Book Title: Teen Din Mein
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 11
________________ अब क्या करूं इस रत्न कम्बल का। हाँ। समझ में आगया। क्यो न अपनी ३२ बहओ की जूतियां बनवाढूँ इस रत्न कम्बल की EिETTER एक दिन सुकुमाल की एक स्त्री सुदामा रत्नकम्बल से बनी जूतीपहनकर महल के ऊपर चली गई और जूती निकाल कर वहां बैठ गई.... EMAVAL चील जती लेकर राजमहल की छत पर पहुंच गई। मांस समझकर खाने लगी। जबखाई नहीं गई तो वहीं छोड़ कर उड गई.०० ००० ००० ००० m + + + +

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