Book Title: Tattvarthashloakvarttikam Author(s): Vidyanandi, Manoharlal Publisher: Ramchandra Natharangji Mumbai View full book textPage 3
________________ गांधीनाथारंग-जैनग्रंथमालाद्वारा प्रकाशितग्रंथसूची। १ अष्टसहस्री-आचार्यविद्यानंदिकृत महान् न्यायग्रंथ । मू० २॥) २ श्लोकवार्तिक--आचार्यविद्यानंदिकृत तत्त्वार्थसूत्रकी सबसे बड़ीटीका । मू० ४) रु० लागतमात्र. ३ पार्थाभ्युदय-भगवज्जिनसेनाचार्यकृत, मेघदूतकाव्यकी समस्यापूर्तिरूप, सटीक। मू०॥) ४ परीक्षामुख-(प्रमेयरत्नमालाटीका) माणिक्यनंदि भाचार्यकृत मूल तथा अनंतवीर्यकृत टीका। मू०॥) ५ विश्वलोचनकोश-आचार्य श्रीधरसेनकृत मूल तथा हिंदी अर्थ सहित । मू० १८) ६ गोमटसार जीवकांड-मूल संस्कृत छाया उत्थानिकासहित । मू० ।-) ७ जैनेंद्रप्रक्रिया-(पूर्वार्ध ) पं० वंशीधरजी-न्यायतीर्थकृत । मू० १॥) मिलनेके पते१ मैनेजर-गांधीनाथारंगजैनग्रंथालय,.. पो० मांट बंबई. ! २ मैनेजर-जैनग्रंथउद्धार मन्दिरे ॥२२॥ खत्तरगली हो.. ॥ पो० गिरगांव. २४ ॥ Printed by Ramchandra Yesu Shedge, at the Nirnaya Sagar Press, 23, Kolbhat Lane Bombay. Published by Ramchandra Natharangji, Gandhi, 2nd floor, over Central Bank, Post Mandvi, Bombay. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 522