Book Title: Teen Din Mein
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 19
________________ और सुकुमाल पहुंच गया मुनि यायोभद्रके चरणों में Dinnnnn пппт ПГП FINITI7 A n ।।। CHE 16-17 rin nr InHनमोसा भगवन ..और हा, तेरी आयु भी अब केवल तीन दिन की बाकी है। भद! तूने बहुत सुन्दर SS व चार किया... ... ... महात्मन में आगया हूँ आपके चरणों मे । भोगों में भुला हुआ था अपने को अब जाग गया हूँ। अपने को पहचान गया है। संसार,शरीर भोग निस्सार दीखने लगे हैं मुझे। कृपया दे दीजिये न मुझे भी मीन | दीक्षा लाकि मैं भी अपना कल्याण कर सकू

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