Book Title: Tritirthi
Author(s): Rina Jain
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 33
________________ मूर्तियां सुवर्ण गुफा में रखवा दो । वह गुफा देवताओं को भी अप्राप्य, ऐसा प्रभु का एक कोश (भंडार) है और अभी सब अर्हतों की मूर्तियां सोने की बनवाओ और प्रासाद सोने और चाँदी के बनवाओ फिर प्रासाद से पश्चिम की तरफ रही सुवर्ण गुफा के जो रसकूपियां और कल्पवृक्ष थे, वे इन्द्र ने बताए । तब वहाँ पहुँच जाकर प्रभु की मूर्तियों को यत्न से ले जा कर चक्रवर्ती ने उन में पधराई और उनकी पूजा के लिए यक्षों को तुरंत आज्ञा दी। फिर इन्द्र को साथ ले कर सगर राजा ने अहँतों के प्रासाद प्रस्तर व चाँदी के और मूर्तियां सुवर्ण की बनवाईं। सुभद्र नाम के शिखर पर दूसरे तीर्थंकर श्री अजितनाथ का चाँदी का प्रासाद बहुत भावपूर्वक बनवाया । वहाँ ज्ञानवान गणधरों, श्रावकों और देवताओं ने मिल कर पूजापूर्वक विशाल प्रतिष्ठामहोत्सव किया । इस प्रकार इस गिरि का सगर राजा द्वारा यात्रा का उल्लेख प्राप्त होता है। शत्रुजय तीर्थ की यात्रा तलहटी से प्रारम्भ हो निम्न ढूंकों व चरण पादुकाएं करते हुए पूर्ण करनी चाहिए जय तलहटी, श्री पुण्डरिकस्वामी की चरण पादुकाएँ, श्री अजितनाथजी की चरण पादुकाएँ, श्री गौतम स्वामी की चरण पादुकाएँ, श्री आदीश्वर भगवान की चरण पादुकाएँ, श्री शान्तिनाथ की चरण पादुकाएँ, सरस्वती मन्दिर, श्री धर्मनाथ, कुन्थुनाथ एवं नेमिनाथ की चरण पादुकाएँ, बाबू का मन्दिर, जल मन्दिर, रत्न मन्दिर, बाबू मन्दिर के मूलनायकजी, समवसरण मन्दिर, प्रथम विश्राम, दूसरा विश्राम, भरत चक्रवर्ती की चरण पादुकाएँ सिद्धाचल, इच्छा कुण्ड, श्री ऋषभदेव, नेमिनाथ एवं वरदत्त गणधर की पादुकाएँ, लीली परब तीसरा विश्राम, आदीश्वर की चरण पादुकाएँ, कुमार कुण्ड, हिंगलाज का चढ़ाव, हिंगलाज देवी, चौथा विश्राम कलिकुण्ड पार्श्वनाथ की चरण पादुकाएँ, पाँचवा विश्राम, महावीर स्वामी की चरण पादुकाएँ, शाश्वत जिन की चरण पादुकाएँ व छाला कुंड, श्री पूज्य की ट्रॅक, श्री पूज्य की ढूंक से पालीताना का दृश्य, श्री पद्मावती देवी के ऊपर • 18 त्रितीर्थी

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