Book Title: Tattva Muktakalap
Author(s): D Srinivasachar, S Narasimhachar
Publisher: Mysore Government Branch

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Page 743
________________ प्रमाणवचनम् संसर्गे च निरंश دو " संस्थानं नाम सहकारिकृत सहन्ते सहते काय सहोपलम्भ संज्ञा चोत्पत्ति • सात्विक एकादशकः साधर्म्य सान्तःकरणा सान्तरविन्द्रिया सापि नः प्राक्तनी सामान्यतस्तु दृष्टां ". समुद्राभ सार्वज्ञप्रागभा सार्वज्ञ मानसं सावयवं परतन्त्रम् सासत्ता न स्वतं सिद्धं च मानसं सिद्धानुगम "" सिद्धाऽनवस्थिति सिद्धो ह्यन्यत्र सूयते पुरुषा सूक्ष्मं प्रमाणतश्च सूक्ष्मस्तेषां .... 674 पुटम् 191 | सेनावनवद्र् 202 सेयं देव 203 सैव तदवस्थस्यो 72 " 382 सौक्ष्म्यात्तदनुप 292 | स्कन्धाः केशो. 304 39 | स्कन्धाय सर्व 456 स्थित ह •प्रमाणवचनम् स्कन्धात्मा लोकः 451 स्पष्टतरस्सा 324 | स्पृशतेोप्य 114 स्मृतीनामप्र 191 302 | स्मृश्रुत 210 | स्मृतिषूक्त स्मृत्यनवकाश 100 स्यातामत्यन्त 601 स्वक्रियादिविरो 295 स्वप्नवत्संसृतिः 334 स्वप्रवृत्त्यदि 124 स्वप्ने च मानसं 422 स्वभावनिय 334 स्वयंसमा 45 स्वरसन्ध्याप्त 450 स्वर्भानुरा 315 स्वरूपमेव 205 स्वात्मभावा 178 स्वात्मावभास 141 स्वैस्स्वैर्ह्यवस्थितैः 138 स्वोपादान .... **** पुटम् 246 178 310 382 210 328 192 327 607 612 61 158 443 157 607 339 425 423 292 334 48 608 252 607 421 337 337 422 345

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