीले गंधव्ववेयपउंजणाहिजणकुसीले८ पुरिसित्थीलक्खणपउंजणज्झावणकुसीले कामसत्थपउंजणाहिजणकुसीले १० कुहुगिंदजालसत्थपउंजणाहिजणकुसीले ११आलेक्सविजाहिजणकुसीले १२लेप्पकम्मविज्जाहिजण - कुसीले१३वमणविरेयणबहुवाडींदजालसमुद्धरणकहणकाहणवणस्सइवल्लिमोडणतच्छणाइबहुदोसविजगसत्यपउंजणाहिजणझावणकुसीले१४एवं जा(वंज)ण१५जोगचुन्न१६वनधाउब्वाय१रायदंडणीई १८सत्थव्यऽसणिपव्वत्र १९ऽच्छकंड२०रयणपरिक्खा२१रसवेहसस्थ२२अमचसिक्खा२३ गूढमततंत२४कालदेस२५संधिविग्गहोवएस२६सत्य२७मम्म(ग्ग)२८जाणववहार२९निरूवणस्थसस्थपउंजणाहिजणअपसत्यनाणकुसीले, एवमेएसिं चेव पावसु. याणं वायणापेहणापरावत्तणाअणुसंधणासवसायन्त्रणअपसत्यनाणकुसीले । तत्थ जे य तेसुपसत्यनाणकुसीले तेवि यदुबिहे णेए-आगमओ णोआगमओ य, तत्थ आगमओ सुपसत्यं पंचप्पयारं णाणं आसायंते सुपसत्यनाणधरे वा आसायंते सुपसत्यनाणकुसीले । ८ानोआगमओय सुपसत्यनाणकुसीले अट्ठहा जेए, तंजहा-अकालेणं सुपसत्थनाणहिजणज्झावणाकुसीले अविणएणं सुपसत्यनाणाहिजणझावणाकुसीले अपहृमाणेणं सुपसत्यनाणाहिजणकु. सीले अणोवहाणेणं सुपसत्यनाणाहिजणझावणकुसीले जस्स य सयासे सुपसत्वं सुत्तत्योभयमहीयं तंनिण्हवणसुपसत्यनाणकुसीले सरवंजणहीणक्खरियचक्सरियहिजणझावणसुपसत्यनाणकुसीले विवरीयसुत्तत्थोभयाहिजण. ज्झावणसुपसत्यणाणकुसीले संदिवसुत्तत्थोभयाहिजणझावणसुपसत्थनाणकुसीले। ५। तत्थ एएसि अट्ठण्डंपि फ्याणं गोयमा! जे केई अणोवहाणेणं सुपसत्यं नाणमहीयंति या अज्झावयंति वा अहीयंतं वा अज्झायंतं वा समणुजाणंति ते णं महापायकम्मे महतीं सुपसत्थनाणस्सासायणं पकुवंति।१०।से भयवं ! जइ एवं ता किं पंचमंगलस्स णं उवहाणं काय?, गोयमा ! पढमं नाणं तओ दया, दयाए य सबजगज्जीवपाणभूयसत्ताणं अत्तसमदरिसितं, सबजगजीवपाणभूयसत्ताणं अत्तसमदंसणाओ य तेसिं चेव संघट्टणपरियावणकिलावणोदावणाइदुक्सुप्पायणभयविक्जर्ण तओ अणासवो अणासवाओ य संवुडासवदारत्तं संवुडासवदारतेणं च दमोपसमो तओ य समसत्तुमित्तपक्खया समसत्तुमित्तपक्सयाए य अरागदोसत्तं तओ य अकोहया अमाणया अमायया अलोभया अकोहमाणमायालोभयाए य अकसायत्तं तओ य सम्मत्तं सम्मत्ताओ य जीवाइपयत्यपरिमाणं तओ सवत्थ अपडिचदत्तं सवत्थापडिबदनेण य अन्माणमोहमिच्छत्तक्खयं तओ विवेगो विवेगाओ य हेयउवाएयवत्युवियालणेगंतबादलक्खत्तं तओ य अहियपरिचाओ हियायरणे य अचंतमम्भुजमो तो य परमत्यपवितुत्तमखतादिदसविहअहिंसालक्खणधम्माणुढाणिककरणकारावणासत्तचित्तया तओ य खंतादिदसविहअहिंसालक्खणधम्माणुट्टाणिककरणकारावणासत्तचित्तयाए य सव्युत्तमा खंती सम्वुत्तमं मिउत्तं सबुत्तमं अजवभावतं सन्नुत्तमं सबसंतरसवसंगपरिचागं सव्वुत्तमं सबझम्भंतरदुवालसविहअबंतपोरवीरुग्गकहतवचरणाणुवाणाभिरमणं सब्बुत्तमं सत्तरसविहकसिणसंजमाणुवाणपरिपालणेकबद्धलक्खत्तं सवृत्तमं सचुग्गिरणं छक्कायहियं अणिगृहियालवीरियपुरिसकारपरकमपरितोलणं च सबुत्तमसज्झायज्माणसलिलेण पावकम्ममललेवपक्खालणंति सव्वुत्तमुत्तमं आकिंचणं सम्वृत्तमं परमपवित्तसबभावंतरेहिं णं सुविसुबसवदोसविष्यमुकणवगुत्तीसणाहअट्ठारसपरिहारद्वाणपरिवेदियसुतुबरपोरसंभवयधारणति, तओ एएणं चेव सवृत्तमखंतीमहवअजवमुत्तीतवसंजमसचसोयआकिंचणसुदुदरभवयधारणसमुट्ठाणेयं च सव्वसमारंभविवजणं, तओ य पुढविदगागणिवाऊवणफइपितिचउपंचिंदियाणं तहेव अजीवकायसरंभसमारंभारंभाचं चमणोवाकायतिएणं तिविहंतिविहेण सोइंदियादिसंवरणआहारादिसमाविप्पजदत्ताए वोसिरणं, तओ व अ(मलिय)द्वारससीलंगसहस्सधारितं अमलियअट्ठारसतीलंगसहस्सधारणेणं च अस्खलियअखंडियअमिलियअविराहियसु११२५ महानिशीथच्छेदसूत्रं अwauf-३ मुनि दीपरनसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ठुमुग्गुग्गयरविचित्तामिगहनिव्वाहणं, तओ य सुरमणुयतिरिच्छोईरियघोरपरीसहोवसम्गाहियासणं संमकरणेणं, तओ य अहोरायाइपडिमासु महापयत्तं तओ निप्पडिकम्मसरीरया निप्पडिकम्मसरीरत्नाए य सुकमाणे निप्पकंपत्तं, तो य अणाइभवपरंपरसंचियअसेसकम्मट्टरासिखयं अणतनाणदंसणधारितं च चउगइभवचारगाओ निष्फेडं सब्बदुक्खविमोक्खं मोक्खगमणं च, तत्थ अदिट्ठजम्मजरामरणाणिसंपओगिट्ठविओयसंताबुब्वेगअयसs भक्खाणमहवाहिवेयणारोगसोगदारिहदुक्खभयवेमणस्सनं, तओ अ एगतियं अचंतियं सिवमयलमक्खयधुवं परमसासयं निरंतरं सबुत्तमसोक्खंति, ता सब्बमेवेयं नाणाओ पवत्तेज्जा, ना गोयमा ! एगंतियअचंतियपरमसासत. घुवनिरंतरसय्युत्नमसोक्खकखुणा पढ़मयरमेव नाचायरेणं सामाइयमाइयलोगबिंदुसारपज्जवसाणं दुवालसंगं सुयनाणं कालंबिलादिजहुत्नविहिणोवहाणेणं हिंसादियं च तिविहंतिविहेण पडिकतेण य सरखंजणमनाबिंदुपयक्खरागुणगं पयच्छेदघोसबद्धयाणुपुधि पुख्वाणुपुविअणाणुपुबीए सुविसुदं अचोरिकायएण एगत्तेण सुविनेयं तं च गोयमा ! अणिहणऽणोरपारसुविच्छिन्नचरमोयहिंपिय य सुदुरखगाहं संयत्रसोक्खपरमहेउभूयं च, तस्सय सयन्सोक्खहेउभूयाओ न इट्टदेवयानमोक्कारविरहिए केई पारं गच्छेजा, इट्टदेवयाणं च नमोकारं पंचमंगलमेव गोयमा!, णो णमन्नंति, ता णियमओ पंचमंगलस्सेव पढमं ताव विणओवहाणं कायव्वनि।११श से भयवं! कयराए विहीए पंचम गलस्स णं विणओवहाणं काय?, गोयमा! इमाए विहीए पंचमंगलस्स ण विणओवहाणं कायचं तंजहा- सुपसत्थे चेव सोहणे निहिकरणमुहुत्तनक्खत्तजोगलग्गससीबले विपमुजायाइमयासंकेण संजायसद्धासंवेगसु. तिव्वतरमहंतुइसंतसुहज्झवसायाणुगयभत्तीपहुमाणपुव्वं णिणियाणं दुवालसभत्तविएणं चेइयालए जंतुविरहिओगासे भत्तिभरनिम्भरुसियससीसरोमावलीपप्फुल्लण(व)यणसयवत्तपसनसोमधिरदिट्टीणवणवसंवेगसमुच्छलंतसंजायबहलघणनिरंतरअचिंतपरमसुहपरिणामविसेसुदासियजीवबीरियाणुसमयविवड्दतपमोयसुद्धसुनिम्मलधिरदढयरंतकरणेणं खितिणिहियजाणुणिसिउत्तमंगकरकमलमउलसोहंजलिपुडेणं सिरिउसभाइपवरवरधम्मतिथियरप. डिमाबिंबविणिवेसियणयणमाणसेगम्गतग्गयज्झवसाएणं समयष्णुदढचरित्नादिगुणसंपओववेयगुरुसद्दत्थाणुट्ठाणकरणेकबद्धटक्खत्तवाहियगुरुवयणविणिग्गयं विणयादिचहुमाणपरिओसाणुकंपोबलदं अणेगसोगसंतावुवेगमहावाहि. वियणाघोरदुक्खदारिदकिलेसरोगजम्मजरामरणगम्भवासाइदुट्ठसावगावगाहभीमभवोदहितरंडगभूयं इणमो सयलागममज्झवत्तगरस मिच्छत्तदोसोवहयविसिट्ठचुद्धीपरिकप्पियकुभणियअघडमाणअसेस हेउदिटुंतजुलीविदंसणिक पच्चलपोट्टस्स पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स पंचज्झयणेगचूलापरिक्खित्तस्स पवरपवयणदेवयाहिट्टियस्स तिपदपरिच्छिमेगालावगसत्तक्खरपरिमाणं अर्णतगमपनवत्थपसाहगं सत्रमहामंतपवरविजाणं परमवीयभूयं नमो अरहनाणंति पढमजायणं अहिजेयत्र, तहियह य आयंबिलेणं पारेयवं, तहेव बीयदिणे अणेगाइसयगुणसंपओक्वेयं अणंतरभणियस्थपसागं अणंतरुत्तेणेव कमेणं दुपयपरिच्छिन्नेगालावगपंचक्खरपरिमाणं नमो सिद्धार्णनि चीयज्झयणं अहि. जेयवं, तहियहे य आयंपिलेण पारेयावं, एवं अणंतरभणिएणेच कमेणं अर्णतरुत्तस्थपसाग तिपदपरिच्छिन्नेगालावन सत्तक्खरपरिमाणं नमो आयरियाणंति तइयमज्झयणं आयंबिलेणं अहिजियचं, नहा अर्णतरुतत्यपसाहगं तिपयपरिच्छिन्नेगालावगं सत्तक्खरपरिमाणं नमो उवज्झायाणवि चउत्थमज्झयणं अहिजेयत्रं, तृदियहे य आयंबिलेण पारेयवं, एवं णमो लोए ससाणंति पंचममज्झयणं पंचमदिणे आयंबिलेण, तहेव तयस्थाणुगामियं एकारसपयपरिच्छिन्नतितयालावगतित्तीसक्खरपरिमाणं 'एसो पंचनमोकारो, सबपावप्पणासणो । मंगलाणंच सवेसिं, पढम हबइ मंगलमितिचूलंति छट्ठसत्तमट्टमदिणे तेणेव कमविभागणं आयंबिलेहिं अहिजेय, एवमेयं पंचमंगलमहासुयक्खधं सरवन्नपयसहियं पयक्खरपिंदुमत्ताविसुद्धं गुरुगुणोक्वेयगुरूवइ कसिणमहिज्जित्ताणं तहा कायवं जहा पुषाणुपुत्रीए पच्छाणपुत्रीए अणाणुपुवीए जीहग्गे तरेज्जा, नओ नेणेवाणतरमणियतिहिकरणमहत्तनक्खत्तजोगलग्गससीबलजंतुविरहिओगासचेइयालगाइकमेणं अट्ठमभनेणं समणुजाणाविऊणं गोयमा ! महया पबंधेण सुपरिफुडं णिउणं असंदिद्ध सुनस्थ अणेगहा सोऊणावधारेयवं. एयाए विहीए पंचमंगठस्स णं गोयमा : विणोवहाणो | कायत्रो ।१२। से भयवं ! किमेयस्स अचितचिंतामणिकप्पभूयस्स णं पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स सुत्तत्थं पन्नत्तं ?, गोयमा ! एमाइयं एयस्स अचिंतचिंतामणिकप्पभूयस्स णं पंचमंगलमहासुयक्संधस्स णं सुनत्थं पण्णनं, जहा. जेणं एस पंचमंगलमहासुयक्खंधे से णं सयलागमंतरोववत्ती निलतेलकमलमयरंदव्व सबलोए पंचस्थिकायमिव जहस्थकिरियाणुराया(गए)सम्भूयगुणकित्तणे जहिच्छियफलपसाहगे चेव परमथुइवाए.सा य परमथुई केसिं कायवा:.. सब्बजगुत्तमाणं, सबजगुत्तमुत्तमे य जे केई भूए जे केई भविस्संति ते सव्ये चेब, अरहंतादओ ते चेव, णो णमन्नेत्ति, ते य पंचहा- अरहंते सिद्धे आयरिए उवज्झाए साहबो य, तस्थ एएसिं चेव गम्भत्थसम्भाचो इमो तंजहा-सनरामरासुरस्स णं सब्वस्सेव जगस्स अट्टमहापाडिहेराइपूयाइसओवलक्खियं अणण्णसरिसमचिंतमाहप्पं केवलाहिट्टियं पवरुत्तमं अरहंतित्ति अरहंता, असेसकम्मक्खएणं निबढभवंकुरत्ताउन पुणेह भवंति मंति उपवजति वा अरुहंता वा, णिम्महियनियनिहलियविलीयनिट्ठवियअभिभूयसुदुजयासेसअट्ठपयारकम्मरिउत्ताओ वा अरिहंतेति बा, एवमेते अणेगहा पन्नविजंति परुविनंति आघविज्जति पट्टविनंति दंसिर्जति उवदंसिजति, तहा सिदाणि परमाणंदमहसवमहाकहाणनिरुवमसोक्खाणि णिप्पकंपसुकज्झाणाइअचिंतसत्तिसामत्यओ सजीववीरिएणं जोगनिरोहाइणा महापयत्तेणिति सिद्धा, अट्टप्पयारकम्मक्खएण वा सिद्धं ससमेतेसिति सिद्धा, सियं झायमेसिमिति वा सिद्धा, सिद्धे निट्टिए पहीणे सयलपओयणवायकयंचमेतेसिमिति सिद्धा, एवमेते इत्थीपुरुसनपुंससलिंगऽण्णलिंगगिहिलिंगपत्तेयबुद्धबोहिय जाब णं कम्मक्खयसिद्धाइभेएहि णं अणेगहा पन्नविजंति, नहा अट्टास्ससीलंगसहस्साहिट्टियतणू छत्तीसइविहमायारं जहट्टियमगिलाए अन्निसाणुसमयं आयरतित्ति पबत्तयंतित्ति आयरिया, परमप्पणो अहियमायरंतित्ति आयरिया, सवसत्तस्स सीसगणाणं वा हियमायरंति आयरिया, पाणपरिचाए. ऽवि उ पुढवादीणं समारंभं नायरंति णारभंति नाणुजाणंति वा आयरिया, सुठुमवरद्धेऽविण कस्सई मणसावि पावमायरंतित्ति या आयरिया, एवमेते णामठवणादीहि अणेगहा पन्नविजति. नहा सुसंवुडासबदार मणोवयकायजो. गत्तउवउत्ते विहिणा सर्वजणमत्ताबिंदुपयक्खरविसुद्धदुवालसंगसुयनाणज्झयणज्झावणेणं परमप्पणो अ मोक्खोवायं झायंतित्ति उवज्झाए, चिरपरिचियमणंतगमपज्जवत्धेहि वा दुवालसंग सुयनाणं चितंति अणुसरंति एगग्गमा११२६ महानिशीथच्छेदसूत्रं अन्सया -३ मुनि दीपरत्नसागर Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णसा मायंतित्ति वा उवज्झाए, एवमेतेहिं (भेएहिं) अणेगहा पन्नविनंति, तहा अञ्चंतकट्ठउम्गुमायरघोरतवचरणाई अणेगवयनियमोववासनाणाभिग्गहविसेससंजमपरिवालणसम्मंपरीसहोबसम्माहियासणेणं सत्रदुक्खविमोक्खं मोक्वं साहयंतित्ति साहवो, अयमेव इमाए चुलाए भाविजइ-एतेसिं नमोकारो एसो पंचनमोकारो, किं करेजा?.सवं पाव-नाणावरणीयादिकम्मविसेसं तं पयरि(अपरिसे)सेणं दिसोदिसं णासयह सपावप्पणासणो, एस चलाए पढमो उहेसओ, एसो पंचनमोकारो सबपावप्पणासणो किविहो उ?, मंगो-निव्याणसहसाहणेकखमो सम्मईसणाइआराहओ अहिंसालक्वणो धम्मो तं मे लाएजति मंगलं, ममं भवाउ. संसाराओ गरेजा ताजा वा मंगलं, बद्धपुट्टनिकाइयट्टप्पगारकम्मरासि मे गालिजा-विलिजवेजत्ति वा मंगलं, एएसिं मंगलाणं अनेसिं च मंगलाणं सन्वेसि किं?, पढम-आदीए अरहंताणं थुई चेव हवद मंगल, इनि एस समासन्थो, विन्धरत्यं तु इमं तंजहा-तेणं कालेण | तेणं समएण गोयमा! जे केई पुषवावनियसहत्थे अरहते भगवते धम्मतित्वगरे भवेज्जा से णं परमपुजाणंपि पुजयरे भवेजा, जओ णं ते सोऽवि एयलक्खणसमनिए भवेजा, जहा- अचिंतअप्पमेयनिस्वमाणण्णसरिसपवरवरुत्तम गुणोहाहिट्ठियत्तेणं तिण्हपि लोगाणं संजणियगुरुयमहंतमाणसाणंदे, तहा य जमंतरसंचियगुरुयपुण्णपब्भारसंविदत्ततित्थयरनामकम्मोदएणं दीहरगिम्हायवसंतावकिलंतसिहिउलाणं व पदमपाउसधाराभस्वरिसनघणसंघायमिव परमहिओवएसपयाणाइणा घणरागदोसमोहमिच्छनाविरइपमायवुद्धकिलिट्ठज्झवसायाइसमजियासुहघोरपावकम्मायवसंताचस्स णिण्णासगे भवसत्ताणं सत्वन्नू अणेगजम्मंतरसंविढनगुरुयपुत्रपम्भाराइसयबलेणं समजिया उलबन्लवीरिएसरियसत्तपरकमाहिट्ठियतणू मुकंतदिनचारुपायंगुढग्गरूवाइसएणं सयलगहनक्वत्तचंदपंतीणं सूरिए इव पयंडप्पयावदसदिसिपयासविष्फुरतकिरणपन्भारेणं णियतेयसा विच्छायगे सयलाणवि विजाहरणरामरीणं सदेवदाणविंदाणं सुरलोगाणं सोहम्मकंतिदित्तिलावन्नरुवसमुदयसिरीए साहावियकम्मक्खयजणियदिवकयपवरनिरुवमाणन्नसरिसविसेसाइसयाइसयलक्खणकलाकलाबविच्छडपरिदसणेणं भवणवदवाणमंतरजोइसवेमाणियाहमिंदसइंदच्छराकिन्नरणरविजाहरस्स ससुरासुरस्साविणं जगस्स अहो ३ अज अविट्ठपुर्व दिट्ठमम्हेहिं इणमो सविसेसाउलमहंताचिंतपरमच्छेग्यसंदोहं समग्गलमेवेगट्ठसमुइयं दिट्ठति तक्खण उत्पन्नघणनिरंतरचहलप्पमोया चिनयंतो सहरिसपीयाणुरायवसपवि. यभंताणुसमयअहिणवाहिणवपरिणामविसेसत्तेणमहमहंतिपिरपरोपराणं विसायमुवगयहहहधीधिरत्थुअधन्नाऽपुन्नावयमिइणिंदिरअत्ताणगमणंतरसंखुहियहिययमुच्छिरसुलद्धचेयणसुपुण्णसिदिलियसगत आउंचणं पसण्णो उ में सनिमेसाइसारीरियवाचारमुक्ककेवल अणोवलक्खक्खलंतमंदमंददीहहुँहुकारविमिस्समुक्कदीहउण्हबहलनीसासगतेणं अइअभिनिविबुद्धीसुणिच्छियमणस्स णं जगस्स. किं पुण तं नवमणुचिट्टेमो जेणेरिसं पवररिदि लभिजनि, तम्ग णियणियवच्छत्थलनिहिजततकरयलुप्पाइयमहतमाणसचमकारे, ता गोयमा! णं एवमाइअणतगुणगणाहिट्टियसरीराणं तेसिं सुगहियनामधेजाणं अरहताणं भगवंताण धम्मनित्थगराणं हरयणसंधाए अहन्निसाणुसमयं जीहासहस्सेणंपि वागरंतो सुरवईवि अन्नयरे वा केई चउनाणी महाइसई य छउमत्थे सयंभुरमणोयहिस्स इव वासकोडीहिपि णो पारं गच्छेजा, जओ णं अपरिमियगणरयणे गोयमा अरहते ते धम्मत्थिगरे भवंति, ता किमित्य भनउ, जत्थ य णं तिलोगनाहाणं जगगुरुणं भुवणेकचंपूर्ण तेलोकतग्गुणखंभपवरधम्मतित्यंकराणं केई सुरिंदाइपायंगट्टग्गएगदेसाउ अणे सधेसिपि वा सुरीसाणं अणेगभवंतरसंचियअणिट्ठदुट्टकम्मरासिजणियदोगच्चदोमणस्सादिसयलदुक्खदारिदकिलेसजम्मजरामरणरोगसोगसंतावुवेयवाहिवेयणाईण खयहाए एगगुणस्साणंतभागमेगं भणमाणाणं जमगसमगमेव दिणयरकरे इव अणेगगुणगणोहे जीहम्गे विफुरति ताई च न सक्का सिंदावि देवगणा समकालं भणिऊणं, किं पुण अकेवली मंसचक्सुणो ?, ता गोयमा! णं एस इत्यं परमत्थे वियाणेयचो, जहा णं जइ निन्थगराणं संनिए गणगगोहे तित्थयरे चेव वायरंति, ण उण अने, जओणं सातिसया तेसि भारती, अहवागोयमा! किमित्य पभूयवागरणेणं, सारत्यं भन्नए।१३शतंजहा-नामपि सयलकम्मट्टमलकलंकेहि विष्पमुक्काणं। तियसिंदच्चियचलणाण जिणवरिंदाण जो सरह॥१६॥ तिविहकरणोवउत्तो खणे खणे सीलसंजमुजुत्तो। अविराहियवयनियमो सोऽविहु अइरेण सिज्झेजा ॥१७॥ जो पुण दुहउविग्गो सुहतण्हालू अलिब कमलवणे। थयथुइमंगलजयसद्दवाबडो झणझणे किंचि ॥१८॥ भत्तिभरनि. भरो जिणबरिंदपायारविंदजुगपुरओ। भूमिनिट्टवियसिरो कयंजलीवावडो चरित्तट्ठो॥१९॥ एकपि गुणं हियए घरेज संकाइसुद्धसम्मत्तो। अक्खंडियवयनियमो तित्ययरत्ताए सो सिझे ॥२०॥ जेसिं चणं सुगहियनामग्गहणाणं तित्थयराणं गोयमा ! एस जगपायडमहच्छेरयभूए भुवणस्स वियडपायडमहंताइसयपवियंभो, तंजहा-खीणट्टपायकम्मा मुक्का बहुदुक्खगम्भवसहीणं । पुणरविअ पत्तकेवलमणपजवणाणचरिततणू॥२१॥ महजोइणो विविहदुक्खमयरभवसागरस्स उक्विम्गा। दठूणऽरहाइसए भवहुत्तमणा खणं जंति॥२२॥ अहवा चिट्ठउताव सेसवागरणं गोयमा! एवं चेव धम्मतित्थगरेति नाम सन्निहियं पवरक्खबहणं तेसिमेव सुगहियनामधिजाणं भुवणबंधूर्ण अरहंताणं भगवंताणं जिणवरिंदाणं धम्मतित्थंकराणं छज्जे, ण अन्नेसिं, जओ यणेगजमंतरपुट्ठमोहोवसमसंवेगनिवेयणुकंपाअस्थित्ताभिवत्तीसलक्खणपवरसम्म हसणुसंतविरियाणिगृहिय उम्गकट्टघोरदकरतवनिरंतरजियउनुगपुन्नखंधसमुदयमहपदभारसंविढतउत्तमपवरपवित्तविस्सकसिणबंधुणाहसामिसालअर्णतकालवत्तभवभावणच्छिन्नपावबंधणेकअपिइजतिस्थयरनामकम्मगोयणिसियसुकंतदित्तचाररूवदसदिसिपयासनिरुवमट्ठलक्खणसहस्समंडियजगुनमुनमसिरी निवासवासवावी इव देवमणुयदिट्ठमेत्ततक्खणंतकरणलाइयचमकनयणमाणसाउलमहंतविम्हयपमोयकारया असेसकसिणपावकम्ममलकलंकविप्पमुक्कसमचउरंसपवरपढमवजरिसहनारायसंघयणाहिट्टियपरमपवित्नुनममुनिधरे, ने चेव भगवते महायसे महासत्ते महाणुभागे परमिट्टी सद्धम्मतित्थंकरे भवंति।१४। अन्नंच-सयलनरामरतियसिंदसुंदरीरूवकंतिलावन्नं सर्वपि होज जइ एगरासिण संपिण्डियं कहवि॥२३॥ तं च जिणचलणंगुढग्गकोडिदेसेगलक्खभागस्स। संनिझं. मिनसोहड जह छारउर्ड चणगिरिस्स॥२४ाति, 'अहवा नाऊण गणतराई अन्नेसि ऊण सत्रस्थ। तित्थयरगुणाणमणतभागमलभंतमन्नत्थ॥२५॥ज तिहयणपिसयल एगीहोऊणमुम्भमेगदिसिं। भागे गुणाहिओऽम्हं तित्थयरे पर. अपजे ॥२६॥त्ति, तेचिय अबेद पए अरिहे गहमइसमन्ने।जम्हा तम्हा ते चेव भावओणमह धम्मतित्थयरे ॥२७॥ लोगेवि गामपुरनगरविसयजणवयसमग्गभरहस्स। जो जित्तियस्स सामी तस्साणतिते करैति॥२८॥ नवरं गामाहिवर्ड ११२७ महानिशीथच्छेदसूत्र अन्लयों-३ मुनि दीपरत्नसागर जसपासकपकार Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुटसुट्टे एकगाममझाओ। किं देज? जस्स नियगे तेलोए एत्तियं पुत्रं ॥ २९ ॥ चकहरो लीलाए सुट्ट सुथेबंपि देह न हु मन्ने। तेण य कमागयगुरुदरिनामं समासे ॥३०॥ (सयलबंधुवग्गस्सत्ति) सो मंता चकहरं चकहरो सुखइतणं करने। इंदो तित्पयरे उण जगस्स जहिच्छियसुहफलए ॥३१॥ तम्हा जं ईदेहीवि कंखिजई एगबद्धलक्खेहिं अइसाणुरागहियएहिं उत्तमं तं न संदेहो ॥३२॥ तो सयलदेवदाणवगहक्खिसुरिदचंदमादीणं। तित्थयरे पुज्जयरे ते चिय पार्व पणासंति ॥३॥ तेसि य तिलोगमहियाण धम्मनित्यंकराण जगगुरूणं भावचणदवचणभेदेण दुहचणं भणियं ॥४॥ भावचण चारित्ताणुट्टाणकट्टुग्गघोरतवचरणं दशचण विश्याविश्यसीलपूयासकारदाणादी ॥५॥ ता गोयमा ! णं एसे स्थ परमत्ये तंजा 'भावचणमुग्गविहारया य दव्वचणं तु जिणपुथा पढमा जईण दोनिवि मिहीण पढमच्चिय पसत्था ॥ ६ ॥ एत्वं च गोयमा ! केई अमुणियसमयसम्भावे ओसनविहारी नियवासिणो अदिपरोगपच्चचाए सयंमतीइडिटरससायगारवाइमुच्छिए रागदोस मोहाहंकारममी काराइसुपविद्धो कसिणसंजमसम्मपरंमुहे निद्दयनितिंसनिग्पिणअकलणनिकिचे पावायरणेक अभिनिविट्टबुद्धी एगंतेणं अइचंडरोहकूराभिम्गहिए मिच्छट्टिणी कयसव्वसावज्जजोगपचक्खाणे विप्यमुकासेससंगारंभपरिग्गहे तिविहंतिविहेणं पडिवन्नसामाइए य दव्बत्ताए, न भावताए, नाममेव मुंडे अणगारे महव्वयधारी समणेऽचि भवित्ताणं एवं मन्नमाणे सब्वहा उम्मग्गं पचन्तंति, जहां किल अम्हे अर हंताणं भगवंताणं गंधमतपदीवसंमज्जणोवलेवणविचित्तवत्यवलिधूवाइएहिं पूयासकारेहिं अणुदियमन्भवणं पकुव्वाणा तित्युच्छप्पणं करेमो तं च णो णं तहन्ति, गोयमा तं वायाएवि णो णं तहन्ति समणुजाणेना, से भयवं! केणं अद्वेगं एवं दुबइ जहा णं तं च णो णं तहन्ति समणुजाणेजा ?, गोयमा तयत्थाणुसारेणं असंजमबाहुलेणं च मूलकम्मासवाओ य अज्झवसायं पच धूलेयरसुहासुहकम्मपयडीबंधों सव्वसाक्जविरयाणां च वयभंगो वदमंगेणं च आणाइकमे आणाइकमेणं तु उम्मग्गगामित्तं उम्मम्गगामित्तेनं च सम्मग्गविप्पलोवर्ण उम्मग्गपवत्तणसम्मग्गविप्पलोवणेणं च जईणं महती आसायणा, तओ अ अनंतसंसाराहिंडणं, एएणं अद्वेगं गोयमा एवं बुम्बइ जहा गोयमा ! णो णं तं तहन्ति समणजाणेजा । १५ दव्वत्यवाओ भावत्थवं तु दव्वत्यवो बहुगुणो भवउ तम्हा अनुहबहुजाणबुद्धीय छकायहियं तु गोयमाऽणुट्टे ॥ ७॥ अकसिणपचत्तगाणं विरयाविरयाण एस खलु जुत्तो जे कसिसंजमविऊ पुप्फादीयं न कप्पए तेसिं तु ॥ ८ ॥ किं मन्ने गोयमा एस, बत्तीसिंदाणुचिट्टिए। जम्हा तम्हा उभयंपि, अणुट्टेज्जेत्थं नु बुज्झसी ॥ ९ ॥ विणिओगमेवेतं तेसिं, भावत्यवासंभवो तहा भावचणा य उत्तमयं ( दसन्नमद्देण) उपाहणं तहेव य ॥४०॥ चकहरभाणुससिदत्तदमगादीहिं विणिदिसे पुच्छंने गोयमा ! तात्र, जं सुरिंदेहिं भत्तीओ ॥ १ ॥ सजिटिए अणण्णसमे, पूयासक्कारे य कए ता किं तं सव्वसावळं? तिविहं विरएहिऽणुट्टिनं ॥ २ ॥ उपाडु सव्वथामेसुं सब्वहा अविरएस उ ? णणु भयवं सुरखरिंदेहिं सच्चधामेसु सहा ॥३॥ अविरएहिं सुभत्तीए, पूयासकारे कए ता जइ एवं तओ बुज्झ, गोयमेमं नीसेसयं, देसविरय अविश्यानं तु विणिओगमुभयत्थवि ॥४॥ सयमेत्र सङ्घतित्थंकरेहिं जं गोयमा समायरियं कसिणटुकम्पक्त्रयकारयं तु भावत्ययमणुट्टे ॥ ५॥ भवती उगमागम जंतुफरिसणाईपमद्दणं जत्य सपरऽहिओवरयाणं ण मणपि पवत्तए तत्य ॥ ६ ॥ ता सपरऽहिओवरएहिं उपरएहिं सहा सिया सुविसेसं जं परमसारभूयं विसेसर्वतं च अणुद्वेयं ॥ ७॥ ता परमसारभूयं विसेसवंतं च अणण्णवम्गस्स एगंतहियं पत्थं सुहावहं पयडपरमत्थं ॥ ८ ॥ तंजहा मेरुतुंगे मणिगणमंडिएककंचणमए परमरंमे। नयणमणागंदयरे पभूयविज्ञाणसाइसए ॥ ९ ॥ सुसिदिविसिसुलछंदसुविभत्तसुसुणिवेसे बहुसिंघयत्तघंटाघयाउले पवरतोरणसणाहे ॥ ५० ॥ सुविसाल सुविच्छिन्ने पए पए पत्थिय (वय) सिरीए मघमघमर्धेत ज्यंत अगरुकप्पूरचंद्रणामोए ॥ १ ॥ बहुविहविचित्तवहुपुष्पमाइपूयारुहे सुपए य णञ्चपण चिरणाडयसयाउले महुरमुखसद्दाले ॥ २ ॥ कुटुंतरासयजणसयसमाउले जिणकहाखित्तचित्ते। पकहंत कहगणचंतच्छत (च्छरा) गंधवतूरनिग्धोसे ॥ ३ ॥ एमादिगुणोए पर पए समेइणीवट्टे नियभुयविदत्तपुनजिएण नायागएण अत्येण ॥ ४ ॥ कंचणमणिसोमाणे भसहस्सूसिए सुवण्णतले जो कारवेज जिणहरे तओवि तवसंजमो अनंतगुणो ॥ ५॥ ति तवसंजमेण बहुभवसमजियं पावकम्ममललेवं निद्धोविऊण अइरा अनंतसोक्खं वए सोक्खं ॥ ६ ॥ काउंपि जिणाययणेहिं मंडियं सबमेइणीव दाणाइचउकेणं सुदवि गच्छेज अचुयगं ॥ ७ ॥ ण परओ गोयम गिहिति। जइ ता लवसत्तममुरविमाणवासीवि परिवति सुरा से चिंतित संसारे सासयं कयरं ? ॥ ८ ॥ कह तं भन्नइ सुक्खं सुचिरेणवि जत्थ दुक्खमलियइ । जं च मरणावसाणेसु थेवकालीय तुच्छं तु १ ॥ ९ ॥ स चिरकालेण जं सयलनरामराण हवइ सुई । तं न घड सुयमणुभूय मोक्खसुखस्स अनंतभागेवि ॥६०॥ संसारियोक्खाणं सुमहंताणंपि गोयमा! णेगे। मज्झे दुक्खसहस्से घोरपडेण पुर्जति ॥ १ ॥ ताई च सायवेओयएण ण याणंति मंदबुद्धीए मणिकणगसेलमयलोढगंगली जह व वणिधूया ॥ २ ॥ मोक्खमुहस्स उ धम्मं सदेवमणुयासुरे जगे इत्थं तो भाणिउं ण सक्का नगरगुणे जहेवय पुलिंदो ॥ ३ ॥ कह तं भन्नइ पुन्नं सुचिरेणवि जस्स दीसए अंतं जं च विरसावसाणं जं संसाराणुबंधिं च १ ॥४॥ तं सुरवि माणविहवं चितियचवणं च देवोगाओ। अइसिकयचिय हिययं जं नवि सयसिकरं जाइ ॥ ५ ॥ नरएसु जाई अइदुस्सहाई दुक्खाई परमतिक्खाई को बन्नेई ताई जीवंतो वासकोडिंपि ॥ ६ ॥ ता गोयम ! दसविहधम्मघोरतवसंजमाद्वाणस्स । भावत्यवमिति नामं तेणेव लभेज अक्खयं सोक्खं ॥ ७॥ ति नारगभवतिरियभवे अमरभवे सुरवइत्तणे वावि नो तं लम्भ गोयम ! जत्य व तत्थ व मणुयजम्मे ॥ ८॥ सुमहचंतपहीणेसु संजमावरणनामधेजेसु । ताहे गोयम ! पाणी भावत्ययजोग्गयमुवेइ ॥ ९ ॥ जम्मंतरसंचियगुरुयपुन्नपन्भारसंविद्वत्तेर्ण माणुसजंमेण विणा णो लम्भइ उत्तमं धम्मं ॥ ७० ॥ जस्साणुभावओ सुचरियस्स निस्सहदंभरहियस्स लम्भइ अउलमणतं अक्खयसो क्वं तिलोयग्गे ॥ १ ॥ तं बहुभवसंचियतुंगपावकम्मरासिडहण। लवं माणुसजम्मं विवेगमाईहिं संजुत्तं ॥ २ ॥ जो न कुणइ अन्तहियं सुयाणुसारेण आसवनिरोहं । उत्तिगसीलंगसहस्सधारणेणं तु अपमन्ते ॥ ३ ॥ सो दीहरअशोच्छि घोरदुक्खग्गिदावपनलिओ उच्चोत्रेयसंसत्तो अनंतहुत्तो सुबहुकालं ॥ ४ ॥ दुग्गंधामेज्झविलीणखारपित्तोज्झसिंभपडिहत्थे । बसजलसपूयदुद्दिणचिह्निचिले रुहिरचिक्खले ॥ ५ ॥ कढकढकढंतचलचलचलस्सढलढलढलस्स रतो । संपिंडियंगमंगो जोणी जोणी वसे गन्भे एकेकगन्भवासेसु, जंतियं पुणरवि भमेज ॥ ६ ॥ ता संतावृधेयगजम्मजरामरणगन्भवासाई संसारियदुक्खाणं विचित्तरूवाण भीएणं ॥ ७ ॥ भावत्यवाणुभावं असेसभवभयस्वयंकरं नाउं । तत्थेव महता उज्जमेण दढमचंतं पयइयां ॥ ८ ॥ इय विज्जाहरकिन्नरनरेण ससुरासुरेणवि जगेण संयुते दुहित्यवेहिं ते तिहुयणुकोसे ॥ ९ ॥ गोयमा! धम्मतित्यंकरे जिणे अरिहंतेत्ति, अह तारिसेवि (२८२) ११२८ महानिशीथच्छेदसूत्र, अज्झयण 1 मुनि दीपरत्नसागर भ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हाइड्ढीपवित्यरे सयलतिहुयणाउलिए। साहीणे जगबंधू मणसावि जे खणं लुद्धे ॥४०॥ तेसिं परमीसरियं रूपसिरीवण्णवलपमाणं च । सामत्वं जसकित्ती सुरलीगचुए जहेह अवयरिए दा॥१॥जह काऊणऽनभवे उग्गतवं देवलोगमणुपत्ते। तित्थयरनामकर्म जह बद्धं एगाइवीसइयामेसु ॥२॥ जह सम्मत्त पतं सामनाराहणा य अन्नभये। जह तिसैलाओ सिद्धत्वष. रिणीचोडसमहासुमिणलंभ ॥३॥ जह सुरहिगंधपक्खेव गम्भवसहीए असुहमवहरणं। जह सुरनाहो अंगुट्ठपव्वणसियं महंतभत्तीए ॥४॥ अमयाहार भत्तीएं देह संयुणइ जाव य पसूओ। जह जायकम्मविणिओगकारियाओ दिसिकुमारीओ॥५॥ सव्वं नियकत्तव्यं निव्वतंती जहेव भत्तीए । बत्तीससुरवरिंदा गरुयपमोएण सव्वरिदीए ॥६॥रोमंचकंचुपुलइयमत्तिम्भरमाइयस्सगत्ता ते। मचंते सकयत्थं जम अम्हाण मेरुगिरिसिहरे ॥७॥ होही खणमफालियसूसरगंभीरदुंदुहिनिघोसं। जयसमुहलमंगलकयंजली जह य खीरसलिलेणं ॥८॥ बहुसुरहिगंधवासियकंचणमणितुंग(रयण)कलसेहिं । जम्माहिसेयमहिमं करेंति (जह) जिणवरो गिरि चाले ॥९॥ जह इंदं वायरणं भयवं वायरह अट्ठवरिसोवि । जह गमइ कुमार (परिणे मोहिति) जह व लोगंतिया देवा ॥९०॥ जह वयनिक्खमणमहं करेंति सो सुरासुरा मुइया। जह अहियासे घोरे परीसहे दिवमाणुसतिरिच्छे ॥१॥जह घणघाइचाउकं (कम्म) बहइ घोरतवझाणजोगअग्गीए। लोगालोगपयास उप्पाए जह व केवलं नाणं ॥२॥ केवलमहिमं पुणरवि-काऊणं जह सुरासुराईया। पुच्छति संसए धम्मणीइतवचरणमाईए ॥३॥ जहव कहे जिणिदो सुरकयसीहासणोषविट्ठो यातं चउविहदेवनिकायनिम्मियं, जह पवरसमवसरणं, तुरिय करंति देवा, जं रिडीए जर्ग तुलाइ ॥४॥ जत्थ समोसरिओ सो भुवणे. बगुरू महायसो अरहा। अहमहपाडिहेरयसुपिंधियं हवा य तित्थिय नाम ॥५॥जह निहलइ असेस मिच्छत्तं चिकणंपि भचाणं । पडियोहिऊण मग्गे ठवेइ जहणणहरा दिक्खं ६॥ गिण्हंति महामइणो सुत्तं गंथंति जहव य जिणिंदो। मासे कसिणं अत्यं अर्णतगमपजवेहिं तु ॥७॥जह सिजाइ जगनाहो महिमं निवाणनामियं जहय। सधेवि सुरवरिंदा असंभवे तह विमोचंति ॥८॥ सोगत्ता पगलंतसुधोयगंडयलसरसइपवाई। कलणं बिलावसई हा सामि! कया अणाइत्ति ॥९॥ जह-सुरहिगंधगम्भीणमहंतगोसीसचंदणदुमाणं। कडेहिं विहिपुर्व सकारं सुखरा सवे ॥१०॥ काऊणं सोगत्ता सुझे दसदिसिपहे पलोयंता । जह खीरसागरे जिणवराणं (अट्ठी) पक्खालिऊणं च ॥१॥ सुरलोए नेऊणं आलिंपेऊण पवरचंदणरसेणं । मंदारपारियाययसयवत्तसहस्सपत्तेहिं ॥२॥जह अच्छेऊण सुरा नियनियमवणेसु जहवय युणंति (तं सर्व महया वित्यरेण अरहंतचस्यिाभिहाणे)। अंतकडदसाणं तं, मज्झाउ कसिण विनेयं ॥३॥ एत्यं पुण जे पगयं तं मोत्तुं जइ भणेज तावेयं । हवइ असंबदरुयं गंधस्स य वित्थरमणतं ॥४॥ एयंपि अपत्यावे सुमहंत कारणं समुवढें । जं वागरियं ते जाण महसत्ताणऽणुमाहटाए ॥५॥जह वा जत्तो जसो मक्खिजइ मोयगो सुसंकरिओ। तत्तो वत्सोविजणे अहगुरुयं माणसं पीई॥६॥ एवमिह अपत्यावेवि भत्तिभरनिभराण परिओसं। जणयइ गुरुयं जिणगुणगणेकरसक्खित्तचित्ताणं ॥७॥ एवं तुजं पंचमंगलमहासुयक्खंघस्स वक्खाणं तं मया पबंधेणं अर्णतगमपजवेहिं सुत्तस्स य पिहभूयाहिं निजुत्तीभासचुण्णीहिं जहेव अर्णतनाणसणघरेहिं तित्ययरेहिं वक्खाणियं तहेव समासओ वक्खाणिज्जतं आसि, अहऽनया कालपरिहाणिदोसेणं ताउ निजुत्तीभासचुन्नीओ वोच्छिबाजो।१६। इओ यवचंतेणं कालसमएर्ण महिड्ढीपत्ते पयाणुसारी वइरसामी नाम दुवालसंगसुयहरे समुप्पचे, तेणेयं पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स उद्धारो मूलसुत्तस्स मज्झे लिहिओ, मूलसुतं पुण सुत्तत्ताए गणहरेहिं अस्थत्ताए अरहतेहिं भगवतेहिं धम्मतित्वगरेहिं तिलोगमहिएहिं वीरजिणिंदेहिं पन्नवियति एस वुड्ढसंपयाओ।१७। एत्य य जत्थ पर्यपएणाणुलग्गं सुत्तालावर्ग न संपजइ तत्थ तत्व सुयहरेहिं कुलिहियदोसो न दायचोत्ति, किंतु जो सो एयस्स अचिंतचिंतामणिकप्पभूयस्स महानिसीहसुयक्खंधस्स पुवायरिसो आसी तहिं चेव संडाखंडीए उद्देहियाइएहिं हेअहिं बहवे पत्तगा परिसड़िया तहावि अचंतसुमहत्याइसयंति इमं महानिसीहसुयक्खधं कसिणपक्यणस्स परमसारभूयं पर तत्तं महत्थंति कलिऊणं पवयणवच्छतत्तणेणं पहुभासत्तोषयारियं चकाउँ तहा य आयहियट्ठयाए आयरियहरिभहेणं जं तत्थायरिसे दिडं तं सर्व समतीए साहिऊणं लिहियंति, अनेहिपि सिद्धसेणदिवाकरकुबवाइजक्ससेणदेवगुत्तजसपबणसमासमणसीसरविगुत्तणेमिचंदजिणदासगणिखमगसबसिरिपमुडेहिं जुगप्पहाणसुयहरेहिं बहु मन्नियमिणति।१८। से भयवं! एवं जहुत्तविणओ. बहाणेणं पंचमंगलमाहासुवासंघमहिबित्ताण पुराणपत्रीए पच्छाणपतीए अणाणपुचीए सरवंजणमत्तावितुपयक्खरविसुदं चिरपरिचियं काऊणं महया पबंधेणं सुत्तत्यं च विनाय वओ यचं किमहिजेजा ?, मोयमा ! ईरियावहियं, से भयवं! केणं अटेणं एवं युवा-जहाणं पंचमंगलमहासुयक्खंघमहिजिताणं पुणो ईरियावहियं अहीए?, गोयमा ! जे एस आया से णं जया गमणागमणाइपरिणामपरिणए अणेगजीवपाणभूयसत्तार्ण अणोवउत्तपमत्ते संघट्टणअवदावणकिलामणं काऊणं अणालोइयअपडिकते चेव असेसकम्मक्खयट्ठयाए किंचि चिइवणसज्मायज्माणाइएसु अमिरमेजा तया से एगचित्ता समाही भवेजा ण वा, जओ णं गमणागमणाइअणेगअन्नवावारपरिणामासत्तचित्तयाए केई पाणी तमेव भावतरमच्छ११२९ महानिशीथच्छेदसूत्र, अलग-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिव्य ज्वसिए कंचि कालखणं विस्(व)त्तेजा ताहे तं तस्स फलेणं विसंवएजा, जया उण कहिचि अन्नाणमोहपमायदोसेण सहसा एगिदियादीणं संपट्टणं परिपावणं वा कयं समवेजा तया य पच्छा हाहाहा बुद्ध कयमम्हेहिं पणरागदोसमोहमिच्छत्तअन्नाणेघेहिं अविट्ठपरलोगपचवाएहिं कूरकम्मनिन्धिणेहिति परमसंवेगमावन्ने सुपरिफुडं आलोइत्ताणं निं वित्तार्ण गरहिताणं पायच्छित्तमणुचरित्तार्ण णीसते अणाउलचित्ते असुहकम्मक्खयट्ठा किंषि आयहियं चिहवंदणाइ अणुढेजा तया तयढे चेय उपउत्ते से भवेला, जया णं से तयत्ये उक्उत्ते मवेजा तया तस्स णं परमेगग्गचित्तसमाही हवेजा, तया चेव सबजगजीवपाणभूयसत्ताणं जहिट्ठफलसंपत्ती भवेजा, ता गोयमा ! णं अपडिकताए ईरियावहिदाए न कप्पड़ चेव काउं किंचि चेइयवंदणसज्झायाइयं फलासायमभिकलुगाणं, एएणं अद्वेणं गोयमा! एवं दुबइ जहा गं गोयमा ! समुत्तत्योभयं पंचमंगलं चिरपरिचियं काऊण तओ ईरियावहियं अज्झीए।१९। से भयवं! कयराए विहीए समिरियावहियमहीए?, गोयमा! जहाण पंचमंगलमहासुपसं।२०। से भयवमिरियावहियमहिमित्ताणं तो किमहिजे?, गोयमा! सकत्ययाइयं पेइयवंदणविहाण, गवरंसकत्ययं एगेणऽहमेणबत्तीसाए आयंबिलेहि, अरहतत्वयं एगेण पाउत्येणं पंचहिं आयंबिलेहि, चउवीसत्ययं एगेणं उद्वेणं एगेण च उत्षेणं पणवीसाए आयंबिलेहि, णाणत्ययं एगेण चउत्येणं पंचहि आयंबिलेहि, एवं सरवंजणमत्तापिंदुपयच्छेयपयक्खरविसुद्ध अविचामेलियं अहिजित्ताणं गोयमा! तओ कसिणं सुत्तत्थं विन्नेयं, जत्य य संवेहं भवेजा तं पुणो २ वीमंसिय णीसंकमवधारेऊणं णीसंदेहं करिजा ।२१। एवं सुत्तत्योभयत्तगं चिडवंदणाइविहाणं अहिजेत्ताणं तओ सुपसत्ये सोहणे तिहिकरणमुहुत्तनक्ख - सजोगलग्गससीचले जहासत्तीए जगगुरूर्ण संपाइयपूओक्यारेणं पडिलाहियसाहुक्म्गेण य भत्तिभरनिम्मरेणं रोमंचकंचुयपुलइजमाणतणू सहरिसविसिट्टवयणारविन्देणं सदासंवेगविवेगपरमवेरम्गमूलविणियघणरागदोसमोहमिच्छत्तमलकलंकेण सुविसुद्धसुनिम्मलविमलसुभसुभयरऽणुसमयसमुत्तुसंतसुपसत्यऽज्झवसायगएणं भुवणगुरुजिणइंदपडिमाविणिवेसि यणयणमाणसेणं अणण्णमाणसेणमेगग्गचित्तयाए धन्नोऽहं पुन्नोऽहंति जिणवंदणाइसहलीकयजम्मोत्ति इइ मन्नमाणेणं विरइयकरकमलंजलिणा हरियतणबीयजंतुविरहियभूमीए म निहिओभयजाणुणा सुपरिफुडसुविइयणीसंकीकयजहत्यमुत्तत्योभयं पए पए भावेमाणेणं दढचरित्तसमयन्नुअप्पमायाइअणेगगुणसंपओक्वेएणं गुरुणा सद्धिं साहुसाहुणीसाहम्मिय असेसर्वधुपरिवगपरियरिएणं व पदम चेइए वैदियो, तयणंतरं च गुणड्ढे य साहुणो तहा साहमियजणस्स णं जहासत्तीए पणिवायजाएणं सुहमग्घयमउयचोक्खवस्थपयाणाइणा वा महासंमाणो कायचो, एयावसरंमि सुविइयसमयसारेणं गुरुणा पर्वघेणं अक्खेवनिक्खेवाइएहिं पर्वधेहिं संसारनियजणणं सदासंवेगुप्पायर्ग धम्मदेसणं काय । २२। तओ परमसवासंवेगपरं नाऊणं आजम्माभिग्गहं च दायर्ष, जहा णं सहलीकयमुलद्धमणुस्सभवा भो भो देवाणुप्पिया ! तए अजप्पभिइए जावजीवं तिकालियं अणुदिणं अणुत्तावलेगग्गचित्तेणं चेहए वंदेयके, इणमेव भो मणुयत्ताउ असुइअसासयखणभंगुराओ सारंति, तत्थ पुत्रण्हे ताव उदगपाणं न काय जाव चेइए साहू य ण वंदिए, तहा मज्झव्हे ताव असणकिरियं न कायचं जाव चेइए ण बंदिए, तहा अवरण्हे वेव तहा काय जहा अवंदिएहिं चेइएहिं णो समायालमइक्कमेजा।२३। एवं चाभिग्गबंध काऊणं जावजीवाए, ताहे य गोयमा! इमाए चेव विजाए अहिमंतियाउ सत्त गंधमुट्ठीओ तस्मुत्तमंगे नित्यारगपारगो भवेजा सित्तिउच्चारेमाणेणं गुरुणा खेतवाओ, अउम्णमउ भगवओ अरहओ सइज्मउ मए भगवती महाविआ ईए महआईरए जय्अव्ईरए स्एणवईरए बद्धम्आणईरए जयए व्इजयए जय्अंतए अपआइए आहा, उपचारो चउत्यभत्तेणं साहिजह, एयाए विजाए सबगो नित्यारगपारगो होइ, उबवावणाए चा गणिस्स वा अणुन्नाए वा सत्त बारा परिजवेयवा निस्थारगपारगो होइ, उत्तमट्ठपडिवपणे वा अभिमंतिजइ आराहगो भवइ, विग्धविणायगा उवसमंति, सूरो संगामे पविसंतो अपराजिओ भवइ, कप्पसमत्तीए मंगलवहणी खेमवहणी हवइ ।२४॥ तहा साहुसाहुणीसमणोवासगसढिगासेसासनसाहम्मियजणचउबिहेणंपि समणसंघेणं नित्यारगपारगो भवेजा, धनो सपुनसलक्षणोऽसि तुमंति उच्चारेमाणेणं गंधमुट्ठीओ घेत्तवाओ, तओ जगगुरूणं जिणिंदाणं पृएगदेसाओ गंधड्ढामिलाणसियमालदार्म गहाय सहत्येणोभयसंघेसुमारोवयमाणेणं गुरुणाणीसंदेहमेवं माणिय जहाभो भो जम्मंतरसंचियगुरुयपुन्नपम्भार ! सुलबसुविढत्तसुसहलमणुयजम्म! देवाणुप्पिया! अयं च णस्यतिरियगइदारं तुजमंति, अबंधगो य अयसऽकित्तीनीयागोत्तकम्मविसेसाणं तुमंति, भवंतरगयस्सावि उ णइदुलहो उज्झ पंचनमोकारो, भाविजम्मंतरे पंचनमोकारपभावओ य जत्य जत्योववजिजा तत्व तत्युत्तमा जाई उत्तमं च कुलरूवारोग्गसंपयंति, एवं ते निच्छाओ भवेजा, अन्नंच पंचनमोक्कारपभावओ ण भवह दासत्तं ण दारिददोहग्गहीणजोणियत्तं ण विगलिंदियत्तंति, किंबहुएणं १, गोयमा ! जे केई एयाए विहीए पंचनमोक्कारादिसुयणाणमहिजित्ताणं तयत्थाणुसारेणं पयो सवावस्सगाइणिचाणुहणिजेसु अवारससीलंगसहस्सेसु अभिरमेजा से णं सरागत्ताए जाणं ण निजुडे तओ गेवेजणुत्तरादीसु चिरमभिरमेऊणेह उत्तमकुलप्पसूई उकिट्ठलट्ठसांगसुंदरतं सबकलापत्तद्वजणमणाणं११३० महानिशीथच्छेदमूत्र, अन्न -३ । 2- C atus Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्यारियतणं च पाविऊणं सुरिंदोवमाए रिदीए एगतेणं च दयाणुकंपापरे निचिन्नकामभोगे सद्धम्ममणुढेऊणं विहुयरयमले सिझेजा।२५। से भयवं! किं जहा पंचमंगलं नहा सामाइयाइयमसेसपि सुयनाणमहिजिणेयाई, गोयमा ! तहा चेव विणओवहाणेणमहीएयज्ञ, णवरं अहिजिणि उकामेहिं अट्ठविहं चेव नाणायारं सत्रपयत्तेणं कालादी रक्खिा , अन्नहा मयाऽऽसायणत्ति, अनंच. दुवालसंगस्स सुयनाणस्स पढमचरिमजामअहन्निसमज्झयणजमावर्ण पंचमंगलस्स सोलसदजामियं च अन्नंच-पंचमंगलं कयसामाइए वा अकयसामाइए वा अहीए सामाइयमाइयं तु सुर्य चत्तारंभपरिगहे जावजीवकयसामाइए अहिजिणइ, ण उण सारंभपरिम्गहे अकयसामाइए, तहा पंचमंगलस्स आलावगे २ आर्यचिलं. तहा सकत्थवाइसुवि, दुवालसंगस्स पुण सुयनाणस्स उद्देसगजायणेसु ।२६। से भयवं! सुदुक्करं पंचमंगलमहामुयक्बंधस्स विणओवहाणं पन्नतं, महती य एसा णियंतणा कहं बा. |लेहिं कजा, गोयमा ! जे णं केई ण इच्छेजा एवं नियंतणं अविणओबहाणेणं चेव पंचमंगलाइसुयनाणं अहि जिणे अज्झावेइ वा अज्झावयमाणस्स वा अणुन्नं वा पयाइ से णं ण | मविजा पियधम्मेण हवेजा ढधम्मेण भवेजा भत्तीजुए हीलिज्जा सुत्तं हीलेजा अत्यं हीलिज्जा सुत्तत्यउभये हीलिजा गुरुं, जे णं हीलिजा मुत्तत्योभए जाव णं गुरूं से णं आसा एजा अतीताणागयवट्टमाणे तित्थयरे आसाइज्जा आयरियउवज्झायसाहुणो, जेणं आसाइज्जा सुयणाणमरिहंतसिद्धसाहू से तस्स णं सुदीहयालमणतसंसारसागरमाहिंडेमाणस ताम नाम संवुडवियडासु चुलसीइलक्खपरिसंखाणासु सीओसिणमिस्सजोणीसु तिमिसंधयारदुग्गंधऽमिज्झविलीणखारमुत्तोज्झसिभपडिहल्यवसाजलल(स)पृयदुहिणचिलिचिल्लाहिरचिलदुहंसप्रणजंबालपंकबीभच्छघोरगम्भवासेसु कढकढकढ़ेंतचलचलचलस्सटलटलटलस्सरजंतर(जंत)संपिडियंगमंगस्स सुइरं नियंतणा, जे उण एवं विहिं फासेना नो णं मणयंपि अइयरेजा जहु तविहाणेणं चेव पंचमंगलपभिइसुयनाणस्स विणओवहाणं करेजा से णं गोयमा ! नो हीलिज्जा सुत्तं णो हीलिजा अत्यं णो हीलिजा मुत्तत्योभए से णं नो आसाइजा निकालभावी तित्थकरे णो आसाइजा तिलोगसिहरवासी विडयरयमले सिद्ध णो आसाइज्जा आयरियउवझायसाहुणो सुट्ट्यरं चेव भवेजा पियधम्मे दढधम्मे भत्तीजुत्ते एगंतेर्ण भवेजा सुत्तस्थाणुरंजियमाणसे सद्धासंवेगमावन्नो, से एस णं ण लभेजा पुणो २ भवचारगे गम्भवासाइयं अणेगहा जंतणंति ।