Book Title: Teen Din Mein
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ अच्छा ! यह बात है। चलता हूँ बालक का मुंह देखने लो विप्रराज यह आपका इनाम Dev महात्मन् ! मुझे संसार से डर लगा है। कृपया मुझे वह दीक्षा दीजिये जिससे मुझे सच्चे सुख की प्राप्ति हो । Ca सेठ सुरेन्द्रदत्त अब सेठ नहीं रहे। वह नग्न दिगम्बर साधु बन गये। सेठानी के महल मे : सेठानी तू बड़ी भाग्यशाली है, तेरे पुत्र हुआ है बधाई है तुझें अच्छा, हमचलते हैं मुनि दीक्षा लेने toy 100 बड़ा सुन्दर सोचा है भव्य तेरा कल्याण हो ""

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26