Book Title: Tadpatra Pandulipi Bachaye Author(s): Anupam Shah Publisher: Indian Council of Conversation Institutes View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir • भूमिका हमारे पूर्वज हजारों वर्षों से ताड़पत्रों पर लिखाई करते आ रहे हैं। यह परम्परा आज भी जीवित है किन्तु केवल कलात्मक तथा सांस्करिक उद्येश्य के लिए। रघुराजपुर, पुरी जिला का एक गाँव, जहाँ यह पारम्परिक शैली आज भी जीवित है। भारत में ही नहीं, ताड़पत्र पाण्डुलिपियाँ दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में भी पाई जाती हैं। भारत बर्मा लाओ - थाईलैण्ड) श्रीलंका MOREA - इंडोनेशिया d इन देशों के संग्रहालयों, घरों, मठों, ग्रन्थागारों तथा विश्वविद्यालयों में लाखों ताड़पत्र पाण्डुलिपियाँ संग्रहित हैं । For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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