Book Title: Tirthankar Bhagawan Mahavir Author(s): Hukamchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय (पन्द्रहवाँ संस्करण) 'तीर्थंकर भगवान महावीर का यह पन्द्रहवाँ संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इसका सर्वप्रथम प्रकाशन भगवान महावीर के 2500वें निर्वाण वर्ष में किया गया था। तब से अबतक इसकी 2 लाख 5 हजार 600 प्रतियाँ देश की विभिन्न भाषाओं में छपकर समाज तक पहुँच चुकी है। हिन्दी में 1 लाख 11 हजार 400 प्रतियाँ चौदह संस्करणों के माध्यम से बिक चुकी हैं। पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट का तो रचनात्मक कार्यों में ही विश्वास है । हमारी हार्दिक भावना है कि भगवान महावीर के जीवन एवं दर्शन से सम्बन्धित सत्साहित्य अल्प मूल्य में देश के कौने-कौने में पहुँचे तथा हर घर में इसका पठन-पाठन हो। इसी उद्देश्य से इस पुस्तिका का यह संस्करण नई साज-सज्जा के साथ आपके हाथों में है। इसके प्रकाशन के पूर्व इसके लेखक डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल ने इसको पुनः आद्योपांत पढ़ा है और आवश्यक संशोधन कर इसे परिमार्जित रूप प्रदान किया है। पुस्तक के लेखन हेतु डॉ. भारिल्लजी का जितना उपकार माना जाए कम है। उन्होंने अत्यन्त सरल व सरस शैली में अबतक 53 कृतियों का सृजन कर उसे सस्ती दरों पर सामान्यजन को उपलब्ध कराया है। वे दीर्घजीवी हों तथा लेखन व प्रवचनों के माध्यम से समाज को दिशा देते रहें - ऐसी कामना है। इस कृति को अल्पमूल्य में पहुँचाने का श्रेय उन दातारों को है, जिन्होंने कीमत कम करने में अपना आर्थिक सहयोग प्रदान किया है। दातारों की सूची पृथक् से प्रकाशित है। सभी दातारों का हम हृदय से आभार मानते हैं। साथ ही प्रकाशन विभाग के प्रभारी श्री अखिल बंसल को भी धन्यवाद देना चाहेंगे, जिन्होंने प्रकाशन का दायित्व बखूबी निभाया है। आप सभी इस पुस्तिका के माध्यम से भगवान महावीर के जीवन एवं दर्शन का अन्वेषण कर उनके बताए हुए मार्ग पर चलकर अनन्त सुख प्राप्त करें ऐसी पवित्र भावना है। ब्र. यशपाल जैन प्रकाशन मंत्रीPage Navigation
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