Book Title: Vachandutam Uttarardha
Author(s): Mulchand Shastri
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 2
________________ rateLITE प्रकाशकीय ___ वचनदूतम् उत्तराद्ध को पाठक के हाथों में देते हुए हमें प्रतीय है। इसका पूर्वा :: क्षेत्र में हा शो पर पीर REE में प्रकाशित किया गया था जिसकी विद्वज्जनों ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की संस्कृत भाषा के इस दूत सज्ञक काध्य को निबद्ध करने का श्रेय पं. मूलचन्दी वीबी महावीर जी को है 1 शास्त्रीजी संस्कृत के उद्भट विद्वान हैं और संस्कृत काम रखना में मत्यधिक रुचि लेते हैं। इसी वर्ष अप्रेल, १६८१ में महावीर अली के अवसर पर श्री महावीर क्षेत्र की मोर से वार्षिक मेले पर भापको ...म्मानित भी किया गया था। हमें प्रसन्नता है कि राजस्थान संस्कृत साहित्य सोलन की पोर से भी इस वर्ष माप सम्मानित किये गये हैं । . . प्रतुत काव्य क्षेत्र कमेटी के प्रकाशन का २२ वा पुष्प है। हमारे २१ वें BAR काम "पाहुबली" खण्ड काम्य [श्री अनूपचन्द न्यायतीर्थ द्वारा रचित का मोचन भगवान बाहुबली प्रतिष्ठापना सहस्राब्दि समारोह एवं महामस्तकाभिषेक महोत्सव के पुनीत अवसर पर श्रवणबेलगोसा में परम पूज्य १०८ एलापार्य भी विधानन्य जी महाराज के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुमा था। इस के पूर्व विभाग के २० प्रकासनों में राजस्थान के जैन मंडारों की ग्रंथ सूचियों के पांच भाग, राजस्थान के जैन सन्त, महाकवि दौलतराम कासलीवाल व्यक्तित्व एवं कृतित्व, गिणपत चरित, प्रद्युम्न चरित, जैन शोध और समीक्षा, पं. चैनसुखदास न्यायवीर्ष स्मृति ग्रंथ मादि के नाम उल्लेखनीय है । .. भविष्य में साहित्य प्रकाशन के कार्य को प्राधिक गतिशील बनाने की दिशा मैं हम प्रयत्नशील है। हमें यह सूचित करसे या प्रसन्नता होती है कि योग विषय की एक प्रत्यन्त महत्वपूर्ण कृति "योगानुशीलन" जिकके लेखक श्री कैलाशचन्द्र जी बारदार हैं, का मुद्रण कार्य चल रहा है मोर हमें महावीर जयन्ती तक उसके प्रकाशित होने की पूर्ण प्राशा है। दिगम्बर जैन प्रतिषम नेत्र श्री महावीर जी की प्रबन्ध कारिणी कमेटी का | ".. कार्य क्षेत्र सिर्फ श्री महावीर जी दर्शनार्थ प्राने वाले यात्रियों को प्रावास प्रादि

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