Book Title: Upasakadasanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Somji Rishi
Publisher: Surat
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करी नामकता माहासतक आवकनई] [संघानई उदारसला मनुष्यसंबंधाया लोग
पणनोसंचाएमिमदासए समोवासपसमिरालाईमा पसगाऽतो उपासग
तोगवती विचरानसऊँ तेमाटर यानिश्च मुफ़ एजे १२बार ]) स्पोकितेदनई ।। गोगाजमाणीविहरिनपातसेयरवलुममा यतातोऽवालस्मविसवनी अग्निकरीनई) सस्वईकरीनई विषईकरीन जीवतयधकारहातक अनई) ऋग्रिपणवामपनगेहावा विस्मप्पणवा जावीयाउववरोविनाए। तिबारसोक्यना एक एकसुवसनीकोडि एकएकवर्गगाने आपण पई अंगीकारकरीनविचरूं सासिएपगमेगंदिरणकोडा एगमेगंवयं सयमेवउवसंपधिनाविहर माहासतक | श्रावक संघातई उदारतोगशोगक्ता विचरीस इमविचारीनई. तेद महासएवं समतावासएंसहि उरालाईजावविदरिनएएवंसपेहिनिशता
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