Book Title: Tattva Muktakalap
Author(s): D Srinivasachar, S Narasimhachar
Publisher: Mysore Government Branch
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प्रमाणवचनम्
गगनस्य दिशांच गन्ध बिक्रयिक
गुणवद्दव्य
गुणात्सहभु
गुणिनित्यत्वेऽपि
गृहीत्वैतान
गौणनात्म
ग्रसते च चरा
ग्राह्यग्राहक
घटते न यदै घटादिनिष्पत्ति
""
चतुर्भिश्चित्तचत्ता चतुर्विधा हार
चत्वारः प्रत्यया
चत्वार्येव भूत चलभावस्वरूप
चक्षुराद्यतिरिक्तं हि
चक्षुश्च द्रष्टव्यं च
चक्षु श्रोत्रं तथा चक्षु श्रोत्र
चक्षुषा चाक्षुष
चित्तस्यापि
चित्तेन सह
चित्रं केशोण्डू
ग
घ
च
....
****
****
660
पुटम्
प्रमाणवचनम्
चित्रं यथाश्रय
536
चित्रस्यापि
174 चेतो धीकर्मे
163
164 जगत्सर्वं शरीरं ते
165 जगाद तत्संवृति
290 जनी प्रादुर्भाव
475
"
जन्मतो नान्यथा
177
294 जन्मान्तरे
59
जन्माद्यस्य
जहानां भुक्त
80 जातस्य हि ध्रुवः
276 | जातास्तत्वविदो
277
पूर्व
सूर्य
ज्वालेषु निर्णय
347
253
347
509 ब्भिाइ सो
णाणम्मि अप्प
370
334 | त इन्द्रियाणि 455 त एते सर्व एव
459
त एव तन्तवः
458 ततश्च श्रुति
244 ततश्च तुल्यकक्षा
327 ततस्सत्यवतः
ततो द्रव्यान्तर
197 328 ततः कर्मफला
ज
ण
त
....
****
****
पुटम्
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