Book Title: Tattva Muktakalap
Author(s): D Srinivasachar, S Narasimhachar
Publisher: Mysore Government Branch
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प्रमाणवचनम्
इक्षुक्षार इति नित्यविकल्पो इति नैव प्रवृत्ति इति व्याप्तया इत्थमित्येव इत्येषा सह इदमित्थमिति इन्द्रियप्रतिघा
पुटम् 423 329 196
21 318 165 386 20
7
.
पुटम् | प्रमाणवचनम्
उत्पन्नश्च स्थितो 100 | उत्पन्ना जातु 370 340 उत्क्रन्तिगत्या 366 उत्पद्य यो विन
उत्पादध्रौव्य
उदयानन्तर -72
उपयन्नपयन् 303 293 172 उभयथा खल्वयु
उभयव्यपदेशा 446 456 ऊर्ध्वमुद्गच्छति 458 446 एकसंघात 446 एकादशं मनश्चात्र 439
एका कन्या दशे एकानेक
229 417
इन्द्रियाणि तन्मा
278 223
.....
....
524
..
इन्द्रियाणां इन्द्रियाणामेकादश इन्द्रियाण्यु इन्द्रियैरुप इयमेवात्मसं
59
२
)
180 446 464 450 327 329 344 459
49 455 328
उक्तस्य वक्ष्यमा उच्यते प्रथमा उत्तरसंख्यानुरो उत्तरानुगुण उत्पत्तावपि उत्पत्तिविनाशादय उत्पत्तिस्थित्याभ उत्पत्त्यनन्तरं
318 | एकार्थक्रियया 344 | एकैकदेहेष्वेक 464 | एकोपका 290 -एतत्सर्व 315 एतद्विभावयेद्योगी 368 | एतस्माज्जायते 280 330 एतावन्तं स्थितः
465
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