________________ (24) वहाँ 'हम सब एकसे हैं' में व्यक्ति-स्वातंत्र्य के साथ ही समानता के आधार पर एकता भी स्थापित होती है, जो कि वस्तुस्वभाव और मानव-मनोविज्ञान के अति निकट है। इसप्रकार उनका उपदेश सार्वभौमिक और विश्व-शान्ति की ओर ले जाने वाला है। यदि आज महावीर के सर्वोदयी अनेकान्तात्मक विचार, सब पक्षों को अपने में समाहित कर लेने वाली स्याद्वाद वाणी, अहिंसायुक्त आचरण और अल्प-संग्रह से युक्त जीवनवृत्ति हमारे सामाजिक जीवन का आधार व अंग बन जाए तो हमारी बहुत कुछ समस्याएँ सहज सुलझ सकती हैं। हम आत्म-शान्ति के साथ-साथ विश्व-शान्ति की दिशा में भी सहज ही अग्रसर हो सकते हैं। अन्त में 72 वर्ष की आयु में दीपावली के दिन इस युग के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने भौतिक देह को त्याग कर निर्वाण प्राप्त किया। उसी दिन उनके प्रथम शिष्य इन्द्रभूति गौतम को पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुई। जैन मान्यतानुसार दीपावली महापर्व भगवान महावीर के निर्वाण एवं उनके प्रमुख शिष्य गौतम को पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति के उपलक्ष्य में ही मनाया जाता है। इसप्रकार हम देखते हैं कि भगवान महावीर का जीवन नर से नारायण बनने एवं आत्मा के क्रमिक पूर्ण विकास की कहानी है। ***