Book Title: Jain Vangmay me Bramhacharya
Author(s): Vinodkumar Muni
Publisher: Vinodkumar Muni

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Page 171
________________ 5.0 संदर्भ ठाणं 9/3 समवायांग 9/1: समवाओ 9/1 के टिप्पण में उद्धृत आवश्यक वृत्ति (आचार्य हरिभद्र) भाग -2 पृष्ठ पृ. 104 उत्तराध्ययन 16/ आमुख पृष्ठ 364 में उद्धृत - मूलाचार 11/13,14 उत्तरज्झयणाणि 16/आमुख पृ. 364 म उद्धृत अणगार धर्मामृत 4/61 सूयगडो (1) 10/15 (अ) ठाणं 9/3 (ब) समवायांग 9/1 (स) दसवेआलियं 8/51 (द) उत्तरज्झयणाणि 16/3 (च) आवश्यक वृत्ति भाग-2, पृ. 104 (समवाओ 9/1 के टिप्पण में उद्धृत) उत्तरज्झयणाणि 35/3,4 (अ) उत्तरज्झयणाणि 32/16 (ब) वही 35/5 उत्तरज्झयणाणि 32/12 बृहत्कल्प सूत्र 1/25 वही 1/26 वही 1/27 वही 1/28 वही 1/29 वही 1/30 बृहत्कल्प सूत्र 1/30 के विवेचन से उद्धत बृहत्कल्प सूत्र 1/32 प्रश्नव्याकरण सूत्र (2)4/12 दसवेआलियं 5(1)/9,10,11 आचारांग भाष्यम् 4 (2)/17 सूयगडो (1) 3/70 वही (1)3/71 वही (1)3/72 154 20.

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