Book Title: Visesavasyakabhasya Part 2
Author(s): Jinbhadrasuri, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ ૨૮૮ विशेषावश्यकभाष्ये नि० १६४धणसत्यवाघोसण जतिगमण अडवि वास ठाणं च । बहुवोलीणे वासे चिन्ता घतदाणमासि तता ॥१६४॥१५७३।। उत्तरकुरु सोधम्मे महाविदेहे महब्बलो राया । ईसाणे ललितंगो महाविदहे वइरजंघो ॥१५७४॥ उत्तरकुरु सोधम्मे विदेह तेगिच्छियस्स तत्थ सुतो । रायमुतसेठिमच्चे" सत्थाहसुता वयंसा से ॥१६५॥१५७५॥ वेज्जसुत[ १०३ प्र० स य गेहे किमिकुठोवद्दतं जतिं दह । . 'वन्ति य ते वेज्जसुतं करेहि एतस्स तेगिच्छं ॥१६६।१५७६॥ 'तेल्लं तेगिच्छिसुतो कंवलयं चंदणं च वाणियो । दातुं अभिणिक्खंतो तेणेव भवेण अंतकडो ॥१६७॥१५७७॥ साधु तिगिच्छिनृणं सामण्ण देवलोगगमणं च । पोण्डरिगिणिए तु "चुता ततो "सुता व ईरसेणस्स ॥१६८॥१५७८॥ पढमेत्थ "वइरणाभो वाहु सुवाहू य पीढमहिपीढे । तेसिं पिता तित्थकरो णिक्खंता ते वि तत्थेव ।।१६९॥१५७९॥ पढमो चोदसपुव्वी सेसा एक्कारसंगवी" चतुरो । वितिओ वेयावच्चं कितिकम्मं ततियओ कासी ॥१७०।१५८०॥ केवलं मलयगिरिणा एका अधिका गाथा व्याख्याता-तद्यथा धण मिहुण सुर महब्बल ललियंग य वइरजंघ मिहुणे य । सोहम्म विज्ज अच्चुय चक्की सब्वह उसमे य । १ मण हा । २ तदा इत्यर्थः । तया को हा म दो। ३ गार्थयं सर्वामु प्रतिषु उपलभ्यते । आचार्यहरिभद्रास्तु “इयमन्यकर्तृकी गाथा सोपयोगा च" इत्याहुः । “एषा अन्यकृता गाथा' इति सूचयन्ति दीपिकाकाराः । ४ तस्स जे । ५ °मच्चा को हा म दी । ६ बिति दी । ७ विज म हा दी। ८ तिल्लं हा दी। ९ पुण्डरगिगीए को। पुण्डर हा दी। १० सुता जे। जुया को । ११ चुता जे । १२ वयर म । १३ 'मित्थ हा दी । मोत्थ म। १४ चउदस हा म दी। १५ गविउ हा दी । १६ वेता जे। For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 338