Book Title: Tritirthi
Author(s): Rina Jain
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 106
________________ कहलाती है। फिर वापिस जय तलहटी से अथवा सहसावन से ऊपर चढते समय पूर्वानुसार दो चैत्यवंदन करना। इस तरह दोनों में से किसी भी स्थान से पुनः दादा की ट्रॅक के दर्शन चैत्यवंदन करके इन दोनों में से किसी भी स्थान से नीचे उतरने पर दूसरी यात्रा गिनी जाएगी। क्रमशः इसके अनुसार 108 दादा की ढूंक की स्पर्शना करनी आवश्यक है। गिरनार तीर्थ

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