Book Title: Tritirthi
Author(s): Rina Jain
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 114
________________ धरणेन्द्र-पद्मावती के सान्निध्य से वह प्रतिमा सकल विघ्नापहारिणी, सकल ऋद्धि-जननी हुई। वह वहीं शंखपुर में स्थापित की गई। कालान्तर में प्रच्छन्न होकर क्रमशः शंखकूप में प्रगट हुई । आज पर्यन्त चैत्यगृह में सकल संघ द्वारा वह पूजी जाती है। अनेक प्रकार के परचे-चमत्कार पूरे जाते हैं। तुर्क राजा लोग भी वहाँ महिमा करते हैं। ८६५०० वर्ष से यह प्रतिमा इसी ग्राम में है। यहाँ इसके जीर्णोद्धार समय-समय पर होते गये हैं। कामित तीर्थ शंखेश्वर स्थित पार्श्वनाथ जिनेश्वर की प्रतिमा का यह विवरण शंखेश्वराधीश्वर पार्श्वनाथदेव कल्याणकल्पद्रुम से लिया गया है। शलेश्वर तीर्थ 99

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