Book Title: Tattva Muktakalap
Author(s): D Srinivasachar, S Narasimhachar
Publisher: Mysore Government Branch
View full book text
________________
655
प्रमाणवचनम्
177
एताः प्रकृतयः एतेन भूतेन्द्रिय एते विशेषा एतेषु पदार्थषु एवं च को गुणो एवं च हेतु एवं जातेषु एवं धर्मान् विजा एष त्रिविधः परि . एष वन्ध्यासुतो
387
298
पुदम्
प्रमाणवचनम्
कारणगुणा 282 . 177
कारणमस्त्यव्य 113 329
| कार्यकारण 179
कार्यमुत्पद्यते कार्यरूपेण कार्यात्मना च किं क्षणस्थायि किं च कुत्रचि
किं चातीतादयो 423-24 | किं दैवतोऽस्यां
475 114 | कुर्वतोऽकुर्वतो 453 कृत्स्नप्रसक्ति 405 कल्पनापोढ
| कल्पनाप्यसती 317 | कल्पनामात्र
67 कल्पनारोपित 564
| कल्पादौ भूत 119 कालो नियतिश्च 455 क्रमान्यत्वं
| क्षणभङ्गप्रसिद्धयैव 318 | क्षणिकत्वात्तु तत्कार्यम् 343 | क्षित्यादिजाति
क्षीणानि चक्षुरा 124- क्षुदुपहन्तुं शक्यम्
पुटम् 102 122 111 113 131
35 216 370 127 169 369 182 318 104 128 351 186 320 323
कथं तर्हि कथं स्ववृत्ति कथमसतस्सज्जा कप्यासं पुण्डरीक करणं त्रयो
कर्तृकरणे कृता कर्तृत्वादि कर्मातीतं कवाटविवरे काठिन्यवान् यो कामस्संकल्प:
423 387
140 150 286 319 370
कामेऽष्टद्रव्यको
29
...
कारकत्वमतः कारणकार्य
111
162
60 537

Page Navigation
1 ... 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746