Book Title: Upkesh Vansh
Author(s): Unknown
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushapmala

Previous | Next

Page 1
________________ $ श्री रतप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला पुष्प नं० ३४ । * श्रीरत्नप्रभ सूरिपादपद्मेभ्योनमः उपकेश वंश । (ओसवाल जाति का संक्षिप्त पद्यमय इतिहास) दोहा-वीर ! वीर !! महावीर को !!! करत नमन शतवार । सूरीश्वर गुरु रत्न ने किया बड़ा उपकार ॥ १ ॥ ऐतिहासिक नगरी' जहाँ, उपजे हैं श्रोसवाल । सब लोगों के ज्ञान हित, कहदूँ थोड़ा हाल ॥ २ ॥ (तर्ज़ - कव्वाली) कथन इसका सुनो अब सब । श्रोशियों क्यों बसाई है || || नगर श्रीमाल का राजा । वंश परमार में जो था । हुई पुत्रों से इक कारण। किसी दिन को रुखाई है ॥ क०१ ॥ पुत्र इक तातको तजके । इकट्ठा करके निज धन को । चला फिर अन्य स्थानों को। वसन की धुन समाई है | |क०२|| १ उपकेशपुर ( प्रोशियों ) २ उत्पलदेव कुँवर । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 ... 16