Book Title: Visesavasyakabhasya Part 2
Author(s): Jinbhadrasuri, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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नि० १९७] निर्गमद्वारे ऋषभवरितम् ।
. २९१ अउणापण्णं जुअले' पुत्ताण सुमंगला पुणो पसवे । णीतीण अतिकमणे निवेयणं उसभसामिस्स ॥१८८॥१५९९॥ राया करेति दण्डं सिढे ते बेति' अम्ह वि स होउ । मग्गह य कुलगरं सो य वेति उसभो य भे राया ॥१८९॥१६००। आभोएतुं सको उवागओं तस्स कुणइ अभिसेयं । 'मउडाइअलंकारं नरिंदजोग्गं च से कुणइ ॥१९०॥१६०१॥ भिसिणीपत्तेहितरे घेत्तूणुदयं छुहन्ति पाएमु । साधु विणीता पुरिसा विणीतनगरी अध णिविट्ठा ॥१९१॥१६०२॥ आसा इत्यो गावो गहिताई रज्जसंगहणिमित्तं । 'धेतूग एवमादी चतुविधं संगई कुणति ॥१९२॥१६०३॥ उगा भो[१०४--द्वि०][गा] राइण्ण खत्तिया संगहो भवे चतुधा । आरक्खि गुरुवयंसा सेसा जे खत्तिया ते तु ॥१९३।।१६०४॥ आहारे सिप्पकम्मे य मामणा य विभूसणा । लेहे गणिते य रूवे य लक्खणे माण पोतए ॥१९४॥१६०५।। ववहारे णीति जुद्धे य ईसत्थे य उवासणा । तिगिच्छा अस्थसत्थे य बंधे घाते य मारणा ॥१९५॥१६०६॥ जण्णूसवसमवाए मंगले कोतुए ति य । वत्थे गन्धे य मल्ले य अलंकारे तधेव य ॥१९६ ॥ ॥ १६०७॥ चोलोवण विवाहे य दत्तिया मडगपूयणा । ज्झावंगा थूम सद्दे य छेलावणग पुच्छणा ॥ १९७ ॥ १६०८ ॥ "आसी य कन्दाहारा मूलाहारा य "पत्तहारा य । पुप्फफलभोइणो वि य जइया किर कुलगरो उसभो ॥ १६०९ ॥
१ इयानेव गाथांश उद्धृतः जेप्रतौ । २ गमइक' हा दी। ३ विति हा i . 'ओ कुजे । ५ उत्तराध नोडतं जेपतौ । ६ °रे उदय घेनुं छुभंति को । °रे उदयं पित्तं छु हा दी । "रे उदयं घेनं छु म। ७ घित्तूग हा दी। ८ खेत्ति' जे । ९ झाव. को हा मदी। १. आचार्य हरिभद्दीपिकाकाराभ्यां मूलभाष्यत्वेन सम्मताः गाथाः १६.९
१६२५ । ११ पत्ता. जे ।
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