Book Title: Vasudev Chupai Author(s): Rasila Kadia Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ 255 कथासार : सौरिपुरनगरमा हरिवंशना यदुनरेन्द्र सूरराय तथा तेमनी पटराणी सूरप्रियाने अन्धकवृष्णि तथा भोज़कवृष्णि नामना बे पुत्रो हता. अन्धकवृष्णिने अनुकमे समुद्रविजय, अक्षोभ, स्तिमित, सागर, धरण, पूरण, हिमवंत, अचल, अभिचन्द्र अने दसमा वसुदेवकुमार; जेओ दसार तरीके ओळखाता, एवा दस दीकराओ हता. भोजकवृष्णिने वे दीकरा पैकी एक उग्रसेन, बीजा देव. समुद्रविजय सोरिपुरमा राज्य करता हता त्यारे पोताने त्यां पधारेला ज्ञानी गुरुने वन्दन करवा गयेला अने पोताने प्रिय एवा नाना रूपवंता भाई वसुदेवना मनमोहक रूप विशे पृच्छा करतां तेओने एना पूर्वभवनी माहिती प्राप्त थाय छे. अनुसंधान- २८ वसुदेव पूर्वभवे नन्दिषेण तरीके दुर्भागी अने कुरूप बाळक हतो जेना मातपिता बाळपणमां मृत्यु पाम्या होवाथी मामाने त्यां आश्रये रहेवुं पडेलुं. त्यां मामानी सात दीकरीओमांथी एकेय तेनी साथे परणवानी ना पाडतां अने मामाए अन्य कन्या शोधवा प्रयत्न करवा छतां क्यांय ठेकाणुं न पडतां आत्महत्या करवा प्रवृत्त थाय छे त्यारे मुनिनो मेळांप थतां धर्म पामे छे. साधुओनी वैयावच्च करवानुं व्रत लई सुपेरे पाळतां, देवे उग्र कसोटी करी अने ते तेमांथी पार उतरे छे. अन्तकाळे तेणे रमणीजनने वल्लभ बने तेवुं निआणुं बांधेल तेथी वसुदेव मनमोहक रूप साथे जन्म्यो छे. मथुरामां राज्य करता उग्रसेन राजाए रामवाडीमां तापस जोतां मासखमणना पारणा माटे ऋण ऋण वार बोलावी, भिक्षा न आपतां, तापसना कोपनो भोग बने छे अने तेने त्यां ज अवतरे छे अने रायमांसनो दोहद थतां राणी धारिणी जन्मतांवेंत आवा दीकराने कांसानी पेटीमां सुवर्ण अने पुत्रनी ओळख साथे यमुना नदीमां पधरावी दे छे जे सुभद्र शेठने त्यां कंस तरीके उछरे छे. पण बाळपणनां तेना क्रूर तोफानोथी वाज आवी ते राजा समुद्रविजय पासे आवीने, तेना जन्मनी वात कहेतां, वसुदेव आ बाळक कंसने प्रीतिपूर्वक पोतानी पाते राखे छे. धारिणीनो बीजो पुत्र ते अइमत्त कुमार. मगधदेशना बृहद्रथ राजानो पुत्र जरासन्ध सोरीपुरना समुद्रविजयने जणावे छे के पोतानी आण न माने तेने बांधीने लावे तेवी व्यक्तिने ते पोतानी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 44