Book Title: Tirth Darshan Part 1
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 208
________________ श्री रामटेक तीर्थ तीर्थाधिराज * श्री शान्तिनाथ भगवान, सुनहला वर्ण, कायोत्सर्ग मुद्रा, 304 सें. मी. (10 फुट) (दि. मन्दिर)। तीर्थ स्थल * रामटेक, गाँव से बाहर, लगभग डेढ़ किलोमीटर (एक मील) दूर । प्राचीनता * इस क्षेत्र का इतिहास अत्यन्त प्राचीन काल तक अथवा प्रागेतिहासिक काल तक पहुँचता है । जैन पुराणों के अनुसार रामटेक क्षेत्र का इतिहास बीसवें तीर्थंकर भगवान मुनिसुव्रत स्वामी के काल का है । आचार्य रविषेण ने पद्मपुराण में रामचन्द्रजी द्वारा वंशगिरि में हजारों जिन मन्दिरों के निर्माण का उल्लेख करते हुए यह भी सूचित किया है कि इस वंशगिरि का ही नाम रामगिरि हो गया । विशिष्टता * सोलहवीं शताब्दी के अन्तिम चरण में हुए भट्टारक ज्ञानसागरजी ने अपनी रचना सर्वतीर्थवंदना के दो छप्पयों नं. 95-96 में रामटेक स्थित भगवान शांतिनाथ की महिमा की बड़ी प्रशंसा की है, तथा उन्हें मनवांछित फल को पूर्ण करनेवाले बताया है। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णीमा को ध्वजा चढ़ाई जाती है व मेले का आयोजन होता है । अन्य मन्दिर * वर्तमान में इस मन्दिर के अतिरिक्त इसके आस-पास और आठ मन्दिर है एवं एक भव्य मानस्तम्भ भी है । कला और सौन्दर्य * यहाँ पर दिव्य मन्दिरों के शिखरों की वास्तु कला अत्यधिक प्राचीन, अनुपम एवं निराले ढंग की है जो कि अत्यन्त सुन्दर एवं दर्शनीय है। मार्ग दर्शन * यहाँ का रेल्व स्टेशन रामटेक जो तीर्थ स्थल से लगभग 5 कि. मी. दूर है । जहाँ आटो, टेक्सी की सुविधा है । नागपुर से लगभग 48 कि. मी. दूर है । श्री शान्तिनाथ भगवान-रामटेक 204

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