Book Title: Tattva Muktakalap
Author(s): D Srinivasachar, S Narasimhachar
Publisher: Mysore Government Branch
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प्रमाणवचनम्
अदितिः पाशान्
अदृश्यत्वादि
अदृष्टतत्वो
अद्भयोग्निः
अध्यवसाय
अध्यवसायो
"
25
अध्यारोप्य
अनक्षरस्य
अन्तःकरणम्
अन्तर्भावित
अन्तर्भूत
अन्तस्तद्धर्मो
अन्धः कूपे
अन्नमयं हि
""
अन्नमशितम्
अनन्तस्य नत
अनुत्पत्तिं च
अनुपलव
अनुमानं
अनुस्मृतेश्च
अनेक व्यक्तयन्वय
अन्यच्चेद्विकलं
अन्यथास्वपर
अन्यानन्तरभावेऽपि
अन्यारादितर
अन्योन्या
656
पुटम्
155 अन्योन्यानु
61
344
158
456 अपरिग्रहाचा
98 अप्राप्तयोस्तु
114 अप्राप्तिपूर्विका
116 अपिचाशेषनित्यत्वे
318 | अपितु देवपुत्र
195 अबाबूत
प्रमाणवचनम्
61
83
443
547
183
214
330
अन्वय्यात्मा
अप एव ससर्जादौ
अपदुस्सुषु स्थः
119 अभिप्रायवशा
424 अभिमानो
421
""
"
अभिसंबुद्ध
अभूतं ख्याप
अभेदाध्यव
""
39
अभेद्यः परमाणुः
41 अयमेव त्वह
363 अयोग्यत्वं तिरो
331 अर्थः प्रत्याय्य
70 | अर्थेनैव
344 अर्पितानर्पित
315
अलातचक्र
379 अलातं मृग
350 अवयव्यर्थान्तर
290 अवश्याभ्युप
पुटैम्
345
379
159
95
252
20
132
304
423
156
326
98
114
116
389
193
319
320
353
233
456
293
375
54
166
59
328
239
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