Book Title: Yogashastra of Hemchandracharya
Author(s): Hemchandracharya, Surendra Bothra
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 211
________________ सप्तम प्रकाश Seventh Chapter ध्यानं विधित्सा ज्ञेयं च ध्याता ध्येयं तथा फलम् । सिध्यन्ति नहि सामग्री विना कार्याणि कहि चित् ॥ १॥ Meaning : The meditator,the object of meditation, and its result, these three must first be known; because nothing can be achieved without collecting the required material. अमुञ्चन् प्राणनाशेपि संयमैकधुरीणताम् । परमप्याऽत्मवत्पश्यन् स्वस्वरूपाऽपरिच्युतः॥२॥ उपतापमसम्प्राप्तः शीतवातातपादिभिः । पिपासुरमरीकारि योगामृतरसायनम् ॥ ३ ॥ रागादिभिरनाक्रान्तं क्रोधादिभिरदूषितम् । प्रात्मारामं मनः कुर्वन् निर्लेपः सर्वकर्मसु ॥४॥ विरतः कामभोगेभ्यः स्वशरीरेऽपि निःस्पृहः । संवेगहृदयनिर्मग्नः सर्वत्र समतां श्रयन् ॥ ५॥ नरेन्द्रे वा दरिद्रे वा तुल्यकल्याणकामिनः । अमात्रकरुणापात्रं भवसौख्यपराङ्मुखः ॥ ६ ॥ सुमेरुरिव निष्कम्पः शशीवानन्ददायकः । समीर इव निःसंगः सुधिाता प्रशस्यते ॥७॥ षभिःकुलकम् ॥ Meaning : He can be called ideal meditator : Who adheres to character, even at the cost of his life. Who 198 Yoga Shashtra Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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