Book Title: Upasakadasanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Somji Rishi
Publisher: Surat

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Page 175
________________ ॥ बार सोकानउ ) - आंतरं] विविवर॥ जोतिघकी। सिंज्वालसवती अंतराणियाछिहाणियविवाहालिया पडिजागरमागी विचरच. तिवारपना तेरेवतागाधापतिलक एकदाजस्तावई तेहा बार।। स्पोकिनुं ।।। विहरतितपणंसारवगाहावा अलयाकयाीतसिंडवालसहसती आंतरुअवसर जागानई बस्पोकिनई सस्त्रशंकरा] माराजीनेजावर मालस्पोकिनई विषदेईनाई। अंतरंजाणिसाबसवनीसलपनगणं नद्देवेति बसवत्तीजविसप्पउगएं मारीनइं) / पवार योकिाना || पाहना । । एकएककोडिएवं२कोडिसो एकक उहवति एतासिंज्वालाहसवती कोलरिया एगमेगहिरणकोडि एगमे एवं गो तेरेवतीmaापतीला पो| पब माहासतक। श्रावक संघातई उदारपधान, गव्यं सयमेवंपतिवाति महासयएएसमोवासएणसहि उरालाई तो तरलीधा

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