Book Title: Tirth Darshan Part 1
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 174
________________ श्री श्रवणबेलगोला तीर्थ तीर्थाधिराज * श्री आदीश्वरप्रभु के पुत्र श्री बाहुबली भगवान, कायोत्सर्ग मुद्रा, भूरा वर्ण 17.38 मीटर (57 फीट) (दि. मन्दिर) । तीर्थ स्थल * श्रवणबेलगोला गाँव के पास तलेटी से 178.42 मीटर (585 फुट) ऊंचे पर्वत पर, जिसे विन्ध्यगिरि पर्वत कहते है । प्राचीनता * श्री गंगरस राजा के प्रधान श्री चामुण्डराय की माता विक्रम संवत् 1037 में श्री बाहुबली भगवान के दर्शन के लिए पोदनापुर जा रही श्री भरत चक्रवर्ती-चन्द्रगिरि पर्वत थीं । उन्होंने विन्ध्यगिरि पर्वत के सम्मुख स्थित चन्द्रगिरि पर्वत पर विश्राम लिया । यहीं उन्हें स्वप्न में कला और सौन्दर्य * श्री बाहुबली भगवान की अदृश्य रूप से विन्ध्यगिरि पर्वत पर, श्री बाहुबली इतनी प्राचीन मूर्ति होते हुए भी ऐसा लगता है जैसे भगवान की मूर्ति स्थापित करने की प्रेरणा मिली । अभी-अभी बनकर तैयार हुई हो । इस भव्य प्रतिमा तुरन्त ही प्रधान ने निर्णय लेकर उत्साह-पूर्वक अपनी का सौम्य, शान्त, गंभीर रूप बरबस मन को भक्तिभाव अमूल्य धन राशि का सदुपयोग कर इस तीर्थ की की ओर खींच लेता है । कला की दृष्टि से भारतीय स्थापना की जिसे हजार वर्ष से ज्यादा हुवे है । शिल्प कला का एक सर्वोत्कृष्ठ उदाहरण हैं । मन्दिर के निकट का दृश्य अत्यन्त मनोहर है । विन्ध्यगिरि व विशिष्टता * यहाँ महामस्तकाभिषेक पूजा बारह । चन्द्रगिरि पर्वतों के बीच विशाल जलकुण्ड की अपनी वर्षों में एक बार होती है । इस अवसर पर सारे भारत से लाखों यात्री यहाँ आते हैं । विमान द्वारा पुष्पवृष्टि मार्ग दर्शन * श्रवणबेलगोला के नजदीक के रेल्वे की जाती है । कुछ वर्षों पूर्व तक मैसूर महाराजा के स्टेशन में अरसीकरे 64 कि. मी., हासन 51 कि. मी. हाथों प्रथम पूजा होती थी । लगभग दो हजार वर्ष पूर्व और मन्दगिरि 16 कि. मी. की दूरी पर है । निकट उत्तर भारत में बारह वर्षीय अकाल पड़ा । तब आचार्य का गाँव चन्नरायपट्टणम लगभग 13 कि. मी. दूर है । भद्रबाहु स्वामी अनेक मुनियों के साथ आकर इन स्थानों से बस व टेक्सी की व्यवस्था है । बेंगलोर विन्ध्यगिरि के सम्मुख पर्वत पर ठहरे थे । उनके साथ । से बस द्वारा करीब 150 कि. मी. तथा मैसूर से 80 सम्राट चन्द्रगुप्त भी थे । सम्राट तपस्या करते हुए यहीं कि. मी. दूर है । तलहटी तक पक्की सड़क है। इसी पर स्वर्ग सिधारे, इसलिए इस पर्वत का नाम चन्द्रगिरि पहाड़ के पत्थर को काटकर, सुन्दर सीढ़ियाँ बनवायी पड़ा, ऐसी किंवदन्ति है । गयी है । तलहटी से ऊपर मन्दिर तक लगभग 650 __ अन्य मन्दिर * विन्ध्यगिरि पर्वत पर सात मन्दिर सादर सीढ़ियाँ है । तलहटी गाँव के निकट ही है । हैं । सामने चन्द्रगिरि पर्वत पर चौदह मन्दिर हैं, जिनमें सुविधाएँ * ठहरने के लिए तलहटी में धर्मशाला, श्री आदीश्वर भगवान का मन्दिर सबसे पुरातन हैं, यहाँ अतिथीगृह व हाल हैं, जहाँ पर पानी, बिजली, बर्तन, भद्रवाहु स्वामी की चरणपादुकाएँ हैं । चन्द्रगिरि पर्वत ओढ़ने-बिछाने के वस्त्र व भोजनशाला की भी सुविधाएँ पर स्थित जमीन में आधी गढी मूर्ति को श्री आदीश्वर उपलब्ध हैं । भगवान के पुत्र भरत चक्रवर्ती का बताया जाता है । पेढ़ी * एस. डी. जे. एम. ऐ. मेनेजिंग कमेटी, श्रवणबेलगोला गांव में सात मन्दिरों में से एक मन्दिर श्री श्रवणबेलगोला तीर्थ । में 'जैन मठ' स्थापित हैं । श्रीचारुकीर्ति स्वामीजी पोस्ट : श्रवणबेलगोला - 573 135. जिला : हासन, भट्टाचार्य यहाँ विराजते हैं तथा नवरत्नों की सत्रह प्रान्त : कर्नाटक, फोन : 08176-57226, 57235, प्रतिमाओं का दिव्य दर्शन कराया जाता है । 57258 व 57224. 170

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