Book Title: Tirth Darshan Part 1
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 220
________________ श्री पार्श्वनाथ भगवान-गजपंथा श्री गजपन्था तीर्थ तीर्थाधिराज * श्री पार्श्वनाथ भगवान, श्याम वर्ण, पद्मासनस्थ, लगभग 1/2 मीटर (दि. मन्दिर)। तीर्थ स्थल * नासिक शहर के पास मसरुल गाँव की एक टेकरी पर । प्राचीनता * जैन शास्त्रों के अनुसार यह एक प्राचीन तीर्थ माना जाता है । इसका उद्धार मैसूर नरेश चामराज उडैयार द्वारा विक्रमी संवत् की नौवीं शताब्दी में करवाये जाने का उल्लेख मिलता है । विशिष्टता * कहा जाता है कि यहाँ से सात बल भद्र मुनि तथा अनेकों यादव वंशी मुनि 'मोक्ष' सिधारे, 216 जिसमें गजसुकुमार मुनि भी थे । इसी लिए इस स्थान का नाम 'गजपन्था' पड़ा । श्री चामराज उडैयार ने जब से इसका उद्धार करवाया तब से लोग इसे 'चामरलेणी' कहने लगे । अन्य मन्दिर * इसके अतिरिक्त यहाँ और कोई मन्दिर वर्तमान में नहीं हैं । कला और सौन्दर्य * छोटे गाँव के जंगल में एक टेकरी पर स्थित इस मन्दिर का दृश्य अत्यधिक मनोरम प्रतीत होता है । मूर्ति भी शान्त, सौम्य और गंभीर मुद्रा में है । मार्ग दर्शन * निकट का रेल्वे स्टेशन नासिक रोड़ 20 कि. मी. की दूरी पर स्थित है । नासिक सिटी से इस तीर्थ की तलहटी 6/2 कि. मी. की दूरी पर है।

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