Book Title: Tattvarthshlokavartikalankar Part 7
Author(s): Vidyanandacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Vardhaman Parshwanath Shastri

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Page 3
________________ प्रकाशक - आचार्य कुंथूसागर ग्रंथमाला, 'वर्धमान' होटगी रोड, सोलापूर - ३ ( महाराष्ट्र ) वीर संवत् २५१० ई. सन् १९८४ 8 प्रथमावृत्ती प्रति ८०० E मुद्रक - सुभाष वर्धमान शास्त्री कल्याण पॉवर प्रिंटींग प्रेस, ९, इंडस्ट्रियल इस्टेट, होटगी रोड, सोलापूर-४१३००३ wwwwwwwwww प्रकाशकीय * तत्वार्थ श्लोकवार्तिकालंकार का यह सप्तम एवं अंतिम खंड आपके हाथ में है । इस ग्रंथ के टीकाकार स्व. श्री माणिकचन्दजी कौन्देय, न्यायाचार्य की यह कृति, जो सात भागोंमे प्रकाशित हुआ है, उनकी विद्वत्ताका सूचक है । जनेतर आचार्योकी मिथ्या धारणाओंका खण्डन करके जैनाचार्योकी सम्यक् धारणाको प्रस्तुत करनेकी उनकी कुशलता अद्वितीय है तत्वार्थ श्लोकवातिकालंकारके इन सात खंडोंको पाकर जैन एवं भारतीय समाज कृतकृत्य हुआ है । इस खण्ड के लिए मैसोर विश्वविद्यालयस्थ जैनविद्याविभाग प्रमुख डॉ. एम. डी. वसंतराजनें परिश्रमपूर्वक प्राक्कथन लिखा जो अत्यंत विद्वत्ताप्रचुर है। उनके हम हार्दिक ऋणी हैं । इस ग्रंथ प्रकाशनमें प्राप्त पंडितरत्न श्री जिनदासजो शास्त्रो एवं पं. नरेंद्रकुमारजी मिसीकर सोलापूरवाजों हार्दिक सहयोग उल्लेखनीय है । कल्याण प्रिंटींग प्रेसने अनेक कठिनाईयों के बावजूद इस ग्रंथके मुद्रणका दायित्व लिया उनके हम आभारी है। आशा है, इससे पहले छह खंडोंका जिस धर्मबुद्धिसे स्वागत हुआ था, इसका भी उसी प्रकार होगा । सुभाष वर्धमान शास्त्री व्यवस्थापक आ. कुंथूसागर ग्रंथमाला, सोलापूर. wwwwwwwwwwwwwA

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