Book Title: Tadpatra Pandulipi Bachaye
Author(s): Anupam Shah
Publisher: Indian Council of Conversation Institutes

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - पाण्डुलिपियों को कीड़ों से कैसे बचायें ? १. पाण्डुलिपियों को बन्द बक्सों अथवा अलमारी में रखें। २. पाण्डुलिपियों के साथ कीट विकर्षक तत्व रखें । ३. प्राप्त पाण्डुलिपियों में कीड़े के अण्डे अथवा डिम्भ (लार्वा) हो सकते हैं, जो संग्रह के अन्य पाण्डुलिपियों में फैल कर उनको भी नष्ट कर सकते हैं। अत: कीटग्रस्त एवं हाल मे प्राप्त पाण्डुलिपियों को अपने संग्रह से दूर रखें, और उनकी जाँच करें। लकड़ी के पठे, जिनके बीच में ताड़पत्रों को रखा जाता है, उनमें भी कीड़े विद्यमान हो सकते हैं । सावधान रहें। ५. भण्डारकक्ष तथा प्रदर्शन कक्ष में भोजन न करें क्योंकि खाद्य पदार्थों से कीड़े मकौडे एवं चूहे आकर्षित होते हैं। ६. कपड़े में पाण्डुलिपि को लपेटने से पहले, कपड़े को अच्छी तरह धोकर उसका माँड़ निकाल दें अन्यथा कीड़े आकर्षित हो जाएँगे। ७. संग्रह का नियमित निरीक्षण करें । कहीं लकड़ी का बुरादा दिखे, जो कीटाक्रमण का प्रतीक है, तो तुरन्त अधिकारीगण को बताएँ, कीटग्रस्त पाण्डुलिपि को संग्रह से अलग करें तथा उसका उपचार करायें। ८. संग्रह के साथ कीटनाशक कागज रखें। ९. खिड़की में जाली लगायें। १०. परिवेश स्वच्छ रखें। ११. पेटिका एवं अलमारी को दीवाल से अलग रखें, तथा जमीन पर कीटनाशक पदार्थ रखें । १२. रासायनिक धूमन करने से कीड़े मर जाते हैं, परन्तु अगर सावधानी न बर्ते, तो पाण्डुलिपियों में कीटाक्रमण पुनः हो जाएगा। १३. भवन निर्माण के समय ही भवन को दीमक अभेद्य बनायें। १४. अपनी परेशानियों की दूसरी संस्थाओं एवं विशेषज्ञों से चर्चा करें । For Private and Personal Use Only

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