Book Title: Tattva Muktakalap
Author(s): D Srinivasachar, S Narasimhachar
Publisher: Mysore Government Branch

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Page 732
________________ 663 पुटम् पुटम् प्रमाणवचनम् त्रिविधमनुमानं त्रिविधोऽयमहङ्कार त्रिवृतमेकैका त्रीणि रूपाणी त्रीण्येव लिङ्गानि तीर्णी हि तदा त्रुटिभूते च तृतीया तत्कृता तेषामन्द्रियक तैजसं न यतेः तैजसं शुध्यते तैजसं शोधकैः तैजसानान्द्रियाणि 286 464 572 99 191 167 163 217 221 398 317 प्रमाणवचनम् 116 | देशकालाकार 463 | देवा वैकारिका दश 180 | देवी गुणमयी 1741 । द्रव्यक्रियागुणा 366 | द्रष्टव्यं दर्श द्रव्यर्थिकनया | द्रव्याश्रया निर्गुणा ___405 | द्रव्यस्य समाहार 99 565 | द्वयोरयुगप 565 द्वयाश्रितं 565 द्वाभ्यामेवाणुभ्यां 464 | द्विविधाः क्षणिका द्वेधापि क्षणभङ्ग | द्वे सत्ये समुपा 464 275 | धर्मत्वेन प्रतीयन्ते 149 | धर्मस्य कस्यचिदव 535 | धर्माधर्मी तथा जीवः 202 | धर्मोकारशक्तीनां 471| धर्मो ज्ञानं विराग 129 | ध्वंसनाम्नः पदार्थस्य 485 | धाता यथापूर्व 110| धारणकर्षणो 197 | ध्यायतेध्यासिता 120 धियं निवेश्य 49 धियो नीलादि 141 | ध्रुवं जन्ममृ 251 .... 344 324 .... 192 द दर्शनस्पर्शनाभ्यां दशमे पुरुषे दारुण्याग्नर्यथा दिक्कालावाकाशादि दिग्देशकालेष्वस्ताति: दिग्विभागो निरंश दिवीव चक्षुराततं दुःखाज्ञान दूरासन्नार्थयो दृश्यते तु दृश्यते स्पृश्यते दृश्यमेव हि लोक दृष्टानुश्रविक दृष्टे तस्मिन्नदृष्टेऽपि देवानां पूरयोध्या 67 364 150 48 120 375 160 239 240 178 ___79 256 57 .. 49 310

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