Book Title: Teen Din Mein
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 14
________________ परन्तु क्या? राजन्! सेठानी जी। आपने मेरा स्वागत किया, भोजनकरायामै आपका आभारी हूँ। आपके पुत्र से मिलकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई सेठानी जी, ऐसा लगता है कि आपके पुत्र को कुछ रोग है, कृपया इनका इलाज अवश्य कराइयेगा। परन्तु .... 18 क्या रोग हैं मेरे पुत्र को ? जरा मैं भी तो सुनूं । Rad 150 मेरी दृष्टि में पहला रोग इसे यह है कि यह स्थिर आसन से नही बैठ सकता है। Brd राजन यह रोग नहीं । मेरा बेटा बहुत सुकुमार है, सदैव अत्यन्त कोमल शय्या पर ही सोता है और वैसी ही गट्टीपर बैठता है। आज मैंने मंगलस्वरूप आपके ऊपर कुछ सरसों डाली थी जिसके कुछ दाने इसके आसन पर भी गिर गये होंगे। वेही सरसों के दानें मालूम होता है इसके चुभ रहे हैं इसलिए वह स्थिर होकर नहीं बैठ पा रहा है।

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