Book Title: Teen Din Mein
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 9
________________ सुकुमाल-बड़ा कोमल सा बच्चा- रहने लगा महलों में-उसे मालूम नहीं दिन क्या होता है, रात क्या होती है, संदी, गर्मी क्या होती है ? आमोद प्रमोद के, शरीर की सुविधाके सभी साधन वहां उपलब्ध जोथे -VII COMIN TUILDILAILY Meanwhronowinnar सुकुमाल जवान हुआ... और.... आज मैं कितनी प्रसन्न हूँ। मेरा स्वप्न साकार हुआ। कितनी सुन्दर हैं, कितनी आकर्षक हैं ये मेरी बहुए- अब देखती हूं कैसे जाता है इनके मोह-पाशसे निकलकर मेरालाडला सुकुमाल । 7.Onाला एक दिन... ... ... राजन ! मैं रत्नकम्बल का व्यापारी हूं-कृपया इसे देखिये और पसन्द आये तो खरीदने की कृपा कीजिये। आपकेहीलायकहेयह रत्नकम्बल रत्नकम्बल तो बहुत ही सुन्दर है परन्तु इसका मूल्यचुकाना मेरे बस की बात नहीं INE KAN

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