Book Title: Tritirthi
Author(s): Rina Jain
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 122
________________ धरणेंद्र-पद्मावती ने पहले असुर मेघमाली के उपसर्गों से प्रभु के शरीर की रक्षा कर अपनी उत्कृष्ट भक्ति का परिचय दिया और पश्चात् प्रभु भक्तों के उपसर्ग निवारण में प्रमुख सहायिका बनीं। यह आज प्रत्यक्ष अनुभव सिद्ध बात है। इसी कारण आज कलयुग में जहां प्रभु पार्श्वनाथ नाम स्मरण, कीर्तन सर्वाधिक चमत्कारी तथा शीघ्र फलदायी माना जाता है। वहीं उनकी शासन रक्षिका देवी माता पद्मावती भी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली प्रत्यक्ष चमत्कारी महादेवी मानी जाती है। वर्तमान में सबसे अधिक अधिष्ठायक देवी-देवता प्रभु पार्श्व के ही हैं, श्री धरणेन्द्र-पद्मावती, श्री नाकोड़ा भैरव देव, शिखरजी के भोमिया बाबा, यक्ष देव, नाग-नागिन आदि कई समकित देव प्रभु भक्ति में लीन रहते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि प्रभु पार्श्व की भक्ति वो नैया है जो उन्हें पार लगा कर रहेगी। भगवान के हजारों तीर्थ हैं परंतु 108 तीर्थ अति प्रसिद्ध हैं जहाँ पर चमत्कार होते हैं। जहां हर समय लोग भक्ति-पूजा में लगे रहते हैं। ऐसे तीर्थ का नाम स्मरण ही अपने आप में पुण्य है। कहते हैं भगवान पार्श्व ने पूर्व जन्मों में पूर्व के तीर्थंकर भगवंतों के पंचकल्याणक अत्यन्त श्रद्धा भक्ति से मनाए। इस कारण प्रभु ने ऐसे पुण्य कर्म का बंधन किया कि इस युग में उन्हें 23वें तीर्थंकर होते हुए भी सबसे ज्यादा स्मरण किया जाता है। ऐसा भी गुरु भगवंत फरमाते हैं कि कण-कण में पार्श्वप्रभु हैं। जो जहाँ श्रद्धा से ध्यान लगायेगा उसे वहीं साक्षात् दर्शन होंगे। हाल ही में बना राजस्थान राज्य के भीनमाल का लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ का तीर्थ कुछ ऐसे ही चमत्कार का परिणाम रहा है। शङ्केश्वर तीर्थ 107

Loading...

Page Navigation
1 ... 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142