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(११) किन्तु दूसरों को समझाने के पूर्व वे अपने ज्ञान का पूर्ण विकास कर लेना चाहते थे। बाह्य हिंसा से जगत् को रोकने के पहले वे अपने अन्तर में विद्यमान राग-द्वेष रूप भावहिंसा को पूर्ण समाप्त कर देना चाहते थे। अतः उन्होंने गृह त्याग कर सन्यास लेने का विचार किया।
वे महावीर तो बनना चाहते थे; पर हिंसा, अत्याचार, परपीड़न, संहार और क्रूरता के नहीं; वरन् अहिंसा और शांति के महावीर बनना चाहते थे।
दुनियाँ ने उन्हें अपने रंग में रंगना चाहा; पर आत्मा के रंग में सर्वांग सराबोर महावीर पर दुनियाँ का रंग न चढ़ा । यौवन ने अपने प्रलोभनों के पासे फैंके; किन्तु उसके भी दांव खाली गये। माता-पिता की ममता ने उन्हें रोकना चाहा; पर माँ के आंसुओं की बाढ़ भी उन्हें बहा न सकी।
उनके रूप-सौन्दर्य एवं बल-विक्रम से प्रभावित हो अनेक राजागण अपनी अप्सराओं के सौन्दर्य को लज्जित कर देने वाली कन्याओं की शादी उनसे करने के प्रस्ताव लेकर आए; पर अनेक राजकन्याओं के हृदय में वास करने वाले महावीर का मन उन कन्याओं में न था। माता-पिता ने भी उनसे शादी करने का बहुत आग्रह किया, पर वे तो इन्द्रिय निग्रह का निश्चय कर चुके थे। ___ चारों ओर से उन्हें गृहस्थी के बन्धन में बांधने के अनेक यत्न किये गए, पर वे अबन्ध-स्वभावी आत्मा का आश्रय लेकर संसार के सर्व बन्धनों से मुक्त होने का निश्चय कर चुके थे। जो मोहबन्धन तोड़ चुका हो उसे कौन बांध सकता था?
परिणामस्वरूप तीस वर्षीय भरे यौवन में उन्होंने घर-बार छोड़ा। नग्न दिगम्बर हो निर्जन वन में आत्मसाधना-रत हो गए।