२७। णवर गोयमा ! जेणं वाले जाव अविन्नायपुन्नपावाणं विसेसो ताच णं से पंचमंगलस्स णं गोयमा ! एगंतेणं अओगे, ण तस्स पंचमंगलमहासुयक्खंधस्स एगमवि आलावगं दायचं, जओ अणाइभवंतरसमजियासुहकम्मरासिदहणमिणं लभेनाणं न वाले सम्ममाराहेजा लहुत्तं च आणेइ, ता तस्स केवलं धम्मकहाए गोयमा ! भत्ती समुप्पाइजइ, तओ नाऊणं पियधम्म दढधम्म भत्तिजुत्तं ताहे जावइयं पञ्चक्खाणं निंबाहेडं समत्यो भवइ तावइयं कारवेजइराइभोयणं च दुविहतिविहच उबिहेण वा जहासत्तीए पञ्चक्खाविजइ ।२८। ता भोयरा ! णं पणयालाए नमोकारसहियाणं चउत्थं चउवीसाए पोरुसीहिं बारसहिं पुरिमड्ढेहि दसहिं अवढेहिं तिहिं निधीइएहिं चउहिं एगट्ठाणगेहिं दोहिं आयंबिलेहिं एगेणं सुखच्छायंबिलेणं, अशावारत्ताए रोज्झाणविगहाविरहियस्स सज्झाए. गमाचित्तस्स गोयमा ! एगमेवायंबिलं मासखमणं विसेसेज्जा, तओ य जावइयं तपोवहाणगं वीसमंतो करेजा तावइयं अणुगणेऊण जाहे जाणेजा जहाणं एत्तियमित्तेणं नवोबहाणेणं पंचमंगलस्स जोगीभूओ ताहे आउत्तो पाढेजा, ण अन्नहत्ति ।२९। से भयब ! पभूयं कालाइकम एयं, जइ कयाइ अवंतराले पंचत्तमुवगच्छे तओ नमोकारविरहिए कहमुत्तिमट्ठ साहेजा, गोयमा ! जंसमयं चेव सुत्तोवयारनिमित्तेणं असढभावत्ताए जहासत्तीए किंचि तवमारभेजा तंसमयमेव तदहीयसुत्तन्थोभयं वट्ठणं, जओ णं सो तं पंचनमोकार मुत्तन्योमयं ण अविहीए गिण्हे, किंतु तह गेण्हे जहा भक्तरेसुंपि ण विप्पणस्से, एयजावसायत्ताए आराहगो भवेजा।३०। से भयवं! जेण पुण अन्नेसिमहीयमाणाणं सुयावरणक्खओवस. मेण कण्णहाडितणेणं पंचमंगलमहीयं भवेजा सेऽविय किं तवोचहाणं करेजा', गोयमा ! करेजा, से भयवं ! केणं अटेणं'. गोयमा ! सुलभवोहिलाभनिमित्तेणं, एवं चेयाई अकुबमाणे णाणकुसीले जेए।३१। तहा गोयमा! णं पवजादिवसप्पभिईए जहुत्तविणओवहाणेणं जे केई साहू वा साहुणी वा अपुवनाणगहणं न कुज्जा तस्सासयिं विराहियं सुत्नत्योभयं, सरमाणे एगग्गचित्ते पढमचरमपोरिसीसु दिया राओ य णाणुगुणेजा से णं गोयमा! णाणकुसीले जेए, से भय ! जस्स अइगरुयनाणावरणोदएणं अनिसं पहोसेमाणस्स ण संवच्छरेगावि सिलोगद्धमवि थिरपरिचिय(ण)भवेजा(से कि कुजा?,)तेणावि जावजीवाभिग्गहेणं सज्झायसीलाणं वेयावच्चंतहा अणुदिणं अड्ढाइजे सहस्से पंचमंगलाण मुत्सत्योभएसरमाणेगग्गमाणसे पहोसिज्जा, से भया ! केणं अट्टेणं ?, गोयमा ! जे भिक्खू जावजीवाभिग्गहेर्ण चाउकालियं वायणाइ जहासत्तीए सज्झायं न करेजा से णं णाणकुसीले जेए।३२।अन्नंच-जे केई जावजीवाभिम्गहेण अपुर्व नाणाहिगमं करेजा तस्सासत्तीए पुत्राहियं गुणेजा, तस्सावि यासत्तीए पंचमंगलाणं अड्ढाइजे सहस्से परावत्ते सेवि आराहगे, तं च नाणावरणं खवेत्ताणं तित्ययरेइ वा गणहरेइ वा भवेत्ताणं सिझेजा।३३।से भयवं! केणं अटेणं एवं बुच्चइ जहा णं चाउकालियं सज्झायंकायचं ?, गोयमा! 'मणवयणकायगुत्तो नाणावरण खवेइ अणुसमयं । ११३१ महानिशीथच्छेदसूत्रं, अन्नास-२ Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ANI | समाए पहुंतो लणे खणे जाइ वेरनं ॥८॥ उड्दमहे तिरियमि य जोइसवेमाणिया य सिद्धी य । सबो लोगालोगो समायविउस्स पथक्वं ॥९॥ दुवालसविहंमिवि तवे सम्भि लाहिरे कुसलविवागवि अस्थि गषिय होही सज्झायसमं तपोकम्मं ॥११०॥एगदुतिमासक्तमणं संवच्छरमविय अणसिओहोजा। सज्झायमाणरहिओ एगोवासफलंपि ण लभेजा B॥१॥ उम्गमउपायणएसणाहिं सुदं तु निच मुंजतो। जइ तिविहेणाउत्तो अणुसमय भवेज सज्झाए ॥२॥ तात गोयम ! एगग्गमाणसत्तं ण उवमिउं सका । संवच्छरखवणेणवि जेण तहिं णिजराऽणता ॥३॥ पंचसमिओ तिगुत्तो खंतो दंतो य निजरापेही। एगग्गमाणसो जो करेज सज्झाय मुणीभले (मुणिभंतो) ॥४॥ जो वागरे पसत्यं सुयनाणं जो सुणेइ मुहभायो। ठड्यासववारत्तं तकाल गोयमा ! दोण्हं ॥५॥ एगंपि जो दुहत्तं सत्तं पडिबोहिउँ ठवइ मम्गे। ससुरासुरंमिपि जगे तेणेह पोसिओ अमाधाओ॥६॥ धाउपहाणो कचणभावं नय गच्छई फियाहीणो। एवं समोवि जिणोवएसहीणो न बुझेजा ॥७॥ गयरागदोसमोहा धम्मकहं जे करेंति समयन्नू । अणुदियहमवीसंता सापावाण मुचंति ॥८॥ निसुणंति अभयणिज एर्गतं निजर कहताणं । जइ अन्नहा ण सुत्तं अत्यं वा किंचि वाएजा ॥११९॥ एएणं अद्वेणं गोयमा ! एवं पुचइ जहा णं जावजीवं अभिन्महेणं चाउकालियं सज्झायं कायव्यंति, तहा अ गोअमा! जे मिक्खू विहीए सुपसत्यनाणमहिजेऊण नाणमयं करेजा सेवि नाणकुसीले, एवमाइनाणकुसीले अणेगहा पन्नविति । ३४ । से भयवं! कतरे ते सणकुसीले?, गोयमा! ते सणकुसीले दुविहे नेए आगमओ णोआगमओ अ, तत्य आगमओ सम्मईसणं संकंते कसंते विगच्छंते दिडीमोहं गच्छते अगोवबृहए परिवडियधम्मसरो सामनमुजिझउकामाणं अधिरीकरणेणं साहम्मियाणं अवच्छतत्तणेणं अप्पभावणाए, एतेहिं अट्ठहिं थाणतरेहिं कुसीले जेए।३५/ णोआगमओय दसणकुसीले अणेगहा, नंजहा. बक्खुकुसीले घाणकुसीले सवणकुसीले जिम्माकुसीले सरीरकुसीले, तत्व चक्कुसीले तिबिहे णेए, तंजहा- पसत्यचक्खुकुसीले पसत्यापसत्यचक्सकसीले अपसत्यचक्खुकुसीले. तत्थ जे केइ पसत्यं उसमादितित्ययरर्षिचं पुरओ चक्सुगोयरहि तमेव पासेमाणे अणं कंपि मणसा पसत्थमज्झवसे से णं पसत्यचकखुकुसीले, तहा पसस्थापसत्यचकखुकुसीले तित्ववरचिंचं हियएणं अच्छीहिं च (पासेमाणे) अचं किंपि पीहिजा से णं पसत्यापसत्यचक्खुकुसीले, तहा पसत्थापसत्थाई दवाई कागवगढंकतित्तिरमयूराई सुकंतदित्तिन्थियं वा बठूर्ण तयहुत्तं चक्खं विसजे सेवि पसत्यापसत्यचक्खुकुसीले, तहा अपसत्यचक्खुकुसीले तिसतुहिं पयारेहिं अपसत्या सरागा चक्रवृत्ति, से भयवं! कयरे ते अपसत्थे निसट्ठी चक्खु. भेए?, गोयमा ! इमे तंजहा-सद् कक्खडहरवा(क्खा) तारा मंदा मदलसा वंका विवंका कुसीला अद्विक्खिया काणिक्खिया १० भामिया उम्भामिया चलिया वलिया चलवलिया अ१मिला मिलिमिला माणुसा पसवा पक्खा २० सरीसवा असंता अपसंता अथिरा बहुविगारा साणुरागा रोगोईरणी रोगजन्नाऽऽमयुप्पायणी मयणी ३० मोहणी भउईरणी भयजन्ना PA मर्यकरी हिययभेइणी संसयावहरणी चित्तचमकुष्पायणी णिवद्धा अतिवडा ४० गया आगया गयागयप्पश्चागया निवाडणी अहिलसणी अरइकरा रहकरा दीणा दयावणा सूराधी राहणणी५०मारणी तावणी संतावणी कुदा पकुद्धा घोरा महाघोरा चंडा रुदा सुद्दा हाहाभूयसरणा६०रुक्खा सणिद्धा रुक्खसणिद्धत्ति, महिलाणं चलणंगुट्ठकोडिणऽटुकरमुबिलिहियं दिन्नालतं गायं च णहं मणिकिरणनिवासकचावं कुम्मुन्नयं चलणं संमग्गनिमग्गवडगूढ जाणुं जंघा पिहलकड़ियडभोगा जहणणियंबणाहीयणगुज्झतरकट्ठाभुयलट्ठीओ अहोट्टदसगपतीकन्ननासनयणजुयलभमुहानिलाडसिरव्हसीमंतयामोडयपेढतिलगकुंडलकबोलकजलतमालकलावहारकडिसुत्तगणेउवाहुरक्खगमणिरयणकडगकंकणमुदियाइसुकंतदिनाभर - गदुगुलवसणनेवत्था कामग्गिसंधुक्खणी निस्यतिस्थिगइसु अणंतदुक्खदायगा इस साहिलाससरागदित्ति एस चक्खुकुसीले ।३६। तहा घाणकुसीले जे केई सुरहिगंधेसु संग गच्छद दुरहिगंधे दुगुंछे से णं घाणकुसीले, तहा सवणकुसीले दुविहे णेए पसत्ये अल्पसत्थे य, तत्थ जे भिक्खू अप्पसत्थाई कामरागसँधुक्खणुद्दीवणुजालणसंदीवणाई गंधवनवणुष्वेयहत्यिसिक्खाकामरतीसत्याई सुणेऊणं णालोएजा जाव णं णो पायच्छित्तमणुचरेजा से णं अपसत्थसवणकुसीले णेए, तहा जे भिक्खू पसत्थाई सिद्धताचरियपुराणधम्मकहाओ य अन्नाई च धम्मसत्थाई सुणेत्ताणं न किंचि आयहियं अणुट्टे णाणमयं च करेइ से णं पसत्यसवणकुसीले णेए, तहा जिब्भाकुसीले से णं अणेगहा तंजहा तिलकपकसायमहुरंबिललवणाई रसाई आसायंते अदिवासुयाई इहपरलोगोभयविरुदाई सदोसाई मयारजयारुचारणाई अयसऽभक्खाणासंताभिओगाई वा भणंते असमयनुधम्मदेसणापवत्तणेण य जिम्माकुसीले जेए, से भयवं! किं भासाएवि भासियाए कुसीलतं भवति ?, गोयमा ! भवइ, से भयवं! जइ एवं ताब धम्मदेसणं न काय ?, गोयमा ! 'सावजऽणवजाणं वयणाणं जो न जाणा विसेस । बुत्तुंपि तस्स न खमं किमंग पुण देखणं काउं? ॥१२० ।।३७। तहा सरीरकुसीले दुबिहे णेए-चेट्ठाकुसीले विभूसाकुसीले य, तत्थ जे भिक्यू एयं किमिकुलनिलयं सउणसाणाइभत्तं सडणपडणविसणधम्म असुई असासयं असारं सरीरगं आहारादीहिं णिचं चेडेना णो णं इणमो भवसयसुलद्धनाणदसणाइसमभिएण सरीरेणं अनघोरवीरुम्गकट्टघोरनवसंजममणुढेजा से णं चेट्ठाकुसीले, तहा जे णं विभूसाकुसीले सेऽवि अणेगहा, तंजहा-तेडाभंगणविमदणसंवाहणसिणाणुवट्टणपरिहसणतंबोलधूपणयासणदसणुग्घसणसमा- (२८३) ११३२ महानिशीथच्छेद्रसूत्रं, -२ मुनि दीपरनसागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लहणपुष्फोमाटणकेससमारणसोवाहणविषड्ढगइमगिरहसिरउवविटुट्टियसन्निवनक्खियविभुसावन्निसविगारणीयंसणुत्तरीयपाउरणदंडगगहणमाई सरीरविभूसाकुसीले गए.एने य पवयण उड्डाहपरे दुरंतपतलबवणे प्रदरे महापायकम्मकारी विभूसाकुसीले भवनि. गए दसणकुसीले । ३८ तहा चारित्नकुसीने अणेगहा मूलगुण उनरगुणेमु. तन्थ मूलगुणा पंच महजयाणि राइभोयणच्छहाणि, ते जे पमने भवेजा, तन्य पाणाइवायं पुढवीदगागणिमारुयवणस्सइबितिचउपंचिदियाईणं संघहणपरियावणकिलामणोदवणे, मुसाबार्य सुहुमं वायरंच. तन्य गहुमे पयाडा मस्ए' एपमादी बादरो कमालीगादि, अदिनादाणं मुहुर्म बादरं च तत्थ सुहुम तणडगलच्मरमातगादीर्ण गहणे. पायरं हिरण्णसवण्णादीण, मेहुणं दिछोरालियं मणोपयकायकरणकारावणाणुमइभेदेण अद्वारसहा, नहा करकम्मादी सचित्ताचित्तभेदेणं, णवगुत्तीविराहणेण वा. विभुसाचनिएणवा, परिग्गहं मुहुम बायरंच. तत्थ सुहुम कप्पट्टगरक्षणममनो बादरं हिरण्णमादीण गहणे धारणे वा, राईभोयणं दियागहियं दियाभुनं एवमादि, उत्तरगुणा 'पिंडस्स जा चिसोही समितीओ भावणा नवो दुविहो । पडिमा अभिग्गहावि य उत्तरगुणमो बियाणाहि ॥ १२१॥ तन्थ पिंडविसोही- सोनस उम्गमदोसा सोलस उप्पायणाय दोसा उ। दस एसणाय दोसा संजोयणमाड पंचेच ॥ २॥ तत्थ उग्गमदोसा आहाकम्मदृसिय पईकम्मे य मीसजाये या ठरणा पाहुडियाए पाओयर कीय पामिचे ॥३॥ परियट्टिए अभिहडे उम्भिन्ने मालोहरे इय। अच्छिजे अणिसट्टे अझोयरए य सोलसमे ॥ ४॥ इमे उष्पायणादोसा-धाई दुई निमिने आजीव वणीमगे निगिच्छाए । कोहे माणे माया लोभे य हवंति दस एए॥५॥ पुचिपच्छासंथव विजा मंते य चुण्णजोगे य उप्पायणाय दोसा सोलसमे मूलकम्मे य ॥६॥ एसणादोसा-संकियमक्खियनिक्खिनपिहियसाहरियदायगुम्मीसे। अपरिणयलित्तउद्दिढय एसणदोसा इस हवंति ॥ ७॥ तन्युग्गमदोसे गिहत्यसमुत्थे उप्पायणादोसे साहुसमुत्थे एसणादोसे उभयसमुत्थे, संजोयणा पमाणे इंगाल धूम कारण पंच मंडलीय दोसे भवंति, नन्थ संजोयणा उवगरणभनपाणसम्भंनस्वहि भेएणं, पमाणं बनीसं किर कवले आहारो कृच्छिपुरओ भणिओ। रागण सइंगालं दोसेण सधुमगंति नाय ॥८॥कारणं वेयण वेयावचे इरियट्टाए य संजमहाए। तह पाणवनियाए उट्ट पण धम्मचिंताए ॥९॥ नन्थि छुहाइ सरिसिया वियणा भुंजिज नष्पसमणट्ठा। छाओ वेयावचं ण तरइ काउं अओ भुंजे ॥१३० ।। इरियपि न सोहिम्सं पहाईयं च संजमं काउं। थामो वा परिहायइ गुणणऽणुप्पेहासु य असनो ॥१॥ पिंडविसोही गया, इयाणि समितीओ पंच तंजहा-ईरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आदाणभंडमननिक्वेवणासमिई उच्चार - पासवणखेलसिंघाणजालपारिट्ठावणियासमिई, नहा गुत्तीउ तिनि मणगुनी वयगुती कायगुत्ती, तहा भावणाओ दुवालस जहा अणिचनभावणा असरणभावणा एगनभावणा - न्ननभावणा अमुइभावणा विचित्तसंसारभावणा कम्मासवभावणा संवरभावणा विनिजरभावणा लोगवित्थरभावणा धम्मं सुयक्वायं सुपननं तिन्थयरेहिंति तनचिताभावणा वोही सुदुभा जम्मतरकोडीहि विति भावणा, एपमादियानरमुंजे पमायं कुजा से णं चारित्तकुसीले जेए।३९। नहा नवकुसीले दुविहे गेए बनातवकुसीले अम्भितरनवकुसीले य, नन्थ जे केई विचित्तअणसणऊणोदरियाविनीसंखेवणरसपरिचायकायकिलससंलीणयत्ति छट्ठाणेमुन उजमेजा से णं बज्झनवकुसीले. तहा जे केई बिचिनपच्छिनविणयवेयावचसज्झायझाणउस्सग्गंमि चेएसुं छहाणेसुं न उनमेजा से णं अभितरनवकुसीले । ४० तहा पडिमाओ वारस तंजहा-'मासादी सत्ता एगद्गनिगसनराइदिण निन्नि। अहरानी एगराती भिक्खूपडिमाण बारसगं ॥२॥ तहा अभिग्गहा-दाओ खेनओ कालओ भावओ, तत्थ दवे कुम्मासाइयं दवं गहेयत्रं, खेनओ गामे बहिं वा गामम्स कान्लओ पढमपोरिसीमाईसु भावओ कोहमाइसंपन्नो जं देहिइ नं गहिस्सामि, एवं उत्तरगुणा संखेवओ समत्ता, समत्तो य संखेवेणं चरित्तायारो, नवायारोऽपि संखेवणेहनरगओ.नहा बीरियायारो एएस चेव जा अहाणी, एएसुं पंचसु आयाराड्यारेसु जं आउहियाए दपओ पमाया कप्पेण वा अजयणाए वा जयणाए वा पडिसेवियं ने तहेवालोइनाणं जं मग्गविऊ गुरू उवासंति तं तहा पायच्छित्तं नाणुचरेइ. एवं अट्ठारसण्हं सीन्लंगसहस्साणं जं जन्य पए पमने भवेजा से णं तेणं तेणं पमायदोसेणं कुसीले जेए।४१ तहा ओसनेम जाणे, णिस्थ लिहिजइ, पासत्ये णाणमादीणं सच्छंदे उस्सुनमग्मगामी सबके णेन्यं निहिजति, गंथवित्थरभयाओ, भगवया उण एवं पत्थावे कुसीयादी महापर्वघेणं पनविए. एन्थं च जा जा कत्थई अण्णण्णवावणा सा सुमुणियसमयसारहितो पउंसे(जे)यबा, जओ मूलादरिसे चेव बहुगेयं विप्पणहूँ नहिं च जत्थ २ संबंधाणुल्लम्गं संबज्झइ तत्थ तत्थ पहुएहिं सुयहरेहि संमिलिऊणं संगोवंगदुवालसंगाओ सुयसमुदाओ अन्नमनअंगउपंगमुयसंधज्मयणुदेसगाणं समुचिणिऊण किचि किंचि संबज्झमाणं एत्थं लिहियंति, ण उण सकर्ष कयति । ४२। पंचए मुमहापावे, जे ण वजेज गोयमा:। संन्यावादीहिं कुसीलादी, भमिही सो सुमनी जहा ॥१३३॥ भवकायठिनिए संसारे, घोरदुक्खसमोत्याओ। अलहनो दसबिहे धम्मे, मोहिमहिंसाइलक्खणे ॥४॥ एवं तु किर दिडूंत. संसम्गीगुणरोसओ। रिसिभिातासमवासेणं, णिष्फण्णं गोयमा ! सुणे ॥५॥ तम्हा कुसीलसंसग्गी, सशोवाएहिं गोयमा!। बजियाऽऽयहियाकखी, अंडजदि₹तजाणगे।९३६॥ ११३३ महानिशीबच्छेदमूत्रं अन्यमय-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महानिसीहमयासंघम्स तइयमज्झयणं ३॥ से गं भय ! कहं पुण तेण सुमइणा कुसीलसंसग्गी कायदा आसी जाए अ एयारिसे अइदारुणे अवसाणे समक्खाए, जेण भवकायट्ठिईए अणोरपारं भवसायरं भमिही से वराए दुकवसंतत्ते अलभंते सबष्णुवएसिए अहिंसालकवणे खंतादिदसविहे धम्मे बोहिंति ?, गोयमा ! णं इमे तंजहा-अत्थि इहेच भारहे वासे मगहा नाम जणवओ, नन्थ कुसन्थलं नाम पुरं, तंमि य उवलद्धपुन्नपावे सुमुणियजीवाजीवादिषयत्थे सुमइणाइलणामधेजे दुवे सहोयरे महड्डीए सड्ढगे अहेसि, अहऽन्नया अं. नरायकम्मोदएणं वियलियं विहवं नेसि, ण उण सत्तपरकमे, एवं तु अचलियसत्तपरकमाणं तेसिं अचंत परलोगभीरूणं विरयकूडकवडालियाणं पडिवन्नजहोवइद्वदाणाइचउक्खंघउवासगधम्माणं अपिसुणामच्छरीणं अमायावीणं, किंबहुणा?, गोयमा! ते उवासगाणं आवसहा गुणरयणाणं पभवा खंतीए निवासे सुयणमेत्तीणं, एवं तेसिं बहुवासरवन्नणिजगु-य णस्यणाणपि जाहे अमुहकम्मोएणं ण पहप्पए संपया ताहे ण पहप्पंति अवाहियामयामहिमादओ हदेवयार्ण जहिच्छिए पयासकारे साहम्मियसमाणो धयणसंचवहारे य।। अहऽन्नया अचलनेस अतिहिसकारेसु अपरिजमाणेसु पणइयणमणोरहेसु विडतेसु य सुहिसयणमित्तबंधवकलत्तपत्तणनुयगणेसु विसायमवगएहि गोयमा ! चिंतियं तेहिं सडढगेहि. नंजहा-'जा विहयो ना पुरिसस्स होइ आणापडिच्छओ लोओ।गलिउदयं घणं विजुलावि दूरंपरिचयइ ॥१॥एवं च चिंतिऊण परोप्परं भणिउमारखे, तत्थ पढमो-पुरिसेण माणधणवज्जिएण परिहीणभागधेजेणं ने देसा गंता जत्थ सवासा ण दीसंति ॥२॥ तहा बीओ 'जस्स धणं तस्स जणो जस्सऽत्यो तस्स बंधवा बहवे। धणरहिओ उ मणूसो होइ समो दासपेसेहिं ॥३॥ अह एवमपरोपरं संजोजेड. संजोजेऊण गोयमा ! कयं देसपरिचायनिच्छयं तेहिंति जहा बच्चामो देसंतरंति, तत्य ण कयाई पुर्जति चिरचितिए मणोरहे हवह परजाए सह संजोगो जद दियो बहु मन्नेजा, जापणं उज्झिऊणं तं कमागयं कुसत्थलं पडिवन्नं विदेसगमणं । २। अहऽन्नया अणुप्पहेणं गच्छमाणेहि दिहा तेहिं पंच साहुणो छ8 समणोवासगंति, तओ भणियं णाइलेण- जहा भो भो सुमती ! भदमुह : पेच्छ केरिसो साहुसत्यो?, ता एएणं चेच साहुसत्थेणं गच्छामो, जइ पुणोवि नूर्ण गंत, तेण भणियं एवं होउत्ति, तओ संमिलिया तस्थ सन्थे, जाव णं पयाणगमेगं वहति तापणं भणिओ सुमती णाइलेणं,जहा णं भद्दमुह ! मए हरिवंसतिलयमरगयच्छविणो सुगहियनामधेजस्स बावीसहमतित्थगरस्स णं अरिट्ठनेमिनामस्स पायमूले मुहनिसणेणं एवमवधारियं आसी, जहा जे एवंविहे अणगाररूवे भवंति ते य कुसीले, जे य कुसीले ते दिट्ठीएवि निरिक्खिउं न कप्पति, ता एते साहुणो तारिसे. मणागं न कप्पए एनेसि सम अम्हाण गमणसंसग्गी, ता वयंतु एते, अम्हे अप्पसत्येण चेव वइस्लामो, न कीरह तित्थयरवयणस्सातिकमो, जओ णं ससुरासुरस्सावि जगस्स अलंघणिज्जना तित्थयरवाणी, अन्नंच जाच एतेहिं समं गम्मइ ताव णं चिट्ठउ ताव दरिसणं, आलावादी णियमा भवंति, ता किमम्हेहि तित्थयरवाणि उतंचित्ताणं गंतवं?, एवं तमणुभाविऊणं ते सुमतिं हत्ये गहाय निवडिओ नाइलो साहुसत्याओ।३। निविट्ठोय चक्सुविसोहीए फासुगे भूपएसे, तओ भणियं सुमहणा, जहा-'गुरुणो मायापित्तस्स जेट्ठभाया तहेव भइणीणं । जत्थुत्तरं न दिजइहा देव ! भणामि किं तत्थ?॥४॥ आएसेऽवि इमाणं पमाणपुर्व तहत्ति ना(का)यचं। मंगुलममंगुलं वा तत्थ विचारो न कायरो ॥५॥णवर एत्थ य मे अज दाया अजमुत्तमिमस्सा सरफरसककसाणिनिट्ठरसरहिं तु॥६॥ अहवा कह उच्छलउ जीहा मे जेदभाउणो परओ। जस्सच्छंगे पिणियंसणोऽह रमिओऽसुइषिलित्तो ॥ ७॥ अहवा कीस ण लजइ एस सयं चेव एव पभणतो?। जं तु कुसीले एते दिट्ठीएऽवी ण दवे ॥८॥ साहुणोत्ति, जाव न एवइयं वायरे ताप गं इंगियागारकुसलेणं मुणियं गाइलेणं, जहा णं अलियकसाइओ एस मणगं सुमती, ता किमहं पडिभणामित्ति चिंतिउं समाढत्तो जहा कोण विण अकंडे एस पकुविओ हुताव संचिढे । संपद अणुणिजंतो ण याणिमो किं च बहु मन्ने?॥९॥ ता किं अणुणेमिमिणं उयाहु बोलउ खणद्धतालं वा। जेणुवसमियकसाओ पडिपजइ तं नहा सव्वं ॥१०॥ अहवा पत्यावमिणं एयस्सवि संसर्य अवहरे. मि। एस ण याणइ भहो जाब विसेसं णऽपरिकहियं ॥१॥ ति चिंतेऊणं भणिउमादत्तो-नो देमि तुम्भ दोसं ण यावि कालस्स देमि दोसमहं। हियनुदीएं सहोयरावि मणिया पकुष्पंति ॥२॥ जीवाणं चिय एत्वं दोसं कम्मट्ठजालकसियाण। जं पउगइनिष्फिडणं हिओवएसं न बुज्झति ॥३॥ घणरागदोसकुम्गहमोहमिच्छत्तसवलियमणाणं । भाइ विसं काल. उड हिओपएसामयप्पा ॥१४॥ ति, एवमायन्निऊण तओ भणियं सुमहणा, जहा तुमं चैव सच्चवादी भणस एयाई. णवरं ण जत्नमेयं जं साहणं अपन्नवार्य भासिजा, अन्नं व कि तं न पेच्छसि तुर्म एएसि महाणुभागाणं चिद्विर्य ?, उट्ठहमदसमदुवालसमासखमणाईहिं आहारमाहणं गिम्हामु यावणट्ठा वीरासणउकडयासणनाणाभिग्गहधारणेणं च कहतवोऽणुचरमेणं च पमुक्वं मंससोणियंति, महाउवासगो सि तुमं महाभासासमिती विइया तए जेणेरिसगुणोवउत्तार्णपि महाणुभागाणं साहूण कुसीलत्ति नामं संकप्पियंति, तो भणियं नाइ. लेणं-जहा मा बच्छ ! तुम एतेणं परिजोसमुक्यामु, जहा अहर्य आसवारेणं परामुसिओज, अकामनिजराएवि किंचि कम्मखयं भवइ, किं पुण जे बालतपेण ?, ता एते चालतय. ११३४ महानिशीथच्छेदमूत्र, अन्या मुनि दीपरत सागर Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिणो दवे, जओ णं किं किंचि उस्तुत्तमग्गयामित्तमेएसिं न पईसे?, अन्नंच-वच्छ सुमइ ! णत्थि ममं इमाणोवरिं कोवि सुहमोवि मणसावि उ पओसो जेणाहमेएसिं दोसगहण करेमि, किंतु मए भगवओ तित्थयरस्स सगासे एरिसमवधारियं जहा कुसीले अदट्टवे, ताहे भणियं सुमहणा, जहा जारिसो तुमं निच्बुद्धीओ तारिखो सोवि तित्थयरो जेण तुज्झ मेयं वायरियति तओ एवं भणमाणस्स सहत्येणं झंपियं महकुहरं सुमइस्स णाइलेणं, भणिओ य जहा भहमुह मा जगेक्कगुरुणो तित्थयरस्सासायणं कृणसु. मए पुण भणसु जहिच्यं, नाहं ते किंचि पडिभणामि, तओ भणियं सुमहणा, जहा जइ एतेवि साहुणो कुसीला ता एत्थ जगे ण कोई सुसीलो अस्थि, तओ भणियं णाइलेणं. जहा भदमुह ! सुमद इत्थं जयालंघणिजवकस्स भगवओ वयणमायरेयवं जं चत्थिकयाए न विसंवएजा णो णं बालतवस्तीण चेट्टियं, जओ णं जिणइंदवयणेण नियमओ ताव कुसीले इमे दीसंति, पजाए पुण गंधपि णो दीसए एसिं, जेणं पिच्छ २ तावेयस्स साहुणो विजयं मुहणंतगं दीसह ता एस ताव अहिगपरिग्गदोसेणं कुसीलो, ण एवं साहूण भगवयाऽऽइटुं जमहियपरिगविधारणं करे, ता बच्छ हीणसतेहिं नो एसेवं मणसाऽज्झबसे जहा जइ ममेयं मुहणंतगं विप्पणस्सिहिइ ता बीर्य कत्थ कहं पावेजा ? नो एवं चिंतेइ मूढो जहा अहिगाणुओ गोवही धारणेण मज्झं परिग्गहवयस्स भंग होही, जहवा किं संजमेऽभिरओ एस मुहणंतगाइसंजमोव ओगधम्मोवगरणेणवी सीएजा ?, नियमओ ण विसाए, णेवरमत्ताणयं हीणसत्तोऽहमिह पायडे उम्मग्गायरणं च पर्यसेइ पवयणं च मइलेइत्ति, एसा उण पेच्छसि सामन्नवत्ता, एएणं क तीए विणियंसणा इत्थीए अंगयडिं निज्झाइऊण जं नालोइयपडित त किं तए ण विन्नायं ? एस उण पिच्छेसि परूद्धविष्फोडगविम्हियाणणो ?. एतेणं संपयं चैव लोयट्ठाए सहत्येण मदिन्नछारगहणं कयं तएव विद्रुमेयंति, एसो उण पेच्छसि संघाडिए करडे एएणं अणुग्गए सूरिए उद्देह बच्चामो उग्गयं सूरियंति तहा विहसियमिणं, एसो उपेच्छसीमेसि जिट्टसेहो एसो अज्ज रयणीए अणोवउत्तो पत्तो विजुकाए फुसिओ, ण एतेणं कष्पगहणं कथं, तहा पभाए हरियतणं वासाकप्पंचलेणं संघट्टियं, तहा बाहिरोदगस्स णं परिभोगं कथं, बीयकायस्सोप्परेणं परिसक्किओ अविहीए एस खारथंडिलाओ महुरं थंडिलं संकमिओ, तहा पपडिवलेणं साहुणा कमसयाइकमे इंरियं पडिकमियत्रं, तहा चरेयां तहा चिट्ठयां तहा भासेयवं तहा सएययं जहा छक्कायमइगयाणं जीवाणं सुदुमवायरपज्ज तापजत्तगमागमसाजीवपाणभूयसत्ताणं संघट्टणपरियावणकिलामणोदवर्ण ण भवेजा, ता एतेसिं एवइयाणं एयस्स एकमवि ण एत्थं दीसए, जे पुण मुहणंतगं पडिलेहमाणो अज मए एस चोइओ जहा एरिसं पडिलेहणं करेसि जेण वाउकाय फट्टफडस्स संघट्टेजा सरियं च पडिलेहणाए संतियं कारणंति, जस्सेरिसं जयणं एरिसं सोबओगं बहु काहिसि संजम ण संदेह जस्सेरिसमा उत्तत्तणं तुज्नंति, एत्थं च तएऽहं विणिवारिओ जहा णं मृगो ठाहि, ण अम्हाणं साहूहिं समं किंचि भय कप्पे, ता किमेयं तं विसुमरियं ?, ता भद्दमुह एएण समं संजमत्थाणंतराणं एगमवि णो परिरक्खियं, ता किमेस साहू भन्नेजा जस्सेरिसं पमत्तत्तणं, ण एस साहू जस्सेरिसं निम्मं संपल (व) तं, महमूह पेच्छ २ सुणो इव णित्तिसो छक्कायनिमद्दणो कहाभिरमे एसो ?, अहवा वरं सूणो जस्स सुमुहममवि नियमवयभंगं णो भवेज्जा, एसो उ नियमभंग करेमाणो केणं उवमेज्जा ?, ता बच्छ सुमइ मदमुह ण एरिसकत्तवायरणाओ भवंति साहू, एतेहिं च कत्तहिं तित्ययरवयणं सरेमाणो को एतेसिं बंदणगमवि करेजा १, अनंच एएस संसग्गेणं कयाई अम्हाणंपि चरणकरणेसु सिढिलत्तं भवेजा, जेणं पुणो २ आहिंडेमो घोरं भवपरंपरं, तओ भणियं सुमइणा, जहा जइ एए कुसीले जइ वा सुसीले तहावि मए एएहिं समं पवज्जा कायवा, जं पुण तुमं करे ( है ) सि तमेव धम्मं णवरं को अज तं समायरिडं सको ?, ता मुयसु करं, मए एतेहिं समं गंत जाव णं णो दूरं वयंति ते साहुणोति, तओ भणियं णाइलेणं- भद्दमुह ! सुमइ णो कडाणं एतेहिं समं गच्छमाणस्स तुम्भंति, अहयं च तुम्भं हियवयणं भणामि, एवं ठिए जं चेव बहुगुणं तमेवाणुसेवय, णाहं तए दुक्खेण धरेमि, अह अन्नया अणेगोवाएहिंपि निवारिजंनो ण ठिओ गओ सो मंदभग्गो सुमती गोयमा ! पवइओ य, अह अन्नया वचतेणं मासपंचगेणं आगओ महारोरवो दुबालससंबच्छरिओ दुम्भिक्खो, तओ ते साहुणो तकालदोसेणं अणालोइयपडिकंता मरिऊणोववमा भूयजक्खरक्खसपिसायादीणं वाणमंतरदेवाणं वाहणत्ताए, तओ चविऊणं मिच्छजातीए कुणिमाहारकूरज्झवसायदोसओ सत्तमाए, तओ उचट्टिऊणं तद्याए चडवीसिगाए सम्मत्तं पावेहिंति, तओ य सम्मत्तलभभवाओ तइयभवे चउरो सिज्झिहिंति, एगो ण सिज्झिहिइ जो सो पंचमगो सङ्घजेट्टो, जओ णं सो एगंतमिच्छद्दिट्टी अभवो य से भयवं जे से सुमती से भने उयाहु अभवे ?, गोयमा भने, से भयवं जइ णं भवे ता णं मए समाणे कहिं समुप्पने १, गोयमा परमाहम्मियासुरेसुं । ४ से भयवं किं भजे परमाहम्मियासुरे सु समुप्पजाइ ?, गोयमा ! जे केई घणरागदोसमोहमिच्छत्तोदएणं सुववसि ( कहि) यंपि परमहिओवएस अवमत्रेत्ताणं दुवालसंगं च सुयनाणमप्पमाणीकरि य अयाणिनाण य समयसम्भावं अणायारं पसंसियाणं तमेव उच्छप्पेजा जहा सुमइणा उच्छप्पियं न भवति एए कुसीले साहुणो, अहा णं एएऽवि कुसीले तो एत्थं जगे न कोई सुसीलो. अस्थि निच्छियं मए एतेहिं ११३५ महानिशीथच्छेदसूत्रं, असयण मुनि दीपरत्नसागर Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समं पाजा कायद्या, तहा जारिसो तं निशुद्धीओ तारिसो सोऽवि तित्थयरो'त्ति एवं उच्चारेमाणेणं, से णं गोयमा! महंतंपि तवमणुढेमाणे परमाहम्मियासुरसु उववजेजा, से भयवं! परमाइम्मियासुरदेवा णं उबट्टे समाणे कहिं उववज्जे ?, भगवं ! परमाहम्मियसुरदेवाणं उबट्टे समाणे से सुमती कहिं उववजेजा ?, गोयमा ! तेणं मंदभागेणं अणायारपसंसुच्छप्पणं करेमाणेणं सम्मग्गपणासणं अभिणंदियं, तक्कम्मदोसेणं अणंतसंसारियत्तणमजियं, तो केत्तिए उववाए तस्स साहेजा ? जस्स णं अणेगपोग्गलपरियडूसुवि णस्थि चउगइसंसाराओ अ. वसाणंति तहावि संखेवओ सुणसु, गोयमा ! इणमेव जंबूदीवदीवं परिक्खिविऊणं ठिए जे एस लवणजलही एयस्स णं जंठामं सिंधूमहानदी पविट्टा तप्पएसाओ दाहिणेणं दिसाभाएणं पणपन्नाए जोयणेसुं बेइयाए मझंतरं अस्थि पडिसंतावदायगं नाम अद्धतेरसजोयणपमाणं हत्यिकुंभायारं थलं, तस्स य लवणजलोदएणं अदुट्ठजोयणाणि उस्सेहो, तहिं च णं अचं. तघोरतिमिसंधयाराउ घडियालगसंठाणाउ सीयालीसं गुहाओ, तासु च णं जुगं जुर्ग अंतरंतरे जलयारिणो मणुया परिवसंति, ते य बजरिसहनारायणसंघयणे महाबलपरक्कमे अद्ध. तेरसरयणीपमाणेणं संखेजवासाऊ महुमजमंसप्पिए सहावओ इत्थीलोले परमदुवनसुउमालअणि?खररुसि(क्खि)यतणू मायंगवइकयमुहे सीहघोरदिट्ठी कयंतभीसणे अदावियपट्ठी असणिव निट्टरपहारी दप्पुदरे य भवंति, तेसिंति जाओ अंतरंडगगोलियाओ ताओ गहाय चमरीणं संतिएहिं सेयपुच्छवालेहिं गुंथिऊणं जे केई उभयकन्नेसु निबंधिऊण महग्घुत्तमजबरयणत्थी सागरमणुपविसेज्जा से णं जलहत्यिमहिसगाह्गमयरमहामच्छतंतुसंसुमारपभितीहिं दुट्ठसावतेहिं अमेसिए चेव सर्वपि सागरजलं आहिंडिऊण जहिच्छाए जच्चरयणसंगह करिय अयसरीर आगच्छे, ताणं च अंतरंडगोलियाण संबंधण ते बराए गोयमा! अणोवमं सघार दारुणं दुक्खं पुजियरोह गोयमा! तेसिं जीवमाणाणं को समजे तओ गोलियाओ गहेउं जे?, जया उण ते घेप्पति तया बहुविहाइं नियंतणाई महया साहसेणं समवपद्धकरवालकुंतचक्काइपहरणाडोवेहिं बहुसूरधीरपुरिसेहिं बुद्धिपुवगेणं सजीवियडोलाए पेपंति, तेसिंच धिप्पमाणाणं जाई सारीरमाणसाइं दुक्खाई भवंति ताई सन्वेसुनारयदुक्खेसु जइ परं उवमेजा, से भयवं! को उण ताओ अंतरंडगोलियाउ गेण्हिज्जा ?, गोयमा! तत्थेव लवणसमुद्दे अस्थि रयणदीर्व नाम अंतरदीवं, तस्सेव पडिसंतावदायगाओ थलाओ एगतीसाए जोयणसएहिं तंनिवासिणो मणुया, भयवं! कयरेणं पओगेणं, खेत्तसभावसिद्धेण पुषपुरिससिद्धेणं च विहाणेणं, से भयवं! कयरे उण से पुचपुरिससिद्धे विही तेसिंति ?, गोयमा! तहियं स्यणदीवे अस्थि वीसएगणवीसअट्ठारस - बसट्ठसत्तधणूपमाणाई घरसंठाणाई वरिहवाइरसिलासंपुडाई, ताई च विघाडेऊणं तेरयणदीवनिवासिणो मणुया पुत्रसिद्धखेत्तसहाबसिदेणं चेव जोगेणं पभूय मच्छिया महूओ अजॉ. तरेउं अच्चंतलेवाडाई काऊणं तओ तेर्सि पकमंसलंडाणि बहूणि जचमहुमज्जभंडगाणि पक्खिवंति, तओ एयाई करिय सुरुंददीहमहदुमकद्वेहिं आरुभेत्ताणं सुसाउपोराणमजमजिगामच्छियामहुयपडिपुझे बहुए लाउगे गहाय पडिसंतावदायगथलमागच्छंति, जाव णं तत्थागए समाणे ते गुहावासिणो मणुया पेच्छति ताव णं तेसिं रणयदीवगणिवासिमणुयाणं वहाय पडिधावंति, तओ ते तेसि महुपडिपुत्रं लाउर्ग पयच्छिऊणं अब्भत्थपओगेणं तं कट्ठजाणं जइणयरवेग दुवं खेविऊणं रयणदीवाभिमुहे वचंति, इयरे य णं तं महुर्मासादीयं, पुणो सुठ्ठयर तेसिं पिट्ठीए (विक्खिरमाणा) धावंति, ताहे गोयमा! जाव ण अच्चासने भवंति ताव णं सुसाउमहुगंधदवसकारिय पोराणमजलाउगमेगं पमुत्तूण पुणोवि जइणयरखेगेणं स्यणदीवहुत्तो वचंति, इयरे य तं सुसाउमहुगंधदवसकरियं पोराणमजमांसाहय, पुणो सुदक्खयरे तेसिं पट्टीए धावंति. पुणोवि तेसिं महपडिपुजलाउगमेग मुंचंति, एवं ते गोयमा! महुमजलोलिए संपलग्गे तावाणयंति जाव णं ते घरसंठाणे वइरसिलासंपुडे, ता जाव णं तावइयं भूभाग संपरायति तावणं जमेवासन वइरसिलासंपुर्ड जंभायमाणपुरिसमुहामारं विहाडियं चिट्ठह तत्थेव जाई महुमजपडिपुताई समुद्धरियाई सेसलाउगाई ताई तेसि पिच्छमाणाणं ते तत्थ मोत्तूणं नियनियनिलएसु वचंति, इयरे य महुमजलोलिए जाव णं तत्य पविसंति ताव णं गोयमा! जे ते पुषमके पकर्मसखंडे जे य ते महुमजपडिपुन्ने मंडगे जंच महए चेचालित्तं सर्वतं सिलासंपर्ड पेक्वंति ताव ण तेसि महतं परिओसं महई तट्टी महंत पमोदं भवइ, एवं तेसिं महुमजपकमंसं परिभुजेमाणाणं जाव णं गच्छंति सत्तट्ठ दसपंव वा दिणाणि ताव णं ते रयणदीवनिवासी मणुया एगे सनद्धसाउहकरग्गा तं वइरसिलं वेदि. ऊणं सत्तट्ठपंतीहिं गं ठंति, अन्ने त घरहसिलासंपुडमायलित्ताणं एगहूँ मेलंति, तमि अ मेलिजमाणे गोयमा ! जइणं कहिंचि तुडितिभागओ तेसिं एक्कस्स दोहंपि वा णि फेडं भ. वेजा तओ तेसिं रयणदीवनिवासिमणुयाण सविडविपासायमंदिरस्स उप्पायणं, तक्खणा चेव तेसिं हत्या संघारकालं भवेजा, एवं तु गोयमा ! तेसिं तेणं बजसिलाघरद्दसंपुडेणं गिलि. याणपि तहियं चेव जावणं साहिए दलिऊणं ण संपीसिए सुकुमालिया य(ण)तावणं तेसिंणो पाणाइक्कमं भवेजा, ते य अट्ठी बइरमिव दुद्दले, तेसिं तु तत्थ य वइरसिलासंपुढं कण्हगगोणगेहिं आउत्तमादरेणं अरहघरहखरसहिगचक्कमिव परिमंडलं भमालियं ताव णं खंडंति जाव णं संवच्छर, ताहे तं तारिसं अचंतघोरदारुणं सारीरमाणसं महादुक्खसन्निवार्य समणुभवमाणाणं पाणाइकम भवइ तहावि ते तेसिं अट्ठीउ णो फुडंति, नो दोफले भवंति, णो संदलिजंति, णो परिसंति, नवरं जाई काइवि संधिसंधाणबंधणाई ताई सबाई (२८४) ११३६ महानिशीथच्छेदसूत्र अन्सwi-7 मुनि दीपरत्नसागर Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विच्छुडेत्ताणवि जजरीभवति, तओ णं इयरुवलघरहस्सेव परिसवियं चुण्णमिव किंचि अंगुलाइयं अद्विखंडं दट्टणं ते स्यणदीवगे परिजओसमुहतो सिलासपुडाई उचियाडिऊण ताओ अंतरंडगोलियाओ गहाय जे तत्थ तुच्छहणे ते अणेगरित्यसंघाएणं विकिणति, एतेणं विहाणेणं गोयमा ! ते रयणदीवनिवासिणो मणुया ताओ अंतरंडगोलियाओ गेव्हंति, से भयवं! कहं ते वराए तं तारिसं अचंतघोरदारुणसुदुस्सहं दुक्खनियरं विसहमाणे निराहारपाणगे संवन्छरं जाव पाणे विधारयति ?, गोयमा ! सकयकम्माणुभावाओ, सेसं तु पण्हवागरणवुद्धविवरणादवसेयं ।। से भयर्व! तजोऽवी स मए समाणे से सुमती जीवे कहिं उववायं लभेजा ?, गोयमा! तस्येव पडिसंताबदायगवले, तेणेव कमेणं सत्त भवंतरे, तओवि दुद्दसाणे तओवि कण्हे तओवि वाणमंतरे, तओवि लिंबत्ताए वणस्सईए, तओवि मणुएसं इत्थित्ताए, तओवि छट्ठीए, तओवि मणुयत्ताए कुट्ठी, तओवि वाणमंतरे, तओवि महाकाए जहाहिवती गए, तओवि मरिऊर्ण मेहुणासत्ते अणंतवणप्फतीए, तओवि अर्णतकालाओ मणुएमु संजाए, तओवि मणुए महानेमित्ती, तओवि सत्तमाए, सोवि महामच्छे परिमोयहिंमि, नओ सत्तमाए, तओवि गोणे, तओवि मणुए, तओवि चिडवकोइलियं, तओवि जलोय, तओवि महामच्छे, तओपि तंदुलमच्छे, तओवि सत्तमाए, तओवि रासहे, तोचि साणे, तओवि किमी, तओवि ददुरे, तओवि तेउकाए, तओवि कुंकू, तओवि महुयरे, तओवि चंडए, तओवि उद्देहियं, तओवि वणफईए, तओवि अर्णतकालाओ मणुएम इत्थीरयणं, तओ छट्ठीए, तओ कणेरू, तओ वेसामंडियं नाम पट्टणं तत्थोषज्झायगेहास लिंग(पत्त)नेण वणस्सई, तओवि मणुएK सुजित्थी, तओवि मणुयत्ताए पंडगे, तओवि मणुयत्तेणं दुग्गए, तओवि दमए, तओवि पुढवादीसुं भवकायट्टिईए पत्तेयं, तओ मणुए, तो चालतवस्सी, तओ वाणमंतरे, तओवि पुरोहिए, तओवि सत्तमीए, तओ मच्छे, तओ सत्तमाए, तओवि गोणे, तोवि मणुए महासम्महिट्ठी अविरए चक्कहरे, तओ पदमाए, तओवि इन्भे, तओवि समणे अणगारे, तओवि अणुत्तरमुरे, तओवि चकहरे महासंघयणे भवित्ताण निधिनकामभोगे जहोवइ8 संपुग्नं संजमं काऊप गोयमा ! से णं सुमइजीवे पडिनिबुडेजा।६। तहा य जे भिक्खू वा भिक्सुणी वा परपासंडीणं पसंस करेजा जे यावि णं णिण्हगाणं पसंसं करेजा जे गं निहगाणं अणुकलं मासेजा जे णं निष्हगाणं आयवर्ण पवेसेजा जे णं निष्हगाणं गंथसत्यपयक्सरं वा परवेजा जे णं निष्हगाणं संतिए कायकिलेसाइए तवेइ वा संजमेह वा नाणेइ वा विमाणेइ वा सुएइ वा पंडिचेइ वा अभिमुहमुदपरिसामनगए सलाहेजा सेऽविय णं परमाहम्मिएसु उवरजेजा जहा सुमती। उसे भयवं! तेणं समइजीवेणं नकालं समणत्तणं अणुपालियं तहावि एवंविहेहिनारयतिरियनरामरविचित्तोवाएहिं एवइयं संसाराहिंडणं?. गोयमा ! णं जं आगमचाहाए लिंगम्गहर्ण कीरहतं डंभमेव केवलं सुदीहसंसारहेउभूयं, णो णं तं परियायत लिक्वइ. तेणेव संजर्म दुकर मन्ने, अन्नंच-समणत्ताए से य पढमे संजमपए जं कुसीलर्ससम्गीणिरिहरणं, अहा णं णो णिरिहरे ता संजममेव ण ठाएजा, ता तेणं सुमहणा तमेवायरियं तमेव पसंसिर्य तमेव उस्सप्पियं तमेव सला. हियं तमेवाणुट्ठियंति, एयं च सुत्तमइक्कमित्नाणं एत्यं पए जहा सुमती तहा अमेसिमवि सुंदरविउरदसणसेडणीलभहसभोमेयखग्गधारितणगसमणदुईतदेवरक्खियमुणिणामादीणं को संखाणं करेजा , ता एयमहूँ विइत्ताणं कुसी. लसंभोगे सबहा कजणीए । ८। से भयवं ! किं ते साहुणो तस्सणं णाइलसड्ढगस्स छंदेणं कुसीले उयाहु आगमजुत्तीए?, गोयमा ! कहं सड्ढगस्स वरायस्सेरिसो सामस्थो ? जेणं तु सच्छंदत्ताए महाणुभावाण मुसाहूणं अवन्नवार्य तिलयमरगयच्छविणो बावीसइमधम्मतित्थयरअरिट्टनेमिनामस्स सयासे बंदणवत्तियाए गएणं आयारंग अर्णतगमपजवेहिं पाविजमार्ण समवधारियं, तत्य य उत्तीसं आ जे केइ साहू वा साहुणी वा अन्नयरमायारमइकमेजा से णं गारथीहिं उपमेयं, अहऽन्नहा समणुढे वाऽऽयरेज्जा वा पण्णविजा वा तओ णं अणंतसंसारी भवेजा, ता गोयमा ! जे णं तु मुहर्णतगं अहिगं परिग्गहियं तस्स ताव पंचमम. हायस्स भंगो, जे णं तु इत्थीए अंगोवंगाई णिज्झाइऊण णालोइयं तेणं तु बंभचेरगुत्ती विराहिया, तधिराहणेणं जहा एगदेसदड्ढो पड़ो दइढो भन्नइ तथा चउत्थमहायं भर्ग, जेण य सहत्येणुप्पाइऊणादिमा भूई पडिसाहिया तेणं तु तइयमहरयं भर्ग, जेण य अणुग्गओ मूरिओ उम्गओ भणिओ तस्स या बीयवयं भग्गं, जेण उण अफासुगोदगेण अच्छीणि पहोयाणि तहा अविहीए पहयंडिडाणं संकमणं कयं बीयकायं च अकंतं वासाकप्पस्स अंचलगेणं हरियं संघट्टियं विजूए फुसिओ मुहर्णतगणं अजयणाए फडफडस्स बाउकायमुदीरियं तेणं तु पढमवयं भर्ग, तभंगे पंचहंपि महायाण मंगो कञो, ता गोयमा! आगमजुत्तीए एते कुसीला साहुणो, जओ णं उत्तरगुणाणपि मंगंण इ8, किं पुण जं मूलगुणाणं, से भयवं! ता एयणाएणं वियारिऊणं महबए घेत्तवे?, गोयमा ! इमे अढे समढे.से भयवं! केणं अटेणं ?, गोयमा ! सुसमणाइ वा सुसावएइ वा, ण तइयं भेयंतरं, अहवा जहोबइहूँ सुसमणन. मणुपालिया अहा गं जहोवढे सुसावगत्तमणुपालिया, णो समणो समणत्तमइयरेजा नो सावए सावयत्तमइयरेजा, निरइयारं वयं पर्ससे, तमेव य समणुढे, णवरं जे समणधम्मे से णं अचंतघोरतुचरे तेणं असेसकम्मक्खयं, जहनेणंपि अट्ठभवभतरे मोक्खो, इयरेणं तु सुद्धेणं देवगई सुमाणुसत्तं वा सायपरंपरेणं मोक्खो, नवरं पुणोवि तं संजमाओ, ता जे से समणधम्मे से अवियारे सुवियारे पण(पुण्ण )वियारे तहत्तिमणुपालिया, उवासगाणं पुण सहस्साणि विधाणे जो जं परिवाले तस्साइयारं व ण भवे तमेव गिरोहे।९। से भयवं! सो उण णाइलसड्ढगो कहिं समुप्पन्नो ?, गोयमा ! सिद्धीए, से भयवं कहं ?, गोयमा ! तेणं महाणुभागेणं तेर्सि कुसीलाणं णिउद्देऊणं तीए चेव बहुसावयतस्संडसंकुलाए घोरकंताराडईए सवपावकलिमलकलंकविप्पमुकं तित्ययरवयणं परमहियं सुदुलहं भवसएमुंपित्ति कलिऊणं अञ्चतविसुशासएणं फायदेसंमि निप्पडिकम्मं निरइयारं पडिवन्नं पायबोवगमणमणस. गति, अह अन्नया तेणेव पएसेणं विहरमाणो समागओ तित्ययरो अरिहनेमी तस्स अ अणुग्गहट्ठा एतेंतेणेव अचलियसत्तो भव्वसत्तोत्तिकाऊणं, उत्तिमट्टपसाहणी कया साइसया देखणा, तमायन्नमाणो सजलजलहरनिनायदेबढुंदुहीनिग्घोसं तित्थयरभारई सुहजमवसायपरो आरूढो खवगसेढीए अउब्वकरणेणं, अंतगडकेवली जाओ, एतेणं अट्टेणं एवं बुचड़ जहा णं गोयमा ! सिद्धीए, ता गोयम ! कुसीलसंसगीए विपहियाए एवइयं अंतरं भवइत्ति ।