Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ सम्पादकीय प्रस्तुत पुस्तक में तीन ग्रन्थ हैं - ओवाइयं, रायपसेणियं और जीवाजीवाभिगमे । ओवाइयं औपपातिकका पाठ आदर्शों तथा वृत्ति के आधार पर स्वीकार किया गया है। प्रस्तुत सूत्र में वाचनान्तरों की बहलता है। यह सूत्र वर्णनकोश है। इसलिए अन्य आगमों में स्थान-स्थान पर 'जहा ओववाइए' इस प्रकार का समर्पण-वचन मिलता है। उन आगमों के व्याख्याकारों द्वारा अपने व्याख्या-ग्रन्थों में अवतरित पाठ तथा कहीं-कहीं समर्पण-सूत्रों के पाठ औपपातिक के स्वीकृत पाठ में नहीं मिलते हैं। वे पाठ वाचनान्तर में प्राप्त हैं। समर्पण-वचन पढ़ने वालों के लिए यह एक समस्या बन जाती है। प्रस्तुत आगम का पाठ आदर्शों तथा वृत्ति के आधार पर ही नहीं, किन्तु अन्य आगमों व व्याख्या-ग्रन्थों में प्राप्त अवतरणों व समर्पणों के आधार पर भी निर्धारित होना चाहिए था। किन्त समग्र अवतरणों व समर्पणों का संकलन हए बिना वैसा करना संभव नहीं। इस विषय में कुछ संकलन हमने किया हैभगवई ७।१७५ एवं जहा ओववाइए जाव ७.१७६ एवं जहा उववाइए (दो बार) ७।१९६ जहा कूणिओ जाव पायच्छित्ते ६।१५७ "जहा ओववाइए जाव एगाभिमुहे।" "एवं जहा ओववाइए जाव ति विहाए"। ६।१५८ "जहा ओववाइए जाव सत्थवाह" । "जहा ओववाइए जाव खत्तियकुंडग्गामे"। ६।१६२ ओववाइए परिसा वण्णओ तहा भाणियब्वं । ६।२०४ "जहा ओववाइए जाव गगणतलमणुलिहंती"। "एवं जहा ओववाइए तहेव भाणियब्वं"। २०४ जहा मोववाइए जाव महापुरिस" २०८ जहा ओववाइए जाव अभिनंदता २०६ एवं जहा ओवबाइए कुणिओ जाव निग्गच्छइ १६५६ जहा ओववाइए जहा ओववाइए कूणियस्स १११८५ जहा ओववाइए जाव गहणयाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 854