Book Title: Jain Vangmay me Bramhacharya
Author(s): Vinodkumar Muni
Publisher: Vinodkumar Muni

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Page 172
________________ 25. 26. N000 ल + + ललललल VDON + + + + वही (1) 3/28 वही (1)9/28 का टिप्पण संख्या 92 में उद्धृत- सू/ निर्यक्ति। उत्तरज्झयणाणि 4/13 ज्ञानार्णव 14/43 वही 14/44 भगवती आराधना 344 वही 347 वही 348 सूयगडो (1)/4/टिप्पण संख्या 130 में उद्धृत सू/ चूर्णि : पृ. 120 वही (1)/4/टिप्पण संख्या 40 में उद्धृत सू/ चूर्णि : पृ. 109 वही (1)/4/टिप्पण संख्या 40 में उद्धृत सू/ चूर्णि : पृ. 107 वही (1)/4/टिप्पण संख्या 47 में उद्धृत (अ) चूर्णि : पृ. 109 (ब) वृत्ति पत्र 110 सूयगडो (1)/41 टिप्पण संख्या 131 में उद्धृत चूर्णि पृ. 120 आचारांग भाष्यम् 5 (4)/87 सूयगडो (1)/4/टिप्पण संख्या 30 में उद्धृत सू/ चूर्णि : पृ. 106 वही (1)/4/टिप्पण संख्या 38 में उद्धृत सू/ चूर्णि : पृ. 107 वही (1)/4/13 वही (1)/4/13/का टिप्पण संख्या 40 में उद्धृत चूर्णि : पृ. 107 प्रश्नव्याकरण सूत्र 2/4/12 दसवेआलियं 8/55 उत्तराध्ययन 35/7 भगवती आराधना 971-975 पथ और पाथेय, पृ. 40-41 सूयगडो (1)/4/15 का टिप्पण संख्या 45 में उद्धृत वृत्ति, पत्र 109 वही (1)/4/14,15 वही (1)/4/14 के टिप्पण संख्या 43 में उद्धृत वृत्ति, पत्र दसवेआलियं 5(1)/10: टिप्पण संख्या 43 में उद्धृत (अ) अ.चू.पृ. 101 (ब) जि.चू. पृ. 171 सूयगडो (1) /4/का टिप्पण संख्या 124 में उद्धृत वृत्ति, पत्र 118 155 + + 50. 51. 52.

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