Book Title: Tirth Darshan Part 1
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 182
________________ श्री जिनगिरि तीर्थ तीर्थाधिराज * श्री पार्श्वनाथ भगवान, खड्गासन मुद्रा में (दि. मन्दिर ) । तीर्थ स्थल * तिरुनरुकोण्डै गाँव के पास एक पहाड़ी पर । प्राचीनता * यहाँ प्राचीन गुफाएँ हैं, जिनमें शय्याएँ बनी हुई हैं । पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार ये शय्याएँ तीसरी से पाँचवी शताब्दी तक की है । ये गुफाएँ जैन मुनियों के आवास-स्थान व तपस्या के लिये बनी प्रतीत होती है । पश्चात् विभिन्न नरेशों द्वारा यहाँ जैन मन्दिरों का निर्माण किये जाने का उल्लेख है । शास्त्रों में इस क्षेत्र के प्राचीन नाम जिनगिरि, उच्चन्दवालमलै, वडपालि, वडतिरुमलै, तिरुमेट्रिसै, नापत्तिरन्डु-पेरुमपल्लि आदि बताये गयें हैं । ई. की नवमीं शताब्दी से सोलहवीं शताब्दी तक के अभिलेख अभी भी यहाँ उपलब्ध हैं । इस क्षेत्र की अभिवृद्धि में राजराजचोल प्रथम, राजेन्द्रचोल प्रथम, कुलोत्तुंगचोल प्रथम, पाण्डिय व विजयनगर नरेशों के वंशजों द्वारा भाग लेने का उल्लेख शिलालेखों में मिलता है । चोल नरेश की बहिन 178 राजकुमारी कुन्दवै ने इसके समीप एक जलाशय का निर्माण कराया था । जो आज भी कुन्दवै जलाशय के नाम से प्रचलित है । पार्श्वनाथ भगवान को वर्तमान में स्थानीय लोग अप्पाण्ड - नादर के नाम से पुकराते हैं । विशिष्टता * यह अनेक मुनियों की तपोभूमि होने के कारण यहाँ की महान विशिष्टता है । जहाँ पहाड़ चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ प्रारम्भ होती हैं वहाँ एक चबूतरे पर श्री क्षेत्रपाल की मूर्ति विराजमान है । भक्तगण पहाड़ पर चढ़ने के पूर्व क्षेत्रपाल की पूजा करके बाद में सीढ़ियाँ चढ़ते हैं । यह पद्धति प्राचीन काल से चली आ रही है । इस क्षेत्र की उन्नति में यहाँ के विभिन्न जैन राजाओं ने भाग लिया है । अनेक मुनि संघों का यहाँ आवास रहा है । नंदि संघ के महागुरु श्री वीरनन्दि आचार्य के संघ का यहाँ आवास था । मुनियों को यहाँ से अन्यान्य प्रदेशों में धर्म प्रचारार्थ भेजा जाता था । कन्याकुमारी जिले के तिरुनन्दिक्करै स्थान पर यहाँ के संघस्थ मुनि पुंगव के उपदेश से जिनालय का निर्माण हुआ था । तिरुचारण पर्वत पर जैन विश्व विद्यालय की स्थापना करके जैन शिक्षा का प्रचार करने के लिए जिन मुनियोंकी अमूल्य सेवा का उल्लेख आता है, उन मुनियों का आगमन यहाँ पर स्थित वीर संघ से ही हुआ था । श्री पार्श्वनाथ मन्दिर, - जिनगिरि

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