१०। महानिसीहस्स चउत्थमज्झयणं ४॥अत्र चतुर्थाध्ययने बहवः सैद्धांतिकाः केचिदाापकान सम्यक् अइयत्येव, तैरबदधानैरस्माकमपि न सम्यक् बद्धानं इत्याह हरिभद्रमूरिः, न पुनः सर्वमेवेदं चतुर्थाध्ययनं, अन्यानि ११३७ महानिशीथच्छेदसूत्र, अन्स 7 मुनि दीपरनसागर 15 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वा अध्ययनानि, अस्यैव कतिपयैः परिमितैरालापकैरश्रद्धानमित्यर्थः, यत् स्थानसमवायजीवाभिगमप्रज्ञापनादिषु न कथंचिदिदमाचस्ये यथा प्रतिसंतापकस्थलमस्ति, तद्गुहावासिनस्तु मनुजास्तेषु च परमाधार्मिकाणां पुनः पुनः सप्ताष्टवारान् यावदुपपातः तेषां च तैर्दारुणैर्वजशिलाघरट्टसंपुटैर्गिलितानां परिपीड्यमानानामपि संवत्सरं यावत्प्राणव्यापत्तिर्न भवतीति, वृद्धवादस्तु पुनर्यथा तावदिदमार्थं सूत्रं, विकृतिर्न तावदत्र प्रविष्टा, प्रभूताश्चात्र श्रुत. स्कंधे अर्थाः, सुष्ट्वतिशयेन सातिशयानि गणधरोक्तानि चेह वचनानि, तदेवं स्थिते न किंचिदाशंकनीयं । ११ एवं कुसीलसंसगिंग, सोवाएहिं पयहिउं उम्मग्गपट्टियं गच्छं, जे वासे लिंगजीविणं ॥ १ ॥ से णं निविग्घमकिलिट्टे, सामन्नं संजमं तवं । ण लभेजा ते सिया भावे, मोक्खे दूरयरं ठिए ॥ २ ॥ अत्येंगे गोयमा ! पाणी, जे ते उम्मम्गपट्टियं । गच्छं संवासइत्ताणं, भ्रमती भवपरंपरं ॥ ३ ॥ जामद्धजामं दिणपक्खं, मासं संबच्छरंपि या सम्मग्गपट्टिए गच्छे, संवसमाणस्स गोयमा ! ॥ ४॥ लीलायऽलसमाणस्स, निरुच्छाहस्स धीमणं । पक्खोवेक्खीय यन्नेए महाणुभागाण साहूणं ॥ ५ ॥ उज्जमं सवथामेसु घोरवीरतवाइयं ईसक्खासंकभयलजा, तस्स बीरियं समुच्छले ॥ ६ ॥ बीरिएणं तु जीवस्स, समुच्छलिएण गोयमा ! जंमंतरकए पावे, पाणी हियएण निट्टवे ॥ ७॥ तम्हा निउणं निभालेडं, गच्छं सम्मग्गपट्टियं निवसेज्ज तत्थ आजम्मं, गोयमा! संजए मुणी ॥८॥ से भयवं! कयरे णं से गच्छे जेणं वासेना ?, एवं तु गच्छस्स पुच्छा जाव णं वयासी ?, गोयमा ! जत्थ णं समसत्तुमित्तपखे अचंतसुनिम्मलविसुद्धंतकरणे आसायणाभीरू सपरोवयारमभुजए अचंतं छजीवनिकायवच्छले सवालंबणविप्पमुक्के अचंतमप्पमादी सविसेस चेतियसमयसम्भावे रोहट्टज्झाणविप्यमुक्के सवत्थ अणिगृहियत्रवीरियपुरिसकारपरक मे एगंतेणं संजईकप्पपरिभोगविरए एगतेणं धम्मंतरायभीरू एगंतेणं त ( स ) तरुई एगतेणं इत्थिकहाभत्त कहातेण कहाराय कहाजणवयकहापरिभट्टायारका एवं तिन्नितियअहारसबत्तीस विचित्तमप्पमेयसव विगहाविष्यमुक्के एगंतेणं जहासत्तीए अट्ठारसण्डं सीलिंगसहस्साणं आराहगे सयलमहन्निसाणुसमयमगिलाए जहोवइमग्गपरूवाए बहुगुणकलिए माि अखलियसीलेगमहायसे महासत्ते महाणुभागे नाणदंसणचरणगुणोववेए गणी | १| से भयवं । किमेस वासेजा ?, गोयमा ! अत्थेगे जे णं वासेना अत्थेगे जे णं णो वासेज्जा, से भयवं! केणं अद्वेणं एवं बुच्चइ जहां णं गोयमा अत् जेणं वासेज्जा अत्थेगे जे णं नो वासेजा ? गोयमा ! अत्थेगे जे णं आणाए ठिए अत्थेगे जे णं आणाविराहगे, जेणं आणाठिए से णं सम्मदंसणनाणचरिताराहगे, जेणं सम्महंसणनाणचरिताराहगे से णं गोयमा ! अश्चंत बिऊ सुपर्व (यह )रकडुजए मोक्खमग्गे, जे य उण आणाविराहगे से णं अणताणुबंधी कोहे से णं अनंताणुबंधी माणे से णं अणंताणुबंधी कइयवे से णं अनंताणुबंधी लोभे, जे णं अनंताणुबंधी कोहाइकसायचउके से णं घणरागदोसमोहमिच्छत्तपुंजे जे णं घणरागदोसमोहमिच्छत्तपुंजे से णं अणुत्तरघोरसंसारसमुद्दे जेणं अणुत्तरघोरसंसारसमुद्दे से णं पुणो २ जंमे पुणो २ जरा पुणो २ मचू जेणं पुणो २ जम्मजरामरणे से णं पुणो २ बहुभवंतरपरावते जे णं पुणो २ बहुभवंतरपरावत्ते से णं पुणो २ चुलसीइजोणिलक्खमाहिंडणं जे णं पुणो २ चुलसीइजोणिलक्खमाहिंडणं से णं पुणो २ सुदूहे घोरतिभिसंधयारे रुहिरञ्चिलिच्चिले वसपूयवंतपित्तसिंभचिक्खदुग्गंधासुइविलीण जंबाल के किविसखरंटपडिपुत्रे अणिउब्वियणिजऽइघोर चंडमहारोहदुक्खदारुणे गन्भपरंपरापवेसे जे णं पुणो २ दारुणे गब्भपरंपरापवेसे से णं दुक्खे से णं केसे से णं रोगायंके से णं सोगसंतावुत्रेयगे जेणं दुक्खकेसरोगायंकसोगसंतावुश्चेवगे से णं अणिती जेणं अणित्ती से णं जहट्टियमणोरहाणं असंपत्ती जे णं जहट्टियमणोरहाणं असंपत्ती से णं ताव पंचप्पयारअंतरायकम्मोदए जत्थ पंचप्पयारकम्मोदए एत्थ णं सङ्घदुक्खाणं अग्गणीभूए पढमे ताव दारिदे जे णं दारिदे से णं अयसऽभक्खाणअकित्तिकलंकरासीणं मेलावगागमे जेणं अयसऽभक्खाण अकित्तिकलंकरासीणं मेलावगागमे से णं सयलजणलज्जणिजे निंदणिजे गरहणिजे खिसणिजे दुर्गुरुणिजे सहपरिभूयजीविये जे णं सङ्घपरिभूयजीबिए से णं सम्महंसणनाणचरित्ताइगुणेहिं सुदूरयरेणं विप्पमुके चैव मणुयजम्मे अन्नहा वा सङ्घपरिभूए चेवणं भवेजा, जेणं सम्मदंसणनाणचरित्ताइगुणेहिं सुदूरयरेणं विप्यमुक्के चैव न भवे से णं अणिरुद्धासवदारए चेत्र, जेणं अनिरुदासबदारते चेव से णं बहलधूलपावकम्माययणे जेणं बहलधूलपावकम्माययणे से णं बंधे से णं बंधी से णं गुत्ती से णं चारगे से णं सक्षमकलाणमंगलजाले दुद्विमोक्खे कक्खडपणचद्धपुट्ठनिगाइए कम्मगंठी जे णं कक्खडपणषद्धपुछनिगाइयकम्मगंठी से णं एगिंदियत्ताए दियत्ताए तेईदियत्ताए चउरिंदियखाए पंचिंदियत्ताए नारयतिरिच्छकुमाणुसेसु अणेगविहं सारीरमाणसं दुक्खमणुभवमाणेणं वेइयवे, एएणं अट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जहा अत्थेगे जेणं वासेज्जा अत्थेगे जेणं नो वासेज्जा । २। से भयवं किं मिच्छत्तेण उच्छाइए केइ गच्छे भवेजा १. गोयमा जे गं से आणाविराहगे गच्छे भवेजा से गं निच्छयओ चैव मिच्छतेणं उच्छाइए भवेजा से भयवं! कयरा उण सा आणा जीए लिए गच्छे आराहगे भवेजा ?, गोयमा ! संखाइएहिं थाणंतरेहिं गच्छस्स णं आणा पहना जाए ठिए गच्छे आराहगे भवेजा । ३ । से भयवं किं तेसिं संखानीवाणं गच्छ मेरायाणंतराणं अस्थि केइ अन्नयरे थाणंतरे जे णं उस्सम्मेण वा अववाएण वा कवि पमायदोसेणं असई अइकमेजा, अइकतेण वा आराहगे भवेजा ?, गोयमा ! णिच्छयओ नत्थि से भयवं! केणं अद्वेणं एवं बुच्चइ जहा णं निच्छयओ नत्थि ?, गौयमा तित्थयरे णं तावतित्थयरेनित्थे पुण चाउब्वन्ने समणसंघ, से णं गच्छेसु पइट्टिए, गच्छेवि णं सम्मदंसणनाणचरिते पइट्टिए, ते य सम्मदंसणनाणचरिते परमपुजाणं पुज्जयरे परमसरण्णाणं सरण्णयरे परमसेष्वाणं सेवयरे, नाइं च जत्थ णं गच्छे अन्नयरे ठाणे कत्थई विराहिजंति से णं गच्छे सम्मग्गपणासए उम्मग्गदेसए जे णं गच्छे सम्मग्गपणासए उम्मग्गदेसर से णं निच्छयओ चेव आणाविराहगे, एएणट्टेणं गोयमा ! एवं बुम्बइ जहा णं संखादीयाण गच्छे मेराठाणं नराणं जेणं गच्छे एगमन्नयरद्वाणं अइकमेजा से णं एगतेणं चेव आणाविराहगे । ४ । से भयवं ! केवइयं कालं जाव गच्छस्स णं मेरा पन्नविया ?, केवइयं कालं जाव णं गच्छस्स मेरा णाइकमेयवा?, गोयमा ! जाव णं महायसे महासने महाभागे दुप्पसहे अणगारे ताव णं गच्छमेरा पन्नविया जाव णं महायसे महासत्ते महाणुभागे दुप्पसहे अणगारे ताव णं गच्छमेरा नाइकमेयवा । ५। से भयवं ! कयरेहिं णं लिंगेहिं वइक्कमिय मेरं आसायणाचहुलं उम्मग्गपट्टियं गच्छ बियाणेजा ?, गोयमा ! जे असंठवियं सच्छंदयारिं अमुणियसमयसम्भावं लिंगोवजीविं पीढफलगपडिबद्धं अफासुबाहिरपाणपरिभोई अमुणियसत्तमंडलीधम्मं सङ्घावस्सगकालाइकमयारिं आवस्सगहाणिकरं ऊणारितावस्सगपवतं ११३८ महानिशीथच्छेदसूत्रं अज्झयण - मुनि दीपरत्नसागर Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KHAN गणणापमाणऊणाइरित्तस्यहरणपत्तरंडगमुहणंतगाइउवगरणधारं गुरुवगरणपरिभोई उत्तरगुणविराहगं गिहत्वछंदाणुवित्ताइसम्माणपवत्तं पुढवीदगागणिवाऊवणफईचीयकायतसपाणचितिचउपंचेंदियाणं कारणे वा अकारणे वा असती पमायदोसओ संघट्टणादीसं अदिदोसं आरंभपरिम्महपवित्तं अदिन्नालोयणं विगहासील अकालयारि अविहिसंगहियापरिक्खियपचाविओवट्ठापियनसिक्तवियदसविहविणयसामायारिं लिंगिण इढिरससायागारवजायाइमयचउकसायममकारअहंकारकलिकलहसंझाइमररोज्झाणोचगयं अठावियबहुमयहरं देहित्ति निच्छोडियकरं बहुदिवसकयलोयं विजामंततंतजोगजा(गंज)णाहिजणिकचरकसं अबृढमूलजोगगणिओगं दुकालाइआलंवणमासज्ज अकल्पकीयगाइपरि जणसीलं किंचि रोगार्यकमालंपिय तिगिच्छाहिणंदणसीलं जंकिंचि रोगार्यकमासीय दिया तुयट्टणसीलं कुसीलसंभासणाणुवित्तिकरणसीलं अगीयस्थमुहविणिग्गयअगदोसपायट्टिवयणाणुट्ठाणसीलं असिघणुखम्गगंडीवकुंतचक्काइपहरणपरिम्गहियाहिंडणसीलं साहुवेमुज्झियअन्नवेसपरिवत्तकयाहिंडणसील एवं जाव गं अधुट्ठाओ पयकोडीओ तावणं गोयमा! असंठियं चेव गच्छं वायरेजा।६। तहा अण्णे इमे बहुप्पगारे लिंगे गच्छस्स ण गोयमा ! समासओ पन्नविजंति, एते यणं एयारिसेणं गुरुगुणे बिन्नेए तंजहा- गुरू ताव सबजगजीवपाणभूयसत्ताणमाया भवइ, किं पुण गच्छस्स?, सेणं सीसगणाणं एगंतेणं हिय मियं पत्थं इहपरलोगसुहावह आगमाणुसारेणं हिओवएस पयाइ, से णं देविंदनरिंदरिदीलंभाणपि पचरुत्तमे गुरूवएसप्पयाणलंभेतं चा(सत्ता)णुकंपाए परमक्खिए जम्मजरामरणादीहिंण इमे भव्वसत्ता कह णु णाम सिपमुहं पातित्तिकाऊणं गुरूवएस पयाइ, णो णं वसणाहिभूए जहा णं गहन्घत्थे उम्मत्ते, अस्थिएइ वा जहा णं मम इमेणं हिओवएसपयाणेणं अमुगट्ठलाभं भवेजा. णो णं गोयमा ! गुरू सीसाणं निस्साए संसारमुत्तरेजा, णो णं परकएहिं सबसुहासुहेहिं कस्सइ संचदं अस्थि । ७। 'ता गोयम! एस्थ एवं ठियंमि जइ दढचरित्तगीयत्यो । गुरुगणकलिए य गुरुणा भणेज्ज असई इमं वयणं ॥९॥ मिण गोणसंगुलीए गणेहि वा दंतचकलाई से । तं तहमेव करेजा कजं तु तमेव जाणंति॥१०॥ आगमविऊ कयाई सेयं कायं भणिज्ज आयरिया । तं तह सहहियवं भवियचं कारणेण तहिं ॥ १ ॥ जो गेण्हइ गुरुवयण भन्नतं भावओ पसन्नमणो । ओसहमिव पिजतं तं तस्स मुहावहं होई ॥२॥ पुन्नेहिं चोइया पुरक्खएहिं सिरिभायणं भवियसत्ता । गुरुमागमेसिभदा देवयमिव पजुवासंति ॥३॥ बहुसोक्खसयसहस्साण दायगा मोयगा दुहसयाणं । आयरिया फुडमेयं केसि पएसीय ते हेऊ ॥४॥ नरयगइगमणपरिहत्थए कए तह पएसिणा रना। अमरविमाणं पत्तं तं आयरियप्पभावेणं ॥ ५॥ धम्ममइएहिं अइसुमहुरेहि कारणगुणोवणीएहिं । पल्हायंतो हिययं सीसं चोइज आयरिओ॥ ६॥ एत्थं चायरिआणं पणपर्ण होंति कोडिलक्खाओ। कोडी सहस्से कोडी सए य तह एत्तिए चेव ॥ ७॥ एतेहिं मझाओ एगे निबुडह गुण(रु)गणाइन्ने। समुत्तमभंगेणं तित्थयरस्सऽणुसरिस गुरु ॥८॥सेऽविय गोयम ! देवयवयणा सरित्यणाई सेसाई। तं तह आराहेजा जह तित्थयरे चाउमीसं ॥ ९॥ सबमबी एत्थ पए दुवालसंग सुर्य तु भणिया। भवद तहा अपिमिणिमो समाससारं परं भन्ने ॥२०॥ तंजहा-मुणिणो संघ तित्थं गण पवयण मोक्खमग्ग एगट्ठा। दसणनाणचरिते पोरुग्गतर्ष व गच्छणामें य॥१॥ पयलंति जत्थ धगध. गधगस्स गुरुणोवि चोइए सीसे । रागहोसेणं अह अणुसएणतं गोयम ! ण गच्छं ॥२॥ गच्छं महाणुभागं तत्थ वसंताण निजरा विउला । सारणवारणचोयणमादीहिं ण दोसपडिवत्ती॥ ३॥ गुरुणो छंदणुवत्ते सुविणीए जियप. रीसहे धीरे । णवि थदे णवि लुढे णवि गारविए न विगहसीले ॥४॥ संते दंते मुत्ते गुत्ते वेरगमग्गमल्लीणे । दसविहसामायारीआवस्सगसंजमुजुत्ते ॥५॥ खरफरसककसाणिहनिठूरगिराइ सयहुतं । निम्भवछणनिद्घाडणमादीहि न जे पओसंति ॥ ६॥ जे य ण अकित्तिजणए णाजसजणए णऽकाजकारी य । न य पवयणुड्डाहकरे कंठगयपाणसेसेचि ॥ ७॥ सज्झायमाणनिरए घोरतवचरणसोसियसरीरे। गयकोहमाणकइयव दूरमियरागडोसे य ॥८॥विणओवयारकुसले सोलसविहवयणभासणाकुसले। णिरवजवयणभणिरे ण य बहुभणिर ण पुणऽभणिरे ॥९॥ गुरुणा कजमकज्जे खरककसफरसनिठुरमणि8 कसले। णिरवजवयणभणिरे ण य बहमणिरे ण पुणऽभणिरे ॥९॥ गुरुणा कजमकज्जे खरकक्कसफरसनिठुरमणिहूँ। मणिरे तहत्ति इच्छ भणति सीसे तय गच्छं ॥३०॥ दूरु.। झिय पत्ताइसु ममतं निम्पिहे सरीरेवि। जायामायाहारे चायालीसेसणाकुसले ॥१॥ तंपि ण रूवरसत्यं भुंजंताणं न चेव दपत्थं । अक्खोवंगनिमित्तं संजमजोगाण पहणत्यं ॥२॥ अयण यावचे इरियट्ठाए य संजमट्ठाए। तह पाणवत्तियाए छटुं पुण धम्मचिंताए ॥३॥ अप्पुछनाणगहणे चिरपरिचियधारणेकमुजुत्ते । सुत्तं अस्थं उभयं जाणंति अणुट्ठयंति सया ॥४॥ अट्ठट्ट नाणदसणचारित्तायार णवचाउकमि । अणिगृहियबलबीरिए अगिलाए धणियमाउत्ते ॥ ५॥ गुरुणा खरफरुसाणिदुनिट्टरगिराए सयदुत्तं । मणिरे णो पडियरिति जत्थ सीसे तयं गच्छं ॥६॥ तवसा अचिंतउप्पनलबिसाइसयरिदिकलिएवि । जत्थ नहीलंति गुरू सीसे तं गोयमा ! गच्छं ॥७॥ तेसट्टि. तिसयपाबाउयाण विजया विदत्तजसपुंजे। जत्थ नहीलंति गुरुं सीसे से गोयमा ! गच्छं ॥८॥ जत्थावलियममिलियं अघाइदं पयक्वरबिसुदं । विणओयहाणपुर्व दुवालसंगपि सुयनाणं ॥९॥ गुरुचलणभत्तिभरनिभरिकपरिओसलबमालावे। अज्झीयंति सुसीसा एगग्गमणा स गोयमा ! गच्छं ॥४०॥ सगिलाणसेहबालाउलस्स गच्छस्स दसविहं विहिणा। कीरद यावर्थ गुरुआणतीएं तं गच्छ ॥१॥ दसविहसामायारी जत्थ ठिए भवसनसंघाए। सिझंति य बुजाति य ण य खंडिजइ तयं गच्छं ॥२॥ इच्छा मिच्छा तहकारो, आवस्सिया य निसीहिया । आपुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमंतणा ।। उपसंपया य काले सामायारी भये दसविहा उ ॥३॥ जत्थ य जिट्टकणिट्टा जाणिजइ जेडविणयपद्माणं । दिवसेणचि जो जेट्ठो णो हीलिजइ तयं गच्छं॥४॥ जत्थ य अजाकप्प पाणचाएवि रोरदुभिक्खे। ण य परिभुजाइ सहसा गोयम ! गच्छं तयं भणियं ॥५॥ जत्थ य अजाहिं सम थेराविण उडवंति गयदसणा। ण य णिज्झायति त्यीअंगोवंगाइं तं गच्छं ॥ ६ ॥ जत्थ य सन्निहिउक्खडआहडमादीण नामगहणेऽवि । पूईकम्मा भीए आउत्ता कप्पतिप्पमि ॥७॥ जत्थ य पञ्चंगुम्भउबुजयजोधणमरहदप्पेणं। बाहिजतावि मुणी णिक्खंति तिलोत्तमंपि तं गच्छं ॥ ८॥ वायामेत्तेणवि जत्य भट्ठसीलस्स निग्गहं विहिणा । बहुलद्धिजुयसेहस्सवी कीर गुरुणा तयं गच्छं ॥ ९॥ मउए निहुयसहावे हासदयविकजिए विगहमुके । असमंजसमकरेंते गोयरभूमऽद्ध विहरति ॥५०॥ मुणिणो गाणामिग्महतुकरपच्छित्तमणुचरंताणं। जायइ चित्तचमकं देविंदाणपि तं गच्छ॥१॥ जत्थ य चंदणपडिकमणमाइमंडलिविहाणनिउणनू । गुरुणो अस्खलियसीले सययं ११३९ महानिशीथच्छेदसूत्र, Garer-4 मुनि दीपरनसागर Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *********** कटठम्गतवनिरए ॥२॥ जत्थय उ. मादीणं तित्थयराणं सुरिंदमहियाणं । कम्महविष्पमुकाण आणं न खलिनइ स गच्छो॥३॥ तित्ययरे तित्ययरे तित्थं पुण जाण गोयमा! संघ । संघे य ठिए गच्छे गच्छठिए नाणदसणचरिते॥४॥णादसणस्स नाणं दंसणनाणे भवंति सवत्थ । भयणा चारित्तस्स तु दंसणनाणे धुर्व अत्थि ॥ ५॥ नाणी दंसणरहिओ चरितरहिओ य भमइ संसारे । जो पुण चरित्तजुत्तो सो सिजाइ नस्थि संदेहो ॥ ६॥ नार्ण पगासयं सोहओ तवो संजमो य गुत्तिकरो । तिण्डंपि समाओगे मोक्खो णेक्कस्सवि अभावे ॥ ७ ॥ तस्सवि य सकंगाई नाणादितिगस्स खंतिमादीणि । तेसिं चेचेकपयं जत्थाणुढेजइ स यच्छो ॥ ८॥ पुढविदगागणिवाऊवण - प्फई तह तसाण विविहाणं । मरणंतेऽविण मणसा कीरइ पीडं तयं गच्छं ॥९॥ जत्थ य बाहिरपाणस्स बिंदुमेत्तंपि गेम्हमादीसुं। तण्हासोसियपाणे मरणेवि मुणी ण इच्छंति ॥ ६० ॥ जत्थ य सूलविसूइय अन्नयरे या विचित्त. मायंके। उत्पन्ने जलणुजालणाई ण करेंति मुणी तयं गच्छं॥१॥ जत्य य तेरसहत्थे अजाओ परिहरंति णाणहरे । मणसा सुयदेवयमिव सबमवित्थी परिहरंति ॥२॥ इ(२)तिहासखेड्डकंदप्पणाहवाद ण कीरए जत्थ। धावणडेवणलंघण ण मयारजयारउचरणं ॥ ३॥ जस्थिस्थीकरफरिसं अंतरिय कारणेवि उप्पन्ने । दिट्ठीविसदित्तम्गीविसंव वज्जिजइ स गच्छो॥४॥ जस्थित्थीकरफरिसं लिंगी अरहावि सयमचि करेजा। तं निच्छयओ गोयम ! जाणिज्जा मूलगुणवाहा ॥५॥ मूलगुणेहि उखलियं पढ़गुणकलियंपिलबिसंपन्न । उत्तमकुलेवि जायं निवाडिजइ जहिं तयं गच्छ॥६॥जस्थ हिरण्णसुवपणे धणधन्ने कंसदृसफलिहाणं। सयणाण आसणाण यन य परिभोगो से तयं गच्छं ॥ ७॥ जन्य हिरण्णसुवणं हत्येण परागयंपि नो छिप्पे । कारणसमप्पियंपि दुखणनिमिसद्धपि तं गच्छं ॥ ८॥ दुदरखंभश्यपालणड अजाण चवलचित्ताणं । सत्तसहस्सापरिहारठाणवी जत्थस्थि तं गच्छं ॥९॥ जत्युनरवडपडिउत्तरेहिं अजा उ साहुणा सदि। पलवंनि सुकुद्धावी गोयम! किं तेण गच्छेण? ॥ ७० ॥ जत्थ य गोयम ! बहुविहविकप्पकलोलचंचलमणाणं। अजाणमणुट्ठिजइ भणियं न केरिसं गच्छं? ॥१॥ जत्थेकंगसरीरा साहू सह साहुणीहिं हत्यसया । उड्ढं गच्छेज पहिं गोयम ! गच्छंमि का मेरा? ॥२॥ जत्थ अ अजाहिं समं सैलावुलाबमाइववहारं । मोत्तुं धम्मुवएस गोयम ! तं केरिसं गच्छं? ॥ ३ ॥ भयवमणियतविहारं णिययविहारं ण नाव साइर्ण । कारणनीयावासं जो सेवे नस्स का बत्ता? ॥ ४ ॥ निम्ममनिरहंकारं उजुने नाणदंसणचरित्ने । सयलारंभविमुके अप्पडिबढे सदेहेवि ॥ ५॥ आयारमायरने एगफ्खेत्तेवि गोयमा ! मुणिणो । वाससयंपि वसते गीयन्थे । राहग भाणए॥५॥ जत्य समुहसकाल साहण मडलाए अजाआ। गायम! ठवति पाद इत्यारजनले गच्छं ॥ ७॥ जत्व य हत्थसएविय स्यणांचार चउण्डमुणाओ। उहद दसण्हमसह से (ण) करति अजातयं गटाटाअवधाएणवि कारणवसेण अजा चउण्हमूणाउ। गाऊयमवि परिसकति जत्थतं केरिसं गच्छं? ॥ ९॥ जत्थ य गोयम! साहू अजाहिं समं पहमि अठूणा । अबचाएणवि गच्छेज तत्य गच्छमि का मेरा? ॥८॥ जत्थ य तिसद्विभेयं चक्खूरागम्गिदीणि साहू । अज्जाउ निरिक्खेजा तं गोयम ! केरिसं गच्छं?॥ १ ॥ जत्थ य अजालद्धं पहिग्गहदंडादिविविहमुवगरणं । परिभुज्जइ साहहिं तं गोयम ! केरिसं गच्छं? ॥२॥ अइदुलहं भेसज्ज पलवुद्धिविवर - गंपि पट्टिकर। अजालदं भुंजइ का मेरा तस्थ गमछमि ? ॥३॥ सोऊण गई सुकुमालियाए तह ससगभसगभइणीए। ताव न बीससिया सेयट्टी धम्मिओ जाय ॥ ४॥ दढयारिनं मोनुं आयरिय मयहरं च गुणरासिं । अज्जा बहावेई ने अणगारं न तं गच्छं ॥ ५ ॥ घणगणि(च्छि)यहयकुहुकुहयवेजदुम्गेझमूढहिययाउ । होजा वावारियाओ इथीरनं न तं गच्छं॥ ६॥ पचक्खा सुयदेवी तवलदीए सुराहिवणुयावि। जत्थ रिएज्जा कजाई इस्थीरज नतं गच्छं॥ ७ ॥ गोयम ! पंचमहब्वय गुनीणं निण्ह पंचसमिईणं । दसविहधम्मस्सिकं कहवि खलिजइ न तं गच्छं ॥ ८॥ दिणदिक्खियस्स दमगस्स अभिमुहा अजचंदणा अजा। निच्छइ आसणगणं सो विणओ सब्ब गिदा सएण लाभण जे असंतुट्ठा। भिक्खायरियाभग्गा अनियउत्तं गिराऽऽहंति ॥१॥ गयसी-131 सगण ओमे भिक्खायरियाअपचलं थेरं । गणिहिति ण ने पावे अजियलाभं गवसंता ॥२॥ ओमे सीसपवास अप्पडिबई अजंगमत्तं च । ण गणेज एगरटेने गणेज वासं णिययवासी ॥३॥ आलंबणाण भरिओ लोओ जीवस्स अ. जउकामस्स। जं जं पिच्छइ लोए नं तं आलंवर्ण कुणइ ॥४॥ जत्थ मुणीण कसाए चमदिजतेवि परकसाएहिं । पेच्छेज समुढेउं सुणिविट्ठो पंगुलाब तयं (गच्छं)॥५॥ धम्मंतरायभीए भीए संसारगम्भवसहीणं । णोदीरिज कसाए मणी मुणीणं तयं गच्छं॥६॥सीलतवदाणभावणचउविहधम्मतरायभवभीए। जत्थ बहू गीयत्वे गोयम ! गच्छं तयं वासे ॥ ७॥ जत्थ य कम्मविवागस्स चिट्टियं चउगईएं जीवाणं । णाऊणमवरद्धेऽची नो पकुपतिनं गच्छं ॥८॥ जय य गोयम : पंचण्ह कहवि सूणाण एकमवि होजा। तं गच्छं तिविहेणं बोसिरिय वइज जन्नत्य ॥ ९॥ सूणारंभपवित्तं गच्छं वेसुजलं व ण बसेजा । ज चारित्तगुणेहिं तु उज्जलं तं निवासेजा ॥१०॥ नित्थयरसमो सूरी दुजयकम्मट्ठमाइपडिमाडे । आणं अइकमंते ते कापुरिसे न सप्पुरिसे ॥१॥ भट्ठायारो सूरी भट्ठायाराणुविक्खओ सूरी। उम्मग्गठिओ सूरी तिण्णिवि मग्गं पणासंति ॥२॥ उम्मग्गठिए सूरिमि निच्छयं भनसत्तसंघाए । जम्हा तं मम्गमणुसरंति तम्हा ण तं जुत्तं ॥३॥ एकपि जो दुहत्तं सत्तं परिवोहिउं ठवे मग्गे। ससुरासुरंमिवि जगे तेणेहं घोसियं अमाघायं ॥ ४ ॥ भूए अत्थि भविस्संति केई जगदणीयकमजुयले । जेसि परहियकरणेकपडलक्खाण बोलिही कालं ॥५॥ भूए अणाइकालेण केई होहेति गोयमा ! सूरी। नामग्गहणेणवि जेसि होज नियमेण पच्छित्तं ॥६॥ एयं गच्छववत्थं दुप्पसहाण(ब)तरं तु जो खंडे। तं गोयम ! जाण गणिं निच्छयओऽणतसंसारी ॥७॥ जं सयलजीवजगमंगलेककलाणपरमकल्लाणे । सिक्षिपए वोच्छिण्णे पच्छित्तं होइ तं गणिणो ॥८॥ तम्हा गणिणो समसत्तुमिनपक्खेण परहियरएणं । कल्लाणकखुणा अप्पणो य आणा ण लंघेया ॥९॥ एवं मेरा ण लंपेयानि, एवं गच्छवयस्थ लंपेत्तु तिगारवेहिं पडिबढे । संखाईए गणिणो अजति बोहिं न पाति ॥११०॥ण लभेहिंति य अको अणंतहुत्तोचि परिभमं तित्यं । चउगइभवसंसारे चिहिज चिरं सुतुक्खत्ते ॥१॥ चोइसरजूलोगे गोयम! वालग्गको. डिमेतंपि । तं नस्थि पएस जस्थ अणंतमरणे न संपत्ते ॥२॥ चुलसीइजोणिलक्खे सा जोणी नत्यि गोयमा! इहई। जत्थ ण अणंतदुत्तो सजे जीवा समुष्पन्ना ॥३॥ सूईहिं अग्गिवन्नाहिं, संमिजस्स निरंतरं । जावइयं गोयमा ! तुक्वं, गन्भे अवगुणं तयं ॥४॥ गम्भाजो निष्फिडंतस्स, जोणीजंतनिपीलणे। कोडीगुणं तयं दुक्लं, कोडाकोडिगुणपि वा ॥५॥ जायमाणाण जं दुक्खं, मरमाणाण जंतुर्ण । तेण तुक्सविषागे(निदाणे)णं, जाइं न सरंति (२८५) ११४० महानिशीथच्छेदसूत्र, Her20- मुनि दीपरनसागर *** ५ १६ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अत्तणि ॥ ६ ॥ नाणाविहासु जोणीसु, परिभमंतेहिं गोयमा !। तेण दुक्खविवागेण, संभरिएण गवि जिए ॥ ७ ॥ जम्मजरामरणदोगचवाहीओ चिरंतु ता । लज्जेजा गन्भवासेणं, को ण बुद्धो महामई ? ॥ ८ ॥ बहुरुहिरपूइचाले, असुईकलिमलपुरिए । अणिट्टे य दुब्भिगंधे, गच्भे (ता) को धि लभे १ ॥९॥ ता जत्थ दुक्खविक्खिरणं, एगंतसुहपावणं से आणा नो खंडेजा, आणाभंगे कुओ सुहं ? ॥ १२० ॥ से भयवं ! अट्टहं साहूणमसई उस्सग्गेण वा अववा एण वा चउहिं अणगारेहिं समं गमणमागमणं निसेहियं तहा दसन्हं संजईणं हेट्टा उस्सग्गेणं चउन्हं तु अभावे अववाएणं हत्थसयाउ उदं गमणं णाणुष्णायं आणं वा अइकमंते साहू वा साहुणीओ वा अनंतसंसारिए समक्खाए ता णं से दुप्पसहे अणगारे असहाए भवेजा साविय विण्डुसिरी असहाया चैव भवेजा एवं तु ते कहं आराहगे भवेज्जा १, गोयमा ! णं दुस्समाए परियंते ते चउरो जुगप्पहाणे खाइगसम्मत्तनाणदंसण चरित्तसमन्निए भवेजा, तत्थ णं जे से महायसे महाणुभागे दुप्पसहे अणगारे से णं अचंतवियुद्धसम्महंसणनाणचरितगुणेहिं उववेए सुदिसुगइमग्गे आसायणाभीरु अचंतपरमसद्धा संवेगवेरग्गसम्मग्गट्टिए णिरन्भगयणामलसर यकोमुईसु निम्माइंदुकरविमल परपरमजसे वंदाणं परमवंदे पुज्जाणं परमपुज्जे भवेज्जा, तहा साचिय सम्मत्तनाणचरित्तपडागा महायसा महासत्ता महाणुभागा एरिसगुणजुत्ता चेव सुगहियनामधेजा विण्डुसिरी अणगारी भवेज्जा, तंपिणं जिणदत्तफग्गुसिरीनामं सावगमिहुणं बहुवासरवनणिज्जगुणं चेव भवेजा, तहा तेसिं सोलस संवच्छराई परमं आउं अट्ठ य परियाओ आलोइयनीसलाणं च पंचनमोकारपराणं चउत्थभत्तेणं सोहम्मे कप्पे उववाओ, तयणंतरं च हिट्टिमगमणं, तहावि ते एयं गच्छत्थं णो विधि | ८ | से भयवं! केणं अद्वेणं एवं बुच्चइ जहा णं तहावि एयं गच्छववत्थं णो विलंघिसु ?, गोयमा ! इओ आसन्नकाणं चेव महायसे महासत्ते महाणुभागे सेभवे णामं अणगारे महातबस्सी महामई दुबालसंगसुयधारी भवेज्जा, से णं अपक्खवाएणं अप्पाउक्खे भवसत्तेसु य अतिसएणं चिन्नाय एकारसण्हं अंगाणं चउदसण्हं पुत्राणं परमसारणत्रणीयभूयं सुपउणं सुपरुन (यधरोज्जो) यं सिद्धिमग्गं दसवेयालियं णाम सुयक्बंधं णिऊहेज्जा, से भय! किं पडुच्च ?, गोयमा ! मनगं पडुच्चा, जहा कहं नाम एयस्स णं मणगस्स पारंपरिएणं थेवकालेणेव महंतघोरदुक्खागराओ चउगइसंसारसागराओ निप्फेडो भवतु ?, सेऽविण विणा सबसे से य सबसे अणोरपारे दुखगाढे अनंतगमपज्जवेहिं नो सक्का अप्पेणं कालेणं अवगाहिउँ तहा णं गोयमा ! अइसएणं एवं चिंतेजा एवं से णं सेजंभवे जहां अनंतपारं बहु जाणियां, अप्पो अ कालो बहुले अ विग्धे। जं सारभूतं तं गिव्हियवं, हंसो जहा खीरमित्रमीसं ॥ १२१ ॥ तेणं इमस्स भवसत्तस्स मणगस्स तत्तपरिन्नाणं भवउत्तिकाउणं जाव णं दसवेयालियं सुयक्त्वधं निरु (जू)हेज्जा, तं च वोच्छिन्नेणं तकालदु बालसंगेणं गणिपिडगेणं जाव णं दूसमाए परियंते दुप्पस ताणं सुनत्थेणं वाजा, से असयलागमनिस्संदं दसवेयालियसुयक्खंधं सुत्तओ अज्झीहीय गोयमा से णं दुप्पसहे अणगारे, तओ तस्स णं दसवेयालियसुत्तस्साणुगयत्थाणुसारेणं तहा चैव पबतिजा णो णं सच्छंदयारी भवेज्जा, तत्थ अ दसवेयालियसुक्खंचे तक्कालमिणमो दुवालसँगे सुयक्खंधे पइट्टिए भवेज्जा, एएणं अद्वेणं एवं बुच्चइ जहा तहावि णं गोयमा ते एवं गच्छववत्थं नो विलंबिंसु । ९ । से भयवं ! जइ णं गणिणोवि अश्चंत विसुद्ध परिणामस्सवि केद दुस्सीले सच्छंदत्ताएइ वा गारवत्ताएइ वा जायाइमयत्ताएइ वा आणं अइकमेजा से णं किमाराहगे भवेजा १, गोयमा ! णं गुरू समसनुमित्नपक्खो गुरुगुणेसुं ठिए सययं सुत्ताणुसारेणं चैव विमुद्धासए विहरेजा तस्साणमइकंतेहिं णवणउएहिं चउहिं सएहिं साहूणं जहा तहा चेव अणाराहगे भवेजा । १० से भयवं! कथरे णं ते पंचसए एकविवजिर साहूणं जेहिं च णं तारिसगुणोववेयस्स महाणुभागस्स गुरुणो आणं अइकमिउं णाराहियं ?, गोयमा ! णं इमाए वेव उस भचवी सिगाए अनीता तेवीसइमाए चडवीसिगाए जाव णं परिनिबुडे चउवीसइमे अरहा ताव णं अइक्कंतेणं केवइएणं कालेणं गुणनिष्पन्ने कम्मसेलमुखमूरणे महायसे महासत्ते महाणुभागे सुगहियनामधे बरे णाम गच्छाहिवई भूए तस्स णं पंचसयं गच्छं निम्मांधीहि विणा निग्गंधीहिं समं दो सहस्से य अहेसि ता गोयमा ! ताओ निम्गंधीओ अयंतपरलोगभीरुयाउ सुविसुद्ध निम्मलंतकरणाओ खंताओ दवाओ मुत्ताओ जिइंदियाओ अचंतभणिरीओ नियसरीरस्साविय छकायवच्छलाओ जहोवइअचंतघोरवीरतवच्चरणसोसियसरीराओ जहा णं तित्थयरेणं पन्नवियं तहा चैव अदीणमणसाओ मायामयहंकारममकारइ (२)तिहासखेड्डकंदरपणावायविप्पमु काओ तस्सायरियस्स सयासे सामन्नमणुचरंति, ते य साहुणो सबेवि गोयमा ! न तारिसे मणागा, अहऽनया गोयमा ! ते साहुणो तं आयरियं भांति जहा जइ णं भयवं! तुमं आणवेहि ता णं अम्हेहि तित्थयत्तं करिय चंदप्प हसामियं वंदिय धम्मचकं गंतूणमागच्छामो, ताहे गोयमा! अदीणमणसा अणुत्तावलगंभीरमहुराए भारतीए भणियं तेणायरिएणं जहा इच्छायारेणं न कप्पइ तित्थयत्तं गतुं सुविहियाणं, ता जाव णं बोलेइ जत्तं ताव णं अहं तुम्हे चंदप्पहं वंदावेहामि, अन्नंच जताए गएहिं असंजमे पडिजइ, एएणं कारणेणं तित्थयत्ता पडिसेहिज्जइ, तओ तेहिं भणियं जहा भयवं केरिसो उण तित्थयत्ताए गच्छमाणाणं असंजमो भवइ ? सो पुर्ण इच्छायारेणं, विइजवारं एरिस उडावेजा बहुजणेणं वाउलग्गो भन्निहिसि, ताहे गोयमा ! चिंतियं तेणं आयरिएणं जहा णं ममं वइकमिय निच्छयओ एए गच्छिहिंति तेणं तु मए समयं चडु (बलु) तरेहिं वयंति, अह अन्नया सुत्रहुं मणसा संधारेऊणं चेव भणियं तेण आयरिएणं जहा णं तुब्भे किंचिवि सुत्तत्थं वियाणह चिय तो जारिसं तित्थयत्ताएं गच्छमाणाणं असंजमं भवइ तारिसं सयमेव वियाणेह किं एत्थ बहुपलविएणं, अन्नंच-विदियं तुम्हेहिंपि संसारसहावं जीवाइपयत्थतत्तं च, अहऽन्नया बहुउवाएहिं णं विणिवारिंतस्सवि तस्सायरियस्स गए चैव ते साहुणो कुद्धेणं कयंतेणं परियरिए तित्थयत्ताए, तेसि च गच्छमाणाणं कथइ अणेसणं कत्थइ हरियकायसंघट्टणं कथइ वीकमणं कथइ पित्रीलियादीणं तसाणं संघट्टण परितावणोद्दवणाइसंभवं कत्थइ इट्ठपडिकमणं कत्थइ ण कीरए चेत्र चाउकालियं सज्झायं कत्थइ ण संपाडेज्जा मत्तभंडोवयरगस्स विहीए उभयकालं पेहपमजणपडिलेहणपक्खोडणं, किंबहुणा ?, गोयमा ! कित्तियं भन्निहिइ ? अट्ठारसहं सीलंगसहस्साणं सत्तरसविहस्स णं संजमस्स दुवालसविहस्स णं सभंतरत्राहिरस्स तवस्स जाव णं स्वंताइअहिंसालक्खणस्सेव य दसविहस्साणगारधम्मस्स जत्थेकेकपयं चैव सुबएपि कालेणं थिरपरिचिएण दुवालसंगमहासुयक्वंघेणं बहुभंगसयसंघत्तणाए दुक्खं निरइयारं परिवालिऊण जे, एयं च सवं जहाभणियं निरइयारमणुडेयंति एवं संभरिऊण चिंतियं तेण गच्छाहिवडणा- जहा णं मे विष्पककरवेण ते १९४१ महानिशीथच्छेदसूत्रं अज्सयर्ग-५ मुनि दीपरत्नसागर Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुट्टसीसे मजा अणाभोगपचएणं सुबहुं असंजमं काहेति तं च सर्व ममऽच्छंतिय होही जओ णं है तेसिं गुरू ताई तेसिं पट्टीए गंतूर्ण पडिजागरामि जेणाहमित्य पए पायच्छित्तेणं णो संबज्मेजेति वियप्पिऊणं गओ सो आय: रिओ तेसिं पट्टीए जाव णं दिढे तेणं असमंजसेण गच्छमाणे, ताहे गोयमा ! सुमहुरमंजुलालावेणं भणियं तेणं गच्छाविइणा-जहा भो भो उत्तमकुलनिम्मलबसविभूसणा अमुगअमुगाइमहासत्ता साहू पहपडिवन्नाणं पंचमहायाहिट्ठियतणूणं महाभागाणं साहुसाहुणीणं सत्तावीसं सहस्साई पंडिलाणं सबर्दसीहि पन्नत्ताई, ते य सुउवउत्तेहिं विसोहिति, ण उणं अन्नोवउत्तेहि, ता किमेयं सुन्नासुन्नीए अणोवउत्तेहिं गम्मइ, इच्छायारेणं उवओगं देह, अन्नंच-इणमो सुत्तत्थं कि तुम्हाणं विसुमरियं भवेजा जं सारं सवपरमतत्ताणं जहा एगे बेइंदिए पाणी एर्ग सयमेव हत्येण वा पाएण वा अन्नयरेण वा सलागाइअहिंगरणभूओवगरणजाएणं जे णं केई संघट्टेजा वा संघट्टावेजा वा एवं संघट्टियं वा परेहिं समणुजाणेजा से णं तं कम्मं जया उदिन्नं भवेजा तया जहा उच्छुखंडाई जंते तहा निप्पीलिजमाणा छम्मासेणं खवेजा, एवं गाढे दुवालसेहिं संवच्छरेहिं तं कम्मं वेदेज्जा, एवं अगाढपरियावणे वाससहस्सं, गाढपरियावणे दसवाससहस्से, एवं अगाढकिलामणे वासलक्खं, गाढकिलामणे दसवासलक्खाई, उद्दवणे वासकोडी, एवं तेइंदियाइसुंपि णेयं, ता एवं च वियाणमाणा मा तुम्हे मुज्झहत्ति, एवं च गोयमा! सुत्ताणुसारेणं सारयंतस्सावि तम्सायरियस्स ते महापाकम्मे गमगमहलुफलेणं हलोहलीभएणं तं आयरियाणं वयणं असेसपावकम्मट्ठदुक्खविमोयगं णो बहु मन्नेति, ताहे गोयमा! मुणियं तेणायरिएणं जहा निच्छयओ उम्मग्गपट्टिए सवपगारेहि चेव मे पावमई दुट्टसीसे, ता किमहमहमिमेसि पट्ठीए लाड़ीवागरणं करेमाणोऽणुगच्छमाणो य सुक्खाए गयजलाए णदीए उबुझं, एए गच्छंतु दसदुवारेहि, अहयं तु तावायहियमेवाणुचिट्ठमी, किं मज्झं परकएणं सुमहंतएणावि पुन्न पम्भारेणं थेवमवि किंची परित्ताणं भवेजा?, सपरकमेणं चेव मे आगमुत्ततवसंजमाणुट्ठाणेणं भवोयही तरेयत्रो, एस उण तित्ययराएसो जहा-'अप्पहियं काय जइसका परहियं च पयरेजा। अत्तहियपरहियाणं अत्तहियं चेव काय॥१२शा अन्नंच-जल एते तवसंजमकिरियं अणपालिहिति तओ एएसिं चेव सेयं होहिद, जहण करेहिति तओ एएसिं चेव दग्गडगमणमणत्तरं हवेजा. नवरं तहावि मम गच्छो समप्पिओ गच्छाहिबई अहयं भणामि. अन्नं च-जे तित्थयरेहिं भगवतेहिं छत्तीस आयरियगुणे समाइढे तेसि तु अहयं एक्कमवि णाइक्कमामि जइवि पाणोवरमं भवेना, जं चागमे इहपरलोगविरुद्ध तं णायरामिण कारयामि ण काजमार्ण समणुजाणामि, ता मेरिसगुणजुन. सावि जइ भणियं ण करेंति ताऽहमिमेसि वेसग्गहणं उद्दालेमि, एवं च समए पन्नत्ती जहा-जे केई साहू वा साहुणी वा वायामिनेणावि असंजममणुचेटेज्जा से णं सारेजा चोएज्जा पडिचोएजा, से णं सारेजते वा चोइजते वा पडिचोइजते वा जे णं तं वयणमवमत्रिय अलसायमाणे वा अभिनिविदेइ वा ण तहत्ति पडिबज्जिय इच्छं पउंजिताणं तत्थ णो पडिक्कमेजा से णं तस्स वेसग्गहणं उद्दालेजा, एवं तु आगमुत्तणाएणं गोयमा ! जाव तेणायरिएणं एगस्स सेहस्स वेसग्गहणं उदालियं ताव णं अवसेसे दिसोदिसं पणट्टे, ताहे गोयमा ! सो य आयरिओ सणियं तेसिं पट्टीए जाउमारहो णो णं तुरियं २, से भयवं! किमहूँ तुरियं २ णो पयाइ?, गोयमा ! खाराए भूमीए जो महुरं संकमेजा महराए खारं किण्हाए पीयं पीयाओ किण्हं जलाओ थलं थलाओ जलं संकमेजा तेणं विहीए पाए पमज्जिय २ संकमेयच्वं, णो पमजेजा तओ दुवालससंवच्छरियं पच्छित्तं भवेजा, एएणमट्वेण गोयमा ! सो आयरिओ। ण तुरियं २ गच्छे, अहऽन्नया सुयाउत्तविहीए पंडिलसंकमणं करेमाणस्स ण गोयमा ! तस्सायरियस्स आगओ बहुवासरखुहापरिगयसरीरो वियडदाढाकरालकयंतभासुरो पलयकालमिव घोररूवो केसरी, मुणियं च तेण महाणुभा. गणं गच्छाहिवइणा जहा- जइ दुयं गच्छेजइ ता चुकिजइ इमस्स, णवरं दुयं गच्छमाणाणं असंजमं ता वरं सरीखोच्छेयं ण असंजमपबत्तणंति चिंतिऊण विहीए उवट्टियस्स सेहस्स जमुद्दालियं वेसग्गहणं तं दाऊण ठिओ निप्प. भडिकम्मपाययोवगमणाणसणेणं, सेऽवि सेहो नहेब, अहऽनया अर्थतविसुद्धतकरणे पंचमंगलपरे सुहज्झवसायत्ताए दुग्णिवि गोयमा ! वावाइए तेण सीहेर्ण अंतगडे केवली जाए अट्टप्पयारमलकलंकमुक्के सिद्दे य, ते पुण गोयमा! एकूणपंचसए साहणं तकम्मदोसणं जं दुक्खमणुभवमाण चिट्ठति चाणुभूयं जं चाणुभविहिति अर्णतसंसारसागरं परिभमते तं को अर्णतणंपि कालेणं भणि समत्थो?, एएते गोयमा ! एगणे पंचसए साहणं जेहिं च णं तारिस गुणोववेतस्स णं महाणुभागस्स गुरुणो आणं अइकमियं णो आराहियं अर्णतसंसारिए जाए।१११ से भयवं! कि तित्थयरसंतियं आणं णाइक्कमेजा उयाहु आयरियसंतियं ?, गोयमा ! चउविहा आयरिया भवंति, तंजहा-नामायरिया ठवणायरिया दवायरिया भावायरिया, तत्थ णं जे ते भावायरिया ते तित्थयरसमा चेव दवा, तेसिं संतियाण(ऽऽणा) णइक्कमेजा।१२। से भयवं ! कयरेणं ते भावायरिया भन्नति ?, गोयमा ! जे अजपचइएवि आगमविहीए पयं पएणाणुसंचरंति ते भावायरिए, जे उण वाससयदिक्खिएवि हुत्ताणं बायामेत्तेणंपिआगमओ चाहिं करेंनि ते णामठवणाहिं णिओइयवे, से भयवं! आयरियाणं केवइयं पायच्छित्तं भवेजा, जमेगस्स साहुणोतं आयरियमयहरपबत्तिणीए सत्तरसगुणं, अहा णं सीलखलिए भवंति तओ तिलक्खगुणं, जं अइदुक्करं जं न सुकर, तम्हा सबहा सबप्पयारेहि णं आयरियमयरपवत्तिणीए अ अत्ताणं पायच्छित्तस्स संरक्वेयत्रं, अक्खलियसीलेहिं च भवेयवं। १३ से भयवं! जे णं गुरु सहसाकारेणं अन्नयरहाणे चुकेज वा खलेज वा से णं आराहगे ण वा ?, गोयमा ! गुरूणं गुरुगुणेसु वट्टमाणो अक्खलियसीले अपमादी अणालस्सी सवालंबणविष्पमुक्के समसत्तुमेत्तपक्खे सम्मग्गपखवाए जावणं कहाभणिरे सद्धम्मजुत्ते भवेजा णो णं उम्मग्गदेसए अहिमाणरए भवेज्जा, सबहा सवपयारेहिं गं गुरुणा ताव अप्पमत्तेणं भवियत्रं, णो णं पमत्तेणं, जे उण पमादी भवेज्जा से णं दुरंतपंतलक्खणे अददृश्वे महापावे, जइणं सबीए हवंजा ता णं निययदुचरियं जहावत्तं सपरसीसगणाणं पक्खाविय जहा दुरंतर्पतलक्खणे अदवे महापावकम्मकारी सम्मग्गपणासओ अहयंति एवं निंदित्ताणं गरहित्ताणं आलोइत्ताणं च जहाभणियं पायच्छित्तमणचरेजा 4 से णं किंचुहेसेणं आराहगे भवेज्जा, जइ णं नीसड़े नियडीविप्पमुक्के, न पुणो सम्मग्गाओ परिभंसेज्जा, अहाणं परिभस्से तओ णाराहेइ ।१४। से भयवं! केरिसगुणजुत्तस्स णं गुरुणो गच्छनिक्खेवं काय?, गोयमा! जेणं सुबए जे णं सुसीले जे णं दढनए जे णं दढचारित्ते जेणं अणिदियंगे जे णं अरहे जे णं गयरागे जे णं गयदोसे जे णं निट्ठियमोहमिच्छत्तमलकलंके जे णं उवसंते जे णं सुचिन्नायजगट्टितीए जे णं सुमहावेरग्गमग्गमडीणे जे णं इत्थीIFA ११४२ महानिशीधच्छेदसूत्रं अन्सयां-५ मुनि दीपरत्नसागर Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कहापडिणीए जे णं भत्तकहापडिणीए जे णं तेणगकहापटिणीए जे णं रायकहापडिणीए जेणं जणवयकहापडिणीए जेणं अच्चतमणुकंपसीले जे णं परलोगपञ्चवायभीरू जे णं कुसीलपडिणीए जेणं चिम्नायसमयसम्भावे जेणे गहियसमयपेयाले जे णं अहन्निसाणुसमयं ठिए खंतादिअहिंसालक्खणदसबिहे समणधम्मे जे णं उजुत्ते अहन्निसाणुसमयं दुवालसविहे तवोकम्मे जे णं सुउवउत्ते सययं पंचसमिईसु जेणं सुगुत्ते सययं तीसु गुत्तीसुंजे णं आराहगे ससत्नीए अट्ठारसण्हं सीलंगसहस्साणं जे णं अविराहगे एगतेणं ससत्तीए सत्तरसविहस्स णं संजमस्स जे णं उस्सग्गरुई जे णं तत्तरई जेणं समसत्तुमेत्तपक्खे जे णं सत्तभयट्ठाणविप्पमुके जे णं अट्ठमयट्ठाणविप्पजढे जे णं नवण्हं बंभचेरगुतीणं विराहणाभीरू जे णं बहुमुए जे णं आयरियकुलुप्मन्ने जे णं अदीणे जे अकिविणे जेणं अणालसिए जेणं संजईवग्गस्स पडिबक्खे जे णं सययं धम्मोवएसदायगे जे णं सययं ओहसामायारीए परुबगे जेणं मेरा. बट्टिए जे णं असामायारीभीरू जेणं आलोयणारिहपायच्छिनदाणपयच्छणक्वमे जे णं बंदणमंडलिविराहणाजाणगे जे णं पहिक्कमणमंडलिविराहणजाणगे जे णं सज्झायमंडलिविराहणजाणगे जे णं वस्खाणमंडलिबिराहणजाणगे जेणं आलोयणामंडलिविराहणजाणगे जे णं उडेसमंडलिविराहणजाणगे जे णं समुद्देसमंडलिविराहणजाणगे जे णं पनजाविराहणजाणगे जेणं उबट्टावणाविराहणाजाणगे जेणं उद्देससमुहेसाणुशाविराहणजाणगे जे णं कालक्खे. नदवभावभावतरंतरवियाणगे जेणं कालखेनदवभावालंबणविप्पमुके जेणं सबालवुड्ढगिलाणसेहसिक्खगसाहम्मिगअजावट्टावणकुसले जेणं परूवगे नाणदंसणचारिसतवोगुणार्ण जे र्ण वरए धरए पभावगे नाणदंसणचरित्ततवोगुणाणं जे णं दढसम्मने जे णं सययं अपरिसाई जेणं धीइमं जेणं गंभीरे जेणं सुसोमलेसे जेणं दिणयरमिव अणभिभवणीए तवतेएणं जे णं ससरीरोवरमेऽवि छक्कायसमारंभविक्जी जे णं तवसीलदाणभावणामयचउबिहधम्मंतरायभीरू जे णं सवासायणाभीरू जे णं इढिरससायागारवरोज्झाणविप्पमुक्के जे णं सत्रावस्सगमुजुत्ते जे णं सविसेसलद्धिजुत्ते जे णं आवडियापिल्लियामंनिओवि णायरेजा अयज जे णं नो बहुनिहो जे णं नो बहुभोई जे णं सवावस्सगसज्झायज्झाणपडिमाभिग्गहघोरपरीसहोवसग्गेमु जियपरीसमे जे णं मुपत्तसंगहसीले जे णं अपत्तपरिट्ठावणविहिन्नू जे णं अण(णुद्ध)यबोंदी जे णं परसमयससमयसम्मवियाणगे जे णं कोहमाणमायालोभममकारादितिहासखेड्डकंदप्पणाहबायविष्पमुके धम्मकही संसारवासविसयाभिन्यासादीणं वेरम्गप्पायगे पडिवोहगे भवसत्ताणं से णं गच्छनिक्खेवणजोग्गे से णं गणी से णं गणहरे से णं तित्थे से णं तित्थयरे से णं अरहा से णं केवली से णं जिणे से णं निन्थुम्भासगे से णं वंदे से णं पुजे से णं नमसणिजे से णं दवे से र्ण परमपवित्ने से णं परमकल्लाणे से णं परममंगले से णं सिद्धी से णं मुत्नी से णं सिवे से णं मोक्खे से णं ताया से णं संमग्गे से णं गती से णं सरझे से णं - सिदं मत्त पारगए देव देवदेव, एयरस णं गायमा ! गणनिक्ख कज्जा एयरस ण गणनिक्षेप कारवजा एयरस णं गणनिक्खवकरण समणुजाणजा, अपहा ण गायमा! आणाभग ।१णास भयवा कवाइय काल जाव एस आणा पवस इया?. गोयमा जाव णं महायसे महासत्ते महाणुभागे सिरिपभे अणगारे, से भगवं! केवइएक कालेणं सिरिप्पभे अणगारे भवेजा?, गोयमा ! होही दुरंतपंतलक्षणे अदवे रोहे चंडे पयंडे उग्गपयंडदंडे निम्मेरे निकिचे निग्घिणे निनिसे कूरयरपावमई अणारिए मिच्छहिट्टी ककी नाम रायाणे, से णं पावे पाहुडियं भमाडिउकामे सिरिसमणसंघ कयत्वेजा, जाव णं कयत्थेइ ताव ण गोयमा! जे केई तत्थ सीलड्ढे महाणुभागे अचलियसत्ते तवोहणे अणगारे तेसिं च पाडिहेरियं कुजा सोहम्मे कुसिलपाणी एरावणगामी सुस्वरिदे. एवं च गोयमा! देविंदवदिए दिट्टपचए ण सिरिसमणसंघे णिहिजाण बुणए पासंडधम्मे, जाव णं गोयमा! एगे अविहजे अहिंसालक्खणखंतादिवसविहे धम्मे एगे अरहा देवाहिदेवे एगे जिणालए एगे बंदे पूए दक्खे सकार सम्माणे महायसे महासत्ते महाणुभागे दढसीलवयनियमधारए नवोहणे साहू, नत्थ णं चंदमिव सोमलेसे सूरिए इव नवतेयरासी पुढवी इव परीसहोवसग्गसहे मेरमंदरघरे इव निष्पकंपे ठिए अहिंसालक्खणखतादिदसबिहे धम्मे, से णं सुसमणगणपरिखुडे निरभगयणामलकोमुईजोगजुने इव गहरिक्वपरियरिए गहबई चंदे अहिययरं चिराइजा, गोयमा ! से णं सिरिप्पभे अणगारे, तो गोयमा एवतियं कालं जाव एसा आणा पवेइया ।१६। से भयवं! उड्ढे पुच्छा, गोयमा ! तओ परेण उइदं हायमाणे कालसमए, नत्थ णं जे केई छकायसमारंभविवजी से णं धन्ने पुन्ने बंदे पूए नमंसणिजे सुजीवियं जीवियं नेसि ।१७से भयवं! सामन्ने पुच्छा जाव णं वयासी ?. गोयमा ! अत्थेगे जेणं जोगे अत्येगे जेणं नो जोगे, से भय ! केण अट्टेण एवं बुबइ जहाणं अत्धेगे जाव जेणं नो जोगे?, गोयमा! अत्थेगे जेसिं णं सामने पडिकुढे अत्थेगे जेसिं च णं सामन्ने नो पडिकुटे, एएणं अटेणं एवं चुनइ जहा णं अत्थेगे जे णं जोगे अत्थेगे जे णं नो जोगे, से भयवं! कयरे ने जेसिण सामन्ने पडिकुट्टे ?, कयरे वा ते जेसिं च णं सामने नो पडिकुडे ?. एएणं अट्टेणं एवं बुबइ. जहाणं अन्थेगे जे णं विरूदे अत्यंगे जे णं नो विरुदे. जे णं से विरुद्ध से णं पडिसेहिए, जे णं से णो विरुदे से णं नो पडिसेहिए. से भय ! के णं से विरुद्ध के वा णं अविरुद्धे ?, गोयमा ! जे जेसु देसेसुं दुगुंछणिजे जे जेसु देसमुं दुगंछिए जे जेसु देसेसुं पडिकुट्टे से ण तेसु देसेसुं विरुद्धे, जे य णं जेसुं देसेसुंणो दुर्गुणिज्जे जे य णं जेसु देसेसु नो दुगुछिए जे यणं जेसं देसेसु णो पडिकुट्टे से गं नेसुं देसेसु नो विहे, तन्य गोयमा, जेणं जेसुं२ देसमुं विरुद्ध से णं नो पञ्चावए जे णं जेसुं२ देससुणो विरुद्ध से णं पवावए. से भयवं! से कत्थ देसे के विरुद्ध के वाणो विहे ?. गोयमा! जे णं केई पुरिसेइ वा इन्थिएइ वा रागेण वा दोसेण वा अणुसएण वा कोहेण वा लोभेण वा अवराहेण वा समणं वा माणं वा मायरं वा पियरं वा भायरं वा भइणि वा भाइणेयं वा सुयं वा सुयसुयं वा धूयं वा णत्नुयं वा सुण्डं वा जामाउयं वा दाइयं वा गोनियं वा सजाइयं वा विजाइयं वा सयणं वा असयणं वा संबंधियं वा असंयंधियं वा सणाहं वा असणाहं वा इढिमंतं वा अणिढिमतं वा सएसियं वा विएसियं वा आरियं वा अणारियं वा हणेज वा हणावेज वा उडविज वा उडवाविज वा से णं परियाए अओग्गे, से णं पाबे से णं निदिए से णं गरहिए से णं दुगुछिए से णं पडिकुटे से णं पडिसेहिए से णं आवई से णं बिग्घे से णं अयसे से णं अकित्ती से णं उम्मग्गे से णं अणायारे. एवं रायदुहे. एवं तेणे, एवं परजुवइपसत्ते, एवं अन्नयरे वा केई वसणाभिभूए, एवं अइसंकिलिडे एवं छुहाणडिए एवं रिणोवदुए अविनायजाइकुलसीलसहावे एवं बहुवाहिवेयणापरिगयसरीरे एवं रसलोलुए एवं बहुनिदे एवं इतिहासखेड्डकंदप्पणाहवायक्जरिसीले एवं बहुकोऊडले एवं बहुपेसवम्गे जाव णं मिच्छादिद्विपडि. ११४३ महानिशीथच्छेदमूत्र, अन्सयर्ण-4 मुनि दीपरत्नसागर Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जीयकुलुप्पो वा से ण गोयमा! जे केई आयरिएइ वा मयहरएइ वा गीयत्येह वा अगीयत्या वा आयरियगुणकलिएइ वा मयहरगुणकलिएइ वा भविस्सायरिएइ वा भविस्समयहरएइ वा लोभेण वा गारवेण या दोण्हं गाउयसयार्ण अम्मतरं पायेजा से णं गोयमा ! वाक्कमियमेरे से णं पचयणचोच्छिनिकारए सेणं तित्यवोच्छित्तिकारए से णं संघवोच्छित्तिकारए सेणं वसणाभिभूए सेणं अदिट्टपरल्योगपञ्चवाए सेणं अणायारपपिने सेणं अकजयारी से णं पाये सेणं पावपाचे से णं महापावपावे से णं गोयमा ! अभिग्गहियडरूदकरमिच्छादिट्ठी।१८ा से भयवं! केणं अट्टेणं एवं बुबइ ?, गोयम ! आयारे मोक्खमम्गे, णो णं अणायारे मोक्खमम्गे, एएणं अटेणं एवं बुबइ से भय ! कयरे सेणं आयारे कयरे पासणं अणायारे?, गोयमा ! आयारे आणा, अणायारेण तप्पडिवक्से, तत्य जेणं आणापडिवक्खे से णं एगतेणं सबपयारेहिंसाहा बजणिजे, जे गं णो आणापडिवक्से से णं एगनेणं सापयारेहिणं साहा आयरणिज्जो, नहा णं गोयमा ! जं जाणिजा जहाणं एस णं सामनं चिराहेजा से णं सपहा विवजेजा ।१९। से भयचं! कह परिक्खा ?, गोयमा! गंजे केइ पुरिसेइ वा इथियाओ वा सामर्श परिवजिउकामे कंपेज्जा वा धरहरेज्ज वा निसीएज्ज वा छइिंड वा पकरेग्ज सगणे वा परगणे वा आसाएइ वा साएद वा तदहुनं गच्छेज्जा वा अवलोइज्ज वा पलोइज्ज वा वेसगहणे दोइग्जमाणे कोई उपाएइ वा अमुहे दोनिमित्तेइ वा भवेजा से गं गीयत्ये गणी अन्नयरेड वा मयहरादी महया ने उन्नेणं निरूवेजा, जस्स णं एयाई परं तकेजा से ण णो पञ्चावेजा, से णं गुरुपडिणीए भविजा से णं निदम्मसबले भकेजा सव्वहा से णं सवपयारेसु णं केवलं एगंतेणं अयजकरणुजए भवेजा, से ] जेणं वा नेणं वा मुएण वा विमाणेण वा गारविए भवेजा, से णं संजईवग्गस्स पउत्पवयखंडणसीले भवेज्जा, सेणं बहुरूवे मवेजा।२०१से भय : कयरेणं से बहुरूचे बुबइ ?. जेणं ओसन्नविहारीणं ओसने उजुयविहारीणं उजुयवि. हारी निदम्मसबलाणं निदम्मसबले बहुरुची रंगगए चारणे इव णडे 'खणेण रामे य खणेण लक्खणे, खणेण दसगीवरावणे खणेणं । टप्पयरकवदंतुरजराजुनगनपंडुरक्खे सबहुपर्वचभरिए विदूसगे ॥१२३॥खणेणं निरियं च जानी, वाणरहणुमनकेसरी। जहा णं एस गोयमा!, तहा णं से बहुरूवे ॥१२४॥ एवं गोयमा ! जे णं असई कयाई केइ चुकखलिएणं पडावेजा से णं दूरदाणववहिए करेजा. से णं समिहिए णो धरेजा, से णं आयरेणं णो आलवेजा से णं मंडमनोवगरणे नो पडिलेहाविजा, सेणं तस्स गंथसत्यं नो उदिसेना, से णं तस्स गंथसत्यं नो अणुजाणेजा, सेणं तस्स सदि गुज्मं रहस्सं वा णो मंतिजा, एवं गोयमा! जे केई एयदोसविप्पमुके से णं पवावेज्जा, नहा णं यं नो पहावेज्जा, एवं गणियं नो पचावेज्जा, एवं चक्युविगलं, एवं विकप्पियकरचरणं, एवं छिन्नकन्ननासोई. एवं कुट्ठवाहीए गलमाणसडहडतं एवं पंगु अयंगमं मूयबहिरं एवं अचुकडकसायं एवं बहुपासंडसंसर्ट एवं घणरागदोसमोहमिच्छत्तमलखवलियं एवं उझियउत्तयं एवं पोराणनिक्खुडं एवं जिणालगाइबहुदेवचन्टीकरणभोइयं चक्यरं एवं णडणट्टछन(माइ)चारण एवं मुयजड चरणकर. णजड जड्डकायं णो पहावेज्जा, एवं तु जाव णं नामहीणं थामहीणं जाइहीणं कुलहीणं बुद्धिहीर्ण पन्नाहीणं गामउडमयहरं वा गामउडभयहरसुयं वा अन्नयरंचा निदियाहमहीण जाइयं वा अविन्नायकुलसहावं गोयमा ! साहा गो दिक्खे णो पाविज्जा, एएसि तु पयाणं अन्नयरपए खलेज्जा जो सहसा देसृणपुषकोडीतवेण गोयम ! सुज्झेज्ज वा ण वावि।२१॥ एवं गच्छववत्थं नहनि पालेनु तं नहेव (ज) जहा (भणियं)। रयमलकिलेसमुक्को गोयम! मुक्खं गएऽणतं ॥ १२५ ॥ गच्छति गमिस्संति य ससुरासुरजगणमंसिए वीरे। भुवणेक्कपायडजसे जहभणियगुणट्टिए गणिणो ॥ १२६॥ से भयवं! जे णं केई अमुणियसमयसम्भाचे होत्या विहीएड वा अविहीएइ वा कस्सई गच्छायारस्स वा मंडलिधम्मस्स वा छत्तीसइविहस्स णं सप्पमेयनाणदसणचरित्ततवबीरियायारस्स वा मणसा वा वायाए वा काएण वा कहिचि अन्नयरे ठाणे केद्र गच्छाहिबई आयरिएइ वा अंतोविमुद्धपरिणामेवि होताण असई चोकेज वा खलेज वा परूवेमाणे वा अणुढेमाणे वा से णं आराहगे उयाहु अणाराहगे ?, गोयमा ! अणाराहगे, से भयवं! केणं अट्टेणं एवं बुच्चइ जहा णं गोयमा ! अणाराहगे?, गोयमा ! णं इमे दुवालसंगे सुयनाणे अणप्पमिए अणार. निहणे सम्भूयस्थपसाहणे अणाइसंसिद्दे से गं देविंदवंदाणं अतुलबलबीरिएसरियसत्तपरकममहापुरिसायारकंतिदित्तिलाचन्नरूवसोहम्माइसयकलाकलावविच्छइडमंडियाणं अणंतनाणीणं सयंसंबुद्धाणं जिणवराणं अणाइसिहाणं अणंताणं वट्टमाणसमयसिज्झमाणाणं अन्नेसिं च आसन्नपुरकडाणं अणताणं सुगहियनामधेजाणं महायसाणं महासत्ताणं महाणुभागाणं तिहुयणिकतिलयाणं तेलोकनाहाणं जयपवराणं जगेक्कबंधूर्ण जगगरुणं सपनर्ण सबदरिसीणं पवरवरधम्मतिस्थंकराणं अरहंताण भगवंताणं भयभविस्साईयणागयवहमाणनिखिलासेसकसिणसगुणसपजयसववत्युविदियसम्मावाणं असहाए पपरेएकमेक्कमम्गे, सेणं मुननाए अत्यनाए गंधनाए, नेसिपि णं जहहिए चेव पन्नवणिज्जे जहहिए चेवाणुट्टणिजे जहट्ठिए चेच भासणिज्जे जहदिए चेव वायणिज्जे जहडिए चेव परुवणिज्जे जहट्टिए चेव वायरणिज्जे जहहिए चेव कहणिज्जे से णं इमे दुवालसंगे गणिपिडगे, नेसिपि णं देविंदरदवंदाणं णिखिलजगविदियसदवसपज्जवगइआगइ(इति)हासबुद्धिजीवाइतत्ते जाणए वत्युसहावार्ण अलंघणिज्जे अणइक्कमणिज्जे अणासायणिज्जे नहा येव इमे दुवालसंगे सुयनाणे सबजगज्जीवपाणभूयसत्ताणं एगतेणं हिए मुहे खमे नीसेसिए आणुगामिए पारगामिए पसत्थे महत्थे महागुणे महाणुभावे महापुरिसाणुचिन्ने परमरिसिदेसिए दुक्खक्वयाए कम्मक्खयाए मोक्खयाए संसारुतारणयाएनिकट उपसंपज्जिनाणं विहरिंमु, किमुतमन्नसिति, ता गोयमा ! जेणं केइ अमुणियसमयसम्भाचेइ वा विइयसमयसारेइ वा अविहीएइ वा गच्छाहिबई वा आयरिएइ वा अंतोविमुदपरिणामेचि होत्या, गच्छायारमंडलियम्मा उत्नीसहविही आयारादि जाव णं अनयरस्स वा आवम्सगाइकरणिजस्स णं परयणसारस्स असती चुकेज वा खलेज वा ते णं इमे दुवालसंगे सुयनाणे अनहा पयरेजा, जे णं इमे दुवालसंगसुयणाणनिबद्धतरोधगयं एकं पयअक्खरमवि अन्नहा पयरे से णं उम्मम्गे पयंसज्जा, जे गं उम्मग्गे पयंसे से गं अणाराहगे भवेज्जा, ता एएणं अट्टेणं एवं चुच्चइ जहा णं गोयमा! एगतेणं अणाराहगे । २२। से भयवं ! अत्थि केई जणमिणमो परमगुरुणंपी अलंघणिज्जं परमसरणं फुड पयर्ड पपडपयर्ड परमकहाण कसिणकम्मरक्लनिवर्ण पपयर्ण अइफमेज्ज वा पइकमेज्ज वा लंघेज्ज वा संडेज्ज वा विराहेज्ज वा आसाइज्ज वा से मणसा वा वयसा चा कायसा वा जाच गं बयासी ?, गोयमा ! णं अणतेणं कालेणं परिवहमाणेणं संपयं दस अच्छेरगे भविसु, तत्व णे असंखेने अभाव असंखेज्जे मिच्छादिट्ठी असंखेज्जे सासायणे दपलिंगमासीय सच्छंदत्ताए डंभेणं सक्कारिजंते एच्छेए धम्मिगत्तिकाऊणं बहवे अदिट्ठकल्लाणे जइणं पक्यणमम्भुषगम्मति (२८६) | ११४४ महानिशीथच्छेदम, अन्सारी-4 मुनि दीपरत्नसागर Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तमन्भुवगमिय रसलोलत्ताए विसयलोलत्ताए दुईतिदियदोसेणं अणुदियह जहट्ठियं मग्गं निट्ठवंति उम्मग्गं च उस्सप्पयंति, ते य सन्चे तेणं कालेणं इमं परमगुरूणंपि अलंघणिज पवयणं जाव णं आसायंति।२३। से भयवं! कयरेऽणतेणं कालेणं दस अच्छेरगे भविंसु ?, गोयमा ! णं इमे तेणं कालेणं ते अ णं दस अच्छेरगे भवंति, तंजहा-तित्थयराणं उवसग्गे गब्भसंकामणे वामातित्थयरे तित्थयरस्स णं देसणाए अभवसमुदाएणं परिसाधे सविमाणाण चंदाइचाणं तित्थयरसमवसरणे आगमणे वासुदेवाणं संखमुणीए अन्नयरेण वा रायकउहेणं परोप्परमेलावगे इहई तु भारहे खेत्ते हरिवंसकुलप्पत्तीए चमरुप्पाए एगसमएणं अट्ठसयसिद्धिगमणं असंजयाणं पूयाकारगेत्ति । २४॥ से भयवं! जेणं केई कहिंचि कयाई | पमायदोसओ पवयणमासाएजा से णं किं आयरियपयं पावेजा ?, गोयमा ! जे णं केई कहिंचि कयाई पमायदोसओ असई कोहेण वा माणेण वा मायाए वा लोभेण वा रागेण वा दोसेण वा भएण वा हासेण वा मोहेण वा अनाणदोसेण वा पबयणस्स णं अग्नयरहाणे वइमित्तेणंपि अणायारं असमायारिं परूवेमाणे वा अणुमनेमाणे या पवयणमासाएजा से णं बोहिंपि णो पावे, किमंग आयरियपयलंभं?, से भयवं ! किं अभ मिच्छादिट्ठी आयरिए भवेज्जा?, गोयमा! भवेज्जा,एत्थं च णं इंगालमहगाई नाए, से भयवं! कि मिच्छादिट्ठी T! निक्खमेजा.से भयवं! कयरेणं लिंगेणं से णं वियाणेजा जहाणं धवमेस मिच्छादिट्ठी, गोयमा! जेणं कयसामाइए सबसंगविमत्ते भवित्ताणं अफासपाणं परिभुजेजा जे णं अणगारधर्म पडिवजित्ताणमसई सोईरियं वा तेउकायं सेवेज वा सेवाविज वा से बिजमाणे अन्ने समणुजाणेज वा तहानवण्हं बंभचेरगुत्तीणं जे केई साहु वा साहुणी वा एकामवि खंडिज वा विराहेज वा खंडिजमाणं वा विराहिज्जमाण वा बंभचेरगुती परेसिं समणुजाणेज्जा वा मणेण वा वायाए वा काएण वा से णं मिच्छादिट्ठी, न केवलं मिच्छादिट्ठी अभिगहियमिच्छादिट्ठी बियाणेजा।२५। से भयवं! जे णं केई आयरिएइ वा मयहरएइ वा असई कहिंचि कयाई तहाविहं संबिहाणगमासज इणमो निग्गंथ पवयणमनहा पनवेजा से णं किं पायेजा?, गोयमा ! जं सावजायरिएणं पावियं से भयवं! कयरेणं से सावज्जायरिए? किं वा तेणं पावियंति?. गोयमा! णं इओ य उसमादितित्वकरचउवीसिगाए अणंतेणं कालेणं जा अतीता अन्ना चउवीसिगा तीए जारिसो अयं तारिसो चेव सत्तरयणी पमाणेणं जगच्छेत्यभूओ देविंदविंदवंदिओ पवरवरधम्मसिरिनाम चरमधम्मतित्थंकरो अहेसि, तत्थ य तित्थे सत्त अच्छेरगे भूए, अहऽनया परिनिवुडस्स णं तित्थंकरस्स कालक्रमेणं असंजयाणं सकारकारवणे णामऽच्छेरगे बहिउमारद्धे, तत्थ णं लोगाणुवत्तीए मि. च्छत्तोवहयं असंजयपूयाणुरयं बहुजणसमूहंतिवियाणिऊण तेणं कालेणं तेणं समएणं अमुणियसमयसम्भावेहिं तिगारवमइरामोहिएहिं णाममेत्तआयरियमयहरेहिं सड्ढाईर्ण सयासाओ दविणजायं पडिग्गहियरधभसहस्सूसिए सकसके ममत्तिए चेइयालगे काराविऊणं ते चेव दुरंतपतलक्खणाहमाहमे आसईएहि ते चेव चेइयालगे नीसीय गोविऊणं च बलबीरियपुरिकारपरकमे संते बले संते वीरिए संते पुरिसकारपरक्कमे चइऊणं उग्गाभिग्गहे अणिययविहारं णीयावासमासइत्ताणं सिढिलीहोऊणं संजमाइसु ठिए, पच्छा परिचिचाणं इहलोगपरलोगावार्य अंगीकाऊण य सुदीहं संसार तेसु चेव मढदेव उलेसु अञ्चत्वं गथिर मुन्छिरे ममीकारहूंकारहि णं अभिभूएसयमेव विचित्तमलदामाईहिणं देवचणं काउम जं पुण समयसारं परं इमं सवयर्ण तं दूरसुदूरयरेणं उज्झियंतितंजहा-सबे जीवा सवे पाणा सवे भूया सो सत्ता ण हतत्राण अजावेयाण परियावयत्राण परिघेत्तयाण विराहयता ण . किलामेयवा ण उद्दवेयवा, जे केई सुहुमा जे केई वायरा जे केई तसा जे केई थावरा जे केई पजत्ता जे केई अपज्जता जे केई एगिदिया जे केई वेदिया जे केई तेंदिया जे केई चउरिदिया जे के पंचिदिया तिविहंतिविहेणं मणेणं वायाए काएणं जं पुण गोयमा! मेहुर्ण तं एगतेणं३णिच्छयओ३बाइ तहा आउतेउसमारंभं च सवहा सवपयारेहिं सयं विवज्जेजा मुणीति एस धम्मे धुवे सासए णिइए समिच लोग खेयन्नहिं पवेइएत्ति।२६। से भयवं! जे णं केई साहू वा साहुणी वा निग्गंथे अणगारे दश्वत्थयं कुजा से णं किमालवेजा ?, गोयमा ! जेणं केई साहू वा साहुणी वा निग्गंथे अणगारे दवत्थय कुजा से णं अजयएइ वा असंजएइ वा देवभोइएइ वा देवचगेइ वा जावणं उम्मग्गपइडिएइ वा दुरुज्झियसीलेड वा कुसीलेइ वा सच्छंदयारिएड वा आलवेज्जा।२७॥ एवं गोयमा! तेसिं अणायारपवित्तार्ण बहूर्ण आयरियमयहरादीणं एगे मरगयच्छवी | तस्स णं महामहंते जीवाइपयत्थे सुत्तत्यपरिन्नाणे सुमहंत चेव संसारसागरे तासुंतासु जोणीसु संसरणभयं सत्रहा सबपयारेहि णं अचंत आसायणाभीरुयत्तणं, तकालं तारिसेऽवी अ. संजमे अणायारे बहुसाहम्मियपवत्तिए तहावी सो तित्थयराणमाणं गाइकमेइ, अहऽन्नया सो अणिमूहियबलवीरियपुरिसकारपरकमे सुसीसगणपरियरिओ सबन्नुप्पणीयागमसुत्न स्थोभयाणुसारेणं ववगयरागदोसमोहमिच्छत्तममकाराहकारो सवत्थ अपडिबद्धो, किं बहुणा ?, सगुणगणाहिट्टियसरीरो अणेगगामागरनगरखेटकब्बडमडंबदोणमुहाइसन्निवेसवि. 2 सेसेसुं अणेगेसुं भवसत्ताणं संसारचारगविमोक्खणि सद्धम्मकहं परिकहेंतो विहरिंसु, एवं च वचंति दियहा, अन्नया णं सो महाणुभागो विहरमाणो आगओ गोयमा! तेसिं णीयविहारी११४५ महानिशीथच्छेदसूत्र, अन्य -4 ___मुनि दीपरत्नसागर Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णमावासगे, तेहिं च महानवम्सी काऊण सम्माणिओ किहकम्मासणपयाणाइणा समुचिएणं, एवं च मुहनिसो, चिट्ठिनाणं धम्मकहाइणाविणोएणं पुणो गंतुं पयनो, ताहे भणिओ सो महाणुभागो गोयमा ! तेहिं दुरंतपंतलखणेहि लिंगोवजीचीहि भट्ठायारुम्मग्गपवत्तगऽभिग्गहीयमिच्छादिट्ठीहि, जहा णं भयवं ! जइ तुममिहई एक यासारनियं बाउम्मासिय ४ पउंजियं नो णमेल्थं एलिगे चेहयालगे भवंति पूर्ण तुझाणत्तीए, ता कीरओ अणुग्गहत्थमम्हाणं इहेव चाउम्मासियं, ताहे भणियं नेण महाणुभागेणं गोयमा : जहा भो भो पियंचए! जइवि जिणालए नहावि सावजमिणं णाई वायामित्तेणंऽपेयं आयरिजा, एवं च समयसारपरंततं जहट्ठियं अविवरीयं णीसंकं भणमाणेणं तेसि मिच्छादिट्ठीलिंगीणं साहसधारीणं मझे गोयमा ! आसकलियं तिथवरणामकम्मगोयं तेणं कुवलयप्पभेणं, एगभवावसेसीकओ भवोयही, तत्थ य दिवो अणुलविजनामसंघमेल्बगो अहेसि, तेसिं च बहहि पापमईहिं लिंगिणियाहि परोप्परमेगमयं काऊणं गोयमा ! तालं दाऊणं विप्पलोइयं चेव तं तस्स महाणुभागसुमहतवस्सिणो कुवलयप्पहाभिहाणं कयं च से सावजायरियामिहाण, सहकरणं, गयं च पसिद्धीए, एवं सरिजमाणोऽपि सो तेणापसत्यसादकरणेणं तहावि गोयमा ! ईसिपि ण कुप्पे । २८ । अहऽन्नया तेसिं दुरायाराणं सद्धम्मपरंमुहाणं अगारधम्माणगारधम्मोभयभट्ठार्ण लिंगमेननामपाइयाण कालक्कमेणं संजाओ परोप्परं आगमवियारो जहा णं सड्ढगाणमसई संजया चेव मढदेउले पडिजागरेति संडपडिए यसमारावयंति, अन्नं च जाव करणेजतं पड़ समारंभे कजमाणे जइस्सावि णं णत्थि दोससंभवं, एवं च केई भणंति-संजमं मोक्खनेयारं, अन्ने भणति जहाणं पासायवडिसए प्यासकारवलिविहाणाईसुणं नित्थुच्छप्पणा चेव । मोक्वगमणं, एवमेसिमविदयपरमत्याणं पावकम्माणं जं जेण सिटुं सो तं चेचुद्दामुस्सिखलेणं मुहेणं पलवति, ताहे समुट्ठियं वादसंघई, नत्थि य कोई तत्थ आगमकुसलो तेसि मझे जो तत्थ जुत्ताजुत्तं दिया जो य पमाणपुत्रमुबहसइ, नहा एगे भणंति जहा अमुगो अमुग त्यामि चितु, अने भणनि-अमुगो, अन्ने भणंति-किमित्य बहुणा पलविएणं, सधेसि. मम्हाणं सावजायरिओ एत्य पमाणंति, तेहिं भणियं जहा एवं होउत्ति हकारावेह लहूं, तओ हकाराविओ गोयमा! सो तेहिं सावजायरिओ, आगओ दूरदेसाओ अप्पडिबद्धत्ताए विहरमाणो सत्तहिं मासेहि, जावणं दिडो एगाए अजाए, सा य तं कठुम्गतवचरणसोसियसरीरं चम्मविसेसतणुं अचंतं तबसिरीए दिप्पंतं सावज्जायरियं पेच्छिय सुविम्हियं तकर. (ख)णा वियकिउं पयत्ता- अहो कि एस महाणुभागे णं सो अरहा किं वा णं धम्मो चेव मुत्तिमंतो ?, किं बहुणा ?, तियसिंदवंदाणंपि वंदणिजपायजुओ एसत्ति चितिऊणं भत्तिभर - निम्भरा आयाहिणपयाहिणं काऊणं उत्तिमंगेणं संघहमाणी डिति णिवडिया चलणेसुं गोयमा ! तस्स सावज्जायरियस्स, दिहो य सो तेहिं दुरायारेहि पणमिजमाणो, अन्नया र्ण सो तेसिं तस्थ जहा जगगुरुहिं उवढं तहा चेव गुरुवएसाणुसारेणं आणुपुत्रीए जहट्ठियं सुत्तत्यं वागरेइ तेऽवि तहा चेव सदहंति, अन्नया ताव बागरियं गोयमा ! जाव णं एकार सोहमंगाणं चोहसण्हं पुधार्ण दुवालसंगम्त र्ण सुयनाणस्स गवणीयसारभूयं सयलपावपरिहारट्टकम्मनिम्महणं आगयं इणमेव गच्छमेरापन्नवणं महानिसीहसुयक्खंधस्स पंचममज्झ12 यणं, एत्येव गोयमा! ताव णं वक्खाणियं जाव णं आगया इमा गाहा 'जस्थित्यीकरफरिसं अंतरिय कारणेवि उप्पन्ने । अरहाऽवि करेज सयं तं गर गोयमा ! अप्पसंकिएणं चेव चिंतियं तेणं सावजायरिएण जइ इह एवं जट्टियं पन्नवेमि तओ जं मम वंदणगं दाउमाणीए तीए अजाए उत्तिमंगेण चलणग्गे पुढे तं सवेहिपि दिट्ट. मेएहिंति ता जहा मम सावजायरियाभिहाणं कर्य तहा अन्नमवि किंचि एत्यमुहकं काहिंति जेणं तु सवलोए अपुजो भविस्सं, ता अहमन्नहा मुत्तत्थं पन्नवेमि?,ता णं महती आ. सायणा, तो किं करियरमेत्यति ?, किं एवं गाहं परूवयामि? किंवा ण ? अन्नहावा पन्नवेमि?, अहवा हाहा ण जुत्तमिणं उभयहावि अचंतगरहियं आयहियट्ठीणमेयं, जओणमेस समयाभिप्पाओ जहा णं-जे भिक्खू दुवालसंगस्स णं सुयनाणस्स असई चुक्करखलियपमाया संकादीसभयत्तेणं पयक्करमत्नाबिंदुमवि एकं परूविज्जा अन्नहा वा पन्नवेज्जा संदिदं वा मुत्तत्थं वक्साणेज्जा अविहीए अओगस्स वा वक्खाणेज्जा से भिक्खू अणंतसंसारी भवेज्जा, ता किं एत्थं ?. जं होहीतं च भवउ, जट्ठियं चेच गुरुवएसाणुसारेणं मुत्तत्थं पवक्खा. मिति चितिऊणं गोयमा ! पवक्साया णिखिलावयबबिसुद्धा सा तेण गाहा, एयावसरंमि चोइओ गोयमा ! सो तेहिं दुरंतपंतलक्खणेहिं जहा जइ एवं ता तुमंपि ताव मूलगुणहीणो जाव णं संभस्तु तं जं तदिवसं तीए अज्जाए तुझं वंदणगं दाउकामाए पाए उत्तमंगेणं पुढे, ताहे इहलोगायसभीरू खरसत्थ(मच्छ)रीहूओ गोयमा ! सो साबजायरिओ विचिंतिओ जहा जं मम सावजायरियाभिहाणं कर्य इमेहिं तहा तं किंपि संपर्य काहिति जे णं तु सबलोए अपुज्जो भविस्सं. ता किमित्यं परिहारगं दाहामिति चिंतमाणेणं संभरियं तित्थयरवयर्ण. जहाण जे केई आयरिएइ वा मयहरएइ वा गच्छाहिबई सुयहरे भवेज्जा से णं जंकिंचि सबन्नुणतनाणीहि पावाववायढाणं पडिसेहियं तं सबसुयाणुसारेणं विन्नाय साहा सन्त्रपयारेहि कगंणो समायरेज्जाणो णं समायरिज्जमाणं समणुजाणेजा, से कोहेण वा माणेण वा मायाए वा लोभेण वा भएण वा हासेण वा गारवेण वा दप्पेण वा पमाएण वा असती चुकरसलिएण वा 10/ ११४६ महानिशीथ पदसूत्रं, असम मुनि दीपरत्नसागर Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिया वा राओ वा एगओ वा परिसागओ वा सुत्ने वा जागरमाणे वा तिविहंतिविहेणं मणेणं बायाए काएणं एतेसिमेव पयाणं जे केई विराहगे भवेज्जा से णं भिक्खू भुजो २ निंदणिज्जे | गरहणिज्जे खिसणिजे दुगुंछणिजे सक्लोगपरिभूए बहुवाहिवेयणापरिगयसरीरे उक्कोसठिईए अणतसंसारसागरं परिभमेजा, तत्थ णं परिभममाणे खणमेकंपि न कहिंचि कदाइ निबुई संपावेजा, तो पमायगोयरगयस्स णं मे पावाहमाहमहीणसत्तकाउरिसस्स इहई चेव समुट्ठिया एमहंती आवई जेण ण सको अहमेत्थं जुत्तीखमं किंचि पडिउत्तरं पयाउं जे, तहा परलोगे य अर्णतभवपरंपरं भममाणो घोरदारुणाणंतसो य दुक्खस्स भागीभविहामिऽहं मंदभग्गोत्ति चिंतयंतोऽवलक्खिओ सो सावजायरिओ गोयमा! तेहिं दुरायारपाक्कम्मदुट्टसो. यारेहि जहा णं अलियखरमच्छरीभूओ एस, तओ संसुद्धमणं खरमच्छरीभूयं कलिऊणं च भणियं तेहिं दुट्ठसोयारेहिं जहा जाव णं नो छिन्नमिणमो संसयं ताव णं उर्दु बक्खाणं अस्थि, ता एत्थं तं परिहारगं वायरेजा जं पोढजुत्तीखमं कुम्गहणिम्महणपञ्चलंति, तओ तेण चितियं जहा नाहं अदिन्नेणं परिहारगेण चुक्किमो मेसि, ता किमित्थ परिहारगं दाहामित्ति चिंतयंतो पुणोवि गोयमा ! भणिओ सो तेहिं दुरायारेहिं जहा किमट्ठ चितासागरे णिमजिऊणं ठिओ?, सिग्धमेत्य किंचि परिहारगं वयाहि, णवरं तं परिहारगं भणिज्जा जं जहुत्तथीकि(स्थिक)याए अवभिचारी, ताहे सुइरं परितप्पिऊणं हियएणं भणियं सावजायरिएणं जहा एएणं अत्थेणं जगगुरूहिं वागरियं जं अओगस्स मुत्तत्थं न दायवं,जओ आमे घडे निहत्तं जहा जलं तं घर्ड विणासेइ । इय सिद्धतरहस्सं अप्पाहारं विणासेइ ॥१२८॥ ताहे पुणोवि तेहिं भणियं जहा किमेयाई अरडबरडाई असंबद्धाई दुब्भासियाई पलवह ?, जइ | परिहारगं ण दाउं सके ता उफिड मुयसु आसणं ऊसर सिग्घं इमाओ ठाणाओ, किं देवस्स रूसेजा जत्थ तुमंपि पमाणीकाऊर्ण सत्रसंघेणं समयसम्भावं वायरेउं जे समाइटो?, तओ 2 पुणोवि सुइरं परितप्पिऊणं गोयमा ! अन्नं परिहारगमलभमाणेणं अंगीकाऊणं दीहसंसारं भणियं च सावज्जायरिएणं जहा ण उस्सग्गाववायेहिं आगमो ठिओ, तुम्भे ण याणहेयं, एगंतो मिच्छत्तं, जिणाणमाणामणेगतो, एयं च वयण गोयमा! गिम्हायवसताविएहि सिहिउलेहिं व अहिणवपाउससजलघणोरडिमिव सबहुमाणं समाइच्छियं तेहिं दुट्टसोयारेहि, भतओ एगवयणदोसेणं गोयमा ! निबंधिळणाणत संसारियत्नणं अपडिक्कमिऊणं च तस्स पावसमुदायमहाखंधमेलावगस्स मरिऊण उपवन्नो वाणमंतरेसु सो सावजायरिओ, नओ चुओ समाणो उबवन्नो पवसियभत्ताराए पडिवासुदेवपुरोहियधूयाए कुच्छिसि, अहऽन्नया वियाणिउं तीए जणणीए पुरोहियभजाए जहा णं हा हा हा दिन्नं मसिकुञ्चयं सवनियकुलस्स तओ संतप्पिऊण मुहर बहूं च हियएण साहारेउं निविसया कया सा तेणं पुरोहिएणं. एमहंता असमदुन्निवारअयसभी. रुणा, अहऽन्नया घेवकालंतरेणं कहिचि थाममलभमाणी सीउण्हवायविज्झडिया खुरका(हछा)मकंठा दुबिभक्खदोसेणं पविट्ठा दासत्ताए रसवाणियगस्स गेहे, तत्थ य बहूर्ण मजपाणगाणं संचियं साहरेड अणुसमयमुचिट्ठगंति, अन्नया अणुदिणं साहरमाणीए तमुचिट्ठगं दठूणं च बहुमजपाणगे मजमावियमाणे पोग्गलं च समुदिसते तहेव तीए मजमंसस्सोवरि दोहलगं समुप्पन्नं जाव णं तं बहुमज्जपाणं नडनछत्तचारणभडोड्डचेडतकरासरिसजातीसु सुज्झियं खुरसीसपुंछकचट्ठिमयगयं उचिटुं वच्छू(उछु)रखंड तं समुहिसिउँ समारदा, ताहे तेसु चेव उचिट्टकोडियगेसु जंकिंचि णाहीए मज्झं विवकं तमेवासाइउमारदा, एवं च कइवयदिणाइकमेणं मजमंसस्सोवरि दढं गेही संजाया, ताहे तस्सेव रसवाणिज्जगम्स गेहाउ परिमुसिऊणं किंचि कंसदसदविणजायं अन्नत्थ विक्किणिऊणं मजं समंसं परिभुजइ, तावणं विन्नायं तेण रसवाणिजगेण, साहियं च नरवइणो, तेणायि वज्झा समाइट्ठा, तत्थ वन्नसत्ता नारी अवराहदोसेणं सा जायणं नो पसया ताव र्ण नो बाबाएयवा. तेहिं विणि उत्तगणिगितगेहि सगेहे नेऊण पसहसमयं जाव णियंतिया रक्खेयवा, अहऽन्नया णीया तेहिं हरिएसजाईहिंसगेहि, कालकमेण पसूया य दारगं तं सावज्जायरियजीचं, नओ पसूयमेत्ता चेव तं बालयं उज्झिाऊण पणट्ठा मरणभयाहितत्था सा गोयमा ! दिसिमेक गंतूणं, वियाणियं च तेहिं पावेहिं जहा पणट्ठा सा पावकम्मा, साहियं च नरवइणो सूणाहिवईहिं जहा णं देव ! पणट्ठा सा दुरायारा कयलिगम्भोवमं दारगमुज्झिऊणं, रन्नावि पडिभणियं-जहा णं जइ नाम सा गया ता गच्छड तं बालगं पडिवालेजामु, सञ्चहा नहा कायवं जहा त बालगं ण बावजे, गिण्हेमु इमे पंच. सहस्सा दविणजायस्स, तओ नरवइणो संदेसेणं सुयमिव परिवालिओ सो पंसुलीतणओ, अन्नया कालकमेणं मओ सो पावकम्मो सूणाहिबई, नओ रना समणुजाणिओनस्सेव बालगस्स घरसारं, कओ पंचण्ह सयाणं अहिवई, तत्थ य सूणाहिवइपए ठिओ समाणो ताई तारिसाई अकरणिज्जाई समणुद्वित्ताणं गओ सो गोयमा! सत्तमाए पुढवीए अपइट्ठाणनामे निरयावासे सावज्जायरियजीवो, एवं तं तत्थ तारिसं घोरपचंडरोई सुदारुणं दोक्खं तित्तीसं सागरोवमं जाव कहकहवि किलेसेणं समणुभविऊर्ण इहागओ समाणो उववन्नो अंतरदीवे एगोरुयजाई, तओवि मरिऊणं उववन्नो तिरियजोणीए महिसत्ताए, तत्थ य जाई काईपिणारगदुक्खाई तेसि तु सरिसनामाई अणुभविऊर्ण छडीसं संवच्छराणि तओ गोयमा! ११४७ महानिशीथच्छेदसूत्र, revour मुनि दीपरत्नसागर Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मओ समाणो उववन्नो मणुएसु, तओ गओ वासुदेवत्ताए सो सावजायरियजीवो, तत्थवि अहाऊयं परिवालिऊणं अणेगसँगामारंभपरिगहदोसेण मरिऊण गओ सत्तमाए, तओवि - उबहिऊण सुइरकाला उववन्नो गयकन्नो नाम मणुयजाई, तओवि कुणिमाहारदोसेणं कूरावसायमई गओ मरिऊणं पुणोवि सत्तमाए तहिं चेव अपइट्ठाणे निरयावासे, तओ उच्च. -ट्टिऊणं पुणोवि उववन्नो तिरिएसु महिसत्ताए, तत्यवि णं नरगोवमं दुक्खमणुभवित्ताणं मओ समाणो उववन्नो बालविवाए पंसुलीमाहणधूयाए कुच्छिसि, अहऽन्नया निउत्तप च्छन्नगम्भसाडणपाडणखारजुण्णजोगदोसेणं अणेगवाहिवेयणापरिगयसरीरो सिडिहिडतो कुट्टवाहीए परिगलमाणो सलसलंतकिमिजालेणं खजंतो नीहरिओ नरओवमपोरदुखनिवासाओ गम्भवासाओ गोयमा ! सो सावजायरियजीवो, तओ सबलोगेहिं निदिनमाणो गरहिजमाणो दुगंछिजमाणो खिसिजमाणो सबलोगपरिभूओ पाणखाणभोगोचभोगपरिवज्जिओ गम्भवासपभितीए चेव विचित्तसारीरमाणसिगघोरतुक्खसंतत्तो सत्त संवच्छरसयाइं दो मासे य चउरो दिणे य जाव जीविऊणं मओ समाणो उववन्नो वाणमंतरेसुं, तो चुओ उववन्नो मणुएमुं पुणोवि सूणाहिवत्ताए तओवि तकम्मदोसेणं सत्तमाए तओवि उबद्देऊणं उववन्नो तिरिएK चकियघरंसि गोणत्ताए, तत्य य चकलगडलंगलायट्टणेणं अहनिसं जुयारोवणेणं पचिऊण कुहियउत्रियं खंघ संमुच्छिए य किमी ताहे अक्खमीहूर्य खंध जुयधरणस्स विण्णाय पट्टीए वाहिउमारखो तेणं चकिएणं, अहऽन्नया कालकमेणं जहा खंध तहा पचिऊण कुहिया पट्ठी, तत्थायि संमुच्छिए किमी, सडिऊण विगयं च पहिचम्म, ता अकिंचियरं निप्पओयणंति णाऊण मोकलिओ गोयमा ! तेणं चकिएणं तं सलसलिंतकिमिजालेहिं णं खजमाणं बहाई सावजायरियजीवं, तओ मोकलिओ समाणो परिसडियपट्ठिचम्मो बहुकायसाणकिमिकुलेहिं सपज्मभंतरे विलुप्पमाणो एकूणतीसं संवच्छराई जाव आउयं परिवालेऊणं मओ समाणो उपपण्णो अणेगवाहिवेयणापरिगयसरीरो मणुएमुं महाधण्णस्सण इन्भस्स गेहे, तत्थ य वमणविरेयणखारकडुतित्तकसायतिहलागुग्गलकाढगे आवीय. माणस्स निचविसोसणाहिं च असज्झाणुवसम्मघोरदारुणदुक्खेहिं पज्जालियस्सेव गोयमा! गओ निष्फलो तस्स मणुयजम्मो, एवं च गोयमा सावज्जायरियजीवो चोइसरजुयलोग जम्मA मरणेहिं णं निरंतरं पडियरि(डि)ऊणं सुदीहाणंतकालाओ समुप्पनो मणुयत्ताए अवरविदेहे, तत्य य भागवसेणं लोगाणुवत्तीए गओ तित्थयरस्स बंदणवत्तियाए पडिनुदो य पजाइओ, सिद्धो अइह तेवीसमतित्थयरपासणामस्स काले, एवं तं गोयमा ! सावजायरिएण पावियं, से भयवं! किंपञ्चइयं तेणाणुभूयं एरिसं दूसह घोरदारुणं महादुक्खसंनिवायसंघट्टमित्तियकाल-4 2ति?, गोयमा ! जं भणियं तकालसमयं जहा णं 'उस्सम्गाववाएहिं आगमो ठिओ, एगतो मिच्छत्तं, जिणाणमाणा अणेगंतोत्ति' एयवयणपचइय, से भयवं! किं उस्सग्गाववाएहिं गं नो ठियं आगमं?.एगंतं च पनविजइ, गोयमा! उस्सग्गाववाएहिं चेव पवयणं ठिय, अणेगंतं च पन्नविजइ, णो णं एगंत, णवरं आउकायपरिभोग तेउकायसमारंभ मेहुणासेषणं च एते तओ थाणंतरे एगंतेणं ३ निच्छयओ ३ बाद ३ सपहा सापयारेहिं णं आयहियट्ठीणं निसिद्धति, एथं च सुत्ताइकमे सम्मम्गविप्पणासणं उम्मम्मपयरिसर्ण तओ य आणाभंग आणाभंगाओ अर्णतसंसारी, से भय : किं तेण सावजायरिएणं मेहुणमासेवियं ?, गोयमा ! सेवियासेवियं, णो सेवियं णो असेवियं, से भयवं ! केणं अटेणं एवं वुचइ?, गोयमा ! जं PR तीए अजाए तकालं उत्तिमंगेणं पाए फरिसिए, फरिसिजमाणे य णो तेण आउंटिय संवरिए, एएणं अद्वेणं एवं गोयमा ! बुचड़, से भयचं ! एहमेत्तस्सावि र्ण एरिसे घोरदुषिमोक्खे बदपुट्ठनिकाइए कम्मबंधे?, गोयमा ! एवमेयं, ण अनहत्ति, से भय ! तेण तित्ययरणामकम्मगोयं आसकलियं एगभवावसेसीकओ आसी भवोयही ता किमेयमणंतसंसाराहिंडणति ?, S गोयमा ! निययपमायदोसेणं, तम्हा एवं वियाणित्ता भवविरहमिच्छमाणेणं गोयमा ! सुदिट्ठसमयसारेणं गच्छाहिवणा सबहा सवपयारेहिं णं सवत्यामेसु अचंत अप्पमतेणं भवियांति बेमि । २९॥ महानिसीहसुयक्संधस्स दुवालसंगसुयनाणस्स गवणीयसारनामें पंचमं अज्झयणं ५॥ भयवं! जो रत्तिदियह सिद्धत पढा सुणेह वक्खाणेइचिंतए सततं सो किं अणायार. मायरे?, 'सिद्धतगयमेगंपि, अक्सरं जो बियाणई। सो गोयम ! मरणंतेविऽणाचारं नो समायरे। १। से भयवं! ता कीस दसपुषी शंदिसेणे महायसे पत्रज चिचा गणिकाइ गेहं पषिट्ठोय वुच्चई ?, गोयमा ! 'तस्स पसिद्ध मे भोगहलं खलियकारणं । भवभयभीओ तहावि दुर्य, सो पञ्चजमुवागओ॥१॥ पायालं अवि उड्ढमुह, सम्गं होजा अहोमुहं । ण उणो केवलिपनत्तं, क्यणं अनहा भवे ॥२॥ अन्नं सो बहुवाए वा, सुयनिक्दे वियारिउं । गुरुणो पामूले मोत्तूर्ण, लिंग निविसओगओ॥३॥ तमेव वयणं सरमाणो, दंतभग्गो (दत्तमंगो)सकम्मणा। भोगहल कर्म | वेदेइ, बद्धपुट्ठनिकाइयं ॥ ४॥ भयवं! ते केरिसोवाए, सुयनिबद्ध वियारिए।जेणुजिायसु सामचं, अजवि पाणे धरेड सो ? ॥५॥ एते ते गोयमोवाए, केवलीहिं पवेइए। जहा विसयपराभू. ओ, सरेजा सुत्तमिमं मुणी ॥६॥ तंजहा-तवमुद(मट्ट गुणं घोरं, आढवेजा सुतुकरं। जया विसए उदिजंति, पडणासण विसं पिचे॥७॥ उन्बंधिऊणं मरियाई, नो चरित्नं विराहए। अह एयाई न सकेजा, ता गुरुर्ण लिंग समप्पिया ॥८॥ विदेसे जत्य नागच्छे, पउत्ती तत्य गंतृण । अणुचर्य पालेजा, णो णं भविया णिबंधसे ॥९॥ता गोयम ! णदिसेणेणं, गिरिपडणं जाव पत्थुयं । तावायासे इमा वाणी, पडिओवि णो मरिज तं ॥१०॥ दिसामुहाई जा जोए, ता पेच्छे चारणं मुणिं। अकाले नस्थि ते मनू, विसमविसमादितुं गओ॥१॥(२८७) ११४८ महानिशीथच्छेदसूत्र अवस्था -5 मुनि दीपरतसागर | Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5 ताहेवि अणहियासेहि. विसएहिं जाव पीडिओ। ताय चिंता समुप्पन्ना, जहा कि जीविएण मे ? ॥२॥ कुंदेन्दुनिम्मलयरागं, तित्यं पावमती अहं । उड्डाहितोऽह सुनिस्सं, कत्थ धगंतुमणारिओ? ॥३॥ अहवा सलंगणो चंदो, कुंदस्स उण कापहा। कलिकलुसमलकलंकेहि, वजियं जिणसासणं ॥ ४॥ ता एवं सयलदारिददुहकिलेसक्खयंकरं। पवयणं खिंसावितो, कत्थ गंतूण मुज्झिहं ? ॥५॥ दुग्गटंक गिरि रोएं, अत्ताणं चुन्निमो धुर्व । जाव विसयवसो णाहं, किंचिऽत्थुड्डाहं करं ॥ ६ ॥ एवं पुणोवि आरोढुं, टंकुच्छिन्नं गिरीयडं । संवरे किल | निरागारं, गयणे पुणरवि भाणियं ॥७॥ अयाले नस्थि ते मचू, चरिमं तुम्भं इमं तणुं। ता बद्दपुढे भोगहलं, वेइत्ता संजमं कुरु ॥८॥ एवं तु जाव वे वारा, चारणसमणेहिं सेहिओ। ताहे गंतूण सो लिंगं, गुरुपामूले निवेदिउँ ॥९॥ तं सुत्तत्थं सरेमाणो. दूर देसंतरं गओ। तत्थाहारनिमित्तेणं, वेसाए घरमागओ ॥२०॥ धम्मलाभं जा भणई, अत्थलाभं विमग्गिओ। तेणावि सिद्धिजुत्तेणं, एवं भवउत्ति भाणियं ॥१॥ अदतेरसकोडीओ, दविणजायस्स जा तहिं। हिरण्णविढेि दावेउं, मंदिरा पडिगच्छइ॥२॥ उत्तुंगथोरथणवट्टा, गणिगा आलिंगिउं दद। भन्ने किं जासिमं दविणं, अविहीए दाउ? चुलगा ! ॥३॥ तेणवि भवियवयं एयं, कलिऊणेयं पभाणियं। जहा जा ते विही इट्ठा, तीए दर्षप(आ)यच्छसु ॥४॥ गहिऊणाभिग्गहं ताहे, पविट्ठो तीइ मंदिरं। एवं जहा न ताव अहयं, भोयणपाणविहिं करे ॥५॥ दस दस ण बोहिए जाव, दियहे २ अणूणिगे । पइन्ना जा न पुन्नेसा, काइयमोक्खं न ता करे ॥६॥ अन्न च न मे दायवा, पनजोवट्ठियस्सवि। जारिसगं तु गुरूलिंग, भवे सीसपि तारिसं ॥७॥ अखीणत्थं निहीकाउं, लुंचिओ खोसिओवि सो। तहाऽऽराहिओ गणिगाय, बद्धो जह पेमपासेहिं ॥८॥ आलावाओ पणओ पणयाउ रती रतीइ वीसंभो। बीसंभाओ णेहो पंचविहं बट्टए पेम्मं ॥९॥ एवं सो पेम्मपासेहि, बद्धोऽपि सावगत्तर्ण । जहोवइटुं करेमाणो, दस अहिए वा दिणे दिणे ॥३०॥ पडिबोहिऊण संविग्गगुरुपामूले पयेसई । संपर्य बोहिओ सोवि(णी), दुम्मुहेण (ह भणे) जहा तुमं ॥१॥ धम्मं लोगस्स साहेसि, अत्तकजंमि मुज्झसि । णूणं विकेणयं धम्म, जं सयं णाणुचिट्ठसि ॥२॥ एवं सो वयणं सोचा, दुम्मुहस्स सुभासियं । थरथरथरस्स कंपंतो, निंदिउँ गरहिउँ चिरं ॥३॥ हा हा हा हा अकजं मे, भट्ठसीलेण किं कयं ?। जेणं तु सुत्तोउपसरे, गुंडिओऽसुइ किमी जहा ॥४॥ धी धी धी धी अहन्नेणं, पेच्छ जं मेऽणुचिट्ठियं । जच्चकंचणसमऽत्ताणं, असुइसरिसं मए कयं ॥५॥ खणभंगुरस्स देहस्स, जा वियत्ती ण मे भवे। ता नित्थयरस्स पामूलं, पायच्छित्तं चरामिऽहं ॥६॥ एसमागच्छती एत्थं, चिटुंताणेच गोयमा!। घोरं चरिऊण पायच्छित्तं, संवेगाऽम्हेहिं भासियं ।। ७॥ घोरवीरतवं काउं, असु. हकम्मं सवेनु य। सुकज्झाणं समाहिउँ, केवलं पप्प सिज्झिही ॥८॥ता गोयमेयणाएणं, बहू उवाए वियारिया। लिंग गुरुम्स अप्पेठ, नंदिसेणेण जह कयं ॥९॥ उस्सगं ता तुम बुज्झ, सिद्धतेयं जहट्टियं । तवंतराउदयं तस्स, महंत आसि गोयमा ! ॥४०॥ तहावि जो विसउइन्ने, तवे घोरमहातवं। अट्ठगुणं तेणमणुचिन्नं, तावि विसए ण णिजए॥१॥ ताहे विसभक्खणं पडणं, अणसणं तेण इच्छियं । एयपि चारणसमणेहिं, वे वारा जाच सेहिओ ॥२॥ ताव य गुरुस्स रयहरणं, अप्पिय तं देसंतरंगओ।एते ते गोयमोवाए, सुयनियरे वियाणए ॥३॥ जहा- जाव गुरुणो न स्यहरणं, पाजा य न अलिया। तावाकजं न कायवं, लिंगमवि जिणदेसियं ॥४॥ अन्नत्थ ण उझिया, गुरुणो मोनूण अंजलिं। जह सो उबसामिउं सका. गुरूता उवसामई ॥५॥ अह अन्नो उपसमिर्ड सको, तोऽवी तस्स कहिजई। गुरुणावि तयं णऽन्नस्स, गिरा वेयचं कयाइऽवी ॥६॥ जो भवियो बीयपरम याणगो। एयाई तु पयाईजो, गोयमा! णं विडंबए ॥७॥ मायापवंचडंभेणं, सो भमिही आसडो जहा। भयव ! न याणिमो कोऽबि, मायासीलो हु आसडो? ॥८॥ किंवा निमित्तम. वचरिओ, सो भमे बहुदुहडिओ। चरिमस्सऽन्नस्स तित्थंमि, गोयमा ! कंचणच्छवी ॥९॥ आयरिओ आसि भूइक्खो, तस्स सीसो स आसडो। महानयाई घेतूणं, अह मुत्तत्थं अहिजिया ॥५०॥ नाव कोऊहलं जायं, णो णं विसएहिं पीडिओ। चिंतेइ य जह सिद्धते, एरिसो दंसिओ विही ॥१॥ तो तस्स पमाणेणं, गुरुयणं रंजिउं ददं । तवं चऽद्वगुणं काउं, पडणाणसणं विसं ॥२॥ करेहामि जहाऽहंपि, देवयाए निवारिओ।दीहाऊणत्थि ते मचू, भोगे मुंज जहिच्छिए ॥३॥ लिंग गुरुस्स अप्पेउं, अन्नं देसंतरं वय। भोगहलं बेइया पच्छा, घोरवीरतवं चर ॥४॥ अहवा हा हा अहं मूढो, आयसडेण सल्लिओ। समणाणं णेरिस जुत्तं, सयमवी मणसि धारिउं ॥५॥ पच्छा उ मे पच्छिन्नं, आलोएता लहुं धरे । अहवणं णं आलोउं, मायावी भन्निमो पुणो ॥६॥ ता दसवासे आयाम, मासक्खमणस्स पारणे। वीसायंबिलमादीहिं, दो दो मासाण पारणा ॥ ७॥ पणुचीसं वासे तत्थ, चंदायणतवेण य। छट्ठा टुमदसमाई, अटु वासे यऽणूणगे ॥८॥ महपोरेरिसपच्छितं, सयमेवेत्थाणुचरं । गुरुपामूलेऽवि एत्येयं, पायच्छित्तं मे ण अग्गलं ॥ ९॥ अहवा विस्थयरेणेस, किमर्ल्ड वाइओ विही ?। जेणेयमहीयमाणोऽहं, पायच्छित्तस्स मेलिओ?॥६॥ अहवा-सोच्चिय जाणेज सवन्न, पच्छित्तं अणुचराम्यहं । जमित्थं दुद्दचिंतिययं, नस्स मिच्छामि दुकडं ॥१॥ एवं तं कहूँ घोरं, पायच्छित्तं सर्वमती । काऊणंपि ससालो सो, वाणमंतरियं गओ ॥२॥ हिट्ठिमोवरिमगेवेयविमाणे तेण गोयमा ! । वयंतो आलोइत्ता, जइ तं पच्छित्तं कुचिया ॥३॥ वाणमंतर११४९ महानिशीथच्छेदसूत्रं, स -5 मुनि दीपरनसागर Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवत्ता, चइऊणं गोयमा!ऽऽसडो । रासहत्ताएँ तिरिच्छेसुं, नरिंदघरमागओ॥४॥ निश्चं तत्व बडवाणं, संघट्टणदोसा तहिं । बसणे वाही समुप्पण्णा, किमी एत्य संमुच्छिए ॥५॥ तओ किमिएहिं खजंतो, बसणदेसंमि गोयमा!। मुक्काहारो खिइं लेटे, वियणत्तो ताव साहुणो॥६॥ अदूरेण पवोलेते, दह्रणं जाई सरेत्तु य । निदिउँ गरहिउं आया, अणसणं पडिबज्जिया ॥७॥ कागसाणेहिं खजतो, सुदभावेणं गोयमा !। अरहताणंति सरमाणो, संमं उज्झिय सं तणं ॥८॥ कालं काऊण देविदमहापोससमाणिओ। जाओ तं दिवं इढिं, समणुभोतं तओ चुओ॥९॥ उववन्नो वेसत्ताए, जा(न)सा नियडी ण पयडिया । तओवि मरिऊणं बहू, अंतपंत कुलेऽडिओ ॥ ७० ॥ कालकमेणं महुराए, सिवइंदस्स दियायणो । सुओ होऊणं पडिबुद्धो. सामर्म काउं निवुडो ॥१॥ एवं तं गोयमा ! सिटुं. नियडीपुंजं तु आसडं । जे य सबन्नुमुहमणिए, वयर्ण मणसा विडंबए॥२॥ कोऊहलेणं विसयाणं, ण उणं विसएहिं पीडिए। सच्छंदपायच्छितेण, भमिओ भवपरंपरं ॥३॥ एवं नाऊणमिकपि, सिद्धतिगमालावगं । जाणमाणो हु उम्मम्गं, कुज्जा जे सेविया ण हि ॥४॥ जो पुण सञ्चसुयन्नाणं, अहूं वा वयणपि वा । णच्चा वएज मग्गेणं, तस्स अहो ण बज्झई, एयं नाऊण मगसावि, उम्मग्गं नो पव्वत्तए ॥५॥ ति बेमि, 'भयवं! अकिचं काऊणं, पच्छितं जो करेज वा । तस्स लट्ठयरं पुरओ, जं अकिचं न कुव्वई ? ॥६॥ ताऽजुनं गोयमा ! मिणमो, वयणं मणसावि धारिउं । जहा काउमकत्तव्यं, पच्छित्तेणं तु सुझिहं ॥ ७॥ जो एयं वयणं सोच्चा, सहहे अणुचरेइ वा। भट्टसीलाणं सब्बेसि, सत्यवाहो स गोयमा ! ॥ ८॥ एसो काउंपि पच्छित्तं, पाणसंदेहकारणं। आणाअवराह दीवसिहं, पविसे सलभो जहा ॥९॥ भयवं! जो बलं विरिये, पुरिसयारपरकम । णिगृहंतो तवं चरइ, पच्छित्तं तस्स किं भवे? ॥८०॥ तस्सेय होइ पच्छित्तं, असढभावस्स गोयमा! । जोतं थाम वियाणेत्ता, वेरी सन्तिमवेक्खिया ॥१॥जो चलं चीरियं सत्तं, पुरिसयारं निगृहए । सो सपच्छित्तपच्छितो, सढसीलो नराहमो ॥२॥नीयागोयं दुहं घोरनरए सुक्कोसियट्ठिति । वेदेतो तिरिजोणीए, हिंडेजा चउगईएं सो ॥ ३॥ से भयवं! पावयं कम्म, परं बेइय समुद्धरे । अणणुभूएण णो मोक्ख, पायच्छितेण किं तहिं ? ॥४॥ गोयमा! वासकोडीहिं, जं अणेगाहिं संचियं । तं पच्छित्तस्वीपुढे, पार्व तुहिणं व विलीयइ॥५॥ घणघोरंधयारतमतिमिस्सा, जह सूरस्स गोयमा ! । पायच्छित्तरविस्सेयं, पावं कर्म पणस्सए ॥६॥णवरं जड़ तं पच्छितं, जह भणियं तह समुद्धरे। (बलबीरिय) असढ़भावो अणिगृहियपरिसयारपरकमे ॥७अन्नं च काउ पच्छितं, सबथेवं णमणुचरे जो। दरद्धियसल्ला यऽपेसो, दीहं चाउपगइयं अडे ॥८॥ भयवं! कस्सालोएजा?, पच्छिल को ला व देज वा ?। कस्स व पच्छित्तं देजा?, आलोयावेज या कहं ? ॥ ९॥ गोयमालोयणं ताव, केवलीणं बहूसुचि । जोयणसएहिं गंतूण, मुद्धभावेहि दिजए ॥९०॥ चउनाणीणं तयाभावे, एवं ओहि मईसुए। जस्स विमलयरे तस्स, तारतम्मेण दिजई॥ १॥ उस्सगं पन्नवितस्स, उस्सग्गे पट्ठियरस य । उस्सग्गाहणो वेव, समभावंतरहि णं ॥२॥ उवसंतस्स दंतस्स, संजयस्स तवस्सिणो। समितीगुत्तिपहाणस्स, दढचारित्तस्सासढभाविणो ॥३॥ आलोएजा पडिच्छेजा, दिजा दाविज वा परं। अहन्निसं तदुदिई, पायच्छित्तं अणुचरे ॥४॥ से भयवं! कित्तिर्य तस्स, पच्छित्तं हवइ निच्छियं?। पायच्छित्तस्स ठाणाई, केवइयाइं? कहेहि। गुणं ॥६॥ एका पावइ पच्छित्तं, जइ सुसीला दृढव्वया । अह सीलं विराहेजा, ता तं हवइ सयगुणं ॥७॥ तीए पंचेंदिया जीवा, जोणीमज्झे निवासिणो। सामगं नव लक्खाई, सचे पासंति केवली ॥८॥ केवलनाणस्स ते गम्मा, णोऽकेवली ताई पासती । ओहिनाणी बियाणेए, णो पासे मणपजवी ॥९॥ता पुरिसं संघटुंती, कोण्हगंमि तिले जहा। सधेसु सुसुरावेइ, रंतु मत्ता महमि(न्ति)या॥१००॥ चंकम्मतीइ गाढाई, काइयं बोसिरंतिया। वावाइजाय दो तिनि, सेसाई परियावई ॥१॥ पायच्छित्तस्स ठाणाई, संखाईयाई गोयमा !। अणालोइतोह एकपि, ससलमरणं मरे ।। २॥ सयसहस्सनारीणं, पोहूं फालिनु निग्घिणो । सत्तट्ठमासिए गब्भे, चडफडते णिगितई ॥३॥ जं तस्स जत्तियं पावं, तित्तियं तं नवं गुणं । एकसि स्थीपसंगेणं, साहू बंधेज मेहुणे ॥४॥ साहुणीए सहस्सगुणं, मेहुणेकसि सेविए। कोडीगुणं तु विजेणं, तइए बोही पणस्सई ॥५॥ जो साहू इस्थियं दटुं, विसयट्टो रामेहिई। बोहिलामा परिभट्ठो, कहं वराओ स होहीइ ? ॥६॥ अपोहिलाभियं कम्म, संजओ अह संजई। मेहुणे सेविए आऊतेउकाए पबंधई ॥ ७॥ जम्हा तीसुवि एएसु, अवरजातो हु गोयमा । उम्मम्ममेव यवहारे, मम्गं निवह सबहा ॥ ८॥ भगवं! ता एएण नाएणं, जे गारत्थी मउक्कडे। रत्तिदिया ण छड्डंति, इत्थीयं तस्स का गई ? ॥९॥ ते सरीरं सहत्थेणं, छिदिऊणं 15 तिलनिलं । अगीए जवि होमंति, तोऽवि सदीण दीसई ॥११०॥ तारिसोवि णिवित्तिं सो. परदारस्स जई करे। सावगधम्म च पालेड, गई पावेइ मजिसमं ॥१॥ भयर्व ! सदारसंतोसे.. जइ भवे मज्झमं गई। ता सरीरेऽवि होमतो, कीस सुद्धि ण पावई ? ॥२॥ सदारं परदारं वा, इत्थी पुरिसो व गोयमा! । रमंतो बंधए पाचं, णो णं भवइ अबंधगो ॥३॥ सावगधर्म जहुतं जो, पाले परदारगं चए। जावजीवं तिविहेणं, तमणुभावेण सा गई ॥ ४॥ णवरं नियमविहूणस्स, परदारगमण(ग)स्स य। अणियत्तस्स भवे बंध, णिवित्तीए महाफलं ॥५॥ ११५० महानिशीथच्छेदसूत्रं, अन्सचा-5 मुनि दीपरबसागर Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क सुथेवाणपि निवित्ति, जो मणसावि विराहए । सो मओ दुग्गइं गच्छे, मेघमाला जहऽजिया ॥६॥ मेघमालज्जियं नाहं, जाणिमो भुवणबंधव ! । मणसाबि अणुनिवत्ति, जा खंडिय दुग्गई गया ॥७॥ वासुपुज्जस्स तित्थंमि, भोला कालगच्छवी । मेघमालऽजिया आसि, गोयमा ! मणदुल्बला ॥८॥सा-नियमोगासे पक्खं दाउं, काउं मिक्खा य निग्गया । अन्नओ एस्थिणी सारमंदिरोवरि संठिया ॥९॥ आसन्नमंदिरं अन्नं, लंबित्ता गंतुमिच्छगा। मणसाऽमिनंदेवं जा(व), ताव पज्जलिया दुवे ॥१२०॥ नियमभंग तयं सुहुमं, तीए तत्थ ण णिदियं । | तंनियमभंगदोसेणं, इज्झित्ता पढमियं गया ॥१॥ एवं नाउं सुहुमंपि, नियमं मा विराहिह । जेच्छिया अक्खयं सोक्खं, अणंतं च अणोवमं ॥२॥ तक्संजमे वएसुं च, नियमो दंडनायगो । तमेव खंडमाणस्स, ण वए णो व संजमे ॥३॥ आजम्मेणं तु जं पार्व, बंधेजा मच्छबंधगो । क्यभंग काउमणस्स, तं वऽद्वगुणं मुणे ॥४॥ सयसहस्सं सलबीए, जो| बसामिनु निक्खमे। वयं नियमखंडतो, जंसो तं पुनमजिणे ॥५॥ पवित्ता य निवित्ता य, गारथी संजमे तवे। जमणुट्टिया तयं लाभ, जाव दिक्खा न गिव्हिया ॥६॥साहुसाहुणी वग्गेणं, विनायवमिह गोयमा !। जेसि मोत्तूण ऊसासं, नीसासं नाणुजाणियं ॥ ७॥ तमवि जयणाए अणुनायं, विजयणाए ण सवहा । अजयणाइ ऊससंतस्स, कओ धम्मो? कओ तवो? ॥८॥ भयवं! जाबइयं दिटुं. तावइयं कहऽणुपालिया। जे भवे अवीयपरमत्थे, किच्चाकिचमयाणगे? ॥९॥ एगंतेणं हियं वयणं, गोयम ! दिस्संति केवली। णो बलमोडीइ कारेंति, हत्थे घेत्तूण जंतुणो ॥१३०॥ तित्थयरभासिए वयणे, जे तहत्ति अणुपालिया। सिंदा देवगणा तस्स, पाए पणमंति हरिसिया ॥१॥ जे अविइयपरमत्थे, किचाकिचमजाणगे। अंधोअंधीए तेसि समं, जलथलं गड्डठिकरं ॥२॥ गीयत्थो य विहारो, बीओ गीयत्थमीसओ । समणुन्नाओ सुसाहूणं, नस्थि तइयं वियप्पणं ॥३॥ गीयत्थे जे सुसंविग्गे, अणालस्सी दढबए। अखलियचारित्ते सययं, रागहोस विवजए॥४॥ निद्ववियट्टमयट्ठाणे, समियकसाये जिइंदिए। विहरेजा तेसिं सद्धिं तु, ते छउमत्थेवि केवली ॥५॥ सुहुमस्स पुढवीजीवस्स, जत्थेगस्स किलामणा । अप्पारंभं तय बैंति, गोयमा! सबकेवली ॥६॥ सुहुमस्स पुढवीजीवस्स, वाबत्ती जत्थ संभव । महारंभ तयं विति, गोयमा! सबकेवली ॥७॥ पुढवीकाइयं एक, दरमलेंतस्स गोयमा!। अस्सायकम्मबंधो हु. दुश्चिमोक्खे ससलिए ॥८॥एवं च आऊतेऊवाऊ तह वणस्सती। तसकाय मेहुणे तह, चिक्कणं चिणइ पावगं ॥९॥ तम्हा मेहुणसंकप्पं, पुढवादीण विराहणं । जावजीवं दुरंतफलं, तिविहतिविहेण बजए ॥१४०॥ ता जेऽविदियपरमत्थे, गोयमा ! णो य जे मुणे । तम्हा ते विवज्जेज्जा, दोग्गईपंथदायगा ॥१॥ गीयत्वस्स उ वयणेणं, विसं हलाहलं पिये। निश्विकप्पो पभक्खेजा, तक्खणा जं समुहवे॥२॥ परमत्थओ विसं तोस(नोत), अमयरसायणं खुतं । णिश्विकप्पणं संसारे, मओचि सो अमयस्समो ॥३॥ अगीयस्थस्स वयणेणं, अमर्यपि ण घोहए। जेण अपरामरे हविया, जह कीला णो मरिजिया ॥४॥ परमत्थओ ण तं अमयं, संविसं तं हलाहलं। ण तेण अयरामरो होज्जा, भक्खणा निहण वए॥५॥ अगीयस्थकुसालाह, सग तिबिहण वज्जए। माक्खमम्गस्सिम विग्ध, पहमा तणगे जहा॥६॥ ॥ वासलक्खपि सलीए.संभिन्नो अच्छिया सुह। अगीयत्येण समं एक, खणद्धपिन संवसे ॥८॥विणावि तंतमंतेहि, घोरदिट्ठीविसं अहिं। इसंतंपि समडीय, णागीयत्थं कुसीलाहमं ॥९॥ विसं खाएज हलाहलं, तं किर मारेइ तकखणं। ण करेऽगीयत्यसंसग्गि, विढवे लक्खंपि जं तहिं ॥१५०॥ सीहं वग्घं पिसायं वा, घोररूवभयंकरं । ओगिलमाणंपि लीएजा, ण कुसीलमगीयत्वं तहा ॥१॥ सत्तजम्मंतरं सत्त, अवि मनिजा सहोयरं । वयनियमं जो विराहेजा, जणयं पिक्खे तयं रिउ ॥२॥ वरं पविट्ठो जलियं हुयासणं, न यावि नियमं सुहुमं विराहियं । बरं हि मच्चू सुविसुद्धकम्मुणो, न यावि नियम भंतूण जीवियं ॥३॥ अगीयत्यत्तदोसेण, गोयमा ! ईसरेण उ । जं पत्तं तं निसामेत्ता, लहु गीयत्यो मुणी भवे ॥४॥ से भयब ! णो वियाणेऽहं, ईसरो कोवि मुणिवरो। किं वा अगीयत्थदोसेणं, पत्तं तेण? कहेहि णो ॥५॥ चउवीसिगाए अन्नाए, एत्य भरहंमि गोयमा ! । पढमे तित्थकरे जइया, विहीपुत्रेण निबुडे ॥६॥ तइया निश्चाणमहिमाए, कंतरुवे सुरासुरे। निवयंते उप्पयंते व, दटुं पचंतवासिउ ॥७॥ अहो अच्छेरयं अज, मचलोयंमी पेच्छिमो। ण इंदजाल सुमिणं वावि दिलु कत्थई पुणो ॥८॥ एवं वीहापोहाए, पुष्विं जाई सरितु सो। मोहं गंतूण खणमेक, मारुयाऽऽसासिओ पुणो ॥९॥ थरथरथरस्स कंपतो, निदिउँ गरहिउँ चिरं। अत्ताणं गोयमा ! धणियं, सामनं गहिउमुजओ ॥१६०॥ अह पंचमुट्ठियं लोयं, जावाढवइ महायसो। सविणयं देवया तस्स, रयहरणं ताव ढोयई ॥१॥ उग्गं कहूं नवचरणं, तस्स दठूण ईसरो। लोओ पूयं करेमाणो, जाव उ गंतृण पुच्छई ॥२॥ केण तं दिक्खिओ? कत्थ?, उप्पनो को कुलो तव? । मुत्तत्थं कस्स पामूले, साइसयं हो समज्जियं? ॥३॥ सो पच्चएगबुद्धो जा, सवं तस्स वियागरे । जाइं कुलं दिक्खा सुत्तं, अत्यं जह य समजिर्य ॥४॥ तं सोऊण अहन्नो सो, इमं चिंतेइ गोयमा !। अलिया अणारिओ एस, लोगं डंभेण परिमुसे ॥५॥ ता जारिसमेसं भासेइ, तारिसं सोऽवि जिणवरो।ण किंचित्थ वियारेणं, तुहिक्केई चिरंठिए ॥६॥ अहवा णहि णहि सो भगवं!, देवदाणवपणमिओ। मणोगपि जं मा, तपि च्छि. ११५१ महानिशीथच्छेदसूत्रं अन्यथा मुनि दीपरत्नसागर Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निज संसयं ॥७॥ तावेस जो होउ सो होउ, किं वियारेण एत्य मे?। अभिणदामीह पवन, सबदोक्ख(स)विमोक्वणिं ॥८॥ ता पडिगओ जिणिंदस्स, सयासे जा तं णेक्खई। भुवणेस जिणवरं ताव, गणहरसामी पयडिओ ॥९॥परिनियंमि भगवंते, धम्मतित्थंकरे जिणे। जिणाभिहियसुत्तत्यं, गणहरो जा परुवई ॥१७०॥ तावमालावगं एयं, वाखाणंमि समागयं। पुढवीकाइगमेगं जो, वाचाए सो असंजओ॥१॥ ताईसरो विचिंतेई, सुहुमे पुढविकाइए। सबस्थ उद्दविनंति, को ताई रक्खिउं तरे? ॥२॥ हलुईकरेइ अत्ताणं, एत्यं एस महायसो। असद्धेयं जणे सहलं(यले), किमत्थेयं पवक्खई ? ॥३॥ अचंतकड़यडं एयं, वक्खाणं तस्सवी फुडं। कण्ठसोसो परं लाभे, एरिसं कोऽणुचिट्ठए? ॥४॥ता एवं विप्पमोत्तूणं, सामनं किंचि मज्झिमं। जं वा तं या कहे धम्म, ता लोउऽम्हा ण उद्दई ॥५॥ अहवा हा हा अहं मूढो, पावकम्मी णराहमो। णवरं जइ णाणुचिट्ठामि, अमोऽणुचेट्टती जणो॥६॥ जेणेयमणंतनाणीहिं, सबहिं पवेदियं। जो एहिं अचहा वाए, तस्स अट्ठो ण वज्झ(विज)ई ॥७॥ ताहमेयस्स पच्छित्त, घोरं मइदुकरं वरं । लहु सिग्घं सुसिग्घयरं, जाव मचू ण मे भवे ॥८॥ आसायणाकयं पावं, आसंजेण विकुछ(किंत)ती। दिवं वाससयं पुन्न, अह सो पच्छित्तमाचरे ॥ ९॥ तं तारिसं महाघोरं,पायच्छित्तं सयंमई। काउं पत्तेयबुद्धस्स, सयासे पुणोवि गओ ॥१८०॥तस्थावि जा सुणे वक्खा, तावऽहिगारमिमागयं । पुढवादीण समारंभ, साहू तिविहेण बजए॥१॥ वढमूढो हुत्थ जोईता, ईसरो मुक्खमन्भुओ।चितेतेवं जहित्य जए, कोण ताई समारभे? |२|| पुढवीए ताव एसेव, समासीणोविचिट्ठई। अम्गीए रदयं खायइ. (सव्वं बीयसमुम्भव)॥३॥ अन्नंच विणा पाणेणं, खणमेकं जीवए कहं ?। ता किंपितं पचक्खेस, जं पचुयमत्थंतियं ॥४॥ इमस्सेव समागच्छे, ण उणेयं कोइ सरहे । ता चिट्ठउ ताय एसेत्थं, वरं सो चेव गणहरो ॥५॥ अहवा एसो न सो मज्झं, एकोवि भणियं करे। अलिया एवंविहं धम्म, किंचुइसेणं तंपिय॥६॥साहिजई जो सुवे किंचि,ण तुणमचंतकडयडं। अहवा चिटुंतु तावेए, अयं सयमेव वागरं ॥७॥सुहंसुहेणं जं धम्म, सोवि अणुढए जणो। न कालं कडयडस्सऽज, धम्मस्सिति जाव चिंतइ ॥८॥धडहडितोऽसणी ताव, णिवडिओ तस्सोवरिं । गोयम! निहणं गओ ताहे, उवयनो सत्तमाएँ सो॥९॥ सासण(मण्ण)सुयनाणसंसग्गपडिणीयत्ताए एअणुभविउँचिरं ॥१९० ॥ इहागा समुद्दाम, महामच्छो भवउण। पुणोवि सत्तमाए य, तित्तीसं सागरोवमे ॥१॥ दुषिसहं दारुणं दुक्ख. अणह. - विऊणिहागओ। तिरियपक्खीसु उववन्नो, कागत्ताए स ईसरो ॥२॥ तओवि पदमियं गंतुं, उपट्टित्ता इहागओ। दुहसाणो भवेत्ताणं, पुणरवि पढमियं गओ॥३॥ उमट्टित्ता तओ इहई, | खरो होउं पुणो मओ। उववन्नो रासहत्ताए, छम्भवगहणे निरंतरं ॥४॥ ताहे मणुस्सजाईए, समुप्पन्नो पुणो मओ । उववन्नो वणयरत्ताए, माणुसत्तं समागओ ॥५॥ तओऽवि मरिउं A समुष्पन्नो, मजारते स ईसरो। पुणोवि निरए गंतुं, (इह) सीहत्तेणं पुणो मओ॥६॥ उववजिउंच उत्थीए, सीहत्तेण पुणोऽचिह । मरिऊणं चउत्थीए, गंतुं इह समागओ ॥७॥ तओवि निरयं गंतुं, चकियत्तेण ईसरो । तओवि कुट्ठी होऊणं, बहुदुक्खदिओ मओ ॥८॥ किमिएहिं खजमाणस्स, पन्नासं संवच्छरे । जाऽकामनिजरा जाया, तीए देवेसुववजिउँ ॥९॥ तओ इह नरीसत्तं, लणं सत्तमि गओ। एवं नरगतिरिच्छेसुं, कुच्छियमणुएसु ईसरो॥२००॥ गोयम! सुइरंपरिष्भमिउं, घोरदुक्खसुदुक्खिओ। संपइ गोसालओ जाओ, एस सच्चेबीसरजिओ॥१॥ तम्हा एवं वियाणेत्ता, अचिरा गीयत्ये मुणी । भवेजा विदियपरमत्ये, सारासारपरिन्नुए ॥ २॥ सारासारमयाणेत्ता, 'अगीयस्थत्तदोसओ। वयमेत्तेणावि रजाए, पावर्ग जं समजियं ॥३॥ तेणं तीए अहनाए, जा जा होही नियंतणा। नारयतिरियकुमाणुस्से, ने सोचा को घिई लभे?॥४॥ से भयवं ! का उण सा रजिया किंवा तीए अगीयदो. सेणं वयमेत्तेणंपि पावकम्मं समजियं जस्स णं विवागयं सोऊणं णो घिइं लभेजा, गोयमा ! णं इहेव भारहे वासे भहो नाम आयरिओ अहेसि, तस्स य पंचसए साहूणं महाणुभागाणं दुवालससए निम्गंधीणं, तत्थ य गच्छे चउत्थरसियं ओसावणं तिदंडोधित्तं च कढिउदगं विप्पमोत्तूर्ण चउत्थं न परिभुजइ, अनया रजानामाए अज्जियाए पुषकयअसुहपावकम्मोदएणं सरीरगं कुट्टवाहीए परिसडिऊणं किमिएहिं समुद्दिसिउमारवं, अहऽन्नया परिगलंतपूहरुहिरतणू तं रज्जज्जियं पासिया ताओ व संजईओ भणंति जहा हलाहला दुफरकारगे! किमयंति ?, ताहे गोयमा ! पडिभणियं तीए महापावकम्माए भग्गलक्खणजम्माए रजजियाए, जहा एएणं फासुगपाणगेण आविजमाणेणं विणहूँ मे सरीरगति, जावेयं पलवे ताव णं संखुहियं हिययं गोयमा सवसंजईसमूहस्स, जहा णं विवजामो फासुगपाणगंति, तमओ एगाए तत्थ चिंतियं संजईए-जहा णं जइ संपर्य चेव ममेयं सरीरगं एगनिमिसम्भतरेणेव पडिसडिऊणं खंडखंडेहिं परिसडेजा तहावि अफासुगोदगं इत्य जमे ण परिभुंजामि, फासुगोदगं न परिहामि, अनंच-किं सच्चमेयं फासुगोदगेणं इमीए सरीरगं विणहूँ ?, सबहाण सचमेयं, जओ णं पुष्पकयअसुहपावकम्मोदएणं सबमेवंविहं हवइत्ति सुट्टयरं चिंतिउं पयत्ता, जहा णं भोपेच्छ २ अनाणदोसोवयाए दढमूढहिययाए विगतलजाए इमीए महापाकम्माए संसारपोरदुक्खदायर्ग केरिसं दुवयणं गिराइयं?, जं मम कमविवरेसुंपि णो पविसेजत्ति, जओ भवंतस्कएणं असुहपावकम्मोदएणं जंकिंचि दारिददुक्खदोहग्गअयसम्म क्खाणकुट्ठाइवाहिकिलेससन्निवायं देहमि संभवइ, न अन्नहत्ति, जेणं तु एरिसमागमे पढिजइ, तंजहा को देइ कस्स देजइ विहियं को हरर हीरए कस्स?। सयमप्पणो (२८८) ११५२ महानिशीथच्छेदसूत्रं, afari-5 मुनि दीपरत्नसागर Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विढत्तं अल्लियइ दुहंपि सुक्खंपि॥२०५॥चिंतमाणीए चेव उप्पन्नं केवलनाणं, कया य देवेहिं केवलिमहिमा, केवलिणावि णरसुरासुराण पणासियं संसयतमपडलं अजियाणं च, तओ भत्तिभरनिभराए पणामपुर्व पुट्ठो केवली रजाए, जहा भयवं! किमट्टमहं एमहंताणं महावाहिवेयणाणं भायणं संवुत्ता ?, ताहे गोयमा ! सजलजलहरसुदुंदुहिनिग्घोसमणोहारिगंभी. रसरेणं भणियं केवलिणा-जहा सुणसु दुक्करकारिए ! जं तुज्झ सरीरविहढणकारणंति, तए रत्तपित्तदूसिए अभंतरओ सरीरगे सिणिद्धाहारमाकंठयए कोलियगमीसं परिभुत्तं, अन्नंच. एत्थ गच्छे एत्तिए सए साहुसाहुणीणं तहावि जावइएणं अच्छीणि पक्वालिजति तावइयपि बाहिरपाणगं सागारियट्ठाइनिमित्तेणावि णो णं कयाइ परिभुजइ, तए पुण गोमुत्तपडि. ग्गहणगयाए तस्स मच्छियाहि भिणिहिणितसिंघाणगलालोलियवयणस्स णं सड्ढगसुयस्स बाहिरपाणगं संघट्टिऊण मुहं पक्खालियं, तेण य बाहिरपाणयसंघट्टणविराहणेणं ससुरासु. रजगवंदाणंपि अलंघणिज्जा गच्छमेरा अइकमिया, तं चण खमियं तुज्झ पवयणदेवयाए, जहा साहूर्ण साहुणीणं च पाणोवरमेविण छि(क)प्पे हत्थेणाविजं कृवतलायपुक्खरिणिसरि याइमतिगयं उदगंति, केवलं तु जमेव विराहियं वक्गयसयलदोसं फासुगं तस्स.परिभोगं पनत्तं वीयरागेहि, ता सिक्खवेमि एसा हू दुरायारा जेणऽमावि कावि ण एरिसमायारं पवते. इत्ति चितिऊणं अमर्ग२चण्णजोगं समहिसमाणाए पक्खितं असणममंमि ते देवयाए. देखत्तं असणमामि ते देवयाए.च ते णोवलक्विर्ड सकियंति देवयाए चरिय, एएण कारणेणं ते सरीरं विहडियंति, ण 17 उण फासुदगपरिभोगेणंति, ताहे गोयमा ! रज्जाए विभाचियं जहा एवमेयं ण अन्नहत्ति, चिंतिऊण विनविओ केवली-जहा भयवं! जइ अहं जहुत्तं पायच्छित्तं चरामि ता किं पनप्पड़ | मझं एयं तणं?.तओ केवलिणा भणियं-जहा जइ कोइ पायच्छित्तं पयच्छइता पन्नप्पड, रज्जाए भणियं जहा भयवं! जहा तुम चिय पायच्छित्तं पया रज्जाए भाणय-जहा भयवं! जहा तुम चिय पायच्छितं पयच्छसि, अन्नो को एरिसमह. प्पा?, तओ केवलिणा भणियं-जहा दुकरकारिए ! पयच्छामि अहं ते पच्छित्तं नवरं पच्छित्तमेव णस्थि जेणं ते सुद्धी भवेजा, रज्जाए भणिय-भययं ! किं कारणंति?, केवलिणा भणियंजहा जं ते संजइवंदपुरओ गिराइयं जहा मम फासुयपाणगपरिभोगेण सरीरगं विहडियंति, एयं च दुट्ठपावमहासमुदाएक्कपिंडं तुह वयणं सोचा सखुदाओ सबाओ चेव इमाओ सं. जईओ, चितियं च एयाहिं-जहा निच्छयओ विमुच्चामो फासुगोदगं, तयज्झवसायस्सालोइयं निंदियं गरहियं चेयाहिं, दिन्नं च मए एयाण पायच्छित्तं, एत्थयएण तवयणदोसेणं जं ते समजियं अचंतकट्ठविरसदारुणं बद्धपुट्ठनिकाइयं तुंग पावरासि तं च तए कुटुभगंदरजलोदरवाउगुम्मसासनिरोहहरिसागंडमालाहि अणेगवाहिवेयणापरिगयसरीराए दारिहदुक्खदोहम्गअयसऽभक्खाणसंतावुवेगसंदीवियपजालियाए अणतेहिं भवग्गणेहिं सुदीहकालेणं तु अनिसाणुभवेयवं, एएणं कारणेणं एसेमा गोयम ! सा रजजिया जाए अगीयस्थत्तदोसेण वायामेत्तेणेव एमहतं दुक्खदायगपावकम्म समज्जियति।। अगीयत्थत्तदोसेणं, भावसुद्धि ण पावए। विणा भावविसुदीए. सकलुसमणसो मुणी भवे ॥२०६॥ अणुथेवकलुसहिययत्तं, अगी. यत्यत्तदोसओ। काऊण लक्खणजाए, पत्ता दुक्खपरंपरा ॥७॥ तम्हा तं णाउ बुद्धेहि, सवभावेण सम्बहा। गीयत्येण भवित्ताणं, कायचं निकलुसं मणं ॥८॥ भयवं! नाहं वियाणामि, लक्खणदेवी हु अजिया। जा अकलुसमगीयस्थत्ता, काउ पत्ता दुक्खपरंपरा ॥९॥ गोयमा! पंचसु भरहेसु एखएसु उस्सप्पिणीओसप्पिणीए एगेगा सबकालं चउवीसिया सासयमवो. च्छित्तीए भूया तह य भविस्सई अणाइनिहणाए सुधुवं एत्य। जगठिइ एवं गोयम! एयाए चउवीसिगाए जा गया ॥२१०॥ अतीयकाले असीइमा, तहियं जारिसगे अयं । सत्तरयणी पमाणेणं, देवदाणवपणमिओ॥१॥ तारिसओ चरिमो तित्थयरो, जया तया जंबुदाडिमो। राया भारिया तस्स, सरिया नाम बहुस्सुया ॥२॥ अमया सह दइएण, धृयत्वं बहउवाइए करे। देवाणं कुलदेवीए, चंदाइचगहाण य ॥३॥ कालकमेण अह जाया, धूया कुवलयलोयणा। तीए तेहिं कयं नाम, लक्खणदेवी अहऽन्नया ॥४॥ जाव सा जोवर्ण पत्ता, ताव मुक्का सयंवरा । वरियं तीये वरं पवर, णयणाणंदकलालयं ॥५॥ परिणियमेत्तो मओ सोवि भत्ता, 'सा मोहं गया पयलं तं, सुयणेणं परियणेण य। तालियंटवाएणं, दुक्खेणं आसासिया ॥६॥ ताहे हा हाऽऽकंदं करेऊणं, हिययं सीसं च पिट्टिउं। अत्ताणं चोट्टफेटाहिं, घट्टियुं दसदिसासु सा ॥ ७॥ तुण्हिका बंधुवम्गस्स, वयणेहि तु ससज्झसं । ठियाऽह कइवयदिणेमुं, अन्नया तित्थंकरो ॥८॥ बोहितो भवकमलवणे, केवलनाणदिवायरो। विहरतो आगओ तत्थ, उजाणंमि समोसढो॥९॥ तस्स बंदणभत्तीए, संतेउरचलवाहणो। सविड्ढीए गओ राया, घम्मं सोऊण पवइओ॥२२०॥ तहिं संतेउरसुयधूओ, सुहपरिणामो अमुच्छिओ। उग्गं कटुं तवं घोरं, दुकरं अणुचिट्ठई ॥१॥ अन्नया गणिजोगेहिं, सोऽवी ते पवेसिया। असज्झाइ. लियं काउं, लक्खणदेवी ण पेसिया ॥२॥सा एगतेवि चिटुंती, कीडते पक्खिरूलए। वठ्ठणेयं विचिंतेइ, सहलमेयाण जीवियं ॥३॥ जेणं पेच्छ चिड़यस्स, संघटुंती चिडुलिया। समं पिययमंगसुं, निषुई परमं जणे ॥४॥ अहो तित्थंकरेणऽम्हं, किम8 चक्खुदरिसणं? । पुरिसेत्थीरमंताणं, सबहा विणिवारियं ॥५॥ता णिदुक्खो सो अग्नेसिं, सुहदुक्खं ण याणई। अग्गी दहणसहाओवि, दिट्ठीदिह्रोण णिड्डहे ॥६॥ अहवा न हि न हि भगवं! तं, आणावित न अन्नहा। जेण मे दठूण कीडते, पक्खी पक्खुभियं मणं ॥७॥ जाया पुरिसाहिलासा मे, ११५३ महानिशीयच्छेदसूत्र, अrarainik मुनि दीपरत्नसागर Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाणं सेवामि मेहुणं । जं सुविणेवि न काय, तं मे अज्ज विचितियं ॥ ८ ॥ तहा य एत्य जम्मंमि, पुरिसो ताव मणेणवि। णिच्छिओ एत्तियं कालं, सुविणतेवि कहिंचिवि ॥ ९ ॥ ता हा हा हा दुरायारा, पावसीला अहन्निया । अट्टमट्टाई चिंतंती, तित्थयरमासाइमो ॥ २३० ॥ तित्थयरेणावि अच्चतं कट्ठे कडयढं वयं । अइदुद्धरं समादिहं उग्गं घोरं सुदुद्धरं ॥ १ ॥ ता तिविण को सको, एवं अणुपालेऊणं ? वायाकम्मसमायरणेवि, रक्खं णो तइयं मणं ॥ २ ॥ अहवा चिंतिजह दुक्खं, कीरइ पुण सुहेण य ता जो मणसावि कुसीलो, स कुसीलो सबकजेसु ॥ ३ ॥ ता जं एत्य इमं खलियं, सहसा तुडिवसेण मे आगयं तस्स पच्छित्तं, आलोइत्ता लहुं चरं ॥ ४ ॥ सईणं सीलवंतीणं, मज्झे पढमा महाऽऽरिया। धुरंमि दीयए रहा, एवं सग्गेवि घूसई ॥ ५ ॥ तहा य पायधूली मे, सोवी वंदए जणो। जहा किल सुज्झिजएमिमीए, इति पसिदा अहं जगे ॥ ६ ॥ ता जइ आलोयणं देमि, ता एवं पयडीभवे । मम भायरो पिया माया, जाणित्ता हुँति दुक्खिए ॥ ७ ॥ अहवा कवि पमाएणं, जं मे मणसा विचितियं तमालोइयं नच्चा, मज्झ वग्गस्स को दुहे ? ॥ ८ ॥ जावेयं चितिउं गच्छे, तावुतीएँ कंटगं । फुडियं ढसत्ति पाययले, ता जिसत्ता पडुड़िया ॥ ९ ॥ चिंते अहो एत्य जम्मंमि, मज्झ पायंमि कंटगं ण कयाइ लुत्तं ता किं, संपयं एत्य होहिई ? ॥ २४० ॥ अहवा मुणियं तु परमत्थं, जाणगे (मए) अणुमती कया। संघहंतीए चिडुलीए, सीलं तेण विराहियं ॥१॥ मूयंधकारबहिरंपि, कुद्धं सिडिविडियं विडं जाव सीलं न खंडेड, ता देवेहिं पुवई ॥२॥ कंटगं चैव पाए मे, खुत्तमागासगामियं । एएणं जं महं चुका, तं मे लाभं महंतियं ॥ ३ ॥ सत्तवि साहाउ पायाले, इत्थी जा मणसावि य सीलं खंडेई सा णेइ, कहं जणणीए मे इमं ? ॥ ४ ॥ ता जंण निवडई वजं, पंसुविट्ठी ममोवरिं। सयसकरंण कुट्टइ वा, हिययं तं महच्छेरगं ॥ ५॥ णवरं जइ मेयमालोयं, ता लोगा एत्थ चिंतिही। जहाऽमुगस्स धूयाए, एवं मणसा अज्झसियं ॥ ६ ॥ तं नं तहवि पओगेणं, परववएसेणालोइमो जहा जइ कोइ एयमज्झवसे पच्छित्तं तस्स होइ किं ? ॥ ७ ॥ तं चिय सोऊण काहामि, तवेणं तत्थ कारणं । जं पुण भयवयाऽऽहं घोरमचंतनिठुरं ॥ ८ ॥ तं स सीलचारितं, तारिसं जाव नो कयं तिविहंतिविहेण णीसह ताव पावे ण खीयाए ॥ ९ ॥ अह सा परववएसेणं, आलोएत्ता तवं चरे। पायच्छित्तनिमित्तेण, पन्नासं संवच्छरे ॥ २५० ॥ छट्ठट्ठमदसमदुवालसेहिं, लयाहिं णेइ दस वरिसे। अकयमकारियसंकप्पिएहिं परिभूय (भुज) भिक्खलदेहिं ॥१॥ चणगेहिं दुन्निवि भुजिएहिं सोलस मासखमणेहिं। वीसं आयामायंबिलेहिं, आवस्सगं अछड्डेंती ||२|| चरई य अदीणमणसा, अह सा पच्छित्तनिमित्तं । ताहे य गोयमा ! चिंते, जं पच्छित्ते कयं तवं ॥ ३ ॥ ता किं तमेव ण क (ग) यं मे, जं मणसा अज्झवसियं तथा ? इयरहेवि उपच्छित्तं इयरहेव उ मे कयं ॥४॥ ता किं तत्र समायरियं चिंतेंती निहणं गया। उम्मगं कट्टं तवं घोरं, दुकरंपि चरितु सा ॥ ५ ॥ सच्छंद पायच्छित्तेणं, सकलुसपरिणामदोसओ कुत्थियकम्मा समुप्पन्ना, बेसाए परिचेडिया ॥ ६ ॥ खंडोडा णाम चडुगारी, मज्झखडड्डगवाहिया विणीया सहबेसाणं, चेरीए यचउग्गुणं ॥ ७ ॥ लावन्नकंतिकलियावि, बोडा जाया तहावि सा । अन्नया थेरी चिंतेइ, मज्जनं बोडाए जारिसं ॥ ८ ॥ लावन्नं कंती रूवं, नत्यि भुवणेवि तारिसं । ता विरंगामि एईए, कन्ने णकं सहोइयं ॥ ९ ॥ एसा उ ण जाव विउप्प (जु) जे, मम धूयं कोवि णेच्छिही। अह्वा हा हा ण जुत्तमिणं, घूया तुलसावि मे णवरं ॥ २६० ॥ सुविणीया एसावि, उप्पन्नत्य गच्छिही। ता तह करेमि जह एसा, देसंतरं गयावि य ॥ १ ॥ ण लभेजा कत्थई धामं, आगच्छद पडिल्लिया देदेमि से वसीकरणं, गुज्झदेसं तु सीडिमो ॥ २ ॥ निगडाई च से देमि, भमडउ तेहिं नियंतिया एवं सा जुन्नवेसा जा, मणसा परितप्पिरं सुवे ॥३॥ ता खंडोद्वावि सिमिणंमि, गुज्झं सीडिजंतगं पिच्छइ नियडे य दिजंते, कन्ने नासं च वहियं ॥ ४ ॥ सा सिमिण वियारेडं, गट्ठा जह कोइ ण याण कहकहवि परिभ्रमंती सा, गामपुरनगरपट्टणे ॥ ५ ॥ छम्मासेणं तु संपत्ता, सखंडं नाम खेडगं तत्थ वेसमणसरिसविड्वरं - डापुत्तस्स सा जुया ॥ ६ ॥ परिणीया महिला ताहे. मच्छरेण पजच्छे (ले) दढं । रोसेण फुरफुरंती सा, जा दियहे केइ चिट्ठह ॥ ७ ॥ निसाए निम्भरं सइयं, खंडोडीं ताब पिच्छाई। तं वदतुं धाइया चुछि, दित्तं घेत्तुं समागया ॥ ८॥ तं पक्खिविऊणं गुज्यंते, फालिया जाव हियययं जाव दुक्खसरकंता, चलचुलेवींड केरइ सा ॥९॥ ता सा पुणो विचिते, जावजीवं ण उइडए । ताव देमी से दाहाई, जेण मे भवसएमुवि ॥ २७० ॥ न तरई पिययमं काउं, इणमो पडिसंमरंति या ताहे गोयम! आणेउं चक्कियसालाउ अयमयं ॥ १ ॥ तावितु फुलिंगमेतं, जोणीए पक्वित्तं फुसं । एवं दुक्खभरकंता, तत्य मरिऊण गोयमा ! ॥ २ ॥ उववन्ना चकवहिस्स, महिलारयणत्तेण सा । इओ य रंडपुत्तस्स, महिला तं कलेवरं ॥ ३ ॥ जीवु - ज्झिपि रोसेण, छेत्तुं सुसुहुमयं सा साणकागमादीणं, जाव घत्ते दिसोदिसिं ॥४॥ ताव रंडापुत्तोवि, बाहिरभूमीउ आगओ। सो य दोसगुणे गाउं, बहुं मणसा वियप्पिडं गंतूण साहुपामूलं, पवजा काउ निबुडो ॥ ५ ॥ अह सो लक्खणदेवीए जीवो खंडोडीयत्तणा । इत्थीरयणं भवित्ताणं, गोयमा ! छट्टियं गओ ॥ ६ ॥ तनेरइयं महादुक्ख, अघोरं दारुणं तहिं । तिकोणे निरयावासे, सुचिरं दुखेण बेइउं ॥ ७ ॥ इहागओ समुप्पन्नो तिरियजोणीए गोयमा ! साणत्तेणाह मयकाले, विलग्गो मेहुणे तहिं ॥ ८ ॥ माहिसिएणं कओ पाओ, विशे ११५४ महानिशीथच्छेदमूत्रं, अन्यय-ई मुनि दीपरत्नसागर Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जोणी समुच्छला। तत्थ किमिएहिं दसवरिसे, खद्धो मरिऊण गोयमा ! ॥९॥ उववन्नो वेसत्ताए, तओवि मरिउण गोयमा!। एगूर्ण जाव सयवारं, आमगम्भेसु पश्चिओ ॥२८॥ जम्मदरिदस्स गेहंमि, माणुसत्तं समागओ। तत्थ दोमासजायस्स, माया पंचत्तमुवगया ॥१॥ ताहे मया किलेसेणं, थन्नं पाउं घराघरि। जीवावेऊण जणगेणं, गोउलिस्स समलिओ ॥२॥ तहियं नियजणणिच्छीरें, आवियमाणे निबंधिउं। (छावरुए) गोणिओ दुहमाणेणं, जंबई अंतराइयं ॥३॥ तेणं सो लक्खणज्जाए, कोडाकोडीभवंतरे। जीचो चन्नमलहमाणो (वसंतो रुझंतो नियलिजंतो हम्मंतो दम्मंतो) विच्छोइजतो य हिंडिओ ॥४॥ उववन्नो मणुजोणीए, डागिणित्तेण गोयमा । तत्थ य साणयपालेहि. कीलिउं (या) छड्डिउं गया ॥५॥ तओ उबहिऊणिहई, तं लहूं माणुसत्तणं। जत्थ य सरीरदोसेणं, एमहंतमहिमंडले ॥६॥ जामद्धजामघडियं वा, णो लद्धं वेरत्तिय जहियं। पंचेव उ घरे गामे, नगरपुरपट्टणेसुवि ॥७॥ तत्थ य गोयम ! मणुयत्ते, णारयदुक्खाण सरिसए। अणेगे रणरणेणं, घोरे दुक्खेऽणुभोत्तुणं ॥८॥ सो लक्खणदेवीजीवी, सुरोहमाणदोसओ। मरिऊण सत्तमि पुढवि, उववन्नो खडोहणे ॥९॥ तत्थ य तं तारिसं दुक्खं, तित्तीसं सागरोवमे। अणुभविऊर्ण उववन्नो, वंझागोणितणेण य ॥२९०॥ खेत्तखलगाई चमडेती, भंजंती य चरंति या। सा गोणी बहुजणो. हेहि. मिलिऊणागाहपंकवलए पवेसिया ॥१॥ तत्थ खुत्ती जलोयाहिं, लूसिलंती तहेव य। कागमादीहिं लुप्पंती, कोहाविट्ठा मरेउणं ॥२॥ ताहे विजलधपणे रपणे, मरुदेसे दिट्ठीविसो। सप्पो होऊण पंचमगं, पुढवि पुणरवि गओ॥३॥ एवं सो लक्खणजाए, जीवो गोयमा ! चिरं। धणघोरदुक्खसंतत्तो, चउगइसंसारसागरे॥४॥ नारयतिरियकुमणुएसुं, आहिडित्ता पुणोबिह। होही सेणियजीवस्स, तित्थे पउमस्स सुजिया ॥५॥ तस्य य दोहागखाणी सा, गामे नियजणणीओवि य । गोयम ! दिट्ठा न कस्सावि, अच्छीय रइदा तहिं भवे ॥६॥ ताहे सबजणेहिं सा, उधियणिजनिकाउणं । मसिगेस्यविलितंगा. खरेरुढा भमाडिउं ॥७॥ गोयमा ! ओपक्वपक्खेहिं. वाइयखरविरसडिंडिमं। निदाडिहिई ण अन्नत्थ, गामे लहि| हिइ पविसिउं ॥८॥ताहे कंदफलाहारा, रन्नवासे वसंति या। (दट्ठा) मच्छंदरेण वियणता, णाहीए मज्झदेसए॥९॥ तओ सवं सरीरं से, भरिज्जंसुदराण य। तेहिं तु बिलप्पमाणी सा, दूसहघोरदुहाउरा ॥३०॥ वियणता पउमतित्थयरं, तप्पएसे समोसद। पेच्छिही जाव ता तीए, (अन्नेसिमवि बहुवाहिवेयणापरिगयसरीराणं तद्देसविहारिभवसत्तार्ण नरनारिंगणार्ण तित्थयरदसणा चेव) सवदुक्खं विणिट्ठिही ॥१॥ ताहे सो लक्खणजाए, तहियं सुजियत्ति जिओ। गोयम ! घोरं तवं चरिउं, दुक्खाण अंतं गच्छिही ॥२॥ एसा सा लक्खणदेवी, जा अगीयत्थदोसओ। गोयम! अणुकलुसचित्तेणं, पत्ता दुक्खपरंपरं ॥३॥ जहा णं गोयमा! एसा, लक्खणदेविऽजया तहा। सकलसचित्ते गीयत्थे,ऽणते पत्ते दुहावली ॥४॥ तम्हा एयंस वियाणित्ता, सवभावेण सबहा। गीयत्थेहिं भवेयवं, कायवंतु (सुविसुद्धसुनिम्मलविमलनीसलु) निकलुसं मणंति बेमि ॥५॥ पणयामरमरुयमउडुग्घुट्टचलणसयवत्तजयगुरु!। जगनाह ! धम्मतित्थयर, भूयभविस्सवियाणग ॥ ६॥ तवसा निहढकम्मंस, महबइरवियारण। चउकसाय(दल)निट्ठवण, सव्वजगजीववच्छल ॥ ७घोरंधयारमिच्छत्ततिमिसतमतिमिरणासण। लोगालोगपगासगर, मोहवइरिनिसुंभण ॥८॥ दुरुज्झियरागदोसमोहमोस सोमसतसोम सिवकर। अतुलियबलविरियमाहप्पय, तिहुयणिकमहायस ॥९॥ निम्बमरुव अणनसम, सासयसुहमुक्खदायग । सबलक्खणसंपुन, तिहुयणलच्छिविभूसिया ॥३१०॥ भयवं! परिवाडीए, सर्व जंकिंचि कीरए। अथके हुंडिबुदेणं, कजं तं कत्थ लम्भई? ॥१॥ सम्मईसणमे. गंसि, वितिये जम्मे अणुवए । ततिए सामाइयं जम्मे, चउत्थे पोसहं करे ॥२॥दुद्धरं पंचमे बंभ, छठे सचित्तवज्जणं । एवं सत्तटुनवदसमे, जम्मे उहिट्ठमाइयं ॥३॥ चिञ्चेकारसमे जम्म,समणतुडगुणा भव। एयाएपरिवाडीए,संजय किन अक्खास?॥४ाज पुण साऊण महविगला, बालयणा(उधियइ) करिसस्सव सद्ध डगइ.जउ रिसं संजमं नाह!, सुदाहलिया उसुमालया। सोऊणपि नेच्छंति, तऽणुट्ठींसु कहं पुण? ॥६॥ गोयम ! तित्थंकरे मोतं. अमो दलिओ जगे। जह अस्थि कोहता भणउ, अहा णं सुक मालओ?॥७॥ जाणं- गम्भस्थाणंपि देविंदो, अमयमंगुट्ठयं कयं। आहारं देइ भत्तीए, संघवं सययं करे॥८॥ देवलोगचुए संते, कम्मा से णं जहिं घरे । अभिजाएंति तहिं सययं, हिर. ण्णवुट्टी पवरिस्सई ॥९॥ गम्भावमाण तहेसे, ईई रोगा य सत्तुणो। अणुभावेण खयं जंति, जायमित्ताण तक्खणे ॥३२०॥ आगंपियासणा चउरो, देवसंघा महीहरे । अभिसेयं सश्विड्ढीए, काउं सत्यामे गया ॥१॥ अहो लावन कंती, दित्ती रूवं अणोवमं। जिणाणं जारिसं पायअंगुट्ठग्गं ण तं इहं ॥२॥ सत्रेसु देवलोगेसु, सव्वदेवाण मेलिउं । कोडाकोडिगुणं काउं, जइवि उण्हालिजए॥३॥ अह जे अमरपरिग्गहिया, नाणत्तयसमन्निया । कलाकलावनिलया, जणमणाणंदकारया ॥४॥ सयणबंधवपरियारा, देवदाणवपूइया । पणइयणपूरियासा, भुवणुत्तमसुहालया ॥५॥ भोगिस्सरियं रायसिरिं, गोयमा! तं तवजियं । जा दियहा केई भुंजंति, ताव ओहीए जाणिउं ॥६॥ खणभंगुर अहो एयं, लच्छी पावविवड्ढणी । ता जाणंतावि किं अम्हे, चारित्तं नाणुचिट्ठिमो? ॥७॥ जावेरिस मणपरिणाम, ताव लोगंतिगा सुरा । मुणिउं भणति जगजीवहिययं तित्यं पवत्तिहा ॥८॥ ताहे वोसट्टचत्तदेहा, विहा सह११५५महानिशीथच्छेदमूत्र, *40-5 मुनि दीपरनसागर Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जगुत्तमं । गोयमा ! तणमिव परिचिचा, जं इंदाणवि दुइहं ॥ ९ ॥ नीसंगा उग्गं कडं घोरं अइदुकरं तवं भुयणस्सवि उक्कद्धं समुप्पायं चरंति ते ॥ ३३० ॥ जे पुण खरहरफुट्टसिरे, एगजम्मसुहेसिणो। तेसि दुलियाणंपि, सुदवि नो हियइच्छियं ॥ १ ॥ गोयम ! महुबिंदुस्सेव, जावइयं तावइयं सुहं मरणंतेवी न संपजे, कयरं दुहलियन्त्तर्ण १ ॥२॥ अहवा गोयम पञ्चकखं, पेच्छय जारिसयं नरा दुइलियं सुहमणुर्हति जं नियुणिज्जा न कोइवी ॥ ३ ॥ केई कारेंति मासलि हालियगोवालत्तणं दासत्तं तह पेसत्तं, गोडतं सिप्पे बहु ॥ ४ ॥ ओलम्गं किसिवाणिज्जं पाणञ्चायकिलेसियं दालिदऽविह्वत्तणं केई, कम्मं काउण घराघरिं ॥ ५॥ अत्ताणं विगोवेडं, ढिपिढिणिते अ हिंडिर्ड नम्गुग्घाडकिलेसेणं, जो समजति परिह (हिर) णं ॥६॥ जरजुन्नसयछिदं लक्षं कहकहवि ओढणं जा अज्जा कडिं करिमो फट्ट ता तमवि परिह (पहि) रणं ॥ ७॥ तहावि गोयमा ! बुज्झ, फुडवियडपरिफुडं । एतेसिं चैव मज्झाउ, अनंतरं भणियाण करसई ॥ ८ ॥ लोयं लोयाचारं च चिचा सयणकियं तहा। भोगोवभोगं दाणं च भोत्तूर्ण कदसणासणं ॥ ९ ॥ धाविडं गुप्पिडं सुइरं खिजिऊण अक्षिसं कागणि कागणीकाओ, अर्द्ध पाय विसोवगं ॥ ३४० ॥ कत्थइ कहिंचि कालेणं, लक्खं कोडिं च मेलिडं जा एगिच्छा मई पुन्ना, बीया णो संपजए ॥ १ ॥ एरिसयं दुहलियत्तं, सुकुमालत्तं च गोयमा !। धम्मारंभंमि संपडइ, कम्मारंभे न संपडे ॥२॥ जेणं जस्स मुहे कवलं, गंडी अन्नेहिं धजए। भूमीए न ह (ठ) वए पायं, इत्थीलक्खेसु कीडए ॥ ३॥ तस्सावि णं भवे इच्छा, अन्नं सोऊण सारियं समुद्धहामि तं देसं, अह सो आणं पडिच्छउ ॥ ४ ॥ सामभेओवपयाणाई, अह सो सहसा परंजिडं तस्स साहसतुलणट्ठा, गूढचरिएण बच्चइ ॥ ५ ॥ एमागी कप्पडाबीओ, दुग्गारनं गिरी सरी। लंघित्ता बहुकालेणं, दुक्खदुक्खं पत्तो तहिं ॥ ६ ॥ दुक्खं खुक्खामकंठो सो जा भमडे घराघरिं जायंतो च्छिदमम्माई, तत्थ जइ कवि ण णजए ॥ ७॥ ता जीवंतो ण चुकेज्जा, अह पुन्नेहिं समुदरे। तओ णं परिवत्तिय देहं तारिखो स गिहे विसे ॥ ८ ॥ को तं सि परियणो सन्ने?, ताहे सो असणाइसु। नियचरियं पायडेऊण, जुज्झसज्जो भवेउण ॥ ९ ॥ सङ्घबल (जाण) थामेणं, खंडाखंडेण जुज्झिउं अह तं नरिदं निजिणिइ अहवा तेण पराजिए ॥ ३५० ॥ बहुपहारगलंतरुहिरंगो, गयतुरयाउन (ह) अहोमुहो। णिवडइ रणभूमीए, गोयमा ! सो जया तया ॥१॥ तं तस्स दुहलियत्तं सुकुमालत्तं कहिं गए? जो केवलं सहत्थेणं, अहोभागं च धोविडं ॥२॥ निच्छंतो पायं ठविडं, भूमीए न कयाइवि । एरिसोऽबी स दुइलिओ, एयावस्थमुवागओ ॥ ३ ॥ जइ भन्ने धम्मचिट्ठे ता पडिभणइ न सक्किमो तो गोयमा! अहन्नाणं, पावकम्माण पाणिणं ॥ ४ ॥ धम्मट्ठाणंमि मई, न कयावि भविस्सए । एएसि इमो धम्मो, इकजंमीण भासए ॥ ५ ॥ जहा खंतपियंताणं, सर्व अम्हाण होहिइ ता जो जमिच्छेतं तस्स, जइ अणुकूलं पवेयए ॥ ६ ॥ ता वयनियमविणावि, मोक्खं इच्छति पाणिण एए एते ण रुसंति, एरिसं चिय कहे यज्ञं ॥ ७॥ णवरं ण मोक्खो एयाणं, मुसावायं व आवई अनंच रागं दोसं च मोहं च, भयच्छंदानुवत्तिणं ॥ ८ ॥ तित्थंकराणं णो भूयं, णो भवेजा उ गोयमा !। मुसावायं ण भासते, गोयमा ! तित्थंकरे ॥ ९ ॥ जेण तु केवलनाणेण, तेसिं पञ्चक्रखगं जगं भूयं भयं भविस्सं च पुन्नं पावं तहेब य ॥ ३६० ॥ जंकिंचि तिसुवि लोएस तं स तेसि पाय पायालं अवि उदमुहं सग्गं एजा अहोमुहं ॥ १ ॥ णूणं तित्थयरम्हभणियं वयणं होज न अन्नहा नाणं दंसणचारितं तवं पोरं सुदुकरं ॥ २ ॥ सोग्गइ मग्गो फुडो एस. परूवंती जहद्विअं अन्नहा न तित्थयरा, वाया मणसा व कम्मुणा ॥ ३॥ भणति जइवि भुवणस्स, पलयं वइ तक्खणे जं हियं सवजगजीवपाणभूयाण केवलं तं अणुकंपाए तित्थयरा, धम्मं भासति अवितहूं ॥ ४ ॥ जेणं तु समणुचिमेणं, दोहम्मदुक्खदारिदरोगसोगकुगइभयं ण भविज्जा उ बिइएणं, संतावुचेवगे नहा ॥ ५॥ भयवं ! णो एरिसं भणिमो जह छंद अणुवत्तय णवरमेयं तु पुच्छामो, जो जंसके स तं करे ? ॥ ६ ॥ गोयमा ! पेरिसं जुत्तं, खणं मणसा विचितिडं अह जइ एवं भवे णायं तावं धारे हुअं बलं ॥ ७ ॥ घयऊरे खंडरब्याए, एको सकेइ खाइयं अन्नो समंसमज्जाई, अक्षो रमिऊण एत्थियं ॥ ८ ॥ असो एपि नो सके, अन्नो जोएइ पक्खयं अन्नो चडवडमुहे एस (अन्नो एपि) भणिऊण ण सकुणोई ॥ ९ ॥ चोरियं जारियं अन्नो, अन्नो किचि ण सक्कुणोई भोतुं मोतुं सपत्थरिए, सके चिट्ठेत्तु मंचगे ॥ ३७० ॥ मिच्छामि दुकमियं हंत, एरिसं नो भणामऽहं । गोयमा ! अन्नंपि जं भणसि, तंपि तुज्झ कहेमऽहं ॥ १ ॥ एत्य जम्मे नरो कोई, कसिणुग्गं संजमं तवं जइ णो सकइ काउं जे, तहवि सोगइपिवासिओ ॥ २ ॥ नियमं पक्खिखी. रस्स, एगं बालउप्पाडणं । स्वहरणस्सेगियं दसियं, एत्तियंतु प (रि) धारियं ॥ ३ ॥ (सकुणोइ) एयंपि न जावजीवं, पालेडं ता इमस्सवी गोयमा तुम्भ बुदीए, सिद्धिं खेलस्सऽओ परं ॥ ४ ॥ मंडवियाए भवेयवं, दुकरकारि भवेत्तु य णवरं एयारिसं भवियं किम गोयमा ! पयं ? ॥ ५॥ पुणो तं एवं पुच्छंमी, तित्थकरे चउन्नाणी, ससुरासुरजगपूइए। निच्छिसिज्झि वि, तंमि जम्मे न अन्नए, जम्मे ॥६॥ ( तहावि) अणिगृहित्ता बलं विरियं, पुरिसयारपरकर्म उगं कई तवं घोरं, दुकरं अणुचरंति ते ॥ ७॥ ता अन्नेमुवि सत्तेसुं चउगइसंसार दुक्खभीएस (जं जहेब तित्ययरा भणति) तहेव समणुद्वेयां, गोयम ! सवं जहट्टियं ॥ ८ ॥ जं पुण गोयम ते भणियं, परिवाडीए कीरइ अथके इंडिदुद्वेणं, कजं तं कस्य लब्भए ? ॥ ९ ॥ तत्थवि गोयम ! दितं महासमुदंमि कच्छभो। अन्नेसि मगरमादीणं, संघट्टा भीउवट्टओ ॥ ३८० ॥ बुडनिब्बुड करेमाणो (सबलीसलोभली ) पेलापेलीए कत्थई । (२८९) ११५६ महानिशीथच्छेदसूत्रं अक्षयमुनि दीपरत्नसागर 1 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (उल्लीरिजंतो) तट्ठो णासंतो धावतो, पलायंतो दिसोदिसिं ॥१॥ उच्छल पच्छलं, हीलणं बहुविहं तहिं । सहतो थाममलहंतो, खणनिमिसंपि कत्थई ॥२॥ कहकहवि दुक्खसंतत्तो, सुबहुकालेहिं तं जलं। अवगाहंतो गओ उवरिं, पउमिणीसंडसंघणं ॥३॥ छिड्डे मया किलेसेणं, ल९ ता तत्व पेच्छई। गहनक्खत्तपरियरियं, कोमुइचंदं खहेऽमले ॥४॥ दिपंतकु. वलयकल्हारं, कुमुयसयवत्तवणप्फई। कुरुलियंते हंसकारंडे, चकवाए सुणेइ य॥५॥ जमदिटुं सत्तमुवि साहासु (अब्भुअं चंदमंडलं)। तं ददर्छ विम्हिओ खणं, चिंतइ एयं जहा होही ॥६॥ एयं तं सम्गं ताऽहं. (बंधवार्ण पमोययं) बंधवाणं पयंसिमो।बहुकालेणं गवेसेउ, ते घेत्तूण समागओ[आघणघोरंधयाररयणीए, भद्दवकिण्हच उद्दसीहि तु। ण पेच्छे जाव तं रिदि, बहुकाल निहालिउं॥८॥ पुण कच्छभो नु जह उ, तहावितं रिद्धिं न पेच्छइ । एवं चउगईभवगहणे, दुलभे माणुसत्तणे ॥९॥ अहिंसालक्खणं धर्म, लहिऊणं जो पमायई । सो पुण बहुभवलक्खेसु, दुक्खेहि माणुसत्तर्ण, लईपिन लम्भई धम्म, त रिदि कच्छभो जहा ॥३९०॥ दियहाई दो व तिचिव. अदाणं होड जंतलम्गेण । समायरेण तस्सवि. संबलयं लेह पवि. संतो॥१॥जो पुण दीहपवासो चुलसीईजोणिलक्खनियमेणं । तस्स तवसीलमइयं संबलयं किं न चितेह ? ॥२॥जह २ पहरे दियहे मासे संवच्छरे य वोलंति । तह२ गोयम ! जाणम् दुक्खे आसन्नयं मरणं ॥३॥ जस्स न नज्जइ कालं न य वेला नेय दियहपरिमाणं । नाएवि नस्थि कोइवि जगंमि अजरामरो एत्थं ॥ ४ ॥ पावो पमायवसओ जीवो संसारकजमुजुत्तो। दुक्खेहि न निविन्नो सुक्खेहिं न गोयमा ! तिप्पे ॥५॥ जीवेण जाणि उ विसजियाणि जाईसएसु देहाणि । थेवेहिं तओ सयलंपि तिहुयर्ण होज पडिहत्थं ॥ ६॥ नहदंतमुभमुहक्खिकेस जीवेण विप्पमुकेसुवि। तेसुवि हविज कुलसेलमेरुगिरिसन्निभे कूडे ॥ ७॥ हिमवंतमलयमंदरदीवोदहियरणिसरिसरासीओ। अहिययरो आहारो जीवेणाहारिओ अर्णत. हुनो॥८॥ गुरुदुक्खभरूकंतस्स अंसुनिचाएण जं जलं गलियं । तं अगडतलायनईसमुहमाईसु णवि होजा॥९॥ आवीयं थणीरं सागरसलिलाउ बहुयर होजा। संसारंमि अणते अबलाजोणीएं एकाए ॥४००॥ सत्ताहपिवनसुकहियसाणजोणीए मज्झदेसंमि।किमियत्तण केवलएण जाणि मुकाणि देहाणि ॥१॥ तेसिं सत्तमपुढवाए सिदिखेत चोहसरजु लोग व अणंतभागेणवि भरेजा ॥२॥ पत्ते य कामभोगे कालमणतं इहं सउवभोगे। अप्पुवं चिय मन्नइ जीवो तहवि य विसयसोक्खं ॥३॥जह कच्छुडो कच्छु कंडुयमाणो मा दुहं मुणइ सोक्खं । मोहाउरा मणुस्सा तह कामदुहं सुहं विति॥४॥ जाणंति अणुभवति य जम्मजरामरणसंभवे दुक्खे । न य विसएसु विरजति (गोयमा!) दुग्गइगमणपस्थिए जीये | ॥५॥ सवगहाणं पभवो महागहो सबदोसपायट्ठी। कामगहो दुरप्पा जेणऽभिभूयं जगं स (तस्स वसं जे गया पाणी)॥६॥ जाणंति जहा भोगिढिसंपया सामेव धम्मफलं। तहविं | दढमूढहियए पार्य काऊण दोग्गई जंति ॥ ७॥ वचइ खणेण जीवो पित्तानलधाउसिंभखोभेहिं। उज्जमह मा विसीयह तरतमजोगो इमो दुलहो ॥८॥ पंचिंदियत्तणं माणुसत्तणं आच. रिए जणे सुकुलं । साहुसमागमसुणणासहहणाऽरोगपञ्चजा ॥९॥ मूलअहि विसविसूइयपाणियसत्थग्गिसंभमेहिं च। देहंतरसंकमणं करेइ जीवो मुहुत्तेण ॥ ४१०॥ जावाउ सावसेस जाव &थेवोवि अस्थि ववसाओ। ताव करेज अप्पहियं मा तप्पिहहा पुणो पच्छा ॥१॥ सुरवणुविजुखणदिट्ठनट्ठसंशाणुरागसिमिणसमं । देहं इति तु वियला मम्मयभंडं व जलभरियं ॥२॥ इय जाव ण चुकसि एरिसस्स खणभंगुरस्स देहस्स। उम्ग कटुं घोरं चरसु तवं नत्थि परिवाडी ॥३॥ गोयमोति ! 'वाससहस्संपि जई काऊणं संजमं सुविउलंपि। अंते किलिनुभावो | नवि सुज्झइ कंडरीउन ॥४॥ अप्पेणवि कालेणं केइ जहागहियसीलसामना । साहति निययकज पोंडरियमहारिसिव जहा ॥५॥ण अ संसारंमि मुहं जाइजरामरणदुक्खगहियस्स। जीवस्स अस्थि जम्हा तम्हा मोक्खो उवाएओ॥४१६॥ सवपयारेहिं सवहा सवभावभावंतरेहिं ण गोयमोत्ति बेमि॥ महानिसीहसुयक्वंधस्स छट्ठमझयणं गीयत्वववहारं नाम समनं -६॥'भयवं ! ता एयनाएणं, भणियं आसि मे तुम (जहा)। परिवाडीए (तचं) किन अक्खसि, पायच्छित्तं तत्थ मझवी ॥१॥ वह गोयम ! पचिडतं, जब तुम तमालंबसि। नवरं धम्मवियारो ते, कओ सुवियारिओ फुडो ॥२॥ण होइ तस्स पच्छितं, पुणरवि पुच्छेन गोयमा !। संदेहं जाव देहत्वं, मिच्छ ताव निच्छयं ॥३॥ मिच्छत्तेणवि अभिभूए, तित्थयरस्स विभासियं । वयणं लंपितु विवरीयं, वाएत्ताणं पविसंति॥४॥ (घोरतमतिमिरचहलंधयारं पायालं) णवरं सुवियारिउँ काउं, तित्थयरा सयमेव य। भणति तं जहा चेव, गोयमा! समणुहए ॥५॥ अत्येगे गोयमा ! पाणी, जे पजिय जहा तहा। अविहीए तह चरे धम्मं, जह संसारा ण मुचए ॥६॥ से भयवं ! कयरे णं से विहीसीलोगो?, गोयमा ! इमे णं से विहीसिलोगो, तंजहा चिइवंदर्ण पडिकमणं, जीवाइतत्तसम्भावं। समिइंदियदमगुत्ती, कसायनिग्गहणमुवओगं ॥७॥ नाऊण सो बीसत्थो सामायारि कियाकलावं च। आलोइय नी. टासाटो आगम्भा परमसंविग्गो ॥८॥ जम्मजरमरणभीओ चउगइसंसारकम्मदहणट्ठा। पइदियह हियएणं एय अणवस्य सायंतो ॥९॥ जरमरणमयणपउर रागांकलसाइव कम्मढकसायागाहगहिरभवजलहिममंमि ॥१०॥ भमिहामि भट्ठसम्मत्तनाणचारित्तलद्धवरपोओ। कालं अणोरपारं अंतं दुक्खाणमलभंतो॥१॥ता कइया सो दियहो जत्थाहं सनु. ११५७ महानिशीपच्छेदमूत्रं, Hariraul-29 मुनि दीपरनसागर PAK स, Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *** *** मित्तसमपक्खो। नीसंगो बिहरिस्सं सुहझाणनिरंतरों पुणॉऽभवढे ॥२॥ एवं चिरचिंतियभिमुहमणोरहोरुसंपत्तिहरिसमुल्लसिओ। भत्तिभरनिभरोणयरोमंचयकंचुपुलइयंगो ॥३॥ सीलं. गसहस्सट्टारसण्ह धरणे समोच्छयक्खंधो। छत्तीसायारुकंठनिट्ठवियासेसमिच्छत्तो ॥४॥ पडिबजे पञ्चजं विमुकमयमाणमच्छरामरिसो। निम्ममनिरहंकारो विहिणेवं गोयमा ! विहरे ॥ ५॥ विहगढ़वापडिबद्धो उजुत्तो नाणदसणचरित्ते । नीसंगो घोरपरिसहोवसग्गाइं पजिणंतो॥६॥ उग्गअभिग्गहपडिमाइ रागदोसेहिं दूरतरमुक्को। रुहट्टज्झाणविवजिओ य विगहासु अ असत्तो ॥ ७॥ जो चंदणेण बाहुं आलिंपड़ वासिणा व जो तच्छे। संथुणइ जो अनिंदइ समभावो हुज दुण्हंपि॥१८॥ एवं अणिगहियबलविरिअपुरिसक्कारपरक्कमो सममणतणमणिलिदठुकंचणो (केका) परिचत्तकलत्तपुत्तसुहिसयणमेतबंधवधणधन्नसुवन्नहिरण्णमणिरयणसारभंडारो अञ्चंतपरमवेरग्गवासणाजणियपवरसुहज्झवसायपरमधम्मसदापरो अकिलिट्ठनिकलसअदीणमाणसो पय(वय)नियमनाणचारित्ततवाइसयलमुवणिकमंगलअहिंसालक्खणर्खताइदसविहधम्माणुहाणेकंतवद्धलक्खो समावस्सगतकालकरणसज्झायज्माणमाउतो संखाईयअणेगकसिणसंजमपएसु अविखलिओ संजयविरयपडिहयपचक्खायपावकम्मो अणियाणो मायामोसविवजिओ साहू वा साहुणी वा एवंगुणकलिओ जइ कहवि पमायदोसेणं असई कहिंचि कत्थई वायाइ वा मणसाइ वा कायेणेइ वा तिकरणविसुदीए सबभावंतरेहिं चेव संजममायरमाणो असंजमेणं छलेजा तस्स णं विसोहिपयं पायच्छित्तमेव, तेणं पायच्छित्तेणं गोयमा! तस्स विसुदि उवदिसिज्जा, न अन्नहत्ति, तत्थ णं जेसुं जेसुं ठाणेसुं जत्थ जत्थ जावइयं पच्छित्तं तमेव निझुकियं पच्छित्तं भन्नइ,से भयवं! केणमटेणं भन्नइ जहा णं तमेव निट्टकिय भन्नइ ?, गोयमा ! अणंतराणतरक्कमेणं इणमो पच्छित्तसुत्ता, अणेगे भवसत्ता चउगइसंसारचारगाओ बद्धपुट्टनिकाइयदुधिमोक्खघोरपारकम्मनि. यहाई संचुन्निऊण अचिरा विमुचिहिति, अन्नंच-इणमो पच्छित्तमुत्तं अणेगगुणगणाइन्नस्स दढवयचरित्तस्स एगतेणं जोगस्सेव विवक्खिए पएसे चउकन्नं पन्नवेयवं, तहा य जस्स जावइएणं पायच्छित्तेणं परमविसोही भवेजा तं तस्स णं अणुयत्तणाविरहिएण धम्मेक्करसिएहिं वयणेहिं जहट्टियं अणूणाहियं तावइयं चेव पायच्छित्तं पयच्छेजा, एएणं अटेणं एवं खुचाइ जहा णं गोयमा! तमेव निद॒कियं पायच्छित्तं भन्नई।१।से भयवं! कइविहं पायच्छित्तं समुवइ8 ?, गोयमा ! दसविहं पायच्छित्तं उवइडं, तं च अणेगहा जाव णं पारंचिए।२। नणं पायच्छित्तमुत्तस्साणुहाणं बहिही?, गोयमा! जाव णं ककी णामे रायाणे निणं गच्छिय, एक्कजिणाययणमंडियं वह सिरिप्पमे अणगारे, भयवं! उड्ढं पुच्छा, गोयमा ! उइदं न केई पुण्णभागे होहि जस्स णं इणमो सुयक्खधं उवइसेजा।३। से भयवं! केवइयाई पायच्छित्तस्स णं पयाई?, गोयमा ! संखाइयाई पायच्छित्तस्स पयाई, से भयवं ! तेर्सि क संखाइयाणं पायच्छित्तपयाणं किं तं पढमं पायच्छित्तस्स णं पर्य?, गोयमा ! पइदिणकिरियं, से भयचं ! किंतं पइदिणकिरियं ?, गोयमा ! जमणुसमयान्निसा पाणोवरमं जावाणुढेयश्वाणि संखेज्जाणि आवस्सगाणि, से भयवं ! केणं अटेणं एवं चुच्चइ जहा णं आवस्सगाणि ?, गोयमा ! असेसकसिणट्ठकम्मक्खयकारिउत्तम. सम्मईसणनाणचारित्तअचंतघोरवीरुग्गकट्ठएदुकरतवसाहणट्ठा सुपरूविजंति नियनियविभत्तुहिट्ठपरिमिएणं कालसमएणं पयंपयेणाहन्निसाणुसमयमाजम्मं अवस्समेव तित्थयराइसु कीरति अणुद्दिजति उवइसिजति परूविजति पन्नविजंति सययं, एएणं अट्टेणं एवं वुच्चइ गोयमा ! जहा णं आवस्सगाई. तेसिं च णं गोयमा ! जे भिक्खू कालाइकमेणं वेलाइकमेणं समयाइकमेणं अलसायमाणे अणोवउत्तपमत्ते अविहीए अन्नेसिं च असई उप्पायमाणो अन्नयरमावस्सगं पमाइय संतेणं बलवीरिएणं सातलेहडत्ताए आलंवर्ण वा किंचि घेत्तूणं चिराइयं पउरिय णो णं जहुत्तयालं समणुढेजा से गं गोयमा ! महापायच्छित्ती भवेजा।४। से भयवं! किं तं विइयं पायच्छित्तस्स णं पयं?, गोयमा ! बीय तइयं चउत्यं पंचमं जाव णं संखाइयाई पायच्छित्तस्स णं पयाई ताव णं एत्यं चेव पढमपायच्छित्तपए अंतरोवगयाइं समणुविंदा, से भयवं! केणं अट्टेणं एवं बुच्चइ ?, गोयमा ! जओ णं सवावस्सगकालाणुपेही भिक्खू णं रोहट्टझाणरागदोसकसायगारखममकाराइसु णं अणेगपमायालंबणेसु च सबभावभावतरंतरेहिं गं अञ्चंतविप्पमुक्को भवेजा, केवलं तु नाणदसणचारितं तबोकम्मसज्झायज्झाणसद्धम्मावसाणे(स्सगे सुअचंतअणिगृहियबलवीरियपरकमे सम्मं अभिरमेजा, जाव णं सद्धम्मावस्सगेसुं अभिरमेजा ताव णं सुसंवुडासबदारे हवेजा, जाव णं हवेजा तावणं सजीववीरिएणं अणाइभवगहणसंचियाणिट्ठदुद्दढकम्मरासीए एगतणिट्ठवणेकबद्धलक्खो अणुकमेण निरुद्धजोगी भवेत्ताणं निदइढासेसकम्मणो विमुकजाइजरामरणचउगइसंसारपास. बंधणे य सबदुक्खविमोक्खतेलोकसिहरनिवासी भवेजा, एएणं अद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जहा णं एत्थं चेव पढमपए अवसेसाई पायच्छित्तपयाई अंतरोवगयाई समणुविंदा ।५। से भयवं ! कयरे ते आवस्सगे?, गोयमा ! णं चिइबंदणादओ, से भयवं! कम्हि आवस्सगे असई पमायदोसेणं कालाइकमिएवा वेलाइकमिए वा समयातिकमिए वा अणोवउत्तपमत्तेहि अविहीए वा समणुट्टिएइ वा णो णं जहुत्तयालं विहीए सम्म अणुट्ठिए वा असंपट्टि(डि)एइ वा वित्यपडिएइ वा अकएइ वा पमाएइ वा केवइयं पायच्छित्तमुवइसेजा ?, गोयमा! ११५८महानिशीथच्छेदमूत्रं, अrea-ta ********* ************ मुनि दीपरनसागर Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जे केई भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविरयपडियपञ्चक्खायपावकम्मे दिक्खादियाम्पभिईओ अणुदियहं जावज्जीवाभिग्गहेणं सुवीसत्ये भत्तिनिग्भरे जहुत्तविहीए सुत्तत्थमणुसरमाणो अणण्णमाणसे गग्गचित्ते तग्गयमाणससुहज्झवसाए थयचुईहिं ण तेकालियं चेइए वंदेज्जा तस्स णं एगाए वाराए खवणं पायच्छित्तं उवइसेज्जा बीयाए छेयं तइयाए उबडावणं, अविहीए चेयाई वंदे तओ पारंचियं, जओ अविहीए चेइयाई वंदेमाणो अन्नेसिं असद्धं संजणेईइकाऊगं, जो उण हरियाणि वा बीयाणि वा पुप्फाणि वा फलाणि वा पूयट्ठाए वा महिमाए वा सोभट्टाए वा संघट्टेज वा संघट्टावेज वा छिंदिज वा छिंदावेज वा संघट्टिताणि वा छिंदिर्जताणि वा परेहिं समणुजाणेज वा एएसुं समेसुं उबट्टावणं खमणं चउत्थं आयंबिलं एकास गं निविगइयं गाढागाढभेदेणं जहासंखेणं णेयं । ६ । जे णं चेहए वंदेमाणस्स वा संधुणेमाणस्स वा पंचप्पयारं सज्झायं वा पयरेमाणस्स वा विग्धं करेज वा कारेज वा कीरतं वा परेहिं समणुजाणेज्ज वा से तस्स एएस दुवालसछद्रं एकासणगं कारणिगस्स, निकारणिगे अवंदे संवच्छरं जाव पारंचियं काऊणं उबट्टवेज्जा । ७ । जे णं पडिकमणं नो पडिक मेजा से णं तस्सोबट्टावणं निदेसेजा, बटुपडिकमणेणं खमणं, सुनासुन्नीए अणोवउत्तपमत्तो वा पडिक्कमणं करेजा दुवालसं, पडिक्कमणकालस्स चुक्कड़ चउर्त्य, अकाले पडिक्कमणं करेला चउत्थं, कालेणं वा पडिक्कमणं णो करेजा चउत्थं, संधारगओ वा संथारगोवविडो वा पडिक्कमणं करेजा दुवालसमं, मंडलीए ण पडिक्कमेज्जा उवद्वावणं, कुसीलेहिं समं पडिक्कमणं करेज्जा उवद्वावणं, परिभट्ठबंभचेरवएहिं समं पडिकमेज्जा पारंचियं सङ्घस्स समणसंघस्स तिविहंतिविहेण खमणमरिसामणं अकाऊण पडिकमणं करेजा उवद्वावणं, पर्यपणाविचामेलियं पडिकमणसुतं ण पयहेजा चउत्थं, पडिकमणं ण काऊ संधारगेइ वा फलहगेइ वा तुयहेज्ञा खमणं, दिया तुयहेज्जा दुबालसं, पडिकमणं काउं गुरुपामूलं बसहिं संदिसावेत्ताणं ण पबुप्पेहे चउत्यं, वसहिं पबुप्पेहिऊणं ण संपवेएजा छडं, वसहिं असंपवेएत्ताणं स्यहरणं पचुप्पेहिजा पुरिमदं स्यहरणं विहीए पचुप्पेहित्ताणं गुरुपामूलं मुहणत अपचुप्पेहिय उदहिं संदिसावेजा पुरिवई (मर्द्ध), असंदेसावियं उबहिं पचुप्पेहिजा पुरिव, अणुवउत्तो उवहिं वा वसहिं वा पचुप्पेहे दुवाल, अविहीए बसहिं वा अन्नयरं वा भंडमत्तोवगरणजायं किंचि अणोवउत्तपमत्तो पचप्पेहिजा दुवाल, वसहिं वा उवहिं वा भंडमत्तोचगरणं वा अपडिलेहियं वा दुप्पडिलेहियं वा परिभुंजेज्जा दुवाल, वसहिं वा उवहिं वाटतोवगरणं वा ण पच्चुप्पिहिजा उबद्वावणं, एवं बसहिं उबहिं पच्चुप्पेहिताणं जम्ही पएसे संधारयं जम्ही उ पएसे उवहीए पच्चुप्पेहणं कयं तं थामं णिउणं हलहलयं दंडापुंछणगेण वा रयहरणेण वा सात्ताणं तं च कयवरं पच्चुष्पेहित्तु उप्पइयाउ ण पडिगाहिजा दुवाल, उप्पइयाओ पडिगाहित्ताणं तं च कयवरं परिद्ववेऊणं ईरियं ण पडिकमेज्जा चउत्थं, अपचुप्पेहियं कयवरं परिद्ववेजा उवट्टावणं, जइ णं छप्पइयाओ हवेजा अहा णं नत्थि तओ दुबालसं, एवं वसहिं उबहिं पच्चुप्पेहिऊणं समाहिं खइरोडगं च ण परिद्ववेजा चउत्थं, अणुग्गए सूरिए समाहिं वा खयरोगं वा परिद्ववेजा आयंबिलं, हरियकायसंस तेइ वा वीयकायसंस तेइ वा तसकायबेइंदियाईहिं वा संसते थंडिले समाहिं वा खइरोडगं वा परिवे अन्नयरं वा उच्चाराइयं वा वोसिरिजा पुरिम एकासणगायंबिलमहक्कमेणं जइ णं णो उद्दवणं संभवेज्जा, अहा णं उद्दवणासंभाविए नओ खमणं, तं च थंडिलं पुणरवि पडिजागरिऊणं नीसंक काऊ पुणरवि आलोएत्ताणं जहाजोगं पायच्छित्तं ण पडिगाहिजा तओ उवद्वावणं, समाहिं परिद्ववेमाणो सागारिएणं संचिक्खीयए संचिक्खीयमाणो वा परिद्ववेज्जा खवणं, अपच्चुप्पेहियथंडिले जंकिंचि बोसिरेज्जा तओ उबद्वावणं, एवं वसहिं उवहिं पचुप्पेहेत्ताणं समाहिं खइरोडगं च परद्ववेत्ताणं एगग्गमाणसो आउतो विहीए सुत्तत्थमणुसरेमाणो ईरियं न पडिकमेजा एक्कासणगं, मुहणंतगेणं विणा ईरियं पडिकमेजा वंदणं पडिकमणं वा करेजा जंभाएज वा सज्झायं वा करेज्जा वायणादी सवत्थ पुरिम एवं च ईरियं पडिकमित्ताणं सुकुमालपम्हलअचोप्पडअविकिद्वेणं अविददंडेणं दंडापुच्छणगेणं बसहिं न पमजे एक्कासणगं, बोहारियाए वा वसहिं बोहारिजा उबट्टावणं, वसहीए दंडापुंछणगं दाऊणं कयरं ण परिवेजा चउत्थं, अपचुप्पेहियं कयवरं परिद्ववेजा दुवालसं, जइ णं छप्पइयाउ ण हवेजा अह्वा णं हवेज्जा तओ णं उबट्टावणं, बसहीसंठियं कयवरं पचुप्पेहमाणेण जाओ छप्पइयाओ तत्थ अन्नेसिऊण र समुचिणिय २ पडिगाहिया ताओ जइ णं ण सङ्केसिं भिक्खूणं संविभऊणं देजा तओ एकासणगं, जइ सयमेव अत्तणा ताओ छप्पइयाओ पडिग्गाहिज्जा अहणं संविभइउं दिजाण व अण्णण्णो पडिगाहेजा तओ पारंचियं, एवं वसहि दंडापुंछणगेणं विहीए य पमजिऊणं कयवरं पचुप्पेहेऊणं छप्पइयाओ संविभातिऊणं च तं कयवरं ण परिवेजा परिहवित्ताणं च सम्मं विहीए अचंतोवउत्तएगग्गमाणसेण पर्यपएणं तु सुत्तत्थोभयं सरमाणे जे र्ण भिक्खु ण ईरियं पडिक्कमेजा तस्स अ आयंबिलं खमणं पच्छितं निदेसेजा, एवं तु अइकमिज्जा णं गोयमा! किंचूणगं दिवढं घडिगं पुवव्हिंगस्स णं पढमजामस्स, एयावसरम्ही उ गोयमा ! जेणं भिक्खू गुरूणं पुरो विहीए सज्झायं संदिसाविऊर्ण एगग्गचिते सुयाउत्ते दढं धीइए घडिगोणपढमपोरिसी जावजीवाभिग्गहेणं अणुदियहं अपुवणाणगहणं न करेज्या तस्स दुबालसमं पच्छित्तं निद्देसेजा, अपुनाणाहिजणस्स असई ११५९ महानिशीथच्छेदसूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A । W A4%**** जमेव पुश्वाहिनिय तं सुत्तत्योभयमणुसरमाणो एगग्गमाणसे न परावत्तेजा भत्तित्वीरायतकरजणवयाइविचित्तविगहासु अ णं अभिरमेजा अवंदणिजे, जेसिं च णं पुष्वाहीयं सुत्तं णत्थेव अउब्वन्नाणगहणस्स णं असंभवो वा तेसिमवि घडिगूणपढमपोरिसी पंचमंगलं पुणो २ परावत्तणीयं, अहा णं णो परावत्तिया विगहं कुव्वीया वा निसामिया बा से णं अवंदे, एवं घडिगुणगाए पढमपोरिसीए जे णं भिक्ख एगग्गचित्तो सज्झायं काऊणं तओ पत्तगमत्तगकमढाइं भंडोवगरणस्स णं अवक्खित्ताउत्तो विहीए पच्चुप्पेहर्ण ण करेजा तस्स चउत्थं पच्छित्तं निदिसेजा, भिक्खुसहो पच्छित्तसदो अ इमे सव्वस्थ पइपयं जोजणीए, जइ णं तं भंडोक्गरणं ण भुंजीया अहा णं परिभुजे दुवालसं, एवं अइकंता पढमपोरिसी, बीयपोरसीए अत्थगहणं न करेजा पुरिमड्ढे, जइ णं वक्खाणस्स णं अभावो, अहा णं वक्खाणं अत्येव तं ण सुणेज्जा अवंदे, बक्खाणस्सासंभवे कालवेलं जाव वायणाइसज्झायं न करेजा दुवालसं, एवं पत्ताए कालबेलाए जंकिंचि अइयराइयदेवसियाइयारे निदिए गरहिए आलोइए पडिकते जंकिंचि काइगं वा वाइगं वा माणसिगं वा उस्सुत्तायरणेण वा उम्मगायरणेण वा अकापासेवणेण वा अकरणिज्जसमायरणेण वा दुज्झाइएण वा दुधिचिंतिएण वा अणायारसमायरणेण वा अणिच्छियवसमायरणेण वा असमणपाउरगसमायरणेण वा नाणे दंसणे चरिने सुए सामाइए तिण्हं गुत्तियादीणं चउण्हं कसायादीणं पंचण्डं महव्यादीणं छण्हं जीवनिकायादीणं सत्तहं पिंडेसणमाईणं अट्ठण्डं पवयणमाइयाईणं नवण्हं बंभचेरगुत्ती(त्ताई)णं दसविहस्स णं समणधम्मस्स एवं तु जाव गं एमाइअणेगालावगमाईणं खंडणे बिराहणे वा आगमकुसलेहिं णं गुरूहिं पायच्छित्तमुवइ8 तंनिमित्तेणं जहासत्तीए सीसिपरिसयारपरकमे असताए अदीणमाणसे अणसणार सबजांतरं दवालसविहं तवोकम्म गरूणमंतिए पूणरवि णिइंकिऊणं सुपरिकर्ड काऊणं तहति अभिनं. दित्ताणं खंडाखंडीविभत्तं वा एगपिंडट्ठियं वा ण सम्ममणुचेद्वेज्जा से णं अवंदे, से भयवं! केणं अटेणं खंडाखंडीए काऊणमणुचिट्ठज्जा, गोयमा ! जेणं भिक्ख संवच्छरद्धं चाउम्मासं मासखमणं वा एकोलग काऊणं न सक्कुणोइ ते णं छट्टट्ठमदसमदुवालसदमासक्खमणेहिं णं तं पायच्छित्तं अणुपवेसेइ, अन्नमचि जंकिंचि पायच्छित्ताणुगयं, एतेणं अटेणं खंडाखंडीए समणुचिढ़े, एवं तु समोगाद किंचूर्ण पुरिमड्ढे, एयावसरंमि उ जे णं पडिक्कमंतेइ वा वंदंतेइ वा सज्झायं करतेइ वा परिभमंतेइ वा संचरतेइ वा गएइ वा ठिएइ वा बइठ्ठलगेड वा उट्टियलगेइ वा तेउकाएण चा फुसिडियङगे भवेजा से णं आयंचिऊणं ण संवरेज्जा तओ चउत्थ, अन्नेसिं तु जहाजोगं जहेब पायच्छित्ताणि पविसंति, तहा ससत्तीए तथोकम्म णाणुढेइ तओ चउग्गुणं पायच्छित्तं तमेव वीयदियहे उवइसेजा, जेसिं च णं वदंताण वा पडिक्कमंताण वा दहिं वा मजार वा छिदिऊणं गर्य हवेजा तेसिं च णं लोयकरणं अन्नस्थ गमणं तमाणं उम्मतवाभिरमणं, एयाई ण कुवंति तओ गच्छबज्झे, जे णं तु तं महोवसग्गसाहगं उप्पायगं दुन्निमित्तममंगलावह हविया, जे णं पढमपोरिसीए वा बीयपोरिसीए वा चंकमणियाए या परिसक्कएजा अगालसन्निहीए वा छड्डी करेइ वा से णं जइ चउविहेणं ण संवरेजा तो छ8, दिया थंडिले पडिलेहिए राओ सन्नं वोसिरेजा समाहीए वा एगासणं गिलाणस्स, अन्नेसि तु छट्टमेव, जइ णं दिया ण थंडिलं पचुप्पेहियं णो णं समाही संजमिया अपञ्चुप्पेहिए थंडिले अपेहियाए चेव समाहीए रयणीए सन्नं वा काइयं वा बोसिरिजा एगासणगं गिलाणस्स, सेसाणं दुवालसं, अहा णं गिलाणस्स मिच्छुक्कडं वा, एवं पढमपोरिसीए बीयपोरिसीए वा सुत्नत्याहिजणं मोत्तूणं जे णं इत्यीकह वा भनकहं या देसकहं वा रायकहं वा तेणकहं वा गारस्थियकहं वा अन्नं या असंबद्धं रोइज्माणोदीरणाकहं पत्थावेज वा उदीरज वा कहेज वा कहावेज या से णं संबच्छरं जाव अब रिसीए जहणं कयाई महया कारणवसेणं (घडिगं वा) अवघडिगं वा सज्झायं न कयं तत्थ मिच्छुकडं गिलाणस्स, अमेसि निनिगइयं, दढनिठुरतेण वा गिलाणेण वा जइ णं कहिचि केणइ कारणेणं जाएणं असई गीयत्वगुरुणा अणणुनाएणं सहसा कयादी बहपडिकमर्ण कर्य हवेजा तओ मासं जाव अपंदे, चउमासे जाव मुणवयं च, जेणं पदमपोरिसीए अणइकंताए तइयाए पोरिसीए अइकंताए भत्तं वा पाणं वा पडिगाहेज वा परिभुजेज या तस्स णं पुरिमड्द, चेइएहिं अवंदिएहिं उपओगं करेजा पुरिमड्द, गुरुणो अंतिए णोचओर्ग करेजा चउत्थं, अकएणं उवओगेणं किंचि पडिगाहेना चउत्थं, अविहीए उवाओगं करेजा खवणं, भत्तट्टाए वा पाणट्ठाए वा सकजेण वा गुरुकजेण वा बाहिरभूमीए निग्गच्छंने गुरुणो पाए उत्तिमंगेणं संघ ताणं आवस्सियं ण करेजा पविसंते पंघसालाईसु णं वसहीदुवारे णिसीहियं ण करेजा पुरिमड्ढे, सलण्हं कारणजायाणमसई बसहीए बहिं निग्गच्छे गच्छवज्ो, II रागा गच्छे छेओबट्ठावणं, अगीयस्थस्स गीयत्वस्स या संकणिजस्स भत्तं वा पाणं वा भेसज वा वत्यं वा पत्तं वा दंडग वा अविहीए पडिगाहज्जा गुरुणं च णाल छेदं मासं जाव अवंदे मुणवयं च, भत्तद्वाए वा पाणढ़ाए वा भेसजट्ठाए पा सकजेण वा गुरुकोण वा पविट्ठो गामे वा नगरे या रायहाणीए वा निगचउक्कचचरपरिसागिहेह वा नन्थ सि कहं वा विकहं वा पत्थावेज्जा उवट्ठावणं, सोवाहणो परिसकेज्जा उवट्ठावर्ण, उवाहणाउ पडिगाहिज्जा खवर्ण, तारिसे णं संविहाणगे उवाहणाउ ण परिभुजेज्जा खवणं, गओ वा ठिओ या केणइ पुढो निउणं महुरं थोवं कजावडियं अगश्वियमतुच्छं निदोसं सयलजणमणाणंदकारयं इहपरलोगमुहावहं वयणं ण भासेजा अवंदे, जहणं नाभिग्गहिओ, (२९०) 19२१६० महानिशीथच्छेदसूत्र, Hasiaur मुनि दीपरत्नसागर ******** * Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसदोसविरहियंपी ससावज भासेज्जा उवट्ठावर्ण, बहु भासे उवट्ठावणं, पडिनायं भासे उवट्ठावणं, कसाएहिं जि(जु)ले अवंदे, कसाएहिं समुइन्नेहिं मुंजे रयणि वा परिवसेजा मार्स जाव मूणवए अवंदे य उवट्ठावणं च, परस्स वा कस्सई कसाए समुदीरेजा दरकसायस्स वा कसायवुडिंढ करेजा मम्मं वा किंचि वाले(आलवे)ज्जा एतेसुं गच्छवज्झो, फरसं भासे दुवालसं, कक्कसं भासे दुवालस, खरफरुसककसणिठुरमणि? भासेज्जा उबट्ठावणं, दुबोल देइ खमणं, किलिकिलिकिध(व)कलह झंझं डमरं वा करेजा गच्छवज्झो, मगारजगारं वा बोले खवणं, बीयवाराए अवंदे, वहतो संघबझो. हणतो संघबज्झो, एवं खणंतो भंजतो ल्हसंतो लडिंतो जलिंतो जालावंतो पर्यतो पयावयतो, एतेसु सन्चेसु पत्तेर्ग संघवझो, गुरूंपि पडिसूरे जा अन्नं वा मयहराइयं कहिंचि हीलेजा गच्छायारं वा संघायारं वा वंदणपडिकमणमाइमंडलीधर्म वा अइकमेजा अविहीए वा पवावेज वा उबढावेज वा अओगस्स वा सुत्तं वा अत्थं वा उभयं वा परवेजा अविहीए सारेज वा पारिज या बाएज या विहीए वा सारणवारणचोयणं ण करेजा उम्मग्गपट्ठियस्स वा जहाविहीए जाव णं सयलजणसनिझं परिबाडीएणं भासेजा अहियभासं सपक्खऽगुणावह, एतेसु सवेसु पत्तेगं कुलगणसंघबज्झो, कुलगणसंघबझीकयस्सणं अञ्चंतघोरवीरतवाणुट्टाणाभिरयस्सावि णं गोयमा ! अप्पेही, तम्हा कुलगणसंघवझीकयस्स णं खणखणद्धघडिगवघडिगं वा ण चिट्ठयवंति, अपच्चुप्पेहिए पंडिडे उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिंघाणं वा जाउं वा परिहावेजा निसीयंतो संडासगे ण पमज्जेज्जा निविगइयायंबिलमहकमेणं, भंडमत्तोवगरणजायं जंकिंचि दंडगाइं ठवतेइ वा निक्खिवतेइ वा साहरंवेइ वा पडिसाहतेइ वा गिण्हतेइ वा पडिगिण्हतेइ वा अविहीए ठवेजा या निक्खिवेज वा साहरेज वा पडिसाहरेज वा गेण्हेज वा पडिगेण्हेज वा, एतेसुं असंसत्तखेत्ते चउरो आयंबिले, संसत्तखित्ते उवट्ठावणं, दंडगं वा रयहरणं वा पायपुंछणं वा अंतरकप्पगं वा चोलपट्टगं वा वासाकप्पं वा जाव णं मुहणंतगं वा अन्नयरं वा किंचि संजमोवगरणजायं अप्पडिलेहियं वा दुष्पडिलेहियं वा ऊणाइरित्तं गणणाए पमाणेण वा परि जे खवणं सवत्य पत्तेगं, अविहीए नियंसणुत्तरीयं स्यहरणं दंडगं वा परि जे चउत्थं, सहसा रयहरणं खंधे निक्खिवइ उवट्ठावणं, अंगं वा उवगं वा संवाहावेजा खवणं, रयहरणं सुसंघट्टे चउत्थं, पमत्त. Aस्स सहसा मुहणंताइ किंचि संजमोवगरणं विप्पणस्से तत्व णं जाव खमणोवट्ठावणं, जहाजोगं गवेसर्ण मिच्छुक्कडं बोसिरणं पडिगाणं च, आउकायतेउकायस्स णिसिद्धे, जो उण जोईए अंतलिक्खबिंदुवारेहिं वा आउत्तो वा अणाउत्तो वा सहसा फुसेजा तस्स णं पकहियं चेवायंबिलं, इत्थीणं अंगावयवं किंचि हत्थेण वा पाएण वा दंडगेण वा | करधरियकुसग्गेण वा लणखवएण वा संघट्टे पारंचियं, सेसं पुणोवि सत्थाणे पबंधेण भाणिहिइ, एवं तु आगयं भिक्खाकालं, एयावसरम्ही उ गोयमा ! जे णं भिक्खू पिंडेसणाभि. हिएणं विहिणा अदीणमणसो 'वज्जेंतो बीयहरियाई, पाणे य दगमट्टिय। उववायं विसमं खाj, रन्नो गिहवईणं च॥१९॥ संकट्ठाणं विवज्जंतो पंचसमिइतिगुत्तिजुत्तो गोयरचरियाए पाहु. डियं न पडियरिया तस्स णं चउत्थं पायच्छित्तं उवइसेज्जा जइणं नो अभत्तट्ठी, ठवणकुलेसु पविसे खवर्ण, सहसा पडिवुत्थं (वत्थु)पडिगाहितं तक्खणा ण परिहवे निरोवहवे थंडिले खवणं, अकप्पं पङिगाहेज्जा चउत्थाइ जहाजोगं, कप वा पडिसेहेइ उबट्ठावणं, गोयरपविट्टो कहं वा विकहं वा उभयकहं वा पत्यावेज्ज वा उदीरेज्ज वा कहेज्ज वा निसामेज्ज वा छहूं. गोयरमागओ य भत्तं वा पाणं वा भेसज्ज वा जं जेण दिनयं जहा य पडिग्गहियं तं तहा सवं णालोएज्जा पुरिवड्ढे, इरियाए अपडिकंताए भत्तपाणाइयं आलोएज्जा पुरिवड्ढं, S ससरक्खेहिं पाएहिं अपमज्जिएहिं इरियं पडिकमज्जा पुरिव(म)ड्द, इरियं पडिकमिउकामो तिन्नि वाराउ चलणगाणं हेट्ठिमं भूमिभागं ण पमज्जेज्जा णिविइगं, कनोट्ठियाए वा मुहणंतगेण वा विणा इरिब पडिक्कमे मिच्छुक्कडं पुरिमड्ढं वा, पाहुडियं आलोइत्ता सज्झायं पट्टवेत्तु तिसराई धम्मोमंगलाई ण कडेढज्जा चउत्थं, धम्मोमंगलगेहिं च णं अपरियहिएहिं चेहयसाहुहि च अवंदिएहिं पारावेज्जा पुरिवड्द, अपाराविएणं भत्तं वा पाणं वा भेसज्जं वा परि जे चउत्थं, गुरुणो अंतियं ण पारावेज्जा नो उवओगे करेज्जा नो णं पाह. डियं आलोएज्जा ण सज्झायं पट्टवेज्जा, एतेसुं पत्तेयं उबट्ठावणं, गुरूविय जेणं नो उबउत्ते हवेज्जा से णं पारंचियं, साहम्मियाणं संविभागेणं अविइभेणं जंकिंचि भेसम्जाइ परिभुंजेस छट्टे, भुंजतेइ वा परिवेसंतिए वा पारिसाडियं करेज्जा छठं, तित्तकडुयकसायंबिलमहुरलवणाई रसाई आसाइंते वा पलिसायंते वा परि जे चउत्थं, तेसु चेव रसेसुं रागं गच्छे खमणमट्ठमं वा, अकएण काउस्सम्गेणं विगई परिभुजे पंचेव आयंबिलाणि, दोण्हं विगईणं उड्ढं परिभुजे पंच निवाइयगाणि, अकारणिगो विगइपरिभोगं कुज्जा अट्ठमं, असणं वा पाणं वा भेसज वा गिलाणस्स अइमाणुधरियं परिभुजे पारंचियं, मिलाणाणं अपडिजागरिएणं मुंजे उबट्ठावर्ण, सवमवि णियकत्त परिचिच्चाणं गिलाणकत्तवं न करेजा अवंदे, गिलाण - कत्तवमालंबिऊणं निययकत्तवं पमाएजा अर्वदे, गिलाणकर्ष ण उत्तारेजा अट्ठमं, गिलाणेणं सदि एगसहेण गंतुं जमाइसे तं न कुजा पारंचिए, नवरं जहणं से गिलाणे सत्यचित्ते, | अहा णं सन्निवायादीहिं उम्भामियमाणसे हवेज्जा तओ जमेव गिलाणेणमाइ8 तं न काय, तस्स जहाजोगं कायब्वं, ण करेजा संघवझो, आहाकम वा उदेसियं वा पूईकर्म वा ११६१. महानिशीधच्छेदसूत्रं, अhar मुनि दीपरत्नसागर मा Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीसजायं वा ठवर्ण वा पाहुडियं वा पाओयरं वा कीयं वा पामिच्चं वा परियट्टियं वा अभिहडं वा उभिन्न वा मालोहडं वा अच्छेज वा अणिस? वा अज्झोयरं वा धाईइनिमित्तेणं आजीववणीमगतिगिच्छाकोहमाणमायालोमेणं पुविसंथवपच्छासंथवविज्जामंतचुन्नजोगे संकियमक्खियनिक्खित्तपिहियसाहरियदायगुम्मीसे अपरिणयलित्तछड्डिययाए बाया. लाए दोसेहिं अनयरदोसेण दसियं आहार वा पाणं वा भेसज्जं वा परिभजेज्जा सब्वत्थ पत्तेगं जहाजोगं कमेणं खमणायंचिलादी उवइसेज्जा, छण्हं कारणजायाणमसई भजे अदम. सधर्म सइंगालं मुंजे उवट्ठावणं, संजोइय २ जीहालेहडत्ताए मुंजे आयंबिलखवणं, संते बलवीरियपुरिसयारपरकमे अट्ठमिचउहसीनाणपंचमीपज्जोसवणचाउम्मासिए च उत्थद्वमउद्वे ण करेज्जा खवणं, कप्पं णावियह चउत्थं, कप्पं परिट्ठवेज्जा दुवालसं, पत्तगमत्तगकमढगं वा अग्नयरं वा मंडोवगरणजायं अतिप्पिऊणं ससिणिद्धं वा असिणिद्ध वा अणुल्लेयिं ठवेज्जा चउत्थं, पत्ताधस्स णं गंठीउ ण छोडिज्जाण सोहेज्जा चउत्थं पच्छित्तं, समुद्देसमंडलीउ संघद्वेज्जा आयाम संघट्ट वा, समुदेसमंडलिं छिविऊण दंडापुंछणगं न देज्जा निभविश्यं, समुद्देसमंडली छिविऊणं दंडापुंछणगं च दाऊणं इरियं न पडिक्कमेज्जा निम्विइयं, एवं इरियं पडिक्कमिनु दिवसाबसेसियं ण संवरेज्जा आयाम, गुरुपुरओ ण संवरिज्जा पुरिमड्ढे, अविहीए संवरेज्जा आयंबिलं, संवरित्ताणं चेइयसाहूणं बंदणं ण करेज्जा पुरिमड्ढं, कुसीलस्स बंदणगं दिज्जा अवंदे, एयावसरम्ही उ बहिरभूमीए पाणियकज्जेणं गंतूर्ण जावायामे ताव णं समोगाढेज्जा किंचूणा तइयपोरिसी, तमवि जाव णं इरियं पडिक्कमित्ताणं विहीए गमणागमणं च आलोइऊणं पत्तगमत्तगकमढगाइयं भंडोवगरणं नि| क्खिवह ताव णं अणूणाहिया तइयपोरिसी हवेज्जा, एवं अइक्कंताए तइयपोरिसीए गोयमा! जे णं भिक्खू उवहिं पंडिलाणि विहिणा गुरुपुरओ संदिसावित्ताणं पाणगस्स य संवरेMऊर्ण कालवेलं जाव सज्झायं ण करेज्जा तस्स णं छटुं पायच्छित्तं उबइसेज्जा, एवं च आगयाए कालवेलाए गुरुसंतिय उवहिं थंडिले बंदणपडिक्कमणसज्झायमंडलीओ वसहिं च पञ्चुप्पेहित्तार्ण समाहीए खइरोडगे य संजमिऊणं अत्तणगं उवहिं थंडिल्ले पञ्चुप्पेहित्तु गोयरयरियं पडिक्कमिऊणं कालो गोयरचरियाघोसणं काऊण तओ देवसियाइयारविसोहिनिमित्तं काउस्सग करेज्जा, एएसुं पत्तेगं उट्ठावणं पुरिमड्ढेगासणगोवट्ठावणं जहासंखणं णेयं, एवं काऊणं काउस्सग्गं मुहर्णतगं पचुप्पेहेउं विहीए गुरुणो किइकम्मं काऊणं जंकिंचि कत्था सरुगमपमिईए चिटतेण वा गच्छंतेण वा चलतेण वा भमंतेण वा संभर(म)तेण वा पुढवीदगअगणिमारुयवणस्सइहरियतणबीयपुष्फफलकिसलयपवालंकुरदलबितिचउपथिदियाणं संघट्टणपरियावणकिलावणउहवणं वा कयं हवेज्जा तहा तिण्हं गुत्तादीर्ण चउण्हं कसायाईणं पंचण्डं महायादीणं छहं जीवनिकायादीणं सत्तण्डं पाणपिंडेसणाणं अट्ठण्हं पवयणमायादीणं नवण्हं बंभचेरादीणं दसविहस्स समणधम्मस्स नाणदसणचारित्ताणं च जं खंडियं जं विराहियं तं निदिऊणं गरहिऊणं आलोइऊणं पायच्छित्तं च पडियज्जेऊणं एगमामाणसे सुत्तत्थोभयं धणियं भावेमाणे पडिक्कमणं ण करेज्जा उवट्ठावणं, एवं तु अईसणं गओ सूरिओ, चेइएहि अवंदिएहिं पडिक्कमेज्जा चउत्थे, एत्थं च अवसरं विनेयं, पडिकमिऊर्ण च विहीए रयणीए पढमजामं अणणगं सज्झायं न करेज्जा दुवालसं, पढमपोरिसीए अणइक्कंताए संथारगं संदिसावेज्जा छठं, असंदिसाविएणं संधारगेणं संथारज्जा चउर्थ, अपचुप्पेहिए थंडिले संधारेइ दुवालसं, अविहीए संथारेजा चउत्थं, उत्तरपट्टगेणं विणा संथारेइ चउत्थं, दोउडं संथारेजा चउत्थं, सुसिरं सणप्पयादी संथारेज्जा सयं आयंबिलाणं, सवस्स समणसंघस्स साहम्मिया(णमसाहम्मिया)णं च सनस्सेव जीवरासिस्स सञ्चभावभाववरहिणं तिविहंतिविहेणं खामणमारिसावणं अकाऊणं चेइएहिं तु अवदिएहिं गुरुपामूलं च उवहिदेहस्सासणादाणंच सागारेणं पञ्चक्खाणेणं अकएणं कन्नविवरेसुंच कप्पासरूवेणं तुट्ट(अट्ट)इएहिं संथारम्ही ठाएज्जा, एएसुं पत्तेगं उवट्ठावणं, संथारगम्ही ठाऊणमिमस्स णं धम्मसरीरस्स गुरुपारंपरिएणं समबलदेहि तु इमेहिं परममंतकखरेहिं दससुवि दिसासु अहिहरिबुट्ठपंतवाणमंतरपिसायादीणं रक्षण करेजा उवट्ठावर्ण, दसमुचि दिसासु रक्खं काऊण दुवालसहि भावणाहिं अभावियाहिं सोविजा पणुवीसं आयंबिलाणि, एक निई मोऊणं पडिबुद्धे ईरियं पडिकमेत्ताणं पडिकमणकालं जाव सज्झायं न करेजा दुवालसं, पसुत्ते दुसुमिण वा कुसुमिणं वा उम्गहेज्जा सएण ऊसासाणं काउस्सर्ग, रयणीए डीएज वा खासेज वा फलहगपीढगदंडगेण वा खुटुक्कगं पउरिया खमणं, दिया या राओ वा हासखेड्डकंदप्पणाहवायं करेजा उवट्ठावणं, एवं जे णं भिक्खू सुत्ताइक्कमेणं कालाइक्कमेणं आवासगं कुत्रीया तस्स णं कारणिगस्त मिच्छुकडं गोयमा ! पायच्छित्तं उवइसेजा, जे य णं अकारणिगे तेसि तु णं जहाजोगं चउत्थाइ उवएसे, जे णं भिक्खू सद्दे करेज्जा सद्दे उवइसेजा सद्दे गाढागाढसद्दे य सवत्य पइपयं पत्तेयं सवपएसुं संबज्मावेय, एवं जे णं भिक्खू आउकार्य वा तेउकार्य वा इत्थीसरीरावयवं वा संघद्देजा नो णं परिभुजेजा से णं तस्स पणुवीस आयंषिलाणि उवइसेजा, जे उण परिभुजेजा से णं दुरंतपंतलक्खणे अदहधे महापावकम्मे पारंचिए, अहाणं महातवस्सी हवेजा सत्तरि मासखमणाणं सयरिं अदमासखमणाणं सरि दुवालसाणं सयरिं दसमार्ण सरि अट्ठमाणं सयरिं छहाणं सयरिं चउत्थाणं सरि आयंबिलाणं सरि एग११६२ महानिशीथच्छेदसूत्रं arror-3 मुनि दीपरत्नसागर 30- 4 51 -24 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ट्ठाणार्ण सरि सुद्धायामेगासणाणं सर निविगइयाणं जाव णं अणुलोमपडिलोमेणं निहिसेज्जा, एयं च पायच्छित्तं जे य णं भिक्खू अविस्संतो समणुढेजा से णं आसण्णपुरक्खडे नेये। दासे भयवं! इणमो सयर सरि अणुलोमपडिलोमेणं केवइयंकालंजाव समणुहिहिह?, गोयमा! जाच णं आयारमगं वा(ठा)एज्जा, भयवं! उड्ढे पुच्छा, गोयमा! उइदं केई समणुढेज्जा केई णो समणुढेज्जा, जेणं समणुढेज्जा से णं वंदे से णं पुज्जे से णं दवे से णं सुपसत्थसुमंगले सुगहीयणामधेज्जे तिण्हंपि लोगाणं वंदणिज्जेत्ति, जे णं तु णो समणुढे से णं पाये से णं महापावे से णं महापावपावे से णं दुरंतपंतलक्षणे जाव णं अदद्ववेत्ति।९। जया णं गोयमा! इणमो पच्छित्तसुतं योच्छिजिहिइ तया णं चंदाइचगहरिक्खतारगार्ण सत्त अहोरते तेयं णो विफुरेजा।१०। इमस्स णं वोच्छेदे गोयमा ! कसिणसंजमस्स अभावो, जओणं सवपावपणिट्ठवगे चेय पच्छित्ते, सवस्स णं तवसंजमाणुट्ठाणस्स पहाणमंगे पर मविसोहीपए, पवयणस्सावि णं णवणीयसारभूए पन्नत्ते।११। इणमो सवमवि पायच्छित्ते गोयमा! जावइयं एगत्य संपिडियं हवेज्जा तावइयं चेव एगस्स णं गच्छाहिवइणो मयहरलपवत्तणीए य चउगुण उवइसेज्जा, जओ णं सबमविएएसि पयंसियं हवेजा, अहा णमिमे चेव पमायं संगच्छेजा तओ अन्नेसिं संते धीबलवीरिय(ए)सुठुतरागमभुजम ह(हा)वेज्जा, अहा णं किंचि सुमहंतमवि तओऽणुट्ठाणमब्भुज्जमेज्जा ता णं न तारिसाए धम्मसद्धाए, किंतु मंदुच्छाहे समणुढेज्जा, भग्गपरिणामरस य निरत्यगमेव कायकेसे, जम्हा एयं तम्हा उ | अचिंताणतनिरणुबंधिपुन्नपब्भारेणं संभु(जु)ज्जमाणेवि साहुणो न संजुजंति, एवं च सबमविगच्छाहिवइयादीणं दोसेणेव पवत्तेज्जा, एएणं पवुच्चइ गोयमा! जहा णं गच्छाहिवइयाईणं - इणमो सबमवि पच्छित्तं जावइयं एगत्थ संपिडियं हवेजा तावइयं चेव चउम्गुणं उवइसेजा । १२ । से भयवं ! जे णं गणी अप्पमादी भवेत्ताणं सुयाणुसारेणं जहुत्तविहाणेहिं चेव सययं अग्निसं गच्छं न सारवेजा तस्स किं पायच्छित्तमुबइसिजा?, गोयमा! अप्पउत्ती पारंचियं उवइसेजा, से भयवं! जस्स उण गणिणो सवपमायालंबणविप्पमुक्कस्सावि र्ण सुयाणुसारेणं जहुत्तविहाणेहिं चेव सययं अहन्निसं गच्छं सारवेमाणस्स उ केई तहाविहे दुट्ठसीले न सम्मग्गं समायरेजा तस्सवि किं पच्छित्तमुवइसेज्जा?, गोयमा ! उवइसेज्जा, से भयवं! केणं अटेणं ?, गोयमा ! जओ णं तेणं अपरिक्खियगुणदोसे निक्समाविए हवेज्जा एएणं, से भयवं! किं तं पायच्छित्तमुवइसेज्जा?, गोयमा! जेणं एवंगुणकलिए गणी से णं जया एवंविहं पावसीलं गच्छं तिविहंतिविहेणं वोसिरित्ताणं आयहियं नो समणुढेजा तया णं संघवझे उवइसेज्जा, से भयवं! जया णं गणिणा गच्छे तिविहेणं बोसिरिए हवेज्जा तया ण ते गच्छे आदरेजा?, जइ संविग्गे भवेत्ताणं जहुत्तं पच्छित्तमणुचरेत्ता अन्नस्स गच्छाहिवइणो उवसंपजित्ताणं सम्मग्गमणुसरेजा तओ णं आयरेजा, अहा णं सच्छंदत्ताए तहेव वि समणसंघस्स बझं तं गच्छंणो आयरेजा।१३।से भय! जयाणं से सीसे जहत्तसंजमकिरियाए वद्दति तहाविहे य केई कगरूतेसिं दिक्ख परवेज्जा तया णं सीसा कि समणुढेज्जा ?. गोयमा ! घोरवीरतवसंजमं, से भयवं कहं ?, गोयमा ! अनगच्छे पविसेत्ताणं, तस्स संतिएणं सिरिगारेणं अलिहिए समाणे अन्नगच्छेसु पवेसमेव ण लभेजा तया णं किं कुविज्जा ?, गोयमा! सवपयारेहिं णं तं तस्स संतियं सिरियारं फुसावेज्जा, से भयव ! केण पयारेणं तं तस्स संतियं सिरियारं सापयारेहिं णं कुसियं हवेजा ?, गोयमा! अक्सरेसुं, से भय ! किं णामे ते अक्खरे ?, गोयमा! जहाणं अपडिगाहे कालकालंतरेसुंपि अहं इमस्स सीसाणं वा सीसणीगाणं वा, से भयवं! जया णं एवंविहे अक्षरे ण पयादी?, गोंयमा ! जया णं एवंविहे अक्खरे ण पयादी तया णं आसनपावयणीणं पकहिताणं चउत्थादीहिं समक्कमित्ताणं अक्खरे दावेजा, से भयवं! जया णं एएणं पयारेणं से णं कुगुरू अक्खरे ण पदेजा तयाणं किं कुज्जा?, गोयमा! जया णं एएणं पयारेणं से णं कुगुरू अक्खरे नो पयच्छे तयाणं संघबज्झे उवइसेज्जा, से भयवं ! केर्ण अद्वेणं एवं बुचइ ?, गोयमा ! मुटु पयट्टे इणमो महामोहपासे गेहपासे तमेव विप्पजहिताणं अणेगसारीरिंगमणोसमुत्थचउगइसंसारदुक्खभयभीए कहकहवि मोहमिच्छतादीणं खओवसमेणं सम्मम्गं समोवलभित्ताणं निविनकामभोगे निरणुबंधं पुन्नमहिने, तं च तवसंजमाणुट्टाणेणं, तस्सेव तवसंजमकिरियाए जावणं गुरू सयमेव विग्धं पयरे अहाणं परेहि कारवे कीरमाणे वा समणवेक्खे सपक्खेण वा परपक्खेण वा ताव णं तस्स महाणुभागस्स साहुणो संतियं विजमाणमवि धम्मवीरियं पणस्से जाव णं धम्मवीरियं पणस्से ताव णं जे पुनभागे आसन्नपुरक्खडे चेव सो पणस्से, जइणं णो समणलिंग विप्पजहे ताहे जे एवंगुणोववए से णं तं गच्छमुज्झिय अन्नं गच्छं समुप्पयाइ, तत्वविजावणं संपवेसं ण लभेतावणं कयाइ उण अविहीए पाणे पयहेजा कयाइ उण मिच्छत्तभावं गच्छिय परपासंडियमासएजा कयाइ उण दाराइसंगहं काऊणं अगारवासे पविसेजा अहा णं से ताहे महातवस्सी भवेत्ताणं पुणो अतबस्सी होऊणं परकम्मकरे हवेजा जावणं एयाइं न हवंति तावणं एगतेणं वुइिंढ गच्छे मिच्छत्ततमे जाव णं मिच्छत्ततमधीकए बहुजणनिवहे दुक्खेणं समणुढेला दुग्गइनिवारए सोक्खपरंपरकारए अहिंसालक्खणसमणधम्मे, जाव णं एयाइं भवंति ताव णं तित्थस्सेय वोच्छित्ती, ताव णं सुदूरखवहिए परमपए, जाव णं सुदूरखवहिए परमपए ताव र्ण अचंतसुवुक्खिए चेव भवस. 2 ११६३ महानिशीथच्छेदमूत्रं, servis मुनि दीपरत्नसागर Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्तसंघाए पुणो चउगईए संसरेजा, एएणं अट्टेणं एवं वुचइ गोयमा ! जहा णं जे णं एएणेव पयारेणं कुगुरू अक्खरे णो पएजा से णं संघवज्झे उवइसेजा।१४। से भयब ! केवइएणं कालेणं पहे कुगुरू भविहिंति , गोयमा ! इओ य अद्धतेरसहं वाससयाणं साइरेगाणं समइकताणं परओ भविंसु, से भयवं! केणं अद्वेणं ?, गोयमा ! तकालं इड्ढीरससायगारवसंगए ममीकारअहंकारम्गीए अंतो संपन्जलंतवोंदी अहमहंतिकयमाणसे अमुणियसमयसम्भावे गणी भविंसु, एएणं अट्टेणं, से भयवं! किणं सोऽवी एवंविहे तत्कालं गणी भवींसु ?, गोयमा ! एगंतेणं नो सो, केई पुण दुरंतपंतलक्खणे अदट्ठने एगाए जणणीए जमगसमग पसूए निम्मेरे पावसीले दुज्जायजम्मे सुरोदपयंडाभिग्गहियदूरमहामिच्छट्ठिी भविंसु, से भयबं! कहं ते समुवलक्खेजा, गोयमा ! उस्सुत्तउम्मग्गपवत्तणुदिसणअणुमइपच्चएण ।१५। से भयवं! जे णं गणी किंचियावस्सगं पमाएजा?, गोयमा ! जे णं गणी अकारणिगे किंची खणमेगमवि पमाए से णं अवंदे उवइसेजा, जे णं तु सुमहाकारणिगेवि संते गणी खणमेगमवी ण किंचि णिययावस्सगं पमाए से णं वंदे पूए दधे जाव णं सिद्ध बुद्धे पारगए खीणट्ठकम्ममले नीरए उवइसेजा, सेसं तु महया पबंधेणं सत्थाणे चेव भाणिहिइ।१६। एवं पच्छित्तविहि, सोऊण णाणुचिट्ठती। अदीणमणो, जुजइ य जहथाम, जे से आराहगेभणिए॥२०॥ जलजलणदुट्ठसावयचोरनरिंदाहिजोगिणीण भए। तह भूयजक्खरक्खसखुद्दपिसायाण मारीणं॥२१॥ कलिकलहविग्घरोगकंताराडइसमुहममे या दुचिंतिय अवसउणे संभरिया वट्टइ इमा विजा ॥२२॥ पूअसूएइजण्आमदेण्उअन्णज्माणइउम्मएदइम्तइवइकमउण्आइएहुइमपाण्आगउहहअण्हच उइहम्महमुउअण्उम्वइदएउआणअमचउण्हमदमसुख अलअमघएहपइसस्अम्चाउ(प्रत्यंतरे प्आएहजन्म इन् उजमनझन्हउममएहइम्तइव्इकम्उन्आहइएहइम्पधान आगओहहअरपहरउचउदुइममहसउउअणउमथइदएओअअम्तउएहमइम्बधस्इखकअउल्अमथएहवइसम्अम्तउ)एयाए पवरविजाए विहीए अत्ताणगं समहिमंतिऊणं इमेए सत्तक्खरे उत्तमंगोभयखंधकुच्छीचलणतलेसु संणिसेजा तंजहा अउम् उत्तमंगे क्उ वामखंधगीवाए वामकुच्छीए क्उ बामचलणयले लए दाहिणचलणयले स्वआ दाहिणकुच्छीए हुआ दाहिणखंधगीवाए।१७॥ दुसुमिणदुनिमित्ते गहपीडुवसम्गमारिरिट्ठभए। वासासणिविज्जूए वायारिमहाजणविरोहे ॥२शाजं चऽस्थि भयं लोगे, तसव्वं निहले इमाए विजाए। सत्यपहे (सट्ठ(झ)झण्हे मंगलयरे पावहरे सयलवरऽक्खयसो. खदाई काउमिमे) पच्छित्ते, जइ णं तुण तब्भवे सिज्झे ॥२४॥ ता लहिऊण विमाणं (गयं) सुकुलुप्पत्तिं दुयं च पुण बोहिं । सोक्खपरंपरएणं सिझे कम्मट्ठबंधरयमलविमुके ॥२५॥ गोयमोत्ति बेमि। से भयवं! किं प(ए)याणुमेत्तमेव पच्छित्तविहाणं जेणेवमाइस्से ?, गोयमा ! एयं सामनेणं दुवालसण्ह कालमासाणं पइदिणमहन्निसाणुसमयं पाणोवरमं जाय सबालबुड्ढसेहमयहररायणियमाईणं, तहा य अपडियायमहोऽवहिमणपज्जवनाणीउ छउमत्थतित्थयराणं एगंतेणं अब्भुट्ठाणारिहावस्सगसंबंधियं चेव सामनेणं पच्छित्तं समाइठं, नो णं एयाणुमेत्तमेव पच्छित्तं, से भयवं! किं अपडियायमहोऽवहीमणपज्जवनाणी छउमत्थवीयरागे सयलावस्सगे समणुट्ठीया ?, गोयमा! समणुट्ठीया, न केवलं समणुट्ठीया जमगसमगमे. बाणवरयमणुट्ठीया, से भयवं! कह ?, गोयमा ! अचिंतबलबीरियबुद्धिनाणाइसयसत्तीसामत्येणं, से भयवं! केणं अठेणं ते समणुट्ठीया?, गोयमा! मा णं उस्सुत्नुम्मम्गपवत्तणं में भवउत्तिकाऊणं । १८। से भयवं! किं तं सविसेसं पायच्छित्तं जाव णं वयासी ?, गोयमा! वासारत्तियं पंथगामियं वसहिपारिभोगियं गच्छायारमइकमणं संघायारमइकमणं गुत्तीभे. यपयरणं सत्तमंडलीधम्माइकमणं अगीयस्थगच्छपयाणजायं कुसीलसंभोगजं अविहीए पवज्जादाणोवट्ठावणाजायं अउम्गस्स सुत्तत्योभयपण्णवणजायं अणाणयणिक्कऽक्खरवि. यरणाजायं देवसियं राइयं पक्खियं मासियं चउमासिय संवच्छरियं एहियं पारलोइयं मूलगुणविराहणं उत्तरगुणविराहणं आभोगाणाभोगय आउहिपमायदपकप्पियं बयसमणधम्मसंजमतवनियमकसायदंडगुत्तीयं मयभयगारखइंदियज बसणाइकरोहट्टज्झाणरागदोसमोहमिच्छत्तदुडकूरज्झवसायसमुत्थं ममत्तमुच्छापरिग्गहारंभ असमिइत्तपट्ठीमंसामित्तध रायसतावुधेवगासमाहाणुप्पढ्यर्ग संखाइया आसायणा अजयरासायणय पाणवहसमुत्थं मुसावायसमुत्थं अदत्तादाणगहणसमुत्थं मेहुणसेवणासमुत्थं परिग्गहकरणसमुत्थं राइभोयणसमुत्थं माणसियं वाइयं काइयं असंजमकरणकारखणअणुमइसमुत्थं जाव णं णाणदंसणचारित्नाइयारसमुत्थं, किं बहुणा?. जावइयाई तिगालचिइवंदणादओ पायच्छित्तटूठाणाई पन्नत्ताई नावइयं च पुणो विसेसेण गोयमा! असंखेयहा पन्नविज्जति (अओ) एवं संधारेजा जहा णं गोयमा ! पायच्छित्तसुत्तस्स णं संखेजाओ निज्जुत्तीओ संखेजाओ संगहणीओ संखिज्जाई अणुओगदाराई संखेजे अक्खरे अणते पनवे जाव णं देसिज्जति उवदंसिजति आपविज्जति पन्नविनंति परूविजति कालाभिग्गहत्ताए दवाभिम्गहत्ताए खेत्ताभिग्गहत्ताए भावाभिग्गहत्ताए जाव णं आणुपुत्रीए अणाणुपुवीए जहाजोर्ग गुणठाणेसुंति बेमि । १९ । से भयब ! एरिसे पच्छित्तबाहुले से भयर्थ ! एरिसे पच्छित्तसंघट्टे से भय ! एरिसे पच्छित्तसंगहणे अस्थि केई जे णं आलोइत्ताणं निंदित्तार्ण गरहित्ताणं जाव णं अहारिहं तबोकम्मं पायच्छित्तमणुचरित्ताण सामनमाराहेज्जा पवयणमाराहिजा जाय णं आयहियट्ठयाए उपसंपजित्तार्ण सकज्ज तम8 आराहेजा?, गोयमा ! णं चउविहं आलोयणं विंदा, तंजहा-नामालोयणं ठवणालोयणं दबालोयणं भावालोयर्ण, एते चउरोऽवि (२९१) ११६४ महानिशीथच्छेदसूत्र, अन्य मुनि दीपरत्नसागर Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पए अणेगहावि चउधा जोइज्जति, तत्थ ताव समासेण णामालोयणं नाममेत्तेणं, ठवणालोयणं पोत्थयाइसुमालिहियं, दवालोयणं नाम जं आलोएत्ताणं असढभावत्ताए जहोबइई पायच्छित्तं नाणुचिट्टे, एते तओऽविपए एगतेणं गोयमा! अपसत्थे, जे णं से क्उत्थं भावालोयणं नाम ते णं तु गोयमा ! आलोएत्ताणं निंदित्ताणं गरहित्ताणं पायच्छित्तमणुचरित्ताणं जावणं आयहियट्ठाए उवसंपजित्ताणं सकजुत्तमम8 आराहेजा, से भयवं! कयरेणं से चउत्थे पए?, गोयमा ! भावालोयणं, से भयवं! किंतं भावालोयणं ?, गोयमा! जे णं भिक्खू एरिसे संवेगवेरगगए सीलतवदाणभावणचउखंधसुसमणधम्ममाराहणेकंतरसिए मयभयगारवादीहिं अचंतविप्पमुक्के सवभावभावंतरेहिं णं नीसढे आलोइत्ताणं विसोहिपयं पडिगा. हिताणं तहत्ति समणुट्ठीया सबुत्तमं संजमकिरियं समणुपालिज्जा।२०। तंजहा कयाई पावाई ईसाहि. जे हिअट्ठीण बज्झए। तेसिं तित्थयरवयणेहिं. सुद्धी अम्हाण कीरओ ॥६॥ परिचिच्चाणं तयं कम्म, घोरसंसारदुक्खदं। मणोवयकायकिरियाहिं, सीलभारं धरेमिऽहं ॥७॥जह जाणइ सव्वन्नू, केवली तित्थंकरे। आयरिए चारित्तड्ढे, उबझायसुसाहुणो ॥८॥ जह पंच लोयपाले य, सत्ता धम्मे य जाणते। तहाऽऽलोएमिऽहं सवं, तिलमित्तंपि न निषहवं ॥ ९॥ तत्येव जं पायच्छितं, गिरिवरगुरुयपि आवए। तमणुचरेमि दे सुद्धि, जह पाये झत्ति विलिजए॥३०॥ मरिऊणं नरयतिरिएK, कुंभीपाएसु कत्थई। कत्यइ करवत्तजंतेहिं, कत्थइ भिन्नो उ सूलिए ॥१॥ घसणं घोलणं कहिं मि, कत्थइ छेयणभेयणं । बंधणं लंघर्ण कहिमि, कत्थइ दमणमंकणं ॥२॥णत्यणं वाहणं कहिंमि, कत्यइ वहणतालणं । गुरुभारकमणं कहिंचि, कत्थइ जमलारविंधणं ॥३॥ उरपट्ठिअविकडिभंग, परवसो तण्हं छुहं । संता. बुब्वेगदारिद, विसहीहामि पुणोविहं ॥४॥ ता इहई चेव सबंपि, नियदुचरियं जहट्ठियं । आलोइत्ता निंदित्ता गरहित्ता, पायच्छित्तं चरितुणं ॥५॥ निदहामि पावयं कम्म, झत्ति संसारदुक्खयं । अब्भुदिठत्ता तवं घोरं, धीरवीरपरकम ॥ ६॥ अचंतकडयडं करूँ, दुक्करं दुरणुचरं। उग्गुग्गयरं जिणाभिहियं, सयलकल्लाणकारणं ॥७॥ पायच्छित्तनिमित्तेणं, पारसं. थारकारयं । आयरेणं तवं चरिमो, जेणुभं सोक्खई नj॥८॥ कसाए विहलीकट्टुं, इंदिए पंच निग्गह। मणोबईकायदंडाणं, निग्गहं धणियमारभे ॥९॥ आसवदारे निरुभेत्ता, चत्तमयमच्छरअमरिसो । गयरागदोसमोहोऽहं, नीसंगो निप्परिग्गहो॥४०॥ निम्ममो निरहंकारो, सरीरअचंतनिप्पिहो । महत्वयाई पालेमि, निरइयाराई निच्छिओ॥१॥ हरी धी हा अहमोऽहं. पावो पावमती अहं । पाविदठो पावकम्मोऽहं पावाहमामयरोऽहं ॥२॥ कुसीलो भट्ठचारित्ती, भिलसूणोवमो अहं। चिलातो निक्किचो पाची, कूरकम्मीह निग्घिणो ॥३॥ इणमो दुभंलभिउं, सामनं नाणदंसणं । चारित्तं वा बिराहेत्ता, अणालोइयनिदियागरहियअकयपच्छित्तो, बावजतो जई अहं ॥ ४॥ ता निच्छयं अणुत्तरे, घोरे संसारसागरे। निबइडो भवकोडीहिं. समुत्तरंतो ण वा पुणो ॥५॥ ताजा जरा ण पीडेड, वाही जावन केई मे। जाबिंदिया न हायंति, नाव धम्मे चरेत्तऽहं ॥६॥ निदहमहरण पावाद, निंदिउं गरहिउँ चिरं । पायचित्तं चरित्नाणं, निकलंको भवामिऽहं ॥ ७॥ निकलुस निक्कलंकाणं, सुद्धभावाण गोयमा ! । तमो नटुं जयं गहियं, सुदूरमवि परिवलिनुणं ॥ ८॥ एवमालोयणं दाउं. पायच्छित्तं चरित्तण । कलसकम्ममलमर्क. जर णो सिज्झिज तक्खणं ॥९॥ता वए देवलोगंमि, निचजोए सर्यपहे। देवदर्द हिनिग्धोसे, अच्छरासयसंकले ॥५०॥ तओ चया इहागंतु, सुकुलुप्पत्तिं लभेत्तुणं । निश्विनकामभोगा य, तवं काउंमया पुणो॥१॥ अणुत्तरविमाणेसुं, निवसिऊणेहमागया। हवंति धम्मतित्थयरा, सयलतेलोकबंधवा ॥२॥ एस गोयम ! विनेये, सुपसत्थे चउत्थे पए। भावालोयणं नाम, अक्खयसिवसोक्खदायगो ॥३॥त्ति बेमि, से भयवं! एरिसं पप्प, विसोहिं उत्तमं वरं । जे पमाया पुणो असई, कत्थइ चुक्के खलिज वा ॥४॥ तम्स किं भवे सोहिपयं, सुविसुद्धं चेव लक्खिए। उयाहुणो समुलिखे ?, संसयमेयं वियागरे ॥५॥ गोयमा ! निदिउँ गरहिउ सुइरं, पायच्छित्तं चरित्तुणं । निक्खारियवत्यमिवाएण खंपणं जो न रखए ॥६॥ सो सुरहिगंधुभिषणगंधोदयविमलनिम्मलपवित्ते । मज्जिअ खीरसमुद्दे, असुईगड्डाए जइ पडइ ॥ ७॥ एता पुण तस्स सामग्गी, (सबकम्मक्खयंकरा)। अह होज देवजोग्गा, असुईगंधं सु दुदरिसं ॥८॥ एवं कयपच्छित्ते, जे णं छजीवकायवयनियमं । दसणनाणचरितं, सीलंगे वा भयंगे वा ॥९॥ कोहेण व माणेण व, मायालोभे कसायदोसेणं । रागेण पओसेण व, (अन्नाण) मोहमिच्छत्तहासेणं (वावि)॥६०॥ (भएणं कंदप्पदप्पण) एएहि य अन्नेहि य गारवमालंबणेहिं जो खंडे। सो सबढवि. माणे, पत्ने अत्ताणगं निरए ॥१॥(खिचे से भयवं ! किं आया संरक्खेयवो उयाहु छज्जीवनिकायमाइसंजमे संरक्खेयो ?, गोयमा! जे णं छक्कायसंजमं रक्खे से णं अणंतदुक्खपयायगाउ दोग्गइगमणाउ अत्ता संरक्खे, तम्हा छकायाइसंजममेव रक्खेय होइ । २१ । से भय ! केवतिए असंजमट्ठाणे पन्नते?, गोयमा! अणेगे असंजमट्ठाणे पन्नत्ते, जाव णं कायासं. जमट्ठाणा, से भयवं! कयरे णं से कायासंजमट्ठाणे ?, गोयमा! कायासंजमट्ठाणे अणेगहा पन्नत्ता, तंजहा-'पुढविदगागणिवाऊवणप्फई तह तसाण विविहाण। हत्थेणवि फरिसणया बजेजा जावजीवंपि ॥२॥ सीउण्हखारखत्ते अग्गीलोणूस अंबिले णेहे। पुढवादीण परोप्पर खयंकरे वजझसत्येए ॥३॥ हाणुम्मद्दणसोभणहत्थंगुलिअक्खिसोयकरणेणं। आवीयते ११६५ महानिशीपच्छेदसूत्रं, मजनम-9 मुनि दीपरत्नसागर Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणते आऊजीवे खयं जंति॥४॥ संधुकणजलणुज्जालणेण उज्जोयकरणमादीहिं। वीयणफूमणउन्भावणेहि सिहिजीवसंघायं ॥५॥ जाइ खयं अनेऽविय छज्जीवनिकायमइगए जीवे। जलणो सुदुइओविहु संभक्खइ दसदिसाणं च ॥६॥वीयणगतालियंटयचामरउक्खेवहत्थतालेहिं । धावणडेवणलंघणऊसासाईहिं बाऊणं ॥७॥ अंकूरकुहरकिसलयपवालपुष्फफलकं. दलाईणं। हत्थफरिसेण बहवे जति खयं वणफई जीवे ॥८॥गमणागमणनिसीयणसुयणुट्ठाणअणुषउत्तयपमत्तो । वियलिंति बितिचउपंचेंदियाण गोयम ! खयं नियमा॥९॥ पाणाइ. | वायविरई सिवफलया गिहिऊण ता धीमं । मरणावयंमि पत्ते मरेज विरई न खंडेजा ॥७०॥ अलियबयणस्स विरई सावज सचमविन भासिज्जा। परदवहरणविरई करेज दिन्नेवि मा लोभं ॥१॥ धरणं दुदरखंभत्रयस्स काउं परिग्गहचायं । राईभोयणविरई पंचिंदियनिग्गहं विहिणा ॥२॥ अन्ने य कोहमाणा रागहोसे य (आ) लोयणं दाऊं। ममकारअहंकारे पयहियो पयतेणं ॥३॥ जह तवसंजमसज्झायझाणमाईसु सुखभावहिं। उज्जमियवं गोयम ! विजुलयाचंचले जीवे ॥४॥ किं बहुणा ? गोयमा ! एत्थं, दाऊणं आलोयणं । पुढविकायं विराहेजा, कत्थ गंतुं स सुज्झिही ? ॥५॥ किं बहुणा गोयमा ! एत्यं, दारुणं आलोयणं । बाहिरपाणं तहिं जम्मे, जे पिएकत्थ सुझिही ? ॥६॥ किं०। उण्हवइ जालाई जाओ, फुसिओ वा कत्थ सुज्झिही? ॥७॥ किं । वाउकार्य उदीरेजा, कत्थ गंतूण सुज्झिही? ॥८॥ किं०। जो हरियतणं पुष्पं वा, फरिसे कत्थ स सुज्झिही? ॥९॥किं० । अकमई बीयकायं जो, कत्थ गंतुं स सुज्झिही? |८०॥ किं० । वियलेंदी (बितिचउ) पंचिंदिय परियावे, जो कत्थ स सुज्झिहि ? ॥१॥ किं० । छकाए जो न रक्खेज्जा, सुहुमे कत्थ स सुज्झिही? ॥२॥किं बहुणा गोयमा! एत्थं, दाऊणं आलोयणं । तसथावर जो न रक्खे, कत्थ गंतुं स सुज्झिही?॥३॥ आलोइयनिंदियगरहिओवि कयपायच्छित्तणीसलो। उत्तमठाणमि ठिओ पुढवारंभ परिहरिजा ॥४॥ आलोइ०। उत्तमठाणंमि ठिओ, जोईए मा फुसावेज्जा ॥५॥ आलोइ० संविम्गो। उत्तमठाणमि ठिओ, मा वियावेज अत्ताणं ॥६॥ आलोइ० संविग्गो। छिपि तणं हरियं, असई मणर्ग मा फरिसे ॥७॥ आलोइय० संविम्गो। उत्तमठाणमि ठिओ, जावजीवंपि एतेसिं ॥८॥ दियतेंदियचउरोपंचिंदियाण जीवाणं । संघट्टणपरियावणकिलावणोदवण मा कासी ॥९॥ आलोइ० संविग्गो। उत्तमठाणंमि ठिओ, सावज मा भणिज्जासु ॥९०॥ आलोइय० संविग्गो। लोयत्थे णवि भूई गहिया गिहिउक्खिविउ दिना ॥१॥ आलोइ० नीसल्लो । जे इत्थी संलविजा, गोयम ! कत्थ स सुज्झिही? ॥२॥ आलोइय० संविम्गो। चोदसधम्मुवगरणे, उड्ढं मा परिगहं कुज्जा॥३॥ तेसिपि निम्ममत्तो अमुच्छिओ अगड्डिओ दढं हविया। अह कुजा उ ममत्तं ता सुद्धी गोयमा! नत्थि॥४॥ किं बहुणा? गोयमा! एत्थं,दाऊणं आलोयणं । रयणीए आविए पाणं, कत्थ गंतं स सज्झिही॥५॥ आलोइयनिदियगरहिओवि कयपायच्छित्तनीसलो। छाइकमे ण रक्खे जो, कत्व सलिमेज सो॥६॥ अपसत्थे य जे भावे. परिणामे य दारुणे। पाणाडया ॥७॥ तिवरागा य जा भासा, निठुरखरफरुसकक्कसा । मुसावायरस वेरमणे, एस बीए अइकमे ॥८॥ उबग्गह अजाइत्ता, अचियत्तमि उवम्गहे। अइक्कमे ॥९॥ सद्दा रूचा रसा गंधा, फासाणं पवियारणे। मेहुणस्स बेरमणे, एस च उत्थे अइक्कमे॥१००। इच्छा मुच्छा य गेही य, कंखा लोभे य दारुणे। परिग्गहस्स वेरमणे, पंचमगेसाइकमे ॥१॥ अइमत्ताहार होइत्ता, सूरक्खित्तमि संकिरे। राईभोयणस्स बेरमणे, एस छढे अइक्कमे ॥२॥ आलोइयनिंदियगरहिओवि कयपायच्छित्तणीसाड़ो। जयणं अयाणमाणो, भवसंसारं भमे जहा सुसढो॥१०३॥ भयवं! को उण सो सुसढो? कयरा वा सा जयणा? जमजाणमाणस्स णं तस्स आलोइयनिंदियगरहिओ(यस्सा)वि कयपायच्छित्तस्सावि संसारं णो विणिट्ठियंति?, गोयमा! जयणा णाम अट्ठारसण्हं सीलंगसहस्साणं सत्तरसविहस्स णं संजमस्स चोदसण्हं भूयगामाणं तेरसई किरियाठाणाणं सबज्झभंतरस्स णं दुवालसविहस्स तवोऽणुढाणस्स दुवालसण्हं भिक्युपडिमार्ण दसविहस्स णं समणधम्मस्स णवण्हं चेव भगुत्तीणं अट्ठण्हं तु पवयणमाईणं सत्तण्हं चेव पाणपिंडेसणाणं छण्हं तु जीवनिकायाणं पंचण्हंतु | महवयाणं तिण्हं तु चेव गुत्तीर्ण जाव णं तिण्हमेव सम्मइंसणनाणचरित्ताणं भिक्खू कतारम्भिक्खायंकाईसुणं सुमहासमुप्पन्नेसु अंतोमुहुत्तायसेसकंठगयपाणेसुंपिणं मणसावि उ खंडणं विराहणं ण करेजा ण कारवेजा ण समणुजाणेज्जा जाव णं नारभेजा न समारंभेजा जावजीवाएत्ति, से णं जयणाए भत्ते से णं जयणाय धुवे से णं जयणाए व दक्खे से णं जयणाए वियाणएत्ति, गोयमा ! सुसढस्स उण महती संकहा परमविम्हयजणणी या२२॥चुलिया पढमा एगंतनिजरा, चू०१ अ०७॥से भययं ! केणं अटेणं एवं वुचइ, तेणं कालेणं तेणं समएणं सुसढनामधेजे अणगारेह भूयवं, तेणं च एगेगस्सणं पक्खस्संतो पभूयहाणियाओ आलोयणाओ विदिन्नाओ सुमहंताई चअचंतधोरसुदुकराई पायच्छित्ताईसमणुचिन्नाई तहावि तेणं वरएणं विसोहिपयं न समुवलदंति, एतेणं अतुणं एवं बुच्चइ, से भयवं! केरिसा उणं तस्स सुसढस्स वत्तवया ?, गोयमा! अस्थि इह चेव भारहे वासे अवंतीणाम जणवओ, तत्थ य संबुके नाम खेडगे, तम्मि य जम्मदरिदे निम्मेरे निकिये किविणे णिराणुकंपे अइकूरे निकलुणे नित्तिसे रोदे चंडरोहपयंडदंडे पावे अभिग्गहियमिच्छादिट्ठी अणुचरियनामधेजे 15 ११६६ महानिशीथच्छेदसूत्रं, असं0- मुनि दीपरत्नसागर 4444th 2 TOP- Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ P4 ********************** सुजसिवे नाम घिजाइ अहेसि, तस्स य धूया सुज्जसिरी, सा य परितुलियसयलतिहुयणनरनारीगणा लावन्नकतिदित्तिरूवसोहम्गाइसएणं अणोचमा अत्तग्गा, तीए अन्नभवंतरंमि इणमो हियएण दुश्चिंतियं अहेसि, जहा णं-सोहणं हवेजा जइणं इमस्स बालगस्स माया वावजे तओ मज्झ असवकं भवे, एसो य बालगो दुजीविओ भवइ ताहे मज्झ सुयस्स रायलच्छी परिणमेजति, तक्कम्मदोसेणं तु जायमेत्ताए चेव पंचत्तमुवगया जणणी, तओ गोयमा ! तेणं सुजसिवेणं महया किलेसेणं छंदमाराहमाणेणं बहूर्ण अहिणवपसूयजुबतीण घरा. घरि धन्नं पाऊणं जीवाविया सा बालिया, अहन्नया जावणं बालभावमुत्तिन्ना सा सुजसिरी ताच णं आगयं अमायापुतं महारोवं दुवालससंवच्छरियं दुरिभक्खंति, जाव णं फेटाफेट्टीए जाउमारदे सयलेवि णं जणसमूहे, अहऽन्नया बहुदिवससुहत्तेणं विसायमुवगएणं तेण चिंतियं जहा किमेयं वावाइऊणं समुदिसामि किंवा णं इमीए पोग्गलं विकिणिऊणं चैव अन्नं किंचिवि वणिमगाउ पडिगाहित्ताणं पाणवित्तिं करेमि, णो णमन्ने केई जीवसंधारणोबाए संपर्य मे हविजत्ति, अहवा हद्धी हा हा ण जुत्तमिणंति, किंतु जीवमाणिं चेव विक्षिणामित्ति चिंतिऊणं विकिया सुजसिरी महारिद्धीजुयस्स चोदसविज्जाठाणपारगस्स णं माणगोविंदस्स गेहे, तओ बहुजणेहिं घिद्धीसहोवहओ तं देसं परिचिच्चाणं गओ अन्नदेसंतरं सुजसिवो, तत्थावि णं पयट्टो सो गोयमा ! इत्येव बिन्नाणे जाव णं अन्नेसि कन्नगाओ अवहरित्तार्ण अवहरित्ताणं अन्नत्थ विकिणिऊण मेलियं सुजसिवेण बहुं दविणजायं, एयावसरंमि उ समहकते साइरेगे अट्ठसंवच्छरे दुभिक्खस्स जाय णं वियलियमसेसविहवं तस्सावि णं गोविंदमाणस्स, तं च वियाणिऊण विसायमुवगएणं चिंतियं गोयमा ! तेणं गोविंदमाहणेणं, जहा णं होही संघारकालं मज्म कुटुंबस्स, नाहं विसीयमाणे बंधवे खणद्धमवि दठूर्ण सकुणोमि, ता किं काय संपयं अम्हेहिंति चिंतयमाणस्सेव आगया गोउलाहिवइणो भज्जा खइयगविकणणत्यं तस्स गेहे जावणं गोविंदस्स भजाए तंदुल्लमलगेणं पडिगाहियाउ चउरो घणविगईमीसखइयगकगोलियाओ, तं च पडिगाहियमेत्तमेव परिभुत्तं डिंभेहि, भणियं च महीयरीए-जहाणं भट्टिदारिगे! पयच्छाहि णं तं अम्हाणं तंदुलमडगं चिरं बट्टे जेणऽम्हे गोउलं वयामो, तओ समाणत्ता गोयमा ! तीए माहणीए सा सुज्जसिरी जहा णं हला! तं जम्हा णरवइणा णिसावयं पहियं पेहियं तत्थ ज तं तंदुलमत्तगं तं मम्माहि लहुं जेणाहमिमीए पयच्छामि, जाव दंढवसिऊणं नीहरिया मंदिर सा सुजसिरी नोवला ते तंदुलमालगं, साहियं च माहणीए, पुणोवि भणियं माहणीए. जहा हला! अमुगं थाममणुद्या अन्नेसिऊणमाणेह, पुणोवि पयट्टा अलिंदगे जाव णं ण पिच्छे ताहे समुट्ठिया सयमेव सा माहणी तं पण, सविम्हियमाणसा णिउणमन्नेसिउँ पयत्ता, जावणं पिच्छे गणिगासहायं पढमस्यं पयरिके ओयणं समाहिसमाणं, तेणावि पडिदळूजणीं आगच्छ णं-जहा चलिया अम्हाणं ओयणं अवहरिउकामा पायमेसा, ता जइ इहासनमागच्छिही तोऽहमेयं वावाइस्सामित्ति चिंतयंतेणं भणिया दुरासन्ना चेव महासहेणं सा माहणी- जहा णं भविदारिगा! जंइ तुम इहयं समागच्छिहिसि तओ मा एवं तं बोल्लिया जहाणं णो परिकहियं, निच्छयं अहयं ते वावाएस्सामि, एवं च अणिट्ठवयणं - सोचाणं वजासणिहया इव धसत्ति मुच्छिऊणं निवडिया धरणिवढे गोयमा ! माहणित्ति, तओ णं तीए महीयरीए परिवालिऊणं किंचि कालक्खणं वुत्ता सा सुज्जसिरी जहा णं हला! कन्नगे ! अम्हा णं चिरं वडे ता भणसु सिग्धं नियजणणि जहा णं एह लहुं पयच्छ तुममम्हाणं तंदुलमालगं अहा णं तंदुलमालगं विप्पणहूँ तओ णं मुग्गमाउगमेव पयच्छसु, ताहे पविट्ठा सा सुजसिरी अलिंदगे जाव णं दतॄणं तमवत्वंतरगयं माहीं महया हाहारवेणं धाहाविउं पयत्ता सा सुजसिरी, तं चायभिऊणं सह परिवग्गेणं धाइओ सो माहणो महीयरी अ, तओ पवणजलेण आसासिऊणं पुट्ठा सा तेहिं जहा भट्टिदारिंगे! किमेयं किमेयंति?, तीए भणियं-जहा णं मामा अत्ताणर्ग दरमएणं दीहेणं खावेह, मा मा विगयजलाए सरियाए उम्भेह, मा मा अरजुएहिं पासेहिं नियंतिए मजा(ज)मोहेणाऽऽणप्पेह, जहा णं किल एस पुत्ते एसा धूया एस णत्तुगे एसा मुण्हा एस जामाउगे एसा णं माया एस णं जणगे एसो भत्ता एस णं इट्टे मिट्टे पिए कंते सुहीयसयणमित्तबंधुपरिवम्गे इहई पचक्खमेवेयं विदिटुं अलियमलिया चेव सा बंधवासा, सकजत्थी व संभयए लोओ, परमत्यओ न केह मुही, | जाव णं सकजं ताव णं माया ताव णं जणगे ताव णं धूया ताव णं जामाउगे ताव णं णत्तुगे ताव णं पुत्ते तावणं सुण्हा ताच णं कंता ताव णं इढे मिट्टे पिए कते सुहीसयणजणमित्तर्व| धुपरिवग्गे, सकजसिद्धीविरहेणं तु ण कस्सई काइ माया न कस्सई केइ जणगे ण कस्सई काइ धूया ण कस्सई केइ जामाउगे ण कस्सई केइ पुत्ते ण कस्सई काइ सुण्हा न कस्सई केइ भत्ता ण कस्सई केइ कंता ण कस्सई केइ इढे मिट्टे पिए कंते मुहीसयणमित्तबंधुपरिवग्गे, जेणं तु पेच्छ पेच्छ मए अणेगोवाइयसउवल साइरेगणवमासकुच्छीएवि धारिऊर्ण च अणेगमिट्ठमहुरउसिणतिक्खमुलमुलियसणिआहारपयाणसिणाणुछट्टणधूयकरणसंवाहण(घण)धन्नपयाणाईहिं णं एमहंतमणुस्सीकए जहा किल अहं पुत्तरजंमि पुन्नपुन्नमणोरहा सुहसुहेणं पणइयणपूरियासा कालं गमीहामि, ता एरिस एवं वइयरंति, एवं च णाऊण मा धवाईसुं करेह खणखमवि अणुंपि पडिबंध, जहाणं हमे मज्म सुए संवृत्तेतहा णं गेहे गेहे जे ४११६७ महानिशीथच्छेदसूत्र, अन्याय मुनि दीपरत्नसागर * Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4kk 44 केइ भए जे केइ वदृति जे केइ भविंसु एए तहा णं एरिसे, सेऽवि बंधुवो केवलं तु सकजलुद्धे चेव घडियामुहुत्तपरिमाणमेव कंचि कालं भएजा वा, ता भो भो जणा! ण किंचि कर्ज एतेणं कारिमबंधुसंताणेणं अर्णतसंसारघोरतुक्खपदायगेणंति, एगो चेव वाहनिसाणुसमयं सययं सुविसुद्धासए भयह धम्म, धम्म धणं मिट्ठे पिए कंते परमत्थही सयणजणमित्त. धुपरिवग्गे, धम्मे य णं दिहिकरे धम्मे यणं पुट्टिकरे धम्मे य णं बलकरे धम्मे यणं उच्छाहकरे धम्मे यणं निम्मलजसकित्तीपसाहगे धम्मे य णं माहप्पजणगे धम्मे यणं सुठ्ठसोस्वप. रंपरदायगे से णं से से आराहणिजे से यणं पोसणिजे से यणं पालणिजे से यर्ण करणिजे से यणं चरणिजे से यणं अणुट्टिने से य णं उवइस्सणिजे से यणं कहणिजे से यणं भणणिज्जे से य पन्नवणिजे से य णं कारवणिजे से यणं धुवे सासये अक्खए अबए सयलसोक्खनिही धम्मे से यणं अलजणिज्जे से य णं अउलवलवीरिएसरियसत्तपरकमसंजुए पवरे वरे इटे पिए कते दइए सयलऽसोक्खदारिदसतावुवेगअयसऽभक्खाणलंमजरामरणाइअसेसमयनिन्नासगे अणण्णसरिसे सहाए तेलोकेकसामिसाले, ता अलं सुहीसयणजणमित्तधगणधणधन्नसुवण्णहिरण्णरयणोहनिहीकोससंचयाइ सकचावविजुलयाडोवचंचलाए सुमिणिंदजालसरिसाए खणदिट्ठनट्ठभंगुराए अधुवाए असासयाए संसारखुढिकारिगाए णिरयावयारहेउभ्याए सोग्गइमग्गविग्घदायगाए अणंतदुक्खपयायगाए रिद्धीए, सुदुल्लहाउ वेलाउ भो धम्मस्स साहणी सम्मदसणनाणचरित्ताराहणी नीकत्ताइसामग्गी अणवस्यमहन्नि: साणुसमएहिं णं खंडाखंडेहिं तु परिसडइ अदढघोरनिठुरासम्भचंडाजरासणिसण्णिवायसंचुण्णिए सयजजरभंडएइव अकिंचिकरे भवइ उ दियहाणुदियहेणं इमे तण, किसलयदलग्गपरिसंठियजलबिंदुभिवाकडे निमिसबभंतरेणेव लहुं टलइ जीविए, अविदत्तत्स परलोगपत्थयणाणं तु निष्फले चेव मणुयजम्मे, ता भोण खमे तणुयतरेवि ईसिपि पमाए, जोणं एत्यं खलु सपकालमेव समसत्तुमित्तभावेहिं भवेयचं, अप्पमत्तेहिं च पंचमहबए धारेयडे, तंजहा-कसिणपाणाइवायविरती अणलियभासित्तं दंतसोहणमित्तस्सवि अदिन्नस्स वजणं मणोवयकायजोगेहिं तु अखंडियअविराहियणवगुत्तीपरिवेदियस्स णं परमपवित्तस्स सबकालमेव दुदवंभचेरस्स धारणं वत्यपत्तसंजमोवगरणेसुपि णिम्ममत्तया असणपाणाईणं तु चउधिहणेव राईभोयणचाओ उग्गमउपायणेसणाईसुणं सुविसुद्धपिंडग्गहणं संजोयणाइपंचदोसविरहिएणं परिमिएणं काले तिथे पंचसमितिविसोहणं तिगुत्तीगुत्तया ईरियासमिईमाईउ भावणाओ अणसणाइतवोवहाणाणुहाणं मासाइभिक्खुपडिमाउ विचित्ते दवाईअभिग्गहे अहो(हा)णं भूमीसयणे केसलोए निप्पडिकम्मसरीरया सबकालमेव गुरुनिओगकरणं खुहा-4 पिवासाइपरीसहाहियासणं दिवाइउक्सग्गविजओ लखावलदवित्तिया, किं बहुणा?, अबंतदुबहे भो वहियो अवीसामंतेहिं चेव सिरिमहापुरिसबूढे अट्ठारससीलंगसहस्सभारे तरिय अ | भो वाहाहि महासमुह अविसाईहिचणं भो भक्खियचे णिरासाए बालुयाकवले परिसकेय च भो णिसियसुतिक्खदारुणकरवालधाराए कबले परिमयां च भो णिसियसतिक्खदारुणकरवालधाराए पायवा य णं भो मुहुरहुयवहजालावलाभः । रियज्ञे णं भो सुहुमपवणकोत्यलगे गमियत्रं च णं भो गंगापवाहपडिसोएणं तोलेय भो साहसतुलाए मंदरगिरि जेयवे यणं भी एगागिएहिं चेव धीरत्ताए सुदुजए चाउरंगे बले विधे. यहाण भो परोप्परविवरीयभमंतअट्ठचकोवरिवामच्छिम्मि उंबी(उधी)उल्लिया गहेयजा ण भोसयलतिहुयणविजया णिम्मलजसकित्ती जयपडागा, ता भो भोजणा एयाओधम्माणहाभणाओ सुदुकरं णस्थि किंचिमनंति, 'वुझंति नाम भारा ते चिय वुमंति वीसमंतेहिं । सीलभरो अइगुरुओ जावजीवं अविस्सामो ॥१॥ ता उजिमऊण पेम्मं घरसार पुत्तदविणमाईय। णीसंगा अविसाई पयरह सयुत्तमं धम्म ॥२॥णो धम्मस्स भडका उकंचण वंचणा य ववहारो। णिच्छम्मो तो धम्मो मायादीसारहिओ उ ॥३॥ भूएसु जंगमत्तं तेसुवि पंचेंदि. यत्तमुकोस । तेसुवि अ माणुसतं मणुयत्ते आरिओ देसो॥४॥ देसे कुलं पहाणं कुले पहाणे य जाइमुक्कोसा। तीए रूपसमिद्धी रूवे य बलं पहाणयरं ॥५॥ होइ पले चिय जीयं जीए य पहाणयं तु विनाणं। विनाणे सम्मत्तं सम्मत्ते सीलसंपत्ती ॥६॥ सीले खाइयभावो खाइयभावे य केवलं नाणं । केवलिए पडिपुन्ने पत्ते अयरामरो मोक्खो ॥७॥ण य संसारंमि सुह जाइजरामरणदुक्खगहियस्स। जीवस्स अत्यि जम्हा तम्हा मोक्खो उवाएओ॥८॥ आहिंडिऊण सुइरं अणंतहुत्तो हु जोणिलक्खेमुं। तस्साहणसामग्गी पत्ता भो भो बहू इण्हि ॥९॥ तो एत्य जन्न पत्तं तदत्य भो उनमं कुणह तुरियं । विचुहजणणिदियमिणं उज्झह संसारअणुबंधं ॥१०॥ लहिउं भो धम्मसुहं अणेगभवकोडिलक्खसुविदुलहं । जइ णाणुहह सम्म ता पुणरवि दुल्लह होही ॥१॥ देखियं च बोहिं जो णाणुढे अणागयं पत्थे। सो भो अन्नं बोहिं लहिही कयरेण मोहल्लेणं ? ॥२॥ जाव णं पुषजाईसरणपश्चएणं सा माहणी एत्तियं वागरेह तावणं गोयमा ! पडिबुद्धमसेसंपि बंधुजणे बहुणागरजणोय, एयावसरंमि उ गोयमा! भणियं मुविदियसोग्गइपहेणं तेणं गोविंदमाहणेणं-जहा णं धिदिदि वंचिया एयावन्तं कालं, जतो A वयं मूढे अहो णं कट्ठमन्नाणं दुविन्नेयमभागधिजेहिं खुद्दसत्तेहिं अदिट्ठयोरुग्गपरलोगपञ्चबाएहिं अतत्ताभिणिविट्ठदिट्ठीहि पक्खवायमोहसंधुक्रियमाणसेहिं रागदोसोवयबुद्धीहि परं तत्तधम्म, अहो सजीवेणेव परिमुसिए एवइयं कालसमयं, अहो किमेस णं परमप्पा भारियाछलेणासिउ मज्झ गेहे उदाहु णं जो सो णिच्छिओ मीमंसएहिं सवन्नू सोचिएस सरिए इव संसयतिमिरावहारित्तेण लोगावभासे मोक्खमग्गसंदरिसणत्यं सयमेव पायडीहूए, अहो महाइसयस्थपसाहगाउ मज्झ दइयाए वायाओ, भो भो जण्णयत्तविण्हयन- (२९२) ११६८ महानिशीथच्छेदमूत्रं मन-C मुनि दीपरत्नसागर Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जष्णदेवविस्सामित्तसुमिचादओ मज्झ अंगया! अच्भुट्टाणारिहा ससुरासुरस्सावि णं जगस्स एसा तुम्ह जणणित्ति, भो भो पुरंदरपभितीउ खंडिया ! वियारह णं सोवज्झायभारियाओ (ए) जगत्तयाणंदाओ कसिणकिविसणिद्दुहणसीलाओ वायाओ पसन्नोऽज तुम्ह गुरू आराहणेक्कसीलाणं परमप्पवलं जजणजायणज्झयणाइणा छकम्माभिसंगेणं तुरियं विणिज्जिणेह पंचदियाणि परिचयहणं कोहाइए पावे वियाणेह णं अमेज्झाइजंबालपंकपडिपुण्णासुतीकलेवरपवि (वे) समोवणतं, इच्चेवं अणेगाहिवेरग्गजणणेहिं सुहासिएहिं वागरंतं चोद्दसविज्जाठाणपारगं भो गोयमा ! गोविंदमाहणं सोऊण अचंतं जम्मजरामरणभीरुणो बहवे सप्पुरिले समुत्तमं धम्मं विमरिसिउं समारदे, तत्थ केइ वयन्ति जहा एस धम्मो पवरो, अने भणति जहा एस धम्मो पवरो, जाव णं सवेहिं पमाणीकया गोयमा ! सा जातीसरा माहिणिन्ति, ताहे तीय संपवक्वायमहिंसोलक्खियमसंदिद्धं खंताइदसविहं समणधम्मं दिनंतहेऊहिं च परमपचयं विणीयं तेसिं तु, तओ य ते तं माहणिं सङ्घन्नुमिति काऊणं सुरइयकरकमलंजलिणो सम्मं पणमिऊणं गोयमा! तीए माहणीए सद्धि अदीणमणसे बहवे नरनारीगणे चेचाणं सुहियजणमित्तबंधुपरिवग्गगिहविवसोक्खमप्पकालियं निक्खते सासयसोक्खसुहाहिलासिणो सुनिच्छियमाणसे समणत्तेण सयलगुणोहधारिणो चोहसपुत्रधरस्स चरिमसरीरस्य णं गुणधरथविरम्स सयासेत्ति, एवं च ते गोयमा! अचंतघोरवीरतवसंजमाणुट्टाणसज्झायझाणाईसु णं असेसकम्मक्लयं काऊणं तीए माहणीए समं वियरयमले सिद्धे गोविंदमाहणादओ रणरिंगणे सवेऽवी महायसेत्तिवेमि १ भयत्रं किं पुण काऊणं एरिसा सुलहबोही जाया सा सुगहियनामधिजा माहणी जाए एयावइयाणं भवसत्ताणं अनंतसंसारघोरदुवसंतत्ताणं सद्धम्मदेसणाइएहिं तु सासयसुहपयाणपुवगमच्भुद्धरणं कयंति ?, गोयमा ! जं पुत्रं सवभावभावतरंतरेहिं णं णीसल्ले आजम्मालोयणं दाऊणं सुद्धभावाए जहोवइ पायच्छि कथं, पायच्छित्तसमत्तीए य समाहिए य कालं काऊणं सोहम्मे कप्पे सुरिंदग्गमहिसी जाया तमणुभावेणं, से भयवं किं से णं माहणीजीवे तब्भवंतरंमि समणी निग्गंची अहेसि !, जे णं णीसमालोइत्ताणं जहोवइटुं पायच्छित्तं कयंति, गोयमा ! जे णं से माहणीजीवे से णं तजम्मे बहुलद्धिसिद्धिजुए महिड्ढीपत्ते सयलगुणाहारभूए उत्तमसीलाहिट्टियतणू महातवस्ती जुगप्पहाणे समणे अणगारे गच्छाहिवई अहेसि णो णं समणी से भयवं! ता कयरेणं कम्मविवागेणं तेणं गच्छाहिवइणा होऊणं पुणो इत्थित्तं समजियन्ति ?, गोयमा ! मायापचएणं, से भयवं ! कयरे णं से मायापच्चए जेणं पयणी (णू) कयसंसारेवि सयलपावोयएणावि बहुजणणिंदिए सुरहिबहुदश्वघयखंडचुण्णसुसंकरियसमभावपमाणपागनिष्फलं मोयगमागे इव सङ्घस्स भक्खे सयलदुक्खकेसाणमालए सयलमुहासणस्स परमपवित्तृत्तमस्स णं अहिंसालक्खणसमणधम्मस्स विग्धे सग्गग्गलानिरयदारभूये सयलअयस अकित्तीकलंककलिकलहवेराइपावनिहाणे निम्मलस्स कुलस्स णं दुद्धरिसअकजकजलकण्हमसीसंपणे तेणं गच्छाहिवइणा इत्थीभावे वित्तिएत्ति, गोयमा ! णो तेणं गच्छाहिवइत्तठिएणं अणुमवि माया कया. सेणं तया पुइवई चक्कहरे भवित्ताणं परलोगभीरुए णिनिकामभोगे तिणमिव परिचेचाणं तं तारिसं चोदस रयण नव निहीतो चोसडीसहस नरजुबईण बत्तीसं साहस्सी ओअणादिवरनरिंद छन्नउई गामकोडीओ जाव णं छक्खंडभरहवासस्स णं देवेंदोवमं महारायलच्छि तीयं बहुपुन्नचोइए णीसंगे पवइए अ, योवकालेणं सयलगुणोहधारी महातवस्सी सुयहरे जाए. जोगे णाऊण सुगुरूहिं गच्छाहिवई समणुण्णाए, तहिं च गोयमा! तेणं सुदिद्वसुग्गइपहेण जहोवइ समणधम्मं समणुट्टेमाणेणं उग्गाभिग्गहविहारित्ताए घोरपरीसहोवसग्गाहियासणेणं रागहोसकसायविवजणेणं आगमाणुसारेणं तु विहीए गणपरिचालणेणं आजम्मं समणीकप्पपरिभोगवजणेणं छक्कायसमारंभविवज्जणेणं ईसिंपि दिवोरालियमेहुणपरिणामविप्पमुकेणं इहपरलोगासंसाइणियाणमायाइसविप्पमुक्केणं णीसल्लालोयणनिंदणगरहणेणं जहोवइद्वपायच्छित्तकरणेणं सङ्घस्थापडिबद्धत्तेणं सङ्घपमायालंबणविप्यमुकेणं अणिदइदअवसेसीकए अणेगभवसंचिए कम्मरासी, अण्णभवे तेणं माया कया तप्पचइएणं गोयमा एस विवागो से भयवं! कयरा उण अन्नभवे तेणं महाणुभागेणं माया कया जीए णं एरिसो दारुणो विवागो ?, गोयमा ! तस्स णं महाणुभागस्स गच्छाहिबहणो जीवो अणूणाहिए लक्खइमे भवग्गहणे सामननरिंदस्स णं इत्थीत्ताए धूया अहेसि, अन्नया परिणीयाणतरं मओ भत्ता, तओ नरवइणा भणिया जहा भद्दा ! एते तुम्भं पंचसए सगामाणं, देसु जहिच्छाए अंधाणं विगलाणं अयंगमाणं अणाहाणं बहुबाहिवेयणापरिगयसरीराणं सङ्घलायपरिभूयाणं दारिददुक्खदोहग्गकलंकियाणं जम्मदारिदाणं समणाणं माहणाणं विहलियाणं च संबंधिबंधवाणं जं जस्स इवं भत्तं वा पाणं वा अच्छायणं वा जाव णं धणधन्नसुवनहिरणं वा कुण य सयलसोक्खदायगं संपुष्णं जीवदयंति, जे णं भवंतरेसुंपि ण होसि सयलजणमुहाप्पियगारिया सङ्घपरिभूया गंधमतंबोलसमालहणाइजहिच्छियभोगोवभोगवज्जिया हयासा दुजम्मजाया दिड्ढाणामिया रंडा, ताहे गोयमा ! सा तहत्ति पडिवजिऊण पगलंतलोयणसुजलणिद्धोयकवोलदेसा ऊसरसुभसुमणुघग्घरसरा भणिउमाडत्ता- जहा णं ण याणिमोऽहं पभूयमालवित्ताणं, णिगच्छावेह लहुं कट्ठे रएह महई चियं निद्दहेमि अत्ताणगं, ण किंचि मए जीवमाणीए पावाए, माऽहं कहिंचि कम्मपरिणइवसेणं महापावित्यीचवलसहाव११६९ महानिशीथच्छेदसूत्र, अन्यय-C मुनि दीपरत्नसागर Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ताए एतस्स तुजसं असरिसणामस्स णिम्मलजसकित्तीभरियभुवणोयरस्स ण कुलस्स खंपणं काहं, जेण मलिणीभवेजा सत्रमवि कुलं अम्हाणंति, तओ गोयमा ! चिंतियं तेण परवडणाजहा णं अहो धनोऽहं जस्स अपुत्तस्साविय एरिसा धूया अहो विवेगं बालियाए अहो बुद्धी अहो पन्ना अहो वेस् अहो कुलकलंकभीरुयत्तणं अहो खणे खणे बंदणीया एसा जीए एमहन्ते गुणे ता जाव णं मज्झ गेहे परिवसे एसा तावणं महामहंते मम सेए, अहादिट्ठाए संभरियाए संलावियाए चेव सुज्झीयए इमीए, ता अपुत्तस्सणं मझं एसा चेव पत्ततुलत्ति चिंतिऊणं भणिया गोयमा ! सा तेण नरवइणा-जहा णं न एसो कुलकमो अम्हार्ण वच्छे ! जं कट्ठारोहणं कीरइत्ति, ता तुम सीलचारित्तं परिवालेमाणी दाणं देसु जहिच्छाए कुणसुय पोसहोववासाई विसेसेणं तु जीवदयं, एयं रजं तुज्झंति, ता णं गोयमा! जणगेणं एवं भणिया ठिया सा समप्पिया य कंचुईणं अंतेउररक्खपालाणं, एवं च वच्चंतेणं कालसमएणं तओ णं कालगए से नरिंदे, अन्नया संजुजिऊणं महामईहिं णं मंतीहिं को तीए चालाए रायाभिसेजओ, एवं च गोयमा ! दियहे दियहे देइ अत्याण, अहऽन्नया तस्थ णं बहुबंदचहभहतडिगकप्पडिगचउरवियक्खणमंतिमहंतगाइपुरिससयसंकुलअत्याणमंडवमझमि सीहासणोवविट्ठाए कम्मपरिणइवलेणं सरागाडिलासाए चक्खूए निझाए तीए सबुत्तमरुवजोवणलावण्णसिरीसंपओबवेए भावियजीवाइपयस्थे एगे कुमारवरे, मुणियं च तेण गोयमा ! कुमारेणं-जहा णं हा हा ममं पेच्छिय गया एसा वराई घोरंधयारमणंतदुक्खदायगं पायालं, ता अहमोऽहं जस्स णं एरिसे पोग्गलसमुदाए तणू रागर्जतं, किं मए जीविएणं, दे सिग्धं करेमि अहं इमस्स णं पावसरीरस्स संथारं, अब्भुट्टेमि णं सुदुर पच्छित्तं, जाव णं काऊण सयलसंगपरिचायं समणुढेमिण सयलपावनिदलणं अणगारधर्म, सिढिलीकरेमि णं अणेगभवंतरविइने सुदुशिमोक्खे पावबंधणसंघाए, चिदिद्धी अपवस्थियस्स णं जीवलोगस्स जस्स एरिसे अणप्पवसे इंदियगामे अहो अदिट्ठपरलोगपञ्चवायया लोगस्स अहो एकजम्माभिणिविट्ठचित्तया अहो अविण्णायकजाकज्जया अहो निम्मेरया अहो निप्परिहासया अहो परिच. तलजया हा हा हा न जुत्तमम्हाणं खणमवि विलंबिउं एत्थं एरिसे सुदुभिवारसज्जपावागमे देसे, हा हा हा घट्ठारिए ! अहन्नेणं कम्मट्ठरासी जमुइरियं एईए रायकुलबालियाए इमेणं कुट्ठपावसरीररूवपरिदसणेणं णयणेसुं रागाहिलासे, परिचिच्चाणं इमे विसए तओ गेण्हामि पश्चजति चिंतिऊणं भणियं गोयमा ! तेणं कुमारवरेणं, जहा णं खंतमरिसियं णीसाल तिविहंतिविहेणं तिगरणसुदीए सबस्स अत्याणमंडवरायउलपुरजणस्सेति भणिऊणं विणिग्गओ रायउलाओ, पत्तो य निययावासं, तत्य णं गहियं पत्थयणं, दोखंडीकाऊणं वऽसियं फेणावलीतरंगमउयं सुकुमालबत्थं परिहिएणं अद्धफलगे गहिएणं दाहिणहत्थेणं सुयणजणहियए इव सरलवित्तलयखंडे, तओ काऊणं तिहुयणेक्वगुरूणं अरहंताणं भगवंताणं जगप्पवराणं धम्मतित्यंकराणं जहुत्तविहिणाऽभिसंथवणं बंदणं, से णं चलचलगई पत्ते णं गोयमा ! दूरं देसतरं से कुमारे जाव णं हिरण्णुकरडी णाम रायहाणी, तीए रायहाणीए धम्मायरियाण गुणविसिवाणं पउत्ति अनेसमाणे चिति पयत्ते से कुमारे- जहा णं जाव ण ण केई गुणविसिट्टे धम्मायरिए मए समुवल ताविहई चेव मएवि चिट्ठियाई, तो गयाणि कबयाणि दियहाणि, भयामि णं एस बहुदेसविक्खायकित्ती णरवरिंद, एवं च मंतिऊणं जाव णं दिवो राया, कयं च काय, सम्माणिओ य णरणाहेणं, पडिच्छिया सेवा, अन्नया लद्धावसरेणं पुट्टो सो कुमारो गोयमा! तेणं नरवइणा-जहा भो भो महासत्ता! कस्स नामालंकिए एस तुज्झ हत्यमि विरायए मुहारयणो?, को वा ते सेविओ एवइयं काले ?, के बा अ. वमाणए कए तुह सामिणत्ति ?, कुमारेणं भणियं जहा णं जस्स नामालंकिए णं इमे मुद्दारयणे से णं मए सेविए एवइयं कालं, जे णं मे सेविए एवइयं कालं तस्स नामालंकिएर्ण IS इमे मुहारयणे, तओ नरवडणा भणियं-जहाणं किं तस्स सहकरणति?, कुमारणं भणिय-नाहं अजिमिएणं तस्स चक्खुकुसीलाहम्मस्स र्ण सहकरणं समुबारेमि, तओ रण्णा भ. णियं-जहा णं भो भो महासत्त ! केस एसो चक्खुकुसीलो भण्णे ? किं वा णं अजिमिएहिं तस्सद्दकरणं नो समुचारियए?, कुमारेण भणियं-जहा णं चक्खुकुसीलोत्ति सदाए, थाणतरेहितो जइ कहा(दा)इ इह तं विट्ठपञ्चर्य होही तो पुण बीसत्थो साहीहामि, जं पुण तस्स अजिमिएहिं सहकरणं एतेणं ण समुचारीयए, जहा णं जइ कहा(दा)इ अजिमिएहिं थेय तस्स चक्सुकुसीलाहम्मस्स णाममाहर्ण कीरए ताणं णत्थितंमि दियहे संपत्ती पाणभोयणस्सत्ति, ताहे गोयमा ! परमविम्हिएणं रन्ना कोउहल्लेण लहुं हकाराविया रसवई, उवविट्ठो भोयणमंड. वेराया सह कुमारेणं असेसपरियणेणं च, (आणावियं) अट्ठारसखंडखजयवियप्पं णाणाविहमाहारं, एयावसरंमि भणियं नरवइणा जहा णं भो भो महासत्त ! भणसु णीसको तुम संपर्य र तस्स णं चक्खुकुसीलस्स णं सहकरणं, कुमारेणं भणियं-जहाणं नरनाह ! भणिहामि भुत्तुत्तरकालेणं, णखणा भणियं-जहाण भो महासत्त! दाहिणकरधरिएणकवलेणं संपर्य चेय भणसु जे णं सु जइ एयाए कोडीए संठियाणं केई विग्धे हवेजा ताणमम्हवि सुदिट्ठपच्चए संते पुरपुरस्सरे तुज्झाणत्तीए अत्तहियं समणुचिट्ठामो, तओ णं गोयमा ! भणियं तेण कुमारेणं-जहा णं एयं एवं अमुगं सहकरणं तस्स चक्खुकुसीलाहम्मस्स णं दुरंतपंतलक्खणअदधदुजायजम्मस्सत्ति, ता गोयमा ! जाव णं चेवइयं समुलवे से ण कुमारवरे ताव णं अणोहिपवित्ति| ११७० महानिशीथच्छेदसूत्र, अजय-८ मुनि दीपरत्नसागर Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * * एणेव समुदासियं तक्खणा परचकेणं तं रायहाणी, समुद्धाइए णं सन्नदबदुखए णिसियकरवालकुंतविष्फुरंतचक्काइपहरणाडोचवम्गपाणी हणहणहणरावभीसणा बहुसमरसंघहादिण्णपिट्ठी जीयतकरे अउलबलपरकमेणं महाबले परवले जोहे, एयावसरम्हि य कुमारस्स चलणेसु निवडिऊणं दिट्ठपच्चए मरणभयाउलत्ताए अगणियकुलकमपुरिसयारं विप्पणासे, दिसिमे. कमासइत्ताणं सपरिगरे पणद्वे से गं नरवरिद, एत्यंतरमि चिंतिय गोयमा! तेणं कुमारेणं-जहा णं नो सरिस कुलकमेऽम्हाणं जं पढेि दाविजा, णो णं तु पहरियकं मए कस्सावि णं अ. हिंसालक्खणधर्म वियाणमाणेणं फयपाणाइवायपचक्खाणेणं च, ता किं करेमिणं?, सागारे भत्तपाणाईर्ण पञ्चक्खाणे अहवा गं करेमि?, जओ दिवे णं ताव मए दिट्ठीमित्तकुसी. लस्स णामम्गहणेणावि एमहंतसंविहाणगे, ता संपर्य सीलस्साविणं एवं परिक्खं करेमित्ति चितिऊर्ण भणिउमाढत्तेणं गोयमा से कुमारे-जहा गं जड अहयं पायामिनेणावि कसीलो ताण मा णीहरेजाह अक्खयतणू खेमेणं एयाए रायहाणीए, अहा णं मणोवइकायतिएणं सवपयारेहिं णं सीलकलिओ तामा बहेजा ममोपरि इमे सुनिसिए दारुणे जीयतकरे पहरणणिहाए, णमो २ अरहंताणति भणिऊणं जाव णं पवरतोरणदुवारेणं चलचवलगई जाउमारदो, जावणं पडिकमे येवं भूमिभागं ताव णं हलावियं कप्पडिगवेसेणं गच्छड एस नरवड. तिकाऊणं सरहसं हण हण मर मरति भणमाणक्सित्तकरवालादिपहरणेहिं पवरबलजोहेहिं. जावणं समुदाइए अचंतं भीसणे जीयंतकरे परबलजोहे सावणं अविसण्ण अणददयाभी. यअतत्यअदीणमाणसेणं गोयमा ! भणिय कमारण- जहाण भो भो दुद्धपरिसा ! ममोवरि चेह एरिसेणं घोरतामसभावेण अन्तिए, असइंपि सहजझवसायसंचियपण्णपभारे एस अहं... से तुम्ह पडिसत्तू अमुगो णरवती, मा पुणो भणियासु जहा णं णिलुको अम्हार्ण भएणं, ता पहरेजासु जइ अस्थि बीरियंति, जावेत्तियं भणे ताव णे तक्खणं चेव भिए ते सो गोयमा ! परवलजोहे सीलाहिद्वियत्ताए तियसाणपि अलंघणिजाए तस्स भारतीए, जाए य निचलदेहे. तओ यणं धसत्ति मुछिऊर्ण णिचिद्वे णिवडिए धरणिवढे से कमारे, एयाव. सरम्ही उ गोयमा! तेण णरिंदाहमेणं गुहियमायाविणा वुत्ते धीरे सवत्थावी समत्थे सबलोयभमंते धीरे भीरू वियक्खणे मुक्खे सूरे कायरे चउरे चाणक्के बहुपचभरिए संधिविग्गहिए निउत्ते छहाले पुरिसे जहाणं भो भो (गिण्हेहतुरियं रायहाणीए वजिदनीलससिसूरकंतादीए पवरमणिरयणरासीए हेमजुणतवणीयजंबूणयसुषमभारलक्खाणं, कि बहुणा?, विसुद्धबहुजबमोत्लियविहुमखारिलक्खपडिपुनस्सणं कोसस्स चाउरंगस्स(य)बलस्स, विसेसओ णं तस्स सुगहियनामगहणस्स पुरिससीहस्स सीलसुद्धस्स कुमारवरस्सेतिपउनिमाणेह जेणाहं णिव्युओ भवेयं, ताहे नरवहणो पणाम काऊण गोयमा ! गए ते निउत्तपुरिसे जाव णं तुरियं चलचवलजइणकमपवणवेगेहि णं आरुहिऊणं जचतुरंगमेहि निउंजगिरिकंदरुदेसपहरिकाओ खणेण पत्ते रायहाणि, दिवो य तेहि पामदाहिणभुयाए पासवेहि वयणसिरोमहे विलुप्पमाणो कुमारो, तस्स य पुरओ सुक(१)माभरणणेवस्था दसदिसासु उजायमाणी जयजयसहमंगलमहला स्यहरणवावडोभयकरकमलविरहयंजली देवया, तं च दठूण विम्हयभूयमणे लिप्पकम्मणिम्मविए(ठिए),एयावसरम्हि उगोयमा ! सहरिसरोमंचकंचपुलायसरीराए णमो अरहताणंति समुचरिऊण भणिरे गयणद्वियाए पश्यणदेवयाए से कुमारे-तंजहा 'जो दलइ मुट्ठिपहरेहिं मंदरं धरह करयले वसुहं । सबोदहीणविजलं आयरिसह एकपोद्रेणं ॥१३॥ टाले सम्गाउ हरि कुणह सिर्व तिहुयणस्सविखणेणं । अक्वंडियसीलाणं कुत्तोऽवि ण सो पहुप्पेजा ॥४॥ अहवा सोचिय जाओ गणिजए तिहुयणस्सविस बंदो। पुरिसो व महिलिया वा कुलुग्गउ जो न खंडए सीलं ॥५॥ परमपवित्तं सप्परिससेवियं सयलपावनिम्महणं । सवत्तमसोक्खनिहिं सत्तरसविहं जयइ सील ॥६॥ ति भाणिऊण गोयमा मत्ति मुका कुमारस्साबार कुसुमबाट पवयणदेवयाए, पुणोऽवि भणिउमादत्ता देवया-तंजहा 'देवस्स देति दोसे पवंचिया अत्तणो सकम्मेहिं । ण गुणेसु ठविंतऽपं सुहाई मुखाए जोएंति ॥१७॥मझत्वभाववत्ती समदरिसी सप्पलोयवीसासी । निक्लेवयपरियर्स दियो न करेड तं ढोए॥८॥ता पुजिमऊण समुत्तमं जणा सीलगुणमहिदढीयं । तामसभावं चिचा कुमारपयपंकयं णमह ॥ १९॥ सि भणिऊणं असणं गया देवया इति, ते छाउपुरिसे लहुं व गंतूर्ण साहियं तेहिं नरवइगो, तओ आगओ बहुविकप्पकालोलमालाहिं णं आऊरिजमाणहिययसागरो हरिसविसायबसेहि भीउड्ड. (ह)या तत्थचकियहियओ सणियं गुज्झसुरंगखडकियादारेणं कंपंतसवगत्तो महया कोउहल्लेणं, कुमारदसणुकंठिओ य तमुद्देस, दिट्ठो य तेणं सो सुगहियणामधेजो महायसो महा सत्तो महाणुभावो कुमारमहरिसी, अपडिवाइमहोहीपचएणं साहेमाणो संखाइयाइभवाणुहयं दुक्खसुहं सम्मत्ताइलंभ संसारसहावं कम्मबंधद्वितीविमोक्खमहिसालकखणमणगारे वय. संध गरादीणं सहणिसमो सोहम्माहिवइधरिउवरिपंडरायवत्तो, ताहे य तमदिट्ठपुरमच्छेरगं दळूण पडिबदो सपरिगहो पाओ य गोयमा ! सो राया परचकाहिचवि, एत्वंतरमि पहयमुस्सरगंभीरगहीरदुंदुभिनिग्घोसपुत्रेणं समुग्घुटुं चउधिहदेवनिकाएणं, तंजहा-'कम्मट्ठगंठिमुसुमूरण, जय परमेट्टिमहायस। जय जय जयाहि चारित्तदसणणाणसमष्णिय ! ॥२०॥ सञ्चिय जणणी जगे एका, बंदणीया सणे २ । जीसे मंदरगिरिगरुओ, उयरे वुच्छो तुमं महामणि ॥२१॥ त्ति भणिऊणं विमुंचमाणे सुरमिकुसुमबुद्धि भत्तिभरनिवभरे विस्यकरकमलं. ११.७१ महानिशीथच्छेदमूत्रं, अन्सा -८ मुनि दीपरत्नसागर 4 ८% A ५. Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ d जलीउत्ति निवडिए समुरीसरे देवसंघे गोयमा ! कुमारस्स णं चलणारविंदे, पणञ्चियाओ देवसुंदरीओ, पुणो पुणो भिसं थुणिय णमंसिय चिरं पज्जुवासिऊणं सत्थाणेसु गए देवनिवहे । २ । से भयवं ! कहं पुण एरिसे सुलभबोही जाए महायसे सुगहियणामधेने से णं कुमारमहरिसी ?, गोयमा ! तेणं समणभावट्टिएणं अन्नजम्मंभि वायादंडे पडते अहेसि तंनिमित्तेणं जावज्जीवं मूणवए गुरुवएसेणं साधारिए, अन्नंच तिन्नि महापावद्वाणे संजयाणं तंजहा- आऊ तेऊ मेहुणे, एते य सञ्चोवाएहिं परिवज्जिए, तेणं तु से एरिसे सुलभबोही जाए, अहन्नया णं गोयमा ! बहुसीसगणपरिगए से णं कुमारमहरिसी पत्थिए सम्मेयसेलसिहरे देहच्चायनिमित्तेणं, कालकमेणं तीए चैत्र वत्तणीए (गए) जत्थ णं से रायकुलबालियाणरिंदे चक्खु - कुसीले, जाणावियं च रायउले, आगओ य वंदणवत्तियाए सो इत्थीनरिंदो उज्जाणवरंमि, कुमारमहरिसिणो पणामपुत्रं च उपविट्टो सपरिकरो जहोइए भूमिभागे, मुणिणावि पबंघेणं कया देखणा, तं च सोऊणं धम्मकावसाणे उवडिओ सपरिवग्गो णीसंगत्ताए, पवइओ गोयमा ! सो इत्थीनरिंदो एवं च अचंतघोरवी रुग्गकदृदुकरतवसंजमाणुट्ठाण किरियाभिरयाण सङ्केलिंपि अपडिकम्मसरीराणं अपडिबद्धविहारत्ताए अचंतणिष्पिहाणं संसारिएयुं चकहरसुरिदाइइड्ढिसमुदयसरीरसोक्खेसुं गोयमा ! बच्चइ कोई कालो जाव णं पत्ते सम्मेयसेलसिहरभासं, तओ भणिया गोयमा ! तेण महरिसिणा रायकुलबालियाणरिंदसमणी जहा णं दुकरकारिंगे ! सिग्धं अणुदुयमाणसा सबभावभावंतरेहिं णं सुविसुद्धं पयच्छाहि णं णीसलमालोयणं, आढवेयवा य संपयं सङ्केहिं अम्हेहिं देहचायकरणेकबदलक्खेहिं णीसल्लालोइयनिंदियगरहियजहुत्तसुदासयजहोवइंदुकयपच्छित्तुदियसलेहिं चणं कुसलदिद्वा संलेहणत्ति, तणं जत्तविहीए समालोइयं तीए रायकुलबालियाणरिदसमणीए जाव णं संभारिया तेणं महामुणिणा जहा णं जह मं तथा रायत्थाणमुवविद्वाए तए गारत्यभावंमि सरागाहिलासाए संचिक्खिओ अहेसि तमालोएहि दुकरकारिए! जेणं तुम्हं समुत्तमविसोही हवइ, तओ णं तीए मणसा परितप्पिऊणं अइचवलासयनियडीनिकेयपावित्थीसभावत्ताए मा णं चक्कुसीलति अमुगस्स धूया समणीणमंतो परिवसमाणी भन्निहामिति चिंतिऊणं गोयमा ! भणियं तीए अभागधिजाए जहा णं भगवं! ण मे तुमं एरिसेणं अद्वेणं सरागाए दिडीए निज्झाइओ जओ णं अहह्यं तं अहिलसेजा, किंतु जारिसे णं तुग्भे समुत्तमरूवतारुण्णजोवणलावन्न कंतिसोहग्गकलाकलावविण्णाणणाणाइसयाइगुणोहविच्छड्डमंडिए होत्था विसए निरहिलासे सुविरे ता किमेयं तहत्ति किं वा णो णं तहत्तित्ति तुज्झं पमाणपरितोलणत्थं सरागाहिलासं चक्खुं पउत्ता, णो णं चाभिलसिउकामाए, अहवा इणमेत्थ चेवालोइयं भवउ किमित्य दोसंति, मज्झमवि गुणावयं भवेजा, किं तित्थं गंतूण मायाकवडे ?, सुवण्णसयं केइ पयच्छे, ताहे य णं अश्चंतगरुयसंवेगमावन्नेणं विदिट्ठसंसार चलित्थीसभावस्स णंति चिंतिऊणं भणियं मुणिवरेणं-जहां णं धिद्विद्धिरत्यु पावित्यी चलस्सभावस्स जेणं तु पेच्छ २ एहमेत्ताणुकालसमएणं केरिसा नियडी पउत्तत्ति ?, अहो खलित्थीणं चलचवलचडुलचंचलसिट्टी (न) एग माणसा खणमेगमवि दुजम्मजायाणं अहो सयलाकजभंडोलियाणं अहो सयला यसकित्ती बुढिकराणं अहो पावकम्माभिणिविद्वज्झवसायाणं अहो अभीयाणं परलोगगमणंधयारघोरदारुणदुक्खकंडूकडाहसामलिकुंभी पागाइदुरहियासाणं, एवं च बहुं मनसा परितप्पिऊण अणुयत्तणाविरहियधम्मिकर सिय सुपसंतवयणेणं पसंतमहुरक्खरेहिं णं धम्मदेसणापुवगेणं भणिया कुमारेण रायकुलबालियानरिंद्रसमणी गोयमा! तेणं मुणिवरेणं-जहां णं दुकरकारिए! मा एरिसेणं मायापबंधेणं अचंतधोरवी रुग्गकट्टसुदुक्करतवसंजमसज्झायज्झाणाईहिं समजिए निरणुबंधि पुण्णपब्भारे विष्फले कुणसु, ण किंचि एरिसेणं मायाडंभेणं अनंतसंसारदायगेणं पओयणं, नीसं कमालोइत्ताणं णीसहमत्ताणं कुरु, अहवा अंधयारणट्टिगाणट्टमिव धनि ( मि ) यसुवण्णमिव एकाए पूया (फुका) ए जहा तहा णिरत्थयं होही तुज्झेयं वालप्पाढणभिक्खाभूमीसेजानावीसपरीसहो वसम्गाहियासणाइए कायकिलेसेत्ति, तओ भणियं तीए भग्गलक्खणाए जहा भगवं! किं तुम्हेहिं सदि छम्मेणं उल्लविज्जइ ?, विसेसेणं आलोयणं दाउमाणेहिं णीसंकं पत्तिया, णो णं मए तुम तकालं अभिलसिउकामाए सरागाहिलासाए चक्खुए निज्झाइउत्ति, किंतु तुज्झ परिमाणतोलणत्थं निज्झाइओत्ति भणमाणी चैव निणं गया, कम्मपरिणइवसेणं समजित्ताणं बद्धनिकाइयं उक्कोसडिई इत्थीवेयं कम्मं गोयमा ! सा रायकुलबालियानरिदसमणित्ति, तओ य ससीसगणे गोयमा ! से णं महच्छेरगभूए णं सयंबुद्धकुमारमहरिसीए विहीए संलिहिऊणं असाणगं माझं पाओवगमणेणं सम्मेयसेलसिहरंमि अंतगओ केवलित्ताए सीसगणसमण्णिए परिनिबुडेति । ३। सा उण रायकुलबालियाणरिदसमणी गोयमा ! तेण मायासल भावदोसेर्ण उवपक्षा विज्जुकुमारीणं वाहणत्ताए नउलीरूवेणं किंकरीदेवेयुं, तओ चुया समाणी पुणो २ उववजंती बावनंती आहिंडिया माणुसतिरिच्छेतुं सयलदोहग्गदुक्खदारिदपरिगया सङ्घलोयपरिभूया सकम्मफलमणुभवमाणी गोयमा ! जाव णं कहकहवि कम्माणं खओवसमेणं बहुभवंतरेसु तं आयरियपयं पाविऊण निरइयारसामन्नपरिवालणेणं सङ्घत्यामेसुं च सङ्घपमायालंगणविप्यमुकेणं तु उज्ज - मिऊणं निदड्ढावसेसीकयभवंकुरे तहावि गोयमा ! जा सा सरागा चक्खू णालोइया तया तकम्मदोसेणं माहणित्थीत्ताए, परिनिबुडे णं से रायकुलबालियाणरिदसमणीजीवे । ४ । से भयवं! जेणं केई सामण्णमब्भुडेजा से णं एकाइ जाव णं सत्तदृभवंतरेषु नियमेण सिज्झिना ता किमेयं अणूणाहियं लक्ख भवंतरपरियडणंति ?, गोयमा ! जे णं केई निरइयारे (२९३) ११७२ महानिशीथच्छेदसूत्रं अत्तयां ८ मुनि दीपरत्नसागर Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सामने निबाहेजा से णं नियमेणं एकाइ जाव णं अट्ठभवंतरेसु सिज्झे, जे उण सुहुमे बायरे वा केई मायासले वा आउकायपरिभोगे वा तेडकायपरिभोगे वा मेहुणक वा अनयरे वा केई आणाभंगे काऊणं सामण्णमइयरेजा से णं जं लक्खेण भवग्गहणेणं सिज्झे तं महइ लाभे, जओ णं सामन्नमइयरित्ता बोहिंपि लभेजा दुक्खेणं, एसा सा गोयमा ! तेर्ण माहणीजीवेणं माया कया जीए य एहमेत्ताएवि एरिसे पावे दारुणे विवागिति । ५। से भयवं किं तीए महीयारीए तेहिं से तंदुलमलगे पयच्छिए? किं वा णं सावि य महयरी तत्येव तेसिं(हिं)समं असेसकम्मक्खयं काऊणं परिनिबुडा हवेज्जन्ति?, गोयमा ! तीए महियारीए तस्स णं तंबुलमल्ल गस्सऽट्ठाए तीए माहणीए धूयत्ति काऊणं गच्छमाणी अवंतराले चेव अवहरिया सासुजसिरी, जहा णं मज्झं गोरसं परिभोत्तूर्णं कहिं गच्छसि संपयन्ति १, आह वच्चामो गोउलं, अण्णंच जइ तुम मज्झं विणीया हवेज्जा ताहेऽहं तुज्झं अहिच्छाए तेका लियं बहुगुलपणं अणुदियहं पायसं पर्याच्छिहामि, जाव णं एवं भणिया ताव णं गया सा सुजसिरी तीए महयरीए सदिं, तेहिंपि परलोगाणुट्ठाणेकसुहज्झ वसायक्खित्तमाणसेहिं न संभरिया ता गोविं दमाहणाईहिं, एवं तु जहा भणियं मयहरीए तहा चैव तस्स घयगुलपायसं पयच्छे, अहऽनया कालक्रमेण गोयमा वोच्छिले णं दुबालससंवच्छरिए महारोरवे दारुणे दुब्भक्रखे जाए य णं रिद्धित्थिमियसमिद्धे सवेऽवि जणवए, अहऽनया पुण वीसं अणग्धेयाणं पवरससिसूरकंताईणं मणिरयणाणं घेत्तृण सदेसगमणनिमित्तेणं दीहद्वाणपरिखिन्न अंगपट्टी पहपडिवझे णं तत्थेव गोउले भवियवयानियोगेणं आगए अणुश्चरियनामधेजे पावमती सुज्जसिवे, दिट्ठा य तेणं सा कन्नगा जाव णं परितुलियसयलतिहुयणणरणारी रुवतिलावण्णा, तं सुजसिरिं पासिय चवलत्ताए इंदियाणं रम्मयाए किंपागफलोवमाणं अनंतदुक्खदायगाणं विसयाणं विणिज्जियासेसतिहुयणस्स णं गोयरगए णं मयरकेणी, भणियाणं गोयमा ! सा सुजसिरी तेणं महापावकम्मेणं सुजसिवेणं-जहां णं हे हे कक्षगे ! जइ णं इमे तुज्झ सन्तिए जणणीजणगे समणुमन्नति ता णं तु अहयं तं परिणेमि अन्नंच करेमि सपि ते बंधुव मदरिति तुज्झमवि घडावेमि पलसयमणूणगं सुवन्नस्स, तो गच्छ अइरेणेव साहसु मायावित्ताणं, तओ गोयमा ! जाव णं पट्टतुट्ठा सा सुजसिरी तीए महयरीए एयवइयरं पकहेड तावणं तक्खणमागंतॄण भणिओ सो महयरीए-जहा भो भो पयंसेहि णं जं ते मज्झ धूयाए सुवनपलसए सुकिए, ताहे गोयमा पर्यसिए तेण पवरमणी, तओ भणियं महयरीए-जहा तं सुवनस्यं दाएहि, किमेएहिं डिंभरमणगेहिं पंचिट्टगेहिं ?, ताहे भणियं सुज्जसिवेणं-जहा णं एहि वचामो नगरं दंसेमि णं अहं तुज्ामिमाणं पंचिट्टगाणं माहष्पं, तओ पभाए गंतूण नगरं पयंतियं ससिसूरकंतपवरमणीजुवलगं तेणं नरवहणो, णरवहणावि सदाविऊणं भणिए पारिक्खी जहा इमाणं परममणीणं करेह मुखं, तोलतेहिं तु न सकिरे तेसि मुखं काऊणं, ताहे भणिया नरवणा- जहा णं भो भो माणिकखंडिया ! णत्थि केइ इत्थ जेणं एएसि मुलं करेज, तो गिन्हसु णं दस कोडीओ दक्षिणजायस्स, सुज्जसिवेणं भणियं जं महाराओ पसायं करेति णवरं इणमो आसण्णपचयसन्निहिए अम्हाणं गोउलं तत्थ एगं च जोयणं जान गोणीणं गोयरभूमी तं अकरभरं तं विमुंचसुन्ति, तओ नरवइणा भणियं जहा एवं भवउत्ति, एवं च गोयमा ! सङ्घमदरिहमकरभरं गोउलं काऊणं तेणं अणुचरियनामधेजेण परिणीया सा निययधूया सुजसिरी सुजसिवेणं, जाया परोप्परं तेसिं पीई, जाव णं नेहाणुरागरंजिय माणसे गर्मिति कालं किंचि ताव णं दठूर्ण गिहागए साहुणो पडिनियत्ते हाहाकंद करेमाणी पुट्ठा सुजसिवेणं सुज्जसिरी- जहा पिए एवं अविद्वपुषं भिक्खायरजुयलयं दणं किमे यावत्यं गया सि? तओ तीए भणियं जहा गणु मज्झ सामिणी एरिसी, महया भक्लन्नपाणेणं पत्तभरणं करियं, तओ य हट्टतुट्टमाणसा उत्तमंगेणं चलणमो पणमयंतीता, मए अज्ज एएसिं परिदंसणेणं सा संभरियत्ति, ताहे पुणोवि पुट्ठा सा पावा तेणं-जहां णं पिए का उ तुज्झं सामिणी अहेसि ?, तओ गोयमा णं दर्द ऊसुरुसुवंतीए समणुगग्गरविसंयुलंगगिराए साहियं सर्वपि णिययवृत्तंतं तस्सेति, ताहे विष्णायं तेण महापावकम्मेण जहा णं निच्छयं एसा सा ममंगया सुज्जसिरी, ण अण्णाय महिलाए एरिसा रूवकंतीदित्तीलावण्णसोहम्णसमुदयसिरी भवेजति चितिऊणं भणिउमाढत्तो- तंजहा 'एरिसकम्मरयाणं जं न पडे घडडिंतयं वजं (णूण इमे) चिंतेइ सोचि जहित्थीउ चिओ मे कत्थ सुज्झिस्सं? ॥ २२ ॥ ति भणिऊणं चितिउं पयत्तो सो महापावयारी जहा णं किं छिंदामि अयं सहत्येहिं तिलंतिलं सगत्तं ? किं वा णं तुंगगिरिथडाउ पक्खिविडं दढं संचुनि इणमो अनंतपावसंघायसमुदयं बुट्ठ? किं वा णं गंतूर्ण लोयारसालाए सुतत्तलोहखंडमिव घणखंडाहिं बुलावेमि सुइरमत्ताणगं? किं वा णं फालावेऊण मज्झोमज्झीए तिक्खकरवत्तेहिं अत्ताणगं पुणो संभरावेमि अंतो सुकदियतउयर्तवकंसलोहलोणूससजियाखारस्स ? किं वा णं सहत्येणं छिंदामि उत्तमंगं ? किं वा णं पविसामि मयरहरं ? किं वा णं उभयरूक्खेसु अहोमुहं विणिबंधाविऊणमत्ताणगं हेट्ठा पज्जलावेमि जलणं १, किं बहुणा ?, गिद्दहेमि कट्ठेहिं अत्ताणगंति चिंतिऊणं जाव णं मसाणभूमीए गोयमा विरहया महती चिई, ताहे सयलजणसन्निजां सुइरं निंदिऊण अत्ताणगं साहियं च सङ्घलोगस्स जहा णं मए एरिसं एरिसं कम्मं समायरिति भणिऊणं आरूढो चियाए, जाव णं भवियत्रयाए निओगेणं तारिसदव पुन्नजोगाणुसंसट्टे ते सचेवि दारूतिकाऊण ११७३ महानिशीथच्छेदसूत्रं, अजमय-८ मुनि दीपरत्नसागर Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कृइजमाणेवि अणेगपयारेहिं तहावि ण ण पयलिए सिही, तओ य णं घिधिकारेणोवहओ सयललोगवयणेहिं जहा भो भो पिच्छ पिच्छ हुयासणंपि ण फजले पावकम्मकारिस्सत्तिभणिऊणं निद्धाडिए ते बेऽवि गोउलाओ, एयावसरंमि उ अण्णासन्नसन्निवेसाओ आगए ण भत्तपाणं गहाय तेणेव मम्गेणं उज्जाणाभिमुहे मुणीण संघाडगे, तं च बट्टणं अणुमग्गेर्ण गए ते बेऽवि पाविवे, पत्ते य उज्जार्ण जाव णं पेच्छंति सयलगुणोहधारिं च उनाणसमनियं बहुसीसगणपरिकिन्नं देविंदनरिंदबिजमाणपायारविंद सुगहियनामधिज जगाणंदं नाम अणगारं, तं च बठूण चिंतियं तेहिं-जहा णं दे मग्गामि विसोहिपयं एस महायसेत्ति, चिंतिऊणं तओ पणामपुरमेणं उवविढे ते जहोइए भूमिभागे पुरओ गणहरस्स, भणिओ य सुजसिवो तेण गणहारिणा-जहा णं भो भो देवाणुप्पिया ! णीसल्लमालोएत्ताणं लहुं करेसु सिग्पं असेसपाविट्ठकम्मनिट्ठवणं पायच्छित्तं, एसा उण आवनसत्ता एयाए पायच्छित्तं णत्थि जावणं णो पसूया, ताहे गोयमा! सुमहचंतपरममहासंवेगगए से णं सुजसिवे, आजम्मओ नीसवालोयणं पयच्छिऊणं जहोवइदं घोरं सुदुकरं महतं पायच्छित्तं अणुचरितार्ण तओ अञ्चंतविसुद्धपरिणामो सामण्णमम्भुहिऊणं छबीसं संवच्छरे तेरस य राईदिए अच्चतघोरवीरुगकट्ठदुकरतवसंजमं समणुचरिऊणं जाव णं एगदुतिचउपंचछम्मासिएहिं खमणेहिं खवेऊणं निप्पडिकम्मसरीरसाए अपमाययाए सबत्थामेसु अणवस्यमहन्निसाणुसमयं सययं सज्झायज्झाणाईसु णं णिहहिऊणं सेसकम्ममलं अउपकरणेणं खवगसेढीए अंतगडके. वली जाए सिद्धे य।६। से भयवं! तं तारिसं महापावकम्मं समायरिऊणं तहावी कहं एरिसेणं से सुज्जसिवे लटुं थेवेणं कालेणं परिनिडेत्ति?, गोयमा ! नेणं जारिसभावट्टिएणं आलो. यणं बिइन्नं जारिससंवेगगएणं तं तारिस घोरदुकरं महंत पायच्छित्तं समणुट्ठियं जारिसं सुविसुद्धसुहावसाएणं तं तारिसं अवंतघोरवीरुम्गकट्ठसुदुकरतवसंजमकिरियाए बट्टमाणेणं अखंडियअविराहिये मूलुत्तरगुणे परिवारलयंतेणं निरइयारं सामनं णिवाहियं जारिसेणं रोहट्टज्माणविप्पमुक्केणं णिट्ठियरागदोसमोहमिच्छप्तमयभयगारवेणं मज्झत्थभावेणं अदीणमाणसेणं दुवालस वासे संलेहणं काऊणं पाओवगममणसणं पडिवन तारिसेणं एगंतसुहज्झवसाएणं ण केवलं से एगे सिज्झेजा जइ णं कयाई परकयकम्मसंकमं भवेजा ताण सोसिपि भवसत्ताणं असेसकम्मक्खयं काऊणं सिजिमजा, णवरं परकयकम्म ण कयादी कस्सई संकमेजा, जं जेण समज्जियं तं तेणं समणुभवियर्वति, गोयमा! जया णं निरुद्धजोगे हवेज्जा नया णं असेसपि कम्मट्ठरासिं अणुकालविभागेणेव णिट्ठवेजा, सुसंवुडासेसासबदारे जोगनिरोहेणं तु कम्मक्खए दिद्वे, ण उण कालसंखाए, जओ णं 'कालेणं तु खवे कम्म, कालेणं तु पबंधए। एगं बंधे खवे एर्ग, गोयम! कालमर्णतगं ॥२३॥ णिरुबेहिं तु जोगेहिं, वेए कम ण बंधए। पोराणं तु पहीएजा, णक्गस्साभावमेव उ ॥२४॥ एवं कम्मक्खयं विदे, ण एत्य कालमुहिसे । अणाइकाले जीवे य, तहवि कम्मं ण णिहए ॥५॥ खओवसमेण कम्माणं, जया विरई समुच्छले। कालं खेतं भवं भावं, दवं संपप्प जाव तया ॥६॥ अप्पमादी खवे कम्म, जे जीवे तं कोडि बढे । जो पमादी पुणोऽणतं, कालकम्मं णिचंधिया ॥ ७॥ णिवसेजा चउगईए उ, सबदाऽचंतक्खिए। तम्हा कालं खेत्तभव, भावं संपप्प गोयमा!, मइम अइरा कर्म खयं करे ॥२८॥ से भयवं ! सा सुज्जसिरी कहिं समुववन्ना?, गोयमा ! उट्ठीए णरगपुढवीए, से भयब ! केणं अद्वेणं . गोयमा ! तीए पडिपुत्राणं साइरेगाणं णवण्हं मासाणं गयाणं इणमो विचिन्तियं जहा णं पचूसे गम्भं पडावेमित्ति, एवमझवसमाणी चेव बालयं पसूया, पसूयमेत्ता य तक्खणं निहणं गया, एनेणं अटेणं गोयमा ! सा सुजसिरी छट्टियं गयत्ति, से भयवं! जं तं बालगं पसविऊणं मया सा सुज्जसिरी तं जीवियं किंवा ण वत्ति ?, गोयमा ! जीवियं, से भयवं! कहं ?, गोयमा ! पसूयमेनं तं बालगं तारिसेहिं जराजरजल ठूर्ण कुलालचकस्सोवरि काऊणं साणेणं समुहिसि उमारवं, ताबणं दिट्ठ कलालेणं, ताहे धाइओ सघरणिओ कलालो. अविणासियबालतणू णट्ठो साणो, तओ कारुण्णहियएणं अपुत्तस्स णं पुत्तो एस मज्झं होहित्ति वियपिऊणं कुलालेणं समप्पिओ णं से बालगो गोयमा ! सदइयाए, तीए य सम्भा. वणेहेणं परिवालिऊणं माणुसीकए से बालगे, कयं च नामं कुलालेण लोगाणुवित्तीए सजणगाहिहाणेणं जहा णं सुसढो, अन्नया कालकमेणं गोयमा ! सुसाहुसंजोगदेसणापुवेणं पडिबुद्धे णं सुसढे पवइए य, जावणं परमसद्धासंवेगवेरग्गगए अञ्चंतघोरवीरुग्मकट्ठसुदुक्करं महाकायकेसं करेइ संजमजयणं ण याणेइ, अजयणादोसेणं तु सत्य असंजमपएसु णं अवरज्झे, तओ तस्स गुरूहि भणियं-जहा भो भो महासत्त ! तए अन्नाणदोसओ संजमजयणं अयाणमाणेणं महंते कायकेसे समाढत्ते, णवरं जइ निच्चालोयणं दाऊणं पायच्छित्तं ण काहिसि ता सत्रमेयं निष्फलं होही, ता जाव णं गुरूहि चोइए ताव णं से अणवस्यालोयर्ण पयच्छे, सेऽपि णं गुरू तस्स तहा पायच्छित्ते पयाइ जहा णं संजमजयण भुयर्ग, तेणेव अहभिसाणुसमयरोइज्माणाइविष्पमुके सुहझवसाये निरंतर पविहरेजा, अहऽन्नया णं गोयमा ! से पावमती जे केइ छट्ठहमदसमदुवालसद्धमासमासजावणंछम्मासखवणाइए अन्नयरे वा सुमहं कायकेसाणुगए पच्छित्ते से णं तहत्ति समणुडे, जे य उण एगंतसंजमकिरियाणं जयणाणुगए मणोवइकायजोगे सयलासबनिरोहे सज्झायज्माणावस्सगाइए असेसपावकम्मरासिनिदहणे पायच्छिते से णं पमाए अवमन्ने अवहेले असहहे सिढिले जाव णं किल किमित्य दुकरंति काऊणं न तहा समणुढे, अनया णं गोयमा! अहाउयं परिवालेऊणं से सुसढे ११७४ महानिशीथच्छेदसूत्र, अन्न -C मुनि दीपरत्नसागर PARIKA Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मरिऊणं सोहम्मे कप्पे इंदसामाणिए महिड्ढी देवे समुप्पन्ने, तओवि चविऊणं इहई वासुदेवो होऊणं सत्तमपुटवीए समुप्पन्ने, तओ उबट्टे समाणे महाकाए हत्यी होऊणं मेहुणासत्तमाणसे मरिऊर्ण अणंतवणस्सतीए गयत्ति, एस णं गोयमा ! से सुसढे जे णं 'आलोइयनिंदियगरहिए णं कयपायच्छितेवि भवित्ताणं / जयणं अयाणमाणे भमिही सुइरं तु संसारे // 29 // से भयवं! कयरा उण तेणं जयणा ण विन्नाया जओ णं तं तारिसं दुकरं कायकेसं काऊणंपि तहावि णं भमिहिइ सुइरं तु संसारे?, गोयमा! जयणा णाम अट्ठारसहं सीलंगसहस्साणं संपुन्नाणं अखंडियविराहियाणं जावजीवमहन्निसाणुसमयं धारणं कसिणसंजमकिरियं अणुमनंति, तं च तेण न विन्नायंति, तेणं तु से अहन्ने भमिहिइ सुइरं तु संसारे, से भयव ! केणं अटेणं तं च तेणं ण विन्नायंति?, गोयमा ! तेणं जावइए कायकेसे कए तावइयस्स अट्ठभागेणेव जइ से बाहिरपाणगं विवजेन्तोता सिद्धीएमणुक्यंतो, णवरं तु तेण बाहिरपाणगे परिभुत्ते, बाहिरपाणगपरिमोइस्स णं गोयमा! बहुएवि कायकेसे णिरत्यगे हवेजा, जो गं गोयमा ! आऊ तेऊ मेहुणे एए तोऽपि महापावट्ठाणे अबोहिदायगे एर्गतेणं विवजियो एगंतेणं ण समायरियो सुसंजएहिंति, एतेणं अद्वेणं, तं च तेणं ण विण्णायन्ति, से भयर्व ! केणं अटेणं आऊतेऊमेहुणत्ति अबोहिदायगे समक्खाए?. गोयमा! सबमवि छक्कायसमारंभे महापावट्ठाणे, किं तु आउतेउकायसमारंभे णं अणंतसत्तोवघाए, मेहुणासेवणेणं तु संखेजासंखेजसत्तोवघाए घणरागदोसमोहाणुगए एगंतअप्पसत्यज्झवसायत्तमेव, जम्हा एवं तम्हा उ गोयमा ! एतेसिं समारंभासेवणपरिभोगादिसु वट्टमाणे पाणी पढममहवयमेव ण धारेज्जा, तयभावे अवसेसमहायसंजमाणुट्ठाणस्स अभावमेव, जम्हा एवं तम्हा सबहा विराहिए सामण्णे, जओ एवं तओणं पवित्तियसम्मग्गपणासित्तेणेव गोयमा! तं किंपि कम्म नियंधिजा जेणं तु नस्यतिरियकुमाणुसेसु अर्णतसुत्तो पुणो 2 धम्मोति अक्खराई सिमिणेऽवि णं अलभमाणे परिममेजा, एएणं अद्वेणं आऊतेऊमेहुणे अबोहिदायगे गोयमा ! समक्खायत्ति, से भयवं! किं छहमदसमदुवालसदमासमासजावणंछम्मासखवणाईर्ण अचंतघोरवीरगकट्ठसुदुकरे संजमजयणावियले सुमहंतेऽवि उ कायकेसे कए णिरत्थगे हवेजा?, गोयमा ! णं णिरत्थगे हवेजा, से भययं ! केणं अद्वेणं ?, गोयमा ! जओ णं खट्टमहिसगोणादओऽवि संजमजयणावियले अकामनिजराए सोहम्मकप्पादिसु वयंति, तओऽवि भोगखएणं चुए समाणे तिरियादिसु संसारमणुसरेजा, तहा य दुग्गंधामिज्झविलीणखारपित्तोज्झसिंभपडिहत्थे बसाजलुसपूयदुद्दिडणिविलिबिले हिरचिक्खले दुईसणिजवीभच्छतिमिसंधयारए गंतुधियणिजगन्भपवेसजम्मजरामरणाईअणेगसारीरमणोसमुत्थसुघोरदारुणदुक्खाणमेव भायणं भवति, ण उण संजमजयणाए विणा जम्मजरामरणाइएहिं घोरपयंडमहारुददारुणदुक्खाणं णिट्ठवणमेगंतियमचंतियं भवेजा, एतेणं संजमजयणावियले सुमहंतेऽवीकायकेसे पकए गोयमा! निरत्थगे भवेजा, से भय ! किं संजमजयणं समु(मणु)प्पेहमाणे समणुपालेमाणे समणुढेमाणे अइरेणं जम्मजरामरणादीणं विमुचेजा, गोयमा! अस्थेगे जेणं ण अहरेणं विमुभेजा अत्थेगे जेणं अहरेणं विमुंचेजा, से भयवं! केणं अटेणं एवं बुच्चर जहा णं अत्थेगे जे णं णो अहरेणं विमुचेजा अरथेगे जे णं अइरेणं विमुचेजा, गोयमा! अत्थेगे जेणं किंचि उ इसिमणगं अस्थाणग अणवलक्खमाण सरागस जेणं किंचि उसिमणगं अस्थाणगं अणवलक्खेमाणे सरागससले संजमजयणं समणुढे जे णं एवं बिह से णं चिरेणं जम्मजरामरणाइजणेगसंसारियदुक्खाणं विम बेजा, अत्धेगे जेणं णिम्मूलुदियसबसाले निरारंभपरिग्गहे निम्ममे निरहंकारे ववगयरागदोसमोहमिच्छत्तकसायमलकलंके सबभावभावंतरेहि णं सुविसुद्धासए अदीणमाणसे एगंतेणं निजरापेही परमसदासंवेगवेरम्गगए चिमुकासेसभयगारवविचित्ताणेगपमायालंबणे जाव णं निजियघोरपरीसहोवसम्गे ववगयरोहझाणे असेसकम्मक्खयहाए जहुत्तसंजमजयणं समणुपेहिजा अणुपालेजासमणुपालेजा जाव णं समणुढेजा जे णं एवंविहे से णं अइरेणं जम्मजरामरणाइअणेगसंसारियसुदुधिमोक्खदुक्खजालस्सणं विमुचेजा, एतेणं अद्वेणं एवं बुच्चा -जहाणं गोयमा! अत्थेगे जे णं णो अइरेणं विमुचेजा अत्थेगे जे य णं अइरेणेव विमुचेजा, से भयवं! जम्मजरामरणाइअणेगसंसारियदुक्खजालचिमुके समाणे जंतू कहिं परिवसेजा. गोयमा! जत्थणं नजरान मचून वाहिओ णो अयसऽभक्वाणसंतावुधेगकलिकलहदारिददाहपरिकसं ण इट्टविओगो, किंबहुणा?.एगंतेणं अक्खयधुपसासयनिरुवमअर्णतसोक्वं मोक्वं परिखसेजत्ति बेमि।॥ महानिसीहस्स विड्या चूलिया ॥१०८॥समत्तं महानिसीहसुयक्खंधं॥ॐनमो चउवीसाए तित्थंकराणं ॐ नमो नित्यम्स ॐनमो सुयदेवयाए भगवतीएॐनमो सुयकेवली] ॐनमो सबसाहुणंॐ नमो समसिदाणं नमो भगवओ अरहओ सिज्झउ मे भगवई महइ महाविजा वइरए महअअब्रए जयव्हरए स्एणव्इहरए वशम्अअणव्डइरए वइम्अअणव्इइरए जयए इजयए जय्अन्त्ए अपञ्जअजइए स्ञ , उपचारो चउत्थभनेणं साहिजर एसा विजा, सजगउ ण्इत्थ्अअरग्अपारग्अउ होड, उबट्ट अअवण्अअअ गणस्स वा अण्उन्णआए एसा सत्त वारा परिजवेयवा, णित्थारगपारगो होइ, जिणकप्पसम(संपत्तीए विजाए अभिमंतिऊण(ए) विग्यविणायगा आराहंति, सूरे संगामे पविसंतो अपराजिओ होइ, जिणकप्पसमत्तीए विजा अभिमंतिऊणं खेमवहणी भवइ ।टा'चत्तारि सहस्साइं पंच सयाओ सहेब चत्तारित एवं च सिलोगाविय महानिसीहंमि पावए॥३०॥ मुनि दीपरनसागर 29.-महाविलीशायोजय मला