Book Title: Tattva Muktakalap
Author(s): D Srinivasachar, S Narasimhachar
Publisher: Mysore Government Branch
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671
प्रमाणवचनम्
पुटम् ...... 181 .... 114
..... 280
....
वस्त्वेकमेव वाक्च मैत्रेय वाचारम्भणं वायुराकाशे वायुस्तेजः . वाय्वात्मकं वाय्वादिव्यव वसुदेवस्य
153
पुटम् | प्रमाणवचनम् 129/ विप्रतिषिद्ध 446 | विप्रतिषेधाच्चा 306/ वियोगोन्यत्र 440 | विरोधे त्वनपेक्ष्यं 167 | विलक्षणकपाला 443 विशेषप्र .
37 | विश्वरूप 599 विश्वरूपाय
84 | विश्वात्मन् 158 विषयस्सामान्यमचे
| विष्णोःस्वरू 320
विसृष्ट्यल्लास 178 वृत्तभपञ्जर 153 वृत्ताचक्रव
वेदाहियज्ञा वेदो हीदृश एवा वेष्टयेतौदुम्बरी वेशेष्यात्तु
विकल्प एव हि विकल्लितं यत् विकलो वस्तु विकारजननी विकुर्वाणानि चा विक्रियामात्र विगानाद्धि विज्ञप्तिर्नाम विज्ञप्तिमात्र
.... 29 .... 177 ..... 177 .... 177 .... 126 ... - 616
213 582 582
157 . 154
.....
184
विज्ञानं जड़
..... 185
विज्ञानस्य त्व विद्यते हि विद्यते तत्व विद्याकाली विनाशं प्रति स विनोपघातेन विप्रतिपत्तो विप्रतिषिद्ध
327 328 191 | वैकल्ये सैव 329 वैधर्म्यवति । 344 व्यक्त तथा प्र 621] व्यतिरेकात्मिका
व्यवहारमना 193 | व्याप्तिभोग 155 | व्याप्तिरूपेण 154 | व्याप्तिस्सर्वो
....: 256 ... 344
325 ... 127
325 195
292 .... 275
319